बोर्ड के अगले केस की घोषणा की जा रही है

आज बोर्ड तीन नए केस की सुनवाई करने की घोषणा करने जा रहा है.

केस का चयन

चूँकि हम सभी अपीलों पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं, इसलिए बोर्ड उन केसों को प्राथमिकता देता है जिनमें दुनिया भर के यूज़र्स को प्रभावित करने की संभावना हो और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी हों या जो Facebook की पॉलिसी के बारे में ज़रूरी सवाल खड़े करते हों.

आज हम इन केस को लेकर घोषणा करने जा रहे हैं:

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Facebook पर कंटेंट रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

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अगस्त 2021 में एक Facebook यूज़र ने किसी पुरानी स्थानीय कलाकृति की एक फ़ोटो उसके बारे में जानकारी देने वाले अंग्रेज़ी में लिखे टेक्स्ट के साथ पोस्ट की थी. इस फ़ोटो में सीपियों या मोतियों से बना पारंपरिक वैंपम बेल्ट दिखाया गया है. उस बेल्ट पर कई तरह के चित्र हैं, जिनके बारे में वह यूज़र कहता है कि वे “कैमलूप्स की कहानी” पर आधारित हैं, जो कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में फ़र्स्ट नेशन के बच्चों के पूर्व आवासीय विद्यालय में मिलीं अचिह्नित कब्रों के बारे में बताती है.

उसके साथ दिए टेक्स्ट में उस कलाकृति को “Kill the Indian/ Save the Man” (इंडियन को मारो/ मनुष्य को बचाओ) का शीर्षक दिया गया है, उसमें उस यूज़र को उस बेल्ट का निर्माता बताया गया है, साथ ही उसमें "Theft of the Innocent" (मासूमियत को हथियाना), "Evil posing as Saviors" (भक्षक का खुद को रक्षक बताना), "Residential School/Concentration Camp" (आवासीय स्कूल/यातना शिविर), "Waiting for Discovery" (खुलासे का इंतज़ार) और "Bring Our Children Home" (अपने बच्चों को घर लाएँ) जैसे वाक्यांश भी हैं. इनमें से हर एक वाक्यांश वैंपम बेल्ट पर मौजूद चित्रों की श्रृंखला के अलग-अलग हिस्से से संबंधित है.

वह यूज़र बताता है कि वैंपम बेल्ट “always been a means of documenting our history” (हमेशा से हमारे इतिहास को दर्ज करने के माध्यम के रूप में उपयोग किए जाते रहे हैं) और उपनिवेशीकरण से पहले कहानीकार “teaching our people our history” (हमारे लोगों को हमारा इतिहास सिखाने) के लिए गाँव-गाँव घूमते थे. वह यूज़र कहता है कि उनके बेल्ट आज तक उन बेल्टों के जैसे ही हैं, लेकिन ये एक जगह से दूसरी जगह ले जाए जाने के बजाय सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों तक पहुँचते हैं और प्रदर्शनी में दिखाए जाते हैं. वे कहते हैं कि उस बेल्ट को बनाना इतना आसान नहीं था, और यह भी कि उस कहानी को जीवंत करना बहुत ही भावुक करने वाला था, लेकिन उसे दस्तावेज़ में दर्ज करना भी बहुत ही ज़रूरी था. इसके बाद वे कहते हैं कि वह बेल्ट तीन बेल्ट के सेट में से एक होगा और बेचने के लिए उपलब्ध नहीं होगा, क्योंकि यह एक ऐसी कहानी है, जिसे अब फिर से लोगों के सामने आने से रोका नहीं जा सकता है.

यूज़र कहता है कि उन्होंने उस बेल्ट को कैमलूप्स की कहानी से जुड़ी ख़बर सामने आने के बाद बनाया, जो कनाडा में फ़र्स्ट नेशन के बच्चों के पूर्व आवासीय विद्यालय में मिलीं अचिह्नित कब्रों के बारे में बताती है. पोस्ट में वह यूज़र उनके बेल्ट की वजह से उस पूरी घटना में जीवित बचे लोगों को हुई किसी भी तरह की तकलीफ़ के लिए माफ़ी माँगता है और कहता है कि उनका इरादा लोगों को तकलीफ़ पहुँचाने का कतई नहीं है – इसका “एकमात्र उद्देश्य इस भयावह कहानी के बारे में जागरूकता लाना है.”

