पलट जाना
कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन
कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन ने अपने राजनैतिक विरोधियों को जिस वीडियो में हिंसक धमकी दी है, उसे Facebook पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड ने पलट दिया है.
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केस का सारांश
कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन ने अपने राजनैतिक विरोधियों को जिस वीडियो में हिंसक धमकी दी है, उसे Facebook पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड ने पलट दिया है. उल्लंघन की गंभीरता और हुन सेन के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने तथा राजनैतिक विरोधियों को धमकाने के पुराने मामलों के साथ-साथ ऐसी धमकियों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का किसी प्लान के तहत उपयोग करने की आदत को देखते हुए, बोर्ड ने Meta को हुन सेन के Facebook पेज और Instagram अकाउंट को छह महीने के लिए तुरंत सस्पेंड करने को कहा है.
केस की जानकारी
9 जनवरी, 2023 को कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन के आधिकारिक Facebook पेज से जारी एक लाइव वीडियो स्ट्रीम होने लगा.
वीडियो में कंबोडियाई आधिकारिक भाषा खमेर में हुन सेन द्वारा दिया गया का एक घंटे 41-मिनट का भाषण दिखाया गया है. इस भाषण में, उन्होंने अपनी सत्तारूढ़ कंबोडिया पीपुल्स पार्टी (CPP) पर 2022 में देश के स्थानीय चुनावों में धांधली किए जाने के आरोपों का जवाब दिया. सेन, यह आरोप लगाने वाले अपने राजनैतिक विरोधियों को सबक सिखाने के लिए “legal system” (कानूनी तरीके) और “a bat” (बल्ले) के बीच में से कोई एक चीज़ चुनने को कहते हैं. साथ ही, बोलते हैं कि उनके विरोधी कानूनी तरीका चुन सकते हैं, या वह “will gather CPP people to protest and beat you up” (उनका विरोध करने और उन्हें पीटने के लिए CPP के समर्थकों को इकट्ठा करेंगे). वह “sending gangsters to [your] house” ([आपके] घर में गुंडों को भेजने) की बात बोलते हुए कहते हैं कि वह “arrest a traitor with sufficient evidence at midnight” (आधी रात को पूरे सबूतों के साथ देशद्रोही को गिरफ्तार) करवा सकते हैं. हालाँकि, आगे अपने भाषण में उन्होंने कहा कि “we don’t incite people and encourage people to use force” (हम लोगों को भड़का नहीं रहे हैं और न ही उन्हें हिंसा करने के लिए उकसा रहे हैं). लाइव ब्रॉडकास्ट खत्म होने के बाद, वह वीडियो ऑटोमेटिक तरीके से हुन सेन के Facebook पेज पर अपलोड हो गया, जहाँ इसे लगभग 600,000 बार देखा गया.
Meta के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के मामले में तीन यूज़र्स ने 9 से 26 जनवरी, 2023 के दौरान उस वीडियो की पाँच बार रिपोर्ट की. यह स्टैंडर्ड “ऐसी धमकियों पर रोक लगाता है, जो किसी की मौत की वजह बन सकती है” (बहुत ही गंभीर स्तर की हिंसा) और “ऐसी धमकियों पर रोक लगाता है, जो किसी को गंभीर रूप से घायल करने की वजह बनती हैं” (मध्यम स्तर की गंभीरता वाली हिंसा), साथ ही, “हिंसा करने के इरादे से दिए गए बयानों” पर भी रोक लगाता है. कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स की अपील पर, दो ह्यूमन रिव्यूअर्स ने इस कंटेंट का रिव्यू किया, उन्होंने पाया कि उस कंटेंट से Meta की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ. उसी समय, उस कंटेंट से जुड़े पूरे मामले को Meta के पॉलिसी और विषयवस्तु से जुड़े विशेषज्ञों के समक्ष रखा गया. उन्होंने माना कि इस कंटेंट से हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन तो हुआ है, लेकिन उन्होंने ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देते हुए इस कंटेंट को रीस्टोर कर दिया. इससे उस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन मिलती है, जो अन्यथा उल्लंघन करने वाला होता है, लेकिन जिसका जनहित से जुड़ा महत्व उस कंटेंट से होने वाले नुकसान की आशंका से ज़्यादा होता है.
कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स में से एक ने Meta के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड में अपील की. वहीं Meta ने भी अलग से इस केस को बोर्ड को रेफ़र किया. अपने रेफ़रल में, Meta ने बताया कि ऐसे केस में “सुरक्षा” और “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” से जुड़े मूल्यों के बीच संतुलन बनाना तब बड़ा ही मुश्किल हो जाता है, जब यह तय करना होता है कि हिंसा और उकसावे से जुड़ी कंपनी की पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले किसी राजनेता के भाषण को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन कब दी जाए.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि इस केस से जुड़े वीडियो में हुन सेन का राजनैतिक विरोधियों के साथ हिंसा करने का इरादा साफ़ तौर से जाहिर करने वाले बयान शामिल थे, जो सीधे तौर पर हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं. “bat” (बल्ला) और “sending gangsters to [your] house” ([आपके] घर पर गैंगस्टर भेजने) या आधी रात को गिरफ्तार करने सहित “legal action” (कानूनी कार्रवाई) जैसे शब्दों का उपयोग हिंसा भड़काने और कानूनी धमकी देने के समान है.
बोर्ड ने पाया कि Meta की ओर से इस केस में ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देना गलत था, क्योंकि इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने देने से होने वाला नुकसान उस पोस्ट के जनहित से जुड़े मूल्यों से ज़्यादा है. सोशल मीडिया पर हुन सेन की पहुँच पर गौर करें, तो Facebook पर इस तरह के बयान मौजूद रहने से उनकी धमकियों का प्रसार और व्यापक तरीके से होने में मदद मिलती. ऐसे में Meta के प्लेटफ़ॉर्म से धमकियों का प्रसार बढ़ने से डर और धमकी वाला माहौल ज़्यादा गंभीर स्तर पर पहुँचता, जिससे नुकसान ज़्यादा होता.
बोर्ड को इस बात की भी चिंता है कि निष्पक्ष मीडिया और राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ़ एक राजनेता द्वारा उत्पीड़न करने और धमकाने का कैंपेन लगातार चलाया जाता रहा, तो उनके कंटेंट को ख़बरों में बने रहने लायक होने की छूट मिल सकती है, जिससे उल्लंघन करने वाला कंटेंट नहीं हट पाएगा और न ही उनके अकाउंट पर कोई कार्रवाई हो पाएगी. ऐसे किसी भी चलन को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए. किसी कंटेंट को ख़बरों में बने रहने लायक होने की छूट दी जाए या नहीं, यह तय करते समय Meta को मीडिया की स्वतंत्रता को ज़्यादा महत्व देना चाहिए, ताकि यह छूट उन स्थितियों में जारी होने वाले सरकारी भाषण को न मिलने पाए, जहाँ सरकार मीडिया को दबाकर अपने कंटेंट को ख़बरों में बना रहने लायक बनाती है.
बोर्ड ने Meta से यह स्पष्ट करने को कहा है कि सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ी उसकी पॉलिसी का दायरा सिर्फ़ हिंसा और नागरिक अशांति की घटनाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे सभी मामले भी उसके दायरे में आते हैं, जिनमें नागरिकों के साथ उनकी सरकार द्वारा प्रतिशोध के तौर पर हिंसा किए जाने का खतरा बना रहता है.
इस केस में उल्लंघन की गंभीरता और हुन सेन द्वारा मानवाधिकारों का हनन किए जाने तथा राजनैतिक विरोधियों को धमकाए जाने के पुराने मामलों के साथ-साथ ऐसी धमकियों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का किसी प्लान के तहत उपयोग करने की आदत को देखते हुए, बोर्ड ने Meta को हुन सेन का Facebook पेज और Instagram अकाउंट छह महीने के लिए तुरंत सस्पेंड करने को कहा.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के कंटेंट को बनाए रखने के फ़ैसले को बदलते हुए उस पोस्ट को हटाने के लिए कहा.
बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया है कि वह:
- कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन के आधिकारिक Facebook पेज और Instagram अकाउंट को नागरिक अशांति के दौरान सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की Meta की पॉलिसी के तहत छह महीनों के लिए तुरंत सस्पेंड कर दे. बोर्ड तभी मानेगा कि इस सुझाव पर अमल किया गया है, जब Meta उस अकाउंट को सस्पेंड करके इसकी घोषणा सार्वजनिक रूप से करेगा.
- स्पष्ट करे कि सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की उसकी पॉलिसी के दायरे में ऐसे सभी मामले आते हैं, जिनमें नागरिकों के साथ उनकी सरकार द्वारा प्रतिशोध के तौर पर हिंसा किए जाने का खतरा बना रहता है. पॉलिसी में यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसके दायरे में सिर्फ़ नागरिक अशांति या हिंसा की कुछ एक घटनाएँ ही नहीं, बल्कि ऐसे सभी मामले भी आते हैं, जिनमें राजनैतिक मुद्दों पर उठने वाली आवाज़ों को पहले से ही दबा दिया जाता है या जिन्हें दबाने के लिए सरकार हिंसा करती या हिंसा करने की धमकियाँ देती है.
- ख़बरों में बने रहने लायक होने की वजह से दी जाने वाली छूट से जुड़ी अपनी पॉलिसी को यह बताने के लिए अपडेट करे कि जिस कंटेंट से सीधे तौर पर हिंसा भड़कती है, वह पॉलिसी से जुड़े मौजूदा अपवादों के तहत ख़बरों में बने रहने लायक होने की वजह से छूट पाने के योग्य नहीं होगा.
- रिव्यू के लिए आने वाले कंटेंट की प्राथमिकता तय करने वाले अपने सिस्टम को यह सुनिश्चित करने के लिए अपडेट करे कि सरकार के प्रमुख पदों को संभाल रहे लोगों और सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के ऐसे कंटेंट, जिससे हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होने की आशंका है, का तुरंत ह्यूमन रिव्यू करवाने के लिए हमेशा प्राथमिकता दी जाए.
- प्रोडक्ट और/या काम करने के तरीके से जुड़ी गाइडलाइन के बदलाव लागू करे, ताकि लंबी अवधि के वीडियो का ज़्यादा बेहतर तरीके से रिव्यू किया जा सके (जैसे कि वीडियो में जिस टाइमस्टैंप पर उल्लंघन हुआ है, उसका पता लगाने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करना, वीडियो की लंबाई के अनुसार रिव्यू में लगने वाला समय तय करना, वीडियो को 1.5 गुना या 2 गुना तेज़ स्पीड से चलाने की परमिशन देना आदि).
- प्रधानमंत्री हुन सेन के केस में की गई कार्रवाई और सरकार के प्रमुख पदों को संभाल रहे लोगों तथा सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के खिलाफ़ अकाउंट लेवल पर की जाने वाली सभी कार्रवाइयों में कार्रवाई का दायरा और केस के फ़ैसले से जुड़े तर्क का सार्वजनिक रूप से खुलासा करे.
* केस के सारांश से केस का ओवरव्यू मिलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. फ़ैसले का सारांश
कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन ने अपने राजनैतिक विरोधियों को जिस वीडियो में हिंसक धमकी दी है, उसे ख़बरों में बने रहने लायक कंटेंट से जुड़ी छूट देकर Facebook पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड ने पलट दिया है. Meta ने यह केस बोर्ड को रैफ़र किया, क्योंकि इसमें दो विपरीत परिस्थितियों से जुड़ी आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने में कई परेशानियाँ आ रही थीं. एक तरफ़ लोगों को उनके राजनेताओं की बात सुनने की सुविधा देना ज़रूरी है, तो वहीं दूसरी तरफ़ उन नेताओं पर रोक लगाना भी ज़रूरी है, जो अपने विरोधियों को हिंसक धमकी देने या दूसरे लोगों को राजनीति में आने से रोकने के लिए प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करते हैं.
