एकाधिक मामले का निर्णय

वेनेज़ुएला में चुनाव के बाद कलेक्टिवो विरोधी कंटेंट

इस त्वरित केस बंडल में, ओवरसाइट बोर्ड ने जुलाई 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद के विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में दो ऐसे वीडियो का रिव्यू किया जिनमें कलेक्टिवो के खिलाफ़ हिंसक भाषा का उपयोग किया गया था. कलेक्टिवो, वेनेज़ुएला में सरकार से जुड़े हुए अनौपचारिक सशस्त्र समूह हैं.

2 इस बंडल में केस शामिल हैं

सही ठहराया

IG-BLFI4MP4

Instagram पर हिंसा और उकसावा से जुड़ा केस

प्लैटफ़ॉर्म
Instagram
विषय
चुनाव,अभिव्यक्ति की आज़ादी,विरोध
मानक
हिंसा और उकसावा
जगह
वेनेज़ुएला
Date
पर प्रकाशित 5 सितम्बर 2024
पलट जाना

FB-SV81R3HF

Facebook पर हिंसा और उकसावा से जुड़ा केस

प्लैटफ़ॉर्म
Facebook
विषय
चुनाव,अभिव्यक्ति की आज़ादी,विरोध
मानक
हिंसा और उकसावा
जगह
वेनेज़ुएला
Date
पर प्रकाशित 5 सितम्बर 2024

1. केस का विवरण

28 जुलाई, 2024 को वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति के चुनाव के बाद से देश में अशांति है. वेनेज़ुएला के चुनावी अधिकारियों द्वारा व्यापक रूप से विवादित परिणामों में मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की जीत की घोषणा करने के बाद हज़ारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए और मादुरो ने बदले में “कठोर” जवाब देने का आह्वान किया. ऑनलाइन रूप से सरकार ने कुछ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की एक्सेस को प्रतिबंधित कर दिया और लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे प्रदर्शनकारियों की रिपोर्ट अधिकारियों को करें. ऑफ़लाइन कार्रवाई में हज़ारों लोगों को बंधक बनाया गया और दो दर्ज़न से ज़्यादा लोग मारे गए. इस कार्रवाई में सरकार द्वारा समर्थित “कलेक्टिवो” नाम के सशस्त्र समूह शामिल थे.

चुनाव के कुछ सप्ताह बाद, Meta के मॉडरेटर्स ने कलेक्टिवो विरोधी कंटेंट में तेज़ी देखी. इस मामले से इस बारे में गंभीर चिंताएँ खड़ी हुईं कि ऐसे नाज़ुक समय में महत्वपूर्ण राजनैतिक आलोचना वाली पोस्ट को मॉडरेट करने और दमनकारी माहौल में मानवाधिकारों के हनन के बारे में जागरूकता फैलाने वाले, लेकिन हिंसक भाषा का उपयोग करने वाले कंटेंट के बीच किस तरह संतुलन रखना चाहिए.

इस बंडल में शामिल दो केसों में जुलाई 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद और उसके बाद जारी विरोध प्रदर्शन के दौरान पोस्ट किए गए वीडियो शामिल हैं. दोनों पोस्ट में कलेक्टिवो का संदर्भ है. पहले केस में, Instagram के एक यूज़र ने बिना किसी कैप्शन के स्पैनिश भाषा में एक वीडियो पोस्ट किया. ऐसा लगता है कि वीडियो को किसी अपार्टमेंट कॉम्पलैक्स के अंदर बनाया गया है और वीडियो में सशस्त्र पुरुषों का एक समूह मोटरबाइकों पर बैठा हुआ है. एक महिला को चिल्लाते हुए सुना जा सकता है कि कलेक्टिवो के लोग इमारत में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. वीडियो बना रहा व्यक्ति चिल्लाता है “भाड़ में जाओ! मुझे लगता है वो तुम सबको मार डालेंगे!” Meta ने पाया कि यह कंटेंट हिंसा और उकसावे से जुड़ी उसकी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता क्योंकि कंपनी की नज़र में यह किसी हिंसक व्यक्ति के खिलाफ़ सशर्त या महत्वाकांक्षी कथन नहीं था बल्कि यह कार्रवाई का आह्वान था.

दूसरे केस में, Facebook के एक यूज़र ने एक ऐसा वीडियो शेयर किया जो किसी चलती हुई मोटरसाइकल से बनाया गया लगता है. इसमें दिखाया गया है कि मोटरबाइकों पर कुछ पुरुष बैठे हुए हैं जो शायद कलेक्टिवो के लोग हैं और कुछ लोग सड़क पर भाग रहे हैं. वीडियो बनाने वाला पुरुष चिल्ला रहा है कि कलेक्टिवो उन पर हमला कर रहे हैं. वीडियो का कैप्शन स्पैनिश भाषा में दिया गया है जिसमें कहा गया है कि सुरक्षा बल लोगों की रक्षा नहीं कर रहे हैं और कहा गया है कि सुरक्षा बलों को आगे आना चाहिए और “उन कमीने कलेक्टिवो को मार डालना चाहिए.” Meta ने उस पोस्ट को बहुत गंभीर हिंसा उकसा सकने वाले कॉल टू एक्शन मानते हुए उसे हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी के तहत हटा दिया.

