ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook का फ़ैसला कायम रखा: केस 2021-011-FB-UA

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के उस फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें उसने नफ़रत फैलाने वाली भाषा के अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत एक ऐसी पोस्ट को हटा दिया था, जिसमें दक्षिण अफ़्रीकी समाज पर चर्चा हो रही थी. बोर्ड ने पाया कि पोस्ट में एक अपशब्द का उपयोग दक्षिण अफ़्रीकी लोगों के संदर्भ में किया गया था, जो टार्गेट किए गए लोगों को अपमानित और अलग-थलग महसूस करवाने के साथ उन्हें आहत कर रहा था.

केस की जानकारी

मई 2021 में एक Facebook यूज़र ने किसी पब्लिक ग्रुप में अंग्रेज़ी भाषा में कुछ पोस्ट किया, जिसे दिल-दिमाग को खोलने वाला बताया गया. यूज़र की Facebook प्रोफ़ाइल फ़ोटो और बैनर फ़ोटो दोनों में एक अश्वेत व्यक्ति को दिखाया गया है. पोस्ट में दक्षिण अफ़्रीका के “बहु-जातिवाद” पर चर्चा की गई है, और तर्क प्रस्तुत किया गया है कि 1994 से देश के अश्वेत लोगों में गरीबी, बेघर होने और भूमिहीन होने की समस्या बढ़ गई है.

इसमें कहा गया कि अधिकांश संपत्ति श्वेत लोगों के पास है और उनके नियंत्रण में है, साथ ही यह भी कि अमीर अश्वेत लोगों के पास कुछ कंपनी का स्वामित्व हो सकता है, लेकिन नियंत्रण नहीं है. इसमें यह भी कहा गया है कि अगर “you think” (आप सोचते हैं) कि श्वेत लोगों के इलाके में रहने से, उनकी भाषा बोलने से और उनके साथ पढ़ाई करने से आप “deputy-white” (कुछ हद तक श्वेत) बन जाते हैं, तो “you need to have your head examined” (आपको अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिए). पोस्ट के आखिरी में लिखा है कि “[y]ou are” a “sophisticated slave,” “a clever black,” “’n goeie kaffir” or “House nigger” (आप एक सूट-बूट वाले गुलाम, एक चतुर अश्वेत, एक अच्छे काफ़िर या घरेलू निगर (घरों में काम करने वाले नौकर) हैं) (जिसे यहाँ पर और आगे “k***ir” (का*र) और “n***er” (नि*र) लिखा गया).

मुख्य निष्कर्ष

Facebook ने अपनी उस पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत उस कंटेंट को हटा दिया था, जो पॉलिसी लोगों की जाति, नस्ल और/या मूल राष्ट्रीयता के आधार पर उन्हें निशाना बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले अपशब्दों पर रोक लगाती है. कंपनी ने पाया कि “k***ir” (का*र) और “n***er” (नि*र) दोनों ही शब्द Facebook की उस लिस्ट में हैं, जिसमें सब-सहारा क्षेत्र में बोले जाने वाले प्रतिबंधित अपशब्द होते हैं.

बोर्ड को लगा कि इस कंटेंट को हटाने का फ़ैसला Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार सही था. बोर्ड ने यह पता लगाने के लिए पब्लिक कमेंट और विशेषज्ञों के शोध का मूल्यांकन किया कि “k***ir” (का*र) और “n***er” (नि*र) दोनों ही शब्दों का उपयोग भेदभाव के नज़रिए से किया जाता है और यह भी कि दक्षिण अफ़्रीकी संदर्भ में “k***ir” (का*र) ख़ास तौर पर घृणित और आहत करने वाला शब्द है.

बोर्ड Facebook की इस बात से सहमत था कि कंटेंट में “k***ir” (का*र) शब्द के उपयोग की निंदा नहीं की गई थी, न ही इसे लेकर जागरूकता बढ़ाई जा रही थी और कंटेंट में इस शब्द का उपयोग खुद का संदर्भ देने या सशक्तिकरण के उद्देश्य से नहीं किया गया था. इसलिए, इस केस में कंपनी के नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का कोई अपवाद लागू नहीं हुआ.

यूज़र की पोस्ट में दक्षिण अफ़्रीका के प्रासंगिक तथा चुनौतीपूर्ण सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई थी, लेकिन यूज़र ने देश में सबसे गंभीर माने जाने वाले शब्दों का उपयोग करके इस आलोचना को नस्लीय बना दिया.

दक्षिण अफ़्रीकी संदर्भ में “k***ir” (का*र) एक अपशब्द है, जो टार्गेट किए जाने वाले लोगों के लिए अपमानजनक, उन्हें अलग-थलग महसूस करवाने और आहत करने वाला है. Facebook को प्लेटफ़ॉर्म पर नस्लीय अपशब्दों के उपयोग को गंभीरता से लेना चाहिए, ख़ास तौर पर एक ऐसे देश के मामले में जो विरासत में मिली रंगभेद की समस्या से अभी भी जूझ रहा है.

बोर्ड इस बात का समर्थन करता है कि Facebook द्वारा बनाई गई अपशब्दों की लिस्ट और भी पारदर्शी होनी चाहिए. कंपनी को इस लिस्ट के बारे में और जानकारी देना चाहिए, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों में इसे लागू करने के तरीके और इसे गोपनीय रखने का कारण बताया गया हो.

बोर्ड ने यह सुझाव देते हुए Facebook से आग्रह किया कि वह नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी अपनी पॉलिसी को लागू करने में प्रक्रियात्मक निष्पक्षता बढ़ाए. इससे यूज़र्स को यह समझने में मदद मिलेगी कि Facebook ने उनका कंटेंट क्यों हटा दिया था और वे भविष्य में अपना व्यवहार बदल पाएँगे.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook का पोस्ट को हटाने का फ़ैसला कायम रखा.

पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने Facebook को कहा कि वह:

  • यूज़र्स को नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अंतर्गत आने वाले उस नियम के बारे में बताए, जिसका उस भाषा में उल्लंघन किया गया है, जिसमें वे Facebook का उपयोग करते हैं, जैसा कि 2020-003-FB-UA केस के फ़ैसले (अज़रबैजान में आर्मेनियाई लोग) और 2021-002-FB-UA केस के फ़ैसले (ज़्वार्टे पिएट का चित्रण) में सुझाव दिया गया है. जैसे कि इस केस में यूज़र को बताया जाना चाहिए था कि उन्होंने अपशब्दों पर लगी रोक का उल्लंघन किया था. बोर्ड ने 2021-002-FB-UA केस के फ़ैसले में सुझाव संख्या 2 को लेकर Facebook की प्रतिक्रिया पर ध्यान दिया है, जिसमें ऐसे नए क्लासिफ़ायर के बारे में बताया गया है, जो अंग्रेज़ी भाषा में Facebook का उपयोग करने वाले यूज़र्स को सूचना दे सके कि उनके कंटेंट से अपशब्दों के खिलाफ़ बने नियम का उल्लंघन हुआ है. बोर्ड को उम्मीद है कि Facebook अंग्रेज़ी भाषा के यूज़र्स के लिए कार्यान्वयन की पुष्टि करने वाली जानकारी और अन्य भाषा के यूज़र्स के लिए कार्यान्वयन की समय-सीमा के बारे में जानकारी देगा.

अधिक जानकारी के लिए:

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