बोर्ड ने पाया कि हुन सेन के भाषण से हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ है. यह भी पाया कि पॉलिसी का उल्लंघन करने के बावजूद उस कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देकर प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हटाने का Meta का फ़ैसला गलत था. बोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि उस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म से हटाया जाना चाहिए. इसके अलावा, उल्लंघन की गंभीरता, कंबोडिया की राजनैतिक परिस्थिति, सरकार द्वारा मानवाधिकारों का हनन किया जाने का इतिहास, हुन सेन का अपने विरोधियों के खिलाफ़ हिंसा भड़काने के पुराने मामले और ऐसी धमकियों का प्रसार करने के लिए एक स्ट्रेटेजी के तहत सोशल मीडिया का उपयोग करने के उनके तरीके को देखते हुए, बोर्ड का मानना है कि Meta को हुन सेन का आधिकारिक Facebook पेज और Instagram अकाउंट छह महीने के लिए तुरंत सस्पेंड कर देना चाहिए.
2. केस की जानकारी और बैकग्राउंड
9 जनवरी, 2023 को कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन के आधिकारिक Facebook पेज से जारी एक लाइव वीडियो स्ट्रीम होने लगा. वीडियो में कंबोडियाई आधिकारिक भाषा खमेर में हुन सेन द्वारा दिया गया का एक घंटे 41-मिनट का भाषण दिखाया गया, यह भाषण वह कम्पोंग चाम में एक राष्ट्रीय मार्ग के विस्तार से जुड़ी परियोजना के उद्घाटन समारोह के दौरान दे रहे थे. इस भाषण में, उन्होंने अपनी सत्तारूढ़ कंबोडिया पीपुल्स पार्टी (CPP) पर 2022 में देश के स्थानीय चुनावों में धांधली किए जाने के आरोपों का जवाब दिया. सेन, यह आरोप लगाने वाले अपने राजनैतिक विरोधियों को सबक सिखाने के लिए “legal system” (कानूनी तरीके) और “a bat” (बल्ले) के बीच में से कोई एक चीज़ चुनने को कहते हैं. साथ ही, बोलते हैं कि उनके विरोधी कानूनी तरीका चुन सकते हैं, या वह “will gather CPP people to protest and beat you up” (उनका विरोध करने और उन्हें पीटने के लिए CPP के समर्थकों को इकट्ठा करेंगे). उन्होंने आगे कहा, “if you say that’s freedom of expression, I will also express my freedom by sending people to your place and home” (अगर आप इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहते हैं, तो मैं भी आपके यहाँ और घर में लोगों को भेजकर अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करूँगा) और अपने भाषण में उन्होंने “gangsters to [your] house” ([आपके] घर में गुंडे) भेजने की बात कही. उन्होंने संबंधित व्यक्तियों का नाम लेते हुए चेतावनी दी कि वे “need to behave” (ऐसे ही बर्ताव के काबिल हैं) और हुन कहते हैं कि वह “arrest a traitor with sufficient evidence at midnight” (आधी रात को पूरे सबूतों के साथ देशद्रोही को गिरफ्तार) करवा सकते हैं. हालाँकि, अपने भाषण में करीब 22 मिनट के बाद उन्होंने कहा कि “we don’t incite people and encourage people to use force” (हम लोगों को भड़का नहीं रहे हैं और न ही उन्हें हिंसा करने के लिए उकसा रहे हैं). लाइव ब्रॉडकास्ट खत्म होने के बाद, वह वीडियो ऑटोमेटिक तरीके से हुन सेन के Facebook पेज पर अपलोड हो गया, जिस पेज के करीब 14 मिलियन फ़ॉलोअर्स हैं, जहाँ इसे लगभग 600,000 बार देखा गया. यह वीडियो लगभग 3,000 लोगों द्वारा लगभग 4,000 बार शेयर किया गया.
Meta के हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के मामले में तीन यूज़र्स ने 9 से 26 जनवरी, 2023 के दौरान उस वीडियो की पाँच बार रिपोर्ट की. यह पॉलिसी “[t]hreats that could lead to death” (ऐसी धमकियाँ, जो किसी की मौत की वजह बन सकती है) (बहुत ही गंभीर स्तर की हिंसा) और “threats that lead to serious injury (मध्यम स्तर की गंभीरता वाली हिंसा)” (ऐसी धमकियाँ, जो किसी को गंभीर रूप से घायल करने की वजह बनती हैं) समेत “[s]tatements of intent to commit violence” (हिंसा करने के इरादे से दिए गए बयानों) पर रोक लगाती है. Meta आम तौर पर ह्यूमन रिव्यू के लिए कंटेंट की प्राथमिकता उसके उल्लंघन की गंभीरता, उसके वायरल होने की क्षमता और कंटेंट से जुड़ी पॉलिसी के उल्लंघन की आशंका के आधार पर तय करता है. इस केस में, Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम ने कंटेंट को ह्यूमन रिव्यू के लिए आगे नहीं बढ़ाया और उस रिव्यू के बिना ही यूज़र की रिपोर्ट को खारिज कर दिया. कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स की अपील पर, दो ह्यूमन रिव्यूर्स ने पाया कि उस कंटेंट से Meta की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ. उसी समय, उस कंटेंट से जुड़े पूरे मामले को Meta के पॉलिसी और विषयवस्तु से जुड़े विशेषज्ञों के समक्ष रखा गया. 18 जनवरी, 2023 को पॉलिसी और विषयवस्तु से जुड़े इन विशेषज्ञों ने माना कि उस वीडियो से हिंसा और उकसावे से जुड़े स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ है, लेकिन ख़बरों में रहने लायक कंटेंट होने की वजह से उसे प्लेटफ़ॉर्म से हटाया नहीं गया. ख़बरों में रहने लायक होने की वजह से पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले उस कंटेंट को Meta के प्लेटफ़ॉर्म से हटाया नहीं जाता है, जिसकी वजह से पैदा होने वाला जान-माल का जोखिम उस कंटेंट के जनहित से जुड़े महत्व से कम होता है. कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले एक यूज़र ने Meta के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड में अपील की. वहीं Meta ने भी अलग से इस केस को बोर्ड को रेफ़र किया.
कंबोडिया की राजनैतिक और सामाजिक परिस्थिति ख़ास तौर से इस केस से जुड़े कंटेंट का मूल्यांकन करने के लिए प्रासंगिक है. हुन सेन, जो कि अब 70 साल के हो चुके हैं, वह पहले खमेर रुज के कमांडर थे और 1985 से उनके पास देश की सत्ता है. फ़िलहाल वह चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, और 23 जुलाई, 2023 को कंबोडिया में होने वाले आम चुनाव में हिस्सा लेने वाले हैं, हालाँकि ऐसी ख़बरें हैं कि वह तब अपने बेटे को सत्ता सौंप सकते हैं. उनकी सरकार के आलोचक काफ़ी लंबे समय से राजनैतिक हिंसा झेल रहे हैं, 2017 और 2022 के दौरान 30 से ज़्यादा विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं पर हमले हो चुके हैं. विपक्षी दल के सदस्यों और राजनैतिक कार्यकर्ताओं की बेहद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है, जैसे कि 2016 में हुई प्रमुख राजनैतिक विश्लेषक केम ले की हत्या.
2015 में, हुन सेन ने अपने विपक्षी दल कंबोडियन नेशनल रेस्क्यू पार्टी (CNRP) को चेतावनी दी थी कि अगर किसी ने फ़्रांस में उनकी राजनयिक यात्रा का विरोध किया, तो उन्हें सबक सिखाया जाएगा. विरोध प्रदर्शन शुरू होने के तुरंत बाद, विपक्षी दल के दो संसदीय सदस्यों को भीड़ ने पीटा और गंभीर रूप से घायल होने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. नवंबर 2021 में, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय के उच्चायुक्त ने CNRP से जुड़े एक व्यक्ति की हत्या पर चिंता जताई थी, जिसे काफ़ी महीनों पहले धमकियाँ मिली थीं. यह हमला हुन सेन द्वारा “do what it takes to crack down [on] protests during Cambodia’s ASEAN chairmanship” (जो भी करना है करो, लेकिन कंबोडिया की आसियान अध्यक्षता के दौरान होने वाले विरोध प्रदर्शनों को कुचल दो) की धमकी दिए जाने के कुछ ही हफ़्ते बाद हुआ. कंबोडिया के एक निष्पक्ष मीडिया आउटलेट ने ख़बर जारी की कि 2017 और 2022 के दौरान विपक्षी दल के 30 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं पर “violently attacked” (हिंसक हमले हुए), इनमें से ज़्यादातर हमले “unknown assailants on public streets” (सार्वजनिक सड़कों पर अज्ञात हमलावरों) ने किए. आम लोगों की ओर से आए एक कमेंट (PC-11044) में Dangerous Speech Project ने आगाह किया कि हुन सेन के भड़काऊ भाषण से उनकी ऑडियंस हुन के विरोधियों के साथ हिंसा करने पर उतारू हो जाती है और इस हिंसा को सही ठहराने लगती है. हाल ही में Human Rights Watch के ज़रिए यह बात सही साबित हुई है, जो विपक्षी दल के सदस्यों के साथ हुई हिंसा की घटनाओं को सीधे 9 जनवरी के उस भाषण से जोड़ रहा है, जिसके बारे में इस केस में चर्चा की जा रही है. बोर्ड, कंबोडियाई सरकार द्वारा किए गए या होने दिए गए मानवाधिकार उल्लंघनों के दायरे और गंभीरता को उजागर करने के लिए हितधारकों और सार्वजनिक टिप्पणीकारों का आभारी है.
बोर्ड ने जिन निष्पक्ष विशेषज्ञों से इस मामले में सलाह ली, उन्होंने बताया कि बीते 12 महीनों में हुन सेन ने अपने राजनैतिक विरोधियों को अप्रत्यक्ष रूप से कई धमकियाँ देने के लिए Facebook और Instagram का उपयोग किया है. उन्होंने हाल ही में एक ऐसी पोस्ट की, जो देश के बाहर रहने वाले कंबोडियाई लोगों को दी गई धमकी जैसी लगती है, उन्हें चेतावनी दी गई है कि वे “oppose the election” (चुनाव का विरोध) न करें. मई 2017 में स्थानीय चुनावों से कुछ समय पहले, हुन सेन ने Facebook पर स्ट्रीम हो रहे एक भाषण में कहा कि देश में शांति बनाए रखने के लिए अगर ज़रूरत पड़ी तो वह “willing to eliminate 100 or 200 people” (100 या 200 लोगों को खत्म करने के लिए तैयार हैं), और धमकी दी कि अगर सत्ता उनके हाथ से गई, तो गृह युद्ध छिड़ जाएगा, ऐसी धमकी प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह कई बार दे चुके हैं. कुछ ही समय बाद दिए गए एक और भाषण में, जिसे लेकर बोर्ड यह तय नहीं कर पाया है कि हुन ने इसे Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट किया था या नहीं, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वे उन पर गृह युद्ध करने की धमकी देने का आरोप लगाते रहेंगे और वह चुनाव में हारते हैं, तो उनके आलोचकों और राजनैतिक विरोधियों को “prepare their coffins” (अपने ताबूत तैयार कर लेने चाहिए). हुन सेन ने यह भी दावा किया है कि उन्हें विपक्षी दल के उन नेताओं की हत्या न करने का अफ़सोस है जिन्होंने 2013 के राष्ट्रीय चुनावों के बाद उनके इस्तीफे की माँग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. बोर्ड द्वारा इस केस को रिव्यू के लिए चुने जाने के बाद, Facebook पर लाइवस्ट्रीम किए गए एक भाषण में, हुन सेन ने विपक्षी दल के नेता सैम रेन्सी को रॉकेट लॉन्चर से उड़ाने की धमकी दी.
