पलट जाना
रूसी कविता
ओवरसाइट बोर्ड ने उस Facebook पोस्ट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को पलट दिया जिसमें यूक्रेन में रूसी सेना की तुलना नाज़ियों से की गई है और जिसमें फाँसीवादियों की हत्या का आह्वान करने वाली एक कविता का उल्लेख किया गया है
यह फ़ैसला रूसी (इस स्क्रीन के सबसे ऊपर मौजूद मेनू से एक्सेस किए जाने वाले “भाषा” टैब के ज़रिए), लातवियन (यहाँ) और यूक्रेनियन (यहाँ) भाषाओं में भी उपलब्ध है.
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केस का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने उस Facebook पोस्ट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को पलट दिया जिसमें यूक्रेन में रूसी सेना की तुलना नाज़ियों से की गई है और जिसमें फाँसीवादियों की हत्या का आह्वान करने वाली एक कविता का उल्लेख किया गया है. उसने Meta के इस निष्कर्ष को भी पलट दिया कि उसी पोस्ट में मृत शरीर दिखाई देने वाली एक फ़ोटो, हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी का उल्लंघन करती है. Meta ने पॉलिसी का उल्लंघन करने के कारण फ़ोटो पर चेतावनी स्क्रीन लगाई थी. यह केस संघर्ष वाली स्थितियों में कंटेंट मॉडरेशन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाता है.
केस की जानकारी
अप्रैल 2022 में, लातविया के एक Facebook यूज़र ने एक फ़ोटो पोस्ट की जिसमें सड़क पर पड़ा एक मृत शरीर दिखाई दे रहा है और जिसका चेहरा नीचे की तरफ़ है. शरीर पर कोई भी घाव दिखाई नहीं दे रहा है. Meta ने बोर्ड को कन्फ़र्म किया कि उस व्यक्ति को बुचा, यूक्रेन में मारा गया था.
फ़ोटो के साथ मौजूद रूसी टेक्स्ट में तर्क दिया गया था कि द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी में सोवियत सैनिकों द्वारा किए गए कथित अत्याचारों को इस आधार पर माफ़ कर दिया गया कि उन्होंने USSR में नाज़ी सैनिकों द्वारा किए गए अपराधों का बदला लिया था. इसने नाज़ी सेना और यूक्रेन में रूसी सेना के बीच यह कहते हुए एक संबंध बनाया कि रूसी सेना “फाँसीवादी बन गई है.”
पोस्ट में रूसी सेना द्वारा यूक्रेन में किए गए कथित अत्याचारों का उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि “after Bucha, Ukrainians will also want to repeat... and will be able to repeat” (बुचा के बाद, यूक्रेनियन भी इसे दोहराना चाहेंगे... और दोहराएँगे). अंत में सोवियत कवि कोंस्टांटिन सिमोनोव की कविता “Kill him!” (उसे मार डालो!) का उल्लेख किया गया है जिसमें ये पंक्तियाँ शामिल हैं: “kill the fascist... (फाँसीवादी को मार दो...) Kill him! (उसे मार डालो!) Kill him! (उसे मार डालो!) Kill!” (मारो!)
एक अन्य Facebook यूज़र ने पोस्ट की रिपोर्ट नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण की थी. बोर्ड द्वारा केस चुने जाने के बाद, Meta ने पाया कि उसने गलती से पोस्ट को हटा दिया था और उसे रीस्टोर कर दिया. तीन हफ़्ते बाद, उसने अपनी हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी के तहत फ़ोटो पर एक चेतावनी स्क्रीन लगाई.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि पोस्ट को हटाना और फिर बाद में चेतावनी स्क्रीन लगाना, Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड, Meta की वैल्यू या उसकी मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुसार नहीं है.
बोर्ड ने पाया कि ऐसे सामान्य आरोप लगाने के बजाय कि “रूसी सैनिक नाज़ी हैं,” पोस्ट में तर्क दिया गया कि उन्होंने एक ख़ास समय और जगह पर नाज़ियों जैसा काम किया और उसे ऐतिहासिक घटना के समान बताया. पोस्ट में रूसी सैनिकों को भी लड़ाकों के रूप में उनकी भूमिका, न कि उनकी राष्ट्रीयता के कारण, टार्गेट किया गया है. इस संदर्भ में, न तो Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियाँ और न ही उसकी नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड, सैनिकों की अत्यंत बुरे व्यवहार के क्लेम से सुरक्षा करते हैं और न ही उनके कार्यों और पुरानी घटनाओं के बीच उकसाने वाली तुलनाओं को रोकते हैं.
बोर्ड ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह तय करते समय संदर्भ जानना महत्वपूर्ण है कि क्या कंटेंट का उद्देश्य हिंसा को बढ़ावा देना है. इस मामले में, बोर्ड ने पाया कि “Kill him!” कविता की पंक्तियों का उल्लेख कलात्मक और सांस्कृतिक रेफ़रेंस में आलंकारिक ढंग से किया गया है. पूरी पोस्ट के संदर्भ में पढ़ने पर, बोर्ड ने पाया कि पंक्तियों का उपयोग मानसिक स्थिति को व्यक्ति करने के लिए किया गया है, न कि उकसाने के लिए. उन्होंने यूक्रेन में हिंसा के चक्रों और इतिहास दोहराए जाने की आशंका के प्रति चेताया.
मॉडरेटर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में यह स्पष्ट किया गया है कि कंपनी अपनी हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में ऐसे “संभावित परिणाम के तटस्थ संदर्भ” और “परामर्शी चेतावनी” को परमिशन देती है. हालाँकि, इसे सार्वजनिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड में नहीं बताया गया है. इसी तरह, हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी, हिंसक मृत्यु दिखाने वाली फ़ोटो को प्रतिबंधित करती है. मॉडरेटर्स के लिए आंतरिक मार्गदर्शन में यह बताया गया है कि Meta यह कैसे तय करता है कि क्या मृत्यु हिंसक है, लेकिन इसे सार्वजनिक पॉलिसी में शामिल नहीं किया गया है.
इस केस में, बोर्ड के अधिकांश मेंबर ने पाया कि पोस्ट में मौजूद फ़ोटो में हिंसा के स्पष्ट संकेत नहीं हैं और इसमें मॉडरेटर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन के अनुसार चेतावनी स्क्रीन का उपयोग करना सही है.
कुल मिलाकर, बोर्ड ने पाया कि इस पोस्ट से हिंसा भड़कने की संभावना नहीं है. हालाँकि, उसने पाया कि अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की स्थितियों में हिंसा फैलाने वाली भाषा का मूल्यांकन करने में वहाँ अतिरिक्त जटिलताएँ आती हैं जहाँ अंतरराष्ट्रीय कानून, लड़ाकों को निशाना बनाने की छूट देता है. यूक्रेन पर रूस के हमले को अंतरराष्ट्रीय रूप से गैर-कानूनी माना गया है. बोर्ड ने Meta से कहा कि वह गैर-कानूनी सैन्य हस्तक्षेप की स्थितियों पर विचार करने के लिए अपनी पॉलिसी में बदलाव करे.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने पोस्ट को हटाने और बाद में यह निर्धारित करने के Meta के फ़ैसले को पलट दिया कि पोस्ट में मौजूद फ़ोटो हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी का उल्लंघन करती है, जिसके परिणामस्वरूप Meta ने चेतावनी स्क्रीन लगाई थी.
बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया कि वह:
- हिंसा और उकसावे के सार्वजनिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड में बदलाव करके पॉलिसी की Meta की व्याख्या के आधार पर यह स्पष्ट करे कि उसमें ऐसे कंटेंट की परमिशन दी गई है जिसमें “संभावित परिणाम का प्राकृतिक रेफ़रेंस” दिया जाता है.
- हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट के सार्वजनिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड में यह निर्धारित करने की व्याख्या शामिल करे कि कोई फ़ोटो “किसी व्यक्ति की हिंसक मृत्यु” दर्शाती है या नहीं.
- ऐसे टूल प्रस्तुत करने की संभावना तलाशे जो वयस्क यूज़र्स को यह तय करने की सुविधा दे कि आपत्तिजनक कंटेंट देखना भी है या नहीं और अगर वे इसे देखना चुनते हैं, तो उसे चेतावनी स्क्रीन के साथ देखना है या उसके बिना.
