सही ठहराया
टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस पोस्ट को हटाने के फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें इथियोपिया में संघर्ष को लेकर हिंसा की धमकी दी गई थी.
यह फ़ैसला अम्हेरिक, ओरोमो और टिग्रिन्या भाषा में भी उपलब्ध है.
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Murtii guutuu kan Afaan Oromoo dubbisuuf as tuqi
ብትግርኛ እተገብረ ውሳነ ምሉእ ከተንብቦ እንተ ደሊኻ ኣብዚ ጠውቕ።
केस का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के उस पोस्ट को हटाने के फ़ैसले को कायम रखा है जिसमें इथियोपिया में संघर्ष को लेकर हिंसा की धमकी दी गई थी. कंटेंट ने Meta के हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन किया था और उसे कंपनी की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुसार हटाया गया था. समग्र रूप से, बोर्ड ने पाया कि संघर्ष की स्थितियों में अपनी मानवाधिकार ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने के लिए Meta को और काम करने चाहिए और बोर्ड ने इसका समाधान करने के लिए पॉलिसी से जुड़े सुझाव दिए.
केस की जानकारी
4 फ़रवरी 2022 को, Meta ने बोर्ड को एक केस रेफ़र किया. यह केस इथियोपिया में संघर्ष से हिंसा में तेज़ी के दौरान Facebook पर पोस्ट किए गए कंटेंट से संबंधित था, जहाँ टिग्रेयन और सरकारी बलों के लोग नवंबर 2020 से संघर्ष कर रहे हैं.
पोस्ट, टिग्रे रीजनल स्टेट के कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो के आधिकारिक पेज पर डाली गई थी और उसे 300,000 से ज़्यादा बार देखा गया था. इसमें संघीय बलों को हुए नुकसान की चर्चा की गई थी और राष्ट्रीय सेनाओं को “अपनी बंदूकों” का मुँह “अबी अहमद ग्रुप” की ओर घुमाने के लिए प्रेरित किया गया था. अबी अहमद, इथियोपिया के प्रधानमंत्री हैं. पोस्ट में सरकारी बलों को आत्मसमर्पण करने के लिए भी कहा गया था और कहा गया था कि अगर सरकारी बल इंकार करते हैं तो वे मर जाएँगे.
यूज़र्स द्वारा रिपोर्ट किए जाने पर Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम द्वारा पकड़े जाने के बाद, कंटेंट का आकलन अम्हेरिक बोलने वाले दो रिव्यूअर द्वारा किया गया था. उन्होंने पाया कि पोस्ट ने Meta की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया है और उस पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर बने रहने दिया गया.
उस समय, Meta इथियोपिया में एक इंटीग्रिटी प्रोडक्ट ऑपरेशन सेंटर (IPOC) चला रहा था. IPOC का उपयोग Meta द्वारा अत्यधिक जोखिम वाली स्थितियों में बेहतर मॉडरेशन करने के लिए किया जाता है. वे कुछ समय (दिन या हफ़्ते) काम करते हैं और Meta के प्लेटफ़ॉर्म को मॉनीटर करने और दुरूपयोग का समाधान करने के लिए विशेषज्ञों को साथ लाते हैं. IPOC के द्वारा पोस्ट को विशेषज्ञ रिव्यू के लिए भेजा गया, उसे Meta की हिंसा और उकसावे की पॉलिसी का उल्लंघन करने वाला माना गया और दो दिन के बाद उसे हटा दिया गया.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड इस पोस्ट को Facebook से हटाने के Meta के फ़ैसले से सहमत है.
इथियोपिया के संघर्ष को सांप्रदायिक हिंसा और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के कारण जाना जाता है. इस संदर्भ में और प्रोफ़ाइल और पेज की पहुँच को देखते हुए, इस बात की अत्यधिक जोखिम था कि पोस्ट से हिंसा और भड़क जाती.
परिणामस्वरूप, बोर्ड इस बात से सहमत है कि पोस्ट को हटाना Meta के हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार ज़रूरी है, जो “बहुत गंभीर हिंसा करने के इरादे से कही गई बातों” को प्रतिबंधित करते हैं. इसे हटाना Meta की वैल्यू के अनुसार भी है; परिस्थितियों को देखते हुए, “सुरक्षा” और “गरिमा” की वैल्यू “अभिव्यक्ति” से ज़्यादा महत्वपूर्ण है. बोर्ड ने यह भी पाया कि पोस्ट को हटाना Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के अनुसार भी है और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध उचित है.
