सही ठहराया
श्रीलंका फ़ार्मास्यूटिकल्स
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें श्रीलंका में आर्थिक संकट के समय दान में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स माँगने वाली एक Facebook पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया था.
यह फ़ैसला सिंहला और तमिल भाषा में भी उपलब्ध है.
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केस का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें श्रीलंका में आर्थिक संकट के समय दान में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स माँगने वाली एक Facebook पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया था. हालाँकि, बोर्ड ने पाया है कि पॉलिसी से गुप्त और मनमाने तरीके से छूट देना Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुरूप नहीं है. साथ ही बोर्ड ने “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट देने के बारे में पारदर्शिता और एकरूपता बढ़ाने के लिए सुझाव भी दिए हैं. यह छूट ऐसे मामलों में कंटेंट को परमिशन देती है जहाँ पॉलिसी को कठोरता से लागू करने पर ऐसा परिणाम आता है जो पॉलिसी के उद्देश्य से अलग है.
केस की जानकारी
अप्रैल 2022 को, श्रीलंका में एक मेडिकल ट्रेड यूनियन के Facebook पेज पर एक फ़ोटो पोस्ट की गई थी जिसमें लोगों से देश को दवाइयाँ और मेडिकल प्रोडक्ट दान करने के लिए कहा गया था. दान करने के लिए एक लिंक भी दिया गया था.
उस समय, श्रीलंका में गंभीर राजनैतिक और आर्थिक संकट चल रहा था जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गए थे. परिणामस्वरूप, श्रीलंका के पास दवाइयाँ इंपोर्ट करने के लिए धन नहीं था. श्रीलंका की मेडिकल आपूर्ति की 85% ज़रूरत इंपोर्ट से पूरी होती है. डॉक्टरों ने रिपोर्ट किया कि अस्पतालों में दवाइयों और ज़रूरी सामानों की कमी हो रही है और उन्होंने कहा कि उन्हें तात्कालिक स्वास्थ्य आपदा का डर है.
श्रीलंका में संकट के दौरान जोखिम की निगरानी करने वाली Meta की टीमों ने इस केस के कंटेंट की पहचान की. कंपनी ने पाया कि पोस्ट ने उसके प्रतिबंधित सामान और सेवाओं के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया जिसके अनुसार फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स माँगने वाला कंटेंट पोस्ट करना प्रतिबंधित है, लेकिन कंटेंट को “पॉलिसी की भावना” के आधार पर व्यापक छूट दी गई.
“पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट, उस कंटेंट को परमिशन देती है जहाँ पॉलिसी बनाने का कारण और Meta की वैल्यू के अनुसार नियमों को कठोरता से लागू करने के लिए परिणाम कुछ और होना चाहिए. व्यापक छूट, सिर्फ़ इंडिविजुअल पोस्ट के बजाय कंटेंट की पूरी कैटेगरी पर लागू होती है. प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी बनाने के कारण में “सुरक्षा को बढ़ावा देना” शामिल है. Meta ने इस केस को बोर्ड को रेफ़र किया.
मुख्य निष्कर्ष
ओवरसाइट बोर्ड ने पाया कि पोस्ट प्रतिबंधित सामान और सेवाओं के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करती है. हालाँकि, उसने पाया कि इस और मिलते-जुलते कंटेंट को परमिशन देने के लिए “पॉलिसी की भावना” के आधार पर व्यापक छूट देना सही था और Meta की वैल्यू और मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुरूप था.
श्रीलंका के संकट के संदर्भ में, जहाँ लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को गंभीर खतरा था, इस छूट से “सुरक्षा को बढ़ावा देने” के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लक्ष्य और स्वास्थ्य के मानवाधिकार की पूर्ति हुई. दवाइयों के दान की परमिशन देने से जोखिम उत्पन्न हो सकता है, लेकिन श्रीलंका में दवाइयों की अत्यधिक ज़रूरत को देखते हुए Meta के एक्शन सही थे.
हालाँकि, बोर्ड इस बात से चिंतित है कि Meta के अनुसार “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट श्रीलंका के मार्केट के अलावा श्रीलंका से बाहर सिंहला में पोस्ट किए गए कंटेंट पर भी लागू “हो सकती” है. Meta को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए कि उसकी छूट कहाँ लागू होंगी. उसे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि असावधानीवश होने वाले भेदभाव से बचने के लिए, व्यापक छूट देते समय उन लोगों की जातीय और भाषाई विविधता पर ध्यान दिया जाए जिन्हें उस छूट से असर पड़ सकता है. श्रीलंका में दो आधिकारिक भाषाएँ हैं, सिंहला और तमिल. तमिल भाषा ज़्यादातर तमिल और मुस्लिम अल्पसंख्यकों द्वारा बोली जाती है.
बोर्ड ने यह भी पाया कि मानवाधिकार से जुड़ी अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने के लिए Meta को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट के बारे में यूज़र्स की समझ बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए. साथ ही उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छूट को एकरूपता से लागू किया जाए.
जब कंटेंट को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट दी जाती है, तो कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स को इसकी सूचना नहीं दी जाती. यूज़र्स के पास यह जानने का कोई तरीका भी नहीं है कि ऐसी छूट दी जाती है. “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट को कम्युनिटी स्टैंडर्ड में भी नहीं बताया गया है और Meta ने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में भी जानकारी प्रकाशित नहीं की है जबकि ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की जानकारी वहाँ है जिसका आंशिक श्रेय बोर्ड को जाता है. Meta की पॉलिसी से गुप्त रूप से और मनमाने तरीके से दी जाने वाली छूट, Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुरूप नहीं है.
ऐसा लगता है कि यह निगरानी करने का कोई स्पष्ट मानदंड नहीं है कि “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट कब दी जाती है और कब समाप्त की जाती है. फ़ैसलों की एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड ऐसे मानदंड की ज़रूरत पर ज़ोर देता है और यह सुझाव देता है कि Meta उन्हें सार्वजनिक करे. उसने यह भी पाया कि जहाँ Meta एक ही काम के लिए किसी छूट का नियमित रूप से उपयोग करता है, वहाँ उसे इस बात का आकलन करना चाहिए कि क्या प्रासंगिक पॉलिसी में स्टैंडअलोन अपवाद की ज़रूरत है.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने Facebook पर पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
बोर्ड ने Meta को सुझाव भी दिया कि वह:
- अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट के बारे में जानकारी प्रकाशित करे जिसमें वे मापदंड शामिल हैं जिनका उपयोग Meta यह तय करने के लिए करता है कि क्या छूट को व्यापक होना चाहिए.
- कम्युनिटी स्टैंडर्ड में यह समझाए कि छूट तब दी जा सकती है जब पॉलिसी बनाने के कारण और Meta की वैल्यू के अनुसार परिणाम, नियमों के कठोरता से पालन के बजाय कुछ और होना चाहिए. इसे ट्रांसपेरेंसी सेंटर में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट की जानकारी से लिंक किया जाना चाहिए.
- जब यूज़र्स द्वारा रिपोर्ट किए गए कंटेंट को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट दी जाए, तो उन्हें इसकी सूचना दी जाए.
- “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट देने के बारे में ट्रांसपेरेंसी सेंटर में संख्या सहित सार्वजनिक रूप से एग्रीगेट किया गया डेटा और प्रभावित क्षेत्र और भाषाएँ शेयर करे.