* केस के सारांश से केस का ओवरव्यू पता चलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. फ़ैसले का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने एक Facebook पोस्ट को हटाने के Meta के मूल फ़ैसले को बदल दिया, जो यूक्रेन के संघर्ष से जुड़ी थी. पोस्ट का कंटेंट रूसी भाषा में है जिसे लातविया से पोस्ट किया गया था. कंटेंट में सड़क पर पड़े एक व्यक्ति की फ़ोटो है जो मृत लग रहा है और साथ में टेक्स्ट दिया गया है. टेक्स्ट में सोवियत कवि कोंस्टांटिन सिमोनोव की कविता का उल्लेख किया गया है जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन हमलावरों से संघर्ष का आह्वान किया गया था और इसका संकेत यह है कि यूक्रेन में रूसी हमलावर भी वही भूमिका अदा कर रहे हैं जो USSR में जर्मन सैनिकों ने अदा की थी. बोर्ड द्वारा इस पोस्ट को रिव्यू के लिए चुने जाने के बाद, Meta ने अपना विचार बदलते हुए कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर बहाल कर दिया. कंटेंट, Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा और हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के तहत महत्वपूर्ण परिभाषात्मक सवाल उठाता है. पोस्ट को बहाल करने के फ़ैसले के कुछ हफ़्ते बाद, Meta ने फ़ोटो पर एक चेतावनी स्क्रीन लगा दी. बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स ने माना कि फ़ोटो से हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता क्योंकि फ़ोटो में हिंसा के स्पष्ट दिखाई देने वाले संकेत नहीं हैं, जैसा कि मॉडरेटर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में बताया गया है और जो चेतावनी स्क्रीन का उपयोग करने के लिए ज़रूरी है.
2. केस का डिस्क्रिप्शन और बैकग्राउंड
अप्रैल 2022 में, लातविया में एक Facebook यूज़र ने अपनी न्यूज़फ़ीड में एक फ़ोटो और रूसी भाषा में टेक्स्ट पोस्ट किया. पोस्ट को लगभग 20,000 बार देखा गया, लगभग 100 बार शेयर किया गया और उसपर लगभग 600 रिएक्शन और 100 से ज़्यादा कमेंट आए.
फ़ोटो में सड़क का दृश्य दिखाया गया है, जिसमें एक व्यक्ति ज़मीन पर पड़ा है और मृत लग रहा है. उसके पास ही एक साइकिल पड़ी है. शरीर पर कोई भी घाव दिखाई नहीं दे रहा है. टेक्स्ट में कहा गया है, “वे दोहराना चाहते थे और उन्होंने दोहराया.” पोस्ट में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में सोवियत सैनिकों द्वारा किए गए कथित अपराधों पर कमेंट किया है. उसमें कहा गया है कि ऐसे अपराध इस आधार पर माफ़ कर दिए गए कि सैनिक उन खौफ़नाक कृत्यों का बदला ले रहे थे जो नाज़ी लोगों ने USSR पर किए थे. फिर उसने दूसरे विश्व युद्ध और यूक्रेन पर आक्रमण के बीच संबंध जोड़ा और यह तर्क दिया कि रूसी सेना ““became fascist” (फ़ासिस्ट बन गई है). पोस्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में रूसी सेना “rape[s] girls, wound[s] their fathers, torture[s] and kill[s] peaceful people” (लड़कियों का बलात्कार करती है, उनके पिता को घायल करती है और निर्दोष लोगों पर ज़ुल्म ढाती है और उन्हें मार देती है). उसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि “after Bucha, Ukrainians will also want to repeat... and will be able to repeat” (बुचा के बाद, यूक्रेनियन भी ऐसी एक्शन को दोहराना चाहेंगे... और दोहराएँगे). पोस्ट के आखिरी भाग में यूज़र, आगे दी गई लाइनें शामिल करते हुए सोवियत कवि कोंस्टांटिन सिमोनोव की कविता “Kill him!” (उसे मार डालो!) की कुछ पंक्तियाँ शेयर की हैं: “kill the fascist so he will lie on the ground’s backbone, not you”; “kill at least one of them as soon as you can” (फाँसीवादी को मार डालो ताकि वह ज़मीन पर मरा पड़ा रहे न कि तुम; जितना जल्दी हो सके उनमें से किसी एक को मार डालो); “Kill him! (उसे मार डालो!) Kill him! (उसे मार डालो!) Kill!” (मारो!)
जिस दिन कंटेंट पोस्ट किया गया, उसी दिन दूसरे यूज़र ने उस कंटेंट की रिपोर्ट “हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट” के तौर पर की. ह्यूमन रिव्यूअर के फ़ैसले के आधार पर, Meta ने कंटेंट को नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के कारण हटा दिया. इसके कुछ घंटे बाद, जिस यूज़र ने यह कंटेंट पोस्ट किया था, उसने इसके खिलाफ़ अपील की और दूसरे रिव्यूअर ने कंटेंट का आकलन उसी पॉलिसी का उल्लंघन करने के तौर पर किया.
यूज़र ने ओवरसाइट बोर्ड के सामने अपील पेश की. बोर्ड द्वारा 31 मई 2022 को रिव्यू के लिए चुनने के परिणामस्वरूप, Meta ने यह तय किया कि कंटेंट को हटाने का उसका पहले का फ़ैसला गलती से किया गया था और उसने उसे रीस्टोर कर दिया. कंटेंट को रीस्टोर करने के 23 दिन बाद 23 जून 2022 को Meta ने पोस्ट में मौजूद फ़ोटो पर हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत इस आधार पर चेतावनी स्क्रीन लगा दी कि वह किसी व्यक्ति की हिंसक मौत दिखाती है. चेतावनी स्क्रीन में कहा गया है “सेंसेटिव कंटेंट – इस फ़ोटो में हिंसक या आपत्तिजनक कंटेंट हो सकता है” और यूज़र को दो विकल्प दिए गए हैं: “और जानें” और “फ़ोटो देखें.”
नीचे दिया गया तथ्यात्मक बैकग्राउंड, बोर्ड के फ़ैसले के लिए प्रासंगिक है और वह बोर्ड द्वारा करवाई गई रिसर्च पर आधारित है:
- यूक्रेन पर रूस के हमले को संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा द्वारा 2 मार्च 2022 को गैर-कानूनी ठहराया गया था ( A/RES/ES-11/1).
- मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने यूक्रेन में “युद्ध से जुड़े संभावित अपराधों, अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के भारी उल्लंघनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के गंभीर उल्लंघनों” पर चिंता जताई.
- सोवियत के बाद की संस्कृतियों में, “फाँसीवादी” शब्द को अक्सर जर्मन नाज़ियों के लिए, ख़ासकर द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में उपयोग किया जाता है. हालाँकि, “फाँसीवादी” शब्द की परिभाषा का जर्मन नाज़ियों से कोई सीधा संबंध नहीं है. रूस और यूक्रेन में राजनीतिक चर्चाओं के कारण यह शब्द अस्पष्ट हो गया जहाँ “फाँसीवादी” शब्द को राजनीतिक पटल पर विभिन्न भागों में विरोधियों की निंदा करने के लिए किया गया है.
- यूज़र की पोस्ट का पहला वाक्य “They wanted to repeat and repeated” (वे दोहराना चाहते थे और उन्होंने दोहराया), रूस के एक लोकप्रिय स्लोगन “[w]e can repeat” (हम दोहरा सकते हैं) का रेफ़रेंस है जिसका उपयोग कुछ लोग द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ियों के खिलाफ़ सोवियत की जीत के संबंध में करते हैं. जब यूज़र आगे कहता है कि “after Bucha, Ukrainians will also want to repeat... and will be able to repeat” (बुचा के बाद, यूक्रेनियन भी इसे दोहराना चाहेंगे... और दोहराएँगे), तब भी वह इस स्लोगन का आगे ज़िक्र करता है.
3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप
बोर्ड को उस यूज़र के अपील करने के बाद Meta के फ़ैसले का रिव्यू करने का अधिकार है, जिसका कंटेंट हटा दिया गया था (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 3, सेक्शन 1). बोर्ड Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर अपने फ़ैसले को लागू करने की संभावना का भी आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाहों के साथ पॉलिसी से जुड़े सुझाव हो सकते हैं, जिन पर Meta को जवाब देना होगा (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4).
