सही ठहराया
आर्मेनिया के युद्धबंदियों का वीडियो
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें पहचाने जाने लायक एक युद्धबंदी के वीडियो वाली एक Facebook पोस्ट को वीडियो में “परेशान करने वाला” चेतावनी स्क्रीन लगाकर प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया था.
यह फ़ैसला आर्मेनियाई और अज़रबैजानी भाषा में भी उपलब्ध है.
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केस का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें पहचाने जाने लायक एक युद्धबंदी के वीडियो वाली एक Facebook पोस्ट को वीडियो में “परेशान करने वाला” चेतावनी स्क्रीन लगाकर प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया था. बोर्ड ने पाया कि Meta ने पोस्ट को ख़बरों में रहने लायक होने के कारण सही छूट दी है, जिसे नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने के उसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार अन्यथा हटा दिया जाता. हालाँकि, बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta इस तरह के कंटेंट का रिव्यू करने की अपनी आंतरिक गाइडलाइन को बेहतर बनाए और उपयुक्त प्राधिकारियों के साथ मानवाधिकार उल्लंघन के साक्ष्यों को सुरक्षित रखने और शेयर करने के लिए एक प्रोटोकॉल बनाए.
केस की जानकारी
अक्टूबर 2022 में, Facebook के एक यूज़र ने एक ऐसे पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया जो खुद को नागोर्नो-काराबाख संघर्ष के संदर्भ में आर्मेनियाई लोगों के खिलाफ़ अज़रबैजान द्वारा किए गए कथित युद्ध अपराधों को डॉक्यूमेंट करने वाला पेज बताता है. यह संघर्ष सितंबर 2020 में फिर से शुरू हुआ और सितंबर 2022 में आर्मेनिया में लड़ाई में बदल गया. इसके परिणामस्वरूप हज़ारों लोग मारे गए और सैकड़ों लोग लापता हो गए.
वीडियो की शुरुआत में यूज़र द्वारा डाली गई उम्र संबंधी चेतावनी दिखाई देती है जिसमें कहा गया है कि वीडियो सिर्फ़ 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है और साथ में अंग्रेज़ी में लिखा गया है “Stop Azerbaijani terror. The world must stop the aggressors.” (अज़रबैजान के आतंक को रोको. हमलावरों को रोकना पूरी दुनिया की ज़िम्मेदारी है) ऐसा लगता है कि वीडियो में ऐसा दृश्य दिखाया गया है जिसमें युद्धबंदियों को पकड़ा जा रहा है.
इसमें दिखाया गया है कि अज़रबैजानी सैनिक लगने वाले कई लोग मलबे में कुछ ढूँढ रहे हैं. इन लोगों के चेहरों को काली चौकोर आकृतियों से डिजिटल रूप से ढँक दिया गया है. उन्हें मलबे में कुछ लोग मिलते हैं, जिन्हें कैप्शन में आर्मेनिया के सैनिक बताया गया है. उनके चेहरों को ढँका नहीं गया है और उन्हें पहचाना जा सकता है. उनमें से कुछ सैनिक घायल हैं और कई मर चुके लगते हैं. वीडियो के अंत में एक अनदेखा व्यक्ति दिखाई देता है जो शायद वीडियो बनाने वाला व्यक्ति है और वह ज़मीन पर बैठे एक घायल सैनिक की ओर देखकर उसे लगातार भला-बुरा कह रहा है और रूसी और तुर्की भाषा में गालियाँ दे रहा है.
अंग्रेज़ी और तुर्की भाषा में लिखे कैप्शन में यूज़र ने बताया है कि वीडियो में दिख रहा है कि अज़रबैजान के सैनिक किस तरह से आर्मेनिया के युद्धबंदियों को प्रताड़ित कर रहे हैं. कैप्शन में यूरोपियन यूनियन और अज़रबैजान के बीच जुलाई 2022 में हुई गैस डील को भी हाइलाइट किया गया है जिसके अनुसार 2027 तक अज़रबैजान से गैस का आयात दोगुना कर दिया जाएगा.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि भले ही इस केस का कंटेंट नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है, लेकिन Meta ने कंटेंट को Facebook पर बने रहने देने के लिए ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट का सही इस्तेमाल किया और वीडियो में मौजूद कंटेंट पर हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन लगाना ज़रूरी था. ये फ़ैसले Meta की वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुसार सही थे.
यह केस संघर्ष वाली स्थितियों में कंटेंट मॉडरेशन को लेकर Meta के दृष्टिकोण के बारे में महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है, जहाँ युद्धबंदियों की पहचान और लोकेशन जाहिर करने से उनकी गरिमा को ठेस पहुँच सकती है या उन्हें तात्कालिक नुकसान का खतरा हो सकता है. किसी व्यक्ति की गरिमा से जुड़ी चिंताएँ उन स्थितियों में गंभीर होती हैं जब बंदियों को अपमानजनक या अमानवीय परिस्थितियों में दिखाया जाता है. साथ ही ऐसे दृश्यों से सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा मिल सकता है और संभावित दुर्व्यवहार के प्रति लोग जागरूक हो सकते हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का उल्लंघन शामिल है. इससे अधिकारों की रक्षा करने और ज़िम्मेदारी सुनिश्चित करने के कामों को गति भी मिल सकती है. Meta ऐसे साक्ष्य के संरक्षण में सहयोग करने की यूनिक स्थिति में है जो अंतरराष्ट्रीय अपराधों के अभियोजन और मानवाधिकार से जुड़े मुकदमों में सहयोग करने के लिए प्रासंगिक हो सकता है.
जिस मात्रा और गति से युद्धबंदियों की इमेजरी को सोशल मीडिया के ज़रिए शेयर किया जा सकता है, वह इन प्रतिस्पर्धी हितों का समाधान करने के काम को जटिल बनाता है. युद्धबंदी जितने गंभीर नुकसान और जोखिमों का सामना करते हैं, उन्हें देखते हुए बोर्ड ने पाया कि युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन की जानकारी दे सकने वाली जानकारी को पोस्ट होने से रोकने का Meta का डिफ़ॉल्ट नियम, बिज़नेस और मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों (UNGP, सिद्धांत 12 की कमेंटरी) के तहत कंपनी की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है. ये ज़िम्मेदारियाँ सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में बढ़ जाती हैं और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के नियमों के अनुसार उनका पालन किया जाना चाहिए. बोर्ड, Meta की इस बात से सहमत है कि कंटेंट को चेतावनी स्क्रीन के साथ प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने की जनहित वैल्यू, युद्धबंदियों की सुरक्षा और गरिमा को होने वाले जोखिम से ज़्यादा है.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन के साथ Facebook पर पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
बोर्ड ने Meta को सुझाव भी दिया कि वह:
- अत्याचार से जुड़े अपराधों या मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघनों की जाँच और उनका निदान करने या उनके संबंध में मुकदमा चलाने में मदद करने वाली जानकारी के संरक्षण के लिए प्रोटोकॉल बनाए और जहाँ उपयुक्त हो वहाँ सक्षम प्राधिकारियों से शेयर करे.
- रिव्यूअर्स और एस्केलेशन टीमों को ज़्यादा मार्गदर्शन दे जिससे युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन जाहिर करने वाले कंटेंट का एस्केलेशन होने और उसका आकलन करते समय उन्हें ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के बारे में ज़्यादा जानकारी मिले.
- ट्रांसपेरेंसी सेंटर में ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की लोगों को दी जाने वाली जानकारी में ऐसे कंटेंट का उदाहरण जोड़े जिसमें युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन जाहिर की गई हो लेकिन उसे जनहित में बने रहने दिया गया हो ताकि लोगों को इस बारे में ज़्यादा स्पष्ट जानकारी मिले.
- अत्याचार से जुड़े अपराधों या मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघनों से संबंधित साक्ष्य की रक्षा करने के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल को सार्वजनिक रूप से शेयर करे.
* केस के सारांश से केस का ओवरव्यू पता चलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. फ़ैसले का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें पहचाने जाने लायक युद्धबंदियों के वीडियो वाली एक Facebook पोस्ट को वीडियो में “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन लगाकर प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया था. बोर्ड ने पाया कि Meta ने कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक होने के आधार पर सही छूट दी है, जिसे सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में युद्धबंदियों की पहचान जाहिर करने के कारण नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने के उसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत अन्यथा हटा दिया जाता. कंटेंट पर हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन लगाना ज़रूरी था. ये फ़ैसले Meta की वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुसार सही थे.
यह केस, जिसे Meta ने बोर्ड को रेफ़र किया, संघर्ष वाली स्थितियों में कंटेंट मॉडरेशन को लेकर कंपनी के दृष्टिकोण के बारे में महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है, जहाँ युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन जाहिर करने से उनकी गरिमा को ठेस पहुँच सकती है या उन्हें तात्कालिक नुकसान का खतरा हो सकता है. व्यक्ति की गरिमा से जुड़ी चिंताएँ ऐसी स्थितियों में गंभीर हो सकती हैं जिनमें बंदियों को असहाय या अपमानजनक स्थितियों में दिखाया गया हो. ऐसी स्थितियों में बंदियों के जीवन, सुरक्षा और प्राइवेसी के अधिकार और प्रताड़ना, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार से मुक्त रहने के अधिकार के साथ-साथ उनके परिवारों के प्राइवेसी और सुरक्षा के अधिकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. साथ ही ऐसे दृश्यों से सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा भी मिल सकता है और संभावित दुर्व्यवहार के प्रति लोग जागरूक हो सकते हैं, जिसमें मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का उल्लंघन शामिल है. इससे अधिकारों की रक्षा करने और ज़िम्मेदारी सुनिश्चित करने के कामों को गति भी मिल सकती है. Meta ऐसे साक्ष्य का संरक्षण करने में सहयोग करने की यूनिक स्थिति में है जो अंतरराष्ट्रीय अपराधों के अभियोजन और मानवाधिकार से जुड़े मुकदमों में सहयोग करने के लिए उपयोगी हो सकता है, चाहे कंटेंट को हटा दिया गया हो या बने रहने दिया गया हो.