2. शीघ्र सुनवाई के केस की पृष्ठभूमि और संदर्भ

जब से मादुरो 2013 में सत्ता में आए हैं, तब से देश में आर्थिक और राजनैतिक संकट है और वहाँ दमन और असंतोष का माहौल है (वेनेज़ुएला पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की रिपोर्ट, A/HRC/53/54, नवंबर 2023). लोग गायब हो रहे हैं, उन्हें बिना किसी कारण कैद किया जा रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और उनके साथ यौन या लिंग आधारित हिंसा हो रही है. देश में जारी चुनावी संकट के कारण यह स्थिति हाल ही में ज़्यादा गंभीर हो गई है.

वेनेज़ुएला में 28 जुलाई, 2024 को राष्ट्रपति चुनाव हुए थे जिसमें पदधारी उम्मीदवार निकोलस मादुरो और विपक्षी डेमोक्रेटिक यूनिटरी प्लेटफ़ॉर्म के उम्मीदवार एडमंडो गोंज़ालेज़ उरूशिया के बीच मुख्य मुकाबला था. 29 जुलाई, 2024 के शुरुआती घंटों में वेनेज़ुएला की नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल (CNE) ने मादुरो को विजेता घोषित कर दिया और इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि उसने वोटों की गिनती किस तरह की. CNE ने पूरे देश के मतदान केंद्रों के परिणामों के अलग-अलग आँकड़े प्रकाशित नहीं किए जो कि वेनेज़ुएला के कानून के अनुसार ज़रूरी है. ऐसा कोई प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया जो इस बादे की पुष्टि करता हो.

परिणामों को लेकर व्यापक रूप से विवाद हुआ. चुनाव प्रक्रिया को देखने और रिपोर्ट करने के लिए वेनेज़ुएला के CNE के आमंत्रण पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा भेजे गए संयुक्त राष्ट्र के चुनाव विशेषज्ञों के पैनल ने कहा कि CNE द्वारा परिणामों की रिपोर्टिंग में “बुनियादी पारदर्शिता और निष्पक्षता संबंधी उपायों की कमी थी जो भरोसमंद चुनावों के लिए ज़रूरी है.” चुनावों की निगरानी करने वाले एक सिविल सोसायटी ग्रुप The Carter Center, जिसे भी CNE द्वारा राष्ट्रपति चुनावों का अवलोकन करने के लिए आमंत्रित किया गया था, ने भी पाया कि इन चुनावों में “चुनावी निष्पक्षता के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन नहीं हुआ और इन्हें लोकतांत्रिक नहीं माना जा सकता” और आगे नोट किया कि “अलग-अलग मतदान केंद्रों के अनुसार अलग-अलग किए गए परिणामों को घोषित करने में CNE की विफलता, चुनावी सिद्धांतों का एक गंभीर उल्लंघन है.”

मादुरो के जीत के दावे के खिलाफ़ हज़ारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन दिए. सोशल मीडिया पर आलोचना के साथ-साथ सड़कों पर किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों का सरकार ने क्रूर दमन किया. इस कार्रवाई में सरकार से जुड़े कलेक्टिवो शामिल हो गए जिन्होंने व्यापक रूप से डर का माहौल बनाया. 28 जुलाई से 8 अगस्त के बीच, विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र ने 23 मौतें रिपोर्ट कीं जिनमें से अधिकांश मौतें गोली लगने से हुई थीं. सरकार ने 2,000 से ज़्यादा लोगों को बंधक भी बनाया जिनमें 100 से ज़्यादा बच्चे और किशोर थे. प्रदर्शनकारियों, नेताओं, राजनैतिक दलों के सदस्यों और समर्थकों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सरकार के अधिकारियों द्वारा विरोधी माना गया और जिन लोगों ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया या सोशल मीडिया पर अपनी राय रखी, उन्हें सरकारी बलों और कलेक्टिवो द्वारा टार्गेट किया गया और उनका उत्पीड़न किया गया. इंटर-अमेरिकन कमीशन ऑन ह्यूमन राइट्स (IACHR) के अनुसार, इन विरोध प्रदर्शनों को सरकारी बलों और कलेक्टिवो द्वारा बेरहमी से कुचला गया और भले ही रिपोर्ट की गई अधिकांश मौतें सरकारी बलों द्वारा बताई गईं, लेकिन उनमें से कम से कम छह मौतें कलेक्टिवो के हाथों हुई थीं. कमीशन ने आगे कहा कि कलेक्टिवों की यह कार्रवाई “सरकार की सहमति, सहनशीलता या रज़ामंदी से हुई.” वेनेज़ुएला में संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय फ़ैक्ट-फ़ाइंडिंग मिशन के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त ने सरकार द्वारा दमन को हाइलाइट करते हुए और अपनी चिंता जताते हुए कथन जारी किए जिनमें इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों और कलेक्टिवो द्वारा की गई हिंसा शामिल थी.