जब बोर्ड इस तरह के केस चुनता है, जहाँ Meta मानता है कि उससे गलती हुई, तो बोर्ड मूल फ़ैसले का रिव्यू करता है ताकि यह समझा जा सके कि गलती क्यों हुई और चीज़ों को बारीकी से देख सके या सुझाव दे सके जिससे कि गलतियाँ कम हों और प्रोसेस की निष्पक्षता और पारदर्शिता बेहतर बने.
4. अथॉरिटी के सोर्स
ओवरसाइट बोर्ड ने इन अधिकारों और स्टैंडर्ड पर विचार किया:
I. ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले:
ओवरसाइट बोर्ड के कुछ सबसे प्रासंगिक पुराने फ़ैसलों में ये शामिल हैं:
- “टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो” केस ( 2022-006-FB-MR). इस केस में, बोर्ड ने कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा. बोर्ड ने यूज़र की प्रोफ़ाइल (क्षेत्रीय सरकार का मंत्रालय), उपयोग की गई भाषा (समर्पण न करने वाले सैनिकों को मारने का स्पष्ट आह्वान) और पेज की पहुँच (लगभग 260,000 फ़ॉलोअर) को देखते हुए पाया था कि पोस्ट के कारण आगे और हिंसा होने का अत्यधिक जोखिम है.
- “सूडान का आपत्तिजनक वीडियो” केस ( 2022-002-FB-MR). इस केस में, बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया कि: (i) हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट कम्युनिटी स्टैंडर्ड में बदलाव करे और ऐसे लोगों या मृत शरीरों के वीडियो दिखाने की परमिशन दे जब उनका उद्देश्य मानवाधिकार हनन के संबंध में जागरूकता फैलाना या उसे डॉक्यूमेंट करना हो; और (ii) एक ऐसी पॉलिसी बनाए जिसकी शर्तें लोगों या मृत शरीरों के ऐसे वीडियो की पहचान करें जिनका उद्देश्य मानवाधिकार हनन के बारे में जागरूकता फैलाना या उन्हें डॉक्यूमेंट करना हो.
II. Meta की कंटेंट पॉलिसी:
नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में, Meta ऐसी “हिंसक” या “अमानीय” भाषा की परमिशन नहीं देता जिसे लोगों या ग्रुप पर उनकी सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर टार्गेट किया गया हो. पॉलिसी कहती है कि “अमानवीय भाषा” में “हिंसक और यौन अपराधियों... की और उनके बारे में तुलनाएँ, सामान्य धारणाएँ या व्यवहार से जुड़े आपत्तिजनक कथन” शामिल हैं. पॉलिसी स्पष्ट रूप से व्यवहार से जुड़े अच्छे कथनों पर लागू नहीं होती. “हिंसक अपराध या यौन हमले कर चुके” ग्रुप, नफ़रत फैलाने वाली भाषा पॉलिसी के तहत हमलों से सुरक्षित नहीं हैं.
हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत, Meta ऐसी धमकियों की परमिशन नहीं देता “जिनके कारण मौत (और अन्य तरह की गंभीर हिंसा) हो सकती हो” जहाँ “धमकी” को अन्य बातों के अलावा “गंभीर हिंसा के आह्वान” और “गंभीर हिंसा को सही ठहराने वाले कथन” के रूप में परिभाषित किया गया है. कंटेंट रिव्यूअर्स के लिए Meta की आंतरिक गाइडलाइन यह स्पष्ट करती है कि कंपनी इस पॉलिसी को इस तरह समझती है कि उसमें “किसी एक्शन या किसी परामर्शी चेतावनी के संभावित परिणाम के तटस्थ रेफ़रेंस” के कथनों वाले कंटेंट की परमिशन दी गई है.
हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत, “एक या उससे ज़्यादा लोगों की दुर्घटना या हत्या के कारण होने वाली हिंसक मृत्यु दिखाने वाली फ़ोटो” को चेतावनी स्क्रीन से कवर किया जाता है.
III. Meta की वैल्यू:
Meta ने “अभिव्यक्ति,” “गरिमा” और “सुरक्षा” की वैल्यू का वर्णन कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय में अन्य बातों के साथ किया है. यह फ़ैसला उन वैल्यू को रेफ़र करेगा, अगर और जैसा भी फ़ैसले के लिए प्रासंगिक हो.
IV. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार स्टैंडर्ड:
बिज़नेस और मानवाधिकार के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत ( UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति का समर्थन मिला है, प्राइवेट बिज़नेस के मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक फ़्रेमवर्क बनाते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया. इस केस में बोर्ड ने Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण इन मानवाधिकार स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए किया.
- विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार: आर्टिकल 19, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), सामान्य कमेंट नं. 34, मानवाधिकार समिति, 2011; विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ का ख़ास रैपर्टर की रिपोर्ट: A/HRC/38/35 (2018), A/74/486 (2019) and A/HRC/44/49/Add.2 (2020); संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की रिपोर्ट: A/HRC/22/17/Add.4 (2013).
- समानता रखना और भेदभाव न करना: आर्टिकल 2, पैरा. 1 (ICCPR).
- शारीरिक सुरक्षा का अधिकार: आर्टिकल 9 (ICCPR).
- जीवन का अधिकार: आर्टिकल 6 (ICCPR).
5. यूज़र सबमिशन
बोर्ड को पेश की गई अपनी अपील में यूज़र ने कहा कि उन्होंने जो फ़ोटो शेयर की है, वह “बूचा शहर में रूसी सेना द्वारा किए गए अपराधों” की तुलना में “सबसे कम हानि दिखाती” है, “जिस शहर में दर्जनों लोग सड़क पर मरे पड़े थे.” यूज़र का कहना है कि उनकी पोस्ट हिंसा का आह्वान नहीं करती और वह “बीते समय और मौजूदा समय” के बारे में है. उनका कहना है कि कविता मूल रूप से “नाज़ियों के खिलाफ़ सोवियत सैनिकों के संघर्ष” को समर्पित थी और यह कि उन्होंने उसे यह दिखाने के लिए पोस्ट किया था कि “रूसी सेना किस तरह फाँसीवादी सेना जैसी बन गई.” अपनी अपील के भाग के रूप में, उन्होंने कहा कि वे जर्नलिस्ट हैं और उनका मानना है कि लोगों के लिए ऐसी घटनाओं के बारे में जानना ज़रूरी है, ख़ास तौर से युद्ध के समय.
6. Meta के सबमिशन
Meta ने बोर्ड को कारण बताया कि कंपनी ने इस केस में कंटेंट का तीन अलग-अलग पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया जिसकी शुरुआत नफ़रत फैलाने वाली भाषा से की गई. Meta ने इस बात पर फ़ोकस किया कि कंपनी ने अपने मूल फ़ैसले को क्यों पलटा, बजाय इसके कि वह मूल फ़ैसले पर कैसे पहुँचा. Meta के अनुसार, यह क्लेम करना कि रूसी सैनिकों ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में अपराध किए हैं, नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी के तहत हमला नहीं कहलाता क्योंकि “व्यवहार से जुड़े अच्छे कथनों” की प्लेटफ़ॉर्म पर परमिशन है. Meta ने यह भी समझाया कि फाँसीवाद एक राजनीतिक विचारधारा है और रूसी सेना को किसी ख़ास राजनीतिक विचारधारा से जोड़ने भर से हमला नहीं होता क्योंकि “रूसी सेना एक संस्था है और इसलिए वह नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी में कवर किया गया एक सुरक्षित विशिष्टता वाला ग्रुप या सबसेट नहीं है (रूसी सैनिकों की तुलना में, जो लोग हैं).” अंत में, Meta ने कहा कि “Kill him!” कविता की पोस्ट में शामिल की गई विभिन्न पंक्तियाँ (जैसे, “kill a fascist,” “kill at least one of them,” “kill him!”), द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में “नाज़ियों” का संदर्भ देती हैं और नाज़ी कोई सुरक्षित ग्रुप नहीं है.
