पलट जाना
COVID के क्लेम किए गए बचाव
ओवरसाइट बोर्ड ने उस पोस्ट को हटाने के Facebook के फैसले को पलट दिया, जिसके बारे में क्लेम किया गया था कि वह ‘निकट भविष्य में शारीरिक नुकसान का खतरा पैदा कर सकती है’.
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केस का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने उस पोस्ट को हटाने के Facebook के फैसले को पलट दिया, जिसके बारे में क्लेम किया गया था कि वह “निकट भविष्य में शारीरिक नुकसान का खतरा पैदा कर सकती है.” बोर्ड ने Facebook के गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान नियम (जो हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का भाग है) को अनुचित तौर पर अस्पष्ट पाया और अन्य बातों के अलावा यह सुझाव दिया कि कंपनी स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी के बारे में नया कम्युनिटी स्टैंडर्ड बनाए.
केस का परिचय
अक्टूबर 2020 में, एक यूज़र ने Facebook के COVID-19 से जुड़े पब्लिक ग्रुप में एक वीडियो पोस्ट किया जिसके साथ फ़्रांसीसी में कुछ टेक्स्ट भी था. पोस्ट में (स्वास्थ्य से जुड़े प्रोडक्ट को रेगुलेट करने के लिए ज़िम्मेदार फ़्रांसीसी एजेंसी), Agence Nationale de Sécurité du Médicament पर स्कैंडल का आरोप लगाया गया था, जिसने COVID-19 के उपचार में एज़िथ्रोमाइसिन के साथ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की अनुमति देने से इनकार कर दिया था लेकिन रेमडेसिविर को अनुमति दी और उसका प्रचार किया था. यूज़र ने फ़्रांस में स्वास्थ्य से जुड़ी कार्यनीति की आलोचना की और यह कहा कि अन्य जगहों पर “[डिडियर] राउल्ट के उपचार के तरीके” का इस्तेमाल लोगों की जान बचाने के लिए किया जा रहा है. यूज़र की पोस्ट में यह भी सवाल उठाया गया कि COVID-19 के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर ही अगर डॉक्टरों को “नुकसानरहित दवा” लिखने की अनुमति दी जाती जिसका उपयोग आपातकालीन स्थिति में किया जाता है तो समाज का क्या नुकसान हो जाता.
बोर्ड को दिए गए अपने रेफ़रल में, Facebook ने इस केस को नुकसान पहुँचने के ऐसे ऑफ़लाइन खतरे का निराकरण करने में आने वाली चुनौतियों के उदाहरण के तौर पर पेश किया जो COVID-19 महामारी के बारे में गलत जानकारी की वजह से हो सकता है.
मुख्य निष्कर्ष
यह पता चलने पर कि इस पोस्ट ने वैश्विक महामारी के दौरान सन्निकट शारीरिक नुकसान से जुड़े खतरे को बढ़ाया है, Facebook ने हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के हिस्से के तौर पर गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान से जुड़े अपने नियम के उल्लंघन के चलते इस कंटेंट को हटा दिया. Facebook ने बताया कि उसने इस पोस्ट को हटा दिया क्योंकि इसमें ऐसे क्लेम शामिल हैं जिनमें कहा गया है कि COVID-19 का उपचार मौजूद है. कंपनी ने यह निष्कर्ष निकाला कि इससे लोग स्वास्थ्य से जुड़े मार्गदर्शन को अनदेखा कर सकते हैं या अपने मन से दवा लेने की कोशिश कर सकते हैं.
बोर्ड ने यह देखा कि इस पोस्ट में यूज़र सरकार की पॉलिसी का विरोध कर रहा था और उस पॉलिसी में बदलाव चाहता था. पोस्ट के अनुसार दवाओं का वह संयोजन जिसके बारे में यह क्लेम किया गया है कि उससे उपचार संभव है, फ़्रांस में पर्चे के बिना उपलब्ध नहीं है और यह कंटेंट लोगों को पर्चे के बिना दवाएँ खरीदने या लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता. इन्हें और दूसरे संदर्भित कारकों पर विचार करके बोर्ड ने नोट किया कि Facebook ने यह नहीं बताया था कि पोस्ट समुपस्थित नुकसान के स्तर पर जा सकती है, जैसा कि कम्युनिटी स्टैंडर्ड के नियम द्वारा आवश्यक बनाया गया है.
बोर्ड ने यह भी पाया कि Facebook के फैसले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकारों के स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया गया. इस बात के मद्देनज़र कि Facebook के पास गलत जानकारी से निपटने के लिए यूज़र्स को अतिरिक्त संदर्भ देने जैसे कई टूल हैं, कंपनी यह प्रदर्शित करने में विफल रही है कि उसने कंटेंट को हटाने के बजाय थोड़ा कम हस्तक्षेप वाला कोई और उचित विकल्प क्यों नहीं चुना.
बोर्ड ने यह भी पाया कि Facebook का गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान से जुड़ा नियम, जिसका इस पोस्ट ने कथित तौर पर उल्लंघन किया है, अनुचित रूप से अस्पष्ट और अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार स्टैंडर्ड से असंगत है. Facebook की वेबसाइट के अलग-अलग भागों में दिए गए पॉलिसी के हिस्सों से यूज़र्स के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा कंटेंट प्रतिबंधित है. कंपनी के न्यूज़रूम में COVID-19 से जुड़ी Facebook की पॉलिसी में घोषित बदलाव इसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड में हमेशा प्रदर्शित नहीं होते हैं, यहाँ तक कि इनमें से कुछ बदलाव इनके विपरीत दिखाई देते हैं.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने कंटेंट को हटाने के Facebook के फैसले को उलट दिया और यह आवश्यक बनाया कि पोस्ट को रीस्टोर किया जाए
नीतिगत सलाह के कथन में बोर्ड ने यह सुझाव दिया कि Facebook:
- स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी के बारे में मौजूदा नियमों को एक ही जगह पर एक साथ बताकर और स्पष्ट करके नया कम्युनिटी स्टैंडर्ड बनाए. इसमें मुख्य शर्तों जैसे “गलत जानकारी” को परिभाषित किया जाना चाहिए.
