एकाधिक मामले का निर्णय
दक्षिण अफ़्रीका के रंगभेद के समय का झंडा दिखाने वाली पोस्ट
23 अप्रैल 2025
दक्षिण अफ़्रीका के 1928-1994 के झंडे वाली दो Facebook पोस्ट का रिव्यू करने के बाद, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने उन्हें प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा. उनमें बहिष्कार या अलगाव का समर्थन नहीं किया गया है और न ही उनमें लोगों से हिंसा या भेदभाव में शामिल होने का आह्वान किया गया है.
2 इस बंडल में केस शामिल हैं
FB-Y6N3YJK9
Facebook पर से जुड़ा केस
FB-VFL889X3
Facebook पर से जुड़ा केस
सारांश
दक्षिण अफ़्रीका के 1928-1994 के झंडे वाली दो Facebook पोस्ट का रिव्यू करने के बाद, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने उन्हें प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा. बोर्ड के सदस्य दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद के लंबे समय में पड़ने वाले परिणामों और लीगेसी से परिचित हैं. हालाँकि, इन दोनों पोस्ट में बहिष्कार या अलगाव का समर्थन नहीं किया गया है और न ही उन्हें लोगों के लिए हिंसा या भेदभाव में शामिल होने का आह्वान माना जा सकता है. इन केसों में सोच-विचार के बाद बोर्ड ने खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी के विरोधाभासी भाषा को ठीक करने के सुझाव भी दिए.
अतिरिक्त नोट: 7 जनवरी, 2025 को Meta के पुनरीक्षण के बाद इन केसों के परिणाम में कोई बदलाव नहीं हुआ, जबकि बोर्ड ने उन नियमों के हिसाब से विचार किया जो पोस्ट करते समय लागू थे और चर्चा के समय नियमों के अपडेट पर भी गौर किया. Meta द्वारा जनवरी में जल्दबाज़ी में अनाउंस किए गए पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के व्यापक बदलावों के संबंध में, बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta ने सार्वजनिक रूप से यह शेयर नहीं किया है कि बिज़नेस और मानवाधिकारों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुसार उसने ये बदलाव करने से पहले कौन-सा मानवाधिकार सम्यक तत्परता आकलन किया है (अगर कोई है तो). Meta के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मानवाधिकारों पर प्रतिकूल प्रभावों को वैश्विक रूप से पहचाना जाए और उन्हें रोका जाए.
केस की जानकारी
मई 2024 में दक्षिण अफ़्रीका के आम चुनावों से पहले शेयर की गई पहली Facebook पोस्ट में एक श्वेत पुरुष सैनिक की फ़ोटो दिखाई गई है जिसके हाथ में देश का पुराना झंडा है जो रंगभेद के समय उपयोग किया जाता था. कैप्शन में लोगों से अनुरोध किया गया था कि अगर उन्होंने “इस झंडे के तले काम किया है”, तो इस पोस्ट को शेयर करें. इस पोस्ट को 500,000 से ज़्यादा बार देखा गया. तीन यूज़र्स ने इस पोस्ट की रिपोर्ट की लेकिन Meta ने फ़ैसला किया कि इससे उसके नियमों का उल्लंघन नहीं होता.
दूसरी पोस्ट में भी रंगभेद के समय की पुराने झंडे वाली स्टॉक फ़ोटो थीं. इसमें श्वेत बच्चे, सिर्फ़ श्वेत लोगों के लिए उपलब्ध बीच पर आइसक्रीम की साइकल के पास एक अश्वेत पुरुष के बगल में खड़े हैं और उनके हाथ में खिलौने वाली बंदूक है. पोस्ट के कैप्शन में कहा गया है कि ये अच्छे पुराने दिन थे और लोगों से कहा गया है कि वे “लाइनों के पीछे की बात समझें” (read between the lines). कैप्शन में आँख मारते हुए चेहरे वाला इमोजी और “ओके” इमोजी थे. इस पोस्ट को दो मिलियन से ज़्यादा बार देखा गया और 184 लोगों ने इसकी रिपोर्ट की. इनमें से ज़्यादातर रिपोर्ट नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी थीं. Meta के ह्यूमन रिव्यूअर्स ने फ़ैसला किया कि पोस्ट से कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं होता.
दोनों केसों में, इस कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स ने बोर्ड से अपील की.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों में से किसी भी पोस्ट से नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता, जबकि अल्पसंख्य सदस्य मानते हैं कि दोनों पोस्ट उल्लंघनकारी हैं.
पॉलिसी के तहत किसी सुरक्षित विशिष्टता के आधार पर “बहिष्कार या अलगाव के आह्वान या समर्थन” के रूप में “सीधे हमले” करना प्रतिबंधित है. बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, किसी भी पोस्ट में रंगभेद युग को वापस लाने या नस्लीय बहिष्कार के किसी अन्य रूप का समर्थन नहीं किया गया है. सैनिक वाली पोस्ट में झंडे का उपयोग एक सकारात्मक संदर्भ में किया गया है, लेकिन इसमें नस्लीय बहिष्कार या अलगाव का समर्थन नहीं किया गया है. फ़ोटो ग्रिड पोस्ट के लिए, फ़ोटो के साथ इमोजी और “लाइनों के पीछे की बात समझें” कैप्शन का उपयोग नस्लीय मैसेज दर्शाता है, लेकिन उनका स्तर ऐसा नहीं है कि उनसे इस पॉलिसी का उल्लंघन हो.
अल्पसंख्य सदस्य इस बात से असहमत हैं और उनके अनुसार झंडा, रंगभेद का असंदिग्ध और सीधा प्रतीक है. इसे सकारात्मक या तटस्थ संदर्भ में शेयर किए जाने पर उसे नस्लीय अलगाव का समर्थन माना जा सकता है. उदाहरण के लिए, अलग-थलग जीवन, मैसेज और “ओके” वाले इमोजी के साथ फ़ोटो ग्रिड वाली पोस्ट बिना किसी संदेह के नस्लीय बहिष्कार का समर्थन है जिसे पूरी दुनिया में श्वेत लोगों को श्रेष्ठ मानने वाले लोग एक दबी-छिपी नफ़रत फैलाने वाली भाषा समझ सकते हैं.
बोर्ड ने एकमत से यह पाया कि दोनों पोस्ट से खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन होता है, लेकिन बहुसंख्य और अल्पसंख्य इसके पीछे के कारण पर असहमत थे. कंपनी ऐसे कंटेंट को हटा देती है जिससे नफ़रत फैलाने वाली विचारधारा का महिमामंडन, समर्थन या प्रतिनिधित्व होता है. इसमें श्वेत श्रेष्ठता और अलगाववाद के साथ-साथ इन विचारधाराओं के “अस्पष्ट संदर्भ” भी शामिल हैं. बोर्ड इस बात से सहमत है कि 1928-1994 के झंडे को रंगभेद से अलग नहीं किया जा सकता जो श्वेत अलगाववाद विचारधारा का एक रूप है. बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट श्वेत अलगाववाद के अस्पष्ट संदर्भों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जबकि अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, वे स्पष्ट रूप से इस विचारधारा का महिमामंडन करती हैं.
बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, कंटेंट को हटाना आवश्यक और आनुपातिक नहीं है, क्योंकि इन पोस्टों से निकट भविष्य में भेदभाव या हिंसा की आशंका कम है. ऐसी भाषा पर रोक लगाने से असहिष्णुता के विचार समाप्त नहीं हो जाते और कंटेंट मॉडरेशन के लिए अन्य कम कठोर टूल लागू किए जा सकते थे. अल्पसंख्य सदस्य इस बात से असहमत हैं और उनके अनुसार दक्षिण अफ़्रीका के गैर-श्वेत लोगों के लिए समानता और भेदभाव नहीं करना सुनिश्चित करने के लिए इस कंटेंट को हटाना ज़रूरी है. उन्होंने यह भी कहा कि Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर पनप रही इस तरह की नफ़रत के उन लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर डरावने असर हो रहे हैं जिन्हें टार्गेट किया जा रहा है.
बोर्ड के सभी सदस्य यह मानते हैं कि खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत नफ़रतपूर्ण विचारधाराओं के “संदर्भों” की भाषा विरोधाभासी है. विचार-विमर्श के दौरान, इस बात पर ये सवाल उठे कि Meta ने रंगभेद को एक स्टैंडअलोन डेज़िग्नेशन के रूप में लिस्ट क्यों नहीं किया है. बोर्ड के कुछ सदस्यों ने पूछा कि Meta की लिस्ट उन विचारधाराओं पर केंद्रित क्यों है जो वैश्विक अल्पसंख्यक क्षेत्रों में जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं, लेकिन वैश्विक बहुसंख्यक क्षेत्रों में नफ़रत फैलाने वाली तुलनात्मक विचारधाराओं पर उसमें कोई बात नहीं की गई है.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने दोनों पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा.
बोर्ड ने सुझाव दिया है कि Meta:
- नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में 7 जनवरी, 2025 को किए गए अपडेट के संदर्भ में, Meta को यह पता लगाना चाहिए कि पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के अपडेट किस तरह वैश्विक बहुसंख्यक क्षेत्रों की आबादी पर नकारात्मक रूप से असर डाल सकते हैं. उसे ऐसे जोखिमों को रोकने और/या उन्हें दूर करने के उपाय करने चाहिए और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करनी चाहिए. अंत में, Meta को हर छह महीनों में बोर्ड को अपनी प्रगति बतानी चाहिए और जल्दी से जल्दी सार्वजनिक रूप से इसकी रिपोर्टिंग करनी चाहिए.