Meta ने हिंसा और उकसावे की अपनी पॉलिसी के नज़रिए से भी पोस्ट का विश्लेषण किया. इस संदर्भ में, Meta ने बताया कि बुचा की घटनाओं के बाद यह कहना कि “Ukrainians will also want to repeat… and will be able to repeat” (बुचा के बाद, यूक्रेनियन भी इसे दोहराना चाहेंगे... और दोहराएँगे) हिंसा की तरफ़दारी नहीं करता. Meta ने क्लेम किया कि यह “संभावित परिणाम का एक तटस्थ रेफ़रेंस” है जिसके बारे में कंपनी यह समझती है कि उसे हिंसा और उकसावे की पॉलिसी से छूट मिलनी चाहिए. Meta ने यह भी कहा कि सिमोनोव की कविता का उल्लेख, यूक्रेन में इतिहास दोहराने की संभावना के खिलाफ़ जागरूकता लाने का एक तरीका था. अंत में, कंपनी ने बताया कि व्यक्तियों के खिलाफ़ हिंसा की वकालत को खतरनाक लोग और संगठन पॉलिसी में कवर किया गया है, जैसे नाज़ी (सिमोनोव की कविता में “फाँसीवादी” के रूप में संदर्भित) शब्द को हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में छूट प्राप्त है.
Meta ने बताया कि उसकी हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी के तहत चेतावनी स्क्रीन और उपयुक्त उम्र प्रतिबंध लगाए गए क्योंकि कंटेंट में शामिल पोस्ट में एक व्यक्ति की हिंसक मृत्यु दिखाई गई थी. Meta ने कन्फ़र्म किया कि फ़ोटो में ऐसे व्यक्ति को दिखाया गया था जिसे यूक्रेन के बुचा में गोली मारी गई थी.
बोर्ड के सवाल के जवाब में Meta ने आगे बताया कि यूक्रेन में संघर्ष के संदर्भ में उसने कौन-कौन से नए कदम उठाए हैं. Meta ने हालाँकि यह कन्फ़र्म किया कि इनमें से कोई भी कदम इस केस में कंटेंट को शुरुआत में हटाने या चेतावनी स्क्रीन के साथ उसे बहाल करने के फ़ैसले में प्रासंगिक नहीं था. कंपनी ने यह जोड़ा कि संघर्ष के दौरान सम्यक तत्परता सुनिश्चित करने के लिए उसने संयुक्त राष्ट्र मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार कई कदम उठाए हैं. इन कदमों में यूक्रेनियाई और रूसी नागरिक समाज और रूसी स्वतंत्र मीडिया के साथ एंगेजमेंट शामिल है ताकि संघर्ष की शुरुआत में Meta द्वारा अपनाए गए कदमों के असर का फ़ीडबैक लिया जा सके.
बोर्ड ने Meta से 11 सवाल पूछे और Meta ने सभी का पूरा जवाब दिया.
7. पब्लिक कमेंट
इस केस के संबंध में, ओवरसाइट बोर्ड को लोगों की ओर से आठ कमेंट मिले. तीन कमेंट यूरोप से, चार अमेरिका और कनाडा से और एक कमेंट लैटिन अमेरिका और कैरेबियन से किए गए थे. सबमिशन में इन विषयों पर बात की गई थी: अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष; कंटेंट मॉडरेशन में संदर्भ का महत्व; संघर्ष की स्थिति में पत्रकारों की भूमिका; युद्ध से जुड़े अपराधों का डॉक्यूमेंटेशन; और कलात्मक अभिव्यक्ति.
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8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने सबसे पहले यह देखा कि क्या कंटेंट को Meta की कंटेंट पॉलिसी के तहत परमिशन है, यह समझा कि प्लेटफ़ॉर्म की वैल्यू को देखते हुए कहाँ इसकी ज़रूरत है और फिर यह आकलन किया कि क्या कंटेंट के साथ किया गया व्यवहार कंपनी की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुसार है.
इस केस का चुनाव बोर्ड ने इसलिए किया था क्योंकि इस पोस्ट को हटाए जाने पर कलात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक रेफ़रेंस को ऐसे नए संदर्भों में देखे जाने को लेकर गंभीर चिंताएँ व्यक्ति की गई थीं जिनसे संघर्ष की स्थितियों में हिंसा भड़कने की आशंका होती है. युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए अभिव्यक्ति के ऑनलाइन माध्यम ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण होते हैं और सोशल मीडिया कंपनियों को उनके अधिकारों की रक्षा करने पर ख़ास ध्यान देना चाहिए. यह केस बताता है कि किस तरह संदर्भ से जुड़े विश्लेषण की कमी, जो इस पैमाने पर होने वाले कंटेंट मॉडरेशन में आम है, संघर्ष के बारे में लोगों को अपनी राय व्यक्त करने और इतिहास की भड़काने वाली मिलती-जुलती घटनाओं से संबंध जोड़ने से रोक सकती है.
8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
बोर्ड ने यह पाया कि इस केस से जुड़ा कंटेंट नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड या हिंसा और उकसावे से जुड़े स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है. बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स ने पाया कि कंटेंट, हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करता.
I. नफ़रत फैलाने वाली भाषा
Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी, राष्ट्रीयता समेत सुरक्षित विशिष्टताओं को आधार बनाकर लोगों पर किए जाने वाले हमलों पर रोक लगाती है. सुरक्षित विशिष्टता के साथ रेफ़र किए जाते समय प्रोफ़ेशन को “कुछ सुरक्षा” मिलती है. मॉडरेटर्स के लिए कंपनी की आंतरिक गाइडलाइन आगे यह स्पष्ट करती है कि “आभासी सुरक्षित सबसेट,” जिनमें सुरक्षित विशिष्टता वाले प्रोफ़ेशन द्वारा परिभाषित ग्रुप शामिल हैं (जैसे रूसी सैनिक), सामान्य तौर पर नफ़रत फैलाने वाली भाषा टियर 1 हमलों से सुरक्षा पाने के हकदार हैं. ऐसे हमलों में अन्य बातों के अलावा “हिंसा फैलाने वाली भाषा” और “हिंसक और यौन अपराधियों...की या उनके बारे में” “तुलना, सामान्य धारणाओं या व्यवहार से जुड़े आपत्तिजनक कथनों के रूप में... अमानवीय भाषा” शामिल हैं. Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी “हिंसक अपराध या यौन हमले कर चुके” ग्रुप को सुरक्षा नहीं देती.
ऐसे सामान्य दावे कि रूसी सैनिकों की प्रवृत्ति अपराध करने की होती है, कंटेंट और संदर्भ के आधार पर Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं. ऐसे क्लेम “व्यवहार से जुड़े आपत्तिजनक कथनों के रूप में” पॉलिसी के तहत “अमानवीय भाषा” पर प्रतिबंध के तहत आ सकते हैं. Meta की पॉलिसी इन बातों के बीच अंतर करती है: (i) किसी ग्रुप पर उसकी जातीयता, राष्ट्रीय मूल या अन्य सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर बुरे चरित्र या अवांछित लक्षणों का एट्रिब्यूशन (Meta इसे “सामान्य धारणा” कहता है); (ii) संदर्भ देखे बिना किसी ग्रुप के मेंबर्स की आलोचना (Meta इसे “व्यवहार से जुड़े आपत्तिजनक कथन” कहता है); और (iii) किसी ग्रुप के पुराने व्यवहार के कारण उस ग्रुप के मेंबर्स की आलोचना (Meta इसे “व्यवहार से जुड़े अच्छे कथन” कहता है). इस केस में, हमला करने वाले रूसी सैनिकों के बारे में क्लेम यूक्रेन संघर्ष में उनके कामों को लेकर किए गए थे, सामान्य तौर पर नहीं.
यहाँ सवाल यह है कि क्या यूज़र द्वारा रूसी सैनिकों की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के जर्मन फाँसीवादियों से करना और उनका यह कथन कि उन्होंने महिलाओं का बलात्कार किया, उनके पिताओं को मारा और निर्दोष लोगों की हत्या की और उन्हें प्रताड़ित किया, Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी का उल्लंघन करता है. Meta और बोर्ड, दोनों इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कई अलग-अलग कारणों से पोस्ट, नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी के तहत हिंसक या अमानवीय भाषा का उपयोग नहीं करती. सिर्फ़ यही एक ऐसा भाग था जहाँ नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी इस पोस्ट के लिए प्रासंगिक पाई गई थी.