जिस मात्रा और गति से युद्धबंदियों की इमेजरी को सोशल मीडिया के ज़रिए शेयर किया जा सकता है, वह इन प्रतिस्पर्धी हितों का समाधान करने के काम को जटिल बनाता है. युद्धबंदी जितने गंभीर नुकसान और जोखिमों का सामना करते हैं, उन्हें देखते हुए बोर्ड ने पाया कि युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन की जानकारी दे सकने वाली जानकारी को पोस्ट होने से रोकने का Meta का डिफ़ॉल्ट नियम, बिज़नेस और मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों (UNGP, सिद्धांत 12 की कमेंटरी) के तहत कंपनी की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है. ये ज़िम्मेदारियाँ सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में बढ़ जाती हैं और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के नियमों के अनुसार उनका पालन किया जाना चाहिए. बोर्ड, Meta के इस आकलन से सहमत है कि कंटेंट को चेतावनी स्क्रीन के साथ प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने की जनहित वैल्यू, युद्धबंदियों की सुरक्षा और गरिमा को होने वाले जोखिम से ज़्यादा है. कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखना लोगों के उस अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी था जिसके अनुसार उन्हें गंभीर रूप से गलत कामों की जानकारी मिलनी चाहिए. इस विशेष संदर्भ में यह सुनिश्चित करने के लिए लोगों को गलत कामों की जानकारी देना ज़रूरी था कि मानवाधिकारों को होने वाले नुकसानों से संभावित रूप से कैसे रोका जा सकता है, उन्हें कम कैसे किया जा सकता है और उनका उपचार कैसे किया जा सकता है.
बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta अपने रिव्यूअर्स और एस्केलेशन टीमों को यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त मार्गदर्शन दे कि युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन जाहिर करने वाले कंटेंट का रिव्यू, केस के आधार पर ज़रूरी विशेषज्ञता वाले लोगों द्वारा किया जा सकता है. Meta को इन केसों में ख़बरों में रहने लायक होने का आकलन करने के लिए ज़्यादा व्यापक शर्तें बनानी चाहिए जिन्हें पारदर्शी रूप से शेयर किया जाना चाहिए. बोर्ड ने Meta से कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय अपराध, मानवाधिकार और मानवतावादी कानून के गंभीर उल्लंघनों की जाँच और उनका निदान करने या उनके संबंध में मुकदमा चलाने में मदद करने वाली जानकारी का संरक्षण करने के लिए प्रोटोकॉल बनाए और जहाँ उपयुक्त हो वहाँ सक्षम प्राधिकारियों से शेयर करे.
2. केस की जानकारी और बैकग्राउंड
अक्टूबर 2022 में, Facebook के एक यूज़र ने एक ऐसे पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया जो खुद को नागोर्नो-काराबाख संघर्ष के संदर्भ में आर्मेनियाई लोगों के खिलाफ़ अज़रबैजान द्वारा किए गए कथित युद्ध अपराधों को डॉक्यूमेंट करने वाला पेज बताता है. 44 दिन चले दूसरे नागोर्नो-काराबाख युद्ध के दौरान यह संघर्ष सितंबर 2020 में फिर से शुरू हुआ और सितंबर 2022 में आर्मेनिया में लड़ाई में बदल गया. इसके परिणामस्वरूप हज़ारों लोग मारे गए और सैकड़ों लोग लापता हो गए.
अंग्रेज़ी और तुर्की भाषा में लिखे कैप्शन में यूज़र ने बताया है कि वीडियो में दिख रहा है कि अज़रबैजान के सैनिक किस तरह से आर्मेनिया के युद्धबंदियों को प्रताड़ित कर रहे हैं. कैप्शन में यूरोपियन यूनियन और अज़रबैजान के बीच जुलाई 2022 में हुई गैस डील पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है जिसके अनुसार रूस की गैस पर यूरोप की निर्भरता कम करने के लिए 2027 तक अज़रबैजान से गैस का आयात दोगुना कर दिया गया जाएगा.
वीडियो की शुरुआत में यूज़र द्वारा डाली गई उम्र संबंधी चेतावनी दिखाई देती है जिसमें कहा गया है कि वीडियो सिर्फ़ 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है और साथ में अंग्रेज़ी में लिखा गया है “Stop Azerbaijani terror. The world must stop the aggressors.” (अज़रबैजान के आतंक को रोको. हमलावरों को रोकना पूरी दुनिया की ज़िम्मेदारी है) वीडियो में दिखाया गया है कि सैनिकों को युद्धबंदियों के रूप में गिरफ़्तार किया जा रहा है. इसमें दिखाया गया है कि अज़रबैजानी सैनिक लगने वाले कई लोग मलबे में कुछ ढूँढ रहे हैं. इन लोगों के चेहरों को काली चौकोर आकृतियों से डिजिटल रूप से ढँक दिया गया है. उन्हें मलबे में कुछ लोग मिलते हैं, जिन्हें कैप्शन में आर्मेनिया के सैनिक बताया गया है. उनके चेहरों को ढँका नहीं गया है और उन्हें पहचाना जा सकता है. उनमें से कुछ सैनिक घायल हैं और कई मर चुके लगते हैं. वे मलबे में से एक सैनिक को बाहर खींचते हैं, जो दर्द से चीख उठता है. उसका चेहरा दिख रहा है और वह घायल लग रहा है. वीडियो के अंत में एक अनदेखा व्यक्ति दिखाई देता है जो शायद वीडियो बनाने वाला व्यक्ति है और वह ज़मीन पर बैठे एक घायल सैनिक की ओर देखकर लगातार उसे भला-बुरा कह रहा है और रूसी और तुर्की भाषा में गालियाँ दे रहा है और उसे खड़े होने के लिए कह रहा है. वह व्यक्ति खड़ा होने की कोशिश करता है. जिस पेज पर कंटेंट पोस्ट किया गया है, उसके 1,000 से कम फ़ॉलोअर हैं. कंटेंट को 100 से कम बार देखा गया है और उसे 10 से कम रिएक्शन मिले हैं. उसे किसी भी यूज़र द्वारा शेयर नहीं किया गया है या उल्लंघन करने वाले के रूप में उसकी रिपोर्ट नहीं की गई है.
Meta ने बोर्ड को बताया कि जारी संघर्ष को देखते हुए उसने स्थिति पर नज़र बनाए रखी थी. Meta की ग्लोबल ऑपरेशन टीम ने Meta की सुरक्षा टीम के साथ मिलकर जोखिम की निगरानी की जिसमें मामले से जुड़े बाहरी संकेतों की निगरानी शामिल थी (जैसे न्यूज़ और सोशल मीडिया ट्रेंड). निगरानी के दौरान सुरक्षा टीम को Twitter पर कुछ पोस्ट मिली जिनमें शामिल वीडियो में अज़रबैजान के सैनिकों को आर्मेनिया के युद्धबंदियों को प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया था और बाद में इस मामले के संबंध में वही वीडियो Facebook पर मिला. सुरक्षा टीम ने पोस्ट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए Facebook को भेजा. ऐसा Meta की “एस्केलेशन” नाम की एक प्रोसेस के तहत किया गया. जब कंटेंट को एस्केलेट किया जाता है, तो उसे Meta के भीतर पॉलिसी और सुरक्षा संबंधी रिव्यू के लिए अतिरिक्त टीमों को भेजा जाता है. इस केस में, Meta की ग्लोबल ऑपरेशन टीम ने ख़बरों में रहने लायक होने का रिव्यू करने के लिए कंटेंट को आगे Meta की पॉलिसी टीमों को एस्केलेट करने का फ़ैसला किया.
रिव्यू करने के बाद, कंटेंट के पोस्ट होने के दो दिन के भीतर, Meta ने उसे ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट दी. इस छूट के तहत Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसे कंटेंट को बने रहने की परमिशन दी जाती है जो उसकी पॉलिसी का अन्यथा उल्लंघन करता है लेकिन जिसकी जनहित वैल्यू, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा है. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने का फ़ैसला सिर्फ़ Meta की विशेषज्ञ टीमों द्वारा तब लिया जा सकता है जब कंटेंट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए एस्केलेट किया गया हो.
एस्केलेट होने के बाद Meta की पॉलिसी टीमों द्वारा किए गए रिव्यू के भाग के रूप में, वीडियो पर हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी के तहत “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन लगाई गई और कंटेंट को आपत्तिजनक हिंसा मीडिया मैचिंग सर्विस (MMS) बैंक में जोड़ा गया जो प्लेटफ़ॉर्म पर वीडियो और ठीक वैसे ही अन्य वीडियो पर अपने आप चेतावनी स्क्रीन लगाता है. हालाँकि, मिली-जुली तकनीकी और मानवीय गलतियों के कारण यह विफल हो गया और लगभग एक महीने बाद इसे मानवीय रूप से करना पड़ा.
Meta ने यह कहते हुए बोर्ड को यह केस रेफ़र किया कि “इसमें इन मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने की वैल्यू और युद्धबंदियों की पहचान जाहिर होने से होने वाले संभावित नुकसान के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती है.” Meta ने बोर्ड से इन विषयों पर विचार करने को कहा कि क्या इस कंटेंट को परमिशन देने के Meta के फ़ैसले में उसकी “सुरक्षा,” “गरिमा” और “अभिव्यक्ति” की वैल्यू के बीच सही संतुलन रखा गया है और क्या यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों के अनुरूप है.
