ओवरसाइट बोर्ड भारत के ओडिशा राज्य में सांप्रदायिक दंगे को लेकर Meta के फ़ैसले को कायम रखता है
28 नवंबर 2023
ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook से एक ऐसी पोस्ट को हटाने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा जिसमें भारत के ओडिशा राज्य में हुई सांप्रदायिक हिंसा का वीडियो था. बोर्ड ने पाया कि पोस्ट से हिंसा और उकसावे से जुड़े Meta के नियमों का उल्लंघन होता है. बोर्ड के अधिकांश सदस्य इस निष्कर्ष पर भी पहुँचे कि सभी मिलते-जुलते वीडियो को अपने प्लेटफ़ॉर्म से हटाने का Meta का फ़ैसला, ओडिशा राज्य में बढ़े हुए तनाव और जारी हिंसा के ख़ास संदर्भ में उचित था. इस केस का कंटेंट, पॉलिसी से जुड़ी किसी भी छूट के तहत नहीं आता था, लेकिन बोर्ड ने Meta से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि हिंसा और उकसावे से जुड़ा उसका कम्युनिटी स्टैंडर्ड ऐसे कंटेंट को छूट दे जिसमें “हिंसक धमकियों की निंदा की गई हो या उनके खिलाफ़ जागरूकता फैलाई गई हो.”
केस की जानकारी
अप्रैल 2023 में, Facebook के एक यूज़र ने भारत के ओडिशा राज्य के संबलपुर में हिंदुओं के त्योहार हनुमान जयंती पर एक दिन पहले निकले एक जुलूस की घटना से संबंधित वीडियो पोस्ट किया. वीडियो के कैप्शन में “Sambalpur” (संबलपुर) लिखा था, जो ओडिशा का एक छोटा शहर है. यहाँ त्योहार के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी.
वीडियो में दिखाए गए जुलूस में लोग भगवा रंग के झंडे लेकर चल रहे हैं, जो हिंदू राष्ट्रवाद का प्रतीक है और “जय श्री राम” के नारे लगा रहे हैं - जिसका शाब्दिक अनुवाद “भगवान राम (एक हिंदू देवता) की जयकार” होता है. धार्मिक संदर्भ के अलावा जहाँ इन शब्दों का उपयोग राम के प्रति श्रृद्धा दिखाने के लिए किया जाता है, वहीं इनका उपयोग कुछ परिस्थितियों में अल्पसंख्यक समूहों, ख़ास तौर पर मुसलमानों, के खिलाफ़ दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए भी किया गया है. वीडियो फिर एक इमारत की बालकनी में खड़े एक व्यक्ति पर ज़ूम होता है. यह इमारत जुलूस के रास्ते में मौजूद है और वह व्यक्ति जुलूस पर एक पत्थर फेंकता दिखाई देता है. फिर भीड़ “जय श्री राम,” “भागो” और “मारो-मारो” चिल्लाते हुए उस इमारत पर पत्थर बरसाती है. कंटेंट को लगभग 2,000 बार देखा गया और उसे 100 से कम कमेंट और रिएक्शन मिले.
वीडियो में दिखाए गए धार्मिक जुलूस के दौरान भड़की हिंसा के बाद, ओडिशा सरकार ने इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दीं, सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को ब्लॉक कर दिया और संबलपुर के कई इलाकों में कर्फ़्यू लगा दिया. जुलूस के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में, दुकानों को कथित रूप से जला दिया गया और इस दौरान एक व्यक्ति मारा गया.
वीडियो में दिखाई गई घटनाओं के कुछ ही समय बाद, Meta को ओडिशा की कानून लागू करने वाली संस्था से एक रिक्वेस्ट मिली जिसमें एक अन्य यूज़र द्वारा पोस्ट किए गए ऐसे ही वीडियो को हटाने के लिए कहा गया. Meta ने पाया कि पोस्ट ने हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड की भावना का उल्लंघन किया है और उस वीडियो को मीडिया मैचिंग सर्विस बैंक में जोड़ दिया. यह बैंक उस कंटेंट का पता लगाता है और उसे संभावित कार्रवाइयों के लिए फ़्लैग करता है जो पहले फ़्लैग की गई फ़ोटो, वीडियो या टेक्स्ट जैसा या उससे मिलता-जुलता है.
Meta ने बोर्ड को बताया कि इस कंटेंट के कारण उत्पन्न हुए सुरक्षा जोखिमों को देखते हुए मीडिया मैचिंग सर्विस बैंक को वीडियो की सभी कॉपियों को दुनियाभर से हटाने के लिए सेट किया गया था, चाहे उसका कैप्शन कुछ भी हो. ऐसे सभी वीडियो को सामूहिक रूप से हटा दिया गया, भले ही वे जागरूकता लाने, निंदा करने और न्यूज़ रिपोर्टिंग से जुड़ी Meta की छूट के तहत आते हों. बोर्ड ने नोट किया कि मीडिया मैचिंग सर्विस बैंक की सेटिंग को देखते हुए, इस वीडियो जैसे कई कंटेंट को संबलपुर, ओडिशा की घटना के बाद के महीनों के दौरान हटाया गया है.