Meta ने यह तर्क दिया कि पोस्ट उल्लंघन नहीं करती क्योंकि आरोप लगाने वाले कथन रूसी सेना के लिए उपयोग किए गए थे जो कोई संस्था नहीं है और उनका उपयोग रूसी सैनिकों के लिए नहीं किया गया था जो व्यक्ति हैं. बोर्ड ने पाया कि इस केस में यह भेद मायने नहीं रखता क्योंकि यूज़र “सेना” और “सैनिकों” को एक-दूसरे की जगह उपयोग कर सकते हैं.
इसके बावजूद, बोर्ड ने पाया कि यूक्रेन पर रूस के हमले के संदर्भ में यूज़र का यह आरोप कि रूसी सैनिकों द्वारा किए गए अपराध नाज़ियों के समान हैं, छूट देने लायक है. यह केस इसलिए है क्योंकि कुछ ख़ास कार्रवाइयों (जैसे “उन्होंने वास्तव में बदला लेना शुरू कर दिया – लड़कियों का बलात्कार किया, उनके पिताओं को मार डाला और कीव के शांतिपूर्ण बाहरी इलाके के शांतिपूर्ण लोगों की हत्या कर दी”) का उत्तरदायी होना और यूक्रेन में रूसी सैनिकों की कार्रवाइयों की तुलना युद्ध से जुड़े अपराध करने वाली अन्य सेनाओं से करना (जैसे “70 सालों बाद रूसी सेना ने ख़ुद को जर्मनी में और यूक्रेन में जर्मन [सेना] को पूरी तरह दोहराया”) किसी ख़ास संघर्ष के दौरान देखे गए व्यवहार से संबंधित “अच्छे” कथन हैं.
इसलिए बोर्ड ने पाया कि रूसी सैनिकों के कामों की तुलना नाज़ियों के अपराधों के विशेष संदर्भ में करने की छूट कम्युनिटी स्टैंडर्ड में दी गई है, इस बात पर ध्यान दिए बगैर कि नाज़ियों से सामान्य तुलना की छूट है या नहीं. Meta की आंतरिक गाइडलाइन के अनुसार, जो सामग्री अन्यथा नफ़रत फैलाने वाली भाषा हो सकती है, वह पॉलिसी का उल्लंघन तब नहीं करेगी जब उसे “हिंसक अपराध या यौन हमले कर चुके” ग्रुप के खिलाफ़ टार्गेट किया जाए. ज़्यादा व्यापक रूप से, यह किसी ख़ास संदर्भ में मानवाधिकारों के उल्लंघनों के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करती, भले ही उन लोगों को उनके राष्ट्रीय मूल के रेफ़रेंस द्वारा पहचाना जाता हो.
बोर्ड ने आगे पाया कि “Kill him!” कविता की कंटेंट में उल्लेख की गई पंक्तियों (जैसे, “kill a fascist,” “kill at least one of them,” “kill him!”) को “हिंसा फैलाने वाली भाषा” नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि पोस्ट के शेष भाग के साथ पढ़े जाने पर बोर्ड यह समझता है कि यूज़र हिंसा के लिए प्रेरित करने के बजाय हिंसा के घटनाक्रमों की ओर ध्यान खींचना चाहता है.
अंत में, बोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि पोस्ट में रूसी सैनिकों को लड़ाकों के रूप में उनकी भूमिका के कारण टार्गेट किया गया है, न कि उनकी राष्ट्रीयता के कारण. क्लेम, किसी ग्रुप पर उनकी सुरक्षित विशिष्टताओं के “आधार पर” किए गए हमले नहीं हैं. इसमें आगे कहा गया है कि कंटेंट नफ़रत फैलाने वाली भाषा नहीं है, क्योंकि इसमें कोई सुरक्षित विशिष्टता शामिल नहीं है.
II. हिंसा और उकसावा
हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के तहत, अन्य तरह की अभिव्यक्तियों में से Meta उन अभिव्यक्तियों को हटा देता है जो “बहुत गंभीर हिंसा का आह्वान करती हैं,” “जिनमें बहुत गंभीर हिंसा की तरफ़दारी की जाती है” और “जो बहुत गंभीर हिंसा करने वाले आकांक्षापूर्ण या सशर्त कथन” होते हैं. मॉडरेटर्स के लिए कंपनी की आंतरिक गाइडलाइन आगे यह स्पष्ट करती है कि Meta इस कम्युनिटी स्टैंडर्ड को इस तरह समझता है कि उसमें “किसी एक्शन या किसी परामर्शी चेतावनी के संभावित परिणाम के तटस्थ रेफ़रेंस” के कथनों की परमिशन दी गई है. इसके अलावा, आंतरिक गाइडलाइन यह बताती हैं कि “जो कंटेंट हिंसक धमकियों की निंदा करता है या उनके खिलाफ़ जागरूकता फैलाता है,” उसकी परमिशन भी हिंसा और उकसावे की पॉलिसी में दी जाती है. यह उस कंटेंट पर भी लागू होता है जो “स्पष्ट रूप से किसी ख़ास विषय या समस्या पर अन्य लोगों को सूचित और शिक्षित करना चाहता है; या ऐसा कंटेंट जिसमें किसी व्यक्ति के धमकी या हिंसा का टार्गेट बनने के अनुभव की बात की जाती है.” इसमें शैक्षणिक और मीडिया रिपोर्ट शामिल हैं.
Meta ने बोर्ड को बताया कि उसने कंटेंट को रीस्टोर करने का फ़ैसला इसलिए किया क्योंकि पोस्ट में हिंसा की तरफ़दारी नहीं की गई थी. Meta ने यूज़र के इस कथन को कि बुचा की घटनाओं के बाद, “यूक्रेनियन भी इसे दोहराना चाहेंगे... और दोहराएँगे,” “संभावित परिणामों का तटस्थ रेफ़रेंस” माना, जिसे कंपनी के अनुसार हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के तहत छूट प्राप्त है. Meta यह भी कहता है कि सिमोनोव की कविता का उल्लेख, यूक्रेन में इतिहास दोहराने की संभावना के खिलाफ़ जागरूकता लाने का एक तरीका था. अंत में, इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि सिमोनोव की कविता जर्मन फाँसीवादियों की खिलाफ़त करती है, उसने बताया कि व्यक्तियों के खिलाफ़ हिंसा की तरफ़दारी को खतरनाक लोग और संगठन पॉलिसी में कवर किया गया है, जैसे नाज़ी शब्द को हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में छूट प्राप्त है.
बोर्ड इस कारण से आंशिक रूप से सहमत है. वह इस बात से सहमत है कि “यूक्रेनियन भी इसे दोहराना चाहेंगे... और दोहराएँगे” वाक्य न तो हिंसा का आह्वान करता है और न ही उसकी तरफ़दारी करता है. शब्दशः पढ़े जाने पर पोस्ट का यह भाग बस यही कहता है कि यूक्रेनियन लोग रूसी सेना की कार्रवाइयों का उसी हिंसक तरीके से जवाब दे सकते हैं जिस तरीके से सोवियत लोगों ने नाज़ियों को दिया था. दूसरे शब्दों में, यह “संभावित परिणामों का तटस्थ रेफ़रेंस” है जिसे हिंसा और उकसावे की पॉलिसी की Meta की व्याख्या में छूट दी गई है और कंटेंट मॉडरेटर्स को दी गई आंतरिक गाइडलाइन में इसे स्पष्ट किया गया है.
बोर्ड ने यह भी पाया कि कविता “Kill him!” के ऊपर दिए गए सेक्शन में उल्लेखित हिंसक भाषा वाले अंशों को मानसिक स्थिति का वर्णन करने वाला समझा जा सकता है, न कि उकसाने वाला. फ़ोटोग्राफ़िक इमेज सहित पूरी पोस्ट के साथ मिलाकर पढ़ने पर, ये अंश एक व्यापक मैसेज का भाग दिखाई देते हैं जो यूक्रेन में इतिहास दोहराए जाने की आशंका की चेतावनी देते हैं. वे एक कलात्मक और सांस्कृति संदर्भ हैं जिनका उपयोग यूज़र द्वारा अपना मैसेज पहुँचाने के लिए अलंकारपूर्ण तरीके से किया गया है. इसलिए, बोर्ड इस नतीजे पर पहुँचा कि कंटेंट के इस भाग को भी Meta की आंतरिक गाइडलाइन में छूट प्राप्त है.
