जापान के प्रधानमंत्री से जुड़े बयान
10 सितम्बर 2024
जापान के प्रधानमंत्री और टैक्स धोखाधड़ी स्कैंडल से जुड़ी एक Threads पोस्ट पर एक यूज़र के जवाब के केस में, कंटेंट को हटाना न तो ज़रूरी था और न ही वह Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप था. यह केस इस बारे में सवाल खड़े करता है कि Meta को किस तरह हिंसा की आलंकारिक और वास्तविक धमकियों के बीच अंतर करना चाहिए. बोर्ड ने बार-बार आलंकारिक धमकियों के संबंध में ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट की घटनाओं को हाइलाइट किया है. यह बात चिंताजनक है कि Meta की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी अभी भी शाब्दिक और आलंकारिक धमकियों को स्पष्ट रूप से अलग-अलग नहीं करती. इस केस में, एक राजनेता को दी गई धमकी का इरादा गैर-शाब्दिक और राजनैतिक आलोचना करके कथित भ्रष्टाचार की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना था. इसमें कठोर भाषा का उपयोग किया गया था जो जापानी सोशल मीडिया पर असामान्य बात नहीं है. इससे नुकसान की आशंका नहीं थी. इसमें शामिल दो मॉडरेटर्स जापानी भाषा बोल सकते थे और स्थानीय सामाजिक-राजनैतिक संदर्भ को समझते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने गलती से कंटेंट को हटा दिया. इसलिए, Meta को अपने रिव्यूअर्स को इस बारे में ज़्यादा मार्गदर्शन देना चाहिए कि भाषा और स्थानीय संदर्भ का मूल्यांकन किस तरह किया जाए. साथ ही उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी आंतरिक गाइडलाइंस, उसके पॉलिसी बनाने का कारण से मेल खाती हैं.
केस की जानकारी
जनवरी 2024 में, Threads की एक पोस्ट को शेयर किया गया था जिसमें जापान के प्रधानमंत्री फ़ुमिओ किशिदा और चंदा लेने संबंधी अनियमितताओं, जिसमें उनकी पार्टी शामिल थी, पर उनके जवाब से जुड़ा एक समाचार था. पोस्ट के कैप्शन में टैक्स की चोरी को लेकर प्रधानमंत्री की आलोचना की गई थी. एक यूज़र ने सार्वजनिक रूप से उस पोस्ट पर जवाब दिया और कहा कि जापान की विधायी संस्था को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए. इसके बाद यूज़र ने “hah” (आश्चर्य) शब्द का उपयोग किया और “死ね” शब्द का उपयोग करके प्रधानमंत्री को टैक्स चोर कहा. इस शब्द का अंग्रेज़ी भाषा में “drop dead/die” (अचानक मृत्यु/मृत्यु) होता है. वाक्यांश में कई हैशटैग थे और यूज़र के जवाब में भी चश्मा पहनने वाले एक व्यक्ति के बारे में अपमानजनक बातें कही गई थीं.
Threads पोस्ट पर यूज़र के जवाब को कोई भी लाइक नहीं मिला और Meta के धमकी और उत्पीड़न से जुड़े नियमों के तहत उसकी एक बार रिपोर्ट की गई थी. तीन सप्ताह बाद, एक ह्यूमन रिव्यूअर ने पाया कि कंटेंट से इसके बजाय हिंसा और उकसावे से जुड़े नियमों का उल्लंघन होता है. जब यूज़र ने अपील की, तो एक अन्य ह्यूमन रिव्यूअर ने एक बार फिर पाया कि कंटेंट से उल्लंघन होता है. इसके बाद उस यूज़र ने बोर्ड को इस फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की. बोर्ड द्वारा केस को चुने जाने के बाद, Meta ने फ़ैसला किया कि उसका शुरुआती फ़ैसला गलत था और उसने यूज़र के जवाब को Threads पर रीस्टोर कर दिया.
Threads की मूल पोस्ट और यूज़र के जवाब के समय के आसपास, जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के राजनेताओं पर चंदे से होने वाली आय को कम दिखाने के आरोप लगे थे, लेकिन उनमें प्रधानमंत्री किशिदा का नाम शामिल नहीं था. 2022 के बाद से, जब पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे की हत्या हुई थी, जापान में राजनैतिक हिंसा को लेकर कुछ चिंताएँ हैं.
फ़ुमियो किशिदा ने हाल ही में घोषणा की है कि वे 27 सितंबर, 2024 को होने वाले चुनाव में जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता के रूप में फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगे और प्रधानमंत्री के पद से हट जाएँगे.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि वाक्यांश “drop dead/die” (मूल “死ね” से अनूदित) कोई वास्तविक धमकी नहीं है और उससे हिंसा और उकसावे के उस नियम का उल्लंघन नहीं होता जिसके तहत “हिंसा की ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित किया गया है जिनसे मृत्यु हो सकती है”. विशेषज्ञों ने यह कन्फ़र्म किया कि इस वाक्यांश का उपयोग मोटे तौर पर आलंकारिक भाषा के रूप में किया जाता है और उसका तात्पर्य नापसंद और असहमति होता है. कंटेंट में भी “hah” शब्द का उपयोग करके, जो मनोरंजन या व्यंग्य दर्शाता है, इस आलंकारिक उपयोग की तरफ़ इशारा किया गया है.
