पलट जाना
ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस मूल फ़ैसले को पलट दिया जिसमें उसने ईरान सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन से जुड़ी एक Facebook पोस्ट को हटा दिया था क्योंकि उसमें "marg bar Khameniei" स्लोगन था.
केस का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस मूल फ़ैसले को पलट दिया जिसमें उसने ईरान सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन से जुड़ी एक Facebook पोस्ट को हटा दिया था जिसमें “marg bar... Khamenei” स्लोगन था. इस स्लोगन का शाब्दिक अर्थ है “खामेनेई को मौत दो” लेकिन राजनीतिक अलंकारिक भाषा में इसका मतलब अक्सर “खामेनेई को हटाओ” होता है. बोर्ड ने ईरान जैसी महत्वपूर्ण स्थितियों में राजनीति से जुड़ी अभिव्यक्ति की बेहतर सुरक्षा के लिए सुझाव दिए हैं, जहाँ ऐतिहासिक, व्यापक, विरोध प्रदर्शनों को हिंसक रूप से कुचला जा रहा है. इसमें ईरान में विरोध प्रदर्शनों के दौरान “marg bar Khamenei” के सामान्य उपयोग की परमिशन देना शामिल है.
केस की जानकारी
जुलाई 2022 में, एक Facebook यूज़र ने ऐसे पब्लिक ग्रुप में कंटेंट पोस्ट किया, जो ख़ुद को ईरान की आजादी का समर्थक बताता है. पोस्ट में ईरान के प्रमुख नेता अयातुल्ला खामेनेई का एक कार्टून है जिसमें उसकी दाढ़ी को एक मुट्ठी के रूप में दिखाया गया है और मुट्ठी में हिजाब पहनी एक महिला कैद है. महिला की आँखों पर पट्टी बँधी हुई है और उसके पैरों में बेड़ियाँ लगी हैं. फ़ारसी में नीचे दिए कैप्शन में कहा गया है कि “marg bar (मौत दो)” "anti-women Islamic government (महिला विरोधी इस्लामी सरकार को)" और “marg bar (मौत दो)” उसके "filthy leader Khamenei (कुत्सित नेता खामेनेई को)."
“marg bar” का शाब्दिक अनुवाद है “मौत दो.” हालाँकि, अलंकारिक भाषा में इसका मतलब “हटाओ” भी होता है. “marg bar Khamenei” स्लोगन का उपयोग पिछले पाँच वर्षों के दौरान ईरान में विरोध प्रदर्शनों के दौरान अक्सर होता रहा है जिसमें 2022 के विरोध प्रदर्शन शामिल हैं. इस केस में शामिल कंटेंट को ईरान के “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” के कुछ दिन पहले पोस्ट किया गया था. इस दिन के आसपास इसके आलोचक, सरकार के खिलाफ़ बार-बार विरोध प्रदर्शन आयोजित करते हैं, जिसमें ईरान के अनिवार्य हिजाब कानूनों के खिलाफ़ प्रदर्शन शामिल हैं. सितंबर 2022 में, ईरान में पुलिस की कस्टडी में जीना महसा अमीनी की मृत्यु हो गई थी जिसे “ठीक से हिजाब न पहनने” के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. उसकी मौत के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए जिन्हें सरकार द्वारा हिंसक तरीके से कुचला गया. इस केस में बोर्ड द्वारा विचार-विमर्श करके फ़ैसला करते समय यह स्थिति जारी थी.
एक यूज़र द्वारा पोस्ट की रिपोर्ट किए जाने के बाद, एक मॉडरेटर ने पाया कि उसने Meta के हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है. उसने पोस्ट हटा दी, उसपर एक “स्ट्राइक” लगाई और लेखक के अकाउंट पर दो “फ़ीचर प्रतिबंध” लगाए. फ़ीचर प्रतिबंध ने क्रमश: सात और 30 दिनों के लिए कंटेंट बनाने और ग्रुप से एंगेज होने से रोक दिया. पोस्ट के लेखक ने Meta से अपील की, लेकिन कंपनी के ऑटोमेटेड सिस्टम ने बिना रिव्यू किए केस बंद कर दिया. उन्होंने फिर बोर्ड के सामने अपनी अपील पेश की.
बोर्ड द्वारा केस चुने जाने के बाद, Meta ने अपने फ़ैसले को रिव्यू किया. उसने यह फ़ैसला कायम रखा कि कंटेंट, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है, लेकिन उसने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देते हुए पोस्ट को रीस्टोर कर दिया. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट ऐसे कंटेंट को बने रहने की परमिशन देती है जो अन्यथा उल्लंघन करने वाला होता है लेकिन जिसकी जनहित वैल्यू, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि इस पोस्ट को हटाना, Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड, उसकी वैल्यू या उसकी मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुसार नहीं था.
बोर्ड ने पाया कि यह पोस्ट, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करती है जो ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित करता है जिनसे मृत्यु या बहुत गंभीर हिंसा हो सकती है. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देना इसलिए ज़रूरी था. पोस्ट और ईरान में व्यापक सामाजिक, राजनीतिक और भाषाई स्थिति के संदर्भ में, “marg bar Khamenei” को “हटाने” के संबंध में समझा जाना चाहिए. यह एक अलंकारिक, राजनीतिक स्लोगन है, न कि भरोसा करने लायक धमकी.
बोर्ड ने “मौत” के आह्वान वाले स्लोगन का आकलन करते समय संदर्भ के महत्व पर ज़ोर दिया और पाया कि उसके उपयोग के बारे में कोई वैश्विक नियम बना पाना असंभव है. उदाहरण के लिए, “marg bar Salman Rushdie” की तुलना “marg bar Khamenei” से नहीं की जा सकती क्योंकि रश्दी के खिलाफ़ फतवा जारी किया गया है और हाल ही में उनपर जानलेवा हमले हुए हैं. न ही वॉशिंगटन डी.सी. में 6 जनवरी के दंगों जैसी घटनाओं में उपयोग हुए “मौत दो” कथनों से इसकी तुलना की जा सकती है क्योंकि वहाँ राजनेताओं को स्पष्ट रूप से खतरा था और अंग्रेज़ी में “मौत दो” कथनों का उपयोग राजनीतिक अलंकारिक भाषा के रूप में नहीं किया जाता, जैसा कि अन्य भाषाओं में होता है.
मॉडरेटर्स के लिए Meta की पॉलिसी और मार्गदर्शन में भाषा और संदर्भ की केंद्रीयता को दर्शाया जाना चाहिए. यह ख़ास तौर पर राष्ट्र प्रमुख को दी गई धमकियों का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है जो विधिसम्मत रूप से आलोचना और विरोध का विषय होते हैं.
ईरान के संदर्भ में, बोर्ड ने पाया कि Meta को अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करने के लिए और प्रयास करने चाहिए और अलंकारिक धमकियों के उपयोग को परमिशन देनी चाहिए. ईरान सरकार जान-बूझकर अभिव्यक्ति की आज़ादी का दमन करती है और इसलिए डिजिटल स्पेस विरोध व्यक्त करने का मुख्य फ़ोरम बन गया है. ऐसी स्थितियों में, यह महत्वपूर्ण है कि Meta, यूज़र्स की आवाज़ का समर्थन करे. यह देखते हुए कि “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” पास आ रहा था, Meta को ईरान के विरोध प्रदर्शन से जुड़े कंटेंट को ज़रूरत से ज़्यादा हटाने से जुड़ी समस्याओं का अनुमान लगा लेना चाहिए था और उसका पर्याप्त जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए था. उदाहरण के लिए, “बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले” रिव्यूअर्स को यह निर्देश देकर कि वे “marg bar Khamenei” स्लोगन वाले कंटेंट को न हटाए.
जैसा कि इस केस से पता चलता है, ऐसा कर पाने में उसकी विफलता के कारण ऐसी राजनीतिक आवाज़ें दब गईं जिनका लक्ष्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना था. इमसें फ़ीचर से जुड़े प्रतिबंध लगाने के कारण ऐसा होना शामिल है जिससे लोग सामाजिक आंदोलन और राजनीतिक चर्चाएँ करने से दूर हो सकते हैं. बोर्ड को सबमिट किए गए सार्वजनिक कमेंट से पता चलता है कि “marg bar Khamenei” का उपयोग ईरान में हालिया विरोध प्रदर्शनों में व्यापक रूप से किया गया है. बोर्ड द्वारा स्वतंत्र रूप से करवाई गए रिसर्च से भी यही पता चलता है. इनमें से कई पोस्ट को ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट दिए बिना ही हटा दिया गया होगा. इस छूट का उपयोग Meta बहुत कम करता है (इस वर्ष जून 2022 तक पूरी दुनिया में इसका उपयोग सिर्फ़ 68 बार किया गया).
बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta, अपीलों को अपने आप बंद कर रहा है और यह कि ऐसा करने के लिए वह जिस सिस्टम का उपयोग करता है, वह महत्वपूर्ण केसों को पहचानने में विफल है. उसने सुझाव दिया कि कंपनी, विरोध प्रदर्शनों के दौरान, और अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक संदर्भों में, अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करने के लिए अपने एक्शन में सुधार करे.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने संबंधित पोस्ट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को पलट दिया.
बोर्ड ने Meta को सुझाव भी दिया कि वह:
- हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में संशोधन करे ताकि वह उसकी पॉलिसी को ज़्यादा सटीकता से प्रदर्शित करे. इसमें उन शर्तों की जानकारी देना शामिल है जिनका उपयोग वह यह तय करने के लिए करता है कि राष्ट्र प्रमुखों के खिलाफ़ अलंकारिक धमकियों की परमिशन कब दी जा सकती है. इन शर्तों को ऐसी अभिव्यक्ति की रक्षा करनी चाहिए जो अलंकारिक राजनीतिक भाषा है, विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में उपयोग की गई है और जिससे हिंसा को बढ़ावा नहीं मिलता. ऐसा करते समय भाषा और संदर्भ पर विचार किया जाना चाहिए.
- हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में बदलाव करके अपने रिव्यूअर्स को यह मार्गदर्शन दे कि ईरान में विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में “marg bar Khamenei” का उपयोग, पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता.
- जब विरोध प्रदर्शन के दौरान संभावित रूप से उल्लंघन करने वाले कंटेंट का उपयोग किया जाता है, तो ऐसी स्थितियों में बड़े पैमाने पर छूट देने की ओर झुकाव रखना चाहिए जहाँ कंटेंट जनहित में हो और उससे हिंसा होने की संभावना न हो.
- उन संकेतकों में सुधार करे जिनका उपयोग वह रिव्यू के लिए अपीलों को रैंक करने में और रिव्यू के बिना अपीलों को बंद करने में करता है ताकि जनहित की अभिव्यक्ति को पहचानने में मदद मिले, ख़ास तौर पर जो विरोध प्रदर्शन से संबंधित हों.
- “बड़े पैमाने पर” दी जाने वाली सभी छूट, उनकी अवधि और उनकी समयसीमा समाप्त होने के नोटिस अनाउंस करे.
- अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में “ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट” की विस्तार से जानकारी दे जिसमें यह तय करने वाली शर्तें शामिल हैं कि छूट को “स्केल” करना है या नहीं.
- अपीलों को अपने आप प्राथमिकता देने और बंद करने की अपनी प्रोसेस सार्वजनिक रूप से समझाए जिसमें ऐसा करने के लिए उसके द्वारा उपयोग की जाने वाली शर्तें शामिल हों.
* केस के सारांश से केस का ओवरव्यू पता चलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. फ़ैसले का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस मूल फ़ैसले को बदल दिया जिसमें उसने ईरान सरकार के मानवाधिकार रिकॉर्ड और हिजाब (सिर ढँकने का कपड़ा) को अनिवार्य बनाने के उसके कानूनों के खिलाफ़ की गई एक Facebook पोस्ट को हटा दिया था. पोस्ट में देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई का कैरिकेचर है जिसका साथ में लिखा है “marg bar [...] Khamenei” जो विरोध प्रदर्शन के समय कहा जाता है और जिसका शाब्दिक अर्थ “खामेनेई को मौत दो” है लेकिन इसका उपयोग ईरान में अक्सर राजनीतिक अभिव्यक्ति में किया जाता है जिसे “खामेनेई को हटाओ” के रूप में भी समझा जा सकता है. बोर्ड ने पाया कि कंटेंट ने हिंसा और उकसावे की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया. जीना महसा अमीनी की हत्या के बाद पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन हुए जिन्हें ईरान की सरकार ने हिंसक तरीके से दबाया. इस समय बोर्ड इस केस पर विचार-विमर्श कर रहा था.
जब Meta को इस बात की जानकारी मिली कि बोर्ड ने इस केस को चुना है, तो उसने अपना फ़ैसला पलट दिया. कंपनी इस बात पर कायम रही कि कंटेंट, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है, लेकिन उसने “ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट” देते हुए पोस्ट को रीस्टोर कर दिया.
इस केस से Meta की हिंसा और उकसावे की पॉलिसी और “ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट” देने पर गंभीर चिंताएँ खड़ी होती हैं. इससे ये चिंताएँ भी उत्पन्न होती हैं कि Meta की पॉलिसी किस तरह ईरान और अन्य जगहों पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और महिलाओं के अधिकारों पर असर डाल सकती हैं. बोर्ड ने पाया कि Meta ने इस केस में अपनी मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों का पालन नहीं किया, ख़ास तौर पर उन गड़बड़ियों को रोकने में जो विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर असर डालती हैं. बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta अपने हिंसा और उकसावे के स्टैंडर्ड, मॉडरेटर्स के लिए अपनी आंतरिक क्रियान्वयन गाइडलाइन और ख़बरों में रहने लायक कंटेंट के बारे में अपने नज़रिए का रिव्यू करे ताकि विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा की जा सके.