3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप
बोर्ड के पास उन फ़ैसलों को रिव्यू करने का अधिकार है, जिन्हें Meta रिव्यू के लिए सबमिट करता है (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 2, सेक्शन 2.1.1).
बोर्ड Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर अपने फ़ैसले को लागू करने की संभावना का भी आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाहों के साथ पॉलिसी से जुड़े सुझाव हो सकते हैं, जिन पर Meta को जवाब देना होगा (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; आर्टिकल 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है.
4. अथॉरिटी और मार्गदर्शन के सोर्स
इस केस में बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड और पुराने फ़ैसलों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया:
I. ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले:
ओवरसाइट बोर्ड के कुछ सबसे प्रासंगिक पुराने फ़ैसलों में ये शामिल हैं:
- “भारत में यौन उत्पीड़न का वीडियो” (2022-012-IG-MR)
- “नाइजीरिया में चर्च पर हुए हमले के बाद का वीडियो” (2022-011-IG-UA)
- “रूसी कविता” (2022-008-FB-UA)
- “सूडान का आपत्तिजनक वीडियो” (2022-002-FB-MR)
- “कोलंबिया के विरोध प्रदर्शन” ( 2021-010-FB-UA)
- “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” ( 2021-001-FB-FBR)
II. Meta की कंटेंट पॉलिसी:
नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने का कम्युनिटी स्टैंडर्ड, “पॉलिसी बनाने का कारण” शीर्षक के तहत कहता है कि “ऑफ़लाइन नुकसान पहुँचाने और नकल किए जाने की आशंका को रोकने और खत्म करने की कोशिश के तहत, हम लोगों, बिज़नेस, संपत्ति या जीव-जंतुओं को निशाना बनाने वाली कुछ तय आपराधिक या नुकसान पहुँचाने वाली एक्टिविटी की सुविधा देने, उन्हें आयोजित करने, उनका प्रचार करने या उन्हें स्वीकार करने से लोगों को प्रतिबंधित करते हैं.” इसमें आगे कहा गया है कि “हम लोगों को ऐसी नुकसानदेह या आपराधिक गतिविधि पर ध्यान आकर्षित करने की परमिशन देते हैं, जिसके वे गवाह हों या जिसका उन्होंने सामना किया हो, जब तक कि वे नुकसान की वकालत न करते हों या उसमें सहयोग न करते हों.” 4 मई, 2022 को जोड़े गए एक नियम के तहत, “एन्फ़ोर्स करने के लिए अतिरिक्त जानकारी और/या संदर्भ” शीर्षक के नीचे, Meta विशिष्ट रूप से ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित करता है जो किसी सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में युद्धबंदियों के नाम, पहचान नंबर और/या इमेजरी शेयर करके उनकी पहचान या लोकेशन शेयर करता है” और इस नियम के किसी विशिष्ट अपवाद की कोई जानकारी नहीं दी गई है.
हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट कम्युनिटी स्टैंडर्ड में “पॉलिसी बनाने का कारण” शीर्षक के तहत कहा गया है कि उसका निर्माण “यूज़र्स को परेशान करने वाली इमेजरी से बचाने के लिए किया गया है.” पॉलिसी में आगे कहा गया है कि “जिस इमेजरी में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की दुर्घटना या हत्या द्वारा हिंसक मृत्यु दिखाई गई हो” और “जिस इमेजरी में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की प्रताड़ना दिखाई गई हो” उस पर एक चेतावनी स्क्रीन लगाई जानी चाहिए ताकि “लोगों को यह जानकारी मिले कि कंटेंट परेशान करने वाला हो सकता है” और सिर्फ़ 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोग ही कंटेंट देख पाएँगे. नियमों के “यह पोस्ट न करें” सेक्शन में बताया गया है कि यूज़र्स ऐसी फ़ोटो पर मज़ा लेने वाले कमेंट नहीं कर सकते, जिनके लिए पॉलिसी के तहत चेतावनी स्क्रीन की ज़रूरत होती है.
बोर्ड का विश्लेषण, Meta की “अभिव्यक्ति” की प्रतिबद्धता, जिसे कंपनी सर्वोपरि बताती है, और “सुरक्षा,” “प्राइवेसी” और गरिमा की उसकी वैल्यू के आधार पर किया गया है.
ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट, सामान्य पॉलिसी का एक अपवाद है जिसे कम्युनिटी स्टैंडर्ड के सभी पॉलिसी क्षेत्रों में संभावित रूप से लागू किया जा सकता है जिसमें युद्धबंदियों के नियम पर इसे लागू करना भी शामिल है. ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की जानकारी Meta की “अभिव्यक्ति की प्रतिबद्धता” के अंतर्गत दी गई है. इसमें अन्यथा उल्लंघन करने वाले कंटेंट को उस स्थिति में प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन दी जाती है जब उसकी जनहित वैल्यू, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा हो. ख़बरों में रहने लायक कंटेंट के बारे में Meta के दृष्टिकोण के अनुसार, जिसे कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय से लिंक किया गया है, ऐसे आकलन कंटेंट पॉलिसी टीम के पास एस्केलेशन आने पर सिर्फ़ “दुर्लभ मामलों” में किए जाते हैं. यह टीम इस बात का आकलन करती है कि क्या विचाराधीन कंटेंट से “लोगों के स्वास्थ्य या सुरक्षा को तात्कालिक खतरा है या क्या उससे राजनीतिक प्रक्रिया के भाग के रूप में फ़िलहाल बहस का विषय बने हुए दृष्टिकोण ज़ाहिर किए जा सकते हैं.” इस आकलन में देश विशिष्ट परिस्थितियों पर विचार किया जाता है जिसमें यह भी शामिल है कि क्या देश में युद्ध चल रहा है. वक्ता की पहचान, विचार का एक प्रासंगिक बिंदु है, लेकिन यह छूट सिर्फ़ उस कंटेंट को नहीं दी जाती जिसे न्यूज़ आउटलेट द्वारा पोस्ट किया गया है.
III. Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ
बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने स्वीकृति दी है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढाँचा तैयार करते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. ख़ास तौर पर, UNGP किसी संघर्ष वाले माहौल में काम करने वाले बिज़नेस को ज़्यादा ज़िम्मेदार बनाता है (“बिज़नेस, मानवाधिकार और संघर्ष से प्रभावित क्षेत्र: बड़े स्तर की कार्रवाई की ओर,” A/75/212). इस केस में Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का बोर्ड द्वारा विश्लेषण, नीचे दिए अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड के आधार पर किया गया था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के क्षेत्र में मौजूद स्टैंडर्ड शामिल हैं (जिसे “सशस्त्र संघर्ष का कानून” के नाम से भी जाना जाता है):
- अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार: अनुच्छेद 19, नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), सामान्य टिप्पणी सं. 34, मानवाधिकार समिति, 2011 विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार के प्रोत्साहन और सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर, रिपोर्ट A/68/362 (2013); A/HRC/38/35 (2018); A/74/486 (2019); A/77/288 (2022).
- जीवन का अधिकार: अनुच्छेद 6, ICCPR.
- प्रताड़ना, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार से मुक्त रहने के अधिकार: अनुच्छेद 7, ICCPR.
- प्राइवेसी का अधिकार: अनुच्छेद 17, ICCPR.
- अपमान और लोगों की जिज्ञासा से युद्धबंदियों की रक्षा: अनुच्छेद 13, पैरा. 2 युद्धबंदियों से व्यवहार के संबंध में समझौता III ( जिनेवा समझौता III), जिनेवा समझौता (III) कमेंटरी, अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC), 2020 ( जिनेवा समझौता III कमेंटरी).
5. यूज़र सबमिशन
Meta के रेफ़रल और बोर्ड द्वारा केस स्वीकार करने के फ़ैसले के बाद, यूज़र को बोर्ड के रिव्यू की सूचना का मैसेज भेजा गया और उन्हें बोर्ड के सामने बयान देने का मौका दिया गया. यूज़र ने कोई बयान नहीं दिया.
6. Meta के सबमिशन
Meta ने बोर्ड को यह केस रेफ़र किया क्योंकि “Meta को इसमें यह तय करना चुनौतीपूर्ण लगता है कि क्या युद्ध और हिंसा के संदर्भ में कंटेंट की ख़बरों में रहने लायक होने की वैल्यू, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा है.” कंटेंट ने नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने की Meta की पॉलिसी का उल्लंघन किया लेकिन अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच संघर्ष में “युद्धबंदियों के साथ हिंसा के संबंध में जागरूकता लाने” के लिए ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट दी गई. Meta ने कहा कि जारी सैन्य संघर्ष से संबंध होने के कारण यह केस “महत्वपूर्ण” था और “कठिन” भी था क्योंकि इसमें “इन मुद्दों के प्रति जागरूकता लाने की वैल्यू और युद्धबंदियों की पहचान जाहिर करने से होने वाले संभावित नुकसान के बीच संतुलन रखना था.”
Meta ने बताया कि वह युद्धबंदियों की पहचान जाहिर होने से “रोकता” है लेकिन यह नियम लागू करने के लिए एस्केलेशन टीमों को “अतिरिक्त संदर्भ” की ज़रूरत होती है. Meta ने ICCPR के अनुच्छेद 19 के अभिव्यक्ति की आज़ादी सिद्धांतों और जिनेवा समझौते के मार्गदर्शन को ध्यान में रखते हुए यह दर्शाने के लिए यह नियम जोड़ा कि वे युद्धबंदियों की सुरक्षा और गरिमा को गंभीरता से लेते हैं क्योंकि युद्धबंदियों को सार्वजनिक जिज्ञासा का विषय बनाने के लिए उनके प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग होने के जोखिम हैं. बोर्ड इससे यह समझता है कि ऐसे कंटेंट को हटाने के लिए, आंतरिक जाँच टीमों को इसे Meta की आंतरिक टीमों को रिव्यू के लिए फ़्लैग करना होगा या सबसे पहले रिव्यू करने वाले रिव्यूअर्स को कंटेंट को उन टीमों को एस्केलेट करना होगा. ये टीमें, एन्फ़ोर्समेंट एक्शन तय करने के लिए कंटेंट से बाहर के संदर्भात्मक कारणों पर विचार कर पाएँगी. कंटेंट को ऑटोमेशन द्वारा सिर्फ़ तभी हटाया जाएगा जब वह हूबहू उस कंटेंट जैसा हो या उससे मिलता-जुलता हो जिसे Meta की आंतरिक टीमों द्वारा उल्लंघन करने वाला पाया गया है और मीडिया मैचिंग बैंकों में जोड़ा गया है.
बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने यह कन्फ़र्म किया कि इस केस में कंटेंट की उल्लंघन करने वाले के रूप में पहचान करने के लिए जिस अतिरिक्त संदर्भ पर विचार किया, उनमें ये शामिल हैं: (i) यूनिफ़ॉर्म ने यह कन्फ़र्म किया कि पहचाने गए कैदी आर्मेनिया के सैनिक थे और (ii) अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच जारी संघर्ष की जानकारी. रिव्यूअर्स को दिए जाने वाले आंतरिक मार्गदर्शन, जिसे ज्ञात सवाल नाम से जाना जाता है, में “युद्धबंदी” को “सशस्त्र सेनाओं के ऐसे सदस्य के रूप में परिभाषित किया गया है जिसे सशस्त्र संघर्ष के दौरान या उसके तुरंत बाद विरोधी बलों द्वारा पकड़ लिया गया हो या वह उनके हाथों में आ गया हो.” इस नियम से जुड़े आंतरिक क्रियान्वयन स्टैंडर्ड में Meta ने बताया कि ऐसे कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए जो नाम, उपनाम, पहचान नंबर और/या चेहरे की पहचान बताने वाले इमेजरी शेयर करके युद्धबंदी की पहचान या लोकेशन जाहिर करता हो, भले ही उसे “निंदा करने या जागरूकता फैलाने के संदर्भ” में शेयर किया गया हो.
बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने नोट किया कि दूसरे नागोर्नो-काराबाख युद्ध या अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच सीमा को लेकर जारी संघर्ष के दौरान संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल का उपयोग नहीं किया गया था. संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल, Meta को वे पॉलिसी लागू करने के अतिरिक्त अवसर देता है जिन्हें सिर्फ़ एस्केलेशन के बाद उपयोग किया जा सकता है और इस प्रोटोकॉल को “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” केस में बोर्ड के सुझाव के जवाब में बनाया गया था. Meta ने यह बताया कि युद्धबंदियों की पहचान जाहिर करने वाले कंटेंट को हटाने के लिए एक स्थायी पॉलिसी है, इसलिए अगर प्रोटोकॉल एक्टिव हो जाता तो इस कंटेंट को हटाने वाली आंतरिक एस्केलेशन टीम नहीं बदलती.
ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के बारे में Meta ने कहा कि उसने एक संतुलन परीक्षण किया जो कई कारणों के आधार पर जनहित और नुकसान के जोखिम की तुलना करता है: (i) क्या कंटेंट से लोगों के स्वास्थ्य या सुरक्षा को तात्कालिक खतरा है; (ii) क्या कंटेंट उन दृष्टिकोणों को अभिव्यक्ति देता है जिनकी राजनीतिक प्रक्रिया के भाग के रूप में फिलहाल चर्चा की जा रही है; (iii) अभिव्यक्ति की प्रकृति जिसमें यह शामिल है कि क्या वह सरकार या राजनीति से संबंधित है; (iv) देश की राजनीतिक संरचना, जिसमें यह शामिल है कि क्या वहाँ प्रेस को स्वतंत्रता है और (v) अन्य देश विशिष्ट परिस्थितियाँ (उदाहरण के लिए, क्या कोई चुनाव हो रहा है या देश युद्ध लड़ रहा है).
Meta इस वीडियो की आपत्तिजनक प्रकृति और उन जोखिमों को समझता है जो युद्धबंदियों को सोशल मीडिया पर पहचाने जाने पर हो सकते हैं. बोर्ड के सवालों के जवाब में Meta ने स्वीकार किया कि अगर युद्धबंदियों को पहचान लिया जाता है या उनकी जानकारी प्रकट हो जाती है, तो उनके परिवार के सदस्य और दोस्त बहिष्कार, अविश्वास या हिंसा के भी टार्गेट बन सकते हैं. Meta ने यह भी नोट किया कि इस तरह की इमेजरी के नागरिकों और सेना के लोगों पर अलग-अलग असर हो सकते हैं जिसमें दूसरे पक्ष के प्रति शत्रुता और गहरी होना और प्रतिकूल धारणा में वृद्धि होना शामिल है. Meta ने नोट किया कि ऐसे युद्धबंदी जिन्हें उनके देश या उनकी सेना के आचरण की बुराई करते हुए रिकॉर्ड कर लिया जाता है, उन्हें देश में वापसी पर उन बंदियों की अपेक्षा बहिष्कार और प्रतिशोध का ज़्यादा जोखिम होता है जिनके साथ दुश्मन द्वारा बुरा व्यवहार दिखाया जाता है. इस संघर्ष के संदर्भ में, Meta के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं था कि इस तरह के वीडियो से ऐसे नकारात्मक असर हुए, लेकिन उसे ऐसा साक्ष्य ज़रूर मिला जिसके अनुसार अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने ऐसे वीडियो का उपयोग करके युद्धबंदियों से बुरा व्यवहार करना बंद करने के लिए अज़रबैजान पर दबाव बढ़ाया. जागरूकता फैलाने और युद्ध से जुड़े संभावित अपराधों के साक्ष्य के रूप में उपयोग होने में इस कंटेंट की संभावित जनहित वैल्यू को देखते हुए Meta इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि समग्र रूप से ख़बरों में रहने लायक होने के कारण इस कंटेंट को हटाना उचित कार्रवाई नहीं होगी.
Meta ने यह भी जोड़ा कि अगर गवाहों, ख़बरियों, बंधकों या अन्य कैद लोगों के बंधक होने का पता चलने पर उनकी सुरक्षा को जोखिम बढ़ सकता है, तो उनकी पहचान बताने वाले कंटेंट को नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत हटाया जा सकता है. अगर Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर व्यक्ति की पहचान बताने वाली जानकारी शेयर की जाती है, तो लोगों की पहचान बताने वाली या उनकी पहचान जाहिर करने वाली जानकारी को भी प्राइवेसी उल्लंघन पॉलिसी के तहत हटाया जा सकता है. अंत में, हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी तब भी लागू होती जब पीड़ित व्यक्ति युद्धबंदी नहीं होता क्योंकि इस पॉलिसी के तहत Meta, हिंसा के शिकार लोगों की गरिमा और सुरक्षा, दोनों पर विचार करता है और इस तथ्य पर भी विचार करता है कि लोग शायद इस कंटेंट को न देखना चाहें.
बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने इस बात के उदाहरण भी दिए कि वह युद्धबंदियों की पहचान बताने वाले कंटेंट को व्यापक रूप से ख़बरों में रहने लायक होने के आधार पर छूट कैसे देता है. उदाहरण के लिए, Meta ने बोर्ड को बताया कि वह सामान्य तौर पर ऐसे कंटेंट को हटा देता है जो इथियोपिया में युद्धबंदियों की पहचान जाहिर करता है, लेकिन कुछ कंटेंट के मामले में वह केस के आधार पर ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने पर विचार करता है. जिन पुराने केसों में ख़बरों में रहने लायक होने के आधार पर छूट दी गई, उनमें विचार की गई बातों में ये शामिल हैं: (i) वरिष्ठ लड़ाकों को बंधक बनाने की रिपोर्ट, जैसे उच्च रैंक वाले अधिकारी या सशस्त्र समूहों के लीडर; (ii) किसी बंदी की पहचान उस समय जाहिर करना जब ऐसा करना संभावित रूप से उनके हित में हो (जैसे कि जब उन्हें लापता रिपोर्ट किया गया हो); या (iii) जब वह मानवाधिकार के संभावित हनन के बारे में जागरूकता फैलाता हो. Meta ने यह भी कहा कि उसने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण “कुछ ऐसे कंटेंट को भी छूट दी थी जिसमें रूसी सैनिकों [युद्धबंदी] को यूक्रेन में दिखाया गया है.”
Meta ने यह भी नोट किया कि जब तक कंटेंट की प्रामाणिकता पर संदेह न हो या जहाँ मीडिया में हेरफेर का कोई संकेत न हो या जहाँ ऐसा कोई संदर्भ न हो कि जानकारी का संदर्भ गलत है, वहाँ वह कंटेंट का आकलन उसकी फ़ेस वैल्यू के आधार पर करता है. इस केस में Meta को ऐसा कोई संकेत नहीं मिला कि उसकी गलत जानकारी से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन हुआ था.
बोर्ड ने Meta से 16 सवाल पूछे. सवाल ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट के उपयोग; Meta के फ़ैसले में संदर्भ का आकलन करते समय ध्यान रखी जाने वाली बातों; और संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल के उपयोग से संबंधित थे. Meta ने 16 सवालों के जवाब दिए.
7. पब्लिक कमेंट
ओवरसाइट बोर्ड को लोगों की ओर से इस केस के लिए प्रासंगिक 39 कमेंट मिले. एक कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशियाना से, तीन मध्य और दक्षिण एशिया से, 23 यूरोप से, चार मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका से और आठ अमेरिका और कनाडा से सबमिट किए गए थे.