हालाँकि, Meta का हिंसा और उकसावे से जुड़ा नियम, जो उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करके मृत्यु के आह्वानों को प्रतिबंधित करता है, पर्याप्त स्पष्ट नहीं है. Meta का पॉलिसी बनाने का कारण बताता है कि धमकियों का मूल्यांकन करते समय संदर्भ महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जैसा कि बोर्ड ने एक पुराने केस में नोट किया है, Meta के शुरुआती ह्यूमन रिव्यूअर्स के पास धमकी के इरादे या विश्वसनीयता की एक्सेस नहीं होती, इसलिए अगर किसी पोस्ट में “मौत दो” जैसे धमकी वाले कथन शामिल होते हैं और उसमें कोई टार्गेट बताया जाता है (अर्थात “किसी टार्गेट पर हिंसा का आह्वान”), तो उसे हटा दिया जाता है. 2022 के एक सुझाव को दोहराते हुए बोर्ड ने Meta से कहा कि वह पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में एक स्पष्टीकरण शामिल करे कि “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करने वाली आलंकारिक धमकियों को सामान्य तौर पर परमिशन दी जाती है, सिर्फ़ उन स्थितियों को छोड़कर जहाँ उनका निशाना उच्च जोखिम वाले लोग होते हैं. साथ ही वह उन स्थितियों के बारे में भी बताए जब किसी देश के प्रमुख के लिए उपयोग किए गए धमकी वाले कथनों को आलंकारिक राजनैतिक अभिव्यक्ति की रक्षा के लिए परमिशन दी जाती है.
यह बात भी भ्रमित करने वाली है कि किस तरह यह पॉलिसी किसी तरह “सार्वजनिक हस्तियों” और “उच्च जोखिम वाले लोगों” के बीच अंतर करती है. फ़िलहाल, सार्वजनिक हस्तियों के लिए उपयोग की गई मध्यम गंभीरता वाली धमकियों को सिर्फ़ तभी हटाया जाता है जब वे “भरोसे लायक” होती हैं. जबकि अन्य लोगों के मामले में “विश्वसनीयता पर ध्यान दिए बगैर” कंटेंट को हटा दिया जाता है. इससे ज़्यादा भ्रामक बात यह है कि इस पॉलिसी में एक अन्य लाइन है जो उच्च जोखिम वाले लोगों को “अतिरिक्त सुरक्षा” देती है. इस बारे में रिव्यूअर्स को दिए गए आंतरिक मार्गदर्शन, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, में खास तौर पर कहा गया है कि ऐसे उच्च जोखिम वाले लोकों के लिए उपयोग किए गए “मौत दो” वाले कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए. बोर्ड के पूछने पर Meta ने कहा कि उसकी पॉलिसी यूज़र्स की उस अभिव्यक्ति को ज़्यादा सुरक्षा देती है जिसमें सार्वजनिक हस्तियों के लिए मध्यम गंभीरता वाली धमकियाँ होती हैं क्योंकि लोग हिंसा के इरादे के बगैर अक्सर अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए अतिशयोक्तिपूर्ण भाषा का उपयोग करते हैं. हालाँकि, बहुत गंभीर हिंसा की ऐसी धमकियों में संभावित ऑफ़लाइन नुकसान का ज़्यादा जोखिम होता है, जिनमें उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए मौत के आह्वान होते हैं. इस केस में Meta ने पाया कि जापान के प्रधानमंत्री दोनों कैटेगरी में आते हैं. बोर्ड इस बात से वाकई चिंतित है कि “सार्वजनिक हस्तियों” और “उच्च जोखिम वाले लोगों” की पॉलिसी में दी गई परिभाषाएँ यूज़र्स के लिए पर्याप्त स्पष्ट नहीं हैं, खास तौर पर जब ये दोनों कैटेगरी मौजूद होती हैं.
बोर्ड के पुराने सुझावों के जवाब में Meta ने हिंसा फैलाने वाली भाषा और राजनैतिक अभिव्यक्ति के बीच संतुलन कायम करने के लिए पॉलिसी में कुछ काम किया है, लेकिन उसने सार्वजनिक रूप से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि “उच्च जोखिम वाले लोग” कौन हैं. बोर्ड यह मानता है कि अगर कम्युनिटी स्टैंडर्ड में वर्णनात्मक उदाहरणों के साथ एक सामान्य परिभाषा दी जाती है, तो यूज़र्स यह समझ पाएँगे कि यह सुरक्षा व्यक्ति के पेशे, राजनैतिक गतिविधि या सार्वजनिक सेवा पर आधारित है. बोर्ड ने 2022 में ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन केस में ऐसी एक लिस्ट ऑफ़र की थी.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
बोर्ड ने कंटेंट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को बदल दिया है.
बोर्ड ने सुझाव दिया है कि Meta:
- “उच्च जोखिम वाले लोगों” की एक सामान्य परिभाषा देने के लिए हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी को अपडेट करे जिससे यह स्पष्ट हो कि उसमें राजनेताओं जैसे लोग आते हैं जिन पर हत्या या अन्य हिंसा का ज़्यादा खतरा होता है और साथ ही इस बात के वर्णनात्मक उदाहरण भी दे.
- “उच्च जोखिम वाले लोगों” को निशाना बनाकर “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग करके मृत्यु के आह्वान वाले कथनों के बराे में शुरुआती रिव्यूअर्स के लिए अपनी आंतरिक गाइडलाइन अपडेट करे और उसमें खास तौर पर ऐसी पोस्ट को परमिशन दे जिसमें धमकीभरी हिंसा के गैर-गंभीर और सामान्य तरीकों से असंतोष व्यक्त किया गया हो. स्थानीय संदर्भ और भाषा पर विचार किया जाना चाहिए.
- हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी में सार्वजनिक हस्तियों की अपनी धमकी और उत्पीड़न की परिभाषा का हाइपरलिंक दें और साथ ही अन्य प्रासंगिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लिंक दें जिनमें ऐसी हस्तियों के रेफ़रेंस मौजूद हों.
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