- इस बारे में सिर्फ़ एक, स्पष्ट और व्यापक व्याख्या अपनाए कि खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत इसके प्रतिबंध और अपवाद किस तरह नफ़रत फैलाने वाली चिह्नित विचारधाराओं पर लागू होते हैं.
- खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के नियमों में रंगभेद को नफ़रत फैलाने वाली एक अलग चिह्नित विचारधारा के रूप में लिस्ट करे.
- नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराओं के प्रतिबंधित महिमामंडन, समर्थन और प्रतिनिधित्व के बारे में अपने रिव्यूअर्स को ज़्यादा वैश्विक उदाहरण उपलब्ध कराए, जिसमें ऐसे उदाहरण शामिल हैं जो सीधे लिस्ट की गई विचारधारा का सीधे नाम नहीं लेते.
* केस के सारांश से केस का ओवरव्यू मिलता है और भविष्य में लिए जाने वाले किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. केस की जानकारी और बैकग्राउंड
इन दो केसों में दक्षिण अफ़्रीका में 2024 के आम चुनावों के कुछ समय पहले शेयर की गई दो Facebook पोस्ट शामिल हैं.
पहली पोस्ट में एक श्वेत पुरुष सैनिक को दिखाया गया है जो 1994 से पहले का दक्षिण अफ़्रीका का झंडा थामे खड़ा है. यह झंडा देश में रंगभेद के समय उपयोग होता था. अंग्रेज़ी में दिए कैप्शन में यूज़र्स से अनुरोध किया गया था कि अगर उन्होंने “इस झंडे के तले काम किया है”, तो इस कंटेंट को शेयर करें. इस पोस्ट को लगभग 600,000 बार देखा गया और लगभग 5,000 बार शेयर किया गया. नफ़रत फैलाने वाली भाषा और हिंसा के कारण तीन यूज़र्स ने Meta को पोस्ट की रिपोर्ट की. Meta के ह्यूमन रिव्यूअर्स को कंटेंट में कोई उल्लंघन नहीं मिला और उसे बनाए रखा गया. इस कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स में से एक ने बोर्ड से अपील की.
दूसरी पोस्ट में ऐसी स्टॉक फ़ोटो का ग्रिड है जिन्हें रंगभेद के समय में लिया गया था. इन फ़ोटो में ये शामिल हैं: देश का पुराना झंडा; आइसक्रीम की साइकल पर एक वयस्क अश्वेत पुरुष और पास में तीन श्वेत बच्चे और आसपास का माहौल सिर्फ़ श्वेत लोगों के लिए बनाया गया लगता है; थीम पार्क के साथ सिर्फ़ श्वेत लोगों के लिए उपलब्ध सार्वजनिक बीच; दक्षिण अफ़्रीका का एक बोर्ड गेम; व्हाइट कैंडी सिगरेट का पैकेट; और सिल्वर टॉय गन. पोस्ट के कैप्शन में कहा गया है कि ये “अच्छे पुराने दिन थे” और ऑडियंस से कहा गया है कि वे “लाइनों के पीछे की बात समझें” (read between the lines). टेक्स्ट के बाद कैप्शन में आँख मारते हुए चेहरे वाला इमोजी और “ओके” इमोजी थे. इसे लगभग दो मिलियन बार देखा गया और लगभग 1,000 बार शेयर किया गया. पोस्ट करने के एक सप्ताह के भीतर, 184 यूज़र्स ने कंटेंट की रिपोर्ट की जिनमें से अधिकांश रिपोर्ट नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी थी. कुछ रिपोर्ट का रिव्यू ह्यूमन रिव्यूअर्स ने किया जिन्होंने पाया कि कंटेंट से कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं होता. शेष रिपोर्ट को ऑटोमेटेड सिस्टम और पहले के ह्यूमन रिव्यू फ़ैसलों के आधार पर प्रोसेस किया गया था. सैनिक वाली पोस्ट की तरह, Meta ने पाया कि कंटेंट से उल्लंघन नहीं होता और पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया. इस कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स में से एक ने बोर्ड से अपील की.
7 जनवरी, 2025 को, Meta ने अपनी नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी में पुनरीक्षण अनाउंस किए और उसका नाम बदलकर नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी कर दिया. ये बदलाव, इन केसों में प्रासंगिक होने के दायरे तक, सेक्शन 3 में बताए जाएँगे और सेक्शन 5 में उनका विश्लेषण किया जाएगा. बोर्ड ने नोट किया कि यह कंटेंट Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर लगातार एक्सेस किए जाने लायक बना हुआ है और अपडेट की गई पॉलिसीज़, प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद सभी कंटेंट पर लागू होती हैं, इस बात पर ध्यान दिए बगैर कि उन्हें कब पोस्ट किया गया था. इसलिए बोर्ड ने पॉलिसी के उपयोग का आकलन उनके उस स्वरूप के हिसाब से किया जो पोस्ट किए जाने के समय था और लागू होने पर उसके पुनरीक्षित रूप का (यहूदी नरसंहार को नकारना (होलोकॉस्ट डिनायल) केस का नज़रिया भी देखें).
बोर्ड ने अपना फ़ैसला करते समय नीचे दिए संदर्भ पर ध्यान दिया:
1948 से 1994 तक दक्षिण अफ़्रीका, सरकार द्वारा स्वीकृत रंगभेद शासन के अधीन था, जिसमें श्वेत और अश्वेत दक्षिण अफ़्रीकियों के बीच नस्लीय अलगाव शामिल था, हालाँकि रंगभेद को औपचारिक रूप से अपनाए जाने से पहले देश में भेदभावपूर्ण कानून मौजूद थे. इस समय के दौरान, दक्षिण अफ़्रीका का प्रतिनिधित्व एक नारंगी, सफ़ेद और नीले झंडे द्वारा किया जाता था. 1994 में रंगभेद की समाप्ति के बाद, दक्षिण अफ़्रीका ने छह रंगों वाला झंडा अपनाया जिसका उपयोग आज हो रहा है. रंगभेद की समाप्ति के बावजूद, सामाजिक-आर्थिक असमानता, खास तौर पर देश की अश्वेत आबादी को प्रभावित कर रही है, जिससे राजनीति और सार्वजनिक चर्चा में नस्लीय तनाव बढ़ रहा है.
2018 में, नेल्सन मंडेला फ़ाउंडेशन ने दक्षिण अफ़्रीका में कानूनी कार्रवाई की और पिछले वर्ष विरोध प्रदर्शनों में रंगभेद के समय के झंडे इस्तेमाल के बाद इसके "अनावश्यक प्रदर्शन" पर प्रतिबंध लगाने की माँग की. इस कार्रवाई में आरोप लगाया गया कि इससे “नफ़रत फैलाने वाली भाषा, अनुचित भेदभाव और उत्पीड़न” बढ़ा है और इससे व्यवस्था के अत्याचारों की वाहवाही होती है. 2019 में, दक्षिण अफ़्रीका के समानता न्यायालय ने माना कि झंडे का अनावश्यक प्रदर्शन, नफ़रत फैलाने वाली भाषा और नस्लीय भेदभाव को बढ़ावा देता है, जिसके लिए घरेलू कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है. न्यायालय के फ़ैसले में स्पष्ट किया गया कि अगर झंडे का उपयोग कलात्मक, शैक्षणिक, पत्रकारिता या सार्वजनिक हित के अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तो यह गैर-कानूनी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ अपील (SCA) ने अप्रैल 2023 में इस फ़ैसले को कायम रखा.
29 मई, 2024 को दक्षिण अफ़्रीका में नेशनल असेंबली के लिए चुनाव हुए. रंगभेग की समाप्ति के बाद नेल्सन मंडेल के नेतृत्व वाली पार्टी अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) ने संसद में अपना बहुमत खो दिया. हालाँकि, पार्टी के मौजूदा नेता सिरिल रामफ़ोसा ने विपक्षी दलों के साथ गठबंधन सरकार बनाकर अपना राष्ट्रपति पद बरकरार रखा.
2. यूज़र सबमिशन
पोस्ट के लेखकों को बोर्ड के रिव्यू के बारे में सूचित किया गया था और उन्हें कथन सबमिट करने का अवसर दिया गया था. यूज़र से कोई जवाब नहीं मिला.
बोर्ड को दिए गए अपने बयान में, सैनिक वाली पोस्ट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र ने कहा कि दक्षिण अफ़्रीका का पुराना झंडा,जर्मन नाज़ी झंडे जैसा है. उन्होंने कहा कि इसका “बेशर्मी से प्रदर्शन” हिंसा को भड़काता है, क्योंकि देश अभी भी मानवता के खिलाफ़ अपराध के रूप में रंगभेद के प्रभाव से उबर रहा है. यूज़र ने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी फ़ोटो शेयर करने से नस्लीय नफ़रत को बढ़ावा मिल सकता है और लोगों की जान को खतरा हो सकता है. इसी प्रकार, फ़ोटो ग्रिड वाली पोस्ट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र ने बताया कि झंडे का उपयोग गैर-कानूनी है और समग्र रूप से देखा जाए तो इसका कहना है कि रंगभेद का समय दक्षिण अफ़्रीकियों के लिए "बेहतर समय" था. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे पुराना झंडा उत्पीड़न का प्रतिनिधित्व करता है और दक्षिण अफ़्रीका के अधिकांश लोगों के लिए "अपमानजनक" और "पीड़ादायक" है.