Meta को काफ़ी समय से इस बात की जानकारी है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग नफ़रत फैलाने वाली भाषा के लिए और संघर्ष में हिंसा भड़काने के लिए किया जाता रहा है. संघर्ष वाले कुछ क्षेत्रों में कंटेंट मॉडरेशन को बेहतर बनाने के लिए कंपनी ने कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं. हालाँकि, समग्र रूप से बोर्ड यह मानता है कि Meta की यह मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारी है कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म को हिंसा भड़काने या अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में उपयोग किए जाने के जोखिम को कम करने के लिए, संघर्ष वाले क्षेत्रों में कंटेंट के मॉडरेशन के लिए एक सिद्धांतों पर आधारित पारदर्शी सिस्टम बनाए. यह ज़िम्मेदारी पूरी करने के लिए उसे और कोशिश करनी चाहिए.
उदाहरण के लिए, Meta इस बारे में अपर्याप्त जानकारी देता है कि सशस्त्र संघर्ष वाली स्थितियों में वह किस तरह अपनी हिंसा और उकसावे की पॉलिसी लागू करता है, पॉलिसी के कौन से अपवाद उपलब्ध हैं या उनका उपयोग किस तरह किया जाता है. संघर्ष वाले क्षेत्रों में कंटेंट मॉडरेशन का उसका मौजूदा दृष्टिकोण एक जैसा नहीं है; पर्यवेक्षकों ने कंपनी को रूस-यूक्रेन विवाद को दूसरे संघर्षों से अलग नज़रिए से देखने का दोषी ठहराया है.
Meta कहता है कि वह “संकटग्रस्त” देशों के रजिस्टर का अनुपालन करता है, जो रिसोर्स के उसके आवंटन का मार्गदर्शन करता है, लेकिन वह बोर्ड को ऐसी पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं करवाता जिससे इस प्रोसेस की निष्पक्षता या क्षमता का मूल्यांकन किया जा सके. इस केस में IPOC के कारण कंटेंट को हटा दिया गया. हालाँकि, वह प्लेटफ़ॉर्म पर दो दिनों तक बना रहा. यह बताता है कि “संकटग्रस्त” सिस्टम और IPOC, संघर्ष की परिस्थितियों से निपटने के लिए अपर्याप्त हैं. Meta के अनुसार, IPOC को "वर्षों से चले आ रहे संघर्ष से निपटने के एक स्थायी, लंबे समय तक चलने वाले समाधान के रूप में नहीं बनाया गया है.” बोर्ड ने पाया कि Meta को ज़्यादा स्थायी समाधान के लिए निवेश करना होगा.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने Meta के पोस्ट को हटाने के फ़ैसले को कायम रखा है.
बोर्ड ने ये सुझाव भी दिए:
- Meta को ट्रांसपेरेंसी सेंटर में अपने संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल पर जानकारी प्रकाशित करना चाहिए.
- Meta को दीर्घकालिक आंतरिक मैकेनिज़्म बनाने की व्यवहार्यता का आकलन करना चाहिए जो संघर्ष के दौरान कंटेंट का प्रभावी रूप से रिव्यू करने और उस पर प्रतिक्रिया करने के लिए ज़रूरी विशेषज्ञता, क्षमता और समन्वय प्रदान करे.
*केस के सारांश से केस का ओवरव्यू पता चलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. फ़ैसले का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के उल्लंघन के कारण Facebook से कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है. बोर्ड ने माना कि इस केस में कंटेंट को हटाना, सशस्त्र संघर्षों में Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों से संगत है. बोर्ड यह भी मानता है कि Meta की यह ज़िम्मेदारी है कि वह अपने प्लेटफ़ॉर्म को हिंसा भड़काने या अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मानवतावादी कानून के उल्लंघन में उपयोग किए जाने के जोखिम को कम करने के लिए, संघर्ष वाले क्षेत्रों में कंटेंट के मॉडरेशन के लिए एक सिद्धांतों पर आधारित पारदर्शी सिस्टम बनाए. बोर्ड ने इस बात पर ज़ोर दिया कि Meta इस संदर्भ में ऊँचे स्तर की मानवाधिकार सम्यक तत्परता करने की अपनी ज़िम्मादारी का अनुपालन करने के लिए लक्षित सभी उपाय अपनाए.
2. केस का डिस्क्रिप्शन और बैकग्राउंड
4 फ़रवरी 2022 को, Meta ने बोर्ड को एक केस रेफ़र किया जो 5 नवंबर 2021 को पोस्ट किए गए कंटेंट से संबंधित था. यह कंटेंट टिग्रे कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो पेज ने पोस्ट किया जो खुद को टिग्रे रीजनल कम्युनिकेशन अफ़ेयर्स ब्यूरो (TCAB) का आधिकारिक पेज बताता है. कंटेंट को अम्हेरिक भाषा में पोस्ट किया था, जो संघीय सरकार के कामकाज की आधिकारिक भाषा है. TCAB, टिग्रे क्षेत्रीय सरकार में एक मंत्रालय है. नवंबर 2020 से, टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ़्रंट (TPLF) और फ़ेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ इथियोपिया (“संघीय सरकार”) सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं. TPLF, टिग्रे की सत्ताधारी पार्टी है जबकि टिग्रे डिफ़ेस फ़ोर्स, TPLF की सशस्त्र विंग है.