हुन सेन की सबसे हालिया चुनावी जीत 2018 में हुई, जब CPP ने नेशनल असेंबली की सभी 125 सीटें जीतीं. उन चुनावों से पहले, कंबोडिया के सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी दल कंबोडियन नेशनल रेस्क्यू पार्टी (CNRP) को भंग करने का फ़ैसला सुनाया और उस पार्टी के 118 वरिष्ठ पदाधिकारियों को पाँच साल के लिए राजनीति से प्रतिबंधित कर दिया गया. हुन सेन के धमकाने और सार्वजनिक रूप से हिदायत देने के तुरंत बाद ही प्रतिबंध लगाए गए और उससे जुड़ी कानूनी कार्रवाइयाँ हुईं. 2017 की एक रिपोर्ट में, कंबोडिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने बताया कि विपक्षी दल के कई नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें दो सीनेटर को Facebook पोस्ट के आधार पर दोषी ठहराया गया था.
2023 के चुनाव की अगुवाई में हुन सेन सरकार ने विपक्षी दल के सदस्यों, निष्पक्ष प्रेस संस्थानों और नागरिक समाज समूहों पर दबाव बढ़ा दिया है, उन पर राजनैतिक दबाव में आकर केस दर्ज किए जा रहे हैं और दूसरे तरीकों से धमकाया जा रहा है. एक पब्लिक कमेंट में, International Commission of Jurists (ICJ) (पीसी-11038) ने कहा कि हुन सेन और कंबोडियाई अधिकारियों ने विपक्षी दल के नेताओं पर झूठे आरोप लगाकर और उनकी गैर-मौजूदगी में उन्हें बड़े पैमाने पर दोषी ठहराने जैसी कार्रवाई करके “systematically restricted human rights and fundamental freedoms” (पूरी प्लानिंग के साथ मानवाधिकारों का हनन किया है और उनकी मौलिक स्वतंत्रता छीनी है). ICJ ने “‘weaponization’ of laws that are not compliant with human rights law and standards.” (कानून का किसी हथियार की तरह उपयोग करने पर भी गंभीर चिंता जताई है, जो मानवाधिकार कानून और मानकों के खिलाफ़ है). संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत की 2022 की रिपोर्ट में बताया गया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता “long-standing issue” (यह एक ऐसा मुद्दा है, जो काफ़ी समय से लंबित है), लेकिन “more recent turn . . . in that some judicial and related personnel have close links with the political party in power” (हाल ही में इसमें एक नया मोड़ आया है . . . न्यायिक क्षेत्र से जुड़े कुछ प्रमख लोगों और कर्मचारियों के सत्तारूढ़ राजनैतिक दल के साथ गहरे संबंध हैं). इसी रिपोर्ट में बताया गया कि न्यायपालिका के अलावा, मीडिया और चुनावी प्रणाली पर भी सत्तारूढ़ पार्टी का हद से ज़्यादा प्रभाव देखने को मिला. जून 2022 में हुए स्थानीय चुनावों के संबंध में, विशेष दूत ने सवाल उठाया कि क्या कंबोडियाई नेशनल इलेक्शन कमेटी (NEC) के सदस्यों के “too close ties with the ruling party” (सत्तारूढ़ दल के साथ बहुत करीबी संबंध) थे, और रिपोर्ट दी कि चुनाव से पहले संदिग्ध रूप से उम्मीदवारों के नाम सूची से हटाए गए “large number of candidates, especially of the Candlelight Party” (बड़ी संख्या में हटाए गए उम्मीदवारों में से ज़्यादातर कैंडललाइट पार्टी के थे,) जो मुख्य विपक्षी दल है. 2022 के आखिरी में, हुन सेन ने 2023 के चुनावों से पहले अपने प्रमुख विपक्षी दल को भंग करने के लिए राष्ट्रीय अदालतों की मदद लेने की धमकी एक बार फिर दी. इसके थोड़े समय बाद, मई 2023 में NEC ने कैंडललाइट पार्टी का पंजीकरण करने से मना कर दिया, इस पार्टी को जुलाई में होने वाले चुनावों में भाग लेने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया और इस तरह से हुन सेन के लिए वाकई में चुनौती साबित होने वाली इकलौती पार्टी को चुनाव में उतरने से रोक दिया गया. इस फ़ैसले के बाद, एक Facebook पोस्ट के ज़रिए, हुन सेन ने इस अयोग्यता का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को “arrest and legal action” (गिरफ़्तार करने और उस पर कानूनी कार्रवाई करने) की धमकी दी. विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने की अपनी धमकियों पर बात करते समय उन्होंने बाद में कहा कि “when Hun Sen speaks, he acts” (हुन सेन जो बोलता, वह करता है).
हुन सेन सरकार ने निष्पक्ष मीडिया पर भी नकेल कसी है, कंबोडिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने बताया कि जुलाई में होने वाले चुनावों के काफ़ी समय पहले से दरअसल “virtually no free media outlets operating in the country” (देश में कोई भी निष्पक्ष मीडिया आउटलेट काम नहीं कर) रहा है. पहचान न उजागर करने की शर्त पर विशेषज्ञों ने बताया कि इन मीडिया आउटलेट को बंद किए जाने, विरोधियों के खिलाफ़ कंबोडिया की न्यायिक प्रणाली को हथियार की तरह उपयोग करने, और टार्गेट करके राजनैतिक हिंसा करने, ये सभी काम करके “intentionally cultivated climate of fear” (जानबूझकर डर का माहौल पैदा किया गया) है. कम्बोडियन जर्नलिस्ट अलायंस एसोसिएशन ने 2022 में पत्रकारों पर हुए उत्पीड़न के 35 मामले दर्ज किए. लोगों के कमेंट और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, डारने-धमकाने से सटीक और निष्पक्ष पत्रकारिता काफ़ी हद तक खत्म हो चुकी है, मीडिया आउटलेट सरकार के डर से संवेदनशील मुद्दों या हुन सेन के विवादास्पद भाषणों को कवर करने में कतराते हैं. इन मीडिया आउटलेट को यह भी धमकी दी गई है कि वे सरकार के प्रचार से जुड़े कंटेंट को फिर से तैयार करके बिना किसी आलोचनात्मक टिप्पणी के पेश करें.
2013 के आम चुनाव में काफ़ी कम अंतर के साथ मिली जीत के बाद, हुन सेन सरकार ने सोशल मीडिया की ताकत को पहचाना और कंबोडिया में बड़ी तेज़ी से बदलाव आया, जिसे Freedom House ने बाद में “ digital authoritarianism” (डिजिटल अधिनायकवाद) कहा, जिसमें सरकार अपने राजनैतिक विरोधियों को दबाने और धमकाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग और निगरानी करके उसका फ़ायदा उठाती है. जबकि सोशल मीडिया, और ख़ास तौर पर Facebook, राजनैतिक चर्चाओं और समाचारों के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफ़ॉर्म साबित हो सकता है, बोर्ड ने इस केस में जिन निष्पक्ष विशेषज्ञों से सलाह ली, उन्होंने बताया कि "there is minimal content in the Khmer-language Facebook ecosystem that is not supportive of the government" (Facebook पर खमेर-भाषा में सरकार का विरोध करने वाला कंटेंट बहुत ही कम है). हुन सेन और सरकार की आलोचना करने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए हिंसा और गिरफ्तारी की धमकी देना और डराना वहाँ की ऑनलाइन दुनिया में आम हो गया है. इसके अलावा, सरकार ने “National Internet Gateway” (नेशनल इंटरनेट गेटवे) के ज़रिए कंबोडिया में इंटरनेट के टेेक्निकल इन्फ़्रास्ट्रक्चर को कंट्रोल में लेने का प्रस्ताव दिया है. कंबोडियाई नागरिक समाज समूहों के अनुसार, यह सिस्टम सरकारी सर्वर के ज़रिए इंटरनेट ट्रैफ़िक को रूट करेगा और इससे सरकार, सोशल मीडिया और इंटरनेट को बड़ी आसानी से शटडाउन कर सकेगी, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को किसी कंटेंट को ब्लॉक या प्रतिबंधित करने के लिए मजबूर कर सकेगी. साथ ही, इससे यूज़र्स की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नज़र रखने की सरकार की क्षमता बढ़ेगी, और ऑपरेटरों को बल्क डेटा जुटाकर स्टोर करना होगा. फ़रवरी 2022 में, डाक और दूरसंचार मंत्रालय ने घोषणा की कि नेशनल इंटरनेट गेटवे से जुड़े कामों को वैश्विक महामारी COVID-19 के चलते स्थगित कर दिया गया है, हालाँकि ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जिससे यह पता चले कि इस प्रोजेक्ट को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है.
कंबोडिया में कंपनी की एक्टिविटी को लेकर Business for Social Responsibility (BSR) के ज़रिए करवाए गए मानवाधिकारों से जुड़े प्रभाव के मूल्यांकन का सारांश, और मानवाधिकार को लेकर किए गए कार्यों की जानकारी 2020 में Meta ने प्रकाशित की. BSR के देखने में आया कि Facebook की भूमिका “देश में सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण रही, जहाँ FM रेडियो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं और लगभग सभी प्रिंट, रेडियो और टीवी मीडिया अब सरकार के नियंत्रण में हैं.” इस केस पर विचार करते समय, बोर्ड को BSR ने पूरी रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन Meta ने तब इस रिपोर्ट को गोपनीय बनाए रखा था. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने कहा कि उसने हुन सेन के सभी पेज और अकाउंट का पूरी तरह से मूल्यांकन नहीं किया है, लेकिन जिस पेज को लेकर सुनवाई जारी है, उससे जुड़े उस कंटेंट को दिसंबर 2022 में हटा दिया गया था, जिससे हिंसा और उकसावे की पॉलिसी का उल्लंघन हुआ है.
Meta ने बोर्ड को यह केस रेफ़र करते हुए बताया कि ऐसे केस में “सुरक्षा” और “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” से जुड़े कंपनी के मूल्यों के बीच संतुलन बनाना तब बड़ा ही मुश्किल हो जाता है, जब यह तय करना होता है कि हिंसा और उकसावे से जुड़ी कंपनी की पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले किसी राजनेता के भाषण को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन कब दी जाए. Meta ने इस मामले में बोर्ड से मार्गदर्शन माँगा है कि सत्तारूढ़ सरकार के मामले में किसी ऐसे कंटेंट का मूल्यांकन कैसे किया जाए, जहाँ जानकारी का अधिकार दांव पर हो.
3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप
बोर्ड के पास उन फ़ैसलों को रिव्यू करने का अधिकार है, जिन्हें Meta रिव्यू के लिए सबमिट करता है (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 2, सेक्शन 2.1.1). बोर्ड को उस यूज़र के अपील करने के बाद Meta के फ़ैसले का रिव्यू करने का भी अधिकार है, जिसने पहले ऐसे कंटेंट की रिपोर्ट की थी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 3, सेक्शन 1). बोर्ड Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर अपने फ़ैसले को लागू करने की संभावना का भी आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाह शामिल हो सकती हैं, जिन पर Meta को जवाब देना ज़रूरी है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है.