3. Meta की कंटेंट पॉलिसी और सबमिशन
I. Meta की कंटेंट पॉलिसी
नफ़रत फैलाने वाला आचरण (पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा) से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड
Meta की नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी में कहा गया है कि “लोग तब खुलकर अपनी बात रख पाते हैं और अन्य लोगों से कनेक्ट हो पाते हैं, जब उन्हें लगता है कि कोई भी व्यक्ति उनकी पहचान के आधार पर उनका विरोध नहीं करेगा.” Meta ने “नफ़रत फैलाने वाले आचरण” को उसी तरह परिभाषित किया जैसे उसने पहले “नफ़रत फैलाने वाली भाषा” को किया था. कंपनी ने इसे नस्ल, जातीयता और राष्ट्रीय मूल सहित सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर “लोगों पर सीधे हमले” के रूप में परिभाषित किया है. क्निन कार्टून केस में अपने नज़रिए को स्पष्ट करने के बोर्ड के सुझाव के परिणामस्वरूप, Meta ने अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय में कहा है कि कंपनी ऐसे कंटेंट को हटा सकती है जिसमें “संदिग्ध या निहित भाषा” का उपयोग किया गया हो और अतिरिक्त संदर्भ से उसे यथोचित रूप से कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने वाला कंटेंट माना जा सकता हो.
नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी का टियर 2, सीधे हमले के रूप में "बहिष्कार या अलगाव के आह्वान या समर्थन या बहिष्कार या अलगाव के इरादे के कथनों" को प्रतिबंधित करती है, चाहे वह लिखित हो या विज़ुअल रूप में हो. Meta, बहिष्कार के इस तरह के आह्वानों या उनके समर्थन को प्रतिबंधित करता है: (i) सामान्य बहिष्कार, जिसका मतलब है सामान्य बहिष्कार या अलगाव, जैसे “किसी X को परमिशन नहीं है!”; (ii) राजनैतिक बहिष्कार, जिसका मतलब है कि राजनीति में भाग लेने के अधिकार से वंचित करना या कैद करने या राजनैतिक अधिकार न देने की बहस करना; (iii) आर्थिक बहिष्कार, जिसका आम तौर पर मतलब होता है कि आर्थिक हक की एक्सेस देने से इंकार करना और श्रम बाज़ार में भागीदारी सीमित करना; और (iv) सामाजिक बहिष्कार, जिसका मतलब है कि भौतिक और ऑनलाइन जगहों और सामाजिक सेवाओं की एक्सेस से इंकार करने जैसे काम करना. 7 जनवरी के पहले, “सामान्य बहिष्कार” पर प्रतिबंध को “स्पष्ट बहिष्कार” कहा जाता था.
खतरनाक संगठन और लोग
Meta की खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का लक्ष्य “असली दुनिया को होने वाले नुकसानों को रोकना और उनमें रुकावट डालना है.”
पॉलिसी बनाने के कारण में, Meta ने कहा कि वह ऐसे कंटेंट को हटा देता है जो “नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराओं” का महिमामंडन, समर्थन या प्रतिनिधित्व करता है.
Meta ने बताया कि वह प्रतिबंधित विचारधाराओं को चिह्नित करता है, जिसे पॉलिसी में “नाज़ीवाद, श्वेत श्रेष्ठता, श्वेत राष्ट्रवाद [और] श्वेत अलगाववाद” के रूप में लिस्ट किया गया है क्योंकि वे “स्वाभाविक रूप से हिंसा से जुड़ी” रही हैं और “अन्य लोगों की सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर हिंसा या बहिष्कार के आह्वानों के संबंध में लोगों को संगठित” करने की कोशिश करती हैं. इस लिस्टिंग के ही साथ, कंपनी कहती है कि वह इन विचारधाराओं के स्पष्ट महिमामंडन, समर्थन और प्रतिनिधित्व को हटा देती है (ज़ोर दिया गया).
Meta ने दो बार कहा कि वह नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराओं के “अस्पष्ट संदर्भों” को भी हटा देती है, एक बार पॉलिसी बनाने के कारण में और दूसरी बार टियर 1 के संगठनों के विवरण में.
पॉलिसी बनाने के कारण में Meta ने बताया कि ऐसा कंटेंट बनाते या शेयर करते समय, उसने यूज़र्स के लिए “अपना इरादा स्पष्ट करना” ज़रूरी बनाया है. अगर यूज़र का इरादा “संदिग्ध या अस्पष्ट” है, तो Meta डिफ़ॉल्ट तौर पर कंटेंट को हटा देता है.
II. Meta के सबमिशन
Meta ने दोनों पोस्ट को Facebook पर बनाए रखा, क्योंकि उसे अपनी पॉलिसी का कोई उल्लंघन दिखाई नहीं दिया. Meta ने कन्फ़र्म किया कि कंटेंट के उसके विश्लेषण पर 7 जनवरी को पॉलिसी में हुए बदलावों का कोई असर नहीं पड़ता.
Meta ने कहा कि पोस्ट से नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता, क्योंकि उसमें टियर 2 के तहत सुरक्षित समूह के बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं है और न ही कोई अन्य सीधा हमला हुआ है. पोस्ट में शामिल किसी भी कथन में सुरक्षित समूह का कोई उल्लेख नहीं है और न ही पोस्ट किसी खास कार्रवाई का समर्थन करती है. Meta के अनुसार, पॉलिस का बड़े पैमाने पर उपयोग करने के लिए, निहित हमले के बजाय उसमें “सीधा” और स्पष्ट हमला होना ज़रूरी है. किसी भी पोस्ट में सीधा हमला नहीं था.
रिव्यूअर्स के लिए Meta के आंतरिक एन्फ़ोर्समेंट मार्गदर्शन में उन इमोजी की चित्रात्मक लिस्ट है उन संदर्भों में उपयोग किए जाने पर उल्लंघन करने वाले होते हैं जिनमें रिव्यूअर्स ये कन्फ़र्म कर सकते हैं कि यूज़र का इरादा किसी व्यक्ति या समूह पर उसकी सुरक्षित विशिष्टता के आधार पर सीधा हमला करना है. फ़ोटो, कैप्शन, फ़ोटो पर टेक्स्ट ओवरले या वीडियो का कंटेंट यह बताने में मदद कर सकता है कि इमोजी का मतलब क्या है. यह लिस्ट पूरी दुनिया में लागू होती है और इसमें “ओके” इमोजी नहीं है.
Meta ने तय किया कि पोस्ट से खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता. Meta ने नोट किया कि पोस्ट में दिखाया गया झंडा दक्षिण अफ़्रीका में 1928 और 1994 के बीच उपयोग किया जाता था. यह समय रंगभेद और उसके पहले का था. कंपनी ने यह माना कि रंगभेद की समाप्ति के बाद इस झंडे का उपयोग कभी-कभी ऐतिहासिक स्मृतियों में किया जाता है लेकिन अक्सर इसका उपयोग अफ़्रीकी विरासत और रंगभेद के प्रतीक के रूप में किया जाता है. हालाँकि, उसने यह भी माना कि झंडे के दूसरे मतलब भी हैं, जिनमें उस अवधि के दूसरे पहलूओं से दक्षिण अफ़्रीका के संबंध शामिल हैं, जैसे निजी अनुभव, सैन्य सेवा और नागरिकता के अन्य पहलू.
नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराओं के महिमामंडन, समर्थन या प्रतिनिधित्व पर Meta के प्रतिबंध के संबंध में, कंपनी ने नोट किया कि रिव्यूअर्स के लिए उसके मार्गदर्शन में नाज़ीवाद, श्वेत श्रेष्ठता, श्वेत राष्ट्रवाद और श्वेत अलगाववाद को नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराएँ बताया गया है. हालाँकि Meta ने बोर्ड को बताया कि वह “अलगाववाद की पॉलिसी की प्रशंसा” को हटा देती है, जैसा कि उसने श्वेत श्रेष्ठता के रूप में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद के दौरान उन्हें लागू किया. बोर्ड द्वारा उदाहरण माँगे जाने पर Meta ने कहा कि वह अधिकांश मामलों में "रंगभेद शानदार था" जैसे कथनों को हटा देगा, लेकिन रिव्यूअर्स को दिए गए एन्फ़ोर्समेंट मार्गदर्शन में यह उदाहरण शामिल नहीं है. रिव्यूअर्स को दिए गए पॉलिसी के उल्लंघनों के उदाहरणों में “श्वेत श्रेष्ठता सही है” और “हाँ, मैं श्वेत राष्ट्रवादी हूँ” शामिल हैं.
Meta ने इस बात पर विचार किया कि सैनिक वाली पोस्ट का कथन, “अगर आपने इस झंडे के तले काम किया है तो शेयर करो” किसी नफ़रत फैलाने वाली चिह्नित विचारधारा का महिमामंडन या समर्थन नहीं करता. इसी तरह, फ़ोटो ग्रिड वाली पोस्ट का रंगभेद वाले समय को “अच्छे पुराने दिन” बताना और यूज़र्स को यह कहना कि वे “लाइनों के पीछे का मतलब समझें” [आँख मारने वाला इमोजी, “ओके” इमोजी] और साथ में रंगभेद वाला झंडा और उस समय की ऐतिहासिक फ़ोटो से अपने आप में नफ़रत फैलाने वाली विचारधार का महिमामंडन या समर्थन नहीं होता. Meta यह मानता है कि कुछ संदर्भों में “ओके” इमोजी, व्हाइट पावर मूवमेंट से जुड़ा रहा है, लेकिन Meta के नज़र में इसका मुख्य रूप से मतलब “ओके” होता है और यह दक्षिण अफ़्रीका में भी यही अर्थ रखता है. Meta इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि यहाँ पर इसका उपयोग नफ़रत फैलाने वाली विचारधारा का महिमामंडन या समर्थन करना नहीं है.