2. केस का वर्णन और बैकग्राउंड
जुलाई 2022 के मध्य में, एक व्यक्ति ने एक सार्वजनिक Facebook ग्रुप, जो ख़ुद को ईरान की आज़ादी का समर्थक बताता है, में एक पोस्ट की जिसमें ईरान की सरकार और ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई की आलोचना की गई थी, ख़ास तौर पर महिलाओं के लेकर उनके व्यवहार के कारण जिसमें ईरान के कठोर और अनिवार्य हिजाब कानून शामिल हैं. पोस्ट ईरान के “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” के कुछ दिन पहले की गई थी. सरकार इस दिन को हिजाब की अनिवार्यता के जश्न के रूप में मनाना चाहती है, लेकिन आलोचकों ने इसका उपयोग ईरान में हिजाब की अनिवार्यता और सरकार के अन्य व्यापक दुर्व्यवहारों के खिलाफ़ प्रदर्शन करने के लिए किया है जिनमें ऑनलाइन प्रदर्शन भी शामिल हैं.
पोस्ट में अयातुल्ला खामेनेई का एक कार्टून है जिसमें उसकी दाढ़ी को एक मुट्ठी के रूप में दिखाया गया है और मुट्ठी में हिजाब पहनी एक महिला कैद है. महिला की आँखों पर पट्टी बँधी हुई है और उसके पैरों में बेड़ियाँ लगी हैं. कैरिकेचर के आगे एक टेक्स्ट बबल में लिखा है कि महिला होना हराम है. नीचे फ़ारसी में लिखे कैप्शन में कहा किया है कि “marg bar hukumat-e zed-e zan-e eslami va rahbar-e kasifesh Khamenei.” शब्द “marg bar” का शाब्दिक अर्थ “मौत दो” है. कैप्शन में "महिला विरोधी इस्लामी सरकार" को और इसके "कुत्सित नेता ख़ामेनेई" को “मारने” का आह्वान किया गया है. हालाँकि, कुछ संदर्भों में “marg bar” का अलंकारिक अर्थ “हटाना” से ज़्यादा जुड़ा है. पोस्ट में भी इस्लामी गणतंत्र को इतिहास का सबसे बुरा तानशाह कहा गया है, जिसका एक कारण महिलाओं के पहनावे पर प्रतिबंध लगाना है. इसमें ईरान की महिलाओं से यह भी कहा गया है कि वे महिलाओं के उत्पीड़न में सहयोग नहीं दें.
जिस दिन यह कंटेंट पोस्ट किया गया था, उसी दिन Facebook पर मौजूद एक अन्य व्यक्ति ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कारण इसकी रिपोर्ट की. बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले Meta के एक रिव्यूअर ने पाया कि यह पोस्ट, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करती है जो ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित करता है जिनसे मृत्यु या अन्य लोगों के खिलाफ़ बहुत गंभीर हिंसा हो सकती है. Meta ने कंटेंट को हटा दिया जिसके कारण पोस्ट के लेखक को स्ट्राइक मिली. स्ट्राइक के कारण अकाउंट पर 30 दिन और सात दिन के प्रतिबंध लगा दिए गए जिन्हें “फ़ीचर प्रतिबंध” कहा जाता है. फ़ीचर प्रतिबंधों की प्रकृति और अवधि अलग-अलग होती है, लेकिन उन्हें सामान्य तौर पर दंडात्मक और निरोधक उपायों के रूप में समझा जा सकता है. ये उपाय लोगों को ख़ुद को व्यक्त करने के लिए प्लेटफ़ॉर्म का नियमित उपयोग करने से रोकते हैं. 30 दिन के फ़ीचर प्रतिबंध ने कंटेंट के लेखक को ग्रुप में पोस्ट या कमेंट करने, ग्रुप में नए मेंबर्स को आमंत्रित करने या नए ग्रुप बनाने से रोक दिया. सात दिन के प्रतिबंध ने उन्हें Messenger ऐप को छोड़कर Facebook पर किसी भी जगह नया कंटेंट बनाने से रोक दिया. जब उनका कंटेंट हटाया गया, तो लेखक को नोटिफ़िकेशन के ज़रिए सात दिन के प्रतिबंध की जानकारी दी गई, लेकिन ग्रुप संबंधी 30 दिन के फ़ीचर प्रतिबंध के बारे में उन्हें कोई नोटिफ़िकेशन नहीं मिला.
Meta द्वारा कंटेंट हटाए जाने के कुछ घंटे बाद पोस्ट के लेखक ने फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की. Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम ने अपील को प्राथमिकता नहीं दी और बाद में बिना रिव्यू के उसे बंद कर दिया गया. यूज़र को नोटिफ़िकेशन मिला कि उनकी अपील का रिव्यू नहीं किया जा सका क्योंकि COVID-19 के परिणामस्वरूप रिव्यू की क्षमता कम हो गई थी. यहाँ पर उन्होंने कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसले की अपील ओवरसाइट बोर्ड को की.
बोर्ड द्वारा इस केस को चुनने की सूचना मिलने के बाद, Meta ने पाया किया कि कंटेंट को हटाने का उसका पिछला फ़ैसला गलत था. उसने पाया कि पोस्ट भले ही हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करती है, वह ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देते हुए कंटेंट को रीस्टोर कर देगा. इससे ऐसे कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन मिलती है जो अन्यथा Meta की पॉलिसी उल्लंघन करता है लेकिन जिसकी जनहित वैल्यू, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है. कंटेंट को उसे पहली बार पोस्ट किए जाने के एक माह से ज़्यादा समय बाद अगस्त में रीस्टोर कर दिया गया, लेकिन “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” निकल जाने के बाद. Meta ने व्यक्ति के अकाउंट पर लगी स्ट्राइक वापस ले ली, लेकिन अकाउंट पर लगे प्रतिबंध वापस नहीं लिए जा सके, क्योंकि वे अपनी अवधि पूरी कर चुके थे.
सितंबर में, ईरान सरकार के मोरालिटी पुलिस ने “ठीक से हिजाब न पहनने” के कारण एक 22 वर्षीय लड़की जीना महसा अमीनी को गिरफ़्तार किया. कैद में स्वास्थ्य बिगड़ने के कुछ ही समय बाद अमीनी कोमा में चली गई और तीन दिन बाद कैद में ही उसकी मौत हो गई. सरकार की कैद में हुई उसकी मौत के कारण पूरे देश में शांतिपूर्ण रूप से व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए जिन्हें ईरान सरकार द्वारा अत्यंत हिंसक रूप से कुचला गया. इस केस में बोर्ड द्वारा विचार-विमर्श करके फ़ैसला करते समय यह स्थिति जारी थी.
संयुक्त राष्ट्र ने इस बारे में चिंता व्यक्त की है कि ईरान के सुरक्षा बल, शांतिपूर्ण रूप से विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों पर गैर-कानूनी बलप्रयोग कर रहे हैं जिसमें बच्चों सहित कई लोग मारे जा रहे और घायल हो रहे हैं. साथ ही सरकार मनमाने ढंग से प्रदर्शनकारियों को कैद कर रही है और इंटरनेट पर पाबंदी लगा रही है. संयुक्त राष्ट्र ने पकड़े गए प्रदर्शनकारियों को छोड़ने की बार-बार गुहार की और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने स्थिति को समझने के लिए 24 नवंबर को एक विशेष सत्र का आयोजन किया. उस सेशन में स्वीकार किए गए संकल्प ( A/HRC/Res/S-35/1) में “इंटरनेट पर पाबंदी और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को ब्लॉक करने सहित कम्युनिकेशन पर लगाए गए प्रतिबंधों, जो मानवाधिकारों के उपयोग को कमज़ोर करते हैं, की रिपोर्ट” पर “गंभीर चिंता” व्यक्त की गई. उसमें ईरान सरकार से कहा गया कि वह सार्वजनिक और निजी जीवन में महिलाओं पर लड़कियों से सभी तरह के भेदभाव और हिंसा समाप्त करे, अभिव्यक्ति की आज़ादी दे और इंटरनेट की एक्सेस को पूरी तरह रीस्टोर करे. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति ने 16 सितंबर को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के संबंध में ईरान में मानवाधिकारों के कथित हनन की जाँच करने के लिए एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय फ़ैक्ट-फ़ाइंडिंग मिशन की स्थापना भी की.
सार्वजनिक कमेंट और बोर्ड द्वारा परामर्श किए गए विशेषज्ञों ने कन्फ़र्म किया कि “marg bar Khamanei” स्लोगन का उपयोग इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ऑनलाइन माध्यम से व्यापक रूप से किया जा रहा था और यह कि उसका उपयोग ईरान में 2017, 2018, 2019 और 2021 में सामान्य तौर पर हुआ था. सार्वजनिक कमेंट से अक्सर लोगों की यह भावना पता चलती है कि Meta, विरोध प्रदर्शनों के दौरान फ़ारसी भाषा के खिलाफ़ अपनी पॉलिसी का ज़रूरत से ज़्यादा उपयोग करता है, जिसमें हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शन भी शामिल हैं जिनका नेतृत्व मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों ने किया था. ये भावनाएँ प्लेटफ़ॉर्म डेटा के बारे में Memetica द्वारा की गई रिसर्च, जिसे बोर्ड ने कमीशन किया था, से भी पता चलती हैं. इस रिसर्च से पता चला कि 1 जुलाई से अक्टूबर 31 तक, 400 सार्वजनिक Facebook पोस्ट और 1,046 सार्वजनिक Instagram पोस्ट में #MetaBlocksIranProtests हैशटैग का उपयोग किया गया था.
ईरान में लोग लिंग समानता और हिजाब की अनिवार्यता के खिलाफ़ कम से कम 1979 की क्रांति के समय से विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं. ईरान की इस्लामी आचार संहिता में ऐसी महिलाओं को जेल या अर्थदंड की सज़ा दी जाती है जो सार्वजनिक स्थानों पर “ठीक से हिजाब” पहनकर नहीं आतीं. ईरान में महिलाओं को कई तरह की शिक्षा प्राप्त करने, कई सार्वजनिक स्थानों पर जाने, गाने और नाचने वगैरह की मनाही है. पुरुषों को घर का मुखिया माना जाता है और महिलाओं को काम करने, शादी करने या यात्रा करने के लिए अपने पिता या पति की परमिशन लेनी पड़ती है. अदालत में महिला की गवाही का प्रभाव, किसी पुरुष की गवाही से आधा माना जाता है जिससे महिलाओं की न्याय तक पहुँच सीमित हो जाती है.
ईरान की सरकार, अभिव्यक्ति की आज़ादी का योजनाबद्ध रूप से दमन करती है. ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म असहमति जताने का मुख्य फ़ोरम बन गए हैं, इसलिए सरकार ने वहाँ पर चर्चाओं पर लगाम लगाने के अत्यंत कठोर उपाय किए हैं. मानवाधिकारों की हिमायत करना एक सामान्य टार्गेट है, ख़ास तौर पर जहाँ महिलाओं के अधिकारों की हिमायत की जाती है, राजनीतिक असहमति जताई जाती है, कलात्मक अभिव्यक्ति की जाती है और जहाँ सरकार द्वारा मानवाधिकार हनन के लिए सरकार को ज़िम्मेदार बताया जाता है. ईरान ने Facebook, Twitter और Telegram को 2009 से ही बैन कर रखा है. ईरान सरकार ने सितंबर 2022 में अमीनी की मौत पर विरोध प्रदर्शन के दौरान Instagram और WhatsApp की एक्सेस भी ब्लॉक कर दी. Open Observatory of Network Interference ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान ईरान के विभिन्न भागों में सेंसरशिप और इंटरनेट शटडाउन के नए रूप डॉक्यूमेंट किए. रिपोर्ट्स के अनुसार सितंबर 2022 के दौरान वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) (ऐसे टूल को कम्युनिकेशन को एन्क्रिप्ट करते हैं और जिनका उपयोग सेंसरशिप से बचने के लिए किया जा सकता है) का उपयोग 2000% से ज़्यादा बढ़ गया. बोर्ड को प्राप्त सार्वजनिक कमेंट में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म उन कुछ टूल्स में से एक है जहाँ लोग अपनी भावनाएँ बिना किसी रोकटोक के व्यक्त कर सकते हैं. यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ईरान सरकार ने पारंपरिक मीडिया पर कठोर नियंत्रण कर रखा है. ऑनलाइन अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने की सरकार की उन्नत क्षमताएँ, सोशल मीडिया की जीवनरेखा को ख़ास तौर पर अनिश्चित बनाती हैं. सोशल मीडिया यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि ईरान में लोग अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें, ख़ास तौर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान.
3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप
बोर्ड को उस व्यक्ति के अपील करने के बाद Meta के फ़ैसले का रिव्यू करने का अधिकार है, जिसका कंटेंट हटा दिया गया था (चार्टर आर्टिकल 2, सेक्शन 1; उपनियम आर्टिकल 3, सेक्शन 1). बोर्ड Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर अपने फ़ैसले को लागू करने की संभावना का भी आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाहों के साथ पॉलिसी से जुड़े सुझाव हो सकते हैं, जिन पर Meta को जवाब देना होगा (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; आर्टिकल 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है.