* केस के सारांश से केस का ओवरव्यू पता चलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. फ़ैसले का सारांश
बोर्ड ने Meta के उस फ़ैसले को कायम रखा जिसमें श्रीलंका में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग का दान माँगने वाली एक पोस्ट को Facebook पर बनाए रखा गया था. Meta के प्रतिबंधित सामान और सेवाओं के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के बावजूद, Meta ने कंटेंट को “पॉलिसी का भावना” से जुड़ी व्यापक छूट देते हुए Facebook पर बनाए रखा. इस छूट से उस कंटेंट को 27 अप्रैल से 10 नवंबर 2022 के बीच प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने की परमिशन मिली जिसमें लोगों से फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग माँगी गई थीं या उन्हें दान या गिफ़्ट में देने की रिक्वेस्ट की गई थी. बोर्ड ने पाया कि श्रीलंका के गंभीर और गहराते हुए राजनैतिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी संकट को देखते हुए यह छूट सही थी लेकिन उसने Meta से कहा कि वह यूज़र्स को इस बारे में ज़्यादा जानकारी दे कि “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट कैसे दी जाती है, ख़ास तौर पर संकट के समय में.
2. केस की जानकारी और बैकग्राउंड
अप्रैल 2022 को Facebook के एक यूज़र ने श्रीलंका में मेडिकल ट्रेड यूनियन के Facebook पेज पर एक फ़ोटो पोस्ट की. फ़ोटो में “दान करें” लिखा हुआ एक बटन था और अंग्रेज़ी में लिखे गए कैप्शन में बताया गया था कि वे दिए गए लिंक पर क्लिक करके किस तरह श्रीलंका को दवाइयों और मेडिकल सामानों का दान कर सकते हैं. कैप्शन में दिया लिंक, ट्रेड यूनियन की बाहरी वेबसाइट पर मौजूद एक पेज पर ले जाता था जहाँ श्रीलंका में स्वास्थ्य के क्षेत्र में संकट की जानकारी दी गई थी और यह कहा गया था कि स्वास्थ्य से जुड़े सिस्टम की सहायता के लिए यह ज़रूरी है कि लोग फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स का दान करें. वेबपेज पर दानकर्ताओं के लिए निर्देश भी दिए गए थे जिनमें ये प्राप्त करना शामिल था: 1) दान की गई दवाइयों के प्राप्तकर्ताओं का एक पत्र; 2) एक वाणिज्यिक इनवॉइस जिसमें दवाइयों का प्रकार, मात्रा और मूल्य दिया गया हो; और 3) दवाइयों के लेबल की स्कैन की गई फ़ोटो. इस पोस्ट को 80,000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका है, लगभग 1,000 बार शेयर किया जा चुका है और किसी ने भी इस पोस्ट की रिपोर्ट नहीं की है.
जब कंटेंट पोस्ट किया गया था, तब श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट चल रहा था जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गए थे. श्रीलंका के कई नागरिकों ने देश के आर्थिक संकट में सरकार के सदस्यों की भूमिका होने के कारण उनके खिलाफ़ प्रदर्शन किए. जून 2022 को, संयुक्त राष्ट्र ने रिपोर्ट किया कि लगभग तीन-चौथाई जनसंख्या ने देश में भोजन की गंभीर कमी के कारण खाना कम कर दिया था. श्रीलंका की मेडिकल आपूर्ति का पचासी प्रतिशत हिस्सा अन्य देशों से आता है, ख़ास तौर पर भारत से. मुद्रा के संकट का अर्थ था कि श्रीलंका के पास इन दवाइयों को इंपोर्ट करने के लिए पैसा नहीं था. अप्रैल 2022 में पूरे श्रीलंका के डॉक्टरों ने रिपोर्ट किया कि अस्पतालों में दवाइयों और ज़रूरी सामानों की कमी हो रही है और उन्होंने कहा कि उन्हें तात्कालिक स्वास्थ्य आपदा का डर है. नियमित मेडिकल प्रोसीज़र्स को रोक दिया गया था और डॉक्टरों को डर था कि मृत्यु दर कई गुना बढ़ जाएगी. सितंबर 2022 में, श्रीलंका मे मौजूद संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) आगे आया और उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिल कर देश के लिए अत्यावश्यक और ज़रूरी दवाइयाँ और मेडिकल आपूर्ति खरीदी और डिलीवर की. इस काम में संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपातकाल प्रतिसाद कोष (CERF) ने आर्थिक सहायता की.
Meta की ग्लोबल ऑपरेशन टीम ने श्रीलंका में चल रहे संकट के दौरान जोखिम की निगरानी के अपने प्रयासों के दौरान इस केस में विचाराधीन कंटेंट की पहचान की. कंपनी ने कहा कि अत्यधिक जोखिम वाले ईवेंट में इस तरह की निगरानी की जाती है और इसे टीम की विशेषज्ञता और प्लेटफ़ॉर्म से बाहर की स्थितियों के उसके आकलन के आधार पर शुरू किया जाता है. Meta की कंटेंट पॉलिसी टीम के पास पहुँचने से पहले, केस के कंटेंट को दो बार अतिरिक्त रिव्यू के लिए एस्केलेट किया गया था.
Meta ने इस पोस्ट और श्रीलंका में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग माँगने, दान करने या गिफ़्ट करने की कोशिशों से जुड़े सभी अन्य कंटेंट को परमिशन देने के लिए “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी समयबद्ध और व्यापक छूट दी. Meta, “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट तब देता है जब प्रासंगिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड के सख्त उपयोग से ऐसे परिणाम मिलते हैं जो पॉलिसी बनाने के कारण और उद्देश्यों के अनुरूप नहीं होते. पॉलिसी से व्यापक छूट ऐसी सामान्य छूट होती है जो उन सभी कंटेंट पर लागू होती है जो किसी ख़ास शर्त को पूरा करते हैं. ऐसी छूट सिर्फ़ Meta की आंतरिक टीमों द्वारा एस्केलेशन होने पर दी जा सकती है. एक बार जारी किए जाने के बाद, पॉलिसी से व्यापक छूट का एन्फ़ोर्समेंट बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले रिव्यूअर्स द्वारा किया जाता है. “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट 27 अप्रैल 2022 को दो हफ़्तों के लिए जारी की गई थी (27 अप्रैल 2022 से लेकर 10 मई 2022 तक). समय-समय पर रिव्यू और नवीनीकृत करके छूट को कई बार बढ़ाया गया था.
10 नवंबर 2022 (छूट खत्म होने की तारीख) के बाद से Meta उन सभी कंटेंट का प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी के अनुसार रिव्यू करता है और बिना किसी छूट के पॉलिसी एन्फ़ोर्स करता है जिनमें श्रीलंका में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स माँगी जाती हैं या जिन्हें दान या गिफ़्ट करने के लिए कहा जाता है.