मई 2024 के दक्षिण अफ़्रीका के चुनावों के लिए अपनी इंटीग्रिटी कोशिशों के भाग के रूप में, Meta ने चुनावों से पहले अपने प्लेटफ़ॉर्म और स्थानीय रेडियो पर नफ़रत फैलाने वाली भाषा और गलत जानकारी के विरोध में एक कैंपेन चलाया. इन कैंपेन में लोगों को यह जानकारी दी गई थी कि वे नफ़रत फैलाने वाली भाषा और गलत जानकारी को ऑनलाइन कैसे पहचानें और उसकी रिपोर्ट कैसे करें.
बोर्ड ने नए नाम वाली नफ़रत फैलाने वाले आचरण और खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी और उनके एन्फ़ोर्समेंट से जुड़े सवाल पूछे. यह भी पूछा कि कौन-से प्रतीक और विचारधाराएँ इन पॉलिसीज़ का उल्लंघन कर सकती हैं और दक्षिण अफ़्रीका में चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए Meta क्या प्रयास कर रहा है. Meta ने सभी सवालों के जवाब दिए.
4. पब्लिक कमेंट
ओवरसाइट बोर्ड को सबमिट करने की शर्तों को पूरा करने वाले 299 पब्लिक कमेंट मिले. इनमें से 271 कमेंट सब-सहारन अफ़्रीका से, 10 यूरोप से, चार मध्य और दक्षिण एशिया से, पाँच अमेरिका और कनाडा से, सात मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका से और दो एशिया-पैसिफ़िक और ओशिनिया से सबमिट किए गए थे. चूँकि सभी पब्लिक कमेंट 7 जनवरी, 2025 से पहले आए थे, इसलिए उनमें से किसी भी कमेंट में उस दिन Meta की ओर से पॉलिसी में किए गए बदलावों के बारे में कोई उल्लेख नहीं था. प्रकाशन की सहमति के साथ सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें.
सबमिशन में इन विषयों पर बात की गई थी: दक्षिण अफ़्रीका के इतिहास और राजनीति में रंगभेद के समय के झंडे का महत्व; इसे अश्वेत लोगों को दिखाने का असर और बहु-सांस्कृतिक दक्षिण अफ़्रीका बनाने के प्रयास और क्या इसे Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर परमिशन दी जानी चाहिए; और, ऑनलाइन प्रतीकों का सांकेतिक उपयोग और ऐसे विज़ुअल फ़ोटो को मॉडरेट करने के लिए सुझाए गए तरीके जिनसे सुरक्षित समूहों पर अप्रत्यक्ष हमले हो सकते हैं.
5. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने चुनाव के संदर्भ में अभिव्यक्ति की आज़ादी औण अन्य मानवाधिकारों की Meta द्वारा रक्षा का समाधान करने के लिए इन केसों का चयन किया. साथ ही बोर्ड यह भी जानना चाहता था कि दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद के हालिया इतिहास से संबंधित फ़ोटो से कंपनी कैसा व्यवहार करती है. ये केस चुनाव और नागरिक सहभागिता और समाज के पिछड़े वर्गों के प्रति नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी बोर्ड की स्ट्रेटेजिक प्राथमिकताओं के दायरे में आते हैं.
बोर्ड ने Meta की कंटेंट पॉलिसी, वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ के संबंध में इन केस में दिए गए Meta के फ़ैसलों का विश्लेषण किया. बोर्ड ने यह भी आकलन किया कि कंटेंट गवर्नेंस को लेकर Meta के व्यापक दृष्टिकोण पर इन केसों का क्या असर पड़ेगा.
5.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
नफ़रत फैलाने वाला आचरण (पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा) से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड
बोर्ड ने नोट किया कि सुरक्षित विशिष्टता के आधार पर "बहिष्कार या अलगाव के आह्वान या समर्थन" पर Meta के प्रतिबंध की कम से कम दो व्याख्याएँ की जा सकती हैं और उनमें से किसी पर भी 7 जनवरी को पॉलिसी में किए गए बदलावों का कोई असर नहीं होता. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, Meta की अभिव्यक्ति की सर्वोपरि वैल्यू को देखते हुए, बहिष्कार या अलगाव के समर्थन की ज़रूरत से जुड़े नियम का बारीकी से पालन करना ज़रूरी है. अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, Meta की गरिमा की वैल्यू को देखते हुए, इसका व्यापक रूप से पालन करना ज़रूरी है और इसमें सामान्य बहिष्कार या अलगाव को भी शामिल किया जाना चाहिए.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार किसी भी पोस्ट से इस प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं होता. दोनों पोस्ट रंगभेद के पुराने समय की याद दिलाने वाली लगती हैं, लेकिन उनमें रंगभेद को फिर से लाने या नस्लीय बहिष्कार के किसी अन्य रूप का समर्थन नहीं किया गया है.
सैनिक वाली पोस्ट पर विचार करते हुए, बहुसंख्य सदस्यों का मानना है कि कई लोग 1928–1994 के झंडे को रंगभेद का प्रतीक मानते हैं. हालाँकि, खुद झंडा, सैन्य सेवा से जुड़े कथन के साथ जोड़कर देखने पर, बहिष्कार या अलगाव का समर्थन नहीं करता. इस उल्लंघन करने वाली बनाने के लिए इसमें अतिरिक्त एलिमेंट का होना ज़रूरी है. भले ही पोस्ट में झंडे को सकारात्मक रूप से दिखाया गया है, लेकिन इसका संदर्भ सैन्य सेवा से जुड़ा है और इस बात का कोई पर्याप्त रूप से स्पष्ट कथन या संदर्भ नहीं है कि रंगभेद या मिलती-जुलती पॉलिसीज़ को फिर से लाया जाना चाहिए. भले ही आज दक्षिण अफ़्रीका में इस झंडे को शेयर करना कई लोगों के लिए विभाजनकारी या असंवेदनशील हो, लेकिन ज़्यादा सबूत के बिना यह मान लेना गलत होगा कि यह पोस्ट नस्लीय बहिष्कार या अलगाव का समर्थन करती है जो इस पॉलिसी का उल्लंघन होगा.
इसी प्रकार, बहुसंख्य सदस्यों का मानना है कि फ़ोटो ग्रिड वाली पोस्ट, जिसमें 1928-1994 के झंडे के साथ रंगभेद के समय के दक्षिण अफ़्रीका के फ़ोटो और कैप्शन हैं, अलगाव या बहिष्कार का समर्थन नहीं करती. वे शायद लोगों को उस समय की याद दिलाती हैं जिस समय का उनमें चित्रण है. बहुसंख्य सदस्य यह मानते हैं कि "अच्छे पुराने दिन" और "लाइनों के पीछे का मतलब समझें" वाक्यांश और आँख मारने वाला चेहरा और "ओके" इमोजी, सभी फ़ोटो के साथ मिलाने पर एक नस्लवादी मैसेज के संकेत हैं जो सिर्फ़ फ़ोटो को देखने पर मिलने वाले मतलब को बदल देते हैं. इसके बावजूद, नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी Meta की पॉलिसी, नस्लीय रूप से गहन सभी या सिर्फ़ नस्लीय नज़रिए वाली अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित नहीं करता. समग्र रूप से देखे जाने पर पोस्ट, रंगभेद या नस्लीय अलगाव के अन्य रूपों या बहिष्कार की बहाली का समर्थन नहीं करती और इसलिए उन्हें परमिशन दी जाती है.
अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, 1928–1994 का झंडा, रंगभेद का असंदिग्ध और सीधा प्रतीक है. सकारात्मक या तटस्थ संदर्भ में शेयर किए जाने पर (निंदा के बजाय), दक्षिण अफ़्रीका में इसे संदर्भात्मक रूप से नस्लीय अलगाव और बहिष्कार का समर्थन माना जाता है और इसलिए यह उल्लंघन करने वाला है. इन अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, झंडे का अहानिकर प्रदर्शन संभव नहीं है और उसे रंगभेद वाले समय के नस्लीय अलगाव का समर्थन ही माना जा सकता है (पब्लिक कमेंट देखें, जिनमें दक्षिण अफ़्रीका के मानवाधिकार आयोग और नेल्सन मंडेला फ़ाउंडेशन के कमेंट सहित, 2023 SCA फ़ैसले, PC-30759; PC-30771 ; PC-30768; PC-30772; PC-30774 को नोट करते हुए). रंगभेद के समय के झंडे को दुनिया के अन्य भागों में श्वेत राष्ट्रवादी आंदोलनों द्वारा भी अपनाया गया है (PC-30769).