4. अथॉरिटी और मार्गदर्शन के सोर्स
इस केस में बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड और पुराने फ़ैसलों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया:
I.ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले:
ओवरसाइट बोर्ड के कुछ सबसे प्रासंगिक पुराने फ़ैसलों में ये शामिल हैं:
- “टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो” (केस का फ़ैसला 2022-006-FB-MR)
- “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” (केस का फ़ैसला 2021-001-FB-FBR)
II.Meta की कंटेंट पॉलिसी:
हिंसा और उकसावे से जुड़े Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के पॉलिसी बनाने के कारण में बताया गया है कि उसका “उद्देश्य जमीनी स्तर पर होने वाले ऐसे संभावित नुकसान को रोकना है जो Facebook पर मौजूद कंटेंट के कारण हो सकता है" और यह कि Meta “जानता है कि लोग आम तौर पर छोटी-मोटी धमकी देकर या हिंसा करने की बात कहकर तिरस्कार करते हैं या असहमति जताते हैं, फिर भी [यह कंपनी] ऐसी बातों से जुड़े कंटेंट को हटा देती है जो गंभीर स्तर की हिंसा भड़काता है या उसे बढ़ावा देता है." इसमें आगे यह भी कहा गया है कि "जब Meta को लगता है कि वाकई में जान-माल का नुकसान होने का जोखिम है या सीधे तौर पर लोगों की सुरक्षा खतरे में है," तो वह कंटेंट को हटा देता है, अकाउंट बंद कर देता है और कानून लागू करने वाली संस्था की मदद लेता है. Meta कहता है कि "वह सामान्य कथनों और वास्तविक धमकी वाले कंटेंट में अंतर करने के लिए भाषा और संदर्भ को समझने की कोशिश भी करता है."
यह पॉलिसी किसी व्यक्ति, कोई अनाम व्यक्ति, या कम मशहूर सार्वजनिक हस्तियों को दी गई “ऐसी धमकियों पर रोक लगाती है, जो किसी की मौत की वजह बन सकती है” (बहुत ही गंभीर स्तर की हिंसा) और “ऐसी धमकियों पर रोक लगाती है, जो किसी को गंभीर रूप से घायल करने की वजह बनती हैं” (मध्यम स्तर की गंभीरता वाली हिंसा) और इस पॉलिसी में “हिंसा करने के इरादे से दिए गए बयानों”, “हिंसा को सही ठहराने वाले बयानों” या “हिंसा करने का इरादा रखते हुए या हिंसा करने के लिए सशर्त रूप से दिए गए बयानों” को भी धमकी माना जाता है. पॉलिसी को कैसे लागू किया जाए, यह बताने वाली आंतरिक गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि "अगर पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले किसी कंटेंट को निंदा करने या जागरूकता बढ़ाने के लिए शेयर किया जाता है, तो उसे परमिशन दी जाती है".
बोर्ड द्वारा कंटेंट पॉलिसी का विश्लेषण, Meta के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के अपने वादे, जिसे कंपनी "सर्वोपरि" बताती है, के आधार पर किया गया है:
हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लक्ष्य लोगों को खुलकर अपनी बात कहने का प्लेटफ़ॉर्म देना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना है. Meta चाहता है कि लोग उनके लिए महत्व रखने वाले मुद्दों पर खुलकर बोल सकें, भले ही कुछ लोग उन बातों पर असहमति जताएँ या उन्हें ये बातें आपत्तिजनक लगें.
Meta चार मूल्यों के लिए "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" पर रोक लगाता है, इस मामले में "सुरक्षा" सबसे ज़्यादा प्रासंगिक है:
हम Facebook को एक सुरक्षित जगह बनाने की पूरी कोशिश करते हैं. हम ऐसे कंटेंट हो हटा देते हैं, जो लोगों की शारीरिक सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने का जोखिम बढ़ा सकता है. डराने-धमकाने वाले कंटेंट से लोगों में डर और अलगाव की भावना पैदा हो सकती है या शायद वे चुप्पी साध लें और इसी वजह से Facebook पर ऐसा कंटेंट पोस्ट नहीं किया जा सकता.
"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" की व्याख्या करते हुए Meta न कहा है कि "कुछ मामलों में, हम ऐसे कंटेंट को परमिशन दे देते हैं जो वैसे तो हमारे स्टैंडर्ड के अनुसार नहीं होता है, लेकिन जो ख़बरों में रहने लायक और जनहित में होता है." इसे ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी वाली छूट के नाम से जाना जाता है. यह पॉलिसी का एक ऐसा सामान्य अपवाद है जो सभी कम्युनिटी स्टैंडर्ड पर लागू होता है. यह छूट लागू करने के लिए, Meta एक संतुलन जाँच करता है, जिसमें कंटेंट के जनहित और नुकसान के जोखिम का आकलन किया जाता है. Meta कहता है कि वह यह पता लगता है कि क्या कंटेंट से “लोगों के स्वास्थ्य या सुरक्षा को तात्कालिक खतरा है या फ़िर उससे राजनैतिक प्रक्रिया के तहत फ़िलहाल जिन विषयों पर चर्चा चल रही है, उससे जुड़े अलग-अलग नज़रियों को रखने की आज़ादी मिल रही है.” जनहित से जुड़े महत्व और नुकसान, इन दोनों का आकलन करते समय देश की परिस्थितियों का ध्यान रखा जाता है, जैसे कि क्या वहाँ कोई चुनाव या संघर्ष चल रहा है और क्या वहाँ प्रेस को आज़ादी है. Meta ने बताया कि वक्ता की पहचान के आधार पर हम पहले से ही यह नहीं मान लेते हैं कि कंटेंट जनहित का होगा ही, उदाहरण के लिए राजनेता के रूप में उनकी पहचान के आधार पर. Meta का कहना है कि "कंटेंट के कुछ हद तक ख़बरों में रहने लायक होने पर भी हम उस स्थिति में उसे हटा देते हैं, जब उसके प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद रहने से नुकसान होने का खतरा हो, जैसे कि शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय नुकसान या सीधे तौर पर लोगों की सुरक्षा खतरे में हो."
“पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का अकाउंट संस्पेंड करने” से जुड़े केस को देखते हुए Meta ने अशांति के दौरान सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट को प्रतिबंधित करने से जुड़ी पॉलिसी बनाई थी. इस पॉलिसी में यह माना गया कि “हिंसा की घटनाएँ होने या अशांति फैलने के दौरान सार्वजनिक हस्तियों द्वारा कंटेंट पोस्ट किए जाने के मामले में हो सकता है कि हमारे स्टैंडर्ड से जुड़े प्रतिबंध उल्लंघन के अनुपातिक न हों या जान-माल का और नुकसान होने से रोकने के लिए काफ़ी न हों.” बोर्ड के देखने में आया कि इस पॉलिसी में न तो हिंसा की घटनाएँ होने और न ही अशांति फैलने को परिभाषित किया गया है. इस पॉलिसी में यह माना गया है कि सार्वजनिक हस्तियों जब Meta की पॉलिसी का उल्लंघन करके धमकियाँ देती हैं, तो जान और माल का नुकसान होने की आशंका ज़्यादा रहती है. साथ ही, इस पॉलिसी में कुछ ऐसे मानदंड बनाए गए हैं, जिनका उपयोग करके कंपनी यह तय कर सकती है कि किसी सार्वजनिक हस्ती के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं और अगर प्रतिबंध लगाना है, तो कैसे लगाया जाए.
III. Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ
बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने स्वीकृति दी है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढाँचा तैयार करते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया. इस केस में बोर्ड ने Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण इन अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए किया:
- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार: अनुच्छेद 19, नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), सामान्य टिप्पणी सं. 34, मानवाधिकार समिति, 2011; एक्शन का रबात प्लान; विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत की रिपोर्ट: A/HRC/38/35 (2018) और A/74/486 (2019).
- शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होने की आज़ादी: अनुच्छेद 21, ICCPR.
- शारीरिक सुरक्षा का अधिकार: अनुच्छेद 9, ICCPR.
- जीवन का अधिकार: अनुच्छेद 6, ICCPR.
- सार्वजनिक मामलों में भागीदारी करने और मतदान का अधिकार: अनुच्छेद 25, ICCPR.
5. यूज़र सबमिशन
इस केस को न सिर्फ़ Meta ने बोर्ड को रेफ़र किया, बल्कि एक यूज़र ने Facebook से उस कंटेंट को नहीं हटाने के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड को अपील भी की. उस अपील में, यूज़र ने बताया कि पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं, जब हुन सेन ने इस तरह की धमकियाँ दी. विशेष रूप से, यूज़र ने बताया कि जुलाई 2023 के आम चुनाव से पहले, हुन सेन अक्सर दूसरों को हिंसा की धमकी देने और विपक्षी दल की गतिविधि को दबाने के लिए Facebook का इस्तेमाल करते थे.
6. Meta के सबमिशन
Meta ने बताया कि जबकि ह्यूमन रिव्यूअर्स ने शुरू में इस केस से जुड़े कंटेंट को उल्लंघन करने वाला नहीं माना था, इसके बाद और बेहतर रिव्यू के लिए इस केस को पॉलिसी और विषयवस्तु से जुड़े विशेषज्ञों के पास भेजा गया, तब कंपनी ने फ़ैसला लिया कि इस कंटेंट से हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ है, लेकिन ख़बर में रहने लायक कंटेंट होने की वजह से इसे प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हटाया जाना चाहिए.
इस केस को आगे बढ़ाए जाने पर, Meta ने तय किया कि हुन सेन के भाषण में दो जगहों पर हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ है: जिसमें से एक है, अपने राजनैतिक विरोधियों को “legal system” (कानूनी तरीके) और “a bat” (बल्ले) में से कोई एक चीज़ चुनने का विकल्प देना, और दूसरा है “gather CPP people to protest and beat you up” (आपके खिलाफ़ प्रदर्शन करने और आपको पीटने के लिए CPP समर्थकों को इकट्ठा करना). Meta ने बताया कि कंपनी की क्षेत्रीय टीम द्वारा उपलब्ध करवाई गई जानकारी के साथ भाषण से जुड़े संदर्भ को समग्र रूप से देखें, तो इन बयानों में “you” (आप) के ज़रिए कैंडललाइट पार्टी से जुड़े हुन सेन के राजनैतिक विरोधियों और संभावित रूप से भंग हो चुकी CNRP का उल्लेख करने के लिए किया गया है.
ख़बर में रहने लायक कंटेंट होने के नाते दी जाने वाली छूट के ज़रिए Facebook पर इस कंटेंट को बनाए रखने से होने वाले संभावित लाभ की तुलना में कितना नुकसान होने के आशंका है, इस बात का आकलन करते समय, Meta के देखने में आया कि एक घंटे और 41 मिनट के इस भाषण में मोटे तौर पर शासन या राजनीति के बारे में बात की गई थी, जैसे कि कंबोडिया के चीन के साथ संबंध और वैश्विक महामारी COVID-19. Meta ने कहा कि किसी देश के नेता के राजनैतिक भाषण का जनहित से जुड़ा महत्व बहुत ज़्यादा होता है, ख़ास कर कि जब वह भाषण चुनावी वर्ष दिया जाता है. इसके विपरीत, कंपनी के मूल्यांकन के अनुसार, भाषण की जिन बातों से उल्लंघन हुआ है, उन पर सिर्फ़ कुछ ही मिनट बोला गया. इस वजह से यह भाषण हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी में मध्यम स्तर की गंभीरता के तहत आता है.