- ऐसे मामलों में जहाँ कंटेंट का स्तर Facebook द्वारा परिभाषित समुपस्थित शारीरिक नुकसान से जुड़ी सीमा तक नहीं पहुँचता है, वहाँ वह स्वास्थ्य-संबंधी गलत जानकारी से जुड़ी अपनी पॉलिसी को लागू करने के लिए कम हस्तक्षेप वाले उपाय अपनाए.
- COVID-19 महामारी के दौरान कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लागू करने के तरीकों के बारे में पारदर्शिता रिपोर्ट प्रकाशित करने सहित वह स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी को मॉडरेट करने के तरीकों के बारे में और ज़्यादा पारदर्शिता लाए. इस सुझाव में उस पब्लिक कमेंट का इस्तेमाल किया गया जो बोर्ड को प्राप्त हुआ था.
*केस के सारांश, केस का ओवरव्यू बताते हैं और आधिकारिक फैसले से संबंधित उनका कोई महत्व नहीं है.
पूरे केस का फ़ैसला
1. फैसले का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने उस कंटेंट को हटाने के Facebook के फैसले को पलट दिया, जिसे स्वास्थ्य से संबंधित ऐसी गलत जानकारी बताया गया जो “निकट भविष्य में शारीरिक नुकसान का खतरा पैदा कर सकती है.” ओवरसाइट बोर्ड ने यह पाया कि Facebook के फैसले में उसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड, उसके मूल्यों या अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकारों के स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया गया.
2. केस का विवरण
अक्टूबर 2020 में, एक यूज़र ने Facebook के COVID-19 से जुड़े पब्लिक ग्रुप में एक वीडियो और इसके साथ फ़्रांसीसी में टेक्स्ट पोस्ट किया. वीडियो और टेक्स्ट में (स्वास्थ्य से जुड़े प्रोडक्ट को रेगुलेट करने के लिए ज़िम्मेदार फ़्रांसीसी एजेंसी), Agence Nationale de Sécurité du Médicament पर स्कैंडल का आरोप लगाया गया था, जिसने COVID-19 के उपचार में एज़िथ्रोमाइसिन के साथ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की अनुमति देने से इनकार कर दिया था लेकिन रेमडेसिविर को अनुमति दी और उसका प्रचार किया था. यूज़र ने फ़्रांस में स्वास्थ्य से जुड़ी कार्यनीति की आलोचना की और यह कहा कि अन्य जगहों पर “[डिडियर] राउल्ट के उपचार के तरीके” का इस्तेमाल लोगों की जान बचाने के लिए किया जा रहा है. डिडियर राउल्ट (जिन्हें पोस्ट में मेंशन किया गया था) मार्सिली में मेडिसिन विभाग में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफ़ेसर हैं और मार्सिली में “Institut Hospitalo-Universitaire Méditerranée Infection” (IHU) के संचालक हैं. यूज़र की पोस्ट में यह भी सवाल उठाया गया कि COVID-19 के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर ही अगर डॉक्टरों को “नुकसानरहित दवा” लिखने की अनुमति दी जाती जिसका उपयोग आपातकालीन स्थिति में किया जाता है तो समाज का क्या नुकसान हो जाता. वीडियो में यह भी क्लेम किया गया कि बीमारी की शुरुआती अवस्था में रोगियों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एज़िथ्रोमाइसिन का संयोजन दिया गया था जिसका मतलब यह है कि रेमडेसिविर की यहाँ ज़रूरत नहीं थी. इस पोस्ट को COVID-19 से संबंधित ऐसे पब्लिक ग्रुप में शेयर किया गया, जिसके 500,000 से भी ज़्यादा मेंबर हैं, इसे 50,000 बार देखा गया, इस पर लगभग 800-900 प्रतिक्रियाएँ (जिनमें से अधिकांश लोगों ने "गुस्से" की प्रतिक्रिया दी इसके बाद "लाइक" की प्रतिक्रियाएँ थीं) मिलीं, पोस्ट पर 100-200 अलग-अलग लोगों ने 200-300 कमेंट किए थे और इसे 500-600 लोगों ने शेयर किया था. Facebook ने हिंसा और उकसावे से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के उल्लंघन के कारण इस कंटेंट को हटा दिया. Facebook ने ओवरसाइट बोर्ड को अपने फैसले को रेफ़र करने में इस केस को नुकसान पहुँचने के ऐसे ऑफ़लाइन खतरे का निराकरण करने में आने वाली चुनौतियों के उदाहरण के तौर पर पेश किया जो COVID-19 महामारी के बारे में गलत जानकारी की वजह से हो सकता है.
3. प्राधिकार और दायरा
बोर्ड के पास बोर्ड के चार्टर के अनुच्छेद 2 (रिव्यू करने का प्राधिकार) के तहत Facebook के फैसले को रिव्यू करने का प्राधिकार है और वह अनुच्छेद 3, सेक्शन 5 के तहत उस निर्णय को मान सकता है या पलट सकता है (रिव्यू की प्रक्रिया: चार्टर का रिज़ॉल्यूशन). Facebook ने बोर्ड के उपनियम के अनुच्छेद 2 सेक्शन 1.2.1 (कंटेंट, बोर्ड के रिव्यू के लिए उपलब्ध नहीं) के अनुसार कंटेंट को अलग रखे जाने के लिए कोई कारण पेश नहीं किया ना ही Facebook ने यह संकेत दिया कि वह उपनियमों के अनुच्छेद 2 के सेक्शन 1.2.2 (कानूनी दायित्व) के तहत केस को अयोग्य मानता है. बोर्ड के चार्टर के अनुच्छेद 3 के सेक्शन 4 के तहत (जाँच की प्रक्रियाएँ: फैसले) अंतिम निर्णय में नीति सलाहकार के कथन शामिल हो सकते हैं, जिन्हें आधार मानकर ही Facebook अपनी भावी पॉलिसी विकसित करेगा.