जब बोर्ड इस तरह के केस चुनता है, जहाँ Meta बाद में अपने शुरुआती फ़ैसले में बदलाव करता है, तो बोर्ड अपने रिव्यू में उस फ़ैसले पर फ़ोकस करता है जिसे लेकर उसे अपील की गई थी. इस केस में, Meta ने माना कि उसके शुरुआती फ़ैसले का परिणाम गलत था और उसने अपना फ़ैसला पलट दिया, लेकिन बोर्ड ने देखा कि यह बदलाव ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देते हुए किया गया था, जो ऐसे एन्फ़ोर्समेंट विकल्पों में से एक है जो सिर्फ़ Meta की आंतरिक पॉलिसी टीमों को ही उपलब्ध है और बड़े पैमाने पर काम करने वाले कंटेंट मॉडरेटर्स को उसकी एक्सेस नहीं है. केस “एन्फ़ोर्समेंट की गलती” नहीं था क्योंकि बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले रिव्यूअर ने उसे प्राप्त आंतरिक मार्गदर्शन के अनुसार कंटेंट को हटाया था, हालाँकि जैसा कि नीचे बताया गया है, वह मार्गदर्शन इस तरह से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कम्युनिटी स्टैंडर्ड से अलग है जो इस केस में महत्वपूर्ण है.
4. अथॉरिटी और मार्गदर्शन के सोर्स
इस केस में बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड और पुराने फ़ैसलों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया:
I. ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले
ओवरसाइट बोर्ड के कुछ सबसे प्रासंगिक पुराने फ़ैसलों में ये शामिल हैं:
- “रूसी कविता” का केस (2022-008-FB-UA): इस केस में, बोर्ड ने सुझाव दिया था कि आंतरिक एन्फ़ोर्समेंट गाइडलाइंस की जानकारी, कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लोगों को दिखाई देने वाले नियमों में प्रदर्शित होनी चाहिए.
- “न्यूज़ रिपोर्टिंग में तालिबान का उल्लेख” केस (2022-005-FB-UA): इस केस में, बोर्ड ने सुझाव दिया था कि Meta अपने स्ट्राइक सिस्टम के बारे में ज़्यादा जानकारी दे और बोर्ड ने संकट के समय लोगों पर “फ़ीचर प्रतिबंध” के असर से जुड़ी चिंताओं का समाधान किया.
- “वामपम बेल्ट” केस ( 2021-012-FB-UA): इस केस में, बोर्ड ने संदर्भ से जुड़े संकेतों के लिए पूरे कंटेंट की जाँच के महत्व पर ज़ोर दिया और कहा कि किसी वाक्यांश पर बिना संदर्भ के अलग से विचार के आधार पर पोस्ट को न हटाया जाए.
- “कोलंबिया के विरोध प्रदर्शन” केस ( 2021-010-FB-UA). इस केस में, जो सरकार विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित था, बोर्ड ने दोहराया कि Meta उस समय यूज़र्स को सूचित करे जब उनके कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देते हुए रीस्टोर किया जाए और आगे यह भी सुझाव दिया कि Meta, एस्केलेशन की स्पष्ट शर्तें बनाए और सार्वजनिक करे और संभावित रूप से ख़बरों में रहने लायक कंटेंट के रिव्यू के लिए प्रोसेस बनाए.
II. Meta की कंटेंट पॉलिसी
हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के पॉलिसी बनाने का कारण में कहा गया है कि उसका “उद्देश्य ऐसे संभावित ऑफ़लाइन नुकसान को रोकना है जो Facebook पर मौजूद कंटेंट के कारण हो सकता है" और वह यह “समझता है कि लोग आम तौर पर हल्के ढंग से धमकी देकर या हिंसा का आह्वान करके तिरस्कार या असहमति व्यक्त करते हैं.” इस पॉलिसी के तहत, Meta ऐसी धमकियों की परमिशन नहीं देता “जिनके कारण मौत (और अन्य तरह की बहुत गंभीर हिंसा) हो सकती हो” जहाँ “धमकी” को अन्य बातों के अलावा “गंभीर हिंसा के आह्वान” और “गंभीर हिंसा को सही ठहराने वाले कथन” के रूप में परिभाषित किया गया है.
बोर्ड द्वारा कंटेंट पॉलिसी का विश्लेषण, Meta की अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता, जिसे कंपनी सर्वोपरि बताती है, और सुरक्षा और गरिमा की उसकी वैल्यू के आधार पर किया गया है. अभिव्यक्ति के लिए अपनी प्रतिबद्धता की व्याख्या करते हुए Meta कहता है कि “कुछ मामलों में, हम ऐसे कंटेंट को परमिशन दे देते हैं जो वैसे तो हमारे स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं होता है लेकिन जो ख़बरों में रहने लायक और जनहित में होता है.” इसे ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट कहा जाता है, जो Meta की अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता से संबंधित है. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट, पॉलिसी का एक ऐसा सामान्य अपवाद है जो सभी कम्युनिटी स्टैंडर्ड पर लागू होता है. छूट देने के लिए, Meta एक संतुलन जाँच करता है जिसमें कंटेंट के जनहित और नुकसान के जोखिम का आकलन करता है. Meta कहता है कि वह यह आकलन करता है कि क्या कंटेंट से “लोगों के स्वास्थ्य या सुरक्षा को तात्कालिक खतरा है या क्या उससे राजनीतिक प्रक्रिया के भाग के रूप में फ़िलहाल बहस का विषय बने हुए दृष्टिकोण ज़ाहिर किए जा सकते हैं.” जनहित और नुकसान के दोनों आकलनों में देश की परिस्थितियों का ध्यान रखा जाता है जैसे क्या वहाँ कोई चुनाव या संघर्ष चल रहा है, क्या वहाँ प्रेस को आज़ादी है और क्या वहाँ Meta के प्रोडक्ट बैन हैं. Meta कहता है कि वक्ता की पहचान के आधार पर हम पहले से ही यह नहीं मान लेते हैं कि कंटेंट जनहित का होगा ही, उदाहरण के लिए किसी राजनेता के रूप में उनकी पहचान के आधार पर. Meta कहता है कि “कंटेंट के कुछ हद तक ख़बरों में रहने लायक होने पर भी हम उस स्थिति में उसे हटा देते हैं, जब उसके बने रहने से नुकसान होने का खतरा हो, जैसे कि शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय नुकसान या लोगों की सुरक्षा को सीधा खतरा.”
III. Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ
बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने स्वीकृति दी है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढाँचा तैयार करते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया. इस केस में बोर्ड ने Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण इन अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए किया:
- अभिव्यक्ति की आज़ादी: आर्टिकल 19, नागरिक और राजनीतिक अधिकार पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR); सामान्य कमेंट सं. 34, मानवाधिकार समिति, 2011; अभिव्यक्ति की आज़ादी और महिलाओं के सशक्तिकरण पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का संकल्प A/HRC/Res/23/2 (2013) और ईरान में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर A/HRC/Res/S-35/1 (2022); विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ का ख़ास रैपर्टर, रिपोर्ट: A/76/258 (2021), A/74/486 (2019), A/HRC/38/35 (2018) और A/HRC/44/49/Add.2 (2020).
- उकसावे पर प्रतिबंध: आर्टिकल 20, पैरा. 2, ICCPR; रबात एक्शन प्लान, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की रिपोर्ट: A/HRC/22/17/Add.4 (2013).
- राजनीति में भाग लेने के लिए और सार्वजनिक जीवन में लिंग के आधार पर समानता और भेदभाव न करना: अनुच्छेद 2, पैरा. 1, अनुच्छेद 25 और 26, ICCPR; अनुच्छेद 2, 7 और 15, महिलाओं के खिलाफ़ सभी तरह के भेदभाव के उन्मूलन के बारे में सम्मेलन ( CEDAW); राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन के बारे में सामान्य सुझाव सं. 23, CEDAW कमिटी, 1997.
- शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होने की आज़ादी: अनुच्छेद 21, ICCPR; सामान्य कमेंट सं. 37, मानवाधिकार समिति, 2020.
- धर्म या मान्यता की आज़ादी: अनुच्छेद 18, ICCPR; धर्म या मान्यता की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर, रिपोर्ट: A/68/290, 2013.
- व्यक्ति की सुरक्षा का अधिकार: अनुच्छेद 9, ICCPR.
- जीवन का अधिकार: अनुच्छेद 6, ICCPR.
- उपाय का अधिकार: अनुच्छेद 2, पैरा. 3, ICCPR.
5. यूज़र सबमिशन
जिस व्यक्ति ने पोस्ट लिखी थी, उसने बोर्ड को की गई अपनी अपील में कहा कि उनका इरादा इस बारे में जागरूकता फैलाना था कि ईरानी “तानाशाही” में किस तरह लोगों के साथ “दुर्व्यवहार” हो रहा है और यह कि लोगों को “इस दुर्व्यवहार की जानकारी होनी चाहिए.” उनके लिए, “Facebook का फ़ैसला अनुचित और मानवाधिकारों के खिलाफ़ है."
6. Meta के सबमिशन
Meta ने समझाया कि इस बात का आकलन करना कि किसी राष्ट्र प्रमुख को “मौत दो” वाक्यांश का उपयोग अलंकारिक अर्थों में किया गया है या भरोसा करने लायक धमकी के रूप में, बहुत मुश्किल है, ख़ास तौर पर बड़े पैमाने पर. Meta ने कहा कि इस बात पर पर्याप्त आंतरिक और बाहरी चर्चा हो चुकी है और कहा कि वह बोर्ड की इस सलाह का स्वागत करेगा कि इस मामले में कहाँ भेद किया जाए. Meta ने यह भी कहा कि वह बड़े पैमाने पर लागू करने लायक पॉलिसी ड्राफ़्ट के बारे में मार्गदर्शन का भी स्वागत करेगा.
Meta ने बोर्ड से कहा कि “खामेनेई को मौत दो” वाक्यांश ने हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया है और इसी कारण से कंटेंट को शुरुआत में हटा दिया गया था. कम्युनिटी स्टैंडर्ड, फ़रवरी 2022 से फ़ारसी में उपलब्ध हैं.
Meta के अनुसार, पॉलिसी “राष्ट्र प्रमुख की हत्या करने के आह्वान” को प्रतिबंधित करती है. यह फ़िलहाल जानलेवा हिंसा के आह्वान, जहाँ वक्ता एक्शन का अपना इरादा व्यक्त करता है (जैसे “मैं X की हत्या करने जा रहा हूँ"), जो उल्लंघन करने वाला है, को उस कंटेंट से अलग करता है जिसमें एक्शन के इरादा व्यक्त किए बिना ऐसी इच्छा या आशा की जाती है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए (जैसे "मैं उम्मीद करता हूँ कि X की मौत हो जाए" या “X को मौत दो"). इसमें दूसरी वाली बात सामान्य तौर पर उल्लंघन नहीं करती क्योंकि Meta यह मानता है कि “मौत” शब्द ख़ुद में “हिंसा का तरीका नहीं है.” Meta सामान्य तौर पर इसे “अतिशयोक्तिपूर्ण भाषा” मानता है जहाँ वक्ता का इरादा हिंसा भड़काना नहीं होता.
हालाँकि, आंतरिक मार्गदर्शन में मॉडरेटर्स से यह कहा गया है कि वे “मौत दो” वाक्यांश वाले ऐसे कथनों को हटा दें जहाँ उनका लक्ष्य कोई “अत्यधिक जोखिम वाला व्यक्ति” हो. इस मार्गदर्शन को “ज्ञात सवाल” कहा जाता है और इसमें लोगों की कैटेगरी की एक गोपनीय लिस्ट शामिल है (व्यक्तियों के नामों के बजाय) जिन्हें Meta अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्ति मानता है. वास्तव में, Meta बड़े पैमाने पर हटाने का यह काम फ़ॉर्मूले के आधार पर करता है: अगर [“मौत दो”] और [टार्गेट कोई अत्यधिक जोखिम वाला व्यक्ति है] वाक्यांश अगर साथ में दिखाई दे रहे हैं तो उस कंटेंट को हटा दिया जाएगा, भले ही अन्य संदर्भ से पता चलता हो कि अभिव्यक्ति अतिशयोक्तिपूर्ण या अलंकारिक है और इसलिए वह अन्य टार्गेट के खिलाफ़ परमिशन दी गई भाषा के समान है. “राष्ट्र प्रमुखों” को अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों के रूप में लिस्ट किया गया है और Meta ने बताया कि उनकी “सुरक्षा को संभावित जोखिम” को देखते हुए ऐसा किया गया है.
Meta ने आगे कहा कि अपनी पॉलिसी टीमों और बाहरी विशेषज्ञों से मिले फ़ीडबैक के आधार पर उसने अत्यधिक जोखिम वाले लोगों की एक लिस्ट बनाई है जिसमें सुधार चलते रहते हैं. Meta ने बोर्ड को पूरी लिस्ट उपलब्ध कराई. राष्ट्र प्रमुखों के अलावा, “अत्यधिक जोखिम” वाले व्यक्तियों के अन्य उदाहरणों में ये शामिल हैं: राष्ट्रों के पूर्व प्रमुख; राष्ट्र प्रमुख पद के उम्मीदवार और पूर्व उम्मीदवार; अगर चुने नहीं गए हैं, तो चुनावों के बाद 30 दिनों तक राष्ट्रीय और राष्ट्रीय से बड़े चुनावों के उम्मीदवार; हत्या के प्रयास के इतिहास वाले लोग; कार्यकर्ता और पत्रकार.