इन कारणों से, अल्पसंख्य सदस्यों का मानना है कि दोनों पोस्ट से नस्लीय अलगाव का समर्थन होता है. सैनिक वाली पोस्ट में अन्य लोगों को झंडे को फिर से शेयर करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. इसे सिर्फ़ उस अलगाववादी पॉलिसी का समर्थन ही माना जा सकता है जिसे वह झंडा दर्शाता है. फ़ोटो ग्रिड वाली पोस्ट, फ़ोटो और कैप्शन को समग्र रूप से देखे जाने पर, कैप्शन से नस्लीय बहिष्कार और अलगाव का पोस्ट द्वारा स्पष्ट समर्थन दिखाई देता है. पोस्ट में निंदा या जागरूकता फैलाने वाले संदर्भ के बिना झंडे का उपयोग किया गया है, जो खुद ही उल्लंघन करने के लिए पर्याप्त है. इसके अलावा, अन्य फ़ोटो को स्टॉक फ़ोटो से लिया गया लगता है जिनमें उन लोगों का जीवन दिखाया गया है जिन्हें अलग कर दिया गया है; वे पुराने समय की याद की निजी कहानी नहीं दिखातीं, जैसा कि कैप्शन से भी स्पष्ट होता है. कैप्शन में व्हाइट पावर “ओके” इमोजी का उपयोग महत्वपूर्ण है. पूरी दुनिया में श्वेत लोगों को श्रेष्ठ मानने वाले लोग, नफ़रत फैलाने वाली छिपी हुई भाषा और खास संकेत समझते हैं. इसे शाब्दिक रूप से तीन उंगलियों के साथ “W” (श्वेत के लिए) और जोड़ने वाले अँगूठे और तर्जनी उंगली के साथ “P” (पावर के लिए) से लिखा जाता है (PC-30768 देखें). इसे यहाँ अलग से शामिल नहीं किया गया है. रंगभेद की फ़ोटो, "अच्छे पुराने दिनों" का संदर्भ और यूज़र्स को "लाइनों के पीछे का मतलब समझने" का आमंत्रण और आँख मारने वाला इमोजी, किसी ऐसे व्यक्ति, जो श्वेत श्रेष्ठतावादी प्रतीकों को नहीं जानता, को भी यह समझाने के लिए पर्याप्त है कि पोस्ट नस्लीय अलगाव का समर्थन करती है और इसलिए वह उल्लंघन करने वाली है. अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, इस निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि किस तरह नस्लीय भाषा और प्रतीकों का ऑनलाइन उपयोग कंटेंट मॉडरेशन से बचने के लिए किया गया है और यह कि किस तरह बहिष्कार के समर्थन की अभिव्यक्ति का ज़्यादा गूढ़ (लेकिन इसके बावजूद प्रत्यक्ष नहीं) उपयोग एक जैसी सोच वाले लोगों को कनेक्ट करने के लिए किया जा सकता है. और यहाँ नफ़रत फैलाने वाली कोडेड या अप्रत्यक्ष भाषा चिंताजनक रूप से असंदिग्ध हो सकती है, भले ही इसमें लक्षित मतलब के शाब्दिक कथनों का उपयोग न किया गया हो.
खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड
बोर्ड ने Meta से जो सवाल पूछे, उनके द्वारा बोर्ड ने यह समझा कि नफ़रत फैलाने वाली विचारधारा के रूप में श्वेत श्रेष्ठता के कंपनी द्वारा चिह्नांकन में दक्षिण अफ़्रीका का रंगभेद शामिल है. हालाँकि, Meta के रिव्यूअर्स को दिए गए आंतरिक मार्गदर्शन में उल्लंघनों के व्यापक उदाहरण देकर इसे ज़्यादा स्पष्ट बनाया जा सकता है. जैसा कि नीचे सेक्शन 5.2 (वैधानिकता) में बताया गया है, चिह्नित विचारधाराओं पर Meta के नियम अस्पष्ट हैं. बोर्ड ने एकमत से यह पाया कि दोनों पोस्ट से खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन होता है, लेकिन अलग-अलग कारणों से. बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट से श्वेत अलगाववाद के अस्पष्ट सदंर्भों की Meta की परिभाषा की पूर्ति होती है, जो पॉलिसी के अनुसार प्रतिबंधित है. अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट श्वेत श्रेष्ठता का उल्लंघन करने जितना महिमामंडन करती हैं.
बोर्ड ने नोट किया कि 1928–1994 के झंडे को रंगभेद से अलग नहीं किया जा सकता जो श्वेत अलगाववाद विचारधारा का एक रूप है. रंगभेद से पहले दो दशकों तक वैध नस्लीय भेदभाव के दौरान और 1948 में रंगभेद की स्थापना के बाद से यह राष्ट्रीय झंडा था.
बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, सैनिक वाली पोस्ट, जो दूसरों को प्रोत्साहित करती है कि अगर उन्होंने इस झंडे के तले सेना में सेवा की है तो वे इसे फिर से शेयर करें, सैन्य सेवा के बारे में अपने स्पष्ट और सकारात्मक संदर्भ के कारण श्वेत श्रेष्ठता के रूप में रंगभेद का स्पष्ट महिमामंडन नहीं करती. इसी प्रकार, फ़ोटो ग्रिड वाली पोस्ट यह नहीं बताती कि यह रंगभेद के समय के व्यक्तिगत अनुभवों का उल्लेख कर रही है या उसका महिमामंडन कर रही है. हालाँकि, जैसा कि ऊपर नोट किया गया है, इस पोस्ट में नस्लीय मैसेज के कई संकेत हैं जिनमें से प्रमुख है झंडे के साथ में “ओके” इमोजी का उपयोग. बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट में सकारात्मक लेकिन अप्रत्यक्ष संकेत, श्वेत श्रेष्ठता के उल्लंघन करने वाले “अस्पष्ट संदर्भ” हैं लेकिन वे “महिमामंडन” कहलाने लायक स्पष्ट नहीं हैं.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट उन्हीं कारणों से श्वेत अलगाववादी विचारधारा के स्पष्ट महिमामंडन की सीमा को पार करती हैं जिनसे वे नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी पॉलिसी के तहत नस्लीय बहिष्कार या अलगाव का समर्थन करती हैं. सैनिक वाली पोस्ट में, श्वेत श्रेष्ठता का एक स्वाभाविक प्रतीक के रूप में रंगभेद के समय के झंडे का उपयोग, सैन्य सेवा के संदर्भ सहित, उस विचारधारा का महिमामंडन है, भले ही उसमें रंगभेद से जुड़ी पॉलिसीज़ का स्पष्ट रूप में उल्लेख न किया गया हो. फ़ोटो ग्रिड वाली पोस्ट के लिए, व्हाइट पावर प्रतीक (“ओके” इमोजी), झंडा और “पुराने अच्छे दिन” वाक्यांश भी इस विचारधारा का महिमामंडन करते हैं. बोर्ड के इन सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र और पोस्ट पर प्राप्त कमेंट से यह कन्फ़र्म होता है कि कंटेंट में रंगभेद के महिमामंडन को ऑडियंस ने अच्छी तरह समझा. पोस्ट पर प्राप्त कई रिएक्शन में दिखाया गया था कि किस तरह श्वेत अलाववादियों का अपरिष्कृत कम्युनिकेशन, कंटेंट मॉडरेशन से रचनात्मक रूप से बच सकता है. वे यह भी बताते हैं कि नेटवर्क में शामिल नफ़रत फैलाने वाले लोग किस तरह Meta के प्लेटफ़ॉर्म की डिज़ाइन का उपयोग अपने मैसेज को फैलाने, नए सदस्यों को पहचानने और अपनी संख्या बढ़ाने के लिए करते हैं.
5.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर रखना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुसार है. बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्य इस बात से असहमत हैं और उनके अनुसार पोस्ट को हटाना इन ज़िम्मेदारियों के अनुरूप होगा.
अभिव्यक्ति की आज़ादी (आर्टिकल 19 ICCPR)
नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (ICCPR) का अनुच्छेद 19, अभिव्यक्ति की व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें राजनैतिक, सार्वजनिक मामलों और मानवाधिकारों से जुड़ी राय की सुरक्षा शामिल है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11-12). संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार समिति ने यह हाइलाइट किया है कि राजनैतिक मुद्दों की चर्चा करते समय अभिव्यक्ति का महत्व खास तौर से ज़्यादा होता है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11, 13). इसने इस बात पर ज़ोर दिया कि सार्वजनिक मामलों के आचरण और वोट के अधिकार के प्रभावी उपयोग के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी ज़रूरी है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 20; सामान्य कमेंट सं. 25, पैरा. 12 और 25 भी देखें). जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है.
बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग बिज़नेस और मानवाधिकारों से जुड़े संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुरूप Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों को समझने के लिए करता है, जिसके लिए Meta ने खुद अपनी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी में प्रतिबद्धता जताई है. बोर्ड ऐसा इसलिए करता है कि वह रिव्यू के लिए आए कंटेंट से जुड़े अलग-अलग फ़ैसले ले सके और यह समझ सके कि कंटेंट मॉडरेशन से जुड़ा Meta का व्यापक दृष्टिकोण क्या है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का मूल्यांकन करना ज़रूरी बनाता है” (A/74/486, पैरा. 41).
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
वैधानिकता के सिद्धांत के लिए यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति को सीमित करने वाले नियमों को एक्सेस किया जा सकता हो और वे स्पष्ट हों. उन्हें पर्याप्त सटीकता के साथ बनाया गया हो ताकि लोग अपने व्यवहार को उसके अनुसार बदल सकें (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). इसके अलावा, ये नियम “उन लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते, जिनके पास इन नियमों को लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में “लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना ज़रूरी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं,” (पूर्वोक्त). ऑनलाइन अभिव्यक्ति की निगरानी करने के मामले में निजी संस्थानों पर लागू होने वाले नियम स्पष्ट और विशिष्ट होने चाहिए (A/HRC/38/35, पैरा. 46). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के संबंध में कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
ये केस, नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़े प्रतिबंधों के संबंध में स्पष्टता की दो कमियाँ हाइलाइट करते हैं. पहली, Meta ने इस बारे में बोर्ड को विरोधाभासी जवाब दिए कि क्या “सीधे हमलों” में निहित कथन शामिल हैं या नहीं (इसी तरह की चिंताएँ बोर्ड ने क्निन कार्टून केस में भी जाहिर की थीं). इसके अलावा, यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या "बहिष्कार या अलगाव के आह्वान या समर्थन" संबंधी नियम केवल बहिष्कार के समर्थन तक ही सीमित है या इसमें बहिष्कार या अलगाव का कोई व्यापक समर्थन भी शामिल है. यह समस्या इसलिए और भी जटिल हो जाती है क्योंकि रिव्यूअर्स को दिए गए उल्लंघन के वैश्विक उदाहरण कम हैं और उनमें रंगभेद का कोई उदाहरण नहीं है.