4. प्रासंगिक स्टैंडर्ड
ओवरसाइट बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड पर विचार करते हुए अपना फ़ैसला दिया है:
I. Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड:
Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय में “COVID-19: कम्युनिटी स्टैंडर्ड से संबंधित अपडेट और सुरक्षा" शीर्षक वाला लिंक शामिल होता है, जो यह बताता है:
ऐसे समय में जब दुनिया भर के लोग इस गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं, तो हम यह कन्फ़र्म करना चाहते हैं कि हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड लोगों को COVID-19 से संबंधित नुकसानदेह कंटेंट और दुर्व्यवहार के नए प्रकारों से सुरक्षित रखें. हम ऐसे कंटेंट को हटाने के काम में लगे हुए हैं, जिससे लोगों को सचमुच में नुकसान पहुँच सकता है. इसके लिए हमारी पॉलिसी में, नुकसान पहुँचाने में साथ देना, मेडिकल मास्क और उससे संबंधित सामान बेचना, नफ़रत फैलाने वाली भाषा का उपयोग करना, किसी को डराना-धमकाना या किसी का उत्पीड़न करना, साथ ही ऐसी गलत जानकारी शेयर करना, जिससे हिंसा भड़कने या किसी को समुपस्थित या शारीरिक नुकसान पहुँचने का खतरा हो, जैसे कामों पर रोक लगाई गई है.
Facebook ने कहा कि उसने खासतौर पर “गलत जानकारी और ऐसी अफ़वाहों पर जिन्हें सत्यापित नहीं किया जा सकता, जिनसे समुपस्थित हिंसा या शारीरिक नुकसान होने का खतरा होता है”, पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, यह हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड (इसे इसके आगे “गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान के नियम के तौर पर बताया गया है”) में शामिल है. यह नियम ऐसी योग्यता के तहत बनाया गया है जिसमें इसे लागू करने के लिए “अतिरिक्त जानकारी और/या संदर्भ की आवश्यकता है.”
हिंसा और उकसावे से जुड़ी Facebook की पॉलिसी का तर्काधार यह है कि यह “ऐसे संभावित ऑफ़लाइन नुकसान को रोकने के लिए है, जो Facebook पर मौजूद कंटेंट से संबंधित हो सकता है.” Facebook यह भी कहता है कि वह ऐसे कंटेंट को हटा देता है “जो गंभीर हिंसा के लिए उकसाता है या उसकी वजह बनता है” और “जब उसे लगता है कि इसके कारण शारीरिक नुकसान का या सार्वजनिक सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुँचने का वास्तविक खतरा हो.”
हालाँकि इस केस में Facebook फ़र्ज़ी खबरों के बारे में अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड पर आश्रित नहीं रहा, इस पॉलिसी के तहत बोर्ड ने हटाने के अलावा एन्फ़ोर्समेंट विकल्पों के दायरे को भी संज्ञान में लिया.
II.
कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय में यह नोट किया गया है कि “वॉइस” Facebook का बहुत महत्वपूर्ण मूल्य है. कम्युनिटी स्टैंडर्ड ने इस मूल्य को इस रूप में बताया:
हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लक्ष्य हमेशा से ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाने का रहा है जिस पर लोग खुद को अभिव्यक्त कर सकें और आवाज़ उठा सकें. […] हम चाहते हैं कि लोग महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बातें कर सकें, भले ही कुछ लोग उन बातों पर असहमति जताएँ या उन्हें ये बातें आपत्तिजनक लगें.
हालाँकि, प्लेटफ़ॉर्म पर “सुरक्षा” सहित दूसरे बहुत से मूल्यों से जुड़ी सेवाओं की "वॉइस” सीमित हो सकती है. Facebook अपने “सुरक्षा” से जुड़े मूल्यों को नीचे दिए गए अनुसार परिभाषित करता है:
हम Facebook को एक सुरक्षित जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. धमकी भरी अभिव्यक्ति से लोगों में डर, अलगाव की भावना आ सकती या दूसरों का आवाज़ दब सकती है और Facebook पर इसकी परमिशन नहीं है.
III. मानवाधिकार से जुड़े प्रासंगिक स्टैंडर्ड:
बिज़नेस और मानव अधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत ( UNGP) जिसे 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानव अधिकार समिति ने समर्थन दिया था, बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों की स्वैच्छिक रूप से संरचना बनाते हैं. इस केस में बोर्ड के विश्लेषण में UN संधि के प्रावधान और UN के मानव अधिकारों की प्रणाली के प्राधिकृत मार्गदर्शन की जानकारी को शामिल किया गया, जिनमें निम्न शामिल हैं:
- नागरिक और राजनीतिक अधिकार पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), अनुच्छेद 19;
- राय ज़ाहिर करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में मानव अधिकार समिति (2011) का सामान्य कमेंट नं. 34 ( सामान्य कमेंट नं. 34);
- राय ज़ाहिर करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) का विशेष प्रतिवेदक, महामारी तथा राय ज़ाहिर करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में रिपोर्ट, A/HRC/44/49 (2020), डिजिटल युग में चुनावों के बारे में शोध पत्र 1/2019 (2019) और रिपोर्ट A/74/486 (2019) तथा A/HRC/38/35 (2018).
5. यूज़र का कथन
Facebook ने यह केस ओवरसाइट बोर्ड को रेफ़र किया. Facebook ने ओवरसाइट बोर्ड को यह कन्फ़र्म किया कि प्लेटफ़ॉर्म ने यूज़र को इस केस के संबंध में कथन फ़ाइल करने का अवसर होने की सूचना भेजी, लेकिन यूज़र ने कथन सबमिट नहीं किया.
6. Facebook के फ़ैसले का स्पष्टीकरण
Facebook ने हिंसा और उकसावे से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अंतर्गत गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान के नियम का उल्लंघन करने की वजह से कंटेंट को हटा दिया. Facebook के मुताबिक, पोस्ट ने वैश्विक महामारी के दौरान समुपस्थित शारीरिक नुकसान से जुड़े खतरे को बढ़ाया था.
Facebook ने बताया कि उसने इस कंटेंट को हटा दिया क्योंकि (1) इस पोस्ट में दावा किया गया था कि COVID-19 का उपचार मौजूद है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और दूसरे विश्वसनीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों द्वारा अस्वीकार किया गया है, और (2) प्रमुख विशेषज्ञों ने Facebook से यह कहा है कि कंटेंट में किए गए इस दावे से कि COVID-19 का गारंटीड उपचार या इलाज मौजूद है, लोग स्वास्थ्य के रोकथाम संबंधी मार्गदर्शन को अनदेखा कर सकते हैं या खुद ही अपने लिए दवा आज़माने की कोशिश कर सकते हैं. Facebook ने बताया कि इस कारण वह COVID-19 के उपचारों के बारे में गलत दावों की परमिशन नहीं देता.