2019 से, बोलिवेरियन रिपब्लिक ऑफ़ वेनेज़ुएला में मानवाधिकार की स्थिति पर विभिन्न रिपोर्टों ( A/HRC/41/18, A/HRC/44/20, A/HRC/48/19 और A/HRC/53/54) के ज़रिए, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) ने कहा कि “सरकार समर्थक सशस्त्र नागरिक समूहों” ने कलेक्टिवो से “स्थानीय कम्युनिटी में सोशल कंट्रोल का उपयोग करके और विरोध प्रदर्शनों और असंतोष को कुचलने में सुरक्षा बलों की सहायता करके [राजनैतिक आधारों पर टार्गेटेड दमन और अत्याचार] के सिस्टम में योगदान देने का आह्वान किया.” OHCHR ने ऐसी घटनाओं को डॉक्यूमेंट किया जिनमें राजनैतिक विरोधियों, प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों पर सशस्त्र कलेक्टिवो ने हमले किए थे और जिनमें सुरक्षा बलों ने “इन हमलों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की.” उसने वेनेज़ुएला की रकार से सशस्त्र कलेक्टिवो को “निशस्त्र और नष्ट” करने और “उनके अपराधों की जाँच सुनिश्चित करने” के लिए कहा.

संयुक्त राष्ट्र और इंटर-अमेरिकन सिस्टम ने अभिव्यक्ति की आज़ादी पर विशेष रैपर्टर में वेनेज़ुएला में अभिव्यक्ति की आज़ादी न होने पर अपनी चिंताएँ जताई हैं:

"वेनेज़ुएला में अभिव्यक्ति की आज़ादी के उपयोग पर चिंतनीय प्रतिबंध हैं जो उत्पीड़न और असंतोष की आवाज़ों के दमन द्वारा दिखाई देते हैं, खास तौर पर पत्रकारों, मीडिया कर्मियों और स्वतंत्र मीडिया आउटलेट के साथ-साथ सोशल लीडर्स और मानवाधिकार रक्षकों के मामले में. वेनेज़ुएला के डिजिटल स्पेस में प्रतिबंधात्मक उपायों की रिपोर्ट भी की गई हैं, जो अनुचित इंटरनेट शटडाउन और स्वतंत्र मीडिया आउटलेट के खिलाफ़ टार्गेटेड कंटेंट ब्लॉकिंग के ज़रिए दिखाई देते हैं. सरकार के आदेश पर मीडिया आउटलेट को बंद करने और/या उनके सामानों को ज़ब्त करने से स्वंतंत्र मीडिया द्वारा दी जाने वाली भरोसेमंद जानकारी तक नागरिकों की पहुँच लगातार कम होती जा रही है और इससे मीडिया पर खुद को सेंसर करने के दबाव का माहौल बनता जा रहा है."

IACHR और नागरिक समाज संगठनों ने यह भी नोट किया है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद, ऐसी रिपोर्ट भी मिली हैं कि प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उत्पीड़न और अत्याचार किए जा रहे हैं. सरकार ने डिजिटल निगरानी और सेंसरशिप के अपने उपाय बढ़ा दिए हैं जिनमें असंतोष की एक्टिविटी और प्रदर्शनकारियों को पहचानने के लिए VenApp जैसे टूल का उपयोग करना, प्रदर्शनकारियों पर नज़र रखने के लिए वीडियो द्वारा निगरानी करना और लोगों को व्यापक रूप से डराने के लिए गश्ती ड्रोन का उपयोग करना शामिल है.

3. त्वरित रिव्यू के लिए अधिकार-क्षेत्र और Meta की प्रतिक्रिया

Meta ने त्वरित आधार पर फ़ैसले के लिए दोनों कंटेंट को 15 अगस्त, 2024 को बोर्ड को रेफ़र किया. ओवरसाइट बोर्ड के उपनियमों में “असाधारण परिस्थितियों में त्वरित रिव्यू करने का प्रावधान है. असाधारण परिस्थितियों में ऐसी परिस्थितियाँ शामिल होती हैं, जिनमें किसी कंटेंट से असली दुनिया पर जल्दी ही कोई असर पड़ सकता है” और ये फ़ैसले Meta के लिए बाध्यकारी होते हैं (चार्टर, आर्टिकल 3, सेक्शन 7.2; उपनियम, आर्टिकल 2, सेक्शन 2.1.2). त्वरित प्रक्रिया में गहन रिसर्च, परामर्श या पब्लिक कमेंट नहीं होते जो सामान्य केसों में किए जाते हैं. केस का फ़ैसला, बोर्ड को विचार-विमर्श के समय उपलब्ध जानकारी के आधार पर किया जाता है और बोर्ड के पूर्ण वोट के बिना पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा किया जाता है.

Meta ने बोर्ड को बताया कि चुनाव के घोषित परिणामों के खिलाफ़ व्यापक विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद सरकार के लोगों और कलेक्टिवो द्वारा कार्रवाई के बाद, कंपनी ने नोट किया कि उसके प्लेटफ़ॉर्म पर कलेक्टिवो के खिलाफ़ हिंसा फैलाने वाली भाषा वाले कंटेंट की मात्रा बढ़ गई है. इसमें कलेक्टिवो को उन सशस्त्र अर्द्धसैनिक जैसे समूहों के लिए उपयोग किया जाने वाला सामान्य शब्द बताया गया जो वेनेज़ुएला की सरकार से करीब से जुड़े हैं और जो चुनावों के बाद विरोध प्रदर्शनकारियों से हुई झड़पों में शामिल रहे हैं. इस संदर्भ में कलेक्टिवो को कंपनी द्वारा हिंसा फैलाने वाले लोग माना गया.