Facebook ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा के अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत यह कंटेंट हटा दिया. बोर्ड द्वारा इस केस को चुने जाने की वजह से Facebook ने कंटेंट हटाने के इस फ़ैसले को “एन्फ़ोर्समेंट से जुड़ी गलती” माना और उसे रीस्टोर कर दिया – वह कंटेंट इस प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद है. जब इस कंटेंट को हटाया जा रहा था, तब उसे 4,000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका था और 50 से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका था. किसी भी यूज़र ने उस कंटेंट की रिपोर्ट नहीं की.

नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी अपनी पॉलिसी के तहत Facebook ऐसे कंटेंट को हटा देता है, जो लोगों को जाति, नस्ल और मूल राष्ट्रीयता समेत किसी भी सुरक्षित विशिष्टता के आधार पर “हिंसक भाषा” से निशाना बनाता है. मूल निवासियों की उत्पत्ति या पहचान को स्पष्ट रूप से सुरक्षित विशिष्टता के रूप में शामिल नहीं किया गया है. पॉलिसी में ये अपवाद भी हैं: “हमें पता है कि लोग कभी-कभी ऐसा कंटेंट शेयर करते हैं, जिसमें किसी अन्य व्यक्ति की नफ़रत फैलाने वाली भाषा की निंदा की जाती है या उसके बारे में जागरूकता फैलाई जाती है. अन्य मामलों में हमारे स्टैंडर्ड का उल्लंघन कर सकने वाली भाषा का उपयोग खुद के संबंध में या सशक्तिकरण लाने के उद्देश्य से भी किया जा सकता है. हमारी पॉलिसी को इस तरह से बनाया जाता है कि लोग ऐसी बातें कर सकें लेकिन हम चाहते हैं कि ऐसे में लोग अपना उद्देश्य साफ़ तौर पर बताएँ. उद्देश्य स्पष्ट न होने पर हम उनका कंटेंट हटा भी सकते हैं.”

अपनी अपील में वह यूज़र कहता है कि वे एक पारंपरिक कलाकार हैं और अपनी कलाकृति शेयर कर रहे हैं, जो कि इतिहास को दर्ज करने के लिए बेहद ज़रूरी है. वे कहते हैं कि यह सेंसरशिप है और यह महत्वपूर्ण है कि लोग देखें कि उन्होंने क्या पोस्ट किया है.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो बताएँ कि:

  • Facebook का पोस्ट को हटाने का शुरुआती फ़ैसला कंपनी के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुरूप था या नहीं, साथ ही यह कि वह कंपनी के बताए गए मूल्यों और मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों व प्रतिबद्धताओं के अनुरूप था या नहीं.
  • कलात्मक अभिव्यक्ति के मामले में Facebook के मॉडरेशन से जुड़ी चिंताएँ क्या हैं, ख़ास तौर पर ऐसी कला को लेकर, जो संवेदनशील विषयों की ओर ध्यान खींच सकती है.
  • उत्तरी अमेरिका में “Kill the Indian/ Save the Man” (इंडियन को मारो/ मनुष्य को बचाओ) वाक्यांश का इतिहास क्या है और उसका उपयोग कैसे किया जाता है.
  • कैमलूप्स इंडियन रेसिडेंशियल स्कूल के फ़र्स्ट नेशन के बच्चों सहित कनाडा के आवासीय विद्यालयों में स्वदेशी मूल या पहचान के बच्चों के मानवाधिकारों के हनन के बारे में प्रासंगिक जानकारी क्या है.
  • नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी Facebook की पॉलिसी में क्या स्वदेशी मूल या पहचान को सुरक्षित विशिष्टता के रूप में शामिल होना चाहिए.
  • ऑटोमेशन के उपयोग समेत Facebook का कंटेंट मॉडरेशन किस तरह से मूल निवासी लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है और इस नकारात्मक प्रभाव से कैसे बचा जा सकता है या कम किया जा सकता है.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Facebook को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Facebook को 30 दिनों के अंदर इनका जवाब देना होता है. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

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Instagram पर कंटेंट रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

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जुलाई 2021 में ब्राज़ील की एक आध्यात्मिक संस्था के Instagram अकाउंट से गहरे भूरे रंग के तरल पदार्थ से भरे जार और दो बॉटल की फ़ोटो पोस्ट की गई, जिसके साथ पुर्तगाली भाषा में लिखे टेक्स्ट में उस पदार्थ को अयोहस्का बताया गया था. अयोहस्का, साइकोएक्टिव गुणों वाला एक वानस्पतिक पेय है, जिसका उपयोग कुछ दक्षिण अमेरिकी देशों में आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है.