Facebook ने विस्तार से बताया कि स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी वाले केस में, कंपनी WHO और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े दूसरे प्राधिकरणों से परामर्श करती है. परामर्श के ज़रिए Facebook ने COVID-19 के बारे में स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी की अलग-अलग श्रेणियों की पहचान की है, जैसे रोग-प्रतिरोधक क्षमता के बारे में गलत क्लेम (जैसे, “तीस वर्ष से कम उम्र के लोग वायरस के संपर्क में नहीं आ सकते”), रोकथाम के बारे में गलत क्लेम (जैसे “बहुत सारा ठंडा पानी पीने से आपको लगभग एक घंटे के लिए रोग-प्रतिरोधक क्षमता मिलती है”) और इलाजों या उपचारों के बारे में गलत क्लेम (जैसे, “एक चम्मच ब्लीच पीने से वायरस का उपचार हो जाता है”).
Facebook ने इस केस को महत्वपूर्ण माना क्योंकि यह ऐसी पोस्ट से संबंधित था जिसे COVID-19 से संबंधित, Facebook के एक बड़े सार्वजनिक ग्रुप में शेयर किया गया था और इसलिए COVID-19 के संक्रमण के खतरे वाली बड़ी आबादी तक इसके पहुँचने की संभावना थी. इसके साथ ही Facebook ने इस केस को इसलिए भी मुश्किल भरा माना क्योंकि इससे Facebook के “वॉइस” और “सुरक्षा” के मूल्यों के बीच खींचतान के हालात पैदा हो गए. Facebook ने यह देखा कि COVID-19 महामारी के बारे में जानकारी के बारे में बातचीत करने और उसे शेयर करने की क्षमता और संभावित उपचारों के प्रभाव के बारे में चर्चा करने की क्षमता को बनाए रखा जाना चाहिए जबकि ऐसी गलत जानकारी को फैलने से रोका जाना चाहिए, जिससे नुकसान हो सकता है.
7. थर्ड पार्टी सबमिशन
बोर्ड को आठ सार्वजनिक कमेंट मिले: इनमें से एक-एक एशिया पैसिफ़िक और ओशिनिया से, तीन यूरोप और चार अमेरिका और कनाडा से थे. इनमें से सात सार्वजनिक कमेंट इस केस के साथ प्रकाशित किए गए हैं, जबकि एक कमेंट, प्रकाशित करने की सहमति के बिना सबमिट किया गया था. इन सबमिशन में सार्थक पारदर्शिता के महत्व के अलावा कंटेंट हटाने के विकल्पों के तौर पर कम दखलअंदाज़ी वाले उपायों के महत्व; सेंसरशिप, पूर्वग्रह और महामारी से जुड़ी गलत जानकारी की Facebook द्वारा हैंडलिंग की आम आलोचना और साथ ही सार्वजनिक कमेंट की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के फ़ीडबैक सहित बहुत सी बातों को कवर किया गया था.
8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
8.1 अनुपालन और कम्युनिटी स्टैंडर्ड
Facebook ने कंटेंट को इस आधार पर हटा दिया कि इससे गलत जानकारी और समुपस्थित शारीरिक नुकसान से जुड़े उसके नियम का उल्लंघन हुआ है. Facebook ने कहा कि पोस्ट में गलत जानकारी शामिल है क्योंकि इसमें यह ज़ोर देकर कहा गया है कि COVID-19 का उपचार मौजूद है जबकि WHO और स्वास्थ्य से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों ने पाया कि इसका कोई उपचार मौजूद नहीं है. Facebook ने नोट किया कि प्रमुख विशेषज्ञों ने प्लेटफ़ॉर्म को यह बताया था कि COVID-19 के बारे में गलत जानकारी नुकसानदेह हो सकती है क्योंकि, अगर गलत जानकारी को पढ़ने वाले लोग उस पर भरोसा कर लेंगे, तो वे स्वास्थ्य से जुड़े एहतियाती मार्गदर्शन को अनदेखा कर सकते हैं और/या खुद ही अपने लिए दवा आज़मा सकते हैं. Facebook ने यह दिखाने के लिए कि उक्त पोस्ट समुपस्थितनुकसान में योगदान कर सकती है, इसके बारे में विशेषज्ञ की इस सलाह पर भरोसा किया. इसके अलावा, Facebook ने यह नोट किया कि COVID-19 से जुड़ी गलत जानकारी की वजह से एक्वेरियम के उपचार में आमतौर पर उपयोग होने वाले केमिकल को निगलने के बाद किसी व्यक्ति की मौत हो गई थी.
बोर्ड ने पाया कि Facebook ने यह नहीं बताया कि इस यूज़र की पोस्ट ने इस केस में समुपस्थित नुकसान में कैसे योगदान दिया. इसके बजाय, ऐसा लगा कि कंपनी ने COVID-19 के उपचारों या इलाजों से जुड़ी गलत जानकारी को समुपस्थित नुकसान के स्तर तक बढ़ाया जाना मान लिया. Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में कहा गया है कि Facebook को गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान पहुँचने से जुड़े अपने नियम के तहत कोई भी कंटेंट हटाने से पहले अतिरिक्त जानकारी और संदर्भ की ज़रूरत होती है. हालाँकि, कम्युनिटी स्टैंडर्ड में यह नहीं बताया गया है कि किन प्रासंगिक कारकों पर विचार किया जाता है और Facebook ने इस केस के लिए अपने तर्काधार में खास प्रासंगिक कारकों की चर्चा नहीं की.
यह तय करने के लिए कि Facebook के “ समुपस्थित” नुकसान के अपने स्टैंडर्ड से गलत जानकारी को बढ़ावा मिलता है, विभिन्न प्रकार के प्रासंगिक कारकों का विश्लेषण करने की ज़रूरत होती है जिनमें स्पीकर के स्टेटस और विश्वसनीयता, उनकी स्पीच का दायरा, उपयोग की गई सटीक भाषा और मैसेज से प्रभावित होने वाली ऑडियंस के लिए कथित इलाज या तुरंत उपलब्ध है या नहीं (जैसे Facebook द्वारा COVID-19 की रोकथाम या उपचार के तौर पर पानी या ब्लीच के इस्तेमाल के बारे में नोट की गई गलत जानकारी) शामिल हैं.