Meta ने यह कहते हुए यह केस बोर्ड को रेफ़र किया कि केस में फ़ैसला लेना काफ़ी मुश्किल है, क्योंकि इसमें “सुरक्षा” और “अभिव्यक्ति” की विरोधी वैल्यू के बीच संतुलन बनाना होगा और यह फ़ैसला बेहद अहम है, क्योंकि यह श्रीलंका के आर्थिक संकट से संबंधित है और इससे तय होगा कि मेडिकल ड्रग्स की कमी के कारण हो सकने वाली मौतों को रोका जा सकेगा या नहीं. Meta ने बोर्ड से यह मूल्यांकन करने की माँग की है कि कंपनी अपनी प्रतिबंधित सामान और सेवाओं से जुड़ी पॉलिसी में अस्थायी और क्षेत्र विशेष में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट किस तरह लागू कर रही है, ख़ास तौर पर संकट या संघर्ष की स्थिति में.
3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप
बोर्ड के पास उन फ़ैसलों को रिव्यू करने का अधिकार है, जिन्हें Meta रिव्यू के लिए सबमिट करता है (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 2, सेक्शन 2.1.1). बोर्ड, Meta से यह रिक्वेस्ट कर सकता है कि Meta अपने फ़ैसले बोर्ड को रेफ़र करे.
बोर्ड Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर भी बोर्ड के फ़ैसले को लागू करने की संभावना का आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाहों के साथ पॉलिसी से जुड़े सुझाव हो सकते हैं, जिन पर Meta को जवाब देना होगा (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; आर्टिकल 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है.
4. अथॉरिटी और मार्गदर्शन के सोर्स
इस केस में बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड और पुराने फ़ैसलों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया:
I. ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले:
ओवरसाइट बोर्ड के कुछ सबसे प्रासंगिक पुराने फ़ैसलों में ये शामिल हैं:
- “ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन” ( 2022-013-FB-UA): यह केस इस बात से संबंधित था कि किस तरह Meta की पॉलिसी से संबंधित ओवरराइड करने वाली अन्य छूट, ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट, संकट के समय लागू की जा सकती है. बोर्ड ने यह सुझाव दिया कि Meta, ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी गई छूट के बारे में लोगों को ज़्यादा डेटा उपलब्ध कराए और यह कि जब ऐसी छूट दी जाए, तो कंपनी उसे अनाउंस करे.
- “कोलंबिया के विरोध प्रदर्शन” ( 2021-010-FB-UA): यह केस ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट से संबंधित था. बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta “ऐसे कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले सभी यूज़र्स को सूचना दे जिसे आकलन के बाद उल्लंघन करने वाला पाया गया हो लेकिन जिसे ख़बरों में रहने लायक होने के कारण जनहित में प्लेटफ़ॉर्म पर रहने दिया गया हो. नोटिस में ट्रांसपेरेंसी सेंटर में ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की व्याख्या का लिंक दिया जाना चाहिए.
- “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” ( 2021-001-FB-FBR): यह केस इस बात से संबंधित था कि Meta, संकट के समय किस तरह प्रतिक्रिया देता है और पॉलिसी से किस तरह छूट देता है. बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta “ऐसी पॉलिसी बनाकर उसे प्रकाशित करे जो ऐसे संकटों या नई तरह की स्थितियों को लेकर उसकी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करे, जहाँ उसकी सामान्य प्रोसेस के ज़रिए तात्कालिक नुकसान से बचना मुश्किल होगा.”
II. Meta की कंटेंट पॉलिसी:
प्रतिबंधित सामान और सेवाओं का कम्युनिटी स्टैंडर्ड
प्रतिबंधित सामान और सेवाओं के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत, Meta “व्यक्तियों, निर्माताओं और रिटेलर की कुछ ख़ास सामानों और सेवाओं को खरीदने, बेचने, लॉटरी करने, गिफ़्ट करने, ट्रांसफ़र करने या ट्रेड करने की कोशिश को रोकता है.” इसमें "फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स दान करने या गिफ़्ट करने की कोशिशों” के साथ-साथ “फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की माँग करना शामिल है, उस स्थिति को छोड़कर जब कंटेंट के ज़रिए मेडिकल संदर्भ में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स को खरीदने की योग्यता, उनकी उपलब्धता या उनके प्रभाव के बारे में चर्चा की जा रही हो." इस कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लिए पॉलिसी बनाने का कारण, संभावित रूप से हानिकारक एक्टिविटी को रोकते हुए सुरक्षा को बढ़ावा देता है. इस कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत, “फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स” उन्हें कहा जाता है “जिन्हें लेने के लिए डॉक्टर की पर्ची या चिकित्सा पेशेवर की ज़रूरत होती है.”
पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट
Meta, उस स्थिति में कंटेंट को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट दे सकता है जब पॉलिसी बनाने के कारण (वह टेक्स्ट जो हर कम्युनिटी स्टैंडर्ड को प्रस्तुत करता है) और Meta की वैल्यू के अनुसार परिणाम, नियमों (वे नियम जिन्हें “यह पोस्ट न करें” सेक्शन में और प्रतिबंधित कंटेंट की लिस्ट में शामिल किया गया है) के कठोरता से पालन के बजाय कुछ और होना चाहिए.
इस केस में, Meta ने उस कंटेंट को परमिशन देने के लिए “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट दी जिसमें श्रीलंका में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की माँग की गई थी या उन्हें दान या गिफ़्ट करने के लिए कहा गया था. ऐसा आर्थिक संकट और दवाइयों की अत्यधिक ज़रूरत को देखते हुए किया गया था. बोर्ड को दिए अपने जवाबों में Meta ने कहा कि यह छूट श्रीलंका में पोस्ट किए गए कंटेंट पर लागू होती है और यह कि उनकी “मार्केट रूटिंग” के कारण “इसमें श्रीलंका के बाहर सिंहला भाषा में पोस्ट किया गया कंटेंट भी शामिल हो सकता है.” Meta ने यह उल्लेख नहीं किया कि श्रीलंका के बाहर तमिल भाषा, जो देश की दूसरी आधिकारिक भाषा है, में पोस्ट किए गए कंटेंट पर भी छूट लागू होती है.
बोर्ड के विश्लेषण में Meta की “अभिव्यक्ति” की वैल्यू, जिसे कंपनी “सर्वोपरि” बताती है, और उसकी “सुरक्षा” की वैल्यू से भी सहायता मिली.
III. Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ
बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने स्वीकृति दी है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढाँचा तैयार करते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया.
इस केस में बोर्ड ने Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण इन अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए किया:
- विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार: अनुच्छेद 19, नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), सामान्य टिप्पणी सं. 34, मानव अधिकार समिति, 2011 विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के ख़ास रैपर्टर की रिपोर्ट: A/HRC/38/35 (2018) और A/74/486 (2019).
- जीवन का अधिकार: अनुच्छेद 6, ICCPR.
- स्वास्थ्य का अधिकार: अनुच्छेद 12, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICESCR); सामान्य कमेंट सं. 14, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार समिति, (2000).
5. यूज़र सबमिशन
पोस्ट के लेखक को बोर्ड के रिव्यू के बारे में सूचित किया गया और उसे बोर्ड के समक्ष कथन सबमिट करने का अवसर दिया गया. यूज़र ने कोई कथन सबमिट नहीं किया.