मीडियो मैचिंग सर्विस बैंक के ज़रिए, Meta ने इस केस में विचाराधीन कंटेंट की पहचान की और उसे हटा दिया. इसके लिए Meta ने अपने उन नियमों का उल्लेख किया जिसमें “बहुत गंभीर हिंसा के आह्वान की मनाही है जिसमें […] शामिल है जहाँ कोई टार्गेट नहीं बताया जाता लेकिन एक प्रतीक द्वारा टार्गेट दर्शाया जाता है और/या जिसमें एक हथियार या तरीके का विजुअल होता है जो हिंसा दर्शाता है.”
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि पोस्ट, हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करती है जिसके तहत “ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित किया जाता है जो लोगों की या निजी सुरक्षा के लिए प्रामाणिक धमकी हो.” बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने पाया कि ओडिशा में उस समय जारी हिंसा और इस तथ्य को देखते हुए कि कंटेंट पर कोई छूट लागू नहीं होती, पोस्ट किया गया कंटेंट गंभीर है और उससे हिंसा के और भड़कने का खतरा है. बोर्ड के कुछ सदस्यों का मानना है कि पोस्ट को Meta के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत उचित रूप से हटाया जा सकता है, लेकिन किसी दूसरे कारण से. वीडियो में उकसावे की पुरानी घटना दिखाई गई थी और उसमें ऐसा कोई संकेत नहीं था कि उसे पॉलिसी से जुड़ी छूट मिलनी चाहिए और इसी तरह का कंटेंट हिंसा भड़काने के उद्देश्य से शेयर किया जा रहा था, इसलिए Meta ने कंटेंट को हटाकर सही काम किया.
बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने यह निष्कर्ष निकाला कि कैप्शन पर ध्यान दिए बगैर ऐसे सभी वीडियो को अपने प्लेटफ़ॉर्म से हटाने का Meta का फ़ैसला, उस समय ओडिशा राज्य में जारी हिंसा के संदर्भ में उचित था. हालाँकि अधिकांश सदस्यों ने यह भी पाया कि ऐसे व्यापक एन्फ़ोर्समेंट उपाय समयबद्ध होने चाहिए. ओडिशा में स्थिति बदलने और कंटेंट से जुड़ा हिंसा का जोखिम कम होने के बाद, Meta को वीडियो वाली पोस्ट के लिए किए गए एन्फ़ोर्समेंट उपायों का फिर से आकलन करना चाहिए और पॉलिसी से जुड़ी अपनी छूट का सामान्य उपयोग करना चाहिए. भविष्य में, बोर्ड ऐसे तरीकों का स्वागत करेगा जो संपूर्ण एन्फ़ोर्समेंट के ऐसे उपायों को उस समय और बढ़े हुए जोखिम वाले भौगोलिक इलाकों तक सीमित करते हों. ऐसे उपाय, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अनुपातहीन असर डाले बिना नुकसान के जोखिम का बेहतर समाधान करेंगे.
बोर्ड के कुछ सदस्यों का मानना है कि उकसावे की घटना दिखाने वाले ऐसे वीडियो को शामिल करने वाली सभी पोस्ट को हटाने का Meta का फ़ैसला, चाहे पोस्ट उसकी जागरूकता फैलाने या निंदा से जुड़ी छूट पाने के योग्य हों, एक उचित जवाब नहीं था और उससे अभिव्यक्ति पर बेवजह प्रतिबंध लगा.
इस केस में शामिल कंटेंट, पॉलिसी से जुड़ी किसी भी छूट के तहत नहीं आता था, लेकिन बोर्ड ने नोट किया कि हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत “जागरूकता फैलाने” से जुड़ी छूट, पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में अभी भी उपलब्ध नहीं है. इस तरह, यूज़र्स को अभी भी इस बात की जानकारी नहीं है कि अगर निंदा करने या जागरूकता फैलाने के लिए शेयर किया जाता है, तो अन्यथा उल्लंघन करने वाले कंटेंट को भी परमिशन दी जाती है. इस कारण यूज़र्स, Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर जनहित से जुड़ी चर्चाओं में भाग लेने से दूरी बना सकते हैं.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के कंटेंट को हटाने के फ़ैसले को कायम रखा है.
बोर्ड ने पिछले केसों में दिए गए सुझावों को दोहराते हुए कहा कि Meta:
- यह सुनिश्चित करे कि हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में ऐसे कंटेंट को परमिशन दी जाए जिसमें “किसी कार्रवाई के संभावित परिणाम के तटस्थ संदर्भ या परामर्शी चेतावनी” हो और जो कंटेंट “हिंसक धमकियों की निंदा करता हो या उनके खिलाफ़ जागरूकता फैलाता हो.”
- यूज़र्स को ज़्यादा स्पष्टता दे और कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लैंडिंग पेज में यह समझाए, उसी तरह से जैसे कंपनी ने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के मामले में किया है, कि कम्युनिटी स्टैंडर्ड से छूट तब दी जा सकती है जब उन्हें बनाने के कारण और Meta की वैल्यू के अनुसार परिणाम, नियमों के कठोरता से पालन के बजाय कुछ और होना चाहिए. बोर्ड ने Meta को पहले दिए गए सुझाव को दोहराते हुए यह भी कहा कि वह उस ट्रांसपेरेंसी सेंटर पेज का लिंक शामिल करे जहाँ “पॉलिसी का भावना” से जुड़ी छूट के बारे में जानकारी दी गई हो.
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