सही ठहराया

ब्राज़ील में COVID लॉकडाउन

ओवरसाइट बोर्ड ने ब्राज़ील के राज्य-स्तरीय मेडिकल काउंसिल की एक पोस्ट को नहीं हटाने के Facebook के फ़ैसले को बरकरार रखा है, जिसमें दावा किया गया था कि लॉकडाउन बेअसर होते हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनकी निंदा की है.

निर्णय का प्रकार

मानक

नीतियां और विषय

विषय
सरकारें, स्वास्थ्य
सामुदायिक मानक
हिंसा और उकसावा

क्षेत्र/देश

जगह
ब्राज़ील

प्लैटफ़ॉर्म

प्लैटफ़ॉर्म
Facebook

केस का सारांश

ओवरसाइट बोर्ड ने ब्राज़ील के राज्य-स्तरीय मेडिकल काउंसिल की एक पोस्ट को नहीं हटाने के Facebook के फ़ैसले को बरकरार रखा है, जिसमें दावा किया गया था कि लॉकडाउन बेअसर होते हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनकी निंदा की है.

बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बरकरार रखने का Facebook का फ़ैसला उसकी कंटेंट पॉलिसी के अनुरूप था. बोर्ड ने पाया कि कंटेंट में कुछ गलत जानकारी शामिल थी, जो ब्राज़ील में वैश्विक महामारी की गंभीरता के बारे में और सार्वजनिक संस्थान के रूप में काउंसिल की स्थिति के बारे में चिंता उत्पन्न करती है. हालाँकि, बोर्ड ने पाया कि कंटेंट से तात्कालिक नुकसान का जोखिम पैदा नहीं होता और इसलिए, इसे प्लेटफ़ॉर्म पर रहना चाहिए. अंत में, बोर्ड ने कुछ परिस्थितियों में COVID-19 से जुड़ी गलत सूचना के प्रसार का मुकाबला करने के लिए, इन्हें हटाने के अलावा अन्य उपायों को अपनाए जाने के महत्व पर ज़ोर दिया, जैसे कि इस मामले में.

केस की जानकारी

मार्च 2021 में, ब्राज़ील की राज्य स्तरीय मेडिकल काउंसिल के Facebook पेज पर COVID-19 को फैलने से रोकने के उपायों के बारे में लिखित नोटिस की फ़ोटो पोस्ट की जिसका शीर्षक था 'लॉकडाउन के खिलाफ़ पब्लिक नोट'.

नोटिस में दावा किया गया है कि लॉकडाउन बेअसर हैं, संविधान के मौलिक अधिकारों के खिलाफ़ हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इनकी निंदा करता है. इसमें WHO के डॉ. नबारो का कथित उद्धरण भी शामिल है डेविड नबारो COVID-19 के लिए WHO के विशेष प्रतिनिधि, कहते हैं "the lockdown does not save lives and makes poor people much poorer" (लॉकडाउन जीवन नहीं बचाता बल्कि गरीब लोगों को और गरीब बनाता है). नोटिस में यह दावा भी किया जाता है कि अमेज़ोनस ब्राज़ीलियाई राज्य में लॉकडाउन के बाद मौतों और हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, जिससे साबित होता है कि लॉकडाउन के रूप में लगाई गई रोक बेअसर रही. नोटिस में दावा किया गया है कि लॉकडाउन से लोगों में मानसिक विकार बढ़ेंगे, शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान के अलावा और भी कई चीज़ें होंगी. इसमें आखिरी में कहा गया कि COVID-19 से बचाव के प्रभावी उपायों में स्वच्छता, मास्क के उपयोग, सामाजिक दूरी, टीकाकरण के बारे में जानकारी देने वाले कैंपेन और सरकार द्वारा व्यापक रूप से निगरानी रखना शामिल होता है - लेकिन लॉकडाउन इसका उपाय नहीं है.

इस पेज के 10,000 से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं. इस कंटेंट को करीब 32,000 बार देखा गया और 270 से भी ज़्यादा बार शेयर किया गया. किसी भी यूज़र ने कंटेंट की रिपोर्ट नहीं की. Facebook ने इस कंटेंट को लेकर कोई एक्शन नहीं लिया और यह केस बोर्ड को भेज दिया. कंटेंट अभी भी प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद है.

मुख्य निष्कर्ष

बोर्ड ने कहा कि कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बरकरार रखने का Facebook का फ़ैसला उसकी कंटेंट पॉलिसी के अनुरूप था. हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में ऐसी गलत जानकारी वाले कंटेंट पर रोक है जिससे आने वाले समय में हिंसा या शारीरिक नुकसान का खतरा हो. स्टैंडर्ड से जुड़े हेल्प सेंटर लेख में कहा गया है कि, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों की राय के आधार पर Facebook निर्णय लेता है कि जानकारी झूठी है या नहीं. बोर्ड ने पाया कि कंटेंट में कुछ गलत जानकारी शामिल थी, जो ब्राज़ील में वैश्विक महामारी की गंभीरता के बारे में और सार्वजनिक संस्थान के रूप में काउंसिल की स्थिति के बारे में चिंता उत्पन्न करती है. हालाँकि, बोर्ड ने पाया कि कंटेंट से तात्कालिक नुकसान का जोखिम नहीं था.

यह कथन कि WHO लॉकडाउन की निंदा करता है और कथित रूप से डॉ. डेविड नबारो द्वारा कही गई बात पूरी तरह सत्य नहीं हैं. डॉ. नबारो ने ये नहीं कहा कि “lockdown does not save lives” (लॉकडाउन से जान नहीं बचाई जा सकती), लेकिन ये बात कही कि WHO ने “not advocate lockdowns as a primary means of control of this virus” (वायरस को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन का प्राथमिक उपाय के रूप में समर्थन नहीं किया) और यह कि इनके परिणामस्वरूप “making poor people an awful lot poorer” (गरीब लोग और भी ज़्यादा गरीबी का सामना करेंगे). WHO ने कहा है कि “lockdowns are not sustainable solutions because of their significant economic, social broader health impacts (इनके महत्वपूर्ण आर्थिक, सामाजिक और व्यापक स्वास्थ्य प्रभावों के कारण लॉकडाउन को स्थायी समाधान नहीं माना जा सकता). However, during the #COVID19 pandemic there’ve been times when restrictions were necessary and there may be other times in the future” (हाँलाकि, #COVID19 वैश्विक महामारी के दौरान ऐसे कई मौके आए जब प्रतिबंध लगाना ज़रूरी था और भविष्य में भी ऐसा करना पड़ सकता है).

बोर्ड ने Facebook की इस दलील को माना कि "तात्कालिक नुकसान" की सीमा को पूरा नहीं किया गया था क्योंकि WHO और अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कंपनी को सलाह दी थी कि "सामाजिक दूरी जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी विशेष आदतों के खिलाफ़ दावों को हटा देना चाहिए", लेकिन लॉकडाउन की निंदा करने वाले दावों को नहीं हटाना चाहिए. इस बात की पुष्टि करने के बावजूद, कि Facebook ब्राज़ील की राष्ट्रीय पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी से बातचीत कर रहा है, Facebook ने कहा कि गलत जानकारी और नुकसान की पॉलिसी को लागू करने के लिए वह तात्कालिक नुकसान की सीमा परिभाषित करने के लिए स्थानीय संदर्भ को ध्यान में नहीं रखता.

बोर्ड का मानना है कि जान और माल के तात्कालिक नुकसान के जोखिम को आँकने में Facebook को स्थानीय संदर्भ को और इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि कंटेंट एक सार्वजनिक संस्थान ने शेयर किया है, जिसका कर्तव्य भरोसेमंद जानकारी देना है. हालाँकि बोर्ड अभी भी यह मानता है कि ब्राज़ील में वैश्विक महामारी की गंभीरता के बावजूद, इस मामले में पोस्ट तात्कालिक नुकसान की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती, क्योंकि इस पोस्ट ने COVID-19 के फैलने का मुकाबला करने के लिए अन्य उपायों के महत्व पर ज़ोर दिया है - जिसमें सामाजिक दूरी भी शामिल है.

