ओवरसाइट बोर्ड ने "आर्मेनियाई युद्ध बंदियों के वीडियो" से जुड़े केस में Meta का फ़ैसला कायम रखा है
13 जून 2023
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें युद्धबंदियों के एक ऐसे वीडियो वाली Facebook पोस्ट को “परेशान करने वाला” चेतावनी स्क्रीन लगाकर प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया था, जिस वीडियो में युद्धबंदी आसानी से पहचान में आ रहे थे. बोर्ड ने पाया कि ख़बरों में बने रहने के लायक होने के कारण उस पोस्ट पर कार्रवाई न करके Meta ने सही किया, जिस पोस्ट को नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने से जुड़े कंपनी के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत अन्यथा हटा दिया जाता. हालाँकि, बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta इस तरह के कंटेंट का रिव्यू करने की अपनी आंतरिक गाइडलाइन को बेहतर बनाए और उपयुक्त प्राधिकारियों की मदद से मानवाधिकार उल्लंघन के साक्ष्यों को सुरक्षित रखने और शेयर करने के लिए एक प्रोटोकॉल बनाए.
केस की जानकारी
अक्टूबर 2022 में, एक Facebook यूज़र ने एक ऐसे पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिस पेज को नागोर्नो-काराबाख संघर्ष के दौरान आर्मेनियाई लोगों पर अज़रबैजान द्वारा किए गए कथित युद्ध अपराधों को सामने लाने वाला बताया जाता है. यह टकराव सितंबर 2020 में फिर से शुरू हुआ और सितंबर 2022 में आर्मेनिया में युद्ध छिड़ गया. इसमें हज़ारों लोग मारे गए और सैकड़ों लोग लापता हो गए.
वीडियो की शुरुआत यूज़र द्वारा उसमें शामिल की गई उम्र संबंधी चेतावनी से होती है, जिसमें कहा गया है कि वीडियो सिर्फ़ 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए है. साथ ही, अंग्रेज़ी में लिखा गया है “Stop Azerbaijani terror. The world must stop the aggressors” (अज़रबैजान के आतंक को रोको. हमलावरों को रोकना पूरी दुनिया की ज़िम्मेदारी है). वीडियो के एक दृश्य को देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे युद्धबंदियों को पकड़ा जा रहा है.
इसमें दिखाया गया है कि अज़रबैजानी सैनिकों की तरह दिख रहे लोग मलबे में कुछ ढूँढ रहे हैं. वीडियो एडिटिंग से इन लोगों के चेहरे काले रंग की चौकोर आकृतियों से छिपाए गए हैं. उन्हें मलबे में कुछ लोग मिलते हैं, जिन्हें कैप्शन में आर्मेनियाई सैनिक बताया गया है. उनके चेहरों को छिपाया नहीं गया है और उन्हें पहचाना जा सकता है. उनमें से कुछ सैनिक घायल दिख रहे हैं और बाकी मरे हुए नज़र आ रहे हैं. वीडियो का अंत एक ऐसे व्यक्ति के साथ होता है, जो पूरी तरह से दिखाई नहीं दे रहा, लेकिन शायद यह वीडियो वही बना रहा है और ज़मीन पर बैठे एक घायल सैनिक को लगातार भला-बुरा कह रहा है. साथ ही, रूसी और तुर्की भाषा में उसे गालियाँ दे रहा है.
अंग्रेज़ी और तुर्की भाषा में लिखे कैप्शन में यूज़र ने बताया है कि वीडियो में दिख रहा है कि अज़रबैजान के सैनिक किस तरह से आर्मेनियाई युद्धबंदियों को प्रताड़ित कर रहे हैं. कैप्शन में यूरोपियन यूनियन और अज़रबैजान के बीच जुलाई 2022 में हुई गैस डील को भी हाइलाइट किया गया है जिसके अनुसार 2027 तक अज़रबैजान से गैस का आयात दोगुना कर दिया जाएगा.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि भले ही इस केस का कंटेंट ‘नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने’ के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है, लेकिन Meta ने कंटेंट को Facebook पर बने रहने देने के लिए ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट का सही इस्तेमाल किया और वीडियो में मौजूद कंटेंट पर ‘हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट’ से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत “परेशान करने वाला” लिखा चेतावनी स्क्रीन लगाना ज़रूरी था. ये फ़ैसले Meta के सिद्धांतों और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुसार सही थे.