Meta की पॉलिसी इस आशा के परमिशन प्राप्त कथन कि “हिंसक लोग मारे जाएँगे” और प्रतिबंधित “हिंसक लोगों पर कार्रवाई के आह्वान” के बीच अंतर करती हैं. इस अंतर के ज़रिए, जिसे आंतरिक रूप से “हिंसक लोगों को पहचानने” के रूप में जाना जाता है, कंपनी का लक्ष्य “सार्वजनिक महत्व के विषयों पर कानूनी चर्चा” और “सुरक्षा संबंधी चिंताओं” के बीच संतुलन बनाना है. Meta कई कारणों से कलेक्टिवो के खिलाफ़ हिंसक धमकियों के संदर्भ में यह संतुलन बनाना “खास तौर पर कठिन” समझता है: “(1) कभी-कभी आत्मरक्षा के संदर्भ में कलेक्टिवो के खिलाफ़ जागरूकता फैलाने वाले लोगों की अभिव्यक्ति को लेकर बढ़ी हुई चिंताएँ, (2) मुक्त अभिव्यक्ति के लिए सीमित आउटलेट और (3) प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ हिंसक कार्रवाई में कलेक्टिवो की भूमिका.”

सामान्य तौर पर कंपनी “आतंकवादियों और अन्य हिंसक लोगों को टार्गेट बनाकर दी गई हिंसा की महत्वाकांक्षी और सशर्त धमकियों, इस आशा की अभिव्यक्ति सहित कि हिंसा होगी”, को “अविश्वसनीय मानती है जब उसमें इसका विरोध करने वाला खास प्रमाण नहीं होता,” लेकिन वह टार्गेट पर ध्यान दिए बगैर हिंसा करने के “इरादे के कथनों या कार्रवाई का आह्वानों” को हटा देती है ताकि सबसे गंभीर धमकियों को कैप्चर करना सुनिश्चित किया जा सके. बहरहाल, Meta इस बात को स्वीकार करता है कि वेनेज़ुएला के संदर्भ में, Facebook पोस्ट और उससे मिलती-जुलती अन्य पोस्ट में विचाराधीन अभिव्यक्ति, उन लोगों का नज़रिया बता सकती है जो अपने दैनिक जीवन में कलेक्टिवो की मौजूदगी के कारण सताए गए और असुरक्षित महसूस कर सकते हैं और उनके पास अपना डर और परेशानी बताने की कोई अन्य जगह नहीं है क्योंकि देश में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए सीमित आउटलेट उपलब्ध हैं. साथ ही, वेनेज़ुएला में स्थिति अभी भी नाज़ुक बनी हुई है, इसलिए कंपनी हिंसा और उकसावे से जुड़ी अपनी पॉलिसी की भाषा को लागू करते हुए सुरक्षा की ओर गलती करना चुनती है और Facebook से कंटेंट को हटा देती है. भले ही कलेक्टिवो कमज़ोर टार्गेट नहीं है और वे व्यवस्थित, भारी मात्रा में शस्त्रों से लैस समूह हैं, लेकिन कंपनी ने बताया कि इन समूहों को मारने की कार्रवाई के आह्वान और इरादों के कथन से जारी संकट में ऑफ़लाइन हिंसा का जोखिम बढ़ सकता है. अंत में, चूँकि Meta ने पाया कि दोनों कंटेंट की भावना एक ही है, इसलिए उसने इनके बीच अंतर करने के लिए बोर्ड से राय माँगी, खास तौर पर वेनेज़ुएला में चुनाव के बाद के संकट के संदर्भ में.

बोर्ड ने यह भी नोट किया कि 2021 के बाद से, Meta ने अपने प्लेटफ़ॉर्म पर राजनैतिक कंटेंट का डिस्ट्रिब्यूशन कम कर दिया है. इसका मतलब यह है कि अगर यूज़र खुद इसे सर्च नहीं करता है, तो Meta अपने प्लेटफ़ॉर्म पर इस तरह के कंटेंट का सुझाव नहीं देगा. कंपनी द्वारा राजनैतिक के रूप में परिभाषित किए जाने वाले कंटेंट में सामान्य तौर पर राजनीति, कानून, चुनाव और सामाजिक विषयों की चर्चा करने वाली पोस्ट होती हैं और शायद इस केस में चर्चा की गई पोस्ट से मिलता-जुलता कंटेंट भी शामिल होता है.

बोर्ड ने इन केसों को त्वरित आधार पर स्वीकार किया क्योंकि वे वेनेज़ुएला में जारी संकट के दौरान अभिव्यक्ति की आज़ादी में Meta के प्लेटफ़ॉर्म की भूमिका के लिए महत्वपूर्ण थे. वेनेज़ुएला में विरोध प्रदर्शनों को सरकार द्वारा कुचले जाने के कारण हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघनों में तेज़ी आई है. यह महत्वपूर्ण है कि Meta की पॉलिसीज़ और एन्फ़ोर्समेंट से जुड़े उपायों में देश में राजनैतिक असंतोष के लिए जगह हो लेकिन उनसे हिंसा न बढ़े. दोनों केस, बोर्ड के चुनाव और नागरिकों से जुड़े दायरे के साथ-साथ संकट और संघर्ष से जुड़ी स्ट्रेटेजिक प्राथमिकताओं में भी आते हैं.