6. Meta के सबमिशन
Meta ने बोर्ड को बताया कि उसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड ऐसे कंटेंट की परमिशन नहीं देते जिसमें फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की माँग की गई हो, लेकिन कंपनी ने पाया कि “श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की ज़रूरत बढ़ने को देखते हुए प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी बनाने के कारण के तहत छूट देना सही है.” पॉलिसी बनाने के कारण में कहा गया है कि इस पॉलिसी का लक्ष्य “सुरक्षा को बढ़ावा देना और संभावित रूप से हानिकारक एक्टिविटी को रोकना है.” Meta ने यह भी कहा कि व्यापक छूट देने का फ़ैसला लेना “ख़ास तौर पर चुनौतीपूर्ण” था क्योंकि इसके लिए Meta को “संकट के दौरान श्रीलंका के लोगों की ज़रूरतों और कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर लोगों द्वारा संभावित रूप से हानिकारक ड्रग्स का आदान-प्रदान करने की परमिशन देने के जोखिम के बीच संतुलन” बनाकर रखना था. Meta ने यह भी कहा कि श्रीलंका सहित अधिकांश देशों में “दवाइयों के डिस्ट्रिब्यूशन के बारे में कठोर कानून मौजूद हैं जिनके तहत नियंत्रित पदार्थों की बिक्री, परिवहन या ट्रांसफ़र एक अपराध है.” हालाँकि, कंपनी का दावा है कि इस केस में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट देने से यूज़र की सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के कानूनसम्मत लक्ष्य की भी पूर्ति हुई क्योंकि श्रीलंका में मेडिकल ड्रग्स की कमी से सुरक्षा के जोखिम जुड़े थे.
Meta मानता है कि उसका फ़ैसला उसकी वैल्यू के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों के भी अनुरूप है. Meta ने फ़ार्मास्यूटिकल दान की अन्य छूट के उदाहरण भी दिए जिनमें ये शामिल हैं: (a) 2022 में क्यूबा में आर्थिक संकट के कारण दवाइयों की अत्यधिक कमी के आधार पर तीन महीनों की छूट; (b) 2021 में लेबनान में आर्थिक संकट के कारण दवाइयों की अत्यधिक कमी और ऊँची कीमत के आधार पर नौ महीनों की छूट; और (c) रूस के हमले के कारण आपूर्ति में हो रही रुकावट के आधार पर यूक्रेन में 27 फ़रवरी 2022 से जारी छूट.
Meta ने कहा कि उसने COVID-19 संबंधित दवाइयाँ और मेडिकल सामानों तक सीमित रखते हुए भी “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट दी थी जिसमें “अफ़गानिस्तान (1 महीना), इंडोनेशिया (1 महीना) और म्यांमार (5 महीने) में मेडिकल-ग्रेड की ऑक्सीजन का दान करने और दान माँगने वाले कंटेंट को परमिशन दी गई थी. साथ ही ऐसे कंटेंट को भी परमिशन दी गई थी जो भारत (1 महीना) और नेपाल (2 सप्ताह) में रेमडेसिवीर, फ़ेबीफ़्लू और तोसिलिज़ुमाब का दान करने या दान माँगने से संबंधित था.” Meta ने यह भी कहा कि हर स्थिति में, कंपनी ने “संकट को वेरिफ़ाई करने वाली स्वतंत्र रिपोर्टिंग” पर भरोसा किया.
बोर्ड के सवालों के जवाब में Meta ने बताया कि संकट की स्थिति में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी व्यापक छूट देते और समाप्त करते समय उपयोग की जाने वाली शर्त, पॉलिसी की प्रकृति और संकट के संदर्भ के अनुसार अलग-अलग हो सकती है. कंपनी ने यह भी कहा कि उसके फ़ैसले आम तौर पर आंतरिक टीमों और कुछ केसों में बाहरी स्टेकहोल्डर के इनपुट पर आधारित थे. इस केस में, Meta ने कहा कि कंपनी का फ़ैसला “अच्छी तरह से प्रदर्शित संकट” की मौजूदगी से प्रभावित था जिसमें मेडिकल ड्रग की कमी के “न्यूज़ कवरेज और आर्थिक विश्लेषण” शामिल थे. Meta ने “प्रतिष्ठित मेडिकल प्राधिकारियों द्वारा बताई गई मेडिकल ड्रग्स की ज़रूरत” पर भी विचार किया.
Meta ने बोर्ड के सवालों के जवाब में यह भी कहा कि पिछले तीन सालों में कंपनी द्वारा दी गई छूट में से सिर्फ़ कुछ ही छूट को व्यापक बनाया गया था और इनमें से भी बहुत कम छूट प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी से संबंधित थीं. पॉलिसी से छूट सिर्फ़ Meta की आंतरिक टीमों द्वारा “एस्केलेशन होने पर” दी जा सकती है. पॉलिसी से व्यापक छूट ऐसी सामान्य छूट होती है जो उन सभी कंटेंट पर लागू होती है जो किसी ख़ास शर्त को पूरा करते हैं. इसका पहली बार रिव्यू बड़े पैमाने पर रिव्यू करने वाले रिव्यूअर करते हैं. जो छूट व्यापक नहीं होती, वह किसी एक पोस्ट से संबंधित होती है.
बोर्ड ने Meta से नौ लिखित सवाल पूछे. सवाल श्रीलंका में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट, Meta के संकट प्रोटोकॉल और पॉलिसी की भावना से जुड़ी छूट देने और समाप्त करने के बारे में Meta के सामान्य दृष्टिकोण से संबंधित थे. Meta ने सभी सवालों के पूरे जवाब दिए.
7. पब्लिक कमेंट
ओवरसाइट बोर्ड को लोगों की ओर से इस केस के लिए प्रासंगिक तीन कमेंट मिले. दो कमेंट अमेरिका और कनाडा से और एक कमेंट लैटिन अमेरिका और कैरेबियन से सबमिट किए गए थे.
सबमिशन में इन थीम पर बात की गई थी: दवाइयों के दान स्वीकार करने से जुड़े जोखिम; अपने प्लेटफ़ॉर्म पर फ़ार्मास्यूटिकल दान से जुड़ी मुहिम के समन्वय को परमिशन न देने से Meta द्वारा होने वाले नुकसान; और Meta द्वारा अपनी पॉलिसी से छूट दिए जाते समय स्पष्ट और मानवाधिकारों का सम्मान करने वाले मानदंड की ज़रूरत.
इस केस को लेकर लोगों की ओर से सबमिट किए गए कमेंट देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.
8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने इस केस को इसलिए चुना क्योंकि संकट की स्थितियों में फ़ार्मास्यूटिकल दान को परमिशन देने या न देने के Meta के फ़ैसलों का प्रभावित देशों में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संकट से जुड़ी सूचना की लोगों को मिलने वाली एक्सेस पर गंभीर असर होगा. यह केस बोर्ड को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट के बारे में Meta का दृष्टिकोण जानने और इस संबंध में सुझाव देने का अवसर भी देता है. साथ ही बोर्ड को कंपनी के नियमों के देश-विशिष्ट उपयोग के बारे में कंपनी के दृष्टिकोण की जानकारी भी मिलती है. बोर्ड ने इस बात का परीक्षण किया कि क्या Meta की कंटेंट पॉलिसी, मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों और वैल्यू का विश्लेषण करके इस कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए. बोर्ड ने यह भी आकलन किया कि कंटेंट गवर्नेंस को लेकर Meta के व्यापक दृष्टिकोण पर इस केस का क्या असर पड़ेगा.