इस केस से संघर्ष वाली स्थितियों में Meta द्वारा कंटेंट मॉडरेशन के लिए अपनाई जाने वाली सोच को लेकर अहम सवाल खड़े होते हैं, जहाँ युद्धबंदियों की पहचान और लोकेशन जाहिर करने से उनकी गरिमा को ठेस पहुँच सकती है या उन्हें कोई नुकसान पहुँचा सकता है. बंदियों को अपमानजनक या अमानवीय परिस्थितियों में दिखाए जाने पर उनकी गरिमा को ज़्यादा ठेंस पहुँचती है. साथ ही, ऐसे दृश्यों से सार्वजनिक बहस बढ़ सकती है और संभावित दुर्व्यवहार की बात ज़्यादा लोगों तक पहुँच सकती है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का उल्लंघन शामिल है. इससे अधिकारों की रक्षा करने और ज़िम्मेदारी सुनिश्चित करने की कोशिशों को गति भी मिल सकती है. Meta ऐसे साक्ष्य को बचाने में सहयोग करने की यूनिक स्थिति में है, जो अंतरराष्ट्रीय अपराधों के अभियोजन और मानवाधिकार से जुड़े मुकदमों में सहयोग करने के लिए प्रासंगिक हो सकता है.
जिस मात्रा और गति से युद्धबंदियों की इमेजरी को सोशल मीडिया के ज़रिए शेयर किया जा सकता है, वह इन हितों का टकराव होने से रोकने के काम को जटिल बनाता है. युद्धबंदी जितने गंभीर नुकसान और जोखिमों का सामना करते हैं, उन्हें देखते हुए बोर्ड ने पाया कि युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन उजागर करने वाली जानकारी को पोस्ट होने से रोकने का Meta का डिफ़ॉल्ट नियम, बिज़नेस और मानवाधिकारों से जुड़े संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों (UNGP, सिद्धांत 12 की कमेंटरी) के तहत कंपनी की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है. ये ज़िम्मेदारियाँ सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में बढ़ जाती हैं और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के नियमों का ध्यान रखते हुए इन्हें पूरा किया जाना चाहिए. बोर्ड, Meta की इस बात से सहमत है कि जनहित में कंटेंट को चेतावनी स्क्रीन के साथ प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने का महत्व, उस कंटेंट से युद्धबंदियों की सुरक्षा और गरिमा को पहुँचने वाले नुकसान के जोखिम से ज़्यादा है.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने “परेशान करने वाला” लिखी चेतावनी स्क्रीन के साथ Facebook पर पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
बोर्ड ने Meta को सुझाव भी दिया कि वह:
- अत्याचार से जुड़े अपराधों या मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघनों की जाँच और उनका निदान करने या उनके संबंध में मुकदमा चलाने में मदद करने वाली जानकारी के संरक्षण के लिए प्रोटोकॉल बनाए और जहाँ उपयुक्त हो वहाँ सक्षम प्राधिकारियों से शेयर करे.
- रिव्यूअर्स और एस्केलेशन टीमों को ज़्यादा मार्गदर्शन दे, जिससे युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन उजागर करने वाले कंटेंट का एस्केलेशन होने और उसका मूल्यांकन करते समय उन्हें ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के बारे में ज़्यादा जानकारी मिले.
- ट्रांसपेरेंसी सेंटर में ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की लोगों को दी जाने वाली जानकारी में ऐसे कंटेंट का उदाहरण जोड़े, जिसमें युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन उजागर की गई हो लेकिन उसे जनहित में प्लेटफ़ॉर्म से हटाया न गया हो, ताकि लोगों को इस बारे में ज़्यादा स्पष्ट जानकारी मिले.
- अत्याचार से जुड़े अपराधों या मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघनों से संबंधित साक्ष्य की रक्षा करने के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल को सार्वजनिक रूप से शेयर करे.
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