4. यूज़र सबमिशन

Meta ने संबंधित यूज़र्स को यह सूचना दी कि उनके केस बोर्ड को रेफ़र किए जा रहे हैं. यूज़र्स को अपने बयान सबमिट करने के लिए आमंत्रित किया गया लेकिन उन्होंने बयान नहीं दिए

5. फ़ैसला

पहले केस में, बोर्ड ने Instagram पर कंटेंट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा. दूसरे केस में, बोर्ड ने Facebook से कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसले को पलट दिया है. उसने पाया कि वेनेज़ुएला में जारी संघर्ष के संदर्भ में, दोनों कंटेंट को परमिशन देना, Meta की कंटेंट पॉलिसीज़, वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है.

5.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन

बोर्ड ने पाया कि दोनों में से किसी भी पोस्ट से Meta की कंटेंट पॉलिसीज़ का उल्लंघन नहीं होता. Meta की हिंसा और उकसावे से जुड़ी पॉलिसी, हिंसा की ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित करती है जिन्हें “ऐसे कथनों या विज़ुअल के रूप में परिभाषित किया गया है जिनमें किसी टार्गेट पर हिंसा का इरादा, महत्वाकांक्षा या आह्वान होता है.” पहले, Meta ने पॉलिसी बनाने के अपने कारण में स्वीकार किया है कि उसने यह पहले से माना है कि “हिंसा की महत्वाकांक्षापूर्ण या सशर्त धमकियों” जिनमें हिंसा फैलाने वाले लोगों को टार्गेट किया जाता है, “प्रामाणिक नहीं होतीं, अगर उनमें इसके विपरीत कोई प्रमाण नहीं होता.” हैती के पुलिस स्टेशन का वीडियो केस में बोर्ड के फ़ैसले का पालन करते हुए, जिसमें नोट किया गया था कि यह सिद्धांत किसी नियम में दर्शाया नहीं गया है, Meta ने अपने नियमों को 25 अप्रैल, 2024 को अपडेट करते हुए एक ऐसा अपवाद शामिल किया जो “उन धमकियों को परमिशन देता है जिनका संदर्भ जागरूकता फैलाने वाला या निंदा करने वाला होता है […] या जिनका टार्गेट आतंकवादी समूहों जैसे हिंसक लोग होते हैं.” यह अपवाद इन केसों में प्रासंगिक है क्योंकि Meta ने बोर्ड को बताया कि वह कलेक्टिवो को हिंसक लोगों में शामिल करता है.

पहले केस में, बोर्ड कंटेंट को Instagram पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले से सहमत है. उसने पाया कि “भाड़ में जाओ! मुझे लगता है वो तुम सबको मार डालेंगे!” कथन एक महत्वाकांक्षी कथन है जिसकी परमिशन हिंसक लोगों वाले अपवाद या उपभाग में दी गई है. बोर्ड, Meta के इस आकलन से सहमत है कि कलेक्टिवो उन लोगों के खिलाफ़ हिंसक कार्रवाइयों में शामिल रहा है जिन्हें सरकार विरोधी समझा जाता है. वीडियो में कलेक्टिवो के खिलाफ़ हिंसा की इच्छा जताई गई है और वह पोस्ट, महत्वाकांक्षी कथनों के बारे में हिंसक लोगों से जुड़े अपवाद के तहत आती है.

हालाँकि, दूसरे केस में बोर्ड, इस मामले में Meta से असहमत है कि Facebook पोस्ट में सुरक्षा बलों को “उन कमीने कलेक्टिवो को मार डालना चाहिए” कथन, कार्रवाई का धमकीभरा आह्वान है. बोर्ड, हिंसक लोगों को टार्गेट करने वाली धमकियों के बारे में Meta के सामान्य नज़रिए से जुड़े कारण को समझता है, जो इस आशा के परमिशन प्राप्त कथन कि “हिंसक लोग मारे जाएँगे” और प्रतिबंधित “हिंसक लोगों पर कार्रवाई के आह्वान” के बीच अंतर करता है, लेकिन वह इस कंटेंट को Instagram पोस्ट के समान मानता है और जिस संदर्भ में इसे पोस्ट किया गया है, उसमें भी इसे एक ऐसा महत्वाकांक्षी कथन माना जाना चाहिए जो हिंसक लोगों से जुड़े अपवाद के लिए योग्य है.

“उन कमीने कलेक्टिवो को मार डालना चाहिए” वाक्यांश एक बड़े कैप्शन का भाग है जिसमें सुरक्षा बलों से उन लोगों की सुरक्षा करने का आह्वान किया गया है जिन पर अर्द्धसैनिक बलों द्वारा हिंसा की जा रही है. यह बात उस वीडियो के संदर्भ में कही गई है जिसमें कलेक्टिवो लगने वाले पुरुषों का एक समूह मोटरबाइकों पर जा रहा है और लोग सड़कों पर भाग रहे हैं. उनमें से एक पुरुष चिल्ला रहा है कि कलेक्टिवो उन पर हमला कर रहे हैं. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने बताया कि कंटेंट में सुरक्षा बलों के रेफ़रेंस से पोस्ट को हटाने के उसके फ़ैसले पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि कंपनी “हिंसक लोगों को टार्गेट करने वाली कार्रवाई के आह्वान” की परमिशन नहीं देती और इस बात पर कोई ध्यान नहीं देती कि हिंसा करने के लिए किसे कहा जा रहा है. उसने आगे बताया कि कंपनी सामान्य तौर पर यह तय करने की स्थिति में नहीं होती कि क्या पोस्ट में रेफ़र किए गए लोग बहुत गंभीर हिंसा का उपयोग करने के लिए अधिकृत हैं या क्या दी गई स्थिति में ऐसे बल का उपयोग करना उचित होगा.