यह सूचना मिलने के बाद कि बोर्ड ने केस चुना है, Meta ने अपने फ़ैसले पर फिर से विचार किया और “ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट” देते हुए पोस्ट को रीस्टोर करना तय किया. भले ही Meta इस बात पर कायम रहा कि कंटेंट ने उसकी पॉलिसी का उल्लंघन किया है, पोस्ट को रीस्टोर करना एक सही कदम था क्योंकि “उसकी जनहित वैल्यू, ऑफ़लाइन नुकसान के जोखिम से ज़्यादा महत्वपूर्ण थी.” Meta ने पहले बोर्ड को बताया है कि एस्केलेट होने पर उसकी पॉलिसी टीमें किसी फ़ैसले पर पहुँचने के लिए जिस तरह के संदर्भात्मक विश्लेषण का उपयोग कर सकती हैं, वह बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले मॉडरेटर्स को उपलब्ध नहीं है. इन मॉडरेटर्स को आंतरिक मार्गदर्शन का पालन करना ज़रूरी होता है.
इस केस में, Meta ने तय किया कि उसकी जनहित वैल्यू ज़्यादा है क्योंकि पोस्ट, हिजाब की अनिवार्यता के कानूनों के बारे में सार्वजनिक बातचीत से जुड़ी थी और उसमें महिलाओं के प्रति सरकार के व्यवहार की आलोचना की गई थी. Meta ने पाया कि कार्टून की प्रकृति राजनीतिक है और यह देखते हुए कि उन लोगों के लिए दाढ़ी का धार्मिक महत्व हो सकता है जो इस्लाम को मानते हैं, उसकी फ़ोटो का उपयोग इस बात की आलोचना के लिए किया जा सकता है कि महिलाओं को कंट्रोल और उनका दमन करने के लिए धर्म का सहारा लिया जा रहा है. पोस्ट का राजनीतिक संदर्भ और समय मध्य जुलाई में आने वाले “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” को देखते हुए महत्वपूर्ण था, जब Meta के अनुसार कई लोग विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए सोशल मीडिया हैशटैग का उपयोग करेंगे. Meta ने अपने जनहित आकलन का समर्थन करने के लिए बोर्ड के सामने “कोलंबिया के विरोध प्रदर्शन” केस का उल्लेख किया और कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने और इंटरनेट शटडाउन के ईरान सरकार के इतिहास की ओर इशारा किया.
Meta ने तय किया कि कंटेंट का जनहित महत्व, ऑफ़लाइन नुकसान के जोखिम से ज़्यादा है. Meta को यह स्पष्ट था कि कंटेंट के लेखक का इरादा अयातुल्ला खामेनेई के खिलाफ़ हिंसक कार्रवाई का आह्वान करना नहीं था, बल्कि उसका उद्देश्य सरकार की “महिला विरोधी” पॉलिसी की आलोचना करना था. इस स्थिति में, Meta ने “marg bar” के अलंकारिक अर्थ “हटाओ” को ज़्यादा महत्व दिया क्योंकि ईरान में राजनीतिक अभिव्यक्ति के एक रूप में इसका बार-बार उपयोग होता रहा है. Meta के लिए कंटेंट को रीस्टोर करना, अभिव्यक्ति और सुरक्षा की उसकी वैल्यू के अनुसार था.
Meta ने बोर्ड को बताया कि ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट के लिए उसकी दो कैटेगरी हैं: “संकीर्ण” और “व्यापक.” इस केस में, Meta ने संकीर्ण छूट का उपयोग किया जिसमें कंटेंट के सिर्फ़ उस एक हिस्से को रीस्टोर किया जाता है और उसका किसी दूसरे कंटेंट पर कोई असर नहीं होता, भले ही वह इसके एकदम समान हो. इसके विपरीत, “व्यापक” छूट किसी वाक्यांश के सभी उपयोग पर लागू होती है जो अन्यथा पॉलिसी का उल्लंघन करता और इसमें वक्ता की पहचान पर ध्यान नहीं दिया जाता. सामान्य तौर पर व्यापक छूट की एक अवधि तय होती है. दोनों तरह की छूट सिर्फ़ Meta की आंतरिक पॉलिसी टीमों द्वारा दी जा सकती हैं; बड़े पैमाने पर पोस्ट का रिव्यू करने वाले कंटेंट मॉडरेटर ऐसी छूट नहीं दे सकते, लेकिन उनके पास कंटेंट को Meta की आंतरिक टीमों को एस्केलेट करने के विकल्प होते हैं.
Meta ने बताया कि उसने “खामेनेई को मौत दो” वाक्यांश के लिए ख़बरों में रहने लायक होने के कारण तीन बार व्यापक छूट दी, पहली 2019 में ईरान में ईंधन की कीमतों को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के समय, दूसरी 2021 में ईरान में चुनाव के संदर्भ में और तीसरी 2021 में पानी की कमी को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के संबंध में. हालाँकि, 2022 में हिजाब की अनिवार्यता के खिलाफ़ प्रदर्शनों के शुरू होने के समय से इन कथनों की परमिशन देने के लिए कोई व्यापक छूट नहीं दी.
Meta ने बोर्ड को बताया कि वह अब “व्यापक” छूट देने में ज़्यादा संकोच करता है और अलग-अलग केस को देखते हुए “संकीर्ण” छूट पर विचार करना पसंद करता है. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि संकट की पुरानी स्थिति में “मौत दो” कथन को कुछ समय के लिए परमिशन देने पर Meta की “सार्वजनिक आलोचना” हुई थी. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने यह स्पष्ट किया कि जब वह ख़बरों में रहने लायक होने के कारण किसी कंटेंट को छूट देता है, तो वह उस छूट का प्रकाशन नहीं करता. Meta ने यह भी स्पष्ट किया कि 12 महीनों के दौरान 5 अक्टूबर 2022 तक पूरी दुनिया में उसने ऐसे कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक होने के कारण कितनी बार व्यापक छूट दी जो हिंसा और उकसावे की पॉलिसी का अन्यथा उल्लंघन करता, लेकिन उसने इस डेटा को गोपनीय रखने की रिक्वेस्ट की क्योंकि उपलब्ध समय में उसे रिलीज़ करने के लिए सत्यापित नहीं किया जा सकता था.
बोर्ड ने Meta से पूछा कि अगर कंपनी “खामेनेई को मौत दो” कथनों को परमिशन देने के लिए ख़बरों में रहने लायक होने के कारण व्यापक छूट देती, तो कितने कंटेंट पर इसका असर पड़ता. Meta ने कहा कि हर पोस्ट का अन्य उल्लंघनों के लिए आकलन किए बिना इस बात का ठीक-ठीक निर्धारण नहीं किया जा सकता. Meta ने बोर्ड को जुलाई मध्य से लेकर अक्टूबर 2022 की शुरुआत तक हुए “खामेनेई को मौत दो” के उपयोग का डेटा उपलब्ध कराया, लेकिन उसने डेटा को गोपनीय रखने की रिक्वेस्ट की क्योंकि उपलब्ध समय में रिलीज़ के लिए उस डेटा को सत्यापित नहीं किया जा सका था.
Meta ने “marg bar Khamenei” कथनों के लिए ख़बरों में रहने लायक होने के कारण व्यापक छूट नहीं दी, लेकिन कंपनी ने जीना महसा अमीनी की हत्या के दस दिन बाद 23 सितंबर 2022 को बताया कि उसने “I will kill whoever kills my sister/brother (मैं उन सभी लोगों को मार दूँगा/दूँगी जो मेरे भाई-बहनों को मारेगा)” वाक्यांश के लिए “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट दी थी. यह व्यापक छूट उस समय भी लागू थी जब बोर्ड मौजूदा केस के बारे में सोच-विचार कर रहा था.
इस केस में, कंटेंट को उल्लंघन करने वाला ठहराए जाने के परिणामस्वरूप पोस्ट के लेखक को एक “स्ट्राइक” मिली. Meta ने बताया कि मई 2022 में, उसने यह मार्गदर्शन जारी किया कि “marg bar Khamenei” स्लोगन को हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण हटा दिया जाना चाहिए, लेकिन उसके परिणामस्वरूप स्ट्राइक नहीं दी जानी चाहिए. Meta ने बताया कि इसका उद्देश्य कुछ जनहित वैल्यू वाले कंटेंट को हटाने के असर को कम करना था, लेकिन नुकसान के जोखिम को खारिज करने और ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं था. बोर्ड द्वारा अपने फ़ैसले को अंतिम रूप देते समय भी यह प्रभावी था. Meta ने बताया कि यह मार्गदर्शन, ख़बरों में लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट से अलग है क्योंकि इससे कंटेंट को हटाने के फ़ैसले पर असर नहीं पड़ता और वह सिर्फ़ लगाई गई पेनल्टी पर लागू होता है. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने बताया कि इस केस में कंटेंट के लेखक को इस पेनल्टी से छूट का फ़ायदा नहीं मिला क्योंकि वह कंटेंट से जुड़े सिर्फ़ उन फ़ैसलों के लिए उपलब्ध है जो “एस्केलेट होने पर” आंतरिक टीमों द्वारा लिए जाते हैं. चूँकि इस केस में पोस्ट को बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले कंटेंट मॉडरेटर ने उल्लंघन करने वाला पाया था, इसलिए एक स्ट्राइक अपने आप लगा दी गई और पुरानी स्ट्राइक के संचय को ध्यान में रखते हुए संगत “फ़ीचर प्रतिबंध” लगा दिए गए. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने बताया कि यूज़र को सात दिन के फ़ीचर प्रतिबंध की सूचना दी गई थी, लेकिन उसे 30 दिन के ग्रुप से जुड़े फ़ीचर प्रतिबंध की सूचना नहीं मिली. वैसे तो यूज़र को 30 दिन के ग्रुप से जुड़े फ़ीचर प्रतिबंध के बारे में सिर्फ़ तभी पता लगेगा जब वह अपने अकाउंट के स्टेटस सेक्शन को एक्सेस करेगा या जब वह किसी ग्रुप से संबंधित प्रतिबंधित एक्शन करने की कोशिश करेगा. ओवरसाइट बोर्ड के पुराने सुझावों के जवाब में, Meta ने अपने स्ट्राइक सिस्टम और उसके कारण अकाउंट पर लगने वाली पेनल्टी के बारे में सार्वजनिक रूप से ज़्यादा जानकारी उपलब्ध कराई. इस फ़ैसले को अंतिम रूप देते समय, Meta ने बोर्ड को “न्यूज़ रिपोर्टिंग में तालिबान का उल्लेख” केस में प्राप्त सुझावों का जवाब देते हुए यह भी बताया कि वह “सिर्फ़ पढ़ी जा सकने वाली” पेनल्टी को लागू करने के लिए स्ट्राइक की सीमा भी बढ़ा देगा और अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर को इस जानकारी से अपडेट कर देगा.
Meta ने बताया कि जब कंटेंट के लेखक ने हटाने के शुरुआती फ़ैसले के खिलाफ़ अपील की, तो अपील प्राथमिकता देने की शर्तों पर खरी नहीं उतरी और उसे रिव्यू के बिना अपने आप बंद कर दिया गया. बोर्ड के सवालों के जवाब में Meta ने फ़ारसी कंटेंट के लिए अपनी रिव्यू क्षमता के बारे में ज़्यादा स्पष्टीकरण उपलब्ध कराया. Meta ने बताया कि कम्युनिटी स्टैंडर्ड उसकी वेबसाइट पर फ़रवरी 2022 से फ़ारसी में उपलब्ध हैं. Meta ने यह शेयर किया कि फ़ारसी मार्केट जैसे “अधिक जोखिम” वाले मार्केट के लिए जिन्हें उदाहरण के रूप में असली दुनिया की घटनाओं के कारण वॉल्यूम में बार-बार बढ़ोत्तरी से पहचाना जाता है या ऐसे मार्केट के लिए जहाँ “क्षमता बढ़ाने के लिए ज़्यादा समय की ज़रूरत होती है,” वह ज़रूरत से ज़्यादा कंटेंट मॉडरेशन रिसोर्स लगाता है ताकि संकट की किसी भी संभावित स्थिति से निपटा जा सके.
Meta ने अपने संशोधित फ़ैसले के समर्थन में अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए मानवाधिकार (अनुच्छेद 19, ICCPR), इकट्ठा होने की आज़ादी (अनुच्छेद 21, ICCPR) सार्वजनिक मामलों में भाग लेने के अधिकार (अनुच्छेद 25, ICCPR) का उल्लेख किया. इसी समय Meta ने यह स्वीकार किया कि हिंसा की धमकियों से दूसरे लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए उसकी हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के विधिसम्मत लक्ष्य को बड़े पैमाने पर पाने के लिए उसे “स्पष्ट रेखा” वाले नियमों की ज़रूरत है. Meta ने बोर्ड से कहा कि “इन स्पष्ट रेखा वाले नियमों के उपयोग के कारण कभी-कभी एस्केलेशन के समय ऐसी अभिव्यक्ति को भी हटा दिया जाता है जिसमें भरोसेमंद धमकी नहीं निकलती (जैसा कि इस केस में हुआ).” Meta ने बताया कि वह ऐसी राजनीतिक अभिव्यक्तियों की रक्षा के लिए अपने प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेंड की लगातार निगरानी करता है जो पॉलिसी का अन्यथा उल्लंघन करतीं और उसने पहले व्यापक छूट का ज़्यादा उपयोग किया है. कंपनी ने बोर्ड में इस बारे में राय माँगी कि उसे कब इस तरह की छूट का उपयोग करना चाहिए और ऐसा करते समय उसे किन शर्तों का ध्यान रखना चाहिए.