8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि इस केस का कंटेंट, प्रतिबंधित सामान और सेवाओं के कम्युनिटी स्टैंडर्ड में दिए “फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की माँग करने” से जुड़े प्रतिबंध का उल्लंघन करता है. हालाँकि, बोर्ड ने पाया कि श्रीलंका की ज़रूरत के समय इस पोस्ट और मिलते-जुलते कंटेंट को Facebook पर बनाए रखने के लिए दी गई “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी व्यापक छूट सही थी.
I. कंटेंट नियम
Meta की प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी "फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स दान करने या गिफ़्ट करने की कोशिशों” के साथ-साथ फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की माँग करने वाली पोस्ट को भी प्रतिबंधित करती है, “उस स्थिति को छोड़कर जब कंटेंट के ज़रिए मेडिकल संदर्भ में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स को खरीदने की योग्यता, उनकी उपलब्धता या उनके प्रभाव के बारे में चर्चा की जा रही हो."
बोर्ड ने कहा कि इस केस का कंटेंट, दान का समन्वय करने की कोशिश का एक भाग था. हालाँकि, वह खुद “फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स दान करने या गिफ़्ट करने की कोशिश नहीं करता” बल्कि उसमें लोगों से मेडिकल आपूर्ति का दान करने का अनुरोध किया गया है. इसलिए, बोर्ड ने पाया कि कंटेंट में “फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की माँग” की गई है..
कंटेंट मॉडरेटर्स के लिए उपलब्ध Meta की आंतरिक गाइडलाइन आगे यह स्पष्ट करती हैं कि “खरीद पाने की योग्यता” का अर्थ है फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स के जेनेरिक और ब्रांड वाले वर्जन की तुलना करते हुए डिस्काउंट या ऑफ़र (उदाहरण के लिए, “प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाइयों पर $5 की छूट”) का उल्लेख करना या वैक्सीन की कीमत लिस्ट करना. इसके अलावा, मेडिकल संदर्भ में एक्सेसिबिलिटी की चर्चा करने वाले कंटेंट में इस तरह के सुझावों की ओर संकेत हो सकते हैं कि मेडिकल से जुड़ी किसी स्थिति का समाधान कैसे किया जाए (उदाहरण के लिए, “अगर आपको एलर्जी से समस्या हो रही है, तो मेथिलप्रेडनिसोलोन खरीदने के लिए एबीसी फ़ार्मेसी पर जाएँ.”) कंटेंट को श्रीलंका में उस संदर्भ में पोस्ट किया गया था जहाँ श्रीलंका में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स को खरीद पाने और एक्सेसिबिलिटी की योग्यता खतरे में थी. हालाँकि बोर्ड ने पाया कि कंटेंट, Meta की आंतरिक गाइडलाइन में खरीद पाने और एक्सेसिबिलिटी के बताए गए उदाहरणों के अनुरूप नहीं है. इसलिए वह कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करता है. बोर्ड ने यह नोट किया कि ये उदाहरण Meta की प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा का भाग नहीं हैं.
Meta के अनुसार, “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट तब दी जा सकती है जब प्रासंगिक कम्युनिटी स्टैंडर्ड का पॉलिसी बनाने के कारण और Meta की वैल्यू के अनुसार परिणाम, नियमों के कठोरता से पालन के बजाय कुछ और होना चाहिए. प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी का लक्ष्य “सुरक्षा को बढ़ावा देना और संभावित रूप से हानिकारक एक्टिविटी को रोकना” है. इसी तरह, “सुरक्षा” की वैल्यू के अनुसार Meta ऐसे “कंटेंट हो हटा देता है, जो लोगों की शारीरिक सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने का जोखिम बढ़ा सकता है.”
सुरक्षा के लिए, संदर्भ के अनुसार अलग-अलग बातों पर विचार करने की ज़रूरत होती है. श्रीलंका में इस अवधि के दौरान दवाइयों की कमी के चलते गंभीर संकट आ गया था जिसने सुरक्षा को गंभीर जोखिम में डाला. हालाँकि, फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की परमिशन देने से सुरक्षा की गंभीर चिंताएँ भी जुड़ी हैं, ख़ास तौर पर संकट के समय में. WHO इस बारे में सावधान करता है कि हो सकता है दान की गई फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की समय-सीमा समाप्त हो गई हो, उन्हें ठीक से स्टोर नहीं किया गया हो या उनसे ऐसे देशों पर पुनरीक्षण और स्टोरेज का महँगा भार आ सकता है जो पहले से ही संकट में हैं (विश्व स्वास्थ्य संगठन, दवाइयों के दान से संबंधित गाइडलाइन, पेज 6). प्रतिबंधित सामान और सेवाओं से जुड़ी पॉलिसी से छूट देते समय Meta को इसका ध्यान भी रखना चाहिए. इसके अलावा, Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर यूज़र्स को संभावित रूप से हानिकारक ड्रग्स शेयर और एक्सचेंज करने की परमिशन देने से अवैध या खतरनाक कामों के लिए उसका दुरुपयोग हो सकता है.
इन मान्य चिंताओं के बावजूद, बोर्ड ने पाया कि श्रीलंका में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स माँगने, दान करने या गिफ़्ट करने के लिए कहने वाले कंटेंट को परिमशन देने के लिए “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी व्यापक छूट देना वहाँ के आर्थिक संकट और मेडिकल आपूर्ति की कमी को देखते हुए उचित था. गंभीर आर्थिक संकट के समय में ज़रूरत अत्यधिक बढ़ जाएगी इसलिए लोगों के पास स्वास्थ्य सेवा की न्यूनतम एक्सेस बनी रहनी चाहिए. अगर Meta, पॉलिसी से छूट की उचित सूचना देता है, तो दवाइयों की कमी और उनके दुरुपयोग से जुड़ी चिंताओं को अन्य ज़िम्मेदार पार्टियों, जैसे दवाइयों के डिस्ट्रिब्यूशन में लगे स्थानीय प्राधिकरण और संगठन, द्वारा दूर किया जा सकता है.
II. एन्फ़ोर्समेंट एक्शन
बोर्ड के सवालों में से एक के जवाब में Meta ने बताया कि “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट देने और ऐसी छूट समाप्त करने का फ़ैसला लेने में कई आंतरिक टीमें शामिल हो सकती हैं. इसमें सुरक्षा, मानवाधिकार और क्षेत्र विशिष्ट विशेषज्ञता वाली टीमें शामिल होती हैं. जब कोई छूट समयबद्ध होती है, तो Meta समय-समय पर इसका आकलन करता है और फ़ैसला करता है कि उसे नवीनीकृत करना है या समाप्त करना है. Meta ने बताया कि कंपनी की आंतरिक टीमों के यह कम्युनिकेट करने के बाद कि “श्रीलंका में मेडिकल संकट इस हद तक कम हो गया है कि Facebook पर मेडिकल ड्रग्स के दान के निरंकुश आह्वान के संभावित दुरुपयोग के जोखिम के आगे शेष फ़ायदों को दरकिनार करने की ज़रूरत नहीं है”, इस केस में छूट को 10 नवंबर 2022 को समाप्त कर दिया गया. बोर्ड के फ़ॉलो-अप सवाल के जवाब में Meta ने बताया कि:
दो ऐसी घटनाएँ हुईं जिनसे संकट में राहत मिलती दिखाई दी: (i) बहुपक्षीय दानकर्ता एजेंसियों, NGO और सरकारों की ओर से दवाइयों के नए दान जिसने कमी दूर की और (ii) नई केयरटेकर सरकार ने ज़रूरी दवाइयाँ प्राप्त करने के लिए खर्च की प्राथमिकताओं में बदलाव किया. हमने अन्य सकारात्मक बदलाव भी देखे जिनमें मेडिकल आपूर्ति का समन्वय करने के लिए स्थानीय अस्पतालों द्वारा एक केंद्रीय सिस्टम बनाना और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और भारत द्वारा नई क्रेडिट लाइन बनाना शामिल हैं. इनमें से कुछ ख़ास तौर पर दवाइयों की खरीदी के लिए लक्षित थे.
