पाकिस्तान में बाल दुर्व्यवहार से जुड़ी न्यूज़ डॉक्यूमेंट्री
14 मई 2024
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को पलट दिया जिसमें Voice of America (VOA) Urdu द्वारा पोस्ट किए गए एक डॉक्यूमेंट्री वीडियो को हटा दिया गया था. इस वीडियो में 1990 के दशक में पाकिस्तान में यौन उत्पीड़न और हत्या के शिकार बच्चों की पहचान उजागर की गई है. यद्यपि बोर्ड ने पाया कि पोस्ट ने बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार और नग्नता से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य यह मानते हैं कि इस केस में खबरों में रहने लायक होने से जुड़ी छूट दी जानी चाहिए थी. बोर्ड के सदस्य यह मानते हैं कि बच्चों से दुर्व्यवहार की रिपोर्टिंग से जुड़ा निरंतर जनहित, पीड़ितों की पहचान उजागर होने के नुकसानों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है. इन पीड़ितों ने 25 वर्ष पहले हुए अपराधों में अपनी जान गँवा दी थी. VOA Urdu की यह डॉक्यूमेंट्री व्यापक रूप से तथ्यात्मक और संवेदनशील है और इससे बाल यौन शोषण की व्यापक समस्या पर लोगों की चर्चा में मदद मिल सकती थी. बाल यौन शोषण की समस्या की पाकिस्तान में पर्याप्त रिपोर्टिंग नहीं की जाती. इस केस से यह भी हाइलाइट भी होता है कि Meta, यूज़र्स को बेहतर तरीके से यह कैसे कम्युनिकेट कर सकता है कि किन पॉलिसी को छूट का फ़ायदा मिलता है और किन पॉलिसी को नहीं.
केस की जानकारी
जनवरी 2022 में, ब्रॉडकास्टर Voice of America (VOA) Urdu ने अपने Facebook पेज पर जावेद इकबाल के बारे में 11 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री पोस्ट की. जावेद ने पाकिस्तान में 1990 के दशक में लगभग 100 बच्चों का यौन शोषण करके उनकी हत्या कर दी थी. उर्दू भाषा की इस डॉक्यूमेंट्री में अपराधों और अपराधी के मुकदमे के बारे में परेशान करने वाली जानकारी शामिल है. उसमें न्यूज़पेपर की क्लिप्स की ऐसी फ़ोटोज़ भी हैं जिनमें बाल पीड़ितों की फ़ोटो और उनके नाम स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. फ़ुटेज में विलाप कर रहे लोग उनके रिश्तेदार हो सकते हैं. पोस्ट के कैप्शन में कहा गया है कि अपराधों के बारे में एक अलग फ़िल्म हाल ही में समाचारों में रही है और इसमें व्यूअर्स को डॉक्यूमेंट्री के कंटेंट के बारे में चेतावनी भी दी गई है. इस पोस्ट को लगभग 21.8 मिलियन बार देखा गया और लगभग 18,000 बार शेयर किया गया.
जनवरी 2022 और जुलाई 2023 के बीच, 67 यूज़र्स ने इस पोस्ट की रिपोर्ट की. ऑटोमेटेड और ह्यूमन रिव्यू के बाद, Meta इस नतीजे पर पहुँचा की कंटेंट से कोई उल्लंघन नहीं होता. पोस्ट को Meta के हाई रिस्क अर्ली रिव्यू ऑपरेशन सिस्टम द्वारा अलग से भी फ़्लैग किया गया था क्योंकि इसके वायरल होने की संभावना बहुत ज़्यादा थी. इसके परिणामस्वरूप इसका रिव्यू Meta के उस आंतरिक स्टाफ़ द्वारा किया गया जिसके पास भाषा, बाज़ार और पॉलिसी की विशेषज्ञता थी (आउटसोर्स किए गए ह्यूमन मॉडरेशन के बजाय). आंतरिक एस्केलेशन के बाद, Meta की पॉलिसी टीम ने पोस्ट को बनाए रखने के मूल फ़ैसले को पलट दिया और बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार और नग्नता से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण उसे हटा दिया. कंपनी ने यह तय किया कि वह इस पोस्ट को खबरों में रहने लायक होने से जुड़ी छूट नहीं देगी. Meta ने फिर इस केस को बोर्ड को रेफ़र किया.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि Meta को इस कंटेंट को खबरों में रहने लायक होने से जुड़ी छूट देनी चाहिए थी और पोस्ट को Facebook पर बनाए रखना चाहिए था. बोर्ड ने पाया कि पोस्ट से बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार और नग्नता से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन होता है क्योंकि दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों को उनके चेहरों और नामों से पहचाना जा सकता है. हालाँकि बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य यह मानते हैं कि बच्चों से दुर्व्यवहार के अपराधों की रिपोर्टिंग से जुड़ा जनहित, पीड़ितों और उनके परिवारों को हो सकने वाले नुकसानों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है. अपने फ़ैसले पर पहुँचते समय, इन बहुसंख्य सदस्यों ने नोट किया कि डॉक्यूमेंट्री को जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से बनाया गया था, वह भीषण जानकारी देकर सनसनी नहीं फैलाती और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये अपराध लगभग 25 वर्ष पहले हुए हैं और उनमें से कोई भी पीड़ित अब जीवित नहीं है. इतना समय बीत जाना एक महत्वपूर्ण तथ्य है क्योंकि बाल पीड़ितों को सीधे संभावित नुकसान का जोखिम समाप्त हो चुका है. इस बीच, बाल दुर्व्यवहार का जनहित अभी भी बना हुआ है.
बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने कन्फ़र्म किया कि पाकिस्तान में बाल यौन शोषण फैला हुआ है, लेकिन ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट नहीं की जाती. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने विशेषज्ञों की इस रिपोर्ट को नोट किया कि पाकिस्तान में स्वतंत्र मीडिया और असंतोष को दबाया जाता रहा है. साथ ही पाकिस्तान बच्चों पर होने वाले गंभीर अपराधों को रोकने या दोषियों को दंड देने में नाकाम भी रहा है. इस कारण यह ज़रूरी हो जाता है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर इस समस्या की रिपोर्टिंग होने दी जाए और लोगों तक जानकारी पहुँचने दी जाए. इस केस में VOA Urdu की डॉक्यूमेंट्री से सार्वजनिक चर्चाओं में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है.
कुछ सदस्यों ने नोट किया कि भले ही वीडियो में जनहित की समस्याओं को उठाया गया है, लेकिन पीड़ितों के नाम और चेहरे दिखाए बिना भी उन समस्याओं की चर्चा की जा सकती थी और इसलिए कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए थानोट.
बोर्ड ने इस बारे में भी अलार्म किया कि इस कंटेंट के बारे में अंतिम फ़ैसला लेने में Meta को लंबा समय (18 माह) लगा. इस दौरान कंटेंट को 21.8 मिलियन बार देखा जा चुका था. साथ ही बोर्ड ने यह भी पूछा कि क्या Meta के पास उर्दू भाषा के वीडियो के लिए पर्याप्त रिसोर्स उपलब्ध हैं. खबरों में रहने लायक होने के बारे में बहुत कम मामलों में उपयोग की जाने वाली छूट यहाँ प्रासंगिक थी जो एक ऐसा सामान्य अपवाद है जिसे सिर्फ़ Meta की विशेषज्ञ टीमों द्वारा लागू किया जा सकता है. लेकिन बोर्ड ने नोट किया कि जागरूकता फैलाने या रिपोर्ट करने जैसा कोई भी खास पॉलिसी अपवाद, बाल यौन शोषण, दुर्व्यवहार और नग्नता से जुड़ी पॉलिसी के लिए उपलब्ध नहीं है. Meta को अपने यूज़र्स को इस बारे में ज़्यादा स्पष्टता देनी चाहिए.
इसके अलावा, इस पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में यह ज़्यादा स्पष्ट किया जा सकता है कि कंटेंट में क्या होने पर उसे “नाम या फ़ोटो” द्वारा पीड़ितों की पहचान उजागर करने वाला माना जाएगा. अगर VOA Urdu को उसके द्वारा उल्लंघन किए जाने वाले नियम के बारे में ज़्यादा जानकारी मिलती, तो वह डॉक्यूमेंट्री को आपत्तिजनक फ़ोटो के बिना रीपोस्ट करता या, उदाहरण के लिए, अगर अनुमति होती तो वह पीड़ितों के चेहरों को धुँधला कर देता.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के कंटेंट हटाने के फ़ैसले को पलट दिया है और पोस्ट को रीस्टोर करने के लिए कहा है.
बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया है कि वह:
- हर कम्युनिटी स्टैंडर्ड में एक नया सेक्शन बनाए जिसमें बताया जाए कि कौन-से अपवाद और छूट लागू होती हैं. अगर Meta के पास कुछ ऐसे खास अपवादों की परमिशन न देने के कारण हैं जो अन्य पॉलिसी पर लागू होते हैं (जैसे न्यूज़ रिपोर्टिंग या जागरूकता फैलाना), तो Meta को इस नए सेक्शन में वह कारण शामिल करना चाहिए.
ज़्यादा जानकारी के लिए
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