इस केस में यूज़र, सरकारी पॉलिसी पर सवाल उठा रहा है और चिकित्सक द्वारा अल्पमत वाले लोगों की राय के बावज़ूद आम राय का प्रचार-प्रसार कर रहा है. इस पोस्ट का इरादा सरकारी एजेंसी की पॉलिसी बदलने के लिए उस पर दबाव डालने का है; ऐसा नहीं लगता कि यह पोस्ट, लोगों को मेडिकल पर्चे के बिना कुछ खास दवाएँ खरीदने या लेने के लिए प्रोत्साहित करती है. ये गंभीर सवाल फिर भी बाकी रह गए हैं कि इस पोस्ट से समुपस्थित नुकसान कैसे होगा. जहाँ कुछ अध्ययनों में यह संकेत मिलता है कि एंटी-मलेरियल और एंटी-बायोटिक दवाओं के जिस संयोजन से कथित तौर पर इसका उपचार होता है, वह नुकसानदेह हो सकता है लेकिन बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने बताया कि वे दवाएँ फ़्रांस में पर्चे के बिना उपलब्ध नहीं हैं. इसके अलावा, कथित उपचार को फ़्रांस के प्राधिकारियों ने स्वीकृति नहीं दी है और इसलिए यह साफ़ नहीं है कि पोस्ट को पढ़ने वाले लोग ऐसे उपचार के लिए, स्वास्थ्य से जुड़ी सावधानियों की अनदेखी करने के बारे में क्यों सोचेंगे जो उनके लिए आसानी से उपलब्ध ही नहीं है. बोर्ड ने यह भी नोट किया कि Facebook पर मौजूद इस सार्वजनिक ग्रुप के यूज़र्स फ़्रांसीसी भाषा बोलने वाले ऐसे लोग हो सकते हैं, जो फ़्रांस के बाहर मौजूद हों. Facebook ने ऐसे यूज़र्स के संबंध में संभावित समुपस्थित नुकसान के बारे में बताते समय खास प्रासंगिक कारकों का निराकरण नहीं किया. फ़्रांस और दूसरी जगहों पर स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी के बारे में बोर्ड की चिंता अभी भी कायम है (पॉलिसी संबंधी सुझाव II. b. देखें). कुल मिलाकर, जहाँ बोर्ड ने इस बात को माना कि वैश्विक महामारी में गलत जानकारी की वजह से नुकसान हो सकता है, Facebook इस निष्कर्ष के समर्थन में ऐसे प्रासंगिक कारक बताने में विफल रहा जिनसे यह खास पोस्ट, समुपस्थित नुकसान के इसके खुद के स्टैंडर्ड पर खरी उतर सकती थी. इसलिए Facebook ने अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड का अनुपालन नहीं किया.
बोर्ड ने यह भी नोट किया कि यह केस राय और तथ्य के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों को और साथ ही यह सवाल भी उठाता है कि कब “गलत जानकारी” (जो कम्युनिटी स्टैंडर्ड में परिभाषित नहीं है) का उचित रूप से निरूपण किया जाता है. यह इस सवाल को भी उठाता है कि क्या सरकारी पॉलिसी की आलोचना वाली ऐसी पोस्ट में, जिसका दायरा व्यापक हो, कथित तौर पर गलत तथ्य वाले क्लेम की वजह से पूरी पोस्ट को हटा दिया जाना चाहिए. Facebook ने इस केस में अपने गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान से जुड़े नियम के मुताबिक काम किया या नहीं इसके बारे में फैसला करते समय इन मुद्दों पर विचार करने की ज़रूरत नहीं है, वहीं बोर्ड ने यह नोट किया कि भविष्य में इस नियम को लागू करने में ये मुद्दे महत्वपूर्ण हो सकते हैं.
8.2 Facebook के मूल्यों का अनुपालन
ओवरसाइट बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को हटाने का फैसला Facebook के मूल्यों के अनुपालन में नहीं था. Facebook के तर्काधार में इस पोस्ट से “सुरक्षा” के मूल्य को पहुँचने वाले खतरे के बारे में नहीं दिखाया गया है जिसकी वजह से “वॉइस” को प्रतिस्थापित करने के लिए पोस्ट को इस तरह से हटाना काफी हद तक न्यायसंगत था.
8.3 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में मानव अधिकारों के स्टैंडर्ड का अनुपालन
यह सेक्शन इस बात की पड़ताल करता है कि Facebook द्वारा अपने प्लेटफ़ॉर्म से इस पोस्ट को हटाने का फैसला मानव अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड के संगत है या नहीं. हमारे चार्टर के अनुच्छेद 2 में यह खासतौर से बताया गया है कि हमें “स्वतंत्र अभिव्यक्ति की सुरक्षा से जुड़े मानव अधिकारों के मद्देनज़र कंटेंट को हटाने से पड़ने वाले प्रभाव पर खास ध्यान देने की ज़रूरत है.” UNGP के अंतर्गत कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे “अपने परिचालनों में मानव अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड का पालन करें और मानव अधिकारों पर पड़ने वाले उन नकारात्मक प्रभावों का निराकरण करें, जिनमें वे शामिल हैं” (UNGP, सिद्धांत 11.). मानव अधिकार के अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड को ICCPR (UNGP, सिद्धांत 12.) सहित UN इंस्ट्रुमेंट के संदर्भ द्वारा परिभाषित किया गया है. इसके अलावा, UNGP यह भी निर्दिष्ट करते हैं कि गैर-न्यायिक असंतोष प्रणालियों (जैसे ओवरसाइट बोर्ड) द्वारा ऐसे फैसले दिए जाने चाहिए जो अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मान्य मानव अधिकारों (UNGP, सिद्धांत 31.) के संगत हों. Facebook ने कंटेंट को हटाने के अपने कारण में कंटेंट मॉडरेशन से जुड़े अपने फ़ैसलों में UNGP और ICCPR का उपयोग स्वीकार किया था.