बोर्ड यह समझता है कि अगर कोई खास संदर्भ मौजूद नहीं है, तो Meta इस दृष्टिकोण को क्यों अपनाता है. हालाँकि, इस केस में और वेनेज़ुएला में जारी संकट के संदर्भ में, बोर्ड ने पाया कि वीडियो में सुरक्षा बलों का रेफ़रेंस और यूज़र द्वारा उनके बारे में यह कहा जाना कि वे कलेक्टिवो द्वारा की जा रही हिंसा से लोगों की रक्षा नहीं कर रहे हैं, दोनों इस कंटेंट को पूरी तरह से समझने के लिए प्रासंगिक हैं. इस संदर्भ से धमकी का निर्माण होता है जिसे शाब्दिक रूप से पढ़ने से उसे अप्रामाणिक कार्रवाई का आह्वान समझा जा सकता है और इसलिए वह कई कारणों से महत्वाकांक्षी है. पहला, सुरक्षा बलों का संबंध कलेक्टिवो से है और दोनों दमन में शामिल रहे हैं (ऊपर सेक्शन 2 देखें). इसलिए इस बात की संभावना बिल्कुल कम है कि सुरक्षा बल, वेनेज़ुएला के मौजूदा संदर्भ में कलेक्टिवो पर हमला करेंगे या हमला करने की इच्छा रखने वाले भी समझे जाएँगे. दूसरा, कंटेंट पोस्ट करने वाला व्यक्ति कलेक्टिवो से भागता हुआ लग रहा है. जैसा कि Meta ने अपने रेफ़रल में नोट किया, मोटे तौर पर गैर-हिंसक प्रदर्शनकारियों पर हिंसक कार्रवाई में कलेक्टिवो की भागीदारी के कारण कलेक्टिवो विरोधी कंटेंट में बढ़ोतरी हो रही है. यह कंटेंट पोस्ट करने वाला व्यक्ति एक आम नागरिक है जिसका अन्य लोगों पर कोई प्रभाव या अधिकार नहीं है (टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो फ़ैसले के विपरीत). इसके अलावा, वीडियो में दिखाई दे रहे लोग कलेक्टिवो की हिंसा या उत्पीड़न के टार्गेट लग रहे हैं, न कि वह कलेक्टिवो के खिलाफ़ हिंसा का सोर्स हैं.

ऊपर बताए गए कारणों को देखते हुए, भले ही कैप्शन में स्पष्ट रूप से सुरक्षा बलों से “कमीने कलेक्टिवो को मार डालने” के लिए कहा गया है, अगर वीडियो के संदर्भ और वेनेज़ुएला के व्यापक संकट के संदर्भ में बेहतर ढंग से समझा जाए, तो यह डर और परेशानी की अभिव्यक्ति है जिसे देश में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए मौजूद सीमित माध्यमों में से एक पर प्रस्तुत किया गया है. बोर्ड ने Meta की इस चिंता को स्वीकार किया कि इस तरह की अभिव्यक्ति को परमिशन देने से जारी संकट में ऑफ़लाइन हिंसा का जोखिम बढ़ जाएगा. हालाँकि, वेनेज़ुएला के खास संदर्भ को देखते हुए, जिसमें कलेक्टिवो के साथ मिलकर सरकारी बलों द्वारा व्यापक दमन और हिंसा की जा रही है और जहाँ अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्ण सभा के लोगों के अधिकारों पर कठोर प्रतिबंध हैं, यह ज़रूरी है कि लोगों को स्वतंत्र रूप से अपना असंतोष, गुस्सा या निराशा व्यक्त करने दी जाए, भले ही उसकी भाषा कठोर हो. इस पोस्ट में शामिल कथनों जैसे कथन इसलिए वेनेज़ुएला के मौजूदा संदर्भ को बेहतर तरीके से व्यक्त करते हैं. वे अप्रामाणिक और महत्वाकांक्षी कथन हैं इसलिए उन्हें हिंसक लोगों से जुड़े अपवाद के तहत छूट मिलनी चाहिए.

बोर्ड ने स्वीकार किया कि संकट की स्थितियों में, जहाँ नुकसानदेह कंटेंट को बनाए रखने और सुरक्षित राजनैतिक अभिव्यक्ति को हटाने के जोखिम बहुत ज़्यादा होते हैं, Meta को सामान्य एन्फ़ोर्समेंट मार्गदर्शन अपनाना चाहिए ताकि वह इन वास्तविकताओं पर बेहतर प्रतिक्रिया दे सके कि सरकार समर्थित हिंसा के टार्गेट लोग खुद को उसके प्लेटफ़ॉर्म पर किस तरह अभिव्यक्त करते हैं. इस संबंध में Meta ने एक संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल बनाया है जो उसकी पॉलिसीज़ और उन्हें एन्फ़ोर्स करने के तरीकों के बारे में कुछ समय के लिए बदलाव करने की सुविधा देता है. इस केस की तरह, जब Meta किसी स्थिति को संकट की स्थिति चिह्नित करता है, तब उसे संकट के खास पावर डायनेमिक्स और असली जीवन में होने वाले नुकसान की आशंका का आकलन करके यह तय करना चाहिए कि गुस्से की हिंसक अभिव्यक्ति या निराशा से किस सीमा तक प्रामाणिक खतरा या ऑफ़लाइन हिंसा हो सकती है या अगर कोई विरोधात्मक प्रमाण मौजूद नहीं है, तो क्या उन्हें महत्वाकांक्षी अभिव्यक्ति माना जाना चाहिए.