Meta ने कहा कि अपनी सरकार की ओर से आने वाली संभावित हिंसा से जुड़ी चेतावनियाँ सुनने में जनता दिलचस्पी दिखाती है, ख़ास कर तब, जब उन धमकियों की ख़बर स्थानीय मीडिया से नहीं मिल पाती है. Meta को कंपनी की क्षेत्रीय टीमों से पता चला कि भले ही क्षेत्रीय मीडिया - जिसकी एक्सेस आम तौर पर कंबोडिया के सभी लोगों के पास नहीं है - ने इन धमकियों से जुड़ी ख़बरें दिखाई, वहीं स्थानीय मीडिया ने ऐसा नहीं किया. इस आकलन के समर्थन में, Meta ने हुन सेन के भाषण के हिंसक तत्वों के बारे में दो मीडिया रिपोर्ट का उल्लेख किया: एक Bangkok Post की और दूसरी Voice of Democracy की, जो कंबोडिया का एक स्वतंत्र न्यूज़ आउटलेट है, जिसे सरकार ने हाल ही में बंद किया है. Meta का मानना है कि इन स्थितियों में Facebook “सुरक्षा से जुड़े संभावित खतरों को लेकर जागरूकता फ़ैलाने में ख़ास भूमिका निभा सकता है.” इस संदर्भ को लेकर Meta ने बताया कि इस केस के कंटेंट में जारी हिंसा या सशस्त्र लड़ाई शामिल नहीं है, जैसा कि “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के निलंबन” और “टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो” केस के कंटेंट में था. फिर भी, Meta यह मानता है कि चुनाव आने वाले हैं और हुन सेन और CPP ने विपक्षी सार्वजनिक हस्तियों और मीडिया को कंट्रोल करने की कोशिश की है.
Meta ने बताया कि जब हुन सेन ने ये टिप्पणियाँ की थी, तब उनके क्या इरादे थे, इसके बारे में कंपनी पक्के तौर कुछ निर्धारित नहीं कर सकती. हालाँकि, Meta ने गौर किया कि “राजनैतिक विपक्षी को दबाने के लिए CPP द्वारा कोर्ट की प्रक्रियाओं के उपयोग को देखते हुए, ऐसा लगता है कि उन्होंने ताकत के बजाय कोर्ट का उपयोग करने का तरीका चुन लिया है, वैसे इससे भविष्य में हिंसा की संभावना खत्म नहीं होती.” बोर्ड के एक सवाल के जवाब में Meta ने कहा कि उसे कंबोडिया में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में जानकारी थी, “जिसमें प्रधानमंत्री हुन सेन का ऐसा भाषण देना भी शामिल है, जिसमें राजनैतिक विपक्षी के खिलाफ़ हिंसा या न्यायिक कार्रवाई के उपयोग की धमकी थी.”
Meta मानता है कि उसका फ़ैसला उसकी वैल्यू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों के भी अनुरूप है. Meta ने कहा कि संदर्भ और तात्कालिक खतरा न होना, यह तय करने में मुख्य कारण रहे कि इस कंटेंट को हटाने की ज़रूरत नहीं है. इस केस में दी गई धमकी “किसी जारी सशस्त्र लड़ाई या हिंसात्मक घटना से जुड़ी हुई नहीं है” और “अस्पष्ट” है. हालाँकि, Meta मानता है कि “ऐसी धमकियों से निपटना चुनौतिपूर्ण है जिनमें कोई तात्कालिक हिंसा न हो, लेकिन प्राधिकारी सरकार की ओर से जारी होने की वजह से उनसे डर का माहौल बनता है.”
बोर्ड ने Meta से 15 लिखित सवाल पूछे. इन चीज़ों से जुड़े सवाल: हुन सेन के पेज और अकाउंट की ओर से पिछले उल्लंघन; वे सांदर्भिक कारण जिन्हें ख़बर के लायक होने से मिलने वाली छूट लागू करते समय ध्यान में रखा गया; वे सांदर्भिक कारण जिन्हें हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी लागू करते समय ध्यान में रखा गया; कंबोडिया में सरकारी प्राधिकरणों के साथ Meta की बातचीत; पहले रेस्पॉन्स फिर रिव्यू वाली क्रॉस-चेक लिस्ट; और Meta की ओर से कंबोडिया में खमेर भाषा के कंटेंट के संचालन और प्रोडक्ट के काम के लिए रिसोर्स का आवंटन. Meta ने सभी सवालों के जवाब दिए.
7. पब्लिक कमेंट
ओवरसाइट बोर्ड को लोगों की ओर से इस केस के लिए प्रासंगिक 18 कमेंट मिले. पाँच कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशेनिया से मिले, एक मध्य और दक्षिण एशिया से, एक लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से और 11 अमेरिका और कनाडा से मिले.
सबमिट किए गए कमेंट में ये थीम थीं: कंबोडिया में राजनैतिक दमन और मानवाधिकारों की अवमानना का संदर्भ; कंबोडिया सरकार की हस्तियों का Facebook पर निरंकुश व्यवहार; और कंबोडिया में नागरिक अधिकारों की गिरती हुई स्थिति. बोर्ड ने सीधे नागरिक समाज के प्रतिनिधियों की भी बात सुनी, जिन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हुन सेन का धमाकाना और उकसाना, राजनैतिक विपक्षियों में डर का माहौल बनाने और कंबोडिया के लोगों को सरकार पर सवाल उठाने से रोकने का सोचा समझा तरीका है.
इस केस को लेकर लोगों की ओर से सबमिट किए गए कमेंट देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.
8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने यह केस इसलिए चुना क्योंकि इससे बोर्ड को यह जाँचने का मौका मिलता है कि क्या राजनैतिक नेता हिंसा भड़काने और राजनैतिक विरोध को बंद करने के लिए Meta प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर रहे हैं और अगर ऐसा है तो इसके क्या परिणाम होने चाहिए. यह केस Meta प्लेटफ़ॉर्म के सरकारी उपयोग और साथ ही चुनाव और नागरिकों के लिए इसकी जगह के रूप में बोर्ड की स्ट्रेटेजी से जुड़ी प्राथमिकताओं में आता है. बोर्ड ने Meta की कंटेंट पॉलिसी, वैल्यू और मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण करके इस बात की जाँच की कि इस कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए या नहीं.
8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
I. कंटेंट नियम
a. हिंसा और उकसावा
बोर्ड ने यह पाया कि इस केस का कंटेंट हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है और इसे प्लेटफ़ॉर्म से हटाना चाहिए.
बोर्ड ने पाया कि पोस्ट किए गए वीडियो में न केवल कुछ हद तक गंभीर हिंसा (गंभीर चोट) भड़काने के इरादे वाले स्पष्ट कथन थे, बल्कि हुन सेन के राजनैतिक विपक्षियों के प्रति बहुत गंभीर हिंसा (मृत्यु का जोखिम या अन्य तरह की गंभीर हिंसा) के कथन भी थे, जिनसे हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का स्पष्ट उल्लंघन होता है. व्यापक राजनैतिक संदर्भ उस निष्कर्ष को पुख्ता करता है: हुन सेन और उनकी पार्टी के मेंबर्स ने बार-बार विपक्ष और विपक्षी समर्थकों को धमकियाँ दी हैं और उनके खिलाफ़ हिंसा की है, जिसमें अपनी धमकियाँ देने के लिए अक्सर सोशल मीडिया का उपयोग किया है. पहले हुई हिंसा और दमन को देखते हुए, वे धमकियाँ और विश्वसनीय बन जाती हैं और इस संदर्भ में ऐसे कथनों से पॉलिसी का गंभीर उल्लंघन होता है. बोर्ड के विचार से, हुन सेन का उथला आश्वासन कि “we don’t incite people and encourage people to use force” (“हम लोगों को ताकत का इस्तेमाल करने के लिए नहीं उकसाते हैं और न ही प्रोत्साहित करते हैं”), उनके भाषण में दिए गए साफ़ मैसेज से विरोधाभासी है और विश्वसनीय नहीं है. बोर्ड को इस बात की चिंता है और आश्चर्य है कि शुरुआती रिव्यूअर ने बोर्ड से अलग निष्कर्ष निकाला था, लेकिन यह भी देखा कि Meta के देश विशिष्ट एक्सपर्ट ने रिव्यू करने पर यह जान लिया था कि पोस्ट से हिंसा और उकसावा से जुड़े स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ है.
बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने कहा कि “विपक्षी नेताओं पर मुकदमा करने या उनके खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देने मात्र से हिंसा [हिंसा और उकसावा] से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता है क्योंकि इनमें शारीरिक चोट पहुँचाने की हिंसा शामिल नहीं है.” Meta ने इस दृष्टिकोण का स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि “सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के रूप में, हम अकेले यह तय नहीं कर सकते कि सरकारी की ओर से कानूनी कार्रवाई करने की धमकी गलत है.”
हालाँकि ऐसा दृष्टिकोण तब सही हो सकता है जब वाकई में धमकियाँ “एकमात्र” कारण हों, पर इस केस में ऐसा नहीं था. जहाँ प्रशासन ऐसा हो जिसने पहले कई बार विपक्ष के खिलाफहिंसा की धमकी को साकार किया है और Meta प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग किया है, तो कंपनी को राजनैतिक विपक्ष के खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी, हिंसा की धमकी या डराने का रूप ले लेती है या नहीं, इसका आकलन करने के लिए अपनी क्षेत्रीय टीमों और विशेषज्ञता पर भरोसा करना चाहिए. कंबोडिया के संदर्भ में, जहाँ कोर्ट पर शासन करने वाली पार्टी का कंट्रोल होता है और इसका नियमित रूप से विपक्ष को दबाने के लिए उपयोग किया जाता है, वहाँ प्रधानमंत्री का अपने विपक्ष को कानूनी कार्रवाई की धमकी देना हिंसा की धमकी देने के बराबर है. विपक्ष को “आधी रात में” गिरफ़्तार करने की धमकियाँ देना, सही प्रोसेस नहीं है. बोर्ड ने यह भी ध्यान दिया कि हुन सेन ने पहले जिन लोगों को कोर्ट का दुरूपयोग करके डराया है, उन पर बाद में उपरोक्त बताए गई शारीरिक हिंसा भी हुई है.
b. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट
बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि Meta की ओर से इस केस में ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देना गलत था, क्योंकि इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने देने से होने वाला नुकसान, सभी को भाषण के बारे में बताने से होने वाले जनहित से ज़्यादा है.
ख़बरों में रहने लायक कंटेंट के बारे में Meta के दृष्टिकोण के अनुसार, वक्ता के आधार पर ऐसा कोई पूर्वाग्रह नहीं बनाया जाता है कि कंटेंट ख़बरों में रहने लायक ही है. यह फ़ैसला लेने के पीछे के कारण के बारे में, Meta ने रिपोर्ट किया कि इस केस में कंपनी ने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी गई छूट को लागू करने का फ़ैसला लेने में केवल कंटेंट के अलावा और भी कारणों पर ध्यान दिया है. Meta ने “कंबोडिया में देश विशिष्ट स्थितियों और राजनैतिक संरचना, दोनों पर ध्यान दिया, जिसमें एक स्वतंत्र प्रेस की कमी, हुन सेन द्वारा राजनैतिक विपक्ष का दमन किए जाने की रिपोर्ट और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट भी शामिल हैं.”
बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने कहा कि जिन धमकियों की चर्चा की जा रही है, उनके बारे में लोकल प्रेस कवरेज की कमी सीधे कंबोडिया के लोगों के लिए चेतावनी के रूप में कंटेंट के जनहित में होने के महत्व से संबंधित है. जहाँ क्षेत्रीय मीडिया में धमकियों की रिपोर्ट हुई, वहीं भाषण के लोकल कवरेज में इनका कोई उल्लेख नहीं था, यह तथ्य कंपनी के आकलन पर आधारित था. बोर्ड ने ध्यान दिया कि Meta ने जिन मीडिया आउटलेट का उल्लेख किया उनमें से एक कंबोडिया में स्थित Voice of Democracy है, जिसने हुन सेन के भाषण में हिंसात्मक धमकियों की रिपोर्ट की और फ़रवरी 2023 में बंद होने के पहले खुद को “लोकल स्वतंत्र मीडिया आउटलेट” बताया था. एक्सपर्ट की एकरिपोर्ट में पाया गया कि 2023 में कंबोडिया में 82.6% “योग्य” ऑडियंस (मतलब 13 और इससे ज़्यादा उम्र के लोग) Facebook का उपयोग करती है. सोशल मीडिया उपयोग करने के कारणों की चर्चा करते हुए, Freedom House ने रिपोर्ट किया कि 2018 के आम चुनाव के बाद कंबोडिया के लोगों के लिए इंटरनेट “ख़बरों और जानकारी का मुख्य सोर्स बन गया है और सोशल मीडिया की वजह से अलग तरह का ऐसा कंटेंट ज़्यादा प्रसारित हो रहा है, जो सरकार से प्रभावित नहीं है.” Meta ने यह भी ध्यान दिया कि भाषण में “धमकियों की अस्पष्ट प्रकृति” यह तय का कारण बनी “कि लोगों को राजनैतिक भाषण सुनने की सुविधा देने में जनहित का महत्व . . . हानि के जोखिम से ज़्यादा था” और इससे ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी गई छूट मिली.
बोर्ड मानता है कि राजनैतिक नेताओं के हिंसक भाषक का आकलन करते समय एक कुशल संतुलन रखना चाहिए. कंबोडिया में सोशल मीडिया पर बहुत ज़्यादा निर्भरता के अलावा, सरकार ने देश में लगभग सभी स्वतंत्र पारंपरिक मीडिया बंद कर दिया है, जिसकी वजह से लोगों को दूसरे चैनलों से निष्पक्ष ख़बरें नहीं मिलना मुश्किल हो गया है. इसके अलावा, पारदर्शिता का एक पुरज़ोर तर्क यह है कि कंबोडिया के लोगों को पता होना चाहिए कि उनके नेता विपक्ष को धमकियाँ दे रहे हैं, हालाँकि बोर्ड ने ध्यान दिया कि कंबोडिया के अधिकतर लोगों को मालूम होगा कि हुन सेन प्रशासन के मेंबर्स नियमित रूप से ऐसे भाषण देते रहते हैं.
हालाँकि, सोशल मीडिया पर हुन सेन की पहुँच को देखते हुए, प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसे भाषण की परमिशन देने से उनकी धमकियों को और ज़्यादा फैलने में मदद मिलती है. इससे धमकाने के लिए Meta के प्लेटफ़ॉर्म का दुरूपयोग भी होता है और धमकियों के फैलने से नुकसान बढ़ता है और डर का माहौल पैदा होता है. यह हुन सेन की धमकियों के बारे में रिपोर्ट करने वाली किसी थर्ड पार्टी की पोस्ट नहीं थी, बल्कि हुन सेन के आधिकारिक Facebook अकाउंट की पोस्ट में वो धमकियाँ दी गई थीं.
बोर्ड को इस बात की चिंता है कि राजनैतिक नेता द्वारा स्वतंत्र मीडिया और राजनैतिक विपक्ष के खिलाफ़ उत्पीड़न और डराने का लगातार कैंपेन, ख़बरों में रहने लायक होने का आकलन करने में एक कारक बन सकता है, जिससे उल्लंघन करने वाला कंटेंट नहीं हटाया जाता है और अकाउंट पर पैनल्टी नहीं लगती है. ऐसे किसी भी चलन को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए. किसी कंटेंट को ख़बरों में बने रहने लायक होने की छूट दी जाए या नहीं, यह तय करते समय Meta को मीडिया की स्वतंत्रता को ज़्यादा महत्व देना चाहिए, ताकि यह छूट उन स्थितियों में जारी होने वाले सरकारी भाषण को न मिलने पाए, जहाँ सरकार मीडिया को दबाकर अपने कंटेंट को ख़बरों में बना रहने लायक बनाती है.
Meta के दृष्टिकोण में यह भी पूर्वाग्रह दिखता है कि उल्लंघन करने वाला कंटेंट देखने वाले लोग, उसमें निहीत भड़काने वाले इरादे को जान लेंगे और उसे स्वीकार नहीं करेंगे. हालाँकि, कंबोडिया में ऐसे कंटेंट को स्वीकार न करने की अभिव्यक्ति के मौके कम हैं और उल्लंघन करने वाले कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन देने से राजनेताओं के हिंसक भाषण को मान्यता मिलती है. इस केस में ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी गई छूट लागू करने से चर्चा आगे बढ़ने के बजाय, बंद हो जाएगी जिससे हुन सेन का मीडिया क्षेत्र में दबदबा बढ़ेगा.
ख़बरों में रहने लायक कंटेंट को लेकर Meta के दृष्टिकोण में जनहित और हानि के जोखिम के बीच संतुलन बनाया जाता है. हालाँकि, बोर्ड ने पाया कि जहाँ सार्वजनिक हस्तियाँ हिंसा भड़काने के लिए Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करती हैं, वहाँ यह संतुलन नहीं बनाया जा सकता. अगर भड़काने वाले भाषण में काफ़ी हद तक जनहित निहित है तो इसे जर्नलिज़्म में कोई न कोई थर्ड पार्टी रिपोर्ट करेगी ही. जहां रिपोर्ट किया गया कंटेंट किसी सार्वजनिक हस्ती द्वारा हिंसा भड़काने का समर्थन करे बिना उसके बारे में जागरूकता बढ़ाए, उसकी निंदा करे या उस पर कमेंट करे, तो उसे प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए, Meta ख़बरों में रहने लायक होने की वजह से सीधे भड़काने वाले कंटेंट को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर परमिशन नहीं दे सकता.
II. एन्फ़ोर्समेंट एक्शन
बोर्ड मानता है कि इस केस में ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी गई छूट को वापस लेना चाहिए और कंटेंट को हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने की वजह से हटा देना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है कि Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग हिंसक धमकियों, प्रतिहिंसा, राजनैतिक विपक्ष को दबाने, ख़ासकर चुनाव के दौरान, को बढ़ाने के लिए नहीं किया जाए, जैसा कि इस केस में है. इसके अलावा, उल्लंघन की गंभीरता, कंबोडिया में राजनैतिक संदर्भ, सरकार द्वारा मानवाधिकारों की अवमानना करने का इतिहास, हुन सेन का अपने विरोधियों के खिलाफ़ हिंसा भड़काने का इतिहास और जिस तरह से वो धमकियों का प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, इस सभी तथ्यों को देखते हुए बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि Meta को कंबोडिया के प्रधानमंत्री का आधिकारिक Facebook पेज और Instagram अकाउंट तुरंत निलंबित करना चाहिए. हालाँकि पहली बार में किसी के अकाउंट को निलंबित करने की अवधि तय करना बोर्ड की भूमिका में नहीं आता है, लेकिन बोर्ड का मानना है कि यहाँ पेज और अकाउंट को कम से कम छह महीनों के लिए निलंबित करना चाहिए, ताकि Meta को स्थिति को समझने के लिए समय मिले और वह तयशुदा अवधि सेट कर सके. आगे, निलंबन को खत्म करने से पहले, Meta को प्रासंगिक जानकारी शेयर करने के लिए लोकल स्टेकहोल्डर्स को आमंत्रित करके यह आकलन करना चाहिए कि सार्वजनिक सुरक्षा का खतरा कम हुआ है या नहीं.
“पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के निलंबन” के केस में बोर्ड के सुझावों को लेकर दिए गए अपने जवाब के हिस्से के तौर पर Meta ने सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट को प्रतिबंधित करना (ऊपर सेक्शन 4 देखें) पर पॉलिसी बनाई थी. यह पॉलिसी “जारी हिंसा या नागरिक अशांति के दौरान पोस्ट करने वाली सार्वजनिक हस्तियों” पर लागू होती है. विस्तृत राजनैतिक दमन और राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ़ बार-बार हिंसक कार्रवाई के परिदृश्य को देखते हुए, बोर्ड Meta से असहमत है और उसे लगता है कि कंबोडिया में 2023 के चुनाव तक जारी हिंसा की स्थिति बनती है.
बोर्ड ने ध्यान दिया कि हालाँकि पॉलिसी 6 जनवरी 2021 को US Capitol बिल्डिंग पर हुए हमले के बाद बनी थी, इसे "सार्वजनिक हस्तियों द्वारा जारी हिंसा या नागरिक अशांति के दौरान कंटेंट पोस्ट करने के मामले में, Meta के स्टैंडर्ड प्रतिबंधों के उल्लंघन के अनुपातिक न होने या आगे नुकसान को कम करने में पर्याप्त न होने पर" एक फ़्रेमवर्क देने के लिए बनाया गया था. हालाँकि पॉलिसी में "जारी हिंसा" और "नागरिक अशांति" को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन यह केस साफ़ तौर पर इस पॉलिसी के तहत आता है. हिंसा न केवल तब जारी स्थिति में होती है जब कोई एक ही हिंसक घटना या नागरिक अशांति का समय चल रहा हो, बल्कि यह तब भी जारी होती है जब राजनैतिक नेता विरोध या नागरिक अशांति को दबाने के लिए सरकारी समर्थन से व्यापक दमन और बार-बार हिंसक कार्रवाई करके धमकी का उपयोग कर रहे हों. हालाँकि बोर्ड मानता है कि जैसा कि इस केस में पाया गया कि यह पॉलिसी लागू होती है, Meta के लिए यह ज़रूरी है कि वह ऐसी स्थितियों के बारे में स्पष्टता से बताए जब सार्वजनिक हस्तियों द्वारा इसके प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट करने पर पॉलिस लागू होगी.
इस पॉलिसी के तहत प्रतिबंध लागू करने के मापदंड तीन आयामी हैं. सबसे पहले, Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर उल्लंघन की गंभीरता और सार्वजनिक हस्ती का इतिहास. बोर्ड के अनुसार लोगों के घरों तक हिंसक भीड़ भेजना सबसे ज़्यादा गंभीर उल्लंघन है. यह हुन सेन द्वारा प्लेटफ़ॉर्म पर और उसके बाहर भी अपने विरोधी के खिलाफ़ हिंसा भड़काने में सफलता के इतिहास और हिंसा और उकसाने से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने की वजह से दिसंबर 2022 को उनके पेज से कंटेंट हटाने से और पुख्ता होता है. दूसरा मापदंड है सार्वजनिक हस्ती की लोगों को हिंसा में शामिल करने में संभावित प्रभावशीलता और उनके साथ संबंध. फिर से, यह सबसे ज़्यादा गंभीरता के स्तर पर है. हुन सेन प्रधानमंत्री हैं जिनका अपनी पार्टी, मिलिट्री, कानून के एन्फ़ोर्समेंट और कंबोडिया के न्यायतंत्र पर पूरा कंट्रोल है, साथ ही जनसंख्या का एक भाग में उनके प्रति बहुत अधिक निष्ठा भी है. उनका प्रभाव इस तथ्य से साफ़ होता है कि उनके भाषण और पहले उकसाने वाली बातों से उनके विरोधियों के खिलाफ़ हिंसा हुई है. आखिरी मापदंड है, हिंसा की गंभीरता और संबंधित शारीरिक चोट, यह भी पूरा होता है. भाषण में सशस्त्र हमले के लिए भड़काया गया और पहले की भड़काने वाली बातों से हत्याएँ हुई हैं. बोर्ड ने यह भी ध्यान दिया कि, Meta के इस निष्कर्ष से उलट कि धमकियाँ "अस्पष्ट" थीं, उन्होंने कम के कम एक राजनैतिक विरोधी का नाम लिया था.