Facebook ने कहा कि यह पोस्ट फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए योग्य है, लेकिन फ़ैक्ट-चेकिंग पार्टनर ने इस कंटेंट को नहीं जाँचा. बोर्ड ने कहा कि Facebook का तरीका कंटेंट के लिए अतिरिक्त संदर्भ प्रदान करने में विफल रहा, जिससे COVID-19 के बारे में सार्वजनिक जानकारी से जुड़े लोगों के विश्वास को खतरा हो सकता है, और यह भी कहा कि Facebook को सार्वजनिक अधिकारियों की ओर से आने वाली, स्वास्थ्य से जुड़ी संभावित गलत सूचना को प्राथमिकता देते हुए को फ़ैक्ट-चेकिंग पार्टनर को भेजना चाहिए.

बोर्ड ने कहा कि Facebook ने पहले कहा है कि राजनेताओं से आने वाला कंटेंट फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए योग्य नहीं माना जाता, लेकिन इसने अपनी पॉलिसी में अन्य यूज़र्स, जैसे पेज या सार्वजनिक संस्थाओं के अकाउंट के लिए स्पष्ट रूप से योग्यता की कोई शर्तें नहीं बताई गईं हैं.

ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड, Facebook के उस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के फ़ैसले को समर्थन देता है.

पॉलिसी से जुड़े सुझाव के कथन में बोर्ड ने कहा कि Facebook:

  • Facebook केस के फ़ैसले 2020-006-FB-FBR में दिए गए उस सुझाव को लागू करे और उन सभी जगहों पर कम दखल देने वाले उपाय अपनाए जहाँ COVID-19 से संबंधित कंटेंट अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के निर्देशों को हेरफेर करके प्रस्तुत करता है और जहाँ संभावित जान और माल के नुकसान का खतरा है लेकिन वह तात्कालिक नहीं है.
  • स्थानीय संदर्भ को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी के रूप में फ़्लैग किए गए कंटेंट को प्राथमिकता देकर फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए भेजे.
  • अगर कंटेंट फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए योग्य है तो इसके बारे में फ़र्ज़ी खबर कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अंतर्गत ज़्यादा पारदर्शिता प्रदान करें, जिसमें यह भी शामिल हो कि सार्वजनिक संस्थानों से जुड़े अकाउंट फ़ैक्ट-चेकिंग के अधीन हैं या नहीं.

*केस के सारांश से केस का ओवरव्यू पता चलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.

केस का पूरा फ़ैसला

1. फ़ैसले का सारांश

ओवरसाइट बोर्ड ने ब्राज़ील के राज्य-स्तरीय मेडिकल काउंसिल की एक पोस्ट को नहीं हटाने के Facebook के फ़ैसले को बरकरार रखा है, जिसमें दावा किया गया था कि लॉकडाउन बेअसर होते हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनकी निंदा की है. इस तरह से कंटेंट Facebook पर रहेगा.

2. केस का विवरण

मार्च 2021 में ब्राज़ील की राज्य स्तरीय मेडिकल काउंसिल के Facebook पेज की ओर से एक लिखित नोटिस की फ़ोटो पुर्तगाली में पोस्ट की गई, जिसमें COVID-19 को फैलने से रोकने के उपायों को लेकर संदेश था, जिसका शीर्षक था 'लॉकडाउन के खिलाफ़ पब्लिक नोट'. नोटिस में दावा किया गया है कि लॉकडाउन बेअसर हैं, संविधान के मौलिक अधिकारों के खिलाफ़ हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनकी निंदा करता है. इसमें WHO के डॉ. नबारो का कथित उद्धरण भी शामिल है COVID-19 के लिए WHO के विशेष प्रतिनिधि, डेविड नबारो कहते हैं "the lockdown does not save lives and makes poor people much poorer" (लॉकडाउन जीवन नहीं बचाता बल्कि गरीब लोगों को और गरीब बनाता है). नोटिस में यह दावा भी किया गया है किया ब्राज़ीलियाई राज्य अमेज़ोनस में लॉकडाउन के बाद मौतों और हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, जिससे साबित होता है कि लॉकडाउन के रूप में लगाई गई रोक बेअसर रही. नोटिस में दावा किया गया है कि लॉकडाउन से लोगों में मानसिक विकार बढ़ेंगे, शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान के अलावा और भी कई चीज़ें होंगी. इसमें आखिरी में कहा गया कि COVID-19 से बचाव के प्रभावी उपायों में स्वच्छता के उपाय, मास्क के उपयोग, सामाजिक दूरी, टीकाकरण के बारे में जानकारी देने वाले कैंपेन चलाना और सरकार द्वारा व्यापक रूप से निगरानी रखना है - न कि लॉकडाउन लगाने का फ़ैसला लेना.

इस पेज के 10,000 से ज़्यादा फ़ॉलोअर हैं. इस कंटेंट को करीब 32,000 बार देखा गया और 270 से भी ज़्यादा बार शेयर किया गया. किसी भी यूज़र ने कंटेंट की रिपोर्ट नहीं की. Facebook ने इस कंटेंट को लेकर कोई एक्शन नहीं लिया और यह केस बोर्ड को भेज दिया. कंटेंट अभी भी प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद है.

नीचे दिया गया तथ्यात्मक बैकग्राउंड बोर्ड के फ़ैसले के लिए प्रासंगिक है. ब्राज़ील के संघीय कानून संख्या 3268/1957 के अनुच्छेद 1 में यह बताया गया है कि मेडिकल काउंसिल सभी 26 राज्यों के सरकारी प्रशासन का हिस्सा हैं, और सार्वजनिक कानून के तहत इनके पास एक कानूनी व्यक्तित्व और प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता है. मेडिकल डॉक्टर के प्रोफ़ेशनल रजिस्ट्रेशन और उनकी उपाधियाँ काउंसिल की जवाबदारी होती हैं. अनुच्छेद 2 कहता है कि ये प्रोफ़ेशनल नैतिकता की पर्यवेक्षी संस्थाएँ हैं और इनके पास डॉक्टरों से जुड़े अनुमोदन के अधिकार होते हैं. संघीय कानून 3268/1957 की तरह मेडिकल काउंसिल के पास लॉकडाउन जैसे उपाय लागू करने जैसे कोई अधिकार नहीं होते.

पोस्ट में किए गए ये दावे कि WHO ने लॉकडाउन की निंदा की है और डॉ. डेविड नबारो ने कहा कि “lockdown does not save lives” (लॉकडाउन लोगों की जान की रक्षा नहीं करता), पूरी तरह से सत्य नहीं हैं. डॉ. नबारो ने कहा था कि लॉकडाउन के परिणामस्वरूप “making poor people an awful lot poorer” (गरीब लोग और भी ज़्यादा गरीबी का सामना करेंगे), लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा कि “do not save lives” (लोगों की जान की रक्षा नहीं करता). WHO ने लॉकडाउन की निंदा नहीं की है, उसने कहा है कि इनके महत्वपूर्ण आर्थिक, सामाजिक और व्यापक स्वास्थ्य प्रभावों के कारण लॉकडाउन को स्थायी समाधान नहीं माना जा सकता, लेकिन ऐसे मौके आ सकते हैं जब ऐसे प्रतिबंध ज़रूरी हो जाएँ और ये भविष्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों की तैयारी के लिए अच्छा अवसर दे देते हैं.