खतरनाक संगठन और लोगों से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड भी नफ़रतपूर्ण विचारधाराओं के बारे में Meta की विरोधाभासी भाषा दर्शाता है. कुछ भागों में, यह बताता है कि नफ़रतपूर्ण विचारधाराओं के अस्पष्ट संदर्भ प्रतिबंधित हैं, जबकि अन्य भागों में यह बताता है कि सिर्फ़ “स्पष्ट महिमामंडन, समर्थन या प्रतिनिधित्व” प्रतिबंधित है. रिव्यूअर्स को दिए गए आंतरिक मार्गदर्शन में कहा गया है कि “संदर्भ, महिमामंडन, समर्थन या प्रतिनिधित्व” सभी प्रतिबंधित हैं. पॉलिसी के “हम इन्हें हटा देते हैं” सेक्शन के तहत प्रतिबंधों की लिस्ट में नफ़रतपूर्ण विचारधाराओं का संदर्भ ही नहीं दिया गया है, जिससे भ्रम और बढ़ जाता है.
बोर्ड का मानना है कि "श्वेत अलगाववाद" में दक्षिण अफ़्रीका में लागू रंगभेद को निहित रूप से शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन रिव्यूअर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में यह स्पष्ट नहीं किया गया है और न ही दक्षिण अफ़्रीका के संदर्भ के लिए पर्याप्त प्रासंगिक उदाहरण शामिल किए गए हैं. Meta द्वारा बोर्ड को सवालों के जवाब के रूप में दिए गए उल्लंघनकारी कंटेंट के उदाहरण (जैसे, "रंगभेद शानदार था," "श्वेत श्रेष्ठता सही है") इस हकीकत को नहीं दिखाते कि नस्लीय श्रेष्ठता के मैसेज को अक्सर कैसे फ़्रेम किया जाता है. साथ ही, बोर्ड ने यह भी नोट किया कि दक्षिण अफ़्रीका में जिस तरह से रंगभेद लागू किया गया है, वह स्वाभाविक रूप से श्वेत अलगाववाद और श्वेत श्रेष्ठता से जुड़ा हुआ है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून में रंगभेद की कंसेप्ट किसी भी नस्लीय समूह के जान-बूझकर दूसरे पर प्रभुत्व स्थापित करने पर लागू होती है, ताकि उन्हें सुनियोजित रूप से दबाया जा सके ( अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट का रोम कानून, अनुच्छेद 7(2)(h); रंगभेद सम्मेलन, अनुच्छेद 2). इससे यह सवाल उठता है कि रंगभेद को एक अलग चिह्नांकन के रूप में लिस्ट क्यों नहीं किया गया है. Meta की पॉलिसी पूरी दुनिया पर लागू होती हैं, इसलिए बोर्ड के कई सदस्यों ने यह भी सवाल उठाया कि Meta की लिस्ट उन विचारधाराओं पर केंद्रित क्यों है जो वैश्विक अल्पसंख्यक क्षेत्रों में जोखिम पैदा कर सकती हैं, जबकि वैश्विक बहुसंख्यक क्षेत्रों में तुलनात्मक नफ़रतपूर्ण विचारधाराओं पर कोई बात नहीं की गई है.
II. वैधानिक लक्ष्य
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगाए जाने वाले सभी प्रतिबंधों में ICCPR में सूचीबद्ध कानूनी लक्ष्यों में से एक या एक से ज़्यादा को पूरा किया जाना चाहिए, जिसमें अन्य लोगों के अधिकारों की रक्षा शामिल है (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR).
बोर्ड ने पहले नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लेकर माना है कि यह दूसरों के अधिकारों की सुरक्षा करने के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करता है. उन अधिकारों में समानता और अपने साथ भेदभाव न होने देने के अधिकार शामिल हैं (अनुच्छेद 2, पैरा. 1, ICCPR). अनुच्छेद 2 और 5 ICCPR). यह नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़ी संशोधित पॉलिसी के लिए भी सही है.
इसी तरह, बोर्ड का मानना है कि खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़ी पॉलिसी, जो "वास्तविक दुनिया में होने वाले नुकसान को रोकने और बाधित करने" की कोशिश करती है, दूसरों के अधिकारों की रक्षा करने के वैधानिक उद्देश्य का पालन करती है, जैसे कि जीवन का अधिकार (ICCPR, अनुच्छेद 6) और अपने से भेदभाव न होने देने और समानता का अधिकार (ICCPR, अनुच्छेद 2 और 26).
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
ICCPR के आर्टिकल 19(3) के तहत, आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध “उनके सुरक्षात्मक कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों के साथ कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन अधिकारों से उन्हें सुरक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; उन हितों के अनुसार सही अनुपात में होने चाहिए, जिनकी सुरक्षा की जानी है” (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 34).
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर रखना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुसार है और उन्हें हटाना आवश्यक और आनुपातिक नहीं होगा. बोर्ड के ये सदस्य मानते हैं कि रंगभेद की विरासत अभी भी कायम है और इसके दीर्घकालिक परिणाम आज पूरे दक्षिण अफ़्रीका में महसूस किए जा रहे हैं. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून राजनीति में भागीदारी के संबंध में अभिव्यक्ति की आज़ादी को ज़्यादा सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें चुनाव का संदर्भ भी शामिल है (सामान्य कमेंट सं. 25, पैरा. 12 और 25). डेमोग्राफ़िक बदलावों पर राजनेता के कमेंट केस में, बोर्ड ने पुष्टि की कि विवादास्पद राय की अभिव्यक्तियों को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों द्वारा सुरक्षा दी गई है. ये दोनों पोस्ट सुरक्षित अभिव्यक्ति हैं. अगर इसे "अत्यंत आपत्तिजनक" भी माना जाता है, तो भी इससे वे निकट भविष्य में भेदभाव के उकसावे में नहीं बदलेंगी (सामान्य कमेंट सं. 34, (2011), पैरा. 11; अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर की 2019 की रिपोर्ट का पैरा. 17 भी देखें A/74/486).
बहुसंख्य सदस्यों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में यह स्पष्ट किया गया है कि जब निकट भविष्य में कोई ठोस नुकसान होने की आशंका हो, तो भाषा पर प्रतिबंध उचित ठहराया जा सकता है. लेकिन जब निकट भविष्य में नुकसान की आशंका न हो, तो अन्य उपायों का उपयोग किया जा सकता है (A/74/486, पैरा. 13, 54 देखें). इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार कमिटी ने कहा है कि: “सामान्य तौर पर झंडों, यूनिफ़ॉर्म, निशानों और बैनर के उपयोग को अभिव्यक्ति का विधिसम्मत रूप माना जाना चाहिए और उसे प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए, भले ही ऐसे प्रतीक किसी बुरे अतीत की याद दिलाते हों. बहुत कम मामलों में, जहाँ ऐसे प्रतीक भेदभाव, शत्रुता या हिंसा के उकसावे से सीधे और प्रमुखता से संबंधित हों, उचित प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए,” (शांतिपूर्ण सभा के अधिकार पर सामान्य कमेंट सं. 37, CCPR/C/GC/37, पैरा. 51).
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के "अस्पष्ट संदर्भों" पर प्रतिबंध की अत्यधिक व्यापकता के बारे में कुछ चिंताएँ हैं. जैसा कि Meta ने 7 जनवरी को अनाउंस किया था, वह अपने कंटेंट मॉडरेशन में होने वाली गलतियों को कम करने की कोशिश कर रहा है, इसलिए बोर्ड के ये सदस्य इस बात की जाँच करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि "अस्पष्ट संदर्भ" नियम का एन्फ़ोर्समेंट कितना सटीक है और कंटेंट को हटाना, Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के साथ कितना संगत है.