पॉलिसी में बताए गए कारकों के अलावा, किसी राजनेता को अपने प्लेटफ़ार्म से निलंबित करना है या नहीं और ऐसा कितने समय के लिए करना है, यह तय करते समय Meta को विचाराधीन देश के राजनैतिक संदर्भ और मानवाधिकारों की स्थिति का भी ध्यान रखते हुए प्लेटफ़ार्म पर व्यक्ति के व्यवहार का आकलन करना चाहिए. इस केस में जिस तरह के कंटेंट का रिव्यू किया जा रहा, उसे Meta की पॉलिसी का एक ही बार का उल्लंघन मानना, उस भाषण और उसके जैसे दूसरे भाषण की सच्चाई को अनदेखा करना है. ये सभी डराने-धमकाने की जारी और सोची समझी कोशिशें हैं, जिसमें ऑफ़लाइन हिंसा शामिल है. साथ ही, वास्तव में हुई हिंसा से सोशल मीडिया पर दी गई धमकी की गंभीरता की पुष्टि होती है, जिससे प्लेटफ़ॉर्म के बाहर हुए इन एक्शन को प्लेटफ़ॉर्म पर मिले महत्व का पता चलता है. जैसा कि पहले इस फ़ैसले में देखा गया, हुन सेन आदतन सोशल मीडिया का उपयोग करके अपने विरोधियों के खिलाफ़ प्रत्यक्ष और अप्रयक्ष धमकियों का प्रसार करते हैं और साथ ही उन्हें अपने शासन के लिए जिससे खतरा महसूस होता है, उसे डराने-धमकाने का महौल बनाते हैं.
बोर्ड को मिली जानकारी से साफ़ पता चलता है कि हुन सेन अपने विरोधियों के खिलाफ़ धमकियों का प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, जिससे धमकियाँ बड़े पैमाने पर फैलती हैं और वे Meta प्लेटफ़ॉर्म की एक्सेस होने से ज़्यादा नुकसान पहुँचा पाते हैं. पहले हुई घटनाओं के संदर्भ के साथ, अपने राजनैतिक विपक्षियों के खिलाफ़ हिंसा भड़ाकाने के लिए हुन सेन द्वारा प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग, उनके शासन द्वारा मानवाधिकारों की अवमानना और आगामी चुनाव, सभी को देखते हुए तुरंत एक्शन लेना ज़रूरी है. बोर्ड के अनुसार इस केस के कंटेंट को गंभीर उल्लंघन मानना चाहिए और इसके लिए Facebook और Instagram से तुरंत निलंबित करना चाहिए.
बोर्ड ने ध्यान दिया कि कंपनी फ़िलहाल सरकारी अधिकारी या उनके आधिकारिक पेज या अकाउंट के निलंबित होने या उसका कंटेंट हटाए जाने पर लोगों को नहीं बताती है. किसी सरकारी अधिकारी के पेज या अकाउंट निलंबित होने पर और इसका क्या कारण रहा, इस बारे में Meta को अनाउंसमेंट करना चाहिए. Meta को हटाए गए कंटेंट को रिसर्च, कानूनी उद्देश्यों, जर्नलिज़्म के लिए एक्सेस और चर्चा के लिए संभालकर रखने पर भी ध्यान देना चाहिए.
8.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
जैसा कि बोर्ड ने ऊपर देखा, Meta की खुद की पॉलिसी के अनुसार हुन सेन की पोस्ट हटाई जानी थी. बोर्ड ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि नागरिक अशांति के दौरान अकाउंट प्रतिबंधित करने से जुड़ी Meta की पॉलिसी के अनुसार हुन सेन को Meta के प्लेटफ़ॉर्म से निलंबित किया जाना चाहिए था. इस कंटेंट को Facebook पर रहने देना, साथ ही हिंसा भड़काने के लिए हुन सेन द्वारा Meta के प्लेटफ़ॉर्म का लगातरा उपयोग होना, कंपनी की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों से विरोधाभासी है. यह ख़ासकर इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि इससे कंबोडिया में मतदान और सार्वजनिक मसलों में हिस्सा लेने (ICCPR, अनुच्छद 25), शांतिपूर्ण तरीके से बैठक करने (ICCPR, अनुच्छेद 21), शारीरिक सुरक्षा के (ICCPR, अनुच्छेद 9) और जीवन के (ICCPR, अनुच्छदे 6) अधिकारों को होने वाले खतरे का पता चलता है. नीचे बताए गए विश्लेषण में, बोर्ड ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के प्रति Meta की ज़िम्मदारी का ध्यान रखते हुए, इस भाषण के प्रतिबंध का आकलन किया (ICCPR, अनुच्छेद 19).
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19 ICCPR)
नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संविदा (ICCPR) का अनुच्छेद 19, पैरा. 2 “विचार और राय की हर प्रकार की बातचीत की अभिव्यक्ति और प्राप्ति, जिसे दूसरे तक पहुँचाया जा सकता है,” की सुरक्षा करता है. इसमें राजनीति, सार्वजनिक मसले और मानवाधिकार ( सामान्य टिप्पणी सं. 34 (2011), मानवाधिकार समीति, पैरा. 11-12) शामिल हैं. साथ ही, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति का कथन है कि "नागरिकों, उम्मीदवारों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच सार्वजनिक और राजनैतिक मुद्दों के बारे में जानकारी और विचारों की निसंकोच चर्चा आवश्यक है" (सामान्य टिप्पणी सं. 34, पैरा. 20).
जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. Meta की स्वैच्छिक मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को समझने के लिए बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग करता है - रिव्यू किए जा रहे कंटेंट से जुड़े व्यक्तिगत फ़ैसले और कंटेंट संबंधी नियमों के मामले में Meta के व्यापक नज़रिए, दोनों के लिए. जैसा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में संयुक्त राष्ट्र के ख़ास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव ऐसा है जो उनके लिए अपने यूज़र की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का आकलन करना ज़रूरी बनाता है” (A/74/486, पैरा. 41). इस मामले में, बोर्ड ने कंटेंट को हटाने और हुन सेन को निलंबित करने, दोनों फ़ैसलों का आकलन करने के लिए तीन हिस्सों वाला परीक्षण लागू किया और देखा कि Meta की पॉलिसी के तहत ऐसा करते हुए, यह फ़ैसले कंपनी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा करने ज़िम्मेदारी के साथ संगत हैं या नहीं.
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार अभिव्यक्ति पर रोक लगाने वाले नियम स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने चाहिए (सामान्य टिप्पणी सं. 34, पैरा. 25). अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने वाले नियम “उन लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में "उन लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना चाहिए जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं" ( पूर्वोक्त). ऑनलाइन अभिव्यक्ति की निगरानी करने वाले नियमों के मामले में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र के ख़ास रैपर्टर में कहा गया है कि उन्हें स्पष्ट और विशिष्ट होना चाहिए (A/HRC/38/35, पैरा. 46). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के लिए कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
बोर्ड ने जाना कि हुन सेन और उनके सोशल मीडिया को संभालने वाले लोग यह आसानी से मालूम कर सकते थे कि कंटेंट से हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हो रहा था जिसके तहत धमकी भरे भाषण, ख़ासकर आगामी चुनाव के मामले में प्रतिबंधित हैं. आलोचकों को “bat” (बल्ला) और समर्थकों द्वारा पीटे जाने की धमकी देना साफ़ तौर पर नियमों के खिलाफ़ है. ऐसे ही, सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट प्रतिबंधित करने पर Meta की पॉलिसी में यह स्पष्ट है कि जारी हिंसा के व्यापक संदर्भ में सार्वजनिक हस्तियों की ओर से ऐसे गंभीर उल्लंघन जिनकी वजह से हिंसा या शारीरिक नुकसान पहुँचे, उनका निलंबन किया जाना चाहिए. जैसा कि पहले बताया गया है, बोर्ड के अनुसार पॉलिसी फ़िलहाल जिस रूप में, वह इस केस में लागू होती है. हालाँकि, Meta को पॉलिसी की सीमा के बारे में स्पष्ट ब्यौरा देना चाहिए.
II. वैधानिक लक्ष्य
हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लक्ष्य “संभावित ऑफ़लाइन नुकसान को रोकना” है और यह ऐसे कंटेंट को हटा देता है जिससे “वास्तविक शारीरिक नुकसान का खतरा हो या सार्वजनिक सुरक्षा को सीधा खतरा हो.” इसके अलावा, सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट प्रतिबंधित करने से जुड़ी Meta की पॉलिसी तब लागू होती है जब “सामान्य प्रतिबंध, उल्लंघन के अनुपात में न हों या आगे होने वाले नुकसान के खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त न हों.” लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हिंसा की अपीलों और मानमाने तरीके से गिरफ़्तार करने की धमकियों को प्रतिबंधित करना, अनुच्छेद 19, पैरा. 3 के तहत एक वैधानिक लक्ष्य है, क्योंकि यह जीवन को लेकर “दूसरों के अधिकार” (ICCPR, अनुच्छेद 6) और मनमानी गिरफ़्तारी और कैद के विरुद्ध सुरक्षा देता है (ICCPR, अनुच्छेद 9 पैरा. 1). ख़ासकर चुनाव तक, दोनों पॉलिसी शांतिपूर्ण बैठक करने के दूसरों के अधिकार की (ICCPR, अनुच्छेद 21) और मतदान करने और सार्वजनिक मसलों में हिस्सा लेने के अधिकार की सुरक्षा करने के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए लागू की जा सकती हैं (ICCPR, अनुच्छेद 25).
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; [और] जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए" ( सामान्य टिप्पणी सं. 34, पैरा. 34).
हिंसक कंटेंट से होने वाले जोखिमों का आकलन करते समय, बोर्ड आम तौर पर छह कारकों वाले परीक्षण से मार्गदर्शन लेता है जिसकी जानकारी रबात एक्शन प्लान में दी गई है. यह परीक्षण राष्ट्रीय, नस्लीय या धार्मिक घृणा के समर्थन का समाधान करता है जिससे शत्रुता, भेदभाव या हिंसा को उकसावा मिलता है. प्रासंगिक कारकों के आकलन, ख़ासकर स्पीकर, भाषण के संदर्भ और सीमा के आधार पर, जैसा कि नीचे व्याख्या की गई है, बोर्ड के अनुसार हुन सेन का उकसाने वाला कंटेंट हटाना Meta के मानवाधिकारों ज़िम्मेदारियों का अनुपालन करना है क्योंकि इससे तुरंत और संभावित नुकसान पहुँच सकता है. लोगों के जीवन और शारीरिक सुरक्षा के अधिकारों की सुरक्षा के लिए और विपक्ष के सदस्यों को संभावित हिंसा और उत्पीड़न से बचाने के लिए, कंटेंट को हटाना और अभिव्यक्ति को अनुपातिक रूप से सीमित करना आवश्यक है.