मेडिकल काउंसिल द्वारा शेयर किए गए नोटिस में अमेज़ोनस के जिस लॉकडाउन का संदर्भ दिया गया था वह 25 जनवरी और 31 जनवरी 2021 के बीच 23 जनवरी 2021 की डिक्री संख्या 43,303 के अनुसार लगाया गया था और 31 जनवरी 2021 की डिक्री संख्या 43,348 के अनुसार 7 फरवरी 2021 तक बढ़ा दिया गया था. डिक्री ने सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की आवाजाही पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया और इन कुछ अपवादों के अलावा अन्य सभी वाणिज्यिक गतिविधियों और सेवाओं के संचालन को निलंबित कर दिया - इन अपवादों में आवश्यक वस्तुओं का परिवहन, बाजारों, बेकरी, दवा की दुकानें, गैस स्टेशन, बैंक और चिकित्सा संस्थानों का संचालन शामिल है. पुलिस और अन्य अधिकारियों द्वारा लॉकडाउन लागू किया गया. डिक्री का पालन न करने वालों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने का प्रावधान था.

3. प्राधिकार और दायरा

ओवरसाइट बोर्ड के पास Facebook द्वारा रेफ़र किए गए सवालों के व्यापक सेट का रिव्यू करने का अधिकार है (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 2, सेक्शन 2.1). इन सवालों को लेकर दिए गए फ़ैसले बाध्यकारी होते हैं और उनमें पॉलिसी से जुड़ी सलाह के कथनों के साथ सुझाव भी शामिल हो सकते हैं. ये सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Facebook को उन्हें लेकर जवाब देना होगा (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4).

4. प्रासंगिक स्टैंडर्ड

ओवरसाइट बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड पर विचार करते हुए अपना फ़ैसला दिया है:

I. Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड:

कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय में एक सेक्शन है "COVID-19: कम्युनिटी स्टैंडर्ड से संबंधित अपडेट और सुरक्षा." टेक्स्ट के अनुसार:

ऐसे समय में जब दुनिया भर के लोग इस गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं, तो हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड लोगों को COVID-19 से संबंधित नुकसानदेह कंटेंट और दुर्व्यवहार के नए प्रकारों से सुरक्षित रखें. हम ऐसे कंटेंट को हटाने के काम में लगे हुए हैं जिससे लोगों को सचमुच में नुकसान पहुँच सकता है, इसके लिए हमारी पॉलिसी में, नुकसान पहुँचाने में साथ देना, मेडिकल मास्क और उससे संबंधित सामान बेचना, नफ़रत फैलाने वाली भाषा का उपयोग करना, किसी को डराना-धमकाना या किसी का उत्पीड़न करना साथ ही ऐसी गलत जानकारी शेयर करना, जिससे हिंसा भड़कने या किसी को तात्कालिक या शारीरिक नुकसान पहुँचने का खतरा हो, जैसे कामों पर रोक लगाई गई है.

स्थिति में आने वाले बदलाव के साथ-साथ हम प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद कंटेंट पर नज़र रख रहे हैं, बातचीत के तरीकों का मूल्यांकन कर रहे हैं और विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं, साथ ही संकट के इस समय में अपनी कम्युनिटी के सदस्यों को सुरक्षित रखने के लिए हम ज़रूरत पड़ने पर पॉलिसी से जुड़े अन्य मार्गदर्शन भी देंगे. [इस बात पर ज़ोर दिया गया]

हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में कहा गया है कि Facebook ऐसी "गलत जानकारी वाले कंटेंट पर रोक लगाता है जिससे आने वाले समय में तात्कालिक हिंसा या शारीरिक नुकसान का खतरा हो.” आगे इसमें कहा गया है कि: “इसके अलावा, हमने COVID-19 और टीकों से संबंधित कंटेंट के बारे में विशेष नियम बनाए हैं और हम इस बारे में मार्गदर्शन भी देते हैं. इन विशेष नियमों को पढ़ने के लिए कृपया यहाँ. क्लिक करें"

ऊपर दिए गए लिंक में दिए गए लेख के अनुसार, इस पॉलिसी के तहत Facebook स्वास्थ्य की अच्छी आदतों जिसमें, "सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी लोगों को सलाह देते हैं कि वे COVID-19 से खुद को बचाएँ या इसे फैलने से रोकें," जिसमें "फेस मास्क पहनना, सामाजिक दूरी, COVID-19 के लिए जाँच करवाना और […] COVID-19 का टीका लगवाना" शामिल है, को हतोत्साहित करने वाले कंटेंट को हटा देता है

Facebook की फ़र्ज़ी ख़बर से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड की पॉलिसी बनाने के कारण में दिया गया है कि:

Facebook पर फ़र्ज़ी ख़बर को फैलने से रोकना एक ऐसी ज़िम्मेदारी है, जिसे हम गंभीरता से लेते हैं. हम यह भी समझते हैं कि यह एक चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील कार्य है. लोगों के बीच सकारात्मक बातचीत को सीमित किए बिना हम सही सूचना पाने में उनकी मदद करना चाहते हैं. फ़र्ज़ी ख़बरों और व्यंग्य करने या राय देने के बीच एक सूक्ष्म अंतर भी होता है. इन कारणों से ही हम Facebook से फ़र्ज़ी ख़बरों को निकालते नहीं हैं, बल्कि इसके बजाय हम इसे न्यूज़फ़ीड में नीचे दिखाकर इसके वितरण को बहुत-ही कम कर देते हैं.

फ़र्ज़ी ख़बर से जुड़ा कंटेंट हटाने के अलावा, फ़र्ज़ी ख़बर संबंधी स्टैंडर्ड Facebook द्वारा उपयोग किए जाने वाले एन्फ़ोर्समेंट के कई विकल्पों के बारे में जानकारी देता है.

हम अपने समुदाय को अधिक जानकार बनाने और इन अलग-अलग तरीकों से फ़र्ज़ी खबरों के फैलाव को कम करने के लिए काम कर रहे हैं:

  • गलत जानकारी फैलाने वाले लोगों, पेज और डोमेन को मिलने वाले आर्थिक प्रोत्साहनों को नाकाम करना.
  • हमारी कम्युनिटी के फ़ीडबैक सहित, विविध संकेतों का उपयोग करके मशीन लर्निंग मॉडल के लिए जानकारी पाना, जो पूर्वानुमान लगाता हो कि कौन-सी ख़बरें झूठी हो सकती हैं.
  • निष्पक्ष फ़ैक्ट-चेकर द्वारा झूठ के रूप में रेट किए गए कंटेंट के वितरण को कम करना.
  • लोगों को अधिक संदर्भ देकर और समाचार साक्षरता को बढ़ावा देकर उन्हें खुद अपने लिए यह निर्णय लेने में समर्थ बनाना कि क्या पढ़ें, किस पर विश्वास करें या क्या शेयर करें.
  • इस चुनौतीपूर्ण मुद्दे का समाधान करने में मदद के लिए शिक्षण और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करना.

II. Facebook के मूल्य:

Facebook के मूल्यों की रूपरेखा कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय सेक्शन में दी गई है. “वॉइस” को Facebook के सबसे महत्वपूर्ण मूल्य के रूप में वर्णित किया जाता है:

हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लक्ष्य लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म देना रहा है ताकि आम लोगों की आवाज़ बुलंद हो सके. इसमें न तो कोई बदलाव हुआ है न होगा. कम्युनिटी बनाने और दुनिया के लोगों को एक-दूसरे के और ज़्यादा नज़दीक लाने के लिए यह ज़रूरी है कि लोग अलग-अलग विचार, अनुभव, सोच और जानकारी शेयर करें. हम चाहते हैं कि लोग उनके लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बातें कर सकें, भले ही कुछ लोग उन बातों पर असहमति जताएँ या उन्हें ये बातें आपत्तिजनक लगें.