सबमिशन में ये विषय शामिल थे: नागोर्नो-काराबाख संघर्ष की पृष्ठभूमि और हालिया तनाव; युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन जाहिर करने वाले कंटेंट के मॉडरेशन में अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का उपयोग; सोशल मीडिया पर युद्धबंदियों के चेहरे दिखाने वाले कंटेंट से जुड़ी चिंता; युद्धबंदियों को दिखाने वाले कंटेंट को बने रहने देने या हटाने से पड़ने वाले संभावित अच्छे या बुरे प्रभाव; अंतरराष्ट्रीय अपराधों के संभावित साक्ष्य की रक्षा करने वाले स्वतंत्र उपाय; सोशल मीडिया कंपनियों, नागरिक समाज संगठनों और अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणालियों के बीच सहयोग; वीडियो कंटेंट के वेरिफ़िकेशन से जुड़ी चिंता; सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर कंटेंट को किस तरह रखा जाए और युद्धबंदियों की सुरक्षा और गरिमा की रक्षा कैसे की जाए, इस बारे में प्रचालनात्मक/तकनीकी सुझाव; आगे अत्याचारों को रोकने में ऐसे कंटेंट से मदद मिलने की संभावना और युद्धबंदियों से होने वाले बुरे व्यवहार के बारे में जानने का लोगों का अधिकार.
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अप्रैल 2023 में, स्टेकहोल्डर के जारी एंगेजमेंट के भाग के रूप में, बोर्ड ने हिमायती संगठनों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, अंतर-सरकारी संगठनों और अन्य विशेषज्ञों से युद्धबंदियों को दिखाने वाले कंटेंट के मॉडरेशन की समस्याओं पर बातचीत की. चैथम हाउस नियम के तहत एक राउंडटेबल चर्चा आयोजित की गई. इसका फ़ोकस पहचाने जाने लायक युद्धबंदियों को दिखाने वाले कंटेंट को पोस्ट करने की प्रेरणा, उसके जोखिम के संभावित कारण और उसके नुकसान और युद्धबंदियों पर हिंसा के बारे में जागरूकता फैलाने के फ़ायदों और उनकी पहचान जाहिर होने से होने वाले संभावित नुकसान के बीच संतुलन था. इस मीटिंग में दिए गए इनसाइट बहुत अच्छे थे और बोर्ड ने इसके लिए सभी भागीदारों की सराहना की.
8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने यह तय करने के लिए Meta की कंटेंट पॉलिसी, मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों और वैल्यू का विश्लेषण किया कि क्या इस कंटेंट को चेतावनी स्क्रीन के साथ बनाए रखना चाहिए. बोर्ड ने यह भी आकलन किया कि कंटेंट गवर्नेंस को लेकर Meta के व्यापक दृष्टिकोण पर इस केस का क्या असर पड़ेगा, ख़ास तौर पर संघर्ष और संकट की स्थितियों में.
बोर्ड ने इस केस को पहचाने जाने लायक युद्धबंदियों को दिखाने वाले कंटेंट को मॉडरेट करने की Meta की पॉलिसी और प्रोसेस का आकलन करने के अवसर के रूप में चुना. इसके अलावा इस केस के ज़रिए बोर्ड ने संकट और संघर्ष की स्थितियों में सामान्य तौर पर Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों से उसके अनुपालन का परीक्षण किया.
8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि भले ही कंटेंट नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है, लेकिन Meta ने कंटेंट को Facebook पर बने रहने देने के लिए ख़बरों में रहने लायक होने के आधार पर दी जाने वाली छूट का सही इस्तेमाल किया और वीडियो में मौजूद कंटेंट पर हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन लगाना ज़रूरी था.
I. कंटेंट नियम
नुकसान पहुँचाने में मदद करना और अपराध को बढ़ावा देना
बोर्ड ने पाया कि इस केस के कंटेंट से उस वीडियो की इमेजरी के ज़रिए युद्धबंदियों की पहचान जाहिर हुई जिसमें पकड़े गए आर्मेनियाई सैनिकों के चेहरे दिखाए गए हैं. इसलिए कंटेंट से नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित करने के नियम का स्पष्ट उल्लंघन होता है.
यह स्वीकार करते हुए कि इस नियम को लागू करने के लिए अतिरिक्त जानकारी और/या संदर्भ की ज़रूरत होती है, बोर्ड और Meta इस बात पर सहमत हैं कि सैनिकों की यूनिफ़ॉर्म से यह संकेत मिले कि जिन लोगों के चेहरे दिखाई दे रहे हैं, वे आर्मेनियाई सशस्त्र सेनाओं के सदस्य थे. युद्ध के संदर्भ से यह संकेत मिला कि इन सैनिकों को विरोधी अज़रबैजानी सशस्त्र सेनाओं द्वारा बंदी बनाया जा रहा था, जो रिव्यूअर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में दी गई “युद्धबंदी” की परिभाषा में आता है. यह जानकारी यह पता करने के लिए पर्याप्त थी कि कंटेंट से उस नियम का उल्लंघन होता है जिसके अनुसार इमेजरी शेयर करके युद्धबंदियों की पहचान जाहिर करने वाले कंटेंट की मनाही है.
ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट
बोर्ड ने पाया कि वीडियो से जुड़ा जनहित, नुकसान के जोखिम से ज़्यादा था और यह कि विशेषज्ञता और अतिरिक्त संदर्भात्मक जानकारी, क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म ट्रेंड सहित, की एक्सेस वाली एस्केलेशन टीमों के लिए यह उपयुक्त था कि वे प्लेटफ़ॉर्म पर कंटेंट को बनाए रखने के लिए उसे ख़बरों में रहने लायक होने से जुड़ी छूट दें. हालाँकि यह पहले से ही नहीं मान लिया जाता कि किसी भी व्यक्ति का बयान अपने आप ख़बरों में रहने लायक है और ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देने का आकलन करते समय कई बातों पर विचार किया जाता है जिसमें देश विशिष्ट परिस्थितियाँ और बयान और वक्ता की प्रकृति शामिल है. ऐसे केसों में, Meta को एक संपूर्ण रिव्यू करना चाहिए जिसमें गंभीर रूप से गलत कामों के बारे में जानने और उन्हें लोगों के सामने लाकर मानवाधिकारों को होने वाले गंभीर नुकसानों को रोकने, कम करने और उनका उपचार करने की संभावना तलाशने के लोगों के अधिकार सहित जनहित और प्राइवेसी, गरिमा, सुरक्षा और अभिव्यक्ति को नुकसान के जोखिम की तुलना की जाए. यह तुलना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार स्टैंडर्ड के अनुसार की जानी चाहिए, जैसा कि Meta की कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी में बताया गया है.
सशस्त्र संघर्ष जैसी जटिल और तेज़ी से बदलती स्थिति में ख़बरों में रहने लायक होने से जुड़ी छूट देने के लिए केस के आधार पर संदर्भात्मक आकलन करने की ज़रूरत होती है ताकि जोखिमों को कम किया जा सके और महत्वपूर्ण जानकारी तक लोगों की एक्सेस सुनिश्चित की जा सके. अपने आकलन में Meta ने जिन कारणों की पहचान की, उनकी जानकारी सेक्शन 6 में दी गई है. वे सभी कारण वीडियो में दिखाए गए कंटेंट से होने वाले गंभीर नुकसान की संभावना और इस तरह के कंटेेंट को रोकने से होने वाले बुरे प्रभावों के आकलन के लिए प्रासंगिक थे. बंदियों से और बुरा व्यवहार करने के लिए इस विशेष संघर्ष में इस तरह के वीडियो के उपयोग का कोई साक्ष्य नहीं मिला और ऐसे स्पष्ट ट्रेंड दिखाई दिए कि इस तरह का कंटेंट मुख्य रूप से सोशल मीडिया पर ही उपलब्ध है और गंभीर अपराधों की ज़िम्मेदारी के लिए कैंपेन और कानूनी कार्यवाही के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है. इन सभी बातों ने कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखने का समर्थन किया.
बोर्ड ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह महत्वपूर्ण है कि Meta के पास ऐसे सिस्टम हैं जिनके ज़रिए वह Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए केस के आधार पर संभावित नुकसानों का तुरंत आकलन करने के लिए ज़रूरी कई तरह के अत्यंत संदर्भ विशिष्ट इनसाइट प्राप्त कर सकता है.
हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट
अपने इस फ़ैसले के बाद कि कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देते हुए हटाया नहीं जाना चाहिए, बोर्ड ने पाया कि वीडियो की हिंसक और आपत्तिजनक प्रकृति को देखते हुए “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन लगाना सही था. चेतावनी स्क्रीन से दो काम होते हैं - पहला यूज़र्स को कंटेंट के आपत्तिजनक होने की जानकारी देना और दूसरा कंटेंट को 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के वयस्कों तक ही सीमित करना. Meta ने यह नहीं बताया कि यह स्क्रीन लगाने के लिए उसने किस नियम का उपयोग किया, लेकिन बोर्ड ने पाया कि इसमें दो नियम शामिल थे.
पहला, वीडियो में जो दिखाया गया था, वह मलबे में पड़े आर्मेनियाई सैनिकों के शव प्रतीत होते थे. हालाँकि मॉडरेटर्स के लिए आंतरिक गाइडलाइन में पुलिस का काम करने वाले यूनिफ़ॉर्म पहने एक या ज़्यादा कर्मियों द्वारा की गई हिंसा को शामिल नहीं किया गया है, जिसमें “संवेदनशील के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन लगाई जाएगी, लेकिन आंतरिक गाइडलाइन “पुलिस के काम” को आगे “भीड़ को नियंत्रित करके और/या लोगों को कैद करके सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने” के रूप में परिभाषित किया गया है” और यह स्पष्ट करती है कि “युद्ध को पुलिस का काम नहीं माना जाता.” चूँकि कंटेंट एक सशस्त्र संघर्ष की स्थिति से संबंधित है, इसलिए बोर्ड ने पाया कि वह “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन जोड़ने की Meta की पॉलिसी के अनुसार था.