हालाँकि, बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि पोस्ट का विश्लेषण करते समय Meta तब अव्यावहारिक था जब उसने पोस्ट को नाज़ियों के खिलाफ़ सिर्फ़ हिंसा का आह्वान समझा. यूज़र यह स्पष्ट करता है कि वह यूक्रेन में रूसी सैनिकों की उपस्थिति को द्वितीय विश्व युद्ध में रूस में जर्मन लोगों की उपस्थिति की तरह समझता है. उस सीमा तक जहाँ तक पोस्ट को, सिमोनोव की कविता के उल्लेख सहित, नागरिकों पर अभी अत्याचार कर रहे सैनिकों का संदर्भ देने वाली समझा जा सकता है, वहाँ तक यह जोखिम है कि पाठक इसे आज रूसी सैनिकों पर हिंसा का आह्वान समझ सकते हैं. इसके बावजूद, बोर्ड Meta के इस निष्कर्ष से सहमत है कि पोस्ट हिंसा और उकसावे के स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करती क्योंकि इस संदर्भ में इसका मुख्य अर्थ हिंसा के घटनाक्रमों की चेतावनी देना है.
III. हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट
अपनी हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट की पॉलिसी के तहत, Meta कंटेंट में चेतावनी वाले लेबल लगाता है “ताकि हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट को क्लिक करके देखने से पहले लोगों को इसकी जानकारी रहे.” “एक या उससे ज़्यादा लोगों की दुर्घटना या हत्या से होने वाली हिंसक मृत्यु दिखाने वाली फ़ोटो” के साथ यही केस है. मॉडरेटर्स के लिए अपनी आंतरिक गाइडलाइन में, Meta ने “हिंसक मृत्यु का संकेत” ऐसी ग्राफ़िक फ़ोटो को बताया है जो “किसी ऐसी हिंसक मृत्यु के बाद ली गई हो जिसमें पीड़ित मृत या अशक्त दिखाई पड़ता हो और जहाँ हिंसा के दिखाई देने वाले अन्य चिह्न भी हों,” जैसे “शरीर पर घाव, पीड़ित के आसपास खून, फूला हुआ या फीका शरीर या मलबे से निकाले गए शरीर.” आंतरिक गाइडलाइन में आगे बताया गया है कि अगर शरीर पर “हिंसक मृत्यु का कोई स्पष्ट संकेत” न हो या “उसमें हिंसा का कम से कम एक संकेत भी न हो” तो उसे “हिंसक मृत्यु” का चित्रण नहीं माना जाना चाहिए.
कंटेंट में शामिल फ़ोटो में एक सड़क का दृश्य है जहाँ एक व्यक्ति अभी भी ज़मीन पर पड़ा हुआ है. शरीर पर कोई भी घाव दिखाई नहीं दे रहा है. Meta ने यह कन्फ़र्म किया कि उस व्यक्ति को बुचा, यूक्रेन में मारा गया था. बोर्ड ने यह देखा कि यह ज़रूरी नहीं है कि बड़े पैमाने पर काम करने वाले कंटेंट मॉडरेटर्स के पास इस तरह की जानकारी की एक्सेस हो. बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स ने माना कि हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी का उल्लंघन नहीं हुआ क्योंकि फ़ोटोग्राफ़िक इमेज में हिंसा के स्पष्ट दिखाई देने वाले संकेत नहीं हैं, जैसा कि कंटेंट मॉडरेटर्स के लिए Meta के आंतरिक गाइडलाइन में बताया गया है. इसलिए, अधिकांश मेंबर्स ने निष्कर्ष निकाला कि चेतावनी स्क्रीन नहीं लगाई जानी चाहिए थी.
यूक्रेन के सशस्त्र संघर्ष और फ़ोटो में दिखाए गए मलबे के संदर्भ में, बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स ने पाया कि कंटेंट से हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता.
IV. एन्फ़ोर्समेंट एक्शन
एक यूज़र द्वारा कंटेंट को हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट के लिए रिपोर्ट किया गया था लेकिन उसे नफ़रत फैलाने वाली भाषा की पॉलिसी के तहत हटाया गया. बोर्ड द्वारा Meta के ध्यान में लाए जाने के बाद ही इसे रीस्टोर किया गया था. बोर्ड के सवालों के जवाब में, Meta ने बताया कि केस के कंटेंट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए पॉलिसी या विषयवस्तु विशेषज्ञों को नहीं भेजा गया था. "रिव्यू के लिए भेजा गया" का मतलब है कि फ़ैसले पर बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले कंटेंट मॉडरेटर्स द्वारा फिर से विचार किए जाने के बजाय उसे Meta की आंतरिक टीम को भेजा जाता है जो प्रासंगिक पॉलिसी या विषय क्षेत्र के लिए ज़िम्मेदार होती है.
8.2 Meta की वैल्यू का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को हटाना और उसमें शामिल फ़ोटो पर चेतावनी स्क्रीन लगाना, Meta की वैल्यू के अनुसार नहीं है.
बोर्ड, रूसी नागरिकों की स्थिति और रूसी लोगों को सामान्य तौर पर टार्गेट करने वाली हिंसा फैलाने वाली भाषा के संभावित असर को लेकर चिंतित है. हालाँकि, इस केस में बोर्ड ने पाया कि कंटेंट उन लोगों की “गरिमा” और “सुरक्षा” को वास्तविक रूप से जोखिम में नहीं डालता जो “वॉइस” की वैल्यू को हटाने को उचित बताएँगे, ख़ास तौर पर ऐसे संदर्भों में जहाँ Meta को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि युद्ध द्वारा प्रभावित यूज़र्स उसकी जटिलताओं की चर्चा कर पाएँ.
8.3 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को हटाने का Meta का शुरुआती फ़ैसला और कंटेंट पर चेतावनी स्क्रीन लगाने का फ़ैसला, दोनों एक बिज़नेस के रूप में Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुसार नहीं थे. Meta, बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों (UNGP) के तहत मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है. Facebook की कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी में बताया गया है कि इसमें नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (ICCPR) शामिल है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी (अनुच्छेद 19 ICCPR)
अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का दायरा बहुत बड़ा है. ICCPR का अनुच्छेद 19, पैरा. 2 अभिव्यक्ति के लिए ज़्यादा सुरक्षा देता है, जिसमें कलात्मक अभिव्यक्ति, राजनीतिक मामलों पर और सार्वजनिक मामलों पर कमेंटरी शामिल है. साथ ही मानवाधिकारों और ऐतिहासिक क्लेम की चर्चाएँ भी शामिल हैं ( सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11 और 49). यहाँ तक कि ऐसी अभिव्यक्ति जिसे “अत्यंत आपत्तिजनक” माना जा सकता हो, भी सुरक्षा की हकदार है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11). इस केस में बोर्ड द्वारा विश्लेषण किए जा रहे कंटेंट में कठोर भाषा का उपयोग किया गया है. हालाँकि, इसका संबंध राजनीतिक संवाद से है और युद्ध के संदर्भ में मानवाधिकार के दुरुपयोग की ओर ध्यान खींचती है.
इस केस से जुड़े कंटेंट में युद्ध से जुड़ी एक प्रसिद्ध कविता की पंक्तियों का उल्लेख किया गया है, जिसका उपयोग यूज़र ने अपनी ऑडियंस को शिक्षित करने और यूक्रेन में रूसी सैनिकों की कार्रवाइयों के संभावित परिणामों की चेतावनी देने के लिए उत्तेजक सांस्कृतिक रेफ़रेंस के रूप में किया है. अभिव्यक्ति की आज़ादी के संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में यह कहा गया है कि कलात्मक अभिव्यक्ति में “ऐसी वास्तविक और अवास्तविक कहानियाँ शामिल होती हैं जो शिक्षित करती हैं या दूसरे मार्ग पर ले जाती हैं या उकसाती हैं” ( A/HRC/44/49/Add.2, पैरा. 5).