बोर्ड के एक अन्य सवाल के जवाब में, Meta ने बताया कि:
पॉलिसी से छूट सिर्फ़ श्रीलंका मार्केट के लिए दी गई थी. हमने इसे उस मार्केट से बाहर की पोस्ट पर लागू नहीं किया. श्रीलंका मार्केट में श्रीलंका में पोस्ट किया गया कंटेंट शामिल होता है, लेकिन इसमें श्रीलंका के बाहर सिंहला भाषा में पोस्ट किया गया कंटेंट भी शामिल हो सकता है.
बोर्ड ने नोट किया कि Meta इस बारे में अनिश्चित है कि छूट वास्तव में श्रीलंका के बाहर लागू हुई है या नहीं और बोर्ड ने कंपनी से कहा कि वह अपने एन्फ़ोर्समेंट सिस्टम और प्रक्रियाएँ नवीनीकृत करके यह अनुमान लगाने की बेहतर स्थिति में आए कि छूट का क्या असर हुआ. बोर्ड ने आगे नोट किया कि ऐसा लगता है Meta ने अपनी छूट के उपयोग को श्रीलंका मार्केट और सिंहला भाषा तक सीमित रखा. श्रीलंका में दो आधिकारिक भाषाएँ हैं - सिंहला और तमिल. तमिल भाषा भी श्रीलंका के लोगों और प्रवासियों द्वारा व्यापक रूप से बोली जाती है, मुख्यतः तमिल और मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यकों द्वारा. असावधानीवश होने वाले भेदभाव से बचने के लिए, व्यापक छूट देते समय उन लोगों की जातीय और भाषाई विविधता पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिन्हें उस छूट से असर पड़ सकता है.
III. पारदर्शिता
बोर्ड ने नोट किया कि Meta ने “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट की जानकारी न तो अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर और न ही कम्युनिटी स्टैंडर्ड में प्रकाशित की है. यूज़र्स को ऐसे पेज से फ़ायदा होगा जहाँ उन मापदंडों के बारे में बताया गया हो जिनका उपयोग Meta यह तय करने के लिए करता है कि क्या “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट देना है और कब उसे व्यापक बनाना है. इसके अलावा, Meta को कंटेंट के ऐसे उदाहरणों को लोगों के सामने रखना चाहिए जिन्हें इस छूट का फ़ायदा दिया गया. अंत में, कंपनी को अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी सभी छूटों की लिस्ट देनी चाहिए जिन्हें व्यापक रूप से लागू किया गया और साथ ही यह जानकारी भी देनी चाहिए कि छूट क्यों दी गई और क्यों समाप्त की गई. ट्रांसपेरेंसी सेंटर के इस पेज में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट का एग्रीगेट किया गया डेटा भी शामिल किया जाना चाहिए. इस डेटा में यह शामिल होना चाहिए कि कितने मामलों में छूट दी गई और किन क्षेत्रों और/या भाषाओं पर उनका असर पड़ा. यह ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट को लेकर Meta के मौजूदा दृष्टिकोण के समान होगी जिसमें बोर्ड द्वारा दिए गए सुझावों के जवाब में कंपनी द्वारा लिए गए एक्शन के कारण विकास और बड़े सुधार हुए हैं. यह ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट, ख़बरों में रहने लायक होने के कारण दी जाने वाली छूट की तरह, एक सामान्य अपवाद है जो Facebook और Instagram पर सभी कंटेंट पॉलिसी पर लागू होता है.
8.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म पर रखना Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप है. Meta, बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों (UNGP) के तहत मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसकी कॉर्पोरेट मानवाधिकार पॉलिसी में बताया गया है कि इस प्रतिबद्धता में नागरिक और राजनैतिक अधिकारों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (ICCPR) का सम्मान करना शामिल है.
छूट देने का Meta का फ़ैसला, स्वास्थ्य और जीवन के बारे में लोगों के अधिकार से जुड़ी चिंता से भी प्रेरित था. इसके अलावा, बोर्ड ने नोट किया कि स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी की एक्सेस, अभिव्यक्ति की आज़ादी के नज़रिए से ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण है (A/HRC/44/49, पैरा. 6). गंभीर राजनैतिक और आर्थिक संकट को देखते हुए श्रीलंका में ऐसे अधिकारों को खतरा था, जिनसे मेडिकल आपूर्ति तक पहुँच में बड़ी रुकावट आई.
अभिव्यक्ति की आज़ादी (अनुच्छेद 19 ICCPR)
अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का दायरा बहुत बड़ा है. ICCPR का अनुच्छेद 19, पैरा. 2, सार्वजनिक मुद्दों की अभिव्यक्ति सहित अन्य अभिव्यक्तियों को ज़्यादा सुरक्षा देता है (सामान्य कमेंट सं. 34, पैरा. 11). स्वास्थ्य संकट के समय अभिव्यक्ति ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण हो सकती है क्योंकि इसका संबंध लोगों के लिए अत्यधिक महत्व के मामलों से है. अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में यह हाइलाइट किया गया है कि “सूचना का बेरोकटोक आवागमन, जो धमकी, डर और दंड से बाधित न हो, जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करता है और महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और अन्य पॉलिसी चर्चाओं और फ़ैसलों को संभव बनाता है और उन्हें बढ़ावा देता है” ( A/HRC/44/49). इस केस का कंटेंट ऐसे एक्शन का समन्वय कर रहा था जिसका उद्देश्य श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के कारण लोगों के स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार पर आए जोखिम को कम करना था.
जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. Meta की स्वैच्छिक मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को समझने के लिए बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग करता है - रिव्यू में मौजूद कंटेंट से जुड़े व्यक्तिगत फ़ैसले के लिए और यह जानने के लिए कि कंटेंट गवर्नेंस के प्रति Meta के व्यापक नज़रिए के बारे में यह क्या कहता है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का आकलन करना ज़रूरी बनाता है” (A/74/486, पैरा. 41). इस केस में, बोर्ड ने प्रतिबंधित सामान और सेवाओं के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत Meta के प्रासंगिक नियमों और उसकी अतिमहत्वपूर्ण “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट पर “तीन भाग वाला टेस्ट” उपयोग किया.