बोर्ड ने इस केस में Meta से 29 लिखित सवाल पूछे. सवाल इनसे जुड़े थे: बड़े पैमाने पर पॉलिसी से छूट देने की शर्तें और प्रोसेस; अपीलों को अपने आप बंद करना; विरोध प्रदर्शनों के दौरान यूज़र के अधिकारों की रक्षा करने के लिए Meta द्वारा किए गए उपाय; उन देशों में कंपनी की कंटेंट रिव्यू क्षमता जहाँ उसके प्रोडक्ट को बैन किया गया है; और ऐसी वैकल्पिक प्रोसेस या शर्तें जिनके बारे में Meta यह मानता है कि वे बड़े पैमाने पर अलंकारिक और धमकी न देने वाली राजनीतिक अभिव्यक्ति को परमिशन देती हैं. 26 सवालों के पूरी तरह जवाब दिए गए और तीन के आंशिक जवाब दिए गए. आंशिक जवाब इन सवालों के लिए दिए गए थे: फ़ारसी और अंग्रेज़ी भाषाओं के कंटेंट के लिए अपने आप बंद की गई अपीलों की तुलना करने वाला डेटा; Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर "खामेनेई को मौत दो" स्लोगन की कई रूपों में मौजूदगी और फ़ारसी में हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के एन्फ़ोर्समेंट की सटीकता दी दर.
7. पब्लिक कमेंट
इस केस के संबंध में, ओवरसाइट बोर्ड को लोगों की ओर से 162 कमेंट मिले. 13 कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशियानिया से, छह मध्य और दक्षिण एशिया से, 42 यूरोप से और 36 मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका से सबमिट किए गए थे. 65 कमेंट अमेरिका और कनाडा से सबमिट किए गए थे. सबमिशन में ये थीम शामिल की गई थीं: राजनीतिक अलंकारिक भाषा और उकसावे में अंतर; कंटेंट को मॉडरेट करते समय संदर्भ का महत्व, ख़ास तौर पर भाषा और फ़ोटो के लिए; मानवाधिकार उल्लंघनों से निपटते समय ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की सीमाएँ और अपने आप लिए जाने वाले फ़ैसलों पर ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा; और ईरान में अभिव्यक्ति की आज़ादी, मानवाधिकार, महिलाओं के अधिकार, सरकार द्वारा दमन और सोशल मीडिया पर बैन.
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8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने इस बात का परीक्षण किया कि क्या Meta की कंटेंट पॉलिसी, मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों और वैल्यू का विश्लेषण करके इस कंटेंट को रीस्टोर कर दिया जाना चाहिए.
बोर्ड ने इस केस को इसलिए चुना क्योंकि उससे यह जानने का मौका मिला कि सरकार के अधिकारियों की आलोचना का आकलन Meta किस तरह करता है और क्या कुछ देशों के राष्ट्र प्रमुखों को विशेष सुरक्षा दी जाती है या उनसे ख़ास व्यवहार किया जाता है. साथ ही इनसे महिलाओं के अधिकारों और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी की हिमायत के अन्य महत्वपूर्ण मामलों की जानकारी मिलती है. इसके अलावा, इस कंटेंट से अलंकारिक भाषा के ज़रिए राजनीतिक हस्तियों की आलोचना से जुड़ी समस्याओं की जानकारी भी मिलती है जिसे धमकीभरा समझा जा सकता है. साथ ही ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट के उपयोग की जानकारी भी मिलती है. इस केस से बोर्ड को Meta की आंतरिक प्रक्रियाओं की चर्चा करने का अवसर मिला जो निर्धारित करती हैं कि पॉलिसी से छूट कब और क्यों दी जानी चाहिए और पॉलिसी और उससे छूट किस तरह लागू की जानी चाहिए. केस मुख्य रूप से बोर्ड के चुनाव और नागरिक स्थान प्राथमिकता में आता है, लेकिन यह लिंग, Meta और सरकार, संकट और संघर्ष की स्थितियों और यूज़र्स से निष्पक्ष व्यवहार की बोर्ड की प्राथमिकताओं से भी कुछ हद तक जुड़ा है.
8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
I. कंटेंट नियम
a. हिंसा और उकसावा
बोर्ड ने यह पाया कि इस केस से जुड़ा कंटेंट हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करता है. इसलिए, Meta के लिए पोस्ट पर ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देने की ज़रूरत नहीं थी.
इस निष्कर्ष को Meta के उस विश्लेषण का समर्थन भी मिला जो उसने बोर्ड द्वारा केस चुने जाने के बाद अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करते समय किया था. पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि Meta का इरादा “ऑफ़लाइन नुकसान को रोकना” है और वह “ऐसी भाषा को हटा देता है जो गंभीर हिंसा को उकसाती या आसान बनाती है.” “पोस्ट न करें” शीर्षक के तहत कम्युनिटी स्टैंडर्ड में ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित किया गया है “जिनसे मृत्यु या बहुत गंभीर हिंसा हो सकती है.” हालाँकि, आंतरिक मार्गदर्शन यह बताता है कि किसी व्यक्ति का नाम लेकर उपयोग करने सहित किसी भी टार्गेट के खिलाफ़ सामान्य तौर पर “मौत दो” कथनों को Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर परमिशन दी गई है और इससे नियम का उल्लंघन नहीं होता, सिर्फ़ उस स्थिति को छोड़कर जब “मौत दो” कथन का टार्गेट को “अत्यधिक जोखिम वाला व्यक्ति” हो. आंतरिक मार्गदर्शन में रिव्यूअर्स को यह निर्देश दिया गया है कि वे “अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्ति” के खिलाफ़ उपयोग किए गए “मौत दो” कथन को उल्लंघन करने वाला माने, भले ही उसके अन्य संदर्भात्मक संकेत कुछ भी हों. इसके अलावा, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में लोगों को दिखाई देने वाले “पोस्ट न करें” नियमों में यह आंतरिक मार्गदर्शन प्रदर्शित है और इसके अनुसार राष्ट्र प्रमुखों सहित अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों को टार्गेट करने वाले “मौत दो” कथनों की स्पष्ट रूप से मनाही नहीं है.
कंटेंट के Meta द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि इससे ऑफ़लाइन नुकसान का बहुत कम जोखिम उत्पन्न होता है; यह कि इसका इरादा अयातुल्ला खामेनेई की हत्या का आह्वान करना नहीं थी; और यह कि “खामेनेई को मौत दो” स्लोगन का उपयोग ईरान में राजनीतिक अभिव्यक्ति के रूप में बार-बार किया गया है जिसका ज़्यादातर मतलब “खामेनेई को हटाओ” निकाला जाता है. Meta के लिए इतनी जानकारी कंटेंट को उल्लंघन नहीं करने वाला पाने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए थी और उसे इस पोस्ट और इससे मिलते-जुलते अन्य कंटेंट को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन देनी चाहिए थी. बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta ने ईरान में वर्तमान में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में “marg bar Khamenei” के बड़े पैमाने पर उपयोग की परमिशन देने के लिए कोई एक्शन नहीं लिया, इस केस के अपने इस आकलन के बावजूद कि स्लोगन से नुकसान का जोखिम नहीं है.
बोर्ड द्वारा परामर्श किए गए भाषाई विशेषज्ञों ने कन्फ़र्म किया कि “marg bar Khamenei” स्लोगन का उपयोग ईरान में राजनीतिक शासन और ईरान के सुप्रीम लीडर की आलोचना के रूप में सामान्य तौर पर किया जाता है, न कि अयातुल्ला खामेनेई की सुरक्षा को धमकी के रूप में, ख़ास तौर पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान. पोस्ट “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” के कई दिन पहले आई थी. Meta ने यह पाया है कि इस दिन के आसपास विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए ईरान में सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ जाता है.
इस संदर्भ में, स्लोगन का उपयोग एक अलंकारिक अभिव्यक्ति समझा जाना चाहिए था, अर्थात खामेनेई और ईरान सरकार को “हटाने” के संदर्भ में. इसलिए यह “मृत्यु का कारण बन सकने वाली धमकी” के नियम के अंतर्गत नहीं आता और यह टार्गेट के खिलाफ़ बहुत गंभीर हिंसा की हिमायत नहीं करता या उसका इरादा नहीं रखता. बोर्ड ने पाया कि Meta की पॉलिसी के तहत “हटाने” के कथनों की परमिशन है, भले ही टार्गेट की पहचान कुछ भी हो. यह Meta की अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता और राजनीतिक असहमति की रक्षा करने के महत्व के अनुरूप है. इसमें “जान और माल के नुकसान का कोई वास्तविक जोखिम” या “लोगों की सुरक्षा को सीधा खतरा” नहीं है, जिससे बचाने की यह पॉलिसी कोशिश करती है. इसके बजाय, यह कंटेंट स्पष्ट रूप से ऐसे कथनों की कैटेगरी में आता है जिनके द्वारा लोग “हल्के ढंग से धमकी देकर या हिंसा का आह्वान करके सामान्य तौर पर असंतोष या असहमति व्यक्त करते हैं.”
मॉडरेटर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में ऐसी धारणा बनाई गई है कि “अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों” को लेकर कहे गए “मौत दो” कथनों को हटाना ही है. यह एक राष्ट्र प्रमुख के रूप में अयातुल्ला खामेनेई पर लागू होगा. यह नियम, जो कि सार्वजनिक नहीं है, उस कंटेंट के लिए पॉलिसी बनाने के कारण के अनुरूप है जो इन व्यक्तियों को अत्यधिक जोखिम वाली कैटेगरी में रखता है. हालाँकि, इस केस में उसका एन्फ़ोर्समेंट ऐसा नहीं करता. हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि किसी ख़ास कथन की भाषा और संदर्भ पर यह तय करने से पहले विचार किया जाना चाहिए कि धमकी भरोसे लायक है या नहीं. ऐसा मौजूदा केस में नहीं हुआ क्योंकि भाषा और संदर्भ पर ध्यान दिए बिना पहले से तय धारणा का उपयोग कर लिया गया, हालाँकि बोर्ड ने यह पाया कि रिव्यूअर ने आंतरिक मार्गदर्शन के अनुसार काम किया. जैसा कि Meta ने बाद में स्वीकार किया कि पोस्ट के विभिन्न तत्व और उसे पोस्ट करने का व्यापक संदर्भ यह स्पष्ट करता है कि उसमें भरोसा करने लायक कोई धमकी नहीं थी और उसका उपयोग राजनीतिक अलंकारिक भाषा के रूप में किया गया था. “वामपम बेल्ट” केस में बोर्ड का फ़ैसला यहाँ प्रासंगिक है. उस फ़ैसले में, बोर्ड ने कहा था कि उल्लंघन करने वाला दिखाई देने वाले वाक्यांश “भारतीय को मारो” को अलग-थलग नहीं पढ़ा जाना चाहिए बल्कि उसे पूरी पोस्ट के संदर्भ में पढ़ा जाना चाहिए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसका उद्देश्य हिंसा की धमकी देना नहीं था बल्कि उसका विरोध करना था. इसी तरह से, “रूसी कविता” केस में बोर्ड ने पाया कि कविता के विभिन्न हिस्से (जैसे “फाँसीवादी को मार दो”) उल्लंघन करने वाले नहीं थे क्योंकि पोस्ट में हिंसा के चक्र की ओर ध्यान खींचने के लिए अलंकारिक भाषा का उपयोग किया गया था, हिंसा भड़काने के लिए नहीं.
आंतरिक मार्गदर्शन के मौजूदा स्वरूप को देखते हुए बोर्ड को समझ आया कि कंटेंट मॉडरेटर ने इस मामले से जुड़ा यह फ़ैसला क्यों लिया. हालाँकि, Meta को इस मार्गदर्शन को अपडेट करना चाहिए ताकि वह पॉलिसी बनाने के बताए गए कारण के ज़्यादा अनुरूप हो. बोर्ड इस बात से सहमत है कि अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों पर टार्गेट किए गए “मौत दो” या मिलती-जुलती धमकी वाले कथनों को उनकी सुरक्षा के संभावित जोखिम को देखते हुए हटा दिया जाना चाहिए. हालाँकि बोर्ड इस बात से भी सहमत है कि राष्ट्र प्रमुखों को अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्ति माना जा सकता है, लेकिन यह पूर्व धारणा Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में स्पष्ट की जानी चाहिए. इन कारणों से, बोर्ड ने यह भी पाया कि कंटेंट को हटाना अभिव्यक्ति के बारे में Meta की प्रतिबद्धता के संगत नहीं था और सुरक्षा बढ़ाने के लिए उसकी ज़रूरत नहीं थी. Meta को व्यापक मार्गदर्शन जारी करना चाहिए था जिसमें मॉडरेटर्स से यह कहा जाता कि वे विरोध प्रदर्शन के इस स्लोगन को डिफ़ॉल्ट रूप से न हटाए और उसके अनुसार बड़े पैमाने पर होने वाले रिव्यू में यह पोस्ट नहीं हटाई जाती.
b. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट
बोर्ड के आकलन से यह पता चलता है कि हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं हुआ था और इसलिए ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने की ज़रूरत नहीं थी. इस निष्कर्ष के बावजूद, बोर्ड ने पाया कि जब Meta ने इस पोस्ट को ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देना चुना, तो छूट का दायरा बढ़ाते हुए उसे सभी “marg bar Khamenei” स्लोगनों पर लागू करना चाहिए था, भले ही वक्ता कोई भी होता. ऐसा ईरान में पहले सभी व्यापक विरोध प्रदर्शनों के जवाब में किया गया था. बोर्ड की दृष्टि में, वे एक्शन इस केस में Meta के उन एक्शन के मुकाबले Meta की अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता के ज़्यादा अनुरूप थे जो अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करते समय उसने किए. कई अन्य लोग इस केस के यूज़र जैसी ही स्थिति में हैं, इसलिए ऐसी छूट को किसी एक पोस्ट तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए था. ईरान में विरोध प्रदर्शन में सोशल मीडिया के महत्व, देश में मानवाधिकारों की स्थिति और इस तथ्य को देखते हुए फ़ैसले को व्यापक रूप में लागू करना ज़रूरी था कि Meta यथोचित रूप से यह अनुमान लगा लेना चाहिए था कि यही समस्या कई बार आएगी. छूट को व्यापक रूप से लागू करने में विफल रहने के कारण महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए लक्षित राजनीतिक अभिव्यक्ति दब गई क्योंकि ऐसी अभिव्यक्तियों को हटा दिया गया जो बोर्ड के अनुसार उल्लंघन करने वाली नहीं थीं.