Facebook का कहना है कि चार अन्य मूल्यों की सेवा करते हुए "वॉइस" को सीमित किया जा सकता है – इस मामले में "सुरक्षा" वह प्रासंगिक मूल्य है:

हम Facebook को एक सुरक्षित जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. धमकी भरी अभिव्यक्ति से लोगों में डर, अलगाव की भावना आ सकती या दूसरों का आवाज़ दब सकती है और Facebook पर इसकी परमिशन नहीं है.

III. मानवाधिकार के स्टैंडर्ड:

बिज़नेस और मानव अधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानव अधिकार समिति का समर्थन मिला है, वे प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढांचा तैयार करते हैं. मार्च 2021 में Facebook नेमानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उन्होंने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया. इस केस में बोर्ड ने इन मानवाधिकार स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया:

  • विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद 19, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), सामान्य टिप्पणी सं. 34, मानव अधिकार समिति, 2011 विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर: A/HRC/38/35 (2018), A/74/486 (2019), A/HRC/44/49 (2020), A/HRC/47/25 (2021); अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और “फ़र्ज़ी ख़बर”, दुष्प्रचार और प्रचार-प्रसार को लेकर संयुक्त घोषणा FOM.GAL/3/17 (2017).
  • स्वास्थ्य का अधिकार: अनुच्छेद 12, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICESCR); सामान्य कमेंट सं. 14, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार समिति, (2000).
  • जीवन का अधिकार: अनुच्छेद 6, ICCPR.

5. यूज़र का कथन

Facebook ने यह केस ओवरसाइट बोर्ड को रेफ़र किया. Facebook ने ओवरसाइट बोर्ड को बताया कि उसने यूज़र को एक नोटिफ़िकेशन भेजा, कि मामला बोर्ड को भेजा गया था और यूज़र को इस मामले पर अपनी तरफ़ से जानकारी जमा करने का अवसर दिया, लेकिन यूज़र ने कोई बयान जमा नहीं किया.

बोर्ड ने भी इस बात को माना कि Facebook द्वारा यूज़र को भेजा गया नोटिफ़िकेशन यूज़र को अपनी तरफ़ से जानकारी सबमिट करने का अवसर देता है. हालाँकि बोर्ड इस बारे में चिंतित है कि Facebook यूज़र को वह पर्याप्त जानकारी नहीं देता जिससे यूज़र सही तरह से अपना बयान दे सके. Facebook यूज़र को जो नोटिफ़िकेशन दिखाता है उसमें मामले से संबंधित सामान्य विषय दिए रहते हैं, लेकिन इस बात का विस्तृत विवरण नहीं दिया जाता कि बोर्ड के पास यह कंटेंट क्यों भेजा गया, और न ही उन प्रासंगिक पॉलिसी के बारे में बताया जाता है जो कंटेंट के विरुद्ध लागू की जा सकती हैं.

6. Facebook के फ़ैसले का स्पष्टीकरण

Facebook ने कंटेंट के खिलाफ़ कोई एक्शन नहीं लिया और बोर्ड को केस रेफ़र करते हुए Facebook ने कहा कि यह केस “इसलिए जटिल है, क्योंकि यह कंटेंट Facebook की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता है, लेकिन फिर भी इस वैश्विक महामारी के दौरान कुछ सुरक्षा उपायों के समर्थन के तौर पर यह कुछ लोगों के पढ़ने में आ सकता है.” उसने समझाया कि "Facebook की एक आंतरिक टीम, जो इस इलाके की जानकार है, ने केस के कंटेंट के बारे में प्रेस से रिपोर्ट ली और केस को रिव्यू के लिए फ़्लैग किया. रिव्यूअर ने कहा कि यह कंटेंट Facebook की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता है."

Facebook का कहना है कि वह उस गलत जानकारी को प्रतिबंधित करता है जो "तात्कालिक हिंसा या जान और माल के नुकसान के जोखिम में योगदान दे सकती है," और वह WHO, अमेरिकी सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और अन्य मान्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों से सलाह लेता है कि क्या COVID-19 से जुड़ा कोई विशेष गलत दावा तात्कालिक जान और माल के नुकसान के जोखिम में योगदान दे सकता है. Facebook का कहना है कि इस मामले में यह कंटेंट इन स्टैंडर्ड को पूरा नहीं करता है. Facebook कहता है कि "WHO यह नहीं कहता कि लॉकडाउन के उपायों की आलोचना करने से तात्कालिक जान और माल के नुकसान के जोखिम में योगदान मिल सकता है" और यह कि "जहाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अन्य विशेषज्ञों ने Facebook को किसी भी ऐसे दावे से जुड़े कंटेंट को निकालने की सलाह दी है, जिसमें सामाजिक दूरी जैसे स्वास्थ्य से जुड़े किसी काम के खिलाफ़ बात कही गई हो, लेकिन उन्होंने लॉकडाउन के खिलाफ़ बातें करने वाले किसी भी दावे से जुड़े कंटेंट को निकालने की कोई सलाह Facebook को नहीं दी है.”

बोर्ड के इस सवाल पर कि, Facebook लॉकडाउन और सामाजिक दूरी जैसे उपायों के बीच कैसे अंतर करता है, Facebook ने कहा कि "WHO "लॉकडाउन" को बड़े पैमाने पर शारीरिक दूरी का साधन और परिवहन संबंधी प्रतिबंधों के रूप में परिभाषित करता है जो सरकार द्वारा लागू किए जाते हैं. दूसरी ओर, दो लोगों के बीच एक निश्चित मात्रा में शारीरिक दूरी बनाए रखने की आदत को सामाजिक दूरी कहते हैं. सैद्धांतिक रूप से, लॉकडाउन सामाजिक दूरी को एक अनिवार्यता के रूप में लागू कर सकता है."

Facebook ने यह भी कहा कि, "इस मामले में, यह पोस्ट थर्ड पार्टी फ़ैक्ट-चेकर की रेटिंग के लिए योग्य थी, लेकिन फ़ैक्ट-चेकर ने इस कंटेंट को रेट नहीं किया. और इसकी रैंक कम नहीं की ना ही इसे झूठी खबर का लेबल दिया." Facebook ने बताया कि उसके फ़ैक्ट-चेकिंग पार्टनर निष्पक्ष हैं और वह "कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि, इस पोस्ट सहित, रेटिंग के योग्य किसी भी अन्य पोस्ट को उन्होंने रेट क्यों किया, या क्यों नहीं किया."

Facebook ने कहा कि वह अलग-अलग देशों में संदर्भ के आधार पर स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण नहीं अपनाता - उसकी पॉलिसी का दायरा वैश्विक है. उसका कहना है कि अपनी पॉलिसी बनाते समय वह मान्य सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों से विचार विमर्श करता है, और अपने जवाब में उसने बोर्ड को बताया है कि उसने ब्राज़ील की राष्ट्रीय पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी से भी बातचीत की है.

7. थर्ड पार्टी सबमिशन

बोर्ड को इस केस के संबंध में 30 पब्लिक कमेंट मिले. तीन कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशेनिया से आए थे, एक मध्य और दक्षिण एशिया से, नौ लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से और 17 अमेरिका और कनाडा से आए थे.

अलग-अलग श्रेणी के संगठनों और लोगों ने कमेंट सबमिट किए, इनमें ब्राज़ील के कुछ अन्वेषक और संगठन भी शामिल थे. सबमिशन में नीचे दिए गए प्रसंग शामिल थे: COVID-19 के प्रभाव और राजनैतिक संदर्भ सहित ब्राज़ील के संदर्भ को शामिल किए जाने का महत्व; लेबल करने और रैंक कम करने जैसे वैकल्पिक प्रवर्तन उपायों के प्रभाव की चर्चा और विश्लेषण; और एक मेडिकल अथॉरिटी के रूप में यूज़र का प्रभावशाली औहदा.