बोर्ड ने अक्सर यह आकलन करने के लिए रबात एक्शन प्लान के छह कारकों वाले टेस्ट का उपयोग किया है कि क्या हिंसा या भेदभाव का उकसावा निकट भविष्य में संभावित है. बहुसंख्य सदस्य मानते हैं कि किसी भी पोस्ट में यह सीमा पूरी नहीं होती. बहुसंख्य सदस्यों के अनुसार, कंटेंट द्वारा उत्पन्न तात्कालिक भेदभाव या हिंसा की आशंका कई कारणों से बहुत कम है. जैसा कि ऊपर बताया गया है, दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद का ऐतिहासिक संदर्भ और इसकी निरंतर विरासत इन पोस्ट की व्याख्या करते समय महत्वपूर्ण है. साथ ही, रंगभेद की समाप्ति के बाद से देश का अपेक्षाकृत रूप से स्थिर प्रतिनिधि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए इसका मज़बूत कानूनी फ़्रेमवर्क भी प्रासंगिक है, खास तौर पर इसलिए क्योंकि इन पोस्ट के समय यहाँ चुनाव हुए थे. बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने कहा कि मई 2024 के चुनावों के दौरान श्वेत श्रेष्ठता कोई बड़ा विषय नहीं था. उन्होंने कहा कि इन चुनावों से पहले की अवधि में न तो अंतरजातीय हिंसा हुई थी और न ही श्वेत अल्पसंख्यकों द्वारा अन्य नस्लीय या जातीय समूहों के विरुद्ध हिंसा का आह्वान किया गया. इनमें से कोई भी पोस्ट किसी जाने-माने या प्रभावशाली वक्ता की नहीं है, जिससे यह जोखिम कम हो जाता है कि इनमें से कोई भी पोस्ट किसी को भी निकट भविष्य में भेदभाव या हिंसा करने के कामों में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी. किसी भी पोस्ट में कार्रवाई का आह्वान नहीं किया गया है. इन पोस्ट में भविष्य में भेदभाव या हिंसा की घटनाओं का समर्थन करने का स्पष्ट इरादा नहीं है, न ही इन्हें लोगों के लिए ऐसे कामों में शामिल होने का आह्वान समझा जाएगा. इन विभिन्न कारणों को देखते हुए, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों का मानना है कि इन पोस्ट के परिणामस्वरूप हिंसा या भेदभाव होने की निकट भविष्य में कोई आशंका नहीं है.
अत्यधिक आपत्तिजनक भाषा पर प्रतिबंध लगाने से, जिससे निकट भविष्य में नुकसान को उकसावा मिलने की आशंका नहीं है, असहिष्णुता के विचार समाप्त नहीं हो जाएँगे. इसके बजाय, लोग इन विचारों को दूसरे प्लेटफ़ॉर्म पर ले जाएँगे, जहाँ अक्सर बड़ी संख्या में लोग होने के बजाय समान विचारों वाले लोग होते हैं. इससे मुद्दों पर अधिक पारदर्शी, सार्वजनिक चर्चा संभव होने के बजाय असहिष्णुता बढ़ सकती है.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य मानते हैं कि कंटेंट मॉडरेशन के अन्य टूल, जिनमें कंटेंट को हटाया नहीं जाता, इन केसों में वैधानिक लक्ष्य पाने के कम बाधक साधनों के रूप में काम कर सकते थे. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य इन केसों में कंटेंट के संभावित नकारात्मक भावनात्मक परिणामों को समझते हैं और साथ ही भेदभाव को रोकने के Meta के वैधानिक उद्देश्य को भी मानते हैं. जैसा कि बोर्ड ने अपनी सबसे पहली राय में कहा था ( COVID के क्लेम किए गए बचाव) कि कंपनी को सबसे पहले ऐसे उपायों को लागू करके वैधानिक उद्देश्य हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए जो भाषा का उल्लंघन न करें. अगर यह संभव न हो, तो कंपनी को वैधानिक लक्ष्य हासिल करने के लिए कम बाधक साधन का चुनाव करना चाहिए. फिर, उसे यह निगरानी करनी चाहिए कि चुना गया साधन प्रभावी है. Meta को इस फ़्रेमवर्क का उपयोग अपने नियमों और एन्फ़ोर्समेंट की कार्रवाइयों को सार्वजनिक रूप से उचित ठहराने के लिए करना चाहिए.
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में नोट किया गया है कि ( A/74/486, पैरा 51): “कंपनियों के पास कंटेंट से निपटने के ऐसे टूल उपलब्ध हैं जो मानवाधिकारों के अनुरूप तरीकों का उपयोग करते हैं और कुछ मामलों में ये टूल, सरकारों के पास उपलब्ध टूल से भी ज़्यादा व्यापक हैं.” बोर्ड ने Meta से कहा है कि वह अपनी एन्फ़ोर्समेंट टूलकिट का विस्तार करने के लिए पारदर्शी तरीके खोजे और नफ़रत फैलाने वाला आचरण से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड को एन्फ़ोर्स करने के बीच के तरीके प्रस्तुत करे, न कि कंटेंट को रखने या हटाने के दो ही विकल्प दे. म्यांमार बॉट केस में, बोर्ड ने पाया कि “बढ़ी हुई ज़िम्मेदारियों के कारण कंटेंट को डिफ़ॉल्ट रूप से हटाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि ऐसे नुकसानदेह कंटेंट को बने रहने देने और ऐसे कंटेंट को हटा देने जिससे नुकसान होने की थोड़ी संभावना है या बिल्कुल भी संभावना नहीं है, दोनों की स्थितियाँ खतरनाक हैं.” बोर्ड ने Meta से कहा है कि वह इस बात की जाँच करे कि कंटेंट को हटाना किस तरह एक अत्यंत कठोर उपाय हो सकता है, जो ऑनलाइन अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बुरा असर डालता है. इसमें कंपनी से अन्य टूल्स पर भी विचार करने का अनुरोध किया गया है, जैसे उचित परिस्थितियों में सुझाव के बाद कंटेंट को हटाना या यूज़र्स की फ़ीड में उनका डिस्ट्रिब्यूशन कम करना.
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों ने पाया कि दोनों पोस्टों को हटाना, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक आवश्यक और आनुपातिक सीमा होगी, ताकि समानता के अधिकार के प्रति सम्मान सुनिश्चित हो सके. साथ ही अश्वेत दक्षिण अफ़्रीकी लोगों के लिए भेदभाव से मुक्ति भी सुनिश्चित हो सके. अल्पसंख्य सदस्यों का यह विचार संभावित रूप से नफ़रत फैलाने वाली भाषा से उत्पन्न खतरों का आकलन करने के रबात प्लान के कारकों पर आधारित है. इनमें इन पोस्ट से होने वाले नुकसान भी शामिल हैं (पहले उद्धरित).
खास तौर पर, एक अल्पसंख्य सदस्य ने अन्य कमेंट के साथ-साथ नेल्सन मंडेला फ़ाउंडेशन और दक्षिण अफ़्रीकी मानवाधिकार आयोग के पब्लिक कमेंट को नोट किया. ये उन विभिन्न तरीकों को कन्फ़र्म करते हैं जिनसे Meta के प्लेटफार्म पर अभिव्यक्ति, अलगाव का समर्थन करती हैं, उन्हें उचित बताती हैं या उनका अन्यथा महिमामंडन करती हैं. इनसे रंगभेद के बाद भेदभाव को बनाए रखने में योगदान होता है (PC-30759; PC-30771; PC-30768; PC-30772; PC-30774). प्रत्येक पोस्ट के नीचे के कमेंट, जो अधिकतर अफ़्रीकांस भाषा में हैं, उपनिवेशवाद में निहित श्वेत श्रेष्ठता की भावना को दर्शाते हैं. उनसे इन अल्पसंख्य सदस्यों के लिए यह कन्फ़र्म होता है कि गंभीर भेदभाव के माहौल में नफ़रत की समर्थन करने का स्पीकर का इरादा सफल रहा. अल्पसंख्य सदस्यों ने नोट किया कि ज़्वार्टे पिएट का चित्रण केस में, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने अश्वेत लोगों के आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य पर इस पोस्ट के असर के आधार पर इसे हटाने का समर्थन किया, भले ही स्पीकर का सीधा इरादा ऐसा असर डालना नहीं था. यह केस दक्षिण अफ़्रीका के बाहर भी प्रासंगिक है. बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने पाया कि 1928-1994 के झंडे सहित रंगभेद के प्रतीकों को विश्व के अन्य भागों में भी श्वेत राष्ट्रवादी आंदोलनों द्वारा अपना लिया गया है. इसमें डायलन रूफ़ भी शामिल है, जिसने 2015 में अमेरिका में एक अश्वेत चर्च के नौ सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. रूफ़ के सोशल मीडिया पर मौजूद उसकी एक फ़ोटो में वह एक जैकेट पहने हुए है जिस पर रंगभेद के समय का झंडा है (PC-30769).
बोर्ड के अल्पसंख्य सदस्यों ने इसके अलावा दोहराया कि एक प्राइवेट एक्टर के रूप में Meta, नफ़रत फैलाने वाली ऐसी भाषा को हटा सकता है जो तात्कालिक भेदभाव या हिंसा को उकसावे की सीमा में नहीं आती, लेकिन वह ICCPR के आर्टिकल 19(3) की आवश्यकता और आनुपातिकता की ज़रूरतें पूरी करती है (A/HRC/38/35 रिपोर्ट, पैरा. 28). दक्षिण अफ़्रीका का गालियाँ केस में, बोर्ड ने दक्षिण अफ़्रीका के संदर्भ की विशिष्टताओं पर भारी भरोसा करते हुए Meta द्वारा एक नस्लीय गाली को हटाने के फ़ैसले को बरकरार रखा. इस केस में अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, दोनों पोस्ट को हटाना न केवल भेदभाव को रोकने के लिए ज़रूरी है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी ज़रूरी है कि प्लेटफ़ॉर्म पर नफ़रत एक साथ जुड़ने से उन लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े, जिन्हें बार-बार नफ़रत फैलाने वाली भाषा से निशाना बनाया जाता है (ज़्वार्टे पिएट का चित्रण, भारत के ओडिशा राज्य में सांप्रदायिक दंगे, अज़रबैजान में आर्मेनियाई और क्निन कार्टून भी देखें). अल्पसंख्य सदस्यों के अनुसार, कंटेंट के मॉडरेशन से यूज़र के मानवाधिकारों पर पड़ने वाले परिणाम (विशेष रूप से, अभिव्यक्ति को हटाना और फ़ीचर लिमिट या बार-बार उल्लंघन के कारण सस्पेंशन) उन परिणामों से काफ़ी अलग हैं जो नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कानूनों को एन्फ़ोर्स करने पर पड़ते हैं (जैसे अर्थदंड या कारावास). इन कारणों से, अल्पसंख्य सदस्यों का मानना है कि बहिष्कार के बारे में नफ़रत फैलाने वाले आचरण के नियम के साथ-साथ खतरनाक संगठनों और लोगों के "महिमामंडन" पर प्रतिबंध के अनुसार, दोनों पोस्ट को हटाना आवश्यक और आनुपातिक होगा. एक अल्पसंख्य सदस्य ने कहा कि सामाजिक और राजनैतिक बातचीत में खतरनाक लोगों और संगठनों से जुड़े अपवाद को सही पैमाने पर लागू करने से यह सुनिश्चित होगा कि इन नियमों का ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट न हो.