ICCPR के अनुच्छेद 19 के तहत यह ज़रूरी है कि जहाँ अभिव्यक्ति पर देश द्वारा प्रतिबंध लागू है, वहाँ उन्हें वैधानिकता, वैध लक्ष्य और आवश्यकता और अनुपातिकता की शर्तें पूरी करनी होंगी (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र का विशेष रैपर्टर, सोशल मीडिया कंपनियों को ऑनलाइन अभिव्यक्ति को मॉडरेट करते समय इन सिद्धांतों के मार्गदर्शन में काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है ( A/HRC/38/35, पैरा. 45 और 70).
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार अभिव्यक्ति पर रोक लगाने के लिए देशों के द्वारा उपयोग किए जाने वाले नियम स्पष्ट और आसानी से उपलब्ध होने चाहिए (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 25). मानवाधिकार समिति ने आगे कहा है कि नियम "उनका कार्यान्वयन करने वाले लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाने के निरंकुश निर्णय नहीं लेने दे सकते" (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 25). लोगों के पास यह तय करने के लिए पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए कि क्या उनकी अभिव्यक्ति पर रोक लगाई जा सकती है और किस तरह लगाई जा सकती है, ताकि इसके हिसाब से वे अपने व्यवहार में बदलाव ला सकें. अगर Facebook के लिए Meta के कंटेंट के नियमों की बात करें, तो यूज़र्स को यह समझ में आना चाहिए कि क्या करने की छूट है और क्या प्रतिबंधित है.
हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड को कैसे एन्फ़ोर्स करना है, इस बारे में Meta की आंतरिक गाइडलाइन के दो सेक्शन, Meta और बोर्ड द्वारा प्राप्त इस निष्कर्ष के लिए ख़ास तौर पर प्रासंगिक हैं कि कंटेंट को Facebook पर रहना चाहिए. पहला, Meta समझता है कि इस पॉलिसी में थर्ड पार्टी द्वारा हिंसा की आशंका की चेतावनी देने वाले मैसेज की परमिशन है, अगर वे “किसी एक्शन या किसी परामर्शी चेतावनी के संभावित परिणाम के तटस्थ रेफ़रेंस” के कथन हैं. दूसरा, अन्यथा उल्लंघन करने वाले कंटेंट की उस स्थिति में परमिशन है जब वह “हिंसक धमकियों की निंदा करता है या उनके खिलाफ़ जागरूकता फैलाता है.” हालाँकि, बोर्ड ने पाया कि ये आंतरिक गाइडलाइन, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में शामिल नहीं हैं. इससे यूज़र्स यह मान सकते हैं कि इस केस में शामिल पोस्ट जैसा कंटेंट उल्लंघन करता है, जबकि वह ऐसा नहीं करता. Meta को इन सेक्शन को हिंसा और उकसावे की पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में शामिल करना चाहिए, ताकि वह यूज़र्स के लिए पर्याप्त रूप से स्पष्ट हो. बोर्ड को इस बात की जानकारी है कि Meta की कंटेंट की पॉलिसी के बारे में ज़्यादा जानकारी प्रकाशित करने से गलत इरादों वाले यूज़र्स को ज़्यादा आसानी से कम्युनिटी स्टैंडर्ड में हस्तक्षेप करने में मदद मिलेगी. बोर्ड यह मानता है कि स्पष्टता और विशिष्टता की ज़रूरत इस बात से ज़्यादा महत्व रखती है कि कुछ यूज़र्स “सिस्टम से खिलवाड़” करने की कोशिश कर सकते हैं. इस बात की जानकारी न होना कि हिंसक धमकियों के “किसी संभावित परिणाम के तटस्थ रेफ़रेंस,” उनके लिए “परामर्शी चेतावनी,” उनकी “निंदा करने” या उनके प्रति “जागरूकता फैलाने” की परमिशन है, यूज़र्स को Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर जनहित की चर्चाएँ शुरू करने या उनसे जुड़ने से रोक सकता है.
बोर्ड इस बात से भी चिंतित है कि इस केस में, चेतावनी स्क्रीन लगाने का Meta का फ़ैसला, कंटेंट मॉडरेटर्स के लिए उपलब्ध उसकी आंतरिक गाइडलाइन के अनुसार नहीं है. इसके अलावा, हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी की Meta की व्याख्या यूज़र्स के लिए स्पष्ट नहीं है. Meta को पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में यह स्पष्ट करना चाहिए कि कंपनी, पॉलिसी को किस तरह समझती है और वह कंटेंट मॉडरेटर्स के लिए Meta की आंतरिक गाइडलाइन के अनुसार यह कैसे निर्धारित करती है कि संघर्ष के संदर्भ में कोई फ़ोटो “एक या उससे ज़्यादा लोगों की दुर्घटना या हत्या के कारण होने वाली हिंसक मृत्यु दिखाती” है या नहीं.
इसके अलावा, Meta ने बोर्ड को बताया कि जिस यूज़र ने कंटेंट की मूल रूप से रिपोर्ट की थी, उसे यह जानकारी देने वाला कोई मैसेज नहीं भेजा गया कि कंपनी ने पोस्ट को बाद में रीस्टोर कर दिया है. यह कानूनी चिंताएँ उत्पन्न करता है क्योंकि यूज़र्स के लिए प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध न होने से “कंटेंट एक्शन को चैलेंज करने या कंटेंट से जुड़ी शिकायतों पर फ़ॉलो-अप करने की किसी व्यक्ति की योग्यता” में रुकावट आ सकती है ( A/HCR/38/35, पैरा. 58). बोर्ड ने देखा कि रिपोर्ट करने वाले व्यक्ति को रिपोर्ट किए गए कंटेंट पर लिए गए एन्फ़ोर्समेंट एक्शन और लागू किए गए प्रासंगिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड की सूचना देने से यूज़र्स को Meta के नियमों को बेहतर तरीके से समझने और उनका पालन करने में मदद मिलेगी.
II. वैधानिक लक्ष्य
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर किसी भी प्रतिबंध का उद्देश्य “वैधानिक लक्ष्य” प्राप्त करना ही होना चाहिए. बोर्ड ने पहले यह माना है कि नफ़रत फैलाने वाली भाषा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड, दूसरे लोगों के अधिकारों की रक्षा करने (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 28) के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करते हैं जिसमें समानता और जातीयता और राष्ट्रीय मूल के आधार पर भेदभाव न करने के अधिकार शामिल हैं (अनुच्छेद 2, पैरा. 1, ICCPR). रूसी लोगों की नफ़रत से रक्षा करना इसलिए एक वैधानिक लक्ष्य है. हालाँकि, बोर्ड ने पाया कि उस समय गलत कामों के क्लेम से “सैनिकों” की रक्षा करना कोई वैधानिक लक्ष्य नहीं है, जब युद्ध के दौरान लड़ाकों के रूप में उनकी भूमिका के कारण उन्हें टार्गेट किया जा रहा हो, न कि उनकी राष्ट्रीयता या अन्य सुरक्षित विशिष्टता के आधार पर; सेना जैसी संस्थाओं की आलोचना पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 38).
उचित तरीके से बनाए और लागू किए जाने पर, हिंसा और उकसावे का स्टैंडर्ड, अन्य लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करता है. इस केस के संदर्भ में, यह पॉलिसी हिंसा को आगे बढ़ने से रोकना चाहती है, जिससे रूस-यूक्रेन संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की शारीरिक सुरक्षा (अनुच्छेद 9, ICCPR) और जीवन (अनुच्छेद 6, ICCPR) को नुकसान हो सकता है.
बोर्ड ने पाया कि किसी हमले के सशस्त्र विरोध के संदर्भ में हिंसा फैलाने वाली भाषा का मूल्यांकन करने में अतिरिक्त जटिलताएँ आती हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले को अंतरराष्ट्रीय रूप से गैर-कानूनी (A/RES/ES-11/1) माना गया है और उग्रता की ऐसी कार्रवाई के विरोध में आत्मरक्षा के लिए बलों का उपयोग करने की परमिशन है (अनुच्छेद 51, संयुक्त राष्ट्र चार्टर). अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में, युद्ध में शामिल पार्टियों के व्यवहार पर अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून सक्रिय लड़ाकों को सशस्त्र संघर्ष के दौरान वैधानिक रूप से टार्गेट करने की परमिशन देते हैं. यह उन लोगों पर लागू नहीं होता जो युद्ध में सक्रिय रूप से भाग नहीं ले रहे हैं, जिसमें युद्धबंदी शामिल हैं (अनुच्छेद 3, युद्धबंदियों से व्यवहार के संबंध में जिनेवा समझौता). जब अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हिंसा ख़ुद वैधानिक हो, तब ऐसी हिंसा करने के लिए कहने वाली भाषा, विचार करने के लिए अलग स्थिति प्रस्तुत करती है जिसका अलग से परीक्षण किया जाना चाहिए. भले ही बोर्ड ने इस केस में कंटेंट को उल्लंघन न करने वाला पाया है, बोर्ड ने Meta से कहा कि वह गैर-कानूनी सैन्य हस्तक्षेप की स्थितियों पर विचार करने के लिए अपनी पॉलिसी में बदलाव करे.
