“ईरान में विरोध प्रदर्शन का नारा” केस से जुड़े Meta के ओरिजनल फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड ने बदला

ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस ओरिजनल फ़ैसले को बदल दिया जिसमें उसने ईरान सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन से जुड़ी एक Facebook पोस्ट को हटा दिया था, जिसमें “marg bar... Khamenei” नारा था. इस स्लोगन का शाब्दिक अर्थ है “खामेनेई को मौत दो” लेकिन राजनीतिक बयान के संदर्भ में इसका मतलब अक्सर “खामेनेई को हटाओ” होता है. बोर्ड ने ईरान जैसी महत्वपूर्ण स्थितियों में राजनीति से जुड़ी अभिव्यक्ति की बेहतर सुरक्षा के लिए सुझाव दिए हैं, जहाँ ऐतिहासिक, व्यापक, विरोध प्रदर्शनों को हिंसक रूप से कुचला जा रहा है. इसमें ईरान में विरोध प्रदर्शनों के दौरान “marg bar Khamenei” के सामान्य उपयोग की परमिशन देना शामिल है.

केस की जानकारी

जुलाई 2022 में, एक Facebook यूज़र ने ऐसे पब्लिक ग्रुप में कंटेंट पोस्ट किया, जो अपने आपको ईरान की आज़ादी का समर्थक बताता है. पोस्ट में ईरान के प्रमुख नेता अयातुल्ला खामेनेई का एक कार्टून है, जिसमें उसकी दाढ़ी को एक मुट्ठी के रूप में दिखाया गया है और मुट्ठी में हिजाब पहनी एक महिला कैद है. महिला की आँखों पर पट्टी बँधी हुई है और वह बेड़ियों में है. फ़ारसी में नीचे दिए कैप्शन में कहा गया है कि “marg bar (मौत दो)” "anti-women Islamic government (महिला विरोधी इस्लामी सरकार को)" और “marg bar (मौत दो)” उसके "filthy leader Khamenei (कुत्सित नेता खामेनेई को)."

“marg bar” का शाब्दिक अनुवाद है “मौत दो.” हालाँकि, सांकेतिक तौर पर इसका मतलब “हटाओ” भी होता है. ईरान में “marg bar Khamenei” नारे का उपयोग पिछले पाँच वर्षों में विरोध प्रदर्शनों के दौरान अक्सर होता रहा है, जिसमें 2022 के विरोध प्रदर्शन शामिल हैं. इस केस में शामिल कंटेंट को ईरान के “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” के कुछ दिन पहले पोस्ट किया गया था. इस दिन के आस-पास इसके आलोचक, सरकार के खिलाफ़ बार-बार विरोध प्रदर्शन आयोजित करते हैं, जिसमें ईरान के अनिवार्य हिजाब कानूनों के खिलाफ़ प्रदर्शन शामिल हैं. सितंबर 2022 में, ईरान में पुलिस की कस्टडी में जिना महसा अमीनी की मृत्यु हो गई थी, जिसे “ठीक से हिजाब न पहनने” के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. उसकी मौत के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिन्हें सरकार द्वारा हिंसक तरीके से कुचला गया. इस केस में बोर्ड ने जिस समय विचार-विमर्श करके फ़ैसला किया, उस समय भी विरोध प्रदर्शन चल रहे थे.

एक यूज़र द्वारा पोस्ट की रिपोर्ट किए जाने के बाद, मॉडरेटर ने पाया कि पोस्ट में Meta के हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया गया है. उसने पोस्ट हटा दी और लेखक के अकाउंट पर एक “स्ट्राइक” और दो “फ़ीचर प्रतिबंध” लगाए. फ़ीचर प्रतिबंध से क्रमश: सात और 30 दिनों के लिए कंटेंट बनाने और ग्रुप से इंटरैक्ट करने पर रोक लग गई. पोस्ट के लेखक ने Meta से अपील की, लेकिन कंपनी के ऑटोमेटेड सिस्टम ने बिना रिव्यू किए केस बंद कर दिया. उन्होंने फिर बोर्ड के सामने अपनी अपील पेश की.