ब्राजील की स्थिति पर अधिक संदर्भ प्रदान करने वाले कमेंट ने ब्राजील में स्वास्थ्य आपातकाल के राजनीतिकरण (PC-10105) के बारे में बताया, कि COVID-19 का मुकाबला करने के लिए बने, साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक पॉलिसी उपायों का पालन ब्राजील की राजनैतिक ताकतों के कारण प्रभावित हुआ था (PC-10100) और एक ऐसे संदर्भ के कारण जिसमें "लॉकडाउन" एक राजनैतिक चर्चा का विषय बन गया था, ऐसा दावा किया गया कि लॉकडाउन की निंदा का समर्थन करने से अन्य सुरक्षा उपायों की अवहेलना को भी प्रोत्साहन मिल सकता है (PC-10106). ब्राज़ील में दुष्प्रचार पर केंद्रित रिसर्च करने वालों ने पाया कि दुष्प्रचार शेयर करने में पब्लिक अथॉरिटी का बहुत अधिक प्रभाव होता है (PC-10104).

इस केस को लेकर लोगों की ओर से सबमिट किए गए कमेंट देखने के लिए कृपया यहाँ पर क्लिक करें.

8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण

8.1 कम्युनिटी स्टैंडर्ड का अनुपालन

बोर्ड ने कहा कि कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बरकरार रखने का Facebook का फ़ैसला उसकी कंटेंट पॉलिसी के अनुरूप था. हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में ऐसी गलत जानकारी वाले कंटेंट पर रोक है जिससे आने वाले समय में हिंसा या शारीरिक नुकसान का खतरा हो. हिंसा और उकसावे से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड से लिंक हेल्प सेंटर लेख में कहा गया है कि, सार्वजनिक स्वास्थ्य अथॉरिटी के पुराने मार्गदर्शन के अनुसार Facebook इस पॉलिसी के तहत फ़र्ज़ी कंटेंट को हटा देता है. बोर्ड ने पाया कि हालाँकि उस कंटेंट में कुछ गलत जानकारी थी (नीचे देखें), लेकिन कंटेंट ने किसी भी तरह के तात्कालिक नुकसान का खतरा पैदा नहीं किया.

पोस्ट में दावा किया गया है कि लॉकडाउन बेअसर हैं और WHO इनकी निंदा करता है, और कथित रूप से WHO के एक अधिकारी डॉ. डेविड नबारो का यह कथन भी शामिल है जिसमें कहा गया है कि “the lockdown does not save lives and makes poor people much poorer” (लॉकडाउन लोगों की ज़िंदगी नहीं बचाता है साथ ही वह गरीब लोगों को और भी गरीब बना देता है). यह जानकारी पूरी तरह से सही नहीं है. WHO के अधिकारी डॉ. डेविड नबारो के कथन का यह हिस्सा “lockdown does not save lives” (लॉकडाउन लोगों की जान की रक्षा नहीं करता) सही नहीं है - डॉ. नबारो ने कहा कि WHO ने “not advocate lockdowns as a primary means of control of this virus” (वायरस को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन का प्राथमिक उपाय के रूप में समर्थन नहीं किया) और यह कि इनके परिणामस्वरूप “making poor people an awful lot poorer” (गरीब लोग और भी ज़्यादा गरीबी का सामना करेंगे), लेकिन नबारो ने ये नहीं कहा कि “lockdown does not save lives” (लॉकडाउन से जान नहीं बचाई जा सकती). WHO ने कहा है कि “lockdowns are not sustainable solutions because of their significant economic, social broader health impacts (इनके महत्वपूर्ण आर्थिक, सामाजिक और व्यापक स्वास्थ्य प्रभावों के कारण लॉकडाउन को स्थायी समाधान नहीं माना जा सकता). However, during the #COVID19 pandemic there’ve been times when restrictions were necessary and there may be other times in the future”. ... (हाँलाकि, #COVID19 वैश्विक महामारी के दौरान ऐसे कई मौके आए जब प्रतिबंध लगाना ज़रूरी था और भविष्य में भी ऐसा करना पड़ सकता है). Because of their severe economic, social broader health impacts, lockdowns need to be limited in duration (इनके सख्त आर्थिक, सामाजिक और व्यापक स्वास्थ्य प्रभावों के कारण लॉकडाउन को कम अवधि का होना चाहिए). They’re best used to prepare for longer-term public health measures (लम्बी अवधि वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों की तैयारी के लिए अच्छा अवसर दे देते हैं). During these periods, countries are encouraged to lay the groundwork for more sustainable solutions (इस काल में देशों को अधिक स्थायी समाधान के लिए आधार तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है)."

बोर्ड ने Facebook की इस दलील को माना कि "तात्कालिक नुकसान" की सीमा को पूरा नहीं किया गया था क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और "अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों" ने कंपनी को सलाह दी थी कि "सामाजिक दूरी जैसी स्वास्थ्य की विशेष आदतों के खिलाफ़ दावों को हटा देना चाहिए", लेकिन लॉकडाउन की निंदा करने वाले दावों को नहीं हटाना चाहिए. इस बात की पुष्टि करने के बावजूद, कि Facebook "ब्राज़ील की राष्ट्रीय पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी" से बातचीत कर रहा है, Facebook ने ज़ोर दे कर कहा कि गलत जानकारी और नुकसान की पॉलिसी को लागू करने के लिए वह "तात्कालिक नुकसान" की सीमा परिभाषित करने के लिए स्थानीय संदर्भ को ध्यान में नहीं रखता.

हालाँकि, बोर्ड का मानना है कि तात्कालिक जान और माल के नुकसान के जोखिम का आंकलन करते समय Facebook को स्थानीय संदर्भ को और ब्राज़ील की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए. जैसा कि उन विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा है, जिनसे बोर्ड ने राय माँगी थी, और साथ ही ब्राज़ील में संगठनों और रिसर्च करने वालों के सार्वजनिक कमेंट पर प्रकाश डाला गया, COVID-19 वैश्विक महामारी के कारण पहले ही देश में 500,000 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं, जो किसी भी देश की प्रति मिलियन मौतों की सबसे खराब दरों में से है. उन विशेषज्ञों और कुछ सार्वजनिक कमेंट में भी कहा गया कि देश में COVID-19 से लड़ने के तरीकों का बहुत ज़्यादा राजनीतिकरण हुआ है.

इस स्थिति को और ब्राज़ील के संदर्भ को देखते हुए, बोर्ड चिंतित है कि देश में COVID-19 से जुड़ी गलत जानकारी का प्रसार, वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए उचित उपायों के बारे में सार्वजनिक जानकारी में लोगों के विश्वास को खतरे में डाल सकता है, जिसके कारण यूज़र्स का जोखिम भरा व्यवहार अपनाने का खतरा और बढ़ जाता है. बोर्ड मानता है कि यह न्यायसंगत है कि Facebook को इस देश में और सूक्ष्मता के साथ काम करना चाहिए, वहाँ गलत जानकारी के प्रसार का मुकाबला करने के लिए अपने प्रयासों को और तेज करना चाहिए, जैसा कि बोर्ड ने नीचे सुझाव 2 के तहत कहा है. हालाँकि, बोर्ड अभी भी यह मानता है कि पोस्ट तात्कालिक नुकसान की सीमा को पूरा नहीं करती, क्योंकि यह एक ऐसे उपाय पर चर्चा करती है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा बिना शर्त नहीं सुझाया गया है और COVID-19 के प्रसार का मुकाबला करने के लिए अन्य उपायों के महत्व पर ज़ोर देता है - जिसमें सामाजिक दूरी भी शामिल है.