बोर्ड यह मानता है कि वेनेज़ुएला के मौजूदा संदर्भ में इस प्रोटोकॉल का उपयोग करना उचित है ताकि Meta द्वारा प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थित हिंसा के अन्य टार्गेट लोगों की अभिव्यक्ति का सम्मान सुनिश्चित किया जा सके. खास तौर पर, इस मार्गदर्शन का विस्तार किया जाना चाहिए कि कुछ हिंसक लोगों के खिलाफ़ “हिंसा के महत्वाकांक्षी या सशर्त कथनों” को किस तरह परिभाषित किया जाना चाहिए. एन्फ़ोर्समेंट मार्गदर्शन का यह विस्तार, नियमित रिव्यू के अधीन होना चाहिए और उसमें संभावित रूप से प्रभावित समूहों और प्रासंगिक स्टेकहोल्डर्स के इनपुट लिए जाने चाहिए.

5.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन

बोर्ड ने पाया कि Instagram पर पोस्ट को बनाए रखना और Facebook पर पोस्ट को रीस्टोर करना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है.

ICCPR का अनुच्छेद 19, “सभी तरह की” जानकारी और विचार शेयर करने, माँगने और पाने की आज़ादी की गारंटी देता है. सुरक्षित अभिव्यक्ति में “राजनैतिक बातचीत,” सार्वजनिक मामलों पर कमेंटरी और “मानवाधिकारों पर चर्चा” शामिल है (सामान्य कमेंट सं. 34, 2011, पैरा. 11; सामान्य कमेंट सं. 37, 2020, पैरा. 32). इसके अलावा, सरकार की ओर से काम करने वाले लोगों की “कानूनी रूप से निंदा और राजनैतिक विरोध” किया जा सकता है ( सामान्य कमेंट सं. 34, 2011, पैरा. 38). वेनेज़ुएला में सोशल मीडिया की एक्सेस महत्वपूर्ण है, जहाँ विरोधी आवाज़ों और स्वतंत्र मीडिया का लंबे समय से चला आ रहा दमन, मौजूदा समय में तीव्र हो गया है. “डिजिटल गेटकीपर्स” के रूप में, जानकारी की सार्वजनिक एक्सेस पर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स का “गहरा प्रभाव” होता है ( A/HRC/50/29, पैरा. 90; न्यूज़ रिपोर्टिंग में तालिबान का उल्लेख, ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन फ़ैसले देखें).

जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. Meta की स्वैच्छिक मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को समझने के लिए बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग करता है - रिव्यू में मौजूद कंटेंट से जुड़े व्यक्तिगत फ़ैसले के लिए और यह जानने के लिए कि कंटेंट गवर्नेंस के प्रति Meta के व्यापक नज़रिए के बारे में यह क्या कहता है. ऐेसा करते समय, बोर्ड इस बारे में संवेदनशील बने रहने की कोशिश करता है कि उन अधिकारों को प्राइवेट सोशल मीडिया कंपनी पर लागू करना, उन्हें किसी सरकार पर लागू करने से किस तरह अलग हो सकता है. इसके बावजूद, जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही कंपनियों का सरकारों के प्रति कोई दायित्व नहीं है, लेकिन “उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी के अपने यूज़र्स के अधिकार की रक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का आकलन करना ज़रूरी बनाता है” (रिपोर्ट A/74/486, पैरा. 41).

वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने वाले सभी नियम एक्सेस योग्य होने चाहिए और उन्हें पर्याप्त स्पष्ट रूप से यह मार्गदर्शन देना चाहिए कि किन बातों की परमिशन है और किनकी नहीं. बोर्ड ने पाया कि, जैसे कि इन केसों में लागू किया गया, Meta के उकसावे से जुड़े नियमों में हिंसक लोगों वाला अपवाद या छूट पर्याप्त रूप से स्पष्ट है, खास तौर पर 25 अप्रैल, 2024 के अपडेट के बाद. बहरहाल, जैसा कि ऊपर बताया गया है, संकट की स्थितियों में Meta को अपने सामान्य एन्फ़ोर्समेंट मार्गदर्शन में इस तरह बदलाव करना चाहिए कि वह उन संदर्भात्मक कारकों के अनुसार बेहतर प्रतिक्रिया करे जो इस बात को प्रभावित करते हैं कि सरकार समर्थित हिंसा से प्रभावित किस तरह खुद को उसके प्लेटफ़ॉर्म पर व्यक्त करते हैं.

इसी तरह से, बोर्ड ने पहले पाया है कि “जान-माल के नुकसान का प्रामाणिक खतरा उत्पन्न करने वाले या सार्वजनिक सुरक्षा को सीधी धमकी देने वाले” कंटेंट को हटाकर “संभावित ऑफ़लाइन हिंसा को रोकने” की कोशिश करते हुए, हिंसा और उकसावे से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड, जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 6, ICCPR) और व्यक्ति की सुरक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 9 ICCPR, सामान्य कमेंट सं. 35, पैरा. 9) की रक्षा के वैधानिक लक्ष्यों की पूर्ति करता है. पाकिस्तानी संसद में दिए गए भाषण की रिपोर्टिंग, टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो, इज़राइल से बंधकों का अपहरण, ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन फ़ैसले देखें).

आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है [और] जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए" (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 34).

बोर्ड ने पाया कि किसी भी पोस्ट को हटाना ज़रूरी नहीं था. जैसा कि ऊपर सेक्शन 5.1 में जानकारी दी गई है, कई संदर्भात्मक कारकों से यह स्पष्ट हुआ है कि किसी भी पोस्ट को अन्य लोगों को हिंसा में शामिल करने का आह्वान नहीं समझा जाना चाहिए और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कथनों से न तो तात्कालिक हिंसा हो सकती थी और न ही उसकी आशंका थी.

कंटेंट को पोस्ट करने वाले लोग आम लोग थे और उस हिंसा या उत्पीड़न के अपने सीधे अनुभव शेयर कर रहे थे जो कलेक्टिवो द्वारा उन पर की जा रही थी. इस संदर्भ में, उनकी पोस्ट को सुरक्षा बलों की निंदा (Facebook वाले केस में) और डर और निराशा का विलाप करते हुए संकट और अनिश्चितता के समय में मदद का आह्वान समझा जा सकता है (दोनों केस में). दोनों पोस्ट यह बताती हैं कि किस तरह कलेक्टिवो द्वारा लोगों पर हमले किए जा रहे हैं और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है और उनकी निंदा करती हैं. वेनेज़ुएला के संदर्भ में, इस तरह के कंटेंट से होने वाले नुकसान की तात्कालिकता या आशंका बहुत ही कम है. महत्वाकांक्षी हिंसा के टार्गेट, सरकार द्वारा समर्थित बल हैं जो आम लोगों के लंबे समय से चले आ रहे दमन और मानवाधिकारों के अन्य उल्लंघनों में शामिल रहे हैं जिसमें चुनाव के बाद का मौजूदा संकट शामिल है. इसके विपरीत, आम नागरिक बड़ी मात्रा में मानवाधिकरों के हनन के टार्गेट रहे हैं.

जैसा कि इस फ़ैसले में पहले कहा गया है, ये पोस्ट 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के अत्यंत विवादित परिणामों के बाद दमन की एक लहर से प्रदर्शित सोशल और राजनैतिक तनाव के संदर्भ में प्रकाशित की गई थीं. दोनों पोस्ट में, जिनमें एक जैसी भावनाएँ व्यक्त की गई हैं, आम लोगों ने कलेक्टिवो की कार्रवाइयों और सुरक्षा बलों द्वारा प्रतिक्रिया न किए जाने (Facebook वाले केस में) को लेकर अपना डर, गुस्सा और निराशा व्यक्त करने के लिए कठोर भाषा का उपयोग किया है. Facebook वाले केस जैसी स्थिति में कंटेंट को हटाने, जो संदर्भ के अनुसार प्रमाणिक खतरा नहीं था, से उन लोगों पर अत्यंत बुरा असर हुआ जो कलेक्टिवो की कार्रवाइयों की निंदा कर रहे थे. इससे उन लोगों पर भी बुरा असर हुआ जो स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर या सरकार और सरकार समर्थित लोगों को जवाबदेह ठहराने के कारण कठोर प्रतिबंध झेल रहे थे.

बोर्ड इस बारे में भी अत्यंत चिंतित है कि वेनेज़ुएला के संदर्भ में, राजनैतिक कंटेंट का डिस्ट्रिब्यूशन कम करने की कंपनी की पॉलिसी से वेनेज़ुएला की स्थिति के बारे में राजनैतिक असंतोष जताने और जागरूकता फैलाने वाले यूज़र्स की ज़्यादा से ज़्यादा ऑडियंस तक पहुँचने की क्षमता कमज़ोर हो सकती है. अगर ऐसा होता है, तो बोर्ड मानता है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कंपनी के संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल में एक पॉलिसी लीवर शामिल किया जाना चाहिए कि राजनैतिक कंटेंट, खास तौर पर चुनाव और चुनाव के बाद के विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा हुआ, उसी पहुँच का हकदार है जो गैर-राजनैतिक कंटेंट को मिलती है.

अंत में बोर्ड ने राजनैतिक अभिव्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संदर्भ का मूल्यांकन करने का महत्व दोहराया, खास तौर पर संघर्ष वाले देशों में या उन देशों में जहाँ अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाते हैं, जैसे वेनेज़ुएला (कोलंबिया का विरोध प्रदर्शन, ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन और क्यूबा में महिलाओं से विरोध प्रदर्शन का आह्वान फ़ैसले देखें). इसलिए Meta को उन स्थितियों में प्रतिक्रिया करने के लिए संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल का उपयोग भी करना चाहिए जैसी कि वेनेज़ुएला में देखी गईं. खास तौर पर लोकतांत्रिक असंतोष के दमन के संदर्भों में, जब धमकियाँ अप्रामाणिक लगती हैं और ऐसे कंटेंट से ऑफ़लाइन हिंसा होने की आशंका बहुत कम होती है, Meta को अपने पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट मार्गदर्शन में उसके अनुसार बदलाव करने चाहिए और संभावित रूप से प्रभावित समूहों और प्रासंगिक स्टेकहोल्डर्स के साथ उनकी नियमित रूप से समीक्षा करनी चाहिए.

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