बोर्ड ने नोट किया कि वीडियो में दूसरी पॉलिसी लाइन भी एंगेज हुई क्योंकि उसमें ऐसे कृत्य दिखाए गए थे जो Meta की ‘लोगों को प्रताड़ित करना’ की परिभाषा के तहत आते थे. Meta द्वारा पॉलिसी एन्फ़ोर्समेंट के उद्देश्य से, मॉडरेटर्स के लिए उपलब्ध आंतरिक गाइडलाइन में “प्रताड़ना” से जुड़ी ऐसी इमेजरी में ये शामिल हैं: (i) किसी ऐसे व्यक्ति की इमेजरी जिस पर कोई अन्य व्यक्ति हावी हो या जिसे बलपूर्वक बंधक बनाकर रखा गया हो और जहाँ इनमें से कोई एक स्थिति हो: (a) व्यक्ति की ओर कोई हथियार तानकर रखा गया हो; (b) व्यक्ति पर चोट के निशान हों; या (c) व्यक्ति को हिंसा का लक्ष्य बनाया जा रहा हो; या (ii) किसी ऐसे व्यक्ति की इमेजरी जिसे अपमानजनक कृत्यों का निशाना बनाया जा रहा हो. Meta ने आगे “हावी होने की स्थिति” को “ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ पीड़ित व्यक्ति घुटनों के बल बैठा हो, उसे घेरकर रखा गया हो या जो खुद की रक्षा करने में असमर्थ हो.” साथ ही “बलपूर्वक बंधक” बनाने को “शारीरिक रूप से बाँधने, सीमित करने, जिंदा गाड़ने या व्यक्ति की इच्छा के खिलाफ़ उसे अन्यथा पकड़ने” के रूप में परिभाषित किया गया है. इस बात पर ध्यान देते हुए कि Meta की “प्रताड़ना” की परिभाषा, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समझी जाने वाली परिभाषा से ज़्यादा व्यापक है, बोर्ड ने पाया कि वह “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” स्क्रीन लगाने और उम्र संबंधी अन्य प्रतिबंध लगाने के अनुरूप थी. आंतरिक मार्गदर्शन के अनुसार, कंटेंट में इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि लोगों को उनकी इच्छा के खिलाफ़ बंधकों के रूप में पकड़ा जा रहा है और वे खुद की रक्षा करने में असमर्थ हैं. इसके अलावा, कई बंधक घायल नज़र आ रहे हैं और कुछ अन्य लोगों की मृत्यु हो गई लगती है.
8.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को बनाए रखने का Meta का फ़ैसला, उसकी मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप था जो सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में ज़्यादा होती है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी (अनुच्छेद 19 ICCPR)
ICCPR का अनुच्छेद 19, पैरा. 2, अभिव्यक्ति की आज़ादी को व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है जिसमें जानकारी एक्सेस करने का अधिकार शामिल है. ये सुरक्षा उपाय, सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में भी लागू होते हैं और Meta को अपनी मानवाधिकार संबंधी ज़िम्मेदारियों में इनकी मदद लेते रहना चाहिए. ये सुरक्षा उपाय ऐसे संघर्षों के दौरान लागू होने वाले अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के परस्पर सुदृढ़ बनाने वाले और पूरक नियमों के साथ लागू किए जाते हैं जिनमें युद्धबंदियों की रक्षा करने के नियम भी शामिल हैं ( सामान्य टिप्पणी 31, मानवाधिकार समिति, 2004, पैरा. 11; UNGP की कमेंटरी, सिद्धांत 12; सशस्त्र संघर्षों के दौरान गलत जानकारी और विचारों और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर, रिपोर्ट A/77/288, पैरा. 33-35 (2022); और सशस्त्र संघर्ष में मानवाधिकारों की अंतरराष्ट्रीय कानूनी सुरक्षा पर OHCHR की रिपोर्ट (2011) का पे. 59 भी देखें).
अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून, युद्धबंदियों से व्यवहार की कुछ ख़ास गारंटी प्रदान करते हैं, ख़ास तौर पर युद्धबंदियों के साथ हिंसा या उन्हें डराने वाले कृत्यों के साथ-साथ उन्हें अपमानजनक और सार्वजनिक जिज्ञासा की स्थिति में डालने के खिलाफ़ (जिनेवा समझौता (III) का अनुच्छेद 13, पैरा. 2). सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में, अभिव्यक्ति की आज़ादी के बोर्ड के विश्लेषण में अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के अधिक सटीक नियमों की मदद ली जाती है. अनुच्छेद 13 पर ICRC की कमेंटरी में कहा गया है कि “युद्धबंदी के रूप में ‘सार्वजनिक जिज्ञासा’ का विषय बनाना अपने आप में ही अपमानजनक है, भले ही उसके साथ अपमान करने वाली टिप्पणियाँ या कृत्य न जुड़े हों, और इसलिए ऐसा करना ख़ास तौर पर प्रतिबंधित है चाहे इंटरनेट सहित किसी भी कम्युनिकेशन चैनल का उपयोग किया गया हो” और इस प्रतिबंध से बहुत कम मामलों में छूट दी गई है जिनकी चर्चा नीचे की गई है (ICRC कमेंटरी, 1624 पर).
संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में कहा गया है कि “सशस्त्र संघर्ष के दौरान, लोग सबसे ज़्यादा असुरक्षित होते हैं और उन्हें अपनी सुरक्षा और कल्याण के लिए एकदम सही और भरोसेमंद जानकारी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है. फिर भी, ऐसी ही स्थितियों में उनके विचारों और अभिव्यक्ति की आज़ादी, जिसमें ‘सभी तरह की जानकारी और विचार माँगना, पाना और बताना शामिल है, युद्ध की परिस्थितियों और संघर्ष में शामिल पार्टियों के कृत्यों और राजनैतिक, सैन्य और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए जानकारी में फेरबदल करने और उसे प्रतिबंधित करने वाले अन्य कारणों द्वारा सबसे ज़्यादा प्रतिबंधित की जाती हैं (रिपोर्ट A/77/288, पैरा. 1).
जानकारी की एक्सेस के अधिकार, मानवाधिकार हनन के शिकार व्यक्ति के इस अधिकार सहित, पर भी आदेशपत्र धारक द्वारा ज़ोर दिया गया है (रिपोर्ट A/68/362, पैरा. 92 (2013)). संघर्ष की स्थितियों में पत्रकारिता के कुछ सबसे महत्वपूर्ण मामलों में युद्धबंदियों की जानकारी और इमेजरी शेयर करना शामिल है. 1945 में नाज़ी यातना शिविरों की आज़ादी के बाद और 1992 में ओमार्स्का शिविर में चश्मदीद गवाहों के बयानों ने इन युद्धों की भयावहता और किए गए अत्याचारों के संबंध में वैश्विक जनमत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसी तरह से, इराक में 2004 में अबू गरीब जेल में कैदियों से दुर्व्यवहार की व्यापक रूप से प्रचारित फ़ोटो के कारण इन दुर्व्यवहारों की सार्वजनिक आलोचना हुई और कई लोगों पर मुकदमे चलाए गए.
जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग Meta की मानवाधिकार संबंधी ज़िम्मेदारियों की व्याख्या करने के लिए करता है, जिसमें अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करने की ज़िम्मेदारी शामिल है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का आकलन करना ज़रूरी बनाता है” (रिपोर्ट A/74/486, पैरा. 41).
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार अभिव्यक्ति पर रोक लगाने वाले नियम स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने चाहिए (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 25). अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने वाले नियम “उन लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी को प्रतिबंधित करने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में "उन लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना चाहिए जिनपर इन्हें लागू करने ज़िम्मेदारी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं" (पूर्वोक्त). ऑनलाइन अभिव्यक्ति की निगरानी करने वाले नियमों के मामले में, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में कहा गया है कि उन्हें स्पष्ट और विशिष्ट होना चाहिए (A/HRC/38/35, पैरा. 46). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के लिए कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
बोर्ड ने पाया कि युद्धबंदियों की पहचान जाहिर करने वाले कंटेंट को प्रतिबंधित करने के संबंध में Meta का नियम इस केस के कंटेंट के मामले में पर्याप्त स्पष्ट है, उसी तरह जैसे Meta की कंटेंट पॉलिसी टीम द्वारा जनहित में ऐसे कंटेंट को बनाए रखने की संभावना होती है जो इस नियम का अन्यथा उल्लंघन करता है. आपत्तिजनक और हिंसक कंटेंट पर “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” स्क्रीन लगाने संबंधी पॉलिसी का कथन इस केस के कंटेंट की निगरानी करने के लिए पर्याप्त रूप से स्पष्ट है.