पोस्ट किए गए वीडियो में कंबोडिया सरकार के प्रमुख व्यक्ति का भाषण है, जो ऐसी सार्वजनिक हस्ती हैं जिनका शासन 1985 से जारी है और उनकी काफ़ी पहुँच और अधिकार हैं. इस हिसाब से भाषण राज्य शासन की कार्रवाई है. जैसा कि केस के बैकग्राउंड सेक्शन में देखा गया, रिपोर्ट के अनुसार हुन सेन के शासन ने विरोधियों और विपक्ष के सदस्यों को दबाने और उत्पीड़ित करने के लिए शारीरिक हिंसा और कंबोडिया के न्याय तंत्र, दोनों का उपयोग किया है. जैसा कि “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के निलंबन” वाले केस के फ़ैसले (2021-001-FB-FBR) में उल्लेख है, ये कारक उनके कथनों से होने वाले नुकसान और उनकी टिप्पणियों में निहीत जनहित, दोनों से जुड़े खतरे के स्तर को बढ़ाते हैं.
यह भाषण कंबोडिया में जुलाई 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लगभग छह महीने पहले दिया गया था और इसमें जनहित के मुद्दों की चर्चा के साथ ही चुनाव और राष्ट्रीय अवसंरचना को लेकर आगे की चर्चा भी शामिल है. बोर्ड ने ध्यान दिया कि कंबोडिया में लोगों को इन मुद्दों के बारे में अन्य साधनों से जानकारी की एक्सेस है, जिसमें अन्य सोशल मीडिया अकाउंट और भाषण की रिपोर्टिंग शामिल है और इनमें धमकी का कोई उल्लेख नहीं है. हालाँकि, “bat” (बल्ला) जैसे शब्दों का उपयोग, जिसके संदर्भ से साफ़ होता है कि यहाँ हथियार के रूप में बात की गई है और विपक्षी नेताओं के बारे में बात करते समय, “sending gangsters to [your] house,” ( [आपके] घर पर गुंडे भेजना,) या “legal action” (कानूनी कार्रवाई), जिसमें आधी रात को गिरफ़्तारी की बातें शामिल हैं, यह सभी राजनैतिक विरोध को कमज़ोर करने के लिए हिंसा भड़काना और मनमानी गिरफ़्तारी की धमकी देना है.
अपने फ़ैसले के कारण में Meta अपनी इस बात पर कायम रहा कि “इस केस में धमकी स्पष्ट नहीं थी और किसी जारी सशस्त्र लड़ाई या हिंसात्मक घटना से जुड़ी नहीं है.” धमकियों के बारे में Meta के इस निर्धारण को बोर्ड स्वीकर नहीं करता कि वे अस्पष्ट थीं. इस संदर्भ में, अस्पष्ट संदर्भों के बारे में भी यह साफ़ समझ आता है कि उनका ख़ास अर्थ है. यहाँ, आगामी चुनाव और हुन सेन द्वारा राजनैतिक विरोधियों को टार्गेट बनाने के परिदृश्य को देखते हुए, धमकियाँ काफ़ी स्पष्ट हैं. साथ ही, हुन सेन के समर्थकों द्वारा की गई हिंसा और विपक्षी नेताओं को डराने के इतिहास को देखते हुए, बोर्ड को लगता है कि प्रधानमंत्री द्वारा हिंसा की कोई भी अपील विश्वसनीय है और उसका काफ़ी हद तक असर होगा. सरकार की अप्रत्यक्ष ताकतों के साथ ही ख़ासकर हिंसा के साधनों पर कंबोडिया सरकार के पूरे कंट्रोल को देखे हुए, वस्तुस्थिति यही है.
चुनाव लोकतंत्र का अहम हिस्सा हैं और बोर्ड को इस बात का ध्यान है कि कंबोडिया में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. पब्लिक कमेंट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि हुन सेन के भाषण का आकलन “कंबोडिया में जुलाई 2023 के चुनावों तक मानवाधिकारों की दयनीय स्थिति और लोकतंत्र की कमी के संपूर्ण संदर्भ और कथित राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ़ हिंसा और कानूनी कार्रवाई” को देखते हुए होना चाहिए, जिससे “मानवाधिकारों की अवमानना और संबद्ध व्यक्ति को अन्य नुकसान” पहुँचते हैं (ICJ कमेंट, PC-11038; HRF कमेंट भी देखें, PC-11041). कंबोडिया में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के ख़ास रैपर्टर की 2022 रिपोर्ट से यह चेतावनी मिली कि 2022 के स्थानीय चुनावों में हिस्सा लेने वाली कई सारी पार्टी “वास्तव में बस दिखावे के लिए थीं” और 2017 के चुनावों से, “लोकतांत्रिक विविधता के लिए बहुत कम जगह रह गई है और एक ही पार्टी का शासन लागू रहने से राजनैतिक परिदृश्य खराब हो गया है.”
बोर्ड के विचार से, आगामी चुनाव के समय में ऐसे सरकारी अधिकारी, जिनका राजनैतिक दमन, हिंसा और डराने-धमकाने का इतिहास रहा है, उनका ऐसा भाषण हिंसा भड़ाकाने और विरोधियों और विपक्षियों को डराने और दबाने के व्यापक अभियान में योगदान करता है. इसलिए, बोर्ड के अनुसार हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी के तहत कंटेंट हटाना ज़रूरी है, क्योंकि ऐसा कोई अन्य उपाय जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए कम प्रतिबंधात्मक हो, वह लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए उचित नहीं होगा. बोर्ड ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि इस तरह कंटेंट हटाना, इस केस में मानवाधिकारों की संभावित और आसन्न अवमानना को देखते हुए, अनुपातिक है.
हुन सेन द्वारा मानवाधिकारों की अवमानना, राजनैतिक विरोधियों को डराने और दबाने और अपने धमकियों का प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने के इतिहास को देखते हुए, बोर्ड के अनुसार इस केस में लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए केवल कंटेंट हटाना पर्याप्त नहीं है और उनका निलंबन ज़रूरी है. केवल कंटेंट हटाने से भविष्य में होने वाली हिंसा और भड़काने की घटनाएँ नहीं रुकेंगी, जो हालिया संदर्भ और आगामी चुनावों के संदर्भ में ख़ासकर खतरनाक हैं. इसलिए बोर्ड हुन सेन के आधिकारिक Facebook पेज और Instagram अकाउंट को निलंबित करना अनुपातिक मानता है.
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के कंटेंट को बनाए रखने के फ़ैसले को बदलते हुए उस पोस्ट को हटाने के लिए कहा.
10. सुझाव
A. कंटेंट पॉलिसी
1. Meta को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की उसकी पॉलिसी के दायरे में ऐसे सभी मामले आते हैं, जिनमें नागरिकों के साथ उनकी सरकार द्वारा प्रतिशोध के तौर पर हिंसा किए जाने का खतरा बना रहता है. पॉलिसी में यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसके दायरे में सिर्फ़ नागरिक अशांति या हिंसा की कुछ एक घटनाएँ ही नहीं, बल्कि ऐसे सभी मामले भी आते हैं, जिनमें राजनैतिक मुद्दों पर उठने वाली आवाज़ों को पहले से ही दबा दिया जाता है या जिन्हें दबाने के लिए सरकार हिंसा करती या हिंसा करने की धमकियाँ देती है. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब सार्वजिनक हस्तियों के अकाउंट को प्रतिबंधित करने की Meta की पब्लिक फ़्रेमवर्क इन स्पष्टीकरणों के साथ अपडेट होगी.
2. Meta को ख़बरों में बने रहने लायक होने की वजह से दी जाने वाली छूट की अपनी पॉलिसी को यह बताने के लिए अपडेट करना चाहिए कि जिस कंटेंट से सीधे तौर पर हिंसा भड़कती है, वह पॉलिसी से जुड़े मौजूदा अपवादों के तहत ख़बरों में बने रहने लायक होने की वजह से छूट पाने के योग्य नहीं होगा. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta ख़बरों में रहने लायक कंटेंट की अपडेट की हुई पॉलिसी प्रकाशित करेगा, जिसमें इसके तहत मिलने वाली छूट की तय सीमा के बारे में स्पष्ट तौर पर बताया होगा.
B. एन्फ़ोर्समेंट
3. Meta को कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन के आधिकारिक Facebook पेज और Instagram अकाउंट को नागरिक अशांति के दौरान सार्वजनिक हस्तियों के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की Meta की पॉलिसी के तहत कम से कम छह महीनों के लिए तुरंत निलंबित करना चाहिए. बोर्ड तभी मानेगा कि इस सुझाव पर अमल किया गया है, जब Meta उस अकाउंट को सस्पेंड करके इसकी घोषणा सार्वजनिक रूप से करेगा.
4. Meta को रिव्यू के लिए आने वाले कंटेंट की प्राथमिकता तय करने वाले अपने सिस्टम को यह सुनिश्चित करने के लिए अपडेट करना चाहिए कि सरकार के प्रमुख पदों को संभाल रहे लोगों और सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के ऐसे कंटेंट, जिससे हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होने की आशंका है, उनका तुरंत ह्यूमन रिव्यू करवाने के लिए हमेशा प्राथमिकता दी जाए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta रिव्यू किए जाने के अपने रैंकिंग सिस्टम में किए गए बदलावों का विवरण देगा और दिखाएग कि किस तरह उन बदलावों से यह रिव्यू और राज्य के प्रमुख पदों को संभालने वाले और सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के ऐसे ही कंटेंट का रिव्यू होगा.
5. Meta को प्रोडक्ट और/या काम करने के तरीके से जुड़ी गाइडलाइन के बदलाव लागू करना चाहिए, ताकि लंबी अवधि के वीडियो का ज़्यादा बेहतर तरीके से रिव्यू किया जा सके (जैसे कि वीडियो में जिस टाइमस्टैंप पर उल्लंघन हुआ है, उसका पता लगाने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करना, वीडियो की लंबाई के अनुसार रिव्यू में लगने वाला समय तय करना, वीडियो को 1.5 गुना या 2 गुना तेज़ स्पीड से चलाने की परमिशन देना आदि). बोर्ड इसे तब लागू किया गया मानेगा जब Meta लंबी अवधि के वीडियो को मॉडरेट करने की अपनी नई प्रोसेस बोर्ड के साथ शेयर करेगा, जिसमें ऐसे मीट्रिक शामिल होंगे जो लंबी अवधि वाले वीडियो के रिव्यू की सटीकता में सुधार दिखाएँगे.
C. ट्रांसपेरेंसी
6. प्रधानमंत्री हुन सेन के केस में और सरकार के प्रमुख पदों को संभाल रहे लोगों तथा सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के खिलाफ़ अकाउंट लेवल पर की जाने वाली सभी कार्रवाइयों के मामले में, Meta को कार्रवाई का दायरा और केस के फ़ैसले से जुड़े तर्क का सार्वजनिक रूप से खुलासा करना चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta हुन सेन के मामले में इस तरह की जानकारी का खुलासा करेगा और सरकार के प्रमुख पदों को संभाल रहे लोगों और सरकार के वरिष्ठ सदस्यों के खिलाफ़ आगे के एन्फ़ोर्समेंट के लिए ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध होगा.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य इन पर सहमति देते हैं. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड की सहायता एक स्वतंत्र शोध संस्थान ने की जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और जिसके पास छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनियाभर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञ हैं. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता भी मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Memetica ने भी विश्लेषण उपलब्ध कराया जो सोशल मीडिया ट्रेंड पर ओपन-सोर्स रिसर्च में एंगेज होने वाला संगठन है. Lionbridge Technologies, LLC कंपनी ने भाषा संबंधी विशेषज्ञता की सेवा दी, जिसके विशेषज्ञ 350 से भी ज़्यादा भाषाओं में कुशल हैं और वे दुनियाभर के 5,000 शहरों से काम करते हैं.