ICCPR के अनुच्छेद 19, पैरा 2 में “सभी तरह की” अभिव्यक्ति के लिए विस्तृत सुरक्षा का प्रावधान किया गया है. UN की मानवाधिकार समिति ने यह हाइलाइट किया है कि आम सरोकार से जुड़े मामलों की चर्चा करते समय अभिव्यक्ति का महत्व खास तौर से ज़्यादा होता है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 13, 20, 38). उक्त पोस्ट में सरकारी पॉलिसी की सीधी आलोचना की गई है और ऐसा लगता है कि इसका इरादा Agence Nationale de Sécurité du Médicament का ध्यान आकर्षित करने का है. यूज़र ने चिकित्सा कम्युनिटी के अंतर्गत अल्पमत वाले लोगों की राय को सामने रखने और उसके प्रचार-प्रसार को शामिल करने के बावज़ूद आम सरोकार से जुड़ा मामला उठाया है. इस बात से कि कोई राय अल्पमत वाले लोगों के नज़रिए दर्शाती है, वह सुरक्षा के लिहाज से कम योग्य नहीं हो जाती है. यूज़र ने यह सवाल उठाया है कि चिकित्सकों को आपातकालीन स्थितियों में उस खास दवा को लिखने की परमिशन क्यों नहीं दी जानी चाहिए और उसने आम लोगों को राउल्ट की अल्पमत वाली राय के अनुसार अपने मन से कदम उठाने के लिए नहीं कहा है.
इसके बावजूद, ICCPR का अनुच्छेद 19, पैरा. 3 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों की परमिशन देता है, जब स्पीच रेगुलेटर यह साबित कर सके कि ये तीनों शर्तें पूरी हुई हैं. इस केस में Facebook को यह दिखाना चाहिए कि कंटेंट को हटाने के फ़ैसले में वैधानिकता, उपयुक्तता और आवश्यकता की शर्तें पूरी हुई. बोर्ड ने तीन-भागों के इस टेस्ट के मद्देनज़र Facebook द्वारा यूज़र की पोस्ट हटाने की पड़ताल की.
I. वैधानिकता
अभिव्यक्ति पर किसी भी प्रतिबंध के लिए व्यक्तियों को उचित नोटिस देकर बताया जाना चाहिए कि कौन सा कंटेंट प्रतिबंधित है. इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन पर प्रतिबंध लागू हुआ है. (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). इस केस में, वैधानिकता के टेस्ट के लिए यह आकलन करने की आवश्यकता है कि क्या गलत जानकारी और तात्कालिक नुकसान से जुड़ा नियम अनुचित तौर पर अस्पष्ट है. सबसे पहली बात यह है कि इस नियम में “गलत जानकारी” की कोई परिभाषा शामिल नहीं है. जैसा कि राय ज़ाहिर करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित UN के विशेष प्रतिवेदक ने नोट किया, “अस्पष्ट और बेहद व्यक्तिपरक शब्द-जैसे ‘आधारहीन,’ ‘भेदभावपूर्ण,’ ‘गलत’ और ‘फ़र्ज़ी’- उस कंटेंट का समुचित तौर पर वर्णन नहीं करते, जो प्रतिबंधित है” (शोध पत्र 1/2019, पेज. 9). वे प्राधिकारियों को “अलोकप्रिय, विवादास्पद या अल्पमत वाले लोगों की राय की अभिव्यक्ति को सेंसर करने की व्यापक छूट” भी देते हैं (शोध पत्र 1/2019, पेज. 9). इसके अलावा, ऐसे अस्पष्ट प्रतिबंधों से प्राधिकारियों को “सार्वजनिक और राजनैतिक डोमेन में कंटेंट की सत्यता या असत्यता तय करने की क्षमता” और “स्वयं-सेंसरशिप लागू करने को प्रोत्साहन” मिलता है (शोध पत्र 1/2019, पेज. 9). बोर्ड ने यह भी नोट किया कि यह पॉलिसी ऐसे शीर्षक के अंतर्गत आती है, जिसमें कहा गया है कि उल्लंघनों का निर्धारण करने के लिए अतिरिक्त जानकारी और/या संदर्भ आवश्यक है, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं दिया गया है कि इस मूल्यांकन के लिए किस प्रकार की अतिरिक्त जानकारी/संदर्भ प्रासंगिक है.
इसके अलावा, Facebook ने अपने न्यूज़रूम के ज़रिए COVID-19 की पॉलिसी में कई बदलाव घोषित किए जिन्हें मौजूदा कम्युनिटी स्टैंडर्ड में लागू नहीं किया गया. बदकिस्मती से, न्यूज़रूम की घोषणाओं में कहीं-कहीं कम्युनिटी स्टैंडर्ड के टेक्स्ट से टकराव दिखाई देता है. उदाहरण के लिए, “ हमारे सभी ऐप में COVID-19 से जुड़ी गलत जानकारी को रोकना” (25 मार्च, 2020) की न्यूज़रूम पोस्ट में Facebook ने बताया कि वह “COVID-19 से जुड़ी ऐसी गलत जानकारी को हटा देगा, जो समुपस्थित शारीरिक नुकसान को बढ़ावा दे सकती है”, जो कि गलत जानकारी और समुपस्थित नुकसान से जुड़े नियम की सीमा से अलग अर्थ बताती है, जिसमें गलत जानकारी को समुपस्थित नुकसान को “बढ़ाने वाले” के तौर पर संबोधित किया गया है. दिसंबर-मध्य 2020 के मदद केंद्र के लेख “ COVID-19 पॉलिसी के अपडेट और सुरक्षा” में Facebook ने यह कहा है कि वह:
ऐसी गलत जानकारी को निकाल देगा जिससे समुपस्थित हिंसा या शारीरिक नुकसान होने का खतरा होता है. महामारी जैसे COVID-19 के संदर्भ में यह बात ऐसे (…) दावों पर लागू होती है कि COVID-19 का कोई ‘उपचार’ मौजूद है, जब तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन या कोई दूसरा प्रमुख स्वास्थ्य संगठन ऐसे उपचार को मंज़ूरी न दे. यह लोगों को COVID-19 के ज्ञात लक्षणों (जैसे बुखार, खाँसी, साँस लेने में तकलीफ़) की दवाओं या उपचारों के लिए मेडिकल ट्रायल, अध्ययनों या पुराने अनुभवों की चर्चा करने से नहीं रोकता.
यह घोषणा (जो उक्त पोस्ट को हटाने के बाद की गई थी), स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वैज्ञानिक और सरकारी दोनों रुखों की लगातार विकसित होती प्रकृति दर्शाती है. हालाँकि, इसे कम्युनिटी स्टैंडर्ड में एकीकृत नहीं किया गया था.