इस मामले में बोर्ड के सवालों के जवाब में Facebook ने बताया कि, फ़र्ज़ी ख़बर वाले कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत पोस्ट फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए पूर्णत: योग्य थी, लेकिन फ़ैक्ट-चेकिंग पार्टनर ने कंटेंट को नहीं जाँचा. बोर्ड यह समझता है कि ये पार्टनर Facebook के स्वचालित सिस्टम, आंतरिक टीमों या यूज़र्स द्वारा गलत जानकारी के रूप में फ़्लैग किए गए सभी कंटेंट का विश्लेषण करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं. हालाँकि, बोर्ड ने कहा कि Facebook का तरीका एक कंटेंट के लिए अतिरिक्त संदर्भ प्रदान करने में विफल रहा, जिससे COVID-19 के बारे में सार्वजनिक जानकारी से जुड़े लोगों के विश्वास को खतरा हो सकता है, और इससे उपायों की प्रभावशीलता कमज़ोर हो सकती है जो कुछ मामलों में बहुत ज़रूरी हो सकती है. Facebook को प्राथमिकता देते हुए पब्लिक अथॉरिटी द्वारा शेयर किए गए ऐसे कंटेंट को फ़ैक्ट-चेकिंग पार्टनर के पास भेजना चाहिए जिसमें उसे लगता हो कि स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी हो सकती है, खास तौर पर वैश्विक महामारी के दौरान. बोर्ड ने इस संबंध में सेक्शन 10 में अनुशंसा जारी की है. बोर्ड ने कहा कि Facebook ने पहले कहा है कि राजनेताओं से आने वाले "विचार और भाषण" को फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए योग्य नहीं माना जाता, लेकिन इसने अपनी पॉलिसी में अन्य यूज़र्स, जैसे राज्य और सार्वजनिक संस्थाओं के पेज या अकाउंट के लिए स्पष्ट रूप से योग्यता की कोई शर्तें नहीं बताई गईं हैं. बोर्ड का मानना है कि राज्य और सार्वजनिक संस्थाओं के कंटेंट को भी फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए योग्य माना जाना चाहिए.

8.2 Facebook के मूल्यों का अनुपालन

बोर्ड ने यह पाया कि Facebook का कंटेंट को हटाने का फ़ैसला इसके "वॉइस" वाले मूल्य से संगत था. हालाँकि, Facebook का “सुरक्षा" वाला मूल्य ज़्यादा महत्वपूर्ण है, विशेष तौर पर इस वैश्विक महामारी के संदर्भ में. इस कंटेंट ने "वॉइस" को विस्थापित करने का औचित्य साबित करने के लिए "सुरक्षा" के मूल्य के लिए किसी तरह का तात्कालिक खतरा पैदा नहीं किया.

8.3 Facebook की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19 ICCPR)

ICCPR के अनुच्छेद 19, पैरा 2 में “सभी तरह की” अभिव्यक्ति के लिए विस्तृत सुरक्षा का प्रावधान किया गया है. UN की मानवाधिकार समिति ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि जब सार्वजनिक संस्थानों की बात हो रही हो, या आम सरोकार से जुड़े मामलों की चर्चा करते समय अभिव्यक्ति का मूल्य खास तौर से महत्वपूर्ण हो जाता है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 13, 20 और 38). कानून के तहत स्थापित एक संस्थान के रूप में मेडिकल काउंसिल एक सार्वजनिक संस्था है जिसके मानवाधिकारों से जुड़े कुछ दायित्व होते हैं, इनमें यह सुनिश्चित करने का दायित्व भी शामिल है कि यह जनहित के मामलों के बारे में विश्वसनीय और भरोसेमंद जानकारी का प्रसार हो (A/HRC/44/49, पैरा. 44).

बोर्ड का कहना है कि भले ही मेडिकल काउंसिल के पास लॉकडाउन जैसे उपायों को लागू करने का अधिकार नहीं है, यह प्रासंगिक है कि वे राज्य सरकार के प्रशासन का ही हिस्सा हैं और इसलिए COVID-19 के प्रसार को रोकने के उपायों को लागू करने के फ़ैसले लेने वाले अधिकारियों को प्रभावित कर सकती है.

बोर्ड ने कहा कि पोस्ट ने ब्राज़ील में COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए उचित उपायों के बारे में वहाँ व्यापक और महत्वपूर्ण चर्चा की है. इसके अतिरिक्त, क्योंकि पोस्ट को ब्राज़ील में एक मेडिकल काउंसिल के Facebook पेज ने शेयर किया था इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर, एक संस्था के रूप में इसके विचारों के बारे में रुचि बढ़ी है. सार्वजनिक स्वास्थ्य पॉलिसी को विकसित करने जैसे मुद्दों पर पेशेवर विशेषज्ञों के विचारों के महत्व को बोर्ड अच्छी तरह समझता है.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मौलिक है और इसमें सरकारी संस्थाओं सहित अन्य सूचना प्राप्त करने का अधिकार भी शामिल है - हालाँकि, यह अधिकार स्वाधीन नहीं है. राज्य अगर प्रतिबंध लागू करता है तो, प्रतिबंधों के लिए वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा समानता की शर्तों को पूरा करना ज़रूरी है (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). Facebook UNGP के तहत अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार स्टैंडर्ड का सम्मान करने की अपनी ज़िम्मेदारी को जान चुका है. UNGP के फ़्रेमवर्क के आधार पर, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर ने सोशल मीडिया कंपनियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि कंटेंट संबंधी उनके नियम अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR के मार्गदर्शन में बनाए जाएँ (गलत जानकारी का समाधान करने वाले कंटेंट नियमों के लिए: A/HRC/47/25, पैरा. 96 देखें; कंटेंट नियमों को व्यापक रूप में देखने के लिए: A/HRC/38/35, पैरा 45 और 70 देखें). बोर्ड ने जाँचा कि क्या Facebook की मानवाधिकार जिम्मेदारियों के अनुसार इस तीन-भाग परीक्षण के तहत पोस्ट को हटाना उचित होगा या नहीं.

I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)

अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने वाला कोई भी नियम स्पष्ट, सटीक और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होना चाहिए, (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 25). लोगों के पास यह निर्धारित करने के लिए पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए कि क्या या कैसे जानकारी तक उनकी पहुँच को सीमित किया जा सकता है. इन अधिकारों की रक्षा के लिए, यह भी महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक संस्थाएँ उन नियमों को स्पष्ट रूप से समझने में सक्षम हों जो प्लेटफ़ॉर्म पर उनकी बातचीत पर लागू होते हैं और इस तरह से उनके व्यवहार को समायोजित करें. सामान्य कमेंट 34 इस बात पर भी रोशनी डालता है कि लगाए गए नियम "इसका कार्यान्वयन करने वाले लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रतिबंध के कारण निरंकुश निर्णय नहीं लेने दे सकते" (पैरा. 25). Facebook के पास यह सुनिश्चित करने की भी ज़िम्मेदारी है कि उसके नियम वैधता के सिद्धांत का अनुपालन करते हों (A/HRC/38/35, पैरा. 46).