साथ ही, ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की Meta की व्याख्या इस बारे में ज़्यादा जानकारी दे सकती है कि किस तरह उसे युद्धबंदियों की पहचान जाहिर करने वाले कंटेंट पर लागू किया जाएगा. ख़बरों में रहने लायक कंटेंट के लिए Meta का दृष्टिकोण दिखाने वाले तीन उदाहरणों में से, जिनमें ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट दी गई थी, कोई भी उदाहरण नुकसान पहुँचाने में मदद करने और अपराध को बढ़ावा देने के कम्युनिटी स्टैंडर्ड से संबंधित नहीं था. भले ही एक उदाहरण संघर्ष की स्थिति से संबंधित है, लेकिन संघर्ष से जुड़े विशेष मापदंडों या कारकों को अंतर्निहित पॉलिसी नियमों की व्याख्या के भाग के रूप में ज़्यादा व्यापक रूप से सार्वजनिक बनाया जा सकता है. बोर्ड के पुराने सुझावों के जवाब में, Meta पहले ही ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के बारे में ज़्यादा स्पष्टता दे चुका है जिसमें ख़बरों में रहने लायक होने की छूट के संबंध में सार्वजनिक रूप से यह जानकारी देकर कि वह कब चेतावनी स्क्रीन लगाएगा (“सूडान का आपत्तिजनक वीडियो,” सुझाव नं. 2) और कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लैंडिंग पेज से सार्वजनिक व्याख्या को लिंक करके और विरोध प्रदर्शन (“कोलंबिया का विरोध प्रदर्शन,” सुझाव क्रं. 2) संबंधी उदाहरणों सहित ख़बरों में रहने लायक कंटेंट के पेज में उदाहरण जोड़कर ऐसा करना शामिल है. बोर्ड ने यूज़र्स के लिए बेहतर पारदर्शिता और मार्गदर्शन के महत्व पर ज़ोर दिया, ख़ास तौर पर संकट और संघर्ष की स्थितियों में.
II. वैधानिक लक्ष्य
a. पहचाने जा सकने वाले युद्धबंदियों को दिखाना प्रतिबंधित करने वाला कम्युनिटी स्टैंडर्ड
दूसरे लोगों के अधिकारों का सम्मान करना, जिसमें जीवन, प्राइवेसी और यातनापूर्ण या क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार से सुरक्षा का अधिकार शामिल है, अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार पर प्रतिबंधों के लिए एक वैधानिक लक्ष्य है (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इस केस में, पहचाने जा सकने वाले युद्धबंदियों को दिखाने वाले कंटेंट पर प्रतिबंध में निहित लक्ष्य की वैधानिकता का आकलन, सशस्त्र संघर्ष की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के ज़्यादा विशिष्ट नियमों के आधार पर किया गया है जो “अपमान” और “सार्वजनिक जिज्ञासा” का कारण बनाने वाले कंटेंट में युद्धबंदियों को दिखाए जाने पर उनके लिए जीवन, प्राइवेसी और गरिमा की सुरक्षा का आह्वान करते हैं (जिनेवा समझौते (III) का अनुच्छेद 13, पैरा. 2).
सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में जिनेवा समझौता III का अनुच्छेद 13, युद्धबंदियों के साथ अमानवीय व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करता है और ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट के साथ Meta का सामान्य नियम इस काम में सहायता करता है. संभावित ऑफ़लाइन हिंसा के अलावा, फ़ोटो शेयर करना अपने आप में अपमानजनक हो सकता है और बंदी के प्राइवेसी के अधिकार का हनन करता है, ख़ास तौर पर इसलिए क्योंकि बंदी बनाए गए व्यक्ति सार्थक रूप से ऐसी फ़ोटो लेने या शेयर करने के लिए सहमति नहीं दे सकते. ऐसी फ़ोटो के शेयर होने पर वे फिर से शिकार हो सकते हैं और यह बताता है कि युद्ध के कानूनों का सीधा उल्लंघन करने के लिए किस तरह सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जा सकता है. यह न सिर्फ़ दिखाए गए युद्धबंदियों पर लागू होता है, बल्कि यह ज़्यादा व्यापक रूप से युद्धबंदियों और निशाना बनाए जा सकने वाले उनके परिजनों और अन्य लोगों के लिए एक रक्षात्मक साधन के रूप में काम करता है. इन अधिकारों की रक्षा, प्राइवेसी, सुरक्षा और गरिमा की Meta की वैल्यू से करीब से जुड़ी है. बोर्ड ने पाया कि पहचाने जा सकने वाले युद्धबंदियों को दिखाना प्रतिबंधित करना वैधानिक है.
b. चेतावनी स्क्रीन के बारे में Meta के नियम
बोर्ड ने इस बात की पुष्टि की कि हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट के बारे में Meta के नियम “सूडान का आपत्तिजनक वीडियो” केस और उसके बाद के कई अन्य केसों के वैधानिक लक्ष्य पूरे करते हैं. इस केस के संदर्भ में और उसके जैसे अन्य कंटेंट के लिए, “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन का उद्देश्य, यूज़र्स को यह चुनने के ज़्यादा अवसर देना है कि वे ऑनलाइन क्या देखना चाहते हैं.
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है और जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए" (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 34).
आवश्यकता और आनुपातिकता के बारे में बोर्ड का विश्लेषण, अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के ज़्यादा विशिष्ट नियमों पर आधारित है. ICRC के अनुसार, जिनेवा समझौते III, अनुच्छेद 13 पैरा. 2 के तहत युद्धबंदियों को दिखाने वाली सामग्री के युद्ध संबंधी अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए साक्ष्य के रूप में उपयोग होने, उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने और दुर्व्यवहार के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के संबंध में अत्यधिक महत्व को देखते हुए ऐसी सामग्री को सार्वजनिक रूप से जाहिर करने के फ़ायदों और शेयर की गई सामग्री में दिखाए गए व्यक्तियों के संभावित अपमान और जान-माल के नुकसान के बीच “उचित संतुलन” रखना ज़रूरी है. इसके अलावा, ICRC ने मीडिया के प्रति अपने मार्गदर्शन में कहा कि ऐसी सामग्री को अपवादस्वरूप जाहिर किया जा सकता है अगर युद्धबंदी की पहचान जाहिर करने के पीछे कोई “दमदार जनहित” हो या अगर ऐसा करना बंदी के “महत्वपूर्ण हित” में हो ( (1627) पर अनुच्छेद 13 पर ICRC की कमेंटरी).
Meta का डिफ़ॉल्ट नियम, अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून में दिए लक्ष्यों के अनुरूप है. यह तय करने में विशेषज्ञों द्वारा सोच-विचार किए जाने की ज़रूरत होती है कि सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में दिखाया गया व्यक्ति, पहचाना जा सकने वाला युद्धबंदी है. इसलिए, नियम को लागू करने के लिए “अतिरिक्त संदर्भ की ज़रूरत” होती है और इसलिए इसे लागू किए जा सकने से पहले उसे आंतरिक टीमों को एस्केलेट करने की ज़रूरत होती है. जहाँ कंटेंट, युद्धबंदी की पहचान या लोकेशन जाहिर करता है, वहाँ ऐसे कंटेंट के परिणामस्वरूप हो सकने वाले नुकसानों की गंभीरता को देखते हुए कंटेंट को हटाना आम तौर पर उचित होता है. कई सार्वजनिक कमेंट में ऐसे नुकसानों के उदाहरण शेयर किए गए. प्रोपेगंडा के उद्देश्यों के लिए युद्धबंदियों को दिखाने वाले कंटेंट के उपयोग पर चिंताएँ व्यक्त की गईं (उदाहरण देखें, डिजिटल राइट्स फ़ाउंडेशन की ओर से PC-11137 और इगोर मिर्ज़ाखानयन की ओर से PC-11144), ख़ास तौर पर जब उन फ़ोटो को बंदी बनाने वाले लोगों द्वारा फैलाया गया हो.
जब युद्धबंदियों की पहचान जाहिर होती है, तो उन्हें कई तरह के संभावित नुकसानों का सामना करना पड़ सकता है (उदाहरण देखें, अनुच्छेद 19 से PC-11096). इसमें कैदी का अपमान और छूटने पर उनका या उनके परिवार का बहिष्कार शामिल हो सकता है. गंभीर नुकसान तब भी हो सकते हैं जब यूज़र जागरूकता फैलाने या बुरे व्यवहार की निंदा करने के अच्छे इरादे से कंटेंट को शेयर करता है. इस केस में, कथित युद्धबंदियों के चेहरे दिखाई दे रहे हैं और उन्हें ऐसे दिखाया गया है जैसे उन्हें बंदी बनाया जा रहा हो. इस प्रक्रिया के दौरान बंदियों को लगातार गालियाँ दी जा रही हैं और उन्हें बुरा-भला कहा जा रहा है. इनमें से कुछ बंदी घायल और कुछ मृत दिखाई दे रहे हैं.
हालाँकि, इस केस में कंटेंट के ख़बरों में रहने लायक होने की सही पहचान की गई, जिसके कारण कंटेंट पॉलिसी टीम को एस्केलेशन किया गया. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जहाँ संभावित नुकसान तुरंत हो सकता हो, वहाँ इस तरह के एस्केलेशन, मानवाधिकारों के जटिल निहितार्थों के आकलन के लिए ज़रूरी विशेषज्ञता रखने वाली टीमों तक पहुँचें. सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में इन जोखिमों की गंभीरता इस केस को उन पुराने फ़ैसलों से अलग बनाती है जहाँ बोर्ड ने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने की व्यापकता पर चिंताएँ जाहिर की थीं (उदाहरण देखें, “सूडान का आपत्तिजनक वीडियो” या “भारत में यौन उत्पीड़न का वीडियो”).
इस केस में, वीडियो डॉक्यूमेंट में अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. भले ही वीडियो को बंदी बनाने वाले लोगों द्वारा बनाया गया हो, ऐसा लगता है कि यूज़र की पोस्ट का लक्ष्य संभावित उल्लंघनों के बारे में जागरूकता फैलाना था. यह बंदियों के पकड़े जाने, उनके ज़िंदा होने के साक्ष्य और कैद में उनकी शारीरिक स्थिति के बारे में जानकारी पाने के साथ-साथ संभावित बुरे व्यवहार पर प्रकाश डालने के लिए महत्वपूर्ण है.
यह सही है कि Meta द्वारा ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट, ऐसे कंटेंट पर लागू हो सकती है जिसे प्रोफ़ेशनल मीडिया द्वारा शेयर नहीं किया जाता. इसके बावजूद, संघर्ष की स्थितियों में ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग के बारे में पत्रकारों के लिए उपलब्ध मार्गदर्शन, युद्धबंदियों की पहचान बताने वाली फ़ोटो को जाहिर करने खिलाफ़ पूर्व-धारणा दर्शाता है और यह कि दमदार जनहित मौजूद होने पर भी बंदी की गरिमा की सुरक्षा करने के प्रयास किए जाने चाहिए.
सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों या अत्याचार से जुड़े अपराधों, जैसे युद्धबंदियों के साथ होने वाले अपराधों सहित वे अपराध जो इंटरनेशन क्रिमिनल कोर्ट के रोम अधिनियम के तहत बताए गए हैं, से जुड़े कंटेंट को संरक्षित रखना महत्वपूर्ण है. लोगों के कमेंट में इस बारे में Meta की प्रोसेस के बारे में ज़्यादा स्पष्टता की ज़रूरत हाइलाइट की गई है, ख़ास तौर पर अंतरराष्ट्रीय प्रणालियों के साथ सहयोग के लिए (देखें: ट्रायल इंटरनेशनल की ओर से PC-11128, इंस्टीट्यूट फ़ॉर इंटरनेशनल लॉ ऑफ़ पीस एंड आर्म्ड कॉन्फ़्लिक्ट, रुअर यूनिवर्सिटी बॉचम की ओर से PC-11136 और सीरिया जस्टिस एंड अकाउंटिबिलिटी सेंटर की ओर से PC-11140). उनमें यह हाइलाइट किया गया कि ऐसे कंटेंट को बनाए रखना न सिर्फ़ अपराधियों को बल्कि पीड़ितों को भी पहचानने के लिए महत्वपूर्ण है (उदाहरण देखें, सेंटर फ़ॉर इंटरनेशनल एंड कॉम्परेटिव लॉ की ओर से PC-11133, डिजिटल सिक्योरिटी लैब यूक्रेन की ओर से PC-11139 और प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स विदआउट बॉर्डर्स NGO की ओर से PC-11145). बोर्ड की दृष्टि में इस कंटेंट का आकलन इस विशेष संदर्भ में उचित रूप से किया गया. इसमें न सिर्फ़ लोगों को इसकी जानकारी दी गई बल्कि बंदी बनाने वाली ताकतों पर बंदियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए तुरंत दबाव भी बनाया गया. जिनेवा समझौते III के अनुसार, ICRC “लापता होने के मामलों को रोकने और युद्धबंदियों की गरिमा या सुरक्षा से समझौता किए बगैर परिवार से कनेक्शन बनाए रखने के लिए” युद्धबंदियों और उनके परिवार के सदस्यों के बीच पत्राचार के आदान-प्रदान की सुविधा देता है.
कंटेंट पर चेतावनी स्क्रीन लगाने का फ़ैसला आवश्यक और यथोचित था जिसमें कैदियों और उनके परिवारों के अधिकारों का सम्मान किया गया था जिन्हें ऐसे कंटेंट के अनायास जाहिर होने पर मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ सकता था. “नाइजीरिया के चर्च पर हुए हमले के बाद का वीडियो” केस में बोर्ड के फ़ैसले की तरह, इस केस के कंटेंट में एक वीडियो शामिल था जिसमें मृत शरीरों और घायल लोगों को करीब से दिखाया गया था और उनके चेहरे दिखाई दे रहे थे और ऑडियो में युद्धबंदियों की गंभीर पीड़ा की आवाज़ें सुनाई दे रही थी और पकड़ने वाले लोग उन्हें गालियाँ दे रहे हैं. इस केस का कंटेंट, “रूसी कविता” वाले केस से अलग है. वह केस भी संघर्ष वाली स्थिति से संबंधित था और बोर्ड ने तय किया था कि कंटेंट को “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” स्क्रीन के पीछे नहीं रखा जाना चाहिए था. उस केस के कंटेंट में एक शरीर दूर ज़मीन पर पड़ा था और पीड़ित का चेहरा नहीं दिखाई दे रहा था. बोर्ड इस नतीजे पर पहुँचा था कि “फ़ोटो में हिंसा के स्पष्ट दिखाई देने वाले संकेत नहीं हैं, जैसा कि मॉडरेटर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में बताया गया है और जो चेतावनी स्क्रीन का उपयोग करने के लिए ज़रूरी है.” इस केस में, भले ही चेतावनी स्क्रीन से कंटेंट की पहुँच कम हुई होगी और इसलिए सार्वजनिक संवाद पर उसका असर भी कम हुआ होगा, यूज़र्स को यह चुनने का विकल्प देना एक उचित उपाय था कि वे परेशान करने वाला कंटेंट देखना चाहते हैं या नहीं. संघर्ष वाले क्षेत्र के लोगों सहित कई लोगों के कमेंट में वीडियो की आपत्तिजनक प्रकृति और कंटेंट को बनाए रखने की अत्यधिक जनहित वैल्यू को देखते हुए चेतावनी स्क्रीन के उपयोग का समर्थन किया गया था (उदाहरण देखें, डिजिटल सिक्योरिटी लैब यूक्रेन की ओर से PC-11139, इगोर मिर्ज़ाखानयन की ओर से PC-11144 और प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स विदआउट बॉर्डर्स NGO की ओर से PC-11145).
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने “परेशान करने वाले के रूप में मार्क किया गया” चेतावनी स्क्रीन के साथ कंटेंट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
10. सुझाव
A. कंटेंट पॉलिसी
1. “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” केस में सुझाव क्र. 14 के अनुसार, Meta को इस संबंध में अपने प्रोटोकॉल को स्पष्ट बनाने के लिए अपनी आंतरिक पॉलिसी को अपडेट करके अत्याचार से संबंधित अपराधों या मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों, जैसे कि वे उल्लंघन जो इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के रोम अधिनियम में बताए गए हैं, के साक्ष्य को संरक्षित रखने और उपयुक्त होने पर सक्षम प्राधिकारों से शेयर करने के लिए वचनबद्ध रहना चाहिए. संघर्ष की स्थितियों में प्रोटोकॉल को सचेत रहना चाहिए. उस इस संबंध में शर्तों, प्रोसेस और सुरक्षा उपायों की जानकारी देनी चाहिए: (1) डेटा रिटेंशन अवधि सहित संरक्षण शुरू और समाप्त करना, (2) संरक्षण की रिक्वेस्ट स्वीकार करना, (3) और अंतरराष्ट्रीय उत्तरदायित्व प्रणालियों और कोर्ट सहित सक्षम प्राधिकारियों के साथ डेटा शेयर करना. उचित प्रोसेस और प्राइवेसी के यूज़र के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड और लागू डेटा प्रोटेक्शन कानूनों के अनुसार उपाय किए जाने चाहिए. इस प्रोटोकॉल के निर्माण में नागरिक समाज, शिक्षाविदों और विषय के अन्य विशेषज्ञों की मदद ली जानी चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta अपने अपडेट किए गए आंतरिक डॉक्यूमेंट को बोर्ड से शेयर करेगा.
B. एन्फ़ोर्समेंट
2. एक जैसा एन्फ़ोर्समेंट सुनिश्चित करने के लिए, Meta को अपने आंतरिक क्रियान्वयन स्टैंडर्ड को अपडेट करना चाहिए और ऐसे कंटेंट को ख़बरों में रहने लायक होने की छूट देने के बारे में इस फ़ैसले के सेक्शन 8 में बताए कारणों के अनुसार ज़्यादा विशिष्ट मार्गदर्शन देना चाहिए जो युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन की पहचान करता है या उसे जाहिर करता है ताकि ख़बरों में रहने लायक होने के लिए इस कंटेंट के एस्केलेशन और आकलन में मार्गदर्शन प्राप्त हो. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta इस बदलाव को शामिल करेगा और बोर्ड के साथ अपडेट किया गया मार्गदर्शन शेयर करेगा.
C. ट्रांसपेरेंसी
3. यूज़र्स को ज़्यादा स्पष्टता देने के लिए, Meta को ट्रांसपेरेंसी सेंटर में ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की जानकारी में ऐसे कंटेंट का उदाहरण जोड़ना चाहिए जिसमें युद्धबंदियों की पहचान या लोकेशन जाहिर की गई हो लेकिन उसे जनहित में बने रहने दिया गया हो. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, ख़बरों में रहने लायक कंटेंट के अपने पेज में युद्धबंदियों से संबंधित कोई उदाहरण जोड़ेगा.
4. क्रूरता से संबंधित अपराधों और मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों से संबंधित साक्ष्यों के संरक्षण के बारे में प्रोटोकॉल के निर्माण के बाद, Meta को इस प्रोटोकॉल को ट्रांसपेरेंसी सेंटर पर सार्वजनिक रूप से शेयर करना चाहिए. इसमें संरक्षण शुरू और समाप्त करने संबंधी शर्तें, डेटा रिटेंशन अवधि, संरक्षण की रिक्वेस्ट स्वीकार करने और डेटा को अंतरराष्ट्रीय उत्तरदायित्व प्रणालियों और कोर्ट सहित सक्षम प्राधिकारियों के साथ शेयर करने की प्रोसेस और सुरक्षा उपाय शामिल होने चाहिए. उचित प्रोसेस और प्राइवेसी के यूज़र के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड और लागू डेटा प्रोटेक्शन कानूनों के अनुसार उपाय किए जाने चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta सार्वजनिक रूप से इस प्रोटोकॉल को शेयर करेगा.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और उन पर बोर्ड के अधिकांश सदस्यों की सहमति होती है. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड की सहायता एक स्वतंत्र शोध संस्थान ने की जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और जिसके पास छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनियाभर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञ हैं. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता भी मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Memetica ने भी विश्लेषण उपलब्ध कराया जो सोशल मीडिया ट्रेंड पर ओपन-सोर्स रिसर्च में एंगेज होने वाला संगठन है.