मानवाधिकार सम्यक तत्परता
UNGP के सिद्धांत 13, 17 (c) और 18 के अनुसार Meta के लिए यह ज़रूरी है कि वह पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट में सार्थक बदलावों के लिए नियमित रूप से मानवाधिकार सम्यक तत्परता उपाय करे, जिन्हें कंपनी साधारण रूप से अपने पॉलिसी प्रोडक्ट फ़ोरम के ज़रिए करती है, जिसमें प्रभावित स्टेकहोल्डर्स के साथ एंगेजमेंट शामिल है. बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta के 7 जनवरी, 2025 के पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट से जुड़े बदलाव जल्दबाज़ी में अनाउंस किए गए जिसमें नियमित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और इस बात की कोई सार्वजनिक जानकारी शेयर नहीं की गई कि अगर कोई मानवाधिकार सम्यक तत्परता उपाय किए गए हैं, तो वे कौन-से हैं.
अब इन बदलावों को वैश्विक रूप से लागू किया जा रहा है, इसलिए Meta द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है कि मानवाधिकारों पर इन बदलावों के प्रतिकूल प्रभावों की पहचान की जाए, उन्हें दूर किया जाए और रोका जाए और उन्हें सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट किया जाए. इसमें यह फ़ोकस शामिल होना चाहिए कि सभी कम्युनिटी पर किस तरह का अलग-अलग असर हो सकता है, जिनमें वैश्विक बहुसंख्यक क्षेत्र शामिल हैं. एन्फ़ोर्समेंट से जुड़े बदलावों के संबंध में, सम्यक तत्परता में ज़रूरत से ज़्यादा एन्फ़ोर्समेंट ( क्यूबा में महिलाओं से विरोध प्रदर्शन का आह्वान, अरबी शब्दों को स्वीकार्य उपयोग में लाना) के साथ-साथ ज़रूरत से कम एन्फ़ोर्समेंट ( यहूदी नरसंहार को नकारना (होलोकॉस्ट डिनायल), पश्चिम अफ़्रीका में होमोफ़ोबिक हिंसा, ट्रांसजेंडर लोगों को टार्गेट करने के लिए पोलिश भाषा में की गई पोस्ट) को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
बोर्ड ने नोट किया कि इनमें से कई बदलावों को पूरी दुनिया में लागू किया जा रहा है, जिनमें दक्षिण अफ़्रीका जैसे वैश्विक बहुसंख्यक देश और अन्य देश शामिल हैं, जिनका हालिया इतिहास रंगभेद तक सीमित न होकर मानवता के विरुद्ध अपराधों का रहा है. यह खास तौर पर महत्वपूर्ण है कि Meta यह सुनिश्चित करे कि ऐसे क्षेत्रों में स्थानीय स्टेकहोल्डर्स के साथ मज़बूत एंगेजमेंट के ज़रिए जल्दी से जल्दी मानवाधिकारों पर इन बदलावों के बुरे असर की पहचान की जाए, उन्हें कम किया जाए, रोका जाए और सार्वजनिक रूप से उन्हें बताया जाए. बोर्ड ने नोट किया कि 2018 में, Meta ने म्यांमार जैसी संकट की स्थितियों में Facebook से नफ़रत फैलाने वाली भाषा को हटाने में विफलता का उल्लेख ऑटोमेटेड एन्फ़ोर्समेंट पर निर्भरता बढ़ाने की प्रेरणा के रूप में किया था. दुनिया के कई हिस्सों में, विभिन्न कारणों से Meta के ऐप में रिपोर्टिंग के टूल के साथ यूज़र्स के एंगेजमेंट की संभावना कम होती है, जिससे यूज़र रिपोर्ट इस बात का गैर-भरोसेमंद संकेत बन जाती है कि सबसे अधिक नुकसान कहाँ हो सकता है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि Meta इस बात पर पूरी तरह से विचार करे कि संभावित रूप से उल्लंघन करने वाले कंटेंट की स्वचालित पहचान में किसी भी बदलाव के प्रभाव, चाहे वह ज़रूरत से कम एन्फ़ोर्समेंट हो या ज़्यादा, वैश्विक स्तर पर असमान हो सकते हैं, खास तौर से उन देशों में जहाँ अभी संकट, युद्ध या अत्याचार के अपराध हो रहे हैं या कुछ समय पहले हुए हैं.
6. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने दोनों पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
7. सुझाव
कंटेंट पॉलिसी
1. निरंतर मानवाधिकार सम्यक तत्परता के भाग के रूप में, Meta को नफ़रत फैलाने वाले आचरण से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के 7 जनवरी के अपडेट के संबंध में नीचे बताए गए सभी कदम उठाने चाहिए. सबसे पहले, इसे यह पहचान करनी चाहिए कि पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट में अपडेट के वैश्विक बहुसंख्यक क्षेत्रों की आबादी पर किस प्रकार बुरे असर डाल सकते हैं. दूसरा, Meta को ऐसे जोखिमों को रोकने और/या उन्हें दूर करने के उपाय करने चाहिए और उनकी प्रभावशीलता की निगरानी करनी चाहिए. तीसरा, Meta को हर छह महीनों में बोर्ड को अपनी प्रगति और सीख के बारे में अपडेट देना चाहिए और जल्दी से जल्दी सार्वजनिक रूप से इसकी रिपोर्टिंग करनी चाहिए.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, ऊपर बताए क्रम में रोकथाम या कमी के अपने उपायों की प्रभावशीलता का ठोस डेटा और विश्लेषण बोर्ड को उपलब्ध कराएगा और जब Meta सार्वजनिक रूप से इसकी रिपोर्ट देगा.
2. खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड की स्पष्टता बेहतर बनाने के लिए Meta को इस बारे में सिर्फ़ एक, स्पष्ट और व्यापक व्याख्या अपनानी चाहिए कि इसके प्रतिबंध और अपवाद किस तरह नफ़रत फैलाने वाली चिह्नित विचारधाराओं पर लागू होते हैं.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta चिह्नित नफ़रतपूर्ण विचारधाराओं से संबंधित अपने नियमों और अपवादों की एक, स्पष्ट और व्यापक व्याख्या अपनाएगा (“हम इसे हटा देते हैं” के तहत).
3. खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड की स्पष्टता बेहतर बनाने के लिए Meta को नियमों में रंगभेद को नफ़रत फैलाने वाली एक अलग चिह्नित विचारधारा के रूप में लिस्ट करना चाहिए.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta अपनी चिह्नित नफ़रतपूर्ण विचारधाराओं की लिस्ट में रंगभेद को जोड़गा.
एन्फ़ोर्समेंट
4. रिव्यूअर्स के लिए खतरनाक संगठनों और लोगों से जुड़े अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड की स्पष्टता बेहतर बनाने के लिए, नफ़रत फैलाने वाली विचारधाराओं के प्रतिबंधित महिमामंडन, समर्थन और प्रतिनिधित्व के बारे में रिव्यूअर्स को ज़्यादा वैश्विक उदाहरण उपलब्ध कराए, जिसमें ऐसे उदाहरण शामिल हैं जो सीधे लिस्ट की गई विचारधारा का सीधे नाम नहीं लेते.
बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, बोर्ड को अपडेट किया गया आंतरिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराएगा. इसमें पूरी दुनिया से लिए गए ज़्यादा उदाहरण भी हों, जिनमें वे उदाहरण भी हों जिनमें लिस्ट की गई विचारधारा का सीधे नाम नहीं लिया जाता.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
- ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच मेंबर्स के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और उन पर बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स की सहमति होती है. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले, सभी सदस्यों की राय दर्शाएँ.
- अपने चार्टर के तहत, ओवरसाइट बोर्ड उन यूज़र्स की अपील रिव्यू कर सकता है, जिनका कंटेंट Meta ने हटा दिया था और उन यूज़र्स की अपील जिन्होंने उस कंटेंट की रिपोर्ट की थी जिसे Meta ने बनाए रखा. साथ ही, बोर्ड Meta की ओर से रेफ़र किए गए फ़ैसलों का रिव्यू कर सकता है (चार्टर आर्टिकल 2, सेक्शन 1). बोर्ड के पास Meta के कंटेंट से जुड़े फ़ैसलों को कायम रखने या उन्हें बदलने का बाध्यकारी अधिकार है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 5; चार्टर आर्टिकल 4). बोर्ड ऐसे गैर-बाध्यकारी सुझाव दे सकता है, जिनका जवाब देना Meta के लिए ज़रूरी है (चार्टर आर्टिकल 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके लागू होने की निगरानी करता है.
- इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा तथा टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है.