फ़ोटोग्राफ़ में चेतावनी स्क्रीन लगाने के कंपनी के फ़ैसले के रेफ़रेंस में, Meta ने कहा कि हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट की पॉलिसी का लक्ष्य “हिंसा का महिमामंडन करने वाले या दूसरे लोगों के कष्ट या अपमान का आनंद लेने वाले कंटेंट” को सीमित करके ऐसा माहौल बनाना है जो अलग-अलग लोगों की भागीदारी के लिए सुविधाजनक हो. बोर्ड इस बात से सहमत है कि समावेशी प्लेटफ़ॉर्म को बढ़ावा देने के Meta के लक्ष्य के संदर्भ में यह लक्ष्य वैधानिक है.
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; [और] जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए" (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 34).
हिंसक या नफ़रत फैलाने वाले कंटेंट द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले जोखिमों का आकलन करने के लिए, बोर्ड आम तौर पर छह कारकों वाले टेस्ट से मार्गदर्शन लेता है जिसकी जानकारी रबात एक्शन प्लान में दी गई है. यह टेस्ट राष्ट्रीय, नस्लीय या धार्मिक घृणा की तरफ़दारी का समाधान करता है जिससे शत्रुता, भेदभाव या हिंसा को उकसावा मिलता है. इस केस में, बोर्ड ने पाया कि जारी सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ और यूज़र द्वारा उपयोग किए गए सांस्कृति संदर्भों के बावजूद, इस बात की संभावना नहीं है कि पोस्ट, जो हिंसा के घटनाक्रमों की चेतावनी है, से कोई नुकसान होगा. बोर्ड इस नतीजे पर पहुँचा कि कंटेंट को शुरुआत में हटाने की ज़रूरत नहीं थी. इसके अलावा, बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने पाया कि चेतावनी स्क्रीन लगाने की ज़रूरत भी नहीं थी, जबकि कुछ सदस्यों ने माना कि ऐसा करना ज़रूरी और आनुपातिक दोनों था.
यहाँ प्रासंगिक कारणों पर विचार करते हुए, बोर्ड ने पाया कि यूक्रेन पर रूस के गैर-कानूनी हमले के संदर्भ के बावजूद, जहाँ भड़काने वाली भाषा से तनाव बढ़ सकता है, यूज़र के स्पष्ट उद्देश्य (युद्ध और उसके परिणामों के बारे में जागरूकता लाना), युद्ध से जुड़ी कविता का उल्लेख करते समय उपयोग की गई विचारात्मक शैली और यूक्रेन की डरावनी घटनाओं के बारे में अन्य कम्युनिकेशन के फैलाव का अर्थ है कि कंटेंट से हिंसा के गंभीर रूप से बढ़ने की कोई संभावना नहीं है.
बोर्ड के अधिकांश सदस्यों ने माना कि चेतावनी स्क्रीन का उपयोग करने से अभिव्यक्ति की आज़ादी में रुकावट आती है और इस मामले में ऐसा करना उचित प्रतिक्रिया नहीं है क्योंकि फ़ोटोग्राफ़िक इमेज में हिंसा के स्पष्ट दिखाई देने वाले संकेत नहीं हैं, जैसा कि मॉडरेटर्स के लिए Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में बताया गया है और जो चेतावनी स्क्रीन का उपयोग करने के लिए ज़रूरी है. सोशल मीडिया कंपनियों को समस्या वाले कंटेंट के कई तरह के संभावित जवाबों पर विचार करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रतिबंध कम से कम हों ( A/74/486, पैरा. 51). इस संबंध में, बोर्ड यह मानता है कि Meta को कस्टमाइज़ेशन टूल को आगे और डेवलप करना चाहिए ताकि यूज़र्स यह तय कर पाएँ कि वे Facebook और Instagram पर संवेदनशील आपत्तिजनक कंटेंट को चेतावनी स्क्रीन के साथ देखना चाहते हैं या उसके बिना.
बोर्ड के कुछ सदस्यों ने पाया कि चेतावनी स्क्रीन लगाना एक ज़रूरी और आनुपातिक उपाय था जिसमें भागीदारी और अभिव्यक्ति की आज़ादी को बढ़ावा देने के लिए सही बदलाव किए गए थे. ये कुछ सदस्य मानते हैं कि मृत व्यक्ति की गरिमा, ख़ास तौर पर सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में, और यूज़र्स की बड़ी संख्या पर मृत्यु और हिंसा दिखाने वाली फ़ोटो के संभावित असर को देखते हुए, Meta उस तरह के कंटेंट पर चेतावनी स्क्रीन लगाने की सावधानी बरत सकता है जैसा कि इस विश्लेषण में शामिल है.
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने कंटेंट को हटाने और बाद में यह निर्धारित करने के Meta के मूल फ़ैसले को पलट दिया कि हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट पॉलिसी का उल्लंघन हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी ने पोस्ट में मौजूद फ़ोटोग्राफ़िक इमेज पर चेतावनी स्क्रीन लगाई थी.
10. पॉलिसी से जुड़ी सलाह का कथन
कंटेंट पॉलिसी
1. Meta को अपने हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में यह जोड़ना चाहिए कि कंपनी के अनुसार पॉलिसी में “किसी कार्रवाई के संभावित परिणाम के तटस्थ रेफ़रेंस या परामर्शी चेतावनी” वाले कंटेंट और “हिंसक धमकियों की निंदा करने या उनके खिलाफ़ जागरूकता फैलाने” वाले कंटेंट की परमिशन है. बोर्ड यह अपेक्षा करता है कि अगर यह सुझाव लागू किया जाता है, तो Meta को इन बातों को शामिल करने के लिए हिंसा और उकसावे की पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा को अपडेट करना होगा.
2. Meta को अपने हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट के कम्युनिटी स्टैंडर्ड की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में अपनी आंतरिक गाइडलाइन से यह जानकारी जोड़नी चाहिए कि कंपनी यह किस तरह तय करती है कि कोई फ़ोटो “दुर्घटना या हत्या द्वारा एक या ज़्यादा लोगों की हिंसक मृत्यु दिखाती है या नहीं.” बोर्ड यह अपेक्षा करता है कि अगर यह सुझाव लागू किया जाता है, तो Meta को इन बातों को शामिल करने के लिए हिंसक और आपत्तिजनक कंटेंट के कम्युनिटी स्टैंडर्ड की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा को अपडेट करना होगा.
एन्फ़ोर्समेंट
3. Meta को कस्टमाइज़ेशन टूल लागू करने की संभावना का आकलन करना चाहिए जो 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र वाले यूज़र्स को यह तय करने की सुविधा दे कि Facebook और Instagram पर आपत्तिजनक कंटेंट को चेतावनी स्क्रीन के साथ देखना है या उसके बिना. बोर्ड यह अपेक्षा करता है कि अगर यह सुझाव लागू किया जाता है, तो Meta को अपने व्यवहार्यता आकलन के परिणाम प्रकाशित करने होंगे.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य इन पर सहमति देते हैं. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र शोध करवाया गया था. एक स्वतंत्र शोध संस्थान जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनिया भर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञों ने सामाजिक-राजनैतिक और सांस्कृतिक संदर्भ में विशेषज्ञता मुहैया कराई है. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता भी मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Lionbridge Technologies, LLC कंपनी ने भाषा संबंधी विशेषज्ञता की सेवा दी, जिसके विशेषज्ञ 350 से भी ज़्यादा भाषाओं में अपनी सेवाएँ देते हैं और वे दुनियाभर के 5,000 शहरों से काम करते हैं.