जब बोर्ड ने केस चुन लिया, तब Meta ने अपने फ़ैसले को रिव्यू किया. उसने यह फ़ैसला कायम रखा कि कंटेंट, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है, लेकिन उसने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देते हुए पोस्ट को रीस्टोर कर दिया. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट ऐसे कंटेंट को बने रहने की परमिशन देती है, जो अन्यथा उल्लंघन करने वाला होता है लेकिन जिसमें आम लोगों का हित, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड ने पाया कि इस पोस्ट को हटाना, Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड, उसकी वैल्यू या उसकी मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुसार नहीं था.

बोर्ड ने पाया कि यह पोस्ट, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करती है, जो ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित करता है, जिनसे मृत्यु या बहुत गंभीर हिंसा हो सकती है. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देना इसलिए ज़रूरी नहीं था. पोस्ट और ईरान में व्यापक सामाजिक, राजनीतिक और भाषाई स्थिति के संदर्भ में, “marg bar Khamenei” को “down with” (हटाने) के संबंध में समझा जाना चाहिए. यह एक सांकेतिक, राजनीतिक नारा है, न कि वास्तविक धमकी.

बोर्ड ने “मौत” की अपील वाले नारे का आकलन करते समय संदर्भ के महत्व पर ज़ोर दिया और पाया कि उसके उपयोग के बारे में सभी जगह लागू होने वाला नियम बना पाना असंभव है. उदाहरण के लिए, “marg bar Salman Rushdie” की तुलना “marg bar Khamenei” से नहीं की जा सकती, क्योंकि रुश्दी के खिलाफ़ फतवा जारी किया गया है और हाल ही में उन पर जानलेवा हमले हुए हैं. न ही वॉशिंगटन डी.सी. में 6 जनवरी के दंगों जैसी घटनाओं में उपयोग हुए “मौत दो” बयानों से इसकी तुलना की जा सकती है, क्योंकि वहाँ राजनेताओं को स्पष्ट रूप से खतरा था और अंग्रेज़ी में “मौत दो” बयानों का उपयोग राजनीतिक सांकेतिक भाषा के रूप में नहीं किया जाता, जैसा कि अन्य भाषाओं में होता है.

मॉडरेटर्स के लिए Meta की पॉलिसी और मार्गदर्शन में भाषा और संदर्भ की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाया जाना चाहिए. यह ख़ास तौर पर राष्ट्र प्रमुख को दी गई धमकियों का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिनकी वास्तविकता में आलोचना और विरोध किया जाता है.

ईरान के संदर्भ में, बोर्ड ने पाया कि Meta को अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करने के लिए और कोशिश करनी चाहिए और सांकेतिक धमकियों के उपयोग को परमिशन देनी चाहिए. ईरान सरकार जान-बूझकर अभिव्यक्ति की आज़ादी का दमन करती है और इसलिए डिजिटल स्पेस विरोध व्यक्त करने का मुख्य फ़ोरम बन गए हैं. ऐसी स्थितियों में, यह महत्वपूर्ण है कि Meta, यूज़र्स की अभिव्यक्ति का समर्थन करे. यह देखते हुए कि “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” पास आ रहा था, Meta को ईरान के विरोध प्रदर्शन से जुड़े कंटेंट को ज़रूरत से ज़्यादा हटाने से जुड़ी समस्याओं का अनुमान लगा लेना चाहिए था और उससे पर्याप्त रूप से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए था. जैसे, “बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले” रिव्यूअर्स को यह निर्देश देकर कि वे “marg bar Khamenei” नारे वाले कंटेंट को न हटाएँ.

