ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook का फ़ैसला कायम रखा: केस 2020-003-FB-UA
28 जनवरी 2021
ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook का एक ऐसी अपमानजनक शब्द वाली पोस्ट को हटाने का फ़ैसला बरकरार रखा है, जिससे Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से संबंधित कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ था.
केस की जानकारी
नवंबर 2020 में, एक यूज़र ने ऐसा कंटेंट पोस्ट किया जिसमें बाकू, अज़रबैजान के चर्चों के रूप में दिखाई गईं ऐतिहासिक फ़ोटो शामिल थीं. फ़ोटो के साथ रूसी भाषा के टेक्स्ट में दावा किया गया कि आर्मेनियाई लोगों ने बाकू का निर्माण किया और चर्चों सहित इस विरासत को नष्ट कर दिया गया. यूज़र ने अज़रबैजानी लोगों का वर्णन करने के लिए "тазики" ("ताज़िक्स") शब्द का उपयोग किया था, जिनके बारे में यूज़र ने दावा किया कि वे खानाबदोश हैं और आर्मेनियाई लोगों की तुलना में उनका कोई इतिहास नहीं है.
यूज़र ने अज़रबैजानी आक्रामकता और बर्बरता को समाप्त करने की गुहार लगाते हुए पोस्ट में हैशटैग शामिल किए. एक दूसरे हैशटैग में नागोर्नो-कारबाख़ क्षेत्र के आर्मेनियाई नाम अर्तसाख़ की मान्यता का आह्वान किया गया, जो आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच संघर्ष का केंद्र है. पोस्ट को 45,000 से ज़्यादा बार देखा गया और इसे दोनों देशों के बीच हाल ही के सशस्त्र संघर्ष के दौरान पोस्ट किया गया था.
मुख्य निष्कर्ष
Facebook ने अपने नफ़रत फैलाने वाली भाषा से संबंधित कम्युनिटी स्टैंडर्ड के उल्लंघन के कारण पोस्ट को हटा दिया और यह दावा किया कि एक संरक्षित विशेषता (राष्ट्रीय मूल) के आधार पर लोगों के एक समूह का वर्णन करने के लिए पोस्ट में अपमानजनक शब्द का उपयोग किया गया था.
पोस्ट में अज़रबैजानी लोगों का वर्णन करने के लिए "тазики" ("ताज़िक्स") शब्द का उपयोग किया गया था. हाँलाकि रूसी भाषा से इसका शाब्दिक अनुवाद "वॉश बाउल" के रूप में किया जा सकता है, इसे रूसी भाषा के शब्द "азики" ("अज़ीक्स") से संबंधित शब्दों के हेर-फेर के रूप में भी समझा जा सकता है, जो अज़रबैजान के लोगों के लिए एक अपमानजनक शब्द है, जिसे Facebook की अपमानजनक शब्दों की आंतरिक सूची में शामिल किया गया है. बोर्ड की ओर से प्रमाणित निष्पक्ष भाषावैज्ञानिक विश्लेषण में "тазики" को Facebook की समझ के अनुसार राष्ट्रीय मूल पर हमला करने वाले एक अमानवीय शब्द के रूप में कन्फ़र्म किया गया.
जिस संदर्भ में इस शब्द का उपयोग किया गया था, उससे स्पष्ट होता है कि इसका लक्ष्य टार्गेट को अमानवीय बताने के लिए था. इसलिए, बोर्ड का मानना है कि पोस्ट में Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया गया था.
बोर्ड ने यह भी पाया कि Facebook के कंटेंट हटाने के फ़ैसले में कंपनी के मूल्यों का अनुपालन किया गया था. हाँलाकि Facebook "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" को एक सर्वोपरि मूल्य मानता है, कंपनी के मूल्यों में "सुरक्षा" और "गरिमा" भी शामिल हैं.
सितंबर से नवंबर 2020 तक, नागोर्नो-कारबाख़ के विवादित क्षेत्र को लेकर लड़ाई से कई हज़ार लोगों की मौत हो गई, जिसके साथ ही संघर्ष विराम से थोड़ा पहले विवादस्पद कंटेंट पोस्ट किया गया था.
अपमानजनक शब्द के अमानवीय स्वरूप और ऐसे शब्दों के परिणामस्वरूप होने वाली शारीरिक हिंसा के खतरे को देखते हुए, Facebook को इस मामले में यूज़र की "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" से पहले लोगों की "सुरक्षा" और "गरिमा" को प्राथमिकता देने की अनुमति दी गई.
बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने पाया कि इस पोस्ट को हटाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप था.
बोर्ड का मानना था कि यूज़र के लिए यह स्पष्ट है कि अज़रबैजान के लोगों का वर्णन करने के लिए "тазики" शब्द के उपयोग को एक निश्चित राष्ट्रीयता से संबंधित समूह के लिए अमानवीय संबोधन के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और Facebook के पास पोस्ट को हटाने के पीछे एक वैध उद्देश्य था.
बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने Facebook के पोस्ट को हटाए जाने के काम को दूसरों के अधिकारों की रक्षा के लिए ज़रूरी और यथोचित भी माना. अमानवीय शब्दों से भेदभाव और हिंसा का माहौल बन सकता है जिसका परिणाम अन्य यूज़र की खामोशी के रूप में हो सकता है. सशस्त्र संघर्ष के दौरान, लोगों के समानता, व्यक्ति और संभावित रूप से, जीवन की सुरक्षा के अधिकारों पर पड़ने वाले जोखिम साफ़ दिखाई देते हैं.
बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने पाया कि इन जोखिमों ने Facebook की प्रतिक्रिया को यथोचित साबित किया है, लेकिन कुछ सदस्यों का मानना था कि Facebook की कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं करती और यथोचित नहीं थी. कुछ सदस्यों ने सोचा कि Facebook को हटाने के अलावा अन्य प्रवर्तन उपायों पर विचार करना चाहिए.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
बोर्ड ने Facebook का कंटेंट हटाने का फ़ैसला कायम रखा.
पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने Facebook को कहा कि वह:
- सुनिश्चित करे कि यूज़र को हमेशा उनके खिलाफ़ कम्युनिटी स्टैंडर्ड के किसी भी प्रवर्तन के कारणों के बारे में सूचित किया जाए, जिसमें Facebook द्वारा लागू किया जाने वाला विशिष्ट नियम शामिल हो. इस मामले में, यूज़र को सूचित किया गया था कि पोस्ट में Facebook के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से संबंधित कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ था, लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया था कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस पोस्ट में राष्ट्रीय मूल पर हमला करने वाला अपमानजनक शब्द था. Facebook की पारदर्शिता की कमी के कारण उसके फ़ैसले को गलत माना गया कि कंपनी ने कंटेंट को इसलिए हटा दिया क्योंकि यूज़र ने ऐसा विचार व्यक्त किया जिससे कंपनी सहमत नहीं थी.
अधिक जानकारी के लिए:
केस का पूरा फ़ैसला पढ़ने के लिए, यहाँक्लिक करें.
इस केस की सार्वजनिक टिप्पणियों का सारांश पढ़ने के लिए, यहाँक्लिक करें.