Facebook की वेबसाइट के अलग-अलग हिस्सों में दिखाई देने वाले नियमों और पॉलिसी के इन भागों के मद्देनज़र मुख्य शब्दों जैसे “गलत जानकारी” की परिभाषा की कमी और पोस्ट, शारीरिक नुकसान पहुँचने को “बढ़ावा दे सकती है” या उसने शारीरिक नुकसान पहुँचाने में वाकई योगदान दिया है, इनसे जुड़े अलग-अलग स्टैंडर्ड से यूज़र्स के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा कंटेंट प्रतिबंधित है. बोर्ड ने पाया कि इस केस में लागू किया गया नियम अनुचित रूप से अस्पष्ट था. इसलिए वैधानिकता का टेस्ट पूरा नहीं हुआ.
II. वैधानिक लक्ष्य
वैधानिकता के टेस्ट में यह प्रावधान किया गया है कि Facebook द्वारा पोस्ट को हटाए जाने से वैधानिक और सार्वजनिक हित का वह उद्देश्य पूरा होना चाहिए जो ICCPR (सामान्य कमेंट सं. 34 पैरा. 28-32) में बताया गया है. सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लक्ष्य को इस अनुच्छेद की लिस्ट में खासतौर से जोड़ा गया है. हमने पाया कि Facebook वैश्विक महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के उद्देश्य से किया गया यह टेस्ट पूरा हुआ.
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
ज़रूरी टेस्ट के संबंध में, Facebook को यह दिखाना चाहिए कि उसने मान्य सार्वजनिक हित के उद्देश्य का निराकरण करने के लिए न्यूनतम दखलअंदाज़ी वाले उपायों को चुना है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 34).
Facebook को तीन बातें दिखानी चाहिए:
(1) सार्वजनिक हित के उद्देश्य का निराकरण ऐसे उपायों के ज़रिए नहीं किया जा सकता, जिनसे आवाज़ उठाने में बाधा नहीं डाली जाती है,
(2) ऐसे उपायों में से, जो आवाज़ उठाने में बाधा डालते हैं, Facebook ने सबसे कम रुकावट डालने वाले उपाय को चुना है, और
(3) चुने गए उपाय से लक्ष्य को हासिल करने में वाकई मदद मिलती है और वह बेअसर या उपाय का विरोधात्मक नहीं है (A/74/486, पैरा. 52).
Facebook के पास स्वास्थ्य से जुड़े गलत और संभावित तौर पर नुकसानदेह कंटेंट से निपटने के लिए कई विकल्प हैं. बोर्ड ने Facebook से पूछा कि क्या इस केस में कम दखलअंदाज़ी वाले उपाय लागू किए जा सकते थे. Facebook ने जवाब दिया कि समुपस्थित नुकसान वाले मामले में, उसका एन्फ़ोर्समेंट से जुड़ा एकमात्र उपाय कंटेंट हटा देने का है, लेकिन अगर बाहरी पार्टनर द्वारा कंटेंट का मूल्यांकन किए जाने पर इसे फ़र्जी पाया जाता है (लेकिन समुपस्थित नुकसान से जुड़ा नहीं है), तो वह कंटेंट को हटाने से कमतर दूसरे कई एन्फ़ोर्समेंट विकल्प लागू करता है. इस जवाब में ज़रूरी तौर पर उसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के काम करने के तरीके की जानकारी दोहराई गई है, लेकिन यह जानकारी नहीं दी गई कि कंटेंट हटाना, सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ा सबसे कम दखलअंदाज़ी वाला उपाय क्यों था.
जैसा कि फ़र्ज़ी खबरों के बारे में Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में दिया गया है, ऐसे कंटेंट का निराकरण करने के लिए Facebook गलत जानकारी को बढ़ावा देने वाले लोगों और पेज के आर्थिक प्रतिफल में रुकावट डाल सकता है; अन्य उपायों में, स्वतंत्र फ़ैक्ट-चेकर द्वारा फ़र्जी रेट किए जाने पर कंटेंट के डिस्ट्रिब्यूशन को कम करना; और किसी खास पोस्ट के बारे में Facebook के COVID-19 सूचना केंद्र के ज़रिए और दूसरे उपायों के ज़रिए यूज़र्स को अतिरिक्त संदर्भ और जानकारी देकर गलत जानकारी का प्रतिवाद करने की क्षमता शामिल है. बोर्ड ने Facebook की फ़र्ज़ी खबर से जुड़ी पॉलिसी का भी संज्ञान लिया - जिसका उद्देश्य यह दिखाना नहीं है कि इसका इस्तेमाल राय कायम करने के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन यह नोट करना है कि Facebook के पास गलत जानकारी से निपटने के लिए कंटेंट को हटाने के अलावा बहुत से दूसरे एन्फ़ोर्समेंट विकल्प मौजूद हैं.
Facebook ने यह नहीं बताया कि इस केस में कंटेंट को हटाने से सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के कम दखलअंदाज़ी वाले उपाय कैसे लागू हुए, दूसरी बातों के अलावा उसने यह नहीं बताया कि पोस्ट किस तरह से समुपस्थित नुकसान से संबंधित थी; उसने कंटेंट हटाने को न्यायोचित ठहराने के लिए समुपस्थित नुकसान पर ज़ोर डाला. इसलिए पोस्ट को हटाया जाना, आवश्यकता के टेस्ट में खरा नहीं उतरा.
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
9.1 कंटेंट से जुड़ा फैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने उक्त पोस्ट को हटाने के Facebook के फैसले को पलट दिया.
9.2 नीतिगत सलाह संबंधी कथन
I. Facebook को खासतौर से COVID-19 से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी के संबंध में अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड को स्पष्ट करना चाहिए.
बोर्ड ने सुझाव दिया कि Facebook, स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी के बारे में मौजूदा नियमों को एक जगह पर और साफ़ तौर पर दिखाते हुए (जिसमें प्रमुख शब्द जैसे गलत जानकारी को परिभाषित करना शामिल है) स्पष्ट और आसानी से उपलब्ध कम्युनिटी स्टैंडर्ड बनाए. इस नियम के साथ वह “वह विस्तृत परिकल्पनाएँ होनी चाहिए जो व्याख्या और [इन] नियमों” को लागू करने के बारीक फ़र्क को समझा सके ताकि यूज़र्स के लिए यह और ज़्यादा स्पष्ट हो सके (देखें रिपोर्ट A/HRC/38/35, पैरा. 46 (2018)). Facebook को प्रासंगिक हितधारकों के साथ नियम के बदलाव (UNGP, सिद्धांत 18-19) की प्रक्रिया के हिस्से के तौर पर मानवाधिकारों पर होने वाले इसके प्रभाव का मूल्यांकन करना चाहिए.