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार अभिव्यक्ति पर रोक लगाने के लिए देशों के द्वारा उपयोग किए जाने वाले नियम स्पष्ट और आसानी से उपलब्ध होने चाहिए (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 25). विशिष्टता की कमी होने से नियमों का अर्थ अलग-अलग निकाला जा सकता है और इसके कारण उन्हें मनमाने तरीके से लागू किया जा सकता है. लोगों के पास यह तय करने के लिए पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए कि क्या उनकी अभिव्यक्ति पर रोक लगाई जा सकती है और किस तरह लगाई जा सकती है, ताकि इसके हिसाब से वे अपने व्यवहार में बदलाव ला सकें. 2018 में कंटेंट मॉडरेशन और ICCPR के अनुच्छेद 19 की वैधानिकता के स्टैंडर्ड के संबंध में बनाई गई रिपोर्ट में, अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपर्टर में उन नियमों के बारे में “स्पष्टता और विशिष्टता” की ज़रूरत को हाइलाइट किया गया जो ऑनलाइन अभिव्यक्ति का नियंत्रण करते हैं ( A/HRC/38/35, पैरा. 46). अगर Facebook के लिए Meta के कंटेंट के नियमों की बात करें, तो यूज़र्स को यह समझ में आना चाहिए कि क्या करने की छूट है और क्या प्रतिबंधित है. बोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि भले ही “फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स की माँग” करने पर Meta का प्रतिबंध, यूज़र्स की समझ में आता हो, लेकिन “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट सहित उसके अपवाद पर्याप्त स्पष्ट और लोगों की पहुँच में नहीं हैं. जिस तरह अधिकारों पर प्रतिबंध स्पष्ट होने चाहिए, उसी तरह उन प्रतिबंधों के अपवाद भी यूज़र्स को यह समझाने के लिए पर्याप्त स्पष्ट होने चाहिए कि वे क्या पोस्ट कर सकते हैं और क्या नहीं. हालाँकि ज़्यादा अभिव्यक्ति को परमिशन देने वाली छूट को ठीक से स्पष्ट कर पाने की विफलता में वैधानिकता के मानक की कमी है लेकिन श्रीलंका में इसे लागू करने के समय के संदर्भ को देखते हुए इससे इस केस में छूट का उपयोग कमज़ोर नहीं होता.
बोर्ड ने यह नोट किया कि प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी की लोगों को दिखाई देने वाली भाषा में Meta इस बात की पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं कराता कि “मेडिकल संदर्भ में फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स को खरीदने की योग्यता, उनकी उपलब्धता या उनके प्रभाव” की चर्चा करने वाले कंटेंट को परमिशन देने के अपवाद की व्याख्या किस तरह की जाती है. कंटेंट मॉडरेटर्स के लिए Meta की आंतरिक गाइडलाइन इस संबंध में उदाहरण उपलब्ध कराती है. बोर्ड इन अपवादों के संबंध में स्पष्टता की कमी से चिंतित है क्योंकि यूज़र्स के लिए यह समझना ज़रूरी है कि नियमों का उल्लंघन किए बिना वे क्या पोस्ट कर सकते हैं. Meta को ऐसे उदाहरण देकर यूज़र्स को यह स्पष्ट मार्गदर्शन देना चाहिए कि कंपनी अपनी कंटेंट पॉलिसी की व्याख्या किस तरह करती है, जो उसकी आंतरिक गाइडलाइन के अनुरूप हों.
बोर्ड ने यह भी नोट किया कि “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट का कम्युनिटी स्टैंडर्ड में कहीं भी उल्लेख नहीं है. Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड यह नहीं बताता कि कंपनी कुछ क्षेत्रों या देशों में समय-समय पर अपने नियमों से “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी कम अवधि की व्यापक छूट देती है. यूज़र्स के पास अभी “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट या पूरे कम्युनिटी स्टैंडर्ड पर उसके उपयोग के बारे में जानने का कोई ज़रिया नहीं है, क्योंकि उसकी कोई सार्वजनिक व्याख्या मौजूद नहीं है. Meta की पॉलिसी से गुप्त रूप से और मनमाने तरीके से दी जाने वाली छूट, वैधानिकता के उसके मानकों के अनुरूप नहीं है. बोर्ड के सवालों के जवाबों में से एक में Meta ने बताया कि जब श्रीलंका में संकट शुरू हुआ था, तब तक कंपनी ने अपना संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल लॉन्च नहीं किया था, लेकिन यह कि भविष्य के संकट के लिए “संघर्ष के समय में फ़ार्मास्यूटिकल माँगने, दान करने या गिफ़्ट करने के लिए कहने वाले कंटेंट के लिए छूट, प्रोटोकॉल के भाग के रूप में डॉक्यूमेंट किए गए पॉलिसी लीवर्स में से एक है.” हालाँकि, बोर्ड ने नोट किया कि Meta के साथ उसकी बातचीत में ऐसे अपवादों के उपयोग के लिए स्पष्ट मापदंडों और प्रोटोकॉल की कमी दिखाई पड़ती है (जैसे स्थानीय अधिकारियों और बाहरी स्टेकहोल्डर्स से परामर्श). बोर्ड ने यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया कि छूट का उपयोग निष्पक्ष मानदंड पर आधारित हो ताकि छूट देने और समाप्त करने के फ़ैसलों में एकरूपता हो. इसलिए, बोर्ड ने Meta से कहा कि वह “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट की जानकारी और उसे सभी कम्युनिटी स्टैंडर्ड पर लागू करने के लिए कंपनी द्वारा उपयोग किया जाने वाला मापदंड सार्वजनिक रूप से प्रकट करे.
बोर्ड यह स्वीकार करता है कि ग्लोबल स्केल पर बड़ी मात्रा में कंटेंट मॉडरेट करते समय, एक “कैच-ऑल” छूट होना ज़रूरी है जिसे स्पष्ट अन्याय होने से रोकने के लिए लागू किया जा सके. हालाँकि यह आकलन करने का मापदंड कि ऐसी छूट कब सुनिश्चित है, सार्वजनिक रूप से सेट किया जाना चाहिए. इसके अलावा, जब ऐसी छूट का एक ही तरह से बार-बार उपयोग किया जाए, जैसा कि Meta ने संकट के समय में फ़ार्मास्यूटिकल दानों के लिए समय-समय पर किया है, तब कंपनी को सावधानीपूर्वक यह आकलन करना चाहिए कि इसे प्रासंगिक पॉलिसी के अपवाद के रूप में विशिष्ट रूप से प्रदान किया जाना चाहिए या नहीं.
अंत में, यूज़र्स को तब सूचना नहीं दी जाती जब उनके द्वारा रिपोर्ट किए गए कंटेंट को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट का फ़ायदा मिलता है. Meta ने बोर्ड को दिए अपने जवाबों में यह कन्फ़र्म किया कि कंपनी “पॉलिसी से व्यापक छूट के मामलों में यूज़र्स को सीधे सूचित नहीं करती.” “कोलंबिया का विरोध प्रदर्शन” से जुड़े अपने फ़ैसले ( 2021-010-UA) में, बोर्ड ने यह सुझाव दिया कि Meta, कंटेंट द्वारा उल्लंघन होने की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स को तब सूचित करे जब कंटेंट को कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देते हुए प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया हो. Meta अभी भी यह आकलन कर रहा है कि इस सुझाव को लागू किया जाए या नहीं. इसी तरह से, अगर कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स को यह सूचित किया जाए कि कंटेंट को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट का फ़ायदा दिया गया है, तो इससे यूज़र्स की समझ इस बारे में बढ़ेगी कि ऐसी छूट क्या होती है ऐसा कंटेंट अभी भी प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध क्यों है जो पॉलिसी का उल्लंघन करने वाला दिखाई पड़ता है.