उसके टेक्स्ट में कहा गया कि “AYAHUASCA IS FOR THOSE WHO HAVE THE COURAGE TO FACE THEMSELVES” (अयोहस्का उन लोगों के लिए होता है, जिनमें खुद का सामना करने का साहस होता है) और उसके बाद अयोहस्का के बारे में जानकारी देने वाला टेक्स्ट था. उस टेक्स्ट में ये बातें शामिल की गईं कि अयोहस्का उन लोगों के लिए होता है, जो अपने आप में “correct themselves” (सुधार लाना चाहते हैं), “enlighten” (पवित्र ज्ञान पाना चाहते हैं), “overcome fears” (डर पर काबू पाना चाहते हैं) और “break free” (सारे बंधनों से मुक्ति चाहते हैं). उसमें आगे बताया गया कि अयोहस्का एक “remedy” (औषधि) है और अगर आपके दिल में विनम्रता और सम्मान है, तो यह “can help you” (आपकी मदद कर सकता है). उसमें कहा गया कि अयोहस्का सच्चाई दिखाता है, लेकिन चमत्कार नहीं करता है. इस टेक्स्ट के अंत में कहा गया कि “Ayahuasca, Ayahuasca!/ Gratitude, Queen of the Jungle!” (अयोहस्का, अयोहस्का!/ जंगल की रानी को धन्यवाद!)

इस कंटेंट को 15,500 से भी ज़्यादा बार देखा गया और किसी यूज़र ने इसकी रिपोर्ट नहीं की. Facebook ने इस कंटेंट को Instagram कम्युनिटी गाइडलाइन का उल्लंघन करने की वजह से हटा दिया, जो यह कहती है कि: “अन्य विनियमित सामानों को बेचने या खरीदने का ऑफ़र देते समय हमेशा कानून का पालन करने का ध्यान रखें” और उसके साथ Facebook के विनियमित सामानों के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लिंक है. विनियमित सामान से जुड़ी पॉलिसी “गैर-चिकित्सीय दवाओं” से संबंधित ऐसे कंटेंट पर रोक लगाती है, जिसमें गैर-चिकित्सीय दवाओं का उपयोग करने की बात स्वीकारी तो जाती है, लेकिन उसमें किसी के स्वस्थ होने, उपचार, या अन्य आकस्मिक उपयोगों का संदर्भ नहीं दिया जाता है या फिर “गैर-चिकित्सीय दवाओं के मामले में लोगों की सहायता की जाती है या उनका प्रचार किया जाता है (मतलब वह कंटेंट, जिसमें गैर-चिकित्सीय दवाओं के बारे में अच्छी बातें की जाती हैं, उनके उपयोग के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है अथवा उनके उपयोग के या उन्हें बनाने के निर्देश दिए जाते हैं).”

उस यूज़र ने अपनी अपील में बताया कि उन्हें पूरा भरोसा है कि वह पोस्ट Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं करती है, क्योंकि उनका पेज लोगों की जानकारी बढ़ाता है और कभी भी ऐसे किसी प्रोडक्ट को खरीदने या बेचने के लिए लोगों को प्रोत्साहित नहीं करता है या ऐसे किसी प्रोडक्ट की सिफ़ारिश नहीं करता है, जिस पर कम्युनिटी गाइडलाइन ने रोक लगा रखी है. वे कहते हैं कि उन्होंने वह फ़ोटो अपने ऐसे अनुष्ठानों में से किसी एक अनुष्ठान में ली थी, जिन्हें विनियमित और कानून-सम्मत तरीके से आयोजित किया जाता है. उस यूज़र के अनुसार, उस अकाउंट का उद्देश्य पवित्र अयोहस्का पेय के बारे में लोगों की समझ बढ़ाना है. वे कहते हैं कि अयोहस्का के बारे में लोगों में जानकारी का बहुत ज़्यादा अभाव है. वह यूज़र कहता है कि यह लोगों को आध्यात्मिक सुख देता है, साथ ही उनके अनुष्ठानों से समाज का भला हो सकता है. वे आगे कहते हैं कि उन्होंने इसी तरह का कंटेंट अपने अकाउंट पर पहले भी पोस्ट किया था और वह पोस्ट अभी भी ऑनलाइन है.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो बताएँ कि:

  • Facebook का उस पोस्ट को हटाने का फ़ैसला Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन, ख़ास तौर पर विनियमित सामान बेचने या खरीदने से जुड़े “कानून का पालन” करने के उस रिमाइंडर के अनुरूप है या नहीं, और विनियमित सामान पर आधारित Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड, ख़ास तौर पर गैर-चिकित्सीय दवाओं के बारे में अच्छी बातें करने, उनके लिए लोगों को प्रोत्साहित करने या उनका प्रचार करने से जुड़े नियमों के अनुरूप है या नहीं.
  • गैर-चिकित्सीय दवाओं के विनियमन से जुड़ी Facebook की पॉलिसी में राष्ट्रीय स्तर पर किन्हीं और कानूनी उपायों पर ध्यान देना चाहिए या नहीं या फिर धार्मिक या आध्यात्मिक कार्यों के संदर्भ में गैर-चिकित्सीय दवाओं से जुड़ी सकारात्मक चर्चा के लिए कोई अलग नियम बनने चाहिए या नहीं. Instagram की कम्युनिटी गाइडलाइन और Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में क्या संबंध है, जिसमें विनियमित सामान के संबंध में भी बताया गया हो.
  • Facebook का पोस्ट को हटाने का फ़ैसला कंपनी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक या आस्था से जुड़ी स्वतंत्रता सहित कंपनी के बताए गए मूल्यों और मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों व प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है या नहीं.
  • दक्षिण अमेरिका में अलग-अलग समूहों द्वारा अनुष्ठानों या धार्मिक कार्यक्रमों के संदर्भों में अयोहस्का के उपयोग और उसके महत्व से जुड़ी जानकारी क्या है.
  • अयोहस्का का उपयोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और/या लोगों की सुरक्षा को कैसे प्रभावित कर सकता है.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Facebook को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Facebook को 30 दिनों के अंदर इनका जवाब देना होता है. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

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Facebook पर कंटेंट रीस्टोर करने के लिए यूज़र की अपील

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जुलाई 2021 के अंत में एक Facebook यूज़र ने अपनी टाइमलाइन पर अम्हरी भाषा में यह दावा करते हुए पोस्ट डाली कि टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ़्रंट (TPLF) ने महिला और बच्चों का बलात्कार करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया, साथ ही इथियोपिया के अमहारा क्षेत्र के राया कोबो और अन्य शहर के लोगों की संपत्तियाँ लूट लीं. उस यूज़र ने यह भी दावा किया कि टाइगरायन जनजाति के लोगों ने इन अपराधों में TPLF का साथ दिया.