2020-006-FB-FBR इस केस फ़ैसले में बोर्ड ने पाया कि प्रासंगिक नियमों की उलझन के कारण Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत "यूज़र्स के लिए यह समझना मुश्किल था कि स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी से संबंधित कौन सा कंटेंट प्रतिबंधित है" ("हिंसा और उकसावे" के तहत तात्कालिक नुकसान के जोखिम में योगदान देने वाली गलत जानकारी भी इसमें शामिल है). बोर्ड ने "गलत जानकारी" जैसे महत्वपूर्ण शब्दों की सार्वजनिक परिभाषाओं की कमी को भी उजागर किया, और कहा कि इसने "हिंसा और उकसावे" से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड को भी "अनुचित रूप से अस्पष्ट" बना दिया क्योंकि यह भी गलत जानकारी पर लागू होता है. इस बारे में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में कहा गया है कि वैधता के सिद्धांत को गलत जानकारी के प्रति “to any approach” (किसी भी दृष्टिकोण के लिए) लागू किया जाना चाहिए क्योंकि यह “extraordinarily elusive concept to define in law, susceptible to providing executive authorities with excessive discretion” (ये भटकाने वाली अवधारणा है इसलिए कानून में इसे परिभाषित करना मुश्किल है और अतिसंवेदनशीलता से कार्यकारी अधिकारियों को अत्यधिक स्वाधीनता दी जा सकती है) (A/HRC/44/49, पैरा. 42). इन समस्याओं के समाधान के लिए बोर्ड ने सुझाव दिया कि Facebook, स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी के बारे में मौजूदा नियमों को एक जगह पर और साफ़तौर पर दिखाते हुए स्पष्ट और आसानी से उपलब्ध कम्युनिटी स्टैंडर्ड बनाए.

बोर्ड के सुझाव के जवाब में Facebook ने ये हेल्प सेंटर लेख “ COVID-19 और वैक्सीन पॉलिसी अपडेट प्रोटेक्शन,” प्रकाशित किया, जो हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत गलत जानकारी और नुकसान की पॉलिसी से लिंक है. इस लेख में Facebook ने विभिन्न कम्युनिटी स्टैंडर्ड में से सभी प्रासंगिक COVID-19 और वैक्सीन पॉलिसी को सूचीबद्ध किया है और उल्लंघन करने वाले कंटेंट प्रकार के उदाहरण भी दिए हैं. यह लेख पुर्तगाली भाषा में भी उपलब्‍ध है.

हेल्प सेंटर का यह लेख यूज़र्स को यह समझने के लिए उपयोगी जानकारी प्रदान करता है कि पॉलिसी कैसे लागू की जाती है, साथ ही इससे कम्युनिटी स्टैंडर्ड के बाहर नियमों के स्रोतों की संख्या में एक और चीज़ जुड़ गई है. इसके अलावा, इस आर्टिकल की "लोगों के पास आसान एक्सेस नहीं है" (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 25) और यह केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध है जिनके पास Facebook का लॉग-इन है. इसके अलावा ये केवल हिंसा और उकसावे वाले कम्युनिटी स्टैंडर्ड से लिंक है लेकिन अन्य संगत कम्युनिटी स्टैंडर्ड या कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय भाग में COVID-19 से संबंधित घोषणाओं से भी लिंक नहीं है.

बोर्ड ऊपर सेक्शन 5 में कहे गए पॉइंट को भी दोहराता है कि Facebook यूज़र्स को बोर्ड के सामने बयान देने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं देता.

II. वैधानिक लक्ष्य

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी प्रतिबंध का उद्देश्य “वैधानिक लक्ष्य” प्राप्त करना ही होना चाहिए. Facebook के पास यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी है कि उसके नियम वैधता के सिद्धांत का अनुपालन करते हों (A/HRC/38/35, पैरा. 45). ICCPR अनुच्छेद 19, पैरा. 3 में वैधानिक लक्ष्य अंकित करता है, जिसमें अन्य लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा शामिल है.

III. आवश्यकता और आनुपातिकता

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जाने वाले सभी प्रतिबंध "उनके सुरक्षात्मक कार्य को पूरा करने के लिए उपयुक्त होने चाहिए; वे अपने सुरक्षात्मक कार्य कर सकने वाले उपायों में से कम से कम हस्तक्षेप करने वाले उपाय होने चाहिए; उन्हें सुरक्षित रखे जाने वाले हित के अनुपात में होना चाहिए” (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 34). Facebook की ज़िम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि उसके नियम आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांतों का सम्मान करें (A/HRC/38/35, पैरा. 47).

बोर्ड ने आकलन किया कि क्या Facebook की मानवाधिकार जिम्मेदारियों के अनुरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा के लिए उस कंटेंट को हटाना आवश्यक था. कंटेंट को एक मेडिकल काउंसिल के पेज ने शेयर किया था, जो राज्य सरकार के प्रशासन का एक हिस्सा है, और जो अपने द्वारा शेयर की गई जानकारी के ज़रिए अन्य पब्लिक अथॉरिटी के फ़ैसलों और आम जनता के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है.

बोर्ड ने माना कि Facebook के लिए ये सोचना स्वाभाविक है कि क्या कोई पेज या अकाउंट किसी सार्वजनिक संस्थान द्वारा चलाया जा रहा है, जैसा कि इस मामले में है, क्योंकि उन संस्थानों को ऐसे बयान नहीं देना, प्रायोजित करना, प्रोत्साहित करना या आगे नहीं भेजना चाहिए जिनके बारे में वे जानते हैं या उचित रूप से उन्हें जानना चाहिए, कि वे झूठ हैं या जो वेरिफ़ाई की गई जानकारी की अवहेलना करते हों (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर, रिपोर्ट A/HRC/44/49, पैरा. 44; अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और “फ़र्ज़ी ख़बर”, दुष्प्रचार और प्रचार-प्रसार को लेकर संयुक्त घोषणा FOM.GAL/3/17, पैरा. 2 (c)). इसके अलावा, राज्य के नेताओं को, "अपने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों और अपने सार्वजनिक कर्तव्यों के साथ, यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे विश्वसनीय और भरोसेमंद जानकारी का प्रसार करते रहें, इसमें सार्वजनिक हित के विषय जैसे अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण शामिल हैं (ibid., पैरा 2 (घ)) जब सूचना स्वास्थ्य के अधिकार के बारे में हो, विशेष तौर पर इस वैश्विक महामारी के दौरान तो ये दायित्व और भी महत्वपूर्ण बन जाता है.

एक छोटे समूह का मानना ​​है कि संयुक्त घोषणा में से कहा गया स्टैंडर्ड से जुड़ा कथन वर्तमान मामले में लागू नहीं होता है और संयुक्त घोषणा में उपयोग हुई परिभाषा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अन्य अधिकारी विरोधाभास जताते हैं. संयुक्त घोषणा से जुड़ा स्टैंडर्ड सार्वजनिक संस्थानों द्वारा दुष्प्रचार के बारे में बात करता है जबकि वर्तमान मामले में, फ़ैसले में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि विवादित कथन गलतजानकारी की श्रेणी में आता है. जैसा कि विशेष रैपर्टर में ज़ोर देकर कहा था कि इन दोनों अवधारणाओं का एक दूसरे की जगह उपयोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खतरे में डाल देता है (A/HRC/47/25, पैरा 14) – और “दुष्प्रचार को गलत जानकारी समझ लिया जाता है और गंभीर सामाजिक नुकसान पहुँचाने के लिए इसका इरादतन प्रचार किया जाता है और गलत जानकारी को अनजाने में झूठी जानकारी समझ लिया जाता है. शब्दों का उपयोग परस्पर नहीं किया जाता है." (पैरा 15). वर्तमान मामले में, यह नहीं बताया गया है कि यूज़र जो कि एक मेडिकल काउंसिल है, को उचित रूप से यह पता था कि जिस बयान का प्रचार किया गया था वह झूठ था. कुछ लोगों का यह मानना है कि हालाँकि बयान में कुछ गलत जानकारी है, पूरी तरह से देखा जाए तो यह एक तथ्यात्मक राय है जो सार्वजनिक चर्चा के लिए उचित है. हालाँकि लॉकडाउन की प्रभावशीलता को विश्व के अधिकांश देशों में विशेषज्ञों और सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों के बीच व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया है, फिर भी यह उचित बहस का विषय बना हुआ है. इसके अतिरिक्त, हालाँकि यह काउंसिल राज्य प्रशासन का हिस्सा है, लेकिन वर्तमान संदर्भ में इसे एक राज्य अभिनेता के रूप में नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसकी शक्ति इसके सदस्यों तक सीमित है और यह एक पब्लिक अथॉरिटी नहीं है, जिसके पास लॉकडाउन के फ़ैसले को प्रभावित करने या निर्धारित करने का कोई कानूनी अधिकार हो.