II. Facebook को स्वास्थ्य-संबंधी गलत जानकारी से जुड़ी पॉलिसी के बारे में कम दखलअंदाज़ी वाले एन्फ़ोर्समेंट उपायों को अपनाना चाहिए.
a.) स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी के बारे में एन्फ़ोर्समेंट के उपाय लागू करने का मतलब सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के सबसे कम दखलअंदाज़ी वाले एन्फ़ोर्समेंट उपाय करना है, बोर्ड ने सुझाव दिया कि Facebook:
- उन खास नुकसानों को स्पष्ट करें, जिन्हें वह रोकना चाहता है और इसके बारे में साफ़ जानकारी दें कि वह खास कंटेंट के संभावित नुकसान का मूल्यांकन कैसे करेगा;
- स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी से निपटने के लिए इसके विभिन्न मौजूदा टूल का मूल्यांकन करे;
- कंटेंट हटाने के बजाय ऐसे दूसरे टूल के विकास की संभावना पर विचार करे जो कम दखलअंदाज़ी वाले हों;
- कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अंतर्गत इसके विभिन्न एन्फ़ोर्समेंट विकल्पों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में पैदा होने वाली रुकावटों के आधार पर इन्हें सबसे ज़्यादा दखलअंदाज़ी वाले से लेकर सबसे कम दखलअंदाज़ी वाले विकल्प के तौर पर रैंक दें और इन्हें प्रकाशित करे,
- बताएँ कि प्लेटफ़ॉर्म सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कम्युनिटी स्टैंडर्ड को एन्फ़ोर्स करते समय सबसे कम दखलअंदाज़ी वाला विकल्प चुनने में प्रमाण-आधारित मापदंड सहित किन कारकों का इस्तेमाल करेगा; और
- कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अंतर्गत यह साफ़ करें कि हर एक नियम पर कौन सा एन्फ़ोर्समेंट विकल्प लागू होता है.
b.) उन मामलों में जहाँ यूज़र्स COVID-19 के उपचारों के बारे में ऐसी जानकारी पोस्ट करते हैं, जो स्वास्थ्य प्राधिकारियों की खास सलाह से असंगत हो, और जहाँ शारीरिक नुकसान की संभावना की पहचान की गई हो लेकिन वह तुरंत होने वाला नहीं हो, तो बोर्ड Facebook को कम दखलअंदाज़ी वाले विभिन्न उपाय अपनाने का पुरज़ोर सुझाव देता है. इनमें लेबलिंग करना, जिससे यूज़र्स पोस्ट के कंटेंट की विवादास्पद प्रकृति होने के बारे में चेतावनी शामिल करना और विश्व स्वास्थ्य संगठन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के दृष्टिकोणों के लिंक देना शामिल हो सकता है. कुछ खास स्थितियों में पोस्ट पर - उदाहरण के लिए इंटरैक्शन या शेयरिंग को रोक कर और ज़्यादा शर्तें लागू करना ज़रूरी हो सकता है, ताकि ऑर्गेनिक और अल्गोरिदम के ज़रिए इसके विस्तार को कम किया जा सके. दूसरे यूज़र्स की न्यूज़फ़ीड में इसकी दृश्यता को रोकने के लिए कंटेंट की रैंक घटाने पर भी विचार किया जा सकता है. लेबलिंग या शर्तें लागू करने के दूसरे तरीकों सहित एन्फ़ोर्समेंट के सभी उपाय यूज़र्स को साफ़ तौर पर बताए जाने चाहिए और ये अपील के अधीन होने चाहिए.
III. Facebook को स्वास्थ्य सबंधी गलत जानकारी के कंटेंट मॉडरेशन की अपनी पारदर्शिता को बढ़ाना चाहिए.
बोर्ड यह सुझाव देता है कि Facebook स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी के मॉडरेशन के बारे में रिपोर्टिंग और मिले हुए सार्वजनिक कमेंट का इस्तेमाल करने की अपनी पारदर्शिता को बेहतर बनाए:
- इस बारे में पारदर्शिता रिपोर्ट प्रकाशित करे कि COVID-19 की स्वास्थ्य संबंधी वैश्विक आपदा के दौरान कम्युनिटी स्टैंडर्ड कैसे लागू किए गए. इसमें ये बातें शामिल होनी चाहिए:
- पूरी तरह और प्रतिशत के रूप में हटाई गई सामग्री की संख्या, साथ ही दूसरे एन्फ़ोर्समेंट उपायों के बारे में डेटा, पूरी तरह ऑटोमेशन के ज़रिए एन्फ़ोर्स किए गए कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुपात सहित एन्फ़ोर्स किए गए खास कम्युनिटी स्टैंडर्ड के बारे में डेटा;
- एन्फ़ोर्स किए गए कंटेंट के प्रकार के मुताबिक उसका विभाजन (अलग-अलग पोस्ट, अकाउंट और ग्रुप सहित);
- पता लगाने के स्रोत के मुताबिक विभाजन (ऑटोमेशन, यूज़र फ़्लैगिंग, भरोसेमंद पार्टनर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां);
- क्षेत्र और भाषा के मुताबिक विभाजन;
- कम दखलअंदाज़ी वाले उपायों के प्रभाव के बारे में मीट्रिक (उदा. लेबलिंग या रैंक कम करने का प्रभाव);
- पूरी आपदा में अपीलों की उपलब्धता के बारे में डेटा जिसमें ऐसे केस की कुल संख्या, जिनमें अपील को पूरी तरह वापस ले लिया गया और ऑटोमेटेड अपीलों का प्रतिशत शामिल है;
- निष्कर्ष और सीखे गए सबक जिनमें Facebook द्वारा किए जा रहे बदलावों के बारे में जानकारी शामिल हो, ताकि आगे से मानव अधिकारों से जुड़ी अपनी ज़िम्मेदारियों का ज़्यादा अनुपालन पक्का हो सके.
*प्रक्रिया सबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य का इन पर सहमति देना ज़रूरी है. यह ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फैसले सभी मेंबरों के निजी फैसलों को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र शोध को अधिकृत किया गया. एक स्वतंत्र शोध संस्थान जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनिया भर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञों ने सामाजिक-राजनैतिक और सांस्कृतिक संदर्भ में विशेषज्ञता मुहैया कराई है.