II. वैधानिक लक्ष्य
ICCPR के अनुच्छेद 19 के अनुसार जब सरकारें अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करती हैं, तो वे ऐसा केवल वैधानिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कर सकती हैं, जिनका इस तरह वर्णन किया गया है: “दूसरों के अधिकारों या प्रतिष्ठा के लिए सम्मान . . . [और] राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था (ordre public) या सार्वजनिक स्वास्थ्य या नैतिकता की रक्षा.”
फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स का “दान या गिफ़्ट करने की कोशिश करने” और उन्हें “माँगने” पर Meta के सामान्य प्रतिबंध का उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR) और अन्य लोगों के स्वास्थ्य (अनुच्छेद 12, ICESCR) और जीवन (अनुच्छेद 6, ICCPR) के अधिकार की रक्षा करना है, जो सभी विधिसम्मत लक्ष्य हैं. Meta ने यह फ़ैसला लेने का कारण बताते हुए कहा कि “यह कंटेंट नियंत्रित पदार्थों का अनुचित ट्रांसफ़र या उन यूज़र्स के लिए फ़ार्मास्यूटिकल ड्रग्स का व्यापार आसान बना सकता है जिनके पास प्रिस्क्रिप्शन या किसी मेडिकल प्रोफ़ेशनल के निर्देश नहीं हैं.” यह प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी की प्रस्तावना में दिए Meta के कारण के अनुरूप है, जो बताता है कि उसे “सुरक्षा को बढ़ावा देने और संभावित रूप से हानिकारक एक्टिविटी को रोकने” के लिए बनाया गया था.
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है; [और] जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए" (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 34).
इस केस में प्रतिबंधित सामान और सेवाओं की पॉलिसी का उपयोग, श्रीलंका में गंभीर राजनैतिक और आर्थिक संकट को देखते हुए अभिव्यक्ति पर एक आनुपातिक प्रतिबंध नहीं होता. इस संकट के कारण श्रीलंकाई लोगों की दवाइयों तक पहुँच बाधित हुई और स्वास्थ्य और जीवन का उनका अधिकार खतरे में पड़ गया. हालाँकि, “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट देने के Meta के फ़ैसले से इस संकट के समय श्रीलंकाई लोगों के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा हुई.
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने कंटेंट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
10. पॉलिसी से जुड़ी सलाह का कथन
A. कंटेंट पॉलिसी
1. यूज़र्स को ज़्यादा स्पष्टता देने के लिए, Meta को कम्युनिटी स्टैंडर्ड के लैंडिंग पेज में यह समझाना चाहिए, उसी तरह से जैसे कंपनी ने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के मामले में किया है, कि कम्युनिटी स्टैंडर्ड से छूट तब दी जा सकती है जब उन्हें बनाने के कारण और Meta की वैल्यू के अनुसार परिणाम, नियमों के कठोरता से पालन के बजाय कुछ और होना चाहिए. कंपनी को उस ट्रांसपेरेंसी सेंटर पेज का लिंक शामिल करना चाहिए जहाँ “पॉलिसी का भावना” से जुड़ी छूट के बारे में जानकारी दी गई हो. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब कम्युनिटी स्टैंडर्ड में व्याख्या जोड़ दी जाए.
B. एन्फ़ोर्समेंट
2. यूज़र्स को ज़्यादा सुनिश्चितता देने के लिए, Meta को तब उनसे कम्युनिकेट करना चाहिए जब रिपोर्ट किए गए कंटेंट को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट का फ़ायदा दिया जाए. “कोलंबिया का विरोध प्रदर्शन” केस (2021-010-FB-UA) में बोर्ड द्वारा दिए गए सुझाव के जवाब में Meta के यूज़र नोटिफ़िकेशन सिस्टम को ऑडिट करने के लिए हाल ही में उसके द्वारा किए गए काम के अनुसार, Meta को ऐसे कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले सभी यूज़र्स को सूचित करना चाहिए जिसे उल्लंघन करने वाला पाया गया था लेकिन पोस्ट को “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट मिलने के कारण उसे प्लेटफ़ॉर्म पर बनाए रखा गया. नोटिस में उस ट्रांसपेरेंसी सेंटर पेज का लिंक शामिल होना चाहिए जहाँ “पॉलिसी का भावना” से जुड़ी छूट के बारे में जानकारी दी गई हो. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta इस सुझाव में बताया गया नोटिफ़िकेशन प्रोटोकॉल प्रस्तुत करेगा.
C. ट्रांसपेरेंसी
3. “ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन” केस (2022-013-FB-UA) में बोर्ड के सुझाव पाँच और छह के अनुरूप, बोर्ड ने यह निर्दिष्ट किया कि Meta को अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट की जानकारी प्रकाशित करनी चाहिए, उसी तरह से जैसे कंपनी ने ख़बरों में रहने लायक होने के कारण छूट देने के मामले में किया है. ट्रांसपेरेंसी सेंटर में Meta को यह करना चाहिए: (i) यह बताए कि “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूटों को कम या ज़्यादा किया जा सकता है; (ii) उस कंटेंट के उदाहरणों को सार्वजनिक करे जिन्हें इस छूट का फ़ायदा मिला है; (iii) वह मापदंड बताए जिसका उपयोग Meta यह तय करने के लिए करता है कि “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट को कब व्यापक बनाना है; और (iv) “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी उन सभी छूट की लिस्ट शामिल करे जो Meta ने पिछले तीन वर्षों में दी है और साथ ही यह जानकारी भी दे कि Meta ने उनमें से हर छूट को देने और समाप्त करने का फ़ैसला क्यों किया. जब नई छूट दी जाए, तब Meta को इस लिस्ट को अपडेट करते रहना चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, ट्रांसपेरेंसी सेंटर में यह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराएगा.
4. “ईरान में विरोध प्रदर्शन का स्लोगन” केस (2022-013-FB-UA) में बोर्ड के सुझाव पाँच और छह के अनुरूप, बोर्ड ने यह निर्दिष्ट किया कि Meta को अपने ट्रांसपेरेंसी सेंटर में “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी छूट देने का एग्रीगेट किया गया डेटा सार्वजनिक रूप से शेयर करना चाहिए. इस डेटा में यह शामिल होना चाहिए कि कितने मामलों में छूट दी गई और किन क्षेत्रों और/या भाषाओं पर उनका असर पड़ा. जब “पॉलिसी की भावना” से जुड़ी नई छूट दी जाए, तब Meta को इस जानकारी को अपडेट करते रहना चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, ट्रांसपेरेंसी सेंटर में यह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराएगा.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य इन पर सहमति देते हैं. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड की सहायता एक स्वतंत्र शोध संस्थान ने की जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और जिसके पास छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनियाभर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञ हैं. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता भी मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. Memetica ने भी विश्लेषण उपलब्ध कराया जो सोशल मीडिया ट्रेंड पर ओपन-सोर्स रिसर्च में एंगेज होने वाला संगठन है.