उस यूज़र ने अपनी पोस्ट की शुरुआत में यह दावा किया कि “people in the area” (उस क्षेत्र के लोगों) ने बताया है कि राया कोबो पूरी तरह से खाली हो गया है और “rebel group” (आतंकवादी समूह) TPLF के वहाँ आने से पहले उसे लूट लिया गया था. उसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि राया कोबो, कोबो सिटी, अरादुम, मेंजेलो, रोबित और गोबी में बच्चों और महिलाओं का बलात्कार किया गया, वहीं युवाओं को गोलियों से भूनकर मार डाला गया. उस यूज़र ने यह आरोप लगाया कि “I don’t like the color of your eyes” (मुझे तुम्हारी आँखों का रंग पसंद नहीं है), यह कहने का बदला लेने के लिए “by the terrorist group” (उस अातंकवादी समूह ने) किसानों को मारा था. वह यूज़र यह भी दावा करता है कि “mothers in the area” (उस क्षेत्र की माताओं) के पास भोजन नहीं है, फिर भी उन पर अत्याचार करके उन्हें TPLF के खाने की व्यवस्था करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वह यूज़र यह भी कहता है कि “the Tigray rebel group” (टाइग्रे आतंकवादी समूह) ने यह बोला था कि राया कोबो समुदाय के लोगों को ID कार्ड दिया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि वे “टाइग्रे” हैं. यूज़र ने यह भी बताया कि TPLF ने “appealed to everyone they meet on the phone” (फ़ोन पर जिनसे भी बात की, उनसे अपील करते हुए) उन्हें बताया कि सरकार ने “the part of Amhara from Alawha and beyond” (अमहारा से लेकर अलावाह और उससे भी आगे तक का हिस्सा) “sold” (बेच) दिया है. वह यूज़र दावा करता है कि TPLF के लोग “innocent youths” (निर्दोष युवाओं) को अलमाता, कोरेम और राया कोबो की अन्य जगहों से लेकर आए और सार्वजनिक रूप से उन्हें मार डाला. उस यूज़र के अनुसार ऐसा उन्होंने राया कोबो समुदाय का भरोसा जीतने के लिए किया.” यूज़र बताता है कि TPLF ने झूठ बोलकर और समुदाय के सामने यह दावा करके उन्हें छला कि मारे गए युवक लुटेरे थे, जो उनका टाइग्रे से पीछा कर रहे थे और जो अम्हरी भाषा नहीं बोलते थे. आगे वह यूज़र यह दावा करता है कि “every town where the crowds live” (भीड़भाड़ वाले हर शहर में) TPLF हर एक हॉस्पिटल और स्कूल को अपना ठिकाना बनाता है, ताकि हवाई हमला होने पर “annihilate the people” (लोगों का सफ़ाया) हो जाए. सबसे अंत में वह यूज़र यह कहता है कि उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों से उन्हें ख़बरें मिल रही हैं कि “the Tigreans, who know the area very well” (उस क्षेत्र की हर जगह को अच्छी तरह से जानने वाले टाइगिरियाई लोगों) ने TPLF को हर घर की जानकारी दी, ताकि महिलाओं का बलात्कार किया जा सके और संपत्ति लूटी जा सके. उस यूज़र ने अपनी पोस्ट के अंत में यह कहा कि “We will secure our freedom through our struggle” (हम अपने संघर्ष के ज़रिए अपनी स्वतंत्रता पाएँगे).

वह यूज़र उस पोस्ट में बताई गई घटनाओं का खुद साक्षी होने का दावा नहीं करता है. उस पोस्ट में किसी भी व्यक्ति, संस्थान या मीडिया के नाम पर कोई दावा करने या आरोप लगाने की बात भी शामिल नहीं है. न ही उसमें किसी बाहरी स्रोतों का कोई हाइपरलिंक या किसी भी तरह की कोई फ़ोटो है.

उस पोस्ट को 6,500 से ज़्यादा बार देखा गया था, उसे 35 से कम कमेंट और 140 से ज़्यादा रिएक्शन मिले थे. उसे 30 बार शेयर किया गया था. Facebook के अनुसार उस कंटेंट को जिस अकाउंट से पोस्ट किया गया था, उसका यूज़र इथियोपिया का रहने वाला है, न कि टाइग्रे या अमहारा क्षेत्रों का. उस यूज़र की प्रोफ़ाइल फ़ोटो में एक हैशटैग है, जो कि TPLF विरोधी होने का संकेत देता है. वह पोस्ट इस प्लेटफ़ॉर्म पर करीब एक दिन तक मौजूद रही. उस पोस्ट की रिपोर्ट ऑटोमेटिक रूप से हुई थी. उसके बाद Facebook ने अपने नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत उस पोस्ट को हटा दिया था . बोर्ड को अभी तक यह नहीं पता है कि उस पोस्ट को किसी ह्यूमन मॉडरेटर ने रिव्यू किया था या फिर ऑटोमेटिक तरीके से निकाल दिया गया था. बोर्ड द्वारा इस केस को चुने जाने की वजह से Facebook ने उस पोस्ट को हटाने के इस फ़ैसले को “एन्फ़ोर्समेंट से जुड़ी गलती” माना और उसे रीस्टोर कर दिया.