जैसा कि इस केस से पता चलता है, ऐसा कर पाने में उसकी विफलता के कारण ऐसी राजनीतिक आवाज़ें दब गईं, जिनका लक्ष्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना था. इमसें फ़ीचर से जुड़े प्रतिबंध लगाने के कारण ऐसा होना शामिल है जिससे लोग सामाजिक आंदोलन और राजनीतिक चर्चाएँ करने से दूर हो सकते हैं. बोर्ड को सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट से पता चलता है कि “marg bar Khamenei” का उपयोग ईरान में हालिया विरोध प्रदर्शनों में बड़े पैमाने पर किया गया है. बोर्ड के निष्पक्ष रूप से करवाए गए रिसर्च से भी यही पता चलता है. इनमें से कई पोस्ट को ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट दिए बिना ही हटा दिया गया होगा. इस छूट का उपयोग Meta बहुत कम करता है (इस वर्ष जून 2022 तक पूरी दुनिया में इसका उपयोग सिर्फ़ 68 बार किया गया).

बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta, अपीलों को ऑटोमैटिकली बंद कर रहा है और यह कि ऐसा करने के लिए वह जिस सिस्टम का उपयोग करता है, वह महत्वपूर्ण केस को पहचानने में विफल है. उसने सुझाव दिया कि कंपनी, विरोध प्रदर्शनों के दौरान और अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक संदर्भों में, अभिव्यक्ति की आज़ादी का बेहतर सम्मान करने के लिए एक्शन ले.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने संबंधित पोस्ट को हटाने के Meta के ओरिजनल फ़ैसले को बदल दिया.

बोर्ड ने Meta को सुझाव भी दिया कि वह:

  • हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में संशोधन करे ताकि वह उसकी पॉलिसी को ज़्यादा सही तरीके से प्रदर्शित करे. इसमें उन शर्तों की जानकारी देना शामिल है, जिनका उपयोग यह तय करने के लिए किया जाता है कि राष्ट्र प्रमुखों के खिलाफ़ सांकेतिक धमकियों की परमिशन कब दी जा सकती है. इन शर्तों को ऐसी अभिव्यक्ति की रक्षा करनी चाहिए जो सांकेतिक राजनीतिक भाषा है, विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में उपयोग की गई है और जिससे हिंसा को बढ़ावा नहीं मिलता. ऐसा करते समय भाषा और संदर्भ पर विचार किया जाना चाहिए.
  • हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में बदलाव करके अपने रिव्यूअर्स को यह मार्गदर्शन दे कि ईरान में विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में “marg bar Khamenei” का उपयोग, पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता.
  • जब विरोध प्रदर्शन के दौरान संभावित रूप से उल्लंघन करने वाले कंटेंट का उपयोग किया जाता है, तो ऐसी स्थितियों में बड़े पैमाने पर छूट देने की ओर झुकाव रखना चाहिए, जहाँ कंटेंट जनहित में हो और उससे हिंसा होने की संभावना न हो.
  • उन इंडिकेटर में सुधार करे जिनका उपयोग वह रिव्यू के लिए अपीलों को रैंक करने में और रिव्यू के बिना अपीलों को बंद करने में करता है, ताकि जनहित की अभिव्यक्ति को पहचानने में मदद मिले, ख़ास तौर पर जो विरोध प्रदर्शन से संबंधित हों.
  • “बड़े पैमाने पर” दी जाने वाली सभी छूट, उनकी अवधि और उनकी समय-सीमा समाप्त होने के नोटिस का अनाउंसमेंट करे.
  • अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में “ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट” की विस्तार से जानकारी दे, जिसमें यह तय करने वाली शर्तें शामिल हों कि छूट को “बड़े पैमाने पर” लागू करना है या नहीं.
  • अपीलों को अपने आप प्राथमिकता देने और बंद करने की अपनी प्रोसेस सार्वजनिक रूप से समझाए, जिसमें ऐसा करने के लिए उसके द्वारा उपयोग की जाने वाली शर्तें शामिल हों.

और जानकारी के लिए

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