बोर्ड की दृष्टि में, यूक्रेन पर रूस के हमले के संबंध में “मौत दो” के अन्यथा उल्लंघन करने वाले कथनों को परमिशन देने पर हुई Meta की आलोचना के कारण Meta को विरोध प्रदर्शन के संदर्भों में व्यापक परमिशन का उपयोग करना कम नहीं करना चाहिए था. ईरान में चिंता का विषय यह है कि सरकार अपने ही नागरिकों के मानवाधिकारों का हनन कर रही है और विरोध प्रदर्शनों को कुचल रही है और जानकारी के निर्बाध आवागमन को गंभीर रूप से सीमित कर रही है. Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर हाल ही के महीनों में “marg bar Khamenei” स्लोगन का उपयोग हज़ारों बार हुआ होगा. सिर्फ़ कुछ ही पोस्ट, अगर इस केस के कंटेंट के अलावा कोई और हो तो, को ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट का फ़ायदा मिला होगा. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट को अक्सर जनहित की अभिव्यक्ति की रक्षा करने का एक साधन माना जाता है, लेकिन Meta के कामकाज के वैश्विक दायरे को देखते हुए इसका उपयोग बहुत ही कम मामलों में किया जाता है. Meta के अनुसार, ख़बरों में रहने लायक होने के कारण 1 जून 2021 से 1 जून 2022 के बीच वैश्विक रूप से सभी पॉलिसी के तहत सिर्फ़ 68 बार छूट दी गई.
बोर्ड की दृष्टि में, व्यापक विरोध प्रदर्शन के संदर्भों में Meta को व्यापक छूट देने के मामले में इतना संकोच नहीं करना चाहिए. इससे उन मामलों में अभिव्यक्ति की रक्षा करने में मदद मिलेगी जहाँ सुरक्षा का जोखिम बहुत कम है. यह ख़ास तौर पर ऐसी जगहों के लिए महत्वपूर्ण है जहाँ मानवाधिकारों का योजनाबद्ध हनन डॉक्यूमेंट किया गया है और जहाँ अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का उपयोग करने के साधन सीमित हैं, जैसा कि ईरान में है.
II. एन्फ़ोर्समेंट एक्शन
लोगों पर “फ़ीचर प्रतिबंध” लगाने का असर, विरोध प्रदर्शनों के दौरान ख़ास तौर पर गंभीर होता है. ऐसे प्रतिबंध, अभिव्यक्ति के लिए प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने की लोगों की योग्यता में लगभग पूरी तरह से रुकावट डालते हैं. वे लोगों को महत्वपूर्ण अवसरों पर सामाजिक आंदोलनों और राजनीतिक चर्चाओं में भाग लेने से रोक सकते हैं. इससे Meta के प्रोडक्ट के ज़रिए किसी एक्शन के आह्वान को गति मिलने की संभावना में कमी आती है. ऐसा लगता है कि मई 2022 में Meta ने इस बात को आंशिक रूप से समझा और उसने अपनी एस्केलेशन टीमों को यह निर्देश दिया कि “marg bar Khamenei” कथनों पर स्ट्राइक न लगाई जाए. हालाँकि, यह उपाय बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले मॉडरेटर्स द्वारा किए जाने वाले फ़ैसलों पर लागू करने के लिए लक्षित नहीं था. जब एक ही तरह के कंटेंट को बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने वाला पाया जाता है (जैसे Meta द्वारा आउटसोर्स किए गए मॉडरेटर्स द्वारा), तो पोस्ट के लेखक के अकाउंट पर अपने आप स्ट्राइक लगा दी जाती है. बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले रिव्यूअर्स के पास आम तौर पर स्ट्राइक या परिणामस्वरूप लगने वाली पेनल्टी को रोकने का कोई अधिकार नहीं होता; मई में Meta द्वारा सीमित छूट जारी किए जाते समय इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था. कंटेंट से जुड़े सिर्फ़ ऐसे फ़ैसलों में उल्लंघन करने वाले कंटेंट पर स्ट्राइक रोकने का विकल्प रहा होगा जो उसकी एस्केलेशन टीमों के पास पहुँचा था. यह ऐसे कंटेंट या अकाउंट पर लागू किया गया होगा जो क्रॉस-चेक जैसे प्रोग्राम से गुज़रे होंगे, जो यूज़र के कंटेंट को हटाए जाने से पहले एस्केलेशन के ज़रिए रिव्यू करवाने की सुविधा देते हैं. हाई प्रोफ़ाइल अकाउंट को शायद उस छूट का फ़ायदा मिला होगा, लेकिन इस केस में पोस्ट के लेखक को यह फ़ायदा नहीं मिला.
बोर्ड इस बात से भी चिंतित है कि पोस्ट के लेखक को इस बात की पूरी जानकारी नहीं दी गई कि उनपर फ़ीचर प्रतिबंध लगाए गए हैं, ख़ास तौर पर ग्रुप फ़ीचर से जुड़े प्रतिबंधों के बारे में. उन्हें पहली बार उनमें से कुछ के बारे में तब पता चला होगा जब उन्होंने प्रासंगिक फ़ीचर्स का उपयोग करने की कोशिश की होगी. इससे यूज़र्स के मन में परेशान करने वाली ऐसी भावना आती है कि उन्हें “Facebook की जेल” में डाल दिया गया है जहाँ दंड और उसके कारणों की अक्सर कोई जानकारी नहीं दी जाती. “न्यूज़ रिपोर्टिंग में तालिबान का उल्लेख” केस में भी बोर्ड ने इसी तरह की चिंताएँ व्यक्त की थीं जब एक यूज़र को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसर पर उनके अकाउंट का उपयोग करने से पूरी तरह ब्लॉक कर दिया गया था. Meta के अनुसार, उन्हें इस समस्या की जानकारी पहले से है और बोर्ड के पुराने सुझावों के अनुसार प्रासंगिक आंतरिक टीमें इस समस्या के बारे में उसके यूज़र कम्युनिकेशन इंफ़्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही हैं.
बोर्ड ने इस बात का स्वागत किया कि Meta ने “न्यूज़ रिपोर्टिंग में तालिबान का उल्लेख” केस में दिए गए सुझावों पर काम किया है और यह कि कुछ फ़ीचर प्रतिबंध लगाने से जुड़ी स्ट्राइक सीमा बढ़ाई जाएगी. Meta के एन्फ़ोर्समेंट व्यवहारों की ट्रांसपेरेंसी सेंटर व्याख्या में उन बदलावों को दर्शाना एक अच्छा कदम है.
बोर्ड ने पाया कि इस केस में शामिल पोस्ट के लेखक की अपील का रिव्यू नहीं किया गया और उसके कारण के बारे में उन्हें भ्रामक जानकारी दी गई. यह परेशान करने वाली बात है. Meta ने सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की है कि कंपनी, रिव्यू के लिए कंटेंट की प्राथमिकता तय करने के लिए ऑटोमेशन की तरफ़ बढ़ रही है. अगर अपील विभिन्न संकेतों से संबंधित तय सीमा पूरी नहीं करती है, तो उसे रिव्यू किए बिना अपने आप बंद कर दिया जाता है. इन संकेतों में ये शामिल हैं: कंटेंट का प्रकार और वायरल होना, उल्लंघन की प्रकृति अत्यधिक उच्च गंभीरता वाली है या नहीं, जैसे आत्महत्या वाला कंटेंट और कंटेंट को कितने समय पहले पोस्ट किया गया है. बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta, अपीलों को अपने आप बंद कर देता है और यह कि प्राथमिकता देने के लिए कंपनी जिन संकेतों का उपयोग कर रही है, वे जनहित की अभिव्यक्ति पर विचार करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, ख़ास तौर पर जब वह विरोध प्रदर्शन से संबंधित होती है. संकेतों में विषय की संवेदनशीलता और फ़ाल्स-पॉज़ीटिव संभावना जैसे फ़ीचर शामिल होने चाहिए ताकि इस तरह के कंटेंट को पहचाना जा सके और गलत फ़ैसलों के खिलाफ़ की गई अपीलों को अपने आप बंद होने से बचाया जा सके. यह ख़ास तौर पर ऐसे मामलों में महत्वपूर्ण है जहाँ उसकी पॉलिसी के गलत एन्फ़ोर्समेंट के कारण यूज़र्स, महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसरों पर Meta के प्रोडक्ट पर मुख्य फ़ीचर्स का उपयोग नहीं कर पाते.
III. पारदर्शिता
बोर्ड ने इस बात का स्वागत किया कि Meta, ट्रांसपेरेंसी सेंटर में ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली संकीर्ण छूट के बारे में ज़्यादा डेटा और उदाहरण दे रहा है. इन प्रकटीकरणों को ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में आगे वार्षिक रूप से कंपनी द्वारा दी जाने वाली “व्यापक” और “संकीर्ण” छूटों में बाँटा जाएगा. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली “व्यापक” छूट के उदाहरण देने से इस बारे में लोगों की समझ भी बढ़ेगी कि यूज़र की अभिव्यक्ति की रक्षा करने के लिए Meta क्या कदम उठा रहा है. ईरान के विरोध प्रदर्शनों जैसे महत्वपूर्ण समय पर, अगर Meta ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देता है, तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि लोगों को यह जानकारी हो कि उनकी अभिव्यक्ति की रक्षा की जाएगी.
8.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को हटाने का Meta का शुरुआती फ़ैसला, एक बिज़नेस के रूप में Meta की मानवाधिकार की ज़िम्मेदारियों के अनुसार नहीं था.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19, ICCPR)
ICCPR के अनुच्छेद 19 में “राजनीतिक डोमेन और सार्वजनिक संस्थानों में सार्वजनिक हस्तियों से जुड़ी सार्वजनिक चर्चाओं” के लिए “ख़ास तौर पर उच्च” सुरक्षा प्रदान की गई है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 38). ईरान में अभिव्यक्ति और इकट्ठा होने की आज़ादी पर कठोर प्रतिबंध Meta के लिए इन अधिकारों का सम्मान करना महत्वपूर्ण बनाते हैं, ख़ास तौर पर विरोध प्रदर्शन के समय में (“कोलंबिया के विरोध प्रदर्शन” केस का फ़ैसला; सामान्य कमेंट सं. 37, पैरा. 31). इस केस में अभिव्यक्ति कलात्मक और एक राजनीतिक विरोध प्रदर्शन थी. यह महिलाओं के अधिकारों और राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में उनकी भागीदारी से जुड़े संवाद और धर्म या मान्यता की आज़ादी से संबंधित थी. बोर्ड ने किसी राष्ट्र प्रमुख के विरोध की भाषा के महत्व को मान्यता दी है क्योंकि “वे आलोचना और राजनीतिक विरोध का विधिसम्मत विषय” होते हैं, भले ही इसमें आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग किया जाए (“कोलंबिया के विरोध प्रदर्शन” केस; सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11 और 38). कला के रूप में अभिव्यक्ति की आज़ादी “ऐसे कार्टूनों की रक्षा करती है जो राजनीतिक स्थितियों को स्पष्ट करते हैं” और “ऐसे मीम जो राजनीतिक हस्तियों का उपहास करते हैं” (A/HRC/44/49/Add.2, पैरा. 5).
जहाँ देश अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों के लिए वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा अनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना ज़रूरी है (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). Meta की स्वैच्छिक मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को समझने के लिए बोर्ड इस तीन भागों वाले परीक्षण का उपयोग करता है - कंटेंट से जुड़े व्यक्तिगत फ़ैसले के लिए और यह जानने के लिए कि कंटेंट गवर्नेंस के प्रति Meta के व्यापक नज़रिए के बारे में यह क्या कहता है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का मूल्यांकन करना ज़रूरी बनाता है” (A/74/486, पैरा. 41).
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार अभिव्यक्ति पर रोक लगाने वाले नियम स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने चाहिए (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). इनके अनुसार यह भी ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने वाले नियम “उन लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी को प्रतिबंधित करने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में "उन लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना चाहिए जिनपर इन्हें लागू करने ज़िम्मेदारी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं" (पूर्वोक्त). कम्युनिटी स्टैंडर्ड के संबंध में, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में कहा गया है कि उन्हें स्पष्ट और विशिष्ट होना चाहिए (A/HRC/38/35, पैरा. 46). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के लिए कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
इस बात का स्वागत किया गया कि बोर्ड के पुराने फ़ैसलों के अनुसार Meta ने अपनी कंटेंट पॉलिसी का अनुवाध फ़ारसी सहित कई भाषाओं में करवाया है.