नफ़रत फैलाने वाली भाषा के टियर 1 के तहत, Facebook के यूज़र्स द्वारा ऐसे कंटेंट पोस्ट किए जाने पर रोक लगी हुई है, जिसमें किसी समूह के सभी लोगों के बारे में आम धारणा बनाते हुए उन्हें निशाना बनाया जाता है या जिनके बारे में उनके हिंसक, लंपट या अन्य तरह के अपराधी होने की बातें की जाती हैं. नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी का तर्क कहता है कि Facebook जानता है “कि कभी-कभी लोग किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बोली गई नफ़रत भरी बातें शेयर करते हैं, ताकि वे उनकी निंदा कर सकें या उनके बारे में लोगों को बता सकें” और इन “पॉलिसी को इस तरह से बनाया जाता है कि लोग ऐसी बातें कर सकें लेकिन हम चाहते हैं कि ऐसे में लोग अपना उद्देश्य साफ़ तौर पर बताएँ. उद्देश्य स्पष्ट न होने पर हम उनका कंटेंट हटा भी सकते हैं.”

नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी इस पॉलिसी के तर्क को जून 2021 में यह स्पष्ट करने के लिए अपडेट किया गया था कि यह कंपनी “नफ़रत फैलाने वाली भाषा को उन विशिष्टताओं के आधार पर लोगों पर किया जाने वाला सीधा हमला मानती है, जिन्हें हम सुरक्षित विशिष्टताएँ कहते हैं – जबकि विचारधाराओं या संस्थानों के मामले में इसे सीधा हमला नहीं मानती है [...]" [प्रमुखता से दर्शाया गया]. जून 2021 को पॉलिसी में हुए अपडेट में Facebook ने “इन कम्युनिटी स्टैंडर्ड के मामले में हमें एन्फ़ोर्समेंट के लिए अतिरिक्त जानकारी और/या संदर्भ की ज़रूरत होती है” शीर्षक के तहत नया नियम बनाया. यह नया नियम ऐसे कंटेंट पर रोक लगाता है, “जो सुरक्षित विशिष्टताओं से जुड़ी विचारधाराओं, संस्थानों, विचारों, प्रथाओं या मान्यताओं पर हमला करता है और जिससे उस सुरक्षित विशिष्टता से जुड़े लोगों को तुरंत शारीरिक नुकसान पहुँचने, धमकियाँ मिलने या भेदभाव होने की आशंका होती है. Facebook विभिन्न संकेतों को देखकर यह तय करता है कि कहीं किसी कंटेंट से किसी को नुकसान पहुँचने का खतरा तो नहीं है. इनमें ये शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं: तात्कालिक हिंसा या धमकी के लिए उकसाने वाला कंटेंट; क्या चुनाव या किसी विवाद के कारण बहुत ज़्यादा तनाव की स्थिति बनी हुई है; और क्या हालिया इतिहास में इस निशाना बनाए गए सुरक्षित समूह के खिलाफ़ हिंसा का कोई मामला हुआ है. कुछ मामलों में हम इस बात पर भी विचार कर सकते हैं कि क्या वक्ता कोई सार्वजनिक हस्ती है या विशेष अधिकार रखने वाले किसी उच्च पद पर है.”

हालाँकि इस केस में कंटेंट अम्हरी भाषा में था और उस यूज़र ने बोर्ड को अपनी अपील अंग्रेज़ी भाषा में सबमिट की. बोर्ड को दिए अपने बयान में वह यूज़र कहता है कि वह पोस्ट उनके समुदाय का बचाव करने के इरादे से की गई थी, जो कि खतरे में हैं और यह कि Facebook को युद्ध क्षेत्रों के समुदायों की मदद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उस पोस्ट में नफ़रत फैलाने वाली भाषा नहीं है, “but is truth” (बल्कि उसकी बातें सच हैं). उन्होंने कहा कि TPLF ने दस लाख लोगों वाले उनके समुदाय को निशाना बनाकर उन्हें भोजन, पानी और बुनियादी ज़रूरतों के बिना उनके हाल पर छोड़ दिया है. उस यूज़र को यह भी लगता है कि उनकी पोस्ट की रिपोर्ट “by members and supporters of that terrorist group” (उस आतंकवादी समूह के लोगों और समर्थकों ने ही की होगी), साथ ही वह यूज़र “know well most of the rules” (अधिकतर नियमों की जानकारी होने) का दावा करता है और यह भी कि उन्होंने “never broken any rules of Facebook” (कभी भी Facebook का कोई नियम नहीं तोड़ा है).

