ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook का फ़ैसला कायम रखा: केस 2021-002-FB-UA
13 अप्रैल 2021
ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook के उस फ़ैसले को कायम रखा है, जिसके तहत हटाए गए कंटेंट में काले चेहरे के रूप में अश्वेत लोगों के हास्य चित्र पोस्ट करने पर स्पष्ट रूप से लगी रोक का उल्लंघन किया गया था, यह रोक इसके नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत आती है.
केस की जानकारी
5 दिसंबर 2020 को नीदरलैंड्स के एक Facebook यूज़र ने अपनी टाइमलाइन पर डच भाषा में लिखे टेक्स्ट वाली एक पोस्ट के साथ 17 सेकंड का वीडियो शेयर किया. वीडियो में एक छोटे बच्चे की तीन वयस्कों से हुई मुलाकात को दिखाया गया है, जिनमें से एक ने “सिंटरक्लास” के जैसी और अन्य दो ने “ज़्वार्टे पिएट”, जिन्हें “ब्लैक पीट” भी कहा जाता है, के जैसी पोशाक पहनी है.
ज़्वार्टे पिएट का रूप धरने वाले दो वयस्कों ने अपने चेहरों पर काला रंग लगा रखा था और अफ़्रीकी स्टाइल वाली विग के ऊपर टोपी पहन रखी थी, साथ ही पुनर्जागरण-शैली के रंगीन कपड़े पहन रखे थे. वीडियो में दिखाई देने वाले सभी लोग श्वेत लग रहे थे, जिनमें वे लोग भी थे, जिनके चेहरों पर काला रंग लगा हुआ था. इस वीडियो में फ़ेस्टिवल का म्यूज़िक प्ले होता है और ज़्वार्टे पिएट बना एक व्यक्ति उस बच्चे से कहता है, “[इ]धर देखो, और मुझे आपकी टोपी मिल गई. क्या तुम इसे पहनना चाहते हो? आप बिल्कुल पीट की तरह नज़र आओगे!”
Facebook ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने की वजह से इस पोस्ट को हटा दिया.
मुख्य निष्कर्ष
हालाँकि ज़्वार्टे पिएट उस सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाता है, जिसे कई डच लोग बिना किसी नस्लवादी इरादे के निभाते हैं, इसमें काले चेहरे का उपयोग होता है, जिसे व्यापक रूप से एक हानिकारक नस्लीय रूढ़ीवादिता के रूप में देखा जाता है.
अगस्त 2020 से Facebook ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत काले चेहरे वाले लोगों के रूप में अश्वेत लोगों के हास्य चित्र दिखाने पर स्पष्ट रूप से रोक लगा दी है. जैसा कि बोर्ड ने पाया कि Facebook ने यूज़र्स को यह पूरी तरह से स्पष्ट किया हुआ है कि काले चेहरे दिखाने वाले कंटेंट को हटा दिया जाएगा, जब तक कि ऐसा कंटेंट इससे जुड़े गलत व्यवहार की निंदा करने या जागरूकता लाने के लिए शेयर न किया गया हो.
बोर्ड के ज़्यादातर सदस्यों को लोगों को आहत करने के पर्याप्त सबूत देखने को मिले, जो उस कंटेंट को हटाना सही साबित करते हैं. उन्होंने कहा कि उस कंटेंट में दिखाए गए हास्य चित्र, पूरी तरह से नकारात्मक और नस्लीय रूढ़ियों से जुड़े हुए हैं, साथ ही नीदरलैंड्स में व्यवस्थागत नस्लवाद को कायम रखने के लिए डच सोसाइटी में कहीं-कहीं देखने को मिलते हैं. उन्होंने नीदरलैंड्स में ज़्वार्टे पिएट से जुड़े नस्लीय भेदभाव और हिंसा का सामना करने वाले अश्वेत लोगों के दर्ज मामलों पर गौर किया. इनमें ऐसी रिपोर्ट शामिल थीं कि सिंटरक्लास फ़ेस्टिवल के दौरान अश्वेत बच्चे अपने घरों में डर और असुरक्षा महसूस करते थे, साथ ही स्कूल जाने से डरते थे.
ज़्यादातर बोर्ड सदस्यों ने पाया कि Facebook पर ऐसी पोस्ट से अश्वेत लोगों के लिए भेदभावपूर्ण माहौल बनाने को बढ़ावा मिलेगा, जो कि अपमानजनक और उत्पीड़न करने वाला होगा. उनका मानना था कि काले चेहरे का उपयोग करने के प्रभाव Facebook की पॉलिसी को सही ठहराते हैं और उस कंटेंट को कंपनी की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के तहत हटाया गया था.
हालाँकि, बोर्ड के कुछ सदस्यों को वे सबूत अपर्याप्त लगे, जो कि इस कंटेंट से लोगों के आहत होने को सीधे तौर पर जोड़ते हैं और जिनकी वजह से कंटेंट हटाकर यह माना जा रहा है कि लोगों को आहत होने से बचाया गया है. उन्होंने कहा कि Facebook पर “अभिव्यक्ति” की अहमियत के कारण विशेष रूप से असहमतिपूर्ण कंटेंट का बचाव किया जाता है और हालाँकि काला चेहरा दिखाना अपमाजनक है लेकिन Facebook पर हर संदर्भ में ऐसे चित्रण से लोग आहत नहीं होंगे. उन्होंने यह तर्क भी दिया कि कुल नुकसान के आधार पर अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने और आहत होने की व्यक्तिगत अनुभूति से लोगों को बचाने की कोशिशों में अंतर करना मुश्किल हो सकता है.
बोर्ड ने पाया कि पर्याप्त स्पष्टीकरण दिए बिना कंटेंट हटाने से संबंधित यूज़र को लग सकता है कि उसके साथ गलत हुआ. इस मामले में यह पाया गया कि संबंधित यूज़र को यह नहीं बताया गया था कि उनके कंटेंट को विशेष रूप से Facebook की काले चेहरे से जुड़ी पॉलिसी के तहत हटाया गया था.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड, Facebook के उस कंटेंट का हटाने का फ़ैसला कायम रखता है.
पॉलिसी से जुड़े सुझाव देते हुए बोर्ड ने Facebook को कहा कि वह:
- नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में दिए गए काले चेहरे पर रोक लगाने वाले नियम को उसके तर्क से जोड़े, साथ ही उन नुकसान के बारे में भी बताए, जिनसे यह कंपनी बचना चाहती है.
- इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत यूज़र्स पर एक्शन किए जाने पर उन्हें हमेशा इसकी जानकारी दी जाए, जिसमें Facebook के उस नियम के बारे में बताया गया हो, जिसे लागू किया जा रहा है, जो कि केस 2020-003-FB-UA में बोर्ड के सुझाव के अनुसार है. Facebook जहाँ भी काले चेहरे से जुड़े अपने नियम के तहत किसी कंटेंट को हटाता है, यूज़र्स को दिए जाने वाले किसी भी नोटिस में इस नियम की जानकारी दी जानी चाहिए, साथ ही उन रिसोर्स का लिंक दिया जाना चाहिए, जो उस नुकसान के बारे में बताते हों, जिससे यह नियम बचाना चाहता है. Facebook को इस विषय पर बोर्ड की ओर से दिए गए पिछले सुझावों के “व्यवहार्यता मूल्यांकन” पर विस्तृत जानकारी भी देना चाहिए.
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