Meta की हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के बारे में उसके आंतरिक मार्गदर्शन (जिसे “ज्ञात सवाल” कहा जाता है) में जोखिम से जुड़ी पूर्व धारणाएँ दी गई हैं जो लोगों को उपलब्ध पॉलिसी में नहीं है. कम्युनिटी स्टैंडर्ड ने आंतरिक मार्गदर्शन में यह व्याख्या नहीं दी है कि अगर “टार्गेट” कोई “अत्यधिक जोखिम वाला व्यक्ति” नहीं है, तो “X को मौत दो” भाषा वाले कथनों को सामान्य तौर पर परमिशन दी जाती है. यह एक गंभीर चिंता है कि इस छिपी हुई पूर्व धारणा में एक गैर-सार्वजनिक अपवाद भी है जो ख़ास तौर पर सरकार की ओर से काम करने वाले लोगों की विधिसम्मत राजनीतिक आलोचना वाली अभिव्यक्ति से जुड़ा है. बोर्ड ने आगे यह पाया कि सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाले कम्युनिटी स्टैंडर्ड में “अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों” का कोई उदाहरण नहीं है, इसलिए यह ज्ञात नहीं है कि राष्ट्र प्रमुखों को यह ख़ास सुरक्षा दी जाती है या नहीं. कुछ उच्च रैंक वाले सरकारी अधिकारियों को आंतरिक लिस्ट में शामिल करने और विधायिका और न्यायपालिका के मेंबर्स जैसे अन्य लोगों को शामिल न करने का कारण स्पष्ट नहीं है. साथ ही बोर्ड ने यह स्वीकार किया कि अत्यधिक जोखिम वाले टार्गेट की पूरी लिस्ट को सार्वजनिक न करने के उचित कारण हो सकते हैं, ख़ास तौर पर ऐसे लोगों की जो देश के सुरक्षा साधनों की सुरक्षा पाने का खर्च नहीं उठा सकते. हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के पॉलिसी बनाने के कारण में Meta ने कहा कि वह “भाषा और संदर्भ” का उपयोग “सार्वजनिक या निजी सुरक्षा के लिए भरोसा करने लायक खतरे” और “अनौपचारिक कथनों” के बीच अंतर करने के लिए करता है. हालाँकि, पॉलिसी के “पोस्ट न करें” सेक्शन में यह नहीं बताया गया है कि धमकी और हत्या के आह्वान या बहुत गंभीर हिंसा के आकलन में भाषा और संदर्भ का क्या महत्व है. ऐसा लगता है कि पॉलिसी बनाने के कारण में उस तरह की अलंकारिक भाषा को शामिल किया गया है जिसका उपयोग विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में किया जा सकता है, लेकिन लिखित नियमों और रिव्यूअर्स को इस संबंध में दिए जाने वाले मार्गदर्शन में यह मौजूद नहीं है. ख़ास तौर पर बड़े पैमाने पर एन्फ़ोर्समेंट का व्यावहारिक उपयोग, नियमों के बजाय फ़ॉर्मूले के आधार पर ज़्यादा होता है और इससे यूज़र्स के बीच यह गलत धारणा पनप सकती है कि नियमों को किस तरह एन्फ़ोर्स किया जाएगा. वर्तमान में रिव्यूअर्स को दिए जाने वाले मार्गदर्शन में संदर्भात्मक विश्लेषण की संभावना को शामिल नहीं किया गया है, भले ही कंटेंट में ही इस बात के स्पष्ट संकेत हों कि धमकी वाली भाषा अलंकारिक है.
हिंसा और उकसावे की पॉलिसी और Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में बदलाव किए जाने की ज़रूरत है. पॉलिसी में यह स्पष्टीकरण शामिल किया जाना चाहिए कि हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के तहत Meta, अलंकारिक धमकियों, जिसमें “अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों” को “मौत देने” वाले कथन शामिल हैं, को किस तरह मॉडरेट करता है और भाषा और संदर्भ इस आकलन में क्या भूमिका निभाते हैं कि किसी राष्ट्र प्रमुख को दी गई धमकी भरोसे लायक है या नहीं. जब किसी राजनीतिक कथन की रक्षा महत्वपूर्ण हो, तो संदर्भ पर विचार करने के लिए आंतरिक मार्गदर्शन को ख़ास तौर पर संवेदनशील होना चाहिए. उसके आंतरिक मार्गदर्शन में संबंधित पूर्व धारणाओं को अलग-अलग स्पष्ट किया जाना चाहिए और उन्हें इसके अनुरूप बनाया जाना चाहिए.
भले ही Meta ने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के बारे में सार्वजनिक रूप से ज़्यादा जानकारी दी है, लेकिन “व्यापक” छूट के सार्वजनिक स्पष्टीकरण की कमी से अभी भी भ्रम की स्थिति है. जब Meta, ईरान के विरोध प्रदर्शन जैसी घटनाओं में व्यापक छूट देता है, तो उसे इसकी सार्वजनिक घोषणा करनी चाहिए और या तो उनकी अवधि स्पष्ट करनी चाहिए या उन छूटों को हटाए जाने पर उनकी जानकारी देनी चाहिए. इससे उसके प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों को यह जानने में मदद मिलेगी कि किस अभिव्यक्ति की परमिशन है. ऐसी घोषणाएँ Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों को समय-समय पर नियमों की मौजूदगी की याद दिलाती रहती हैं ताकि लोगों में उनके प्रति जागरूकता और समझ बढ़े. यह ख़ास तौर पर तब महत्वपूर्ण है जब उन बदलावों का प्लेटफ़ॉर्म पर ख़ुद को व्यक्त करने की लोगों की योग्यता पर बड़ा असर पड़ता है.
II. वैधानिक लक्ष्य
अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंधों का उद्देश्य वैधानिक लक्ष्य प्राप्त करना ही होना चाहिए. हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उद्देश्य ऐसे कंटेंट को हटाकर “ऑफ़लाइन नुकसान की संभावना को रोकना है” जिसमें “जान और माल के नुकसान का वास्तविक जोखिम या लोगों की सुरक्षा को सीधे खतरा” होता है. इसलिए यह पॉलिसी जीने के अधिकार और व्यक्ति की सुरक्षा के अधिकार का विधिसम्मत लक्ष्य पूरा करती है (अनुच्छेद 6, ICCPR; अनुच्छेद 9 ICCPR).
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; [और] जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए" (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 34).
बोर्ड ने यह पाया कि इस कंटेंट को हटाना अयातुल्ला खामेनेई को उसमें मौजूद हिंसा या धमकी से बचाने के लिए ज़रूरी नहीं था. हिंसा की धमकियों की Meta की चिंता उचित है, जिसमें ऐसी धमकियाँ शामिल हैं जो कई संदर्भों में उच्च पदों वाले सरकारी अधिकारियों को टार्गेट करती हैं. हालाँकि, हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के तहत इस अलंकारिक कंटेंट और इस तरह के अन्य कंटेंट को परमिशन न देने का उसका फ़ैसला एक गंभीर चिंता है. “marg bar Khamenei” कथनों के लिए व्यापक छूट न देने से Meta की पॉलिसी की इस अभिव्यक्ति की सुरक्षा न करने समस्या सामने आई जो अभिव्यक्ति की आज़ादी को होने वाले नुकसान को कम करने में विफल रही.
जुलाई के मध्य में जब यह पोस्ट की गई, तब Meta को यह जानकारी थी कि “राष्ट्रीय हिजाब और शुचिता दिवस” पास आ रहा है. मई 2022 में, Meta पहले ही एस्केलेशन पर लिए गए फ़ैसलों के लिए कोई स्ट्राइक लगाए बिना “marg bar Khamenei” कथनों को हटाने का मार्गदर्शन जारी कर चुका था. Meta यह भी जानता था कि ईरान में ऐसे ही मामलों में हाल ही में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में उसके प्लेटफ़ॉर्म ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और विरोध प्रदर्शनों के आसपास “marg bar Khamenei” कथनों के लिए पहले व्यापक छूट दी गई थी. इसलिए कंपनी को ईरान में विरोध प्रदर्शन से जुड़े कंटेंट को ज़रूरत से ज़्यादा हटाने से जुड़ी समस्याओं का अनुमान लगा लेना चाहिए था और उसे एस्केलेट किए गए फ़ैसलों के लिए स्ट्राइक से दी जाने वाली बहुत ही सीमित छूट से आगे की प्रतिक्रिया की तैयारी करनी चाहिए थी. जैसा कि इस केस से पता चला, यूज़र्स की आवाज़ की रक्षा करने के अच्छे प्रयास करने में उसकी विफलता से विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी अनावश्यक रूप से प्रतिबंधित हुई. जब फ़ीचर प्रतिबंध लागू किए गए, तो उसके गलत फ़ैसलों के असर और ज़्यादा गंभीर हो गए क्योंकि उन प्रतिबंधों ने यूज़र्स को Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर संगठित होने से रोक दिया. यह तथ्य कि Meta ने ईरान में 23 सितंबर 2022 को “I will kill whoever kills my sister/brother (मैं उन सभी लोगों को मार दूँगा/दूँगी जो मेरे भाई-बहनों को मारेगा)” वाक्यांश के लिए “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट दी थी, बताता है कि Meta को इस महत्वपूर्ण समय पर विरोध प्रदर्शनों से जुड़े ज्ञात स्लोगन की भी परमिशन देनी चाहिए थी. “मौत दो” कथन उतनी प्रत्यक्ष धमकी नहीं देते जितनी “मार दूँगा” कथन देते हैं. यद्यपि इस केस में “मौत दो” वाक्यांश का टार्गेट एक ख़ास व्यक्ति अर्थात राष्ट्र प्रमुख अयातुल्ला खामेनेई है जो न्यायिक और न्यायेतर साधनों से अपने पूरे प्रतिरोधी बल का उपयोग नियमित रूप से असहमति को दबाने के लिए करता आ रहा है. यह महत्वपूर्ण है कि ऐसी स्थितियों में लोगों के अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़े अधिकारों का समर्थन करने के लिए Meta, अभिव्यक्ति की वैल्यू को प्राथमिकता दे.
ऊपर चर्चा किए गए कारण इस बात का पुरज़ोर समर्थन करते हैं कि “marg bar Khamenei” कथनों का विरोध प्रदर्शनों में उपयोग राजनीतिक स्लोगन के रूप में किया गया था और वह कोई भरोसा करने लायक धमकी नहीं थी. रबात एक्शन प्लान में बताया गया छह कारकों वाला परीक्षण इस निष्कर्ष का समर्थन करता है. वक्ता कोई सार्वजनिक हस्ती नहीं था और उन्होंने इस अलंकारिक भाषा का उपयोग जान-बूझकर नहीं किया था और अन्य लोगों द्वारा उसे हिंसक कार्रवाई करने के आह्वान के रूप में नहीं समझा जाता. जैसा कि Meta ने ख़ुद भी यह पाया कि ईरान का विरोध प्रदर्शन वाला संदर्भ ख़ास तौर पर यह स्पष्ट करता है कि इस तरह के अलंकारिक कथनों की अपेक्षा थी और उनके परिणामस्वरूप हिंसा होने की संभावना बहुत ही कम थी. बोर्ड ने पाया कि कंटेंट स्पष्ट रूप से राजनीतिक है और उसका इरादा हिंसा फैलाना नहीं है, वह मानवाधिकारों के गंभीर हनन के लिए एक सरकार और उसके लीडर्स की सीधी आलोचना करता है और भेदभाव को उचित ठहराने के लिए धर्म के दुरुपयोग की ओर ध्यान खींचता है. बोर्ड की दृष्टि में, इस कंटेंट से हिंसा फैलने का जोखिम बहुत ही कम था. इसलिए कंटेंट को हटाना और इस फ़ैसले के कारण लगी अतिरिक्त पेनल्टी आवश्यक और उचित नहीं थीं.
दूसरे संदर्भों में, सार्वजनिक हस्तियों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ़ “मौत दो” वाले कथनों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, जैसा कि मौजूदा आंतरिक मार्गदर्शन में कहा गया है. उदाहरण के लिए, “marg bar Salman Rushdie” वाला स्लोगन बहुत ज़्यादा गंभीरता वाला जोखिम प्रस्तुत करेगा. रश्दी के खिलाफ फतवा, उनपर हाल ही में हुए जानलेवा हमले और उनकी सुरक्षा से जुड़ी मौजूदा चिंताएँ मिलकर उन्हें अयातुल्ला खामेनेई से अलग स्थिति में रखती हैं. अन्य भाषाई और सांस्कृतिक संदर्भों में “मौत दो” कथन वैसा अलंकारिक अर्थ नहीं रखते जैसा “marg bar” शब्द से आता है और उनसे इस केस से जुड़े कंटेंट की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, वॉशिंगटन डी.सी. में 6 जनवरी को हुए दंगों जैसी घटनाओं के दौरान, राजनेताओं के खिलाफ उपयोग किए गए “मौत दो” कथनों को हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के तहत तत्काल हटाना होगा. ऐसी किसी स्थिति में, राजनेताओं को स्पष्ट जोखिम होता है और “मौत दो” कथनों को अंग्रेज़ी में अलंकारिक या बिना धमकी वाले समझने की संभावना बहुत कम होती है.
इसके अलावा, बोर्ड इस बात से चिंतित है कि “अत्यधिक जोखिम” वाले लोगों की लिस्ट बनाने का कारण, उसके कारण कंटेंट को हटाने की पूर्व धारणा को लेकर कुछ मामलों में अत्यधिक व्यापक नज़र आता है, लेकिन कुछ अन्य मामलों में बिना किसी स्पष्टीकरण के बहुत संकीर्ण है. राष्ट्र प्रमुख के केस में, यद्यपि बोर्ड इस बात से सहमत है कि उन्हें अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्ति माना जा सकता है, आंतरिक मार्गदर्शन में यह बताया जाना चाहिए कि विरोध प्रदर्शन से संबंधित ऐसी अलंकारिक राजनीतिक अभिव्यक्ति जिससे हिंसा नहीं भड़कती और जिसका लक्ष्य उनकी, उनकी सरकार की, राजनीतिक शासन या उनकी पॉलिसी की आलोचना करना है, की रक्षा की जानी चाहिए. यह बात उस समय भी लागू होगी जब उसमें धमकी भरे ऐसे कथन हों जिन्हें अत्यधिक जोखिम वाले अन्य व्यक्तियों के संबंध में उल्लंघन करने वाला माना जाएगा.