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट चाहता है, जो बताएँ कि:

  • Facebook का पोस्ट को हटाने का शुरुआती फ़ैसला कंपनी के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुरूप है या नहीं, साथ ही यह कि वह कंपनी के बताए गए मूल्यों और मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों व प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है या नहीं.
  • नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी Facebook की पॉलिसी से विवादग्रस्त क्षेत्रों समेत अन्य क्षेत्रों में मानवाधिकार के कथित उल्लंघनों की बात लोगों तक पहुँचाने के लिए यूज़र्स को पर्याप्त छूट मिलती है या नहीं.
  • कंटेंट मॉडरेशन से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं, ख़ास तौर पर इथियोपिया और उस देश में बोली जाने वाली भाषाओं से जुड़ी चुनौतियाँ, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ध्यान रखने और नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कारण होने वाले नुकसान की आशंका को दूर करने, इन दोनों के संबंध में, ख़ास तौर पर तनाव बढ़ने या संघर्ष के दौरान.
  • संघर्ष में शामिल पक्षों द्वारा इथियोपियाई भाषा में नफ़रत फैलाने वाली भाषा या गलत जानकारी के उपयोग या उसका प्रसार करने से जुड़े हालिया रुझान क्या हैं, साथ ही इस मामले पर होने वाली नागरिक चर्चाओं की जानकारी और Facebook की इसमें क्या भूमिका है. कमेंट के मामले में इन रुझानों के सामाजिक-राजनीतिक और ऐतिहासिक संदर्भ शामिल करना उपयोगी रहेगा, वो भी ख़ास तौर से पोस्ट में जिन जगहों का नाम लिया गया है, वहाँ के जनजातीय समूहों के बीच के संबंधों को लेकर.
  • इथियोपिया में TPLF के राजनीतिक और लड़ाकों से जुड़े कार्यों के बीच आए किसी भी तरह के बदलाव समेत इसकी मौजूदा भूमिका और संरचना क्या है, साथ ही पोस्ट में बताए गए संघर्ष के दौरान TPLF या अन्य समूहों का आचरण कैसा है, विशेष रूप से इस कंटेंट में बताई गई जगहों में किसी भी कथित मानवाधिकार उल्लंघन या दुरुपयोग के मामले में.
  • वे चुनौतियाँ कौन-सी हैं, जिनका सामना शोधकर्ताओं, पत्रकारों और जाँच करने वालों को Facebook के ज़रिए क्रूरता वाले अपराधों को दस्तावेज़ों में दर्ज करने के लिए करना पड़ सकता है, जिसमें जवाबदेही तय करने के लिए सबूत जुटाना और कंटेंट को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उसकी आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने की Facebook की हर तरह की ज़िम्मेदारी भी आती है.

बोर्ड अपने फ़ैसलों में Facebook को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दे सकता है. सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Facebook को 30 दिनों के अंदर इनका जवाब देना होता है. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

पब्लिक कमेंट

अगर आपको या आपके संगठन को लगता है कि आज घोषित इन केस को लेकर आप हमें ऐसे मूल्यवान दृष्टिकोण दे सकते हैं, जिनसे हमें फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी, तो आप ऊपर दिए गए लिंक के ज़रिए अपनी राय हमें भेज सकते हैं. इन केस के लिए पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो गुरुवार, 30 सितंबर को 3:00 UTC बजे बंद होगी.

इसके बाद क्या होगा

आने वाले हफ़्तों में, बोर्ड के सदस्य इन केस पर विचार-विमर्श करेंगे. उनके द्वारा अपने आखिरी फ़ैसले लिए जाने के बाद, हम उन्हें ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे. जब बोर्ड नए केस की घोषणा करे या फ़ैसले प्रकाशित करे, तो उसके अपडेट पाने के लिए यहाँ साइन अप करें.

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