अल्पसंख्यक के विचारों को बहुसंख्यक समझते तो हैं लेकिन सम्मानपूर्वक इनसे असहमत हैं. ऊपर दिए गए स्टैंडर्ड के अनुसार, पब्लिक अथॉरिटी का कर्तव्य है कि वे लोगों को जो भी जानकारी देते हैं उसे पहले सत्यापित करना चाहिए. यह कर्तव्य उस समय तक भंग नहीं होता जब तक प्रचारित झूठी जानकारी इसके वैधानिक कर्तव्यों से सीधे संबंधित नहीं है.

Facebook ने दलील रखी कि यह मामला जान और माल के तात्कालिक नुकसान की सीमा तक नहीं पहुंचा था क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य विशेषज्ञों जैसे स्वास्थ्य अधिकारियों ने कंपनी को सामाजिक दूरी जैसी आदतों से जुड़ी गलत जानकारी को हटाने की सिफारिश की, लेकिन उन्होंने लॉकडाउन के संबंध में ऐसा कुछ नहीं कहा है. इसके अतिरिक्त, बोर्ड कहता है कि इस मामले में काउंसिल द्वारा कंटेंट का उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को अपनाने के लिए आधार के रूप में नहीं किया गया था जो जोखिम पैदा कर सकते थे, क्योंकि काउंसिल के पास इन मामलों में फ़ैसले लेने का अधिकार नहीं है. इन कारणों की वजह से और केस फ़ैसले 2020-006-FB-FBR में बोर्ड के फ़ैसले का अनुसरण करते हुए, बोर्ड यह मानता है कि Facebook का इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म रखने का निर्णय न्यायसंगत है, क्योंकि तात्कालिक जान और माल के नुकसान की सीमा को पार नहीं किया गया था. हालाँकि, जैसा कि पहले भी कहा गया है, बोर्ड यह मानता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में गलत जानकारी का प्रचार सार्वजनिक जानकारी में जनता के विश्वास और कुछ विशेष उपायों की प्रभावशीलता को कम कर सकता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के शब्दों में, कुछ संदर्भों में आवश्यक हो सकते हैं. जैसा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर ने सुझाव दिया है, इन मामलों में, झूठी या भ्रामक जानकारी से होने वाले नुकसान को विश्वसनीय जानकारी शेयर करने से कम किया जा सकता है (A/HRC/44/49, पैरा. 6). वे वैकल्पिक या कम दखल देने वाले उपाय लोगों को अधिक संदर्भ प्रदान कर सकते हैं, और स्वास्थ्य संबंधी सटीक जानकारी पाने के उनके अधिकार को बढ़ावा दे सकते हैं. इस विशेष मामले में, Facebook को चाहिए कि वह लोगों को डॉ. नबारो के बयानों के बारे में और संदर्भ प्रदान करे और ऊपर दिए अनुसार लॉकडाउन के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन के विचारों के बारे में भी संदर्भ दे.

बोर्ड ने याद करते हुए कहा कि केस के फ़ैसले 2020-006-FB-FBR में उसने सुझाव दिया था कि Facebook को ऐसी गलत जानकारी जिससे जान और माल का तात्कालिक नुकसान न होता हो, को हटाने के बजाय कम दखल देने वाले उपायों के बारे में सोचना चाहिए. ये उपाय फ़र्ज़ी ख़बर से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में दिए हुए हैं – जैसा कि ऊपर सेक्शन 8.1 में बताया गया है. बोर्ड सुझाव देता है कि Facebook को ऐेसा कंटेंट देखते ही प्राथमिकता देते हुए इसे फ़ैक्ट-चेकिंग पार्टनर के पास भेजना चाहिए, जहाँ विवादित स्वास्थ्य पॉलिसी से जुड़े मुद्दों के लिए (विशेष रूप से वैश्विक महामारी के दौरान) जनता की राय राज्य सरकार के प्रशासन द्वारा प्रस्तूत की गई हो, जिसमें आम राय को और व्यक्तिगत स्वास्थय संबंधी आचरण को प्रभावित करने की क्षमता हो. बोर्ड जानता है कि Facebook की फ़ैक्ट-चेकिंग को काफी आलोचना होती रही है, लेकिन चूँकि फ़ैक्ट-चेकर ने इस पोस्ट को जाँचा ही नहीं, इसलिए उन मुद्दों के बारे में यहाँ बात करने का कोई औचित्य नहीं है.

9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला

ओवरसाइट बोर्ड, Facebook के उस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने के फ़ैसले को समर्थन देता है.

10.पॉलिसी से जुड़े सुझाव का कथन

केस फ़ैसले 2020-006-FB-FBR के अनुसार बोर्ड के सुझावों को लागू करना

1. Facebook को कंटेंट हटाने की तुलना में कम दखल देने वाले उपायों की श्रेणी की पहचान करने के लिए आनुपातिकता विश्लेषण करना चाहिए. जहाँ भी ज़रूरी हो, COVID-19 से संबंधित अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह को विकृत करने वाले कंटेंट के संबंध में और जहाँ जान और माल के नुकसान की संभावना हो लेकिन वह तात्कालिक न लगे, वहाँ कम से कम दखल देने वाले उपायों का उपयोग किया जाना चाहिए. सुझाए गए उपायों में ये शामिल हैं: (क) पोस्ट के कंटेंट की विवादित प्रकृति के लिए यूज़र्स को सचेत करने हेतु कंटेंट को लेबल करना और विश्व स्वास्थ्य संगठन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के विचारों के लिंक देना; (ख) बातचीत या शेयर करना रोकने के लिए पोस्ट में थोड़ी बाधा डालना; और (ग) अन्य यूज़र्स की न्यूज़ फ़ीड में दृश्यता कम करने के लिए रैंक कम करना. सभी यूज़र्स को स्पष्ट रूप से इन प्रवर्तन उपायों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए, और यह अपील के अधीन होना चाहिए.

स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी के रूप में फ़्लैग किए गए कंटेंट की फ़ैक्ट-चेकिंग को प्राथमिकता देना

2. COVID-19 वैश्विक महामारी के चलते, Facebook को स्थानीय संदर्भ को ध्यान में रखते हुए, सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा शेयर की गई ऐसी संभावित स्वास्थ्य गलत जानकारी की फ़ैक्ट-चेकिंग को प्राथमिकता देने के लिए तकनीकी व्यवस्था करनी चाहिए जो कंपनी को दिखाई देती है.

फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए योग्यता के बारे में स्पष्टता

3. अगर कंटेंट फ़ैक्ट-चेकिंग के लिए योग्य है तो Facebook को इसके बारे में फ़र्ज़ी खबर कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अंतर्गत ज़्यादा पारदर्शिता रखना चाहिए, जिसमें यह भी शामिल हो कि सार्वजनिक संस्थानों से जुड़े अकाउंट फ़ैक्ट-चेकिंग के अधीन हैं या नहीं.

*प्रक्रिया संबंधी नोट:

ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य इन पर सहमति देते हैं. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.

इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र शोध को अधिकृत किया गया. एक स्वतंत्र शोध संस्थान जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनिया भर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञों ने सामाजिक-राजनैतिक और सांस्कृतिक संदर्भ में विशेषज्ञता मुहैया कराई है.

मामले के निर्णयों और नीति सलाहकार राय पर लौटें