जब जारी विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में राष्ट्र प्रमुखों के खिलाफ अलंकारिक धमकियों का उपयोग किया जाता है, तो रिव्यअर्स के लिए यह ज़रूरी है कि वे भाषा और संदर्भ पर विचार करें जिससे मॉडरेटर्स के लिए मार्गदर्शन और पॉलिसी बनाने के कारण में एकरूपता आएगी. इससे राष्ट्र प्रमुखों के लिए उपयोग किए गए “मौत दो” कथनों सहित राष्ट्र प्रमुखों पर टार्गेट की गई अलंकारिक धमकियों की परमिशन मिलेगी, जहाँ, उदाहरण के लिए: सभी प्लेटफ़ॉर्म पर वाक्यांश का ऐतिहासिक और मौजूदा उपयोग उसके अलंकारिक राजनीतिक कथन होने का प्रमाण देता है जिसका इरादा हिंसा भड़काना नहीं है या जिससे हिंसा भड़कने की संभावना नहीं है; कंटेंट समग्र रूप से सरकारों, राजनीतिक शासनों, उनकी पॉलिसी और/या उनके लीडर्स की आलोचना करता हो; कथन का उपयोग विरोध प्रदर्शनों या संकट की ऐसी अन्य स्थितियों में किया गया हो जहाँ सरकार की भूमिका राजनीतिक बहस का एक विषय हो; या इसका उपयोग ऐसे संदर्भों में किया जाता है जहाँ अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोगों के इकट्ठा होने पर सुनियोजित प्रतिबंध लगाए जाते हैं या जहाँ असहमति को कुचल दिया जाता है.
बोर्ड यह स्वीकार करता है कि यह मुद्दा उतना सीधा नहीं है जितना यह पहली बार में दिखाई देता है और कुछ ऐसे शब्दों के उपयोग पर वैश्विक नियम बना पाना संभव नहीं है जो संदर्भात्मक कारकों पर सोच-विचार की ज़रूरत को समाप्त कर दे, जिसमें कंटेंट में ही मौजूद ऐसे संकेत शामिल हैं जिनपर बड़े पैमाने पर विचार किया जा सकता है (“वामपम बेल्ट” केस में बोर्ड का फ़ैसला देखें) . Meta की मौजूदा स्थिति ईरान के एक ऐतिहासिक मौके पर वहाँ राजनीतिक अभिव्यक्ति को ज़रूरत से ज़्यादा हटाने के कारण बन रही है और इससे मानवाधिकारों के हनन का जोखिम कम होने के बजाय संभावित रूप से बढ़ रहा है. बोर्ड की दृष्टि में, इस स्थिति में Meta को जितनी बार छूट का सहारा लेना पड़ा, उससे पता चलता है कि इस समस्या के ज़्यादा स्थायी समाधान की ज़रूरत है. छूट पर निर्भरता अत्यधिक स्वैच्छिक है और इससे यह आश्वासन नहीं मिलता कि लोगों के अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा की जाएगी. ईरान और अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक संदर्भों और स्थितियों के संबंध में Meta को बड़े पैमाने पर अभिव्यक्ति की रक्षा करने की ज़रूरत है.
इस कंटेंट को हटाने से जुड़ी आनुपातिकता संबंधी चिंताएँ वहाँ बढ़ जाती हैं जहाँ किसी गलत फ़ैसले के परिणामस्वरूप “फ़ीचर प्रतिबंध” लगाए जाते हैं. पेनल्टी की प्रकृति और अवधि आनुपातिक नहीं थीं. पेनल्टी को लेकर Meta के नज़रिए में इस बात पर ज़्यादा सोच-विचार किया जाना चाहिए कि उनसे भविष्य में लोगों को प्लेटफ़ॉर्म पर राजनीतिक मुद्दों से एंगेज होने से दूर करने की कितनी संभावना है. यह एक सकारात्मक कदम है कि Meta ने ओवरसाइट बोर्ड के पुराने सुझावों पर काम करते हुए इस क्षेत्र में पारदर्शिता और सामंजस्य बढ़ाया है जो इसे उस ओर ले जाता है कि उच्च स्ट्राइक-से-पेनल्टी सीमा के साथ ज़्यादा उचित और पारदर्शी तरीका क्या होना चाहिए. पेनल्टी के ज़्यादा व्यापक नोटिफ़िकेशन के Meta के प्लान से यह सुनिश्चित होना चाहिए कि यूज़र्स को भविष्य में स्ट्राइक वाले परिणामों के कारणों और फ़ीचर प्रतिबंध लगने के कारणों की बेहतर समझ है.
समाधान की एक्सेस
प्रभावी समाधान की एक्सेस, बिज़नेस और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों (UNGP) का एक मुख्य भाग है. अगस्त 2020 में Meta ने सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की थी कि वह ऑटोमेटेड रिव्यू पर ज़्यादा निर्भर रहेगा और “टीमों द्वारा कम गंभीरता वाली ऐसी रिपोर्ट का रिव्यू करने की संभावना बहुत कम है जिन्हें हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर बड़े पैमाने पर देखा नहीं जाता या शेयर नहीं किया जाता.” बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta की ओर से अपीलों को अपने आप बंद करने के मतलब है कि यूज़र्स को समाधान की उचित एक्सेस नहीं दी जा रही है. इसके अलावा, मौजूदा ऑटोमेटेड सिस्टम, विषय की संवेदनशीलता और एन्फ़ोर्समेंट की गलती की संभावना जैसे संकेतों पर विचार नहीं करता और इस बात से यह संभावना प्रबल होती है कि सबसे महत्वपूर्ण शिकायतों का रिव्यू नहीं किया जाएगा. बोर्ड ने पाया कि इससे ख़ास तौर पर ऑनलाइन प्रदर्शनकारियों के समाधान के अधिकार पर असर पड़ेगा क्योंकि गलत तरीके से हटाए गए कंटेंट को देरी से रीस्टोर किया जाता है या रीस्टोर किया ही नहीं जाता. इससे वे महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसरों पर सामाजिक आंदोलनों और राजनीतिक बहस से वंचित रह जाते हैं.
8.3 समान संदर्भ वाला मिलता-जुलता कंटेंट
बोर्ड ने ईरान के विरोध प्रदर्शन के दौरान “marg bar Khamanei” वाक्यांश वाले कंटेंट को गलत तरीके से हटाने की संभावित संख्या को लेकर चिंता जताई. यह महत्वपूर्ण है कि जहाँ संभव हो वहाँ Meta इसी संदर्भ में मिलते-जुलते कंटेंट को रीस्टोर करने के लिए कदम उठाए जिन्हें उसने गलती से हटा दिया होगा और अगर इसके परिणामस्वरूप उसने कोई स्ट्राइक या अकाउंट के लेवल की पेनल्टी लगाई है, तो उन्हें वापस ले.
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के उल्लंघन के कारण कंटेंट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को पलट दिया.
10. पॉलिसी से जुड़ी सलाह का कथन
कंटेंट पॉलिसी
1. Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में उसकी पॉलिसी को सटीकता से दर्शाया जाना चाहिए. यूज़र्स को इस बारे में बेहतर जानकारी देने के लिए कि किस तरह के कथन प्रतिबंधित हैं, Meta को हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में इस फ़ैसले में बताए गए सिद्धांतों के अनुसार ये बदलाव करने चाहिए: (i) यह जानकारी दे कि “X को मौत दो” कथनों जैसी अलंकारिक धमकियों को सामान्य तौर पर परमिशन दी जाती है, सिर्फ़ उन स्थितियों को छोड़कर जहाँ धमकी का टार्गेट कोई अत्यधिक जोखिम वाला व्यक्ति होता है; (ii) उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की एक व्याख्यात्मक लिस्ट शामिल करे और बताए कि उनमें राष्ट्र प्रमुख शामिल हो सकते हैं; (iii) यह तय करने की शर्तें बताए कि भाषा और संदर्भ पर विचार करते हुए राष्ट्र प्रमुखों के लिए उपयोग किए गए धमकी भरे कथनों को विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में, जहाँ हिंसा न भड़के, स्पष्ट अलंकारिक राजनीतिक अभिव्यक्ति की रक्षा के लिए कब परमिशन दी जाती है. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में प्रस्तावित बदलाव कर दिए जाएँ और जब Meta, बोर्ड से अपनी आंतरिक गाइडलाइंस शेयर करे जो लोगों को दिखाई देने वाली पॉलिसी के समान हो.
एन्फ़ोर्समेंट
2. Meta को व्यापक छूट देने की ओर झुकाव रखना चाहिए जब (i) उससे हिंसा भड़कने की संभावना न हो; (ii) संभावित रूप से उल्लंघन करने वाले कंटेंट का उपयोग विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में किया गया हो; और (iii) जनहित बड़ा हो. Meta को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विरोध प्रदर्शनों के आसपास ट्रेंड करने वाले कंटेंट, जिसे अभिव्यक्ति की आज़ादी को नुकसान कम करने के लिए संदर्भ विशिष्ट मार्गदर्शन की ज़रूरत हो सकती है, को पहचानने और उसका रिव्यू करने के लिए उसकी आंतरिक प्रोसेस प्रभावी हैं. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, बोर्ड से अपनी आंतरिक प्रोसेस शेयर करेगा और बोर्ड से डेटा शेयर करते हुए यह बताएगा कि उसने विरोध प्रदर्शन के स्लोगन वाले कंटेंट को गलती से हटाने के मामले न्यूनतम कर लिए हैं.
3. हिंसा और उकसावे की पॉलिसी में बदलाव करके Meta अपने रिव्यूअर्स को यह मार्गदर्शन दे कि ईरान में विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में “marg bar Khamenei” का उपयोग, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करता. Meta को “marg bar Khamenei” स्लोगन का उपयोग करने वाले कंटेंट, जिसे उसने गलत तरीके से हटाया था, पर लगाई गई सभी स्ट्राइक और फ़ीचर प्रतिबंध वापस लेने चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, रीस्टोर किए गए कंटेंट का वॉल्यूम और प्रभावित अकाउंट की संख्या का डेटा जाहिर करेगा.
4. Meta को उन इंडीकेटर्स में बदलाव करना चाहिए जिनका उपयोग वह अपनी रिव्यू कतार में अपीलों को रैंक करने और रिव्यू के बिना अपीलों को अपने आप बंद करने के लिए करता है. अपीलों को प्राथमिकता देने वाले फ़ार्मूले में, जैसा कि क्रॉस-चेक रैंकर में होता है, विषय की संवेदनशीलता और फ़ाल्स-पॉज़ीटिव की संभावना के कारणों को शामिल किया जाना चाहिए. बोर्ड इसे तब लागू मानेगा जब Meta, बोर्ड से अपीलों को प्राथमिकता देने का अपना फ़ार्मूला और वह डेटा शेयर करेगा जो दिखाता है कि वह विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में राजनीतिक अभिव्यक्ति को गलत तरीके से हटाने के खिलाफ़ की गई अपीलों का रिव्यू सुनिश्चित कर रहा है.
ट्रांसपेरेंसी
5. Meta को सभी व्यापक छूटों, उनकी अवधि और उनकी समयसीमा समाप्त होने के नोटिस की घोषणा करनी चाहिए ताकि उसके प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों को किसी ख़ास अभिव्यक्ति को छूट देने से जुड़े पॉलिसी के बदलावों की जानकारी मिले. साथ ही उसे “व्यापक” और “संकीर्ण” छूट देने की संख्या का व्यापक डेटा भी देना चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, बोर्ड को नियमित और व्यापक प्रकटीकरण करेगा.
6. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की सार्वजनिक व्याख्या में (i) यह बताया जाना चाहिए कि ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट या तो व्यापक होगी या संकीर्ण; और (ii) वह शर्त उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिसका उपयोग Meta यह निर्धारित करने के लिए करता है कि ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली व्यापक छूट का उपयोग कब करना है. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, ख़बरों में रहने लायक होने की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध व्याख्या को अपडेट करेगा और ऐसी ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट जारी करेगा जिनमें लागू की गई सभी छूटों की पर्याप्त रूप से विस्तृत जानकारी शामिल होगी.
7. Meta को अपीलों को अपने आप प्राथमिकता देने और उन्हें बंद करने का सार्वजनिक स्पष्टीकरण देना चाहिए, जिसमें प्राथमिकता देने और बंद करने की शर्तें भी शामिल हों. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, ट्रांसपेरेंसी सेंटर में यह जानकारी प्रकाशित करेगा.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य इन पर सहमति देते हैं. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र शोध करवाया गया था. एक स्वतंत्र शोध संस्थान जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनिया भर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञों ने सामाजिक-राजनैतिक और सांस्कृतिक संदर्भ में विशेषज्ञता मुहैया कराई है. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता भी मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Memetica ने भी रिसर्च संबंधी सेवाएँ दीं, जो ऑनलाइन नुकसान को कम करने के लिए जोखिम परामर्श और खतरे की आशंका से जुड़ी सेवाएँ देने वाला एक डिजिटल अन्वेषण ग्रुप है. Lionbridge Technologies, LLC कंपनी ने भाषा संबंधी विशेषज्ञता की सेवा दी, जिसके विशेषज्ञ 350 से भी ज़्यादा भाषाओं में अपनी सेवाएँ देते हैं और वे दुनियाभर के 5,000 शहरों से काम करते हैं.