पोस्ट में TPLF के साथ सशस्त्र संघर्ष के दौरान प्रधानमंत्री अबी अहमद के नेतृत्व में संघीय राष्ट्रीय सुरक्षा बलों को हुए नुकसान पर चर्चा की गई है. पोस्ट में राष्ट्रीय सेना को “अपनी बंदूकों का मुँह फाँसीवादी अबी अहमद ग्रुप” की ओर घुमाने के लिए प्रेरित किया गया था ताकि उन लोगों की ओर से बदला लिया जा सके जिन्हें उन्होंने नुकसान पहुँचाया है. उसमें आगे कहा गया कि अगर सशस्त्र बल अपनी जान बचाना चाहते हैं, तो वे TPLF के सामने आत्मसमर्पण कर दें. साथ ही कहा: “अगर वे इंकार करते हैं, तो सभी को यह मालूम होना चाहिए कि अंत में सशस्त्र बलों का हश्र मौत होगा.”
जब संघीय सरकार ने 2020 में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को कारण बताते हुए चुनाव स्थगित कर दिए, तो संघीय सरकार और TPLF के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया. विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वे अपना कार्यकाल बढ़ाने के लिए वैश्विक महामारी का सहारा ले रहे हैं. संघीय सरकार की घोषणा के बावजूद, टिग्रे क्षेत्रीय सरकार ने क्षेत्र में चुनाव करवाए जिसमें TPLF को प्रचंड जीत मिली.
प्रधानमंत्री अबी अहमद ने टिग्रे में संघीय सैन्य ठिकाने पर हमले के जवाब में नवंबर 2020 में टिग्रेयन बलों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की घोषणा की. संघीय बलों को टिग्रे की राजधानी मेकेले पर कब्ज़ा करने के लिए भेजा गया. आठ महीने की लड़ाई के बाद, संघीय बल और उनके सहयोगी मेकेले से वापस चले गए और TPLF ने फिर से नियंत्रण कर लिया. मई 2021 में, संघीय सरकार ने TPLF को आतंकी संगठन घोषित कर दिया.
2 नवंबर 2021 को, कंटेंट को पोस्ट किए जाने से कुछ दिन पहले, TPLF द्वारा टिग्रे के आगे अम्हारा के कुछ भागों और अफ़ार क्षेत्र पर कब्ज़ा किए जाने के बाद प्रधानमंत्री ने पूरे देश में आपातकाल लगा दिया. संघीय सरकार ने नागरिकों को भी हथियार उठाने के लिए कहा क्योंकि TPLF राजधानी अदिस अबाबा की ओर बढ़ रहा था. 5 नवंबर को कंटेंट पोस्ट किए जाने के दिन, TPLF सहित नौ विपक्षी ग्रुप्स ने संघीय सरकार पर दबाव बनाने और प्रधानमंत्री को पद से हटाने के लिए एक गठबंधन बनाया.
TCAB के पेज के लगभग 260,000 फ़ॉलोअर्स हैं और वह एक पब्लिक पेज है जिसका अर्थ है कि उसे Facebook का कोई भी यूज़र देख सकता है. इस नीले चेकमार्क बैज द्वारा वेरिफ़ाई किया गया है, जो कन्फ़र्म करता है कि पेज या प्रोफ़ाइल किसी व्यक्ति या एंटिटी की प्रामाणिक मौजूदगी है. कंटेंट को 300,000 से ज़्यादा बार देखा गया और 1,000 से कम बार शेयर किया गया.
5 नवंबर से अब तक, 10 यूज़र्स ने इस कंटेंट को हिंसा और उकसावे, खतरनाक लोगों और संगठनों तथा नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाला मान कर इसकी रिपोर्ट की थी. इसके अलावा, Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम ने इसकी पहचान संभावित तौर पर उल्लंघन करने वाले कंटेंट के रूप में की और उसे रिव्यू के लिए भेजा. इसके बाद दो ह्यूमन रिव्यूअर्स (दोनों अम्हेरिक बोलने वाले) द्वारा किए गए रिव्यू में Meta ने पाया कि कंटेंट ने उसकी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया और उसने कंटेंट को अपने प्लेटफ़ॉर्म से नहीं हटाया.
कंटेंट को पोस्ट किए जाने से एक दिन पहले, 4 नवंबर को Meta ने एक इंटीग्रिटी प्रोडक्ट ऑपरेशन सेंटर (IPOC) शुरू किया जिसे इथियोपिया में तेज़ी से बदलती स्थितियों की रियल-टाइम में निगरानी करने और उस पर प्रतिक्रिया करने के लिए बनाया गया था. Meta के अनुसार IPOC, कंपनी के भीतर मौजूद विषय विशेषज्ञों का एक ग्रुप होता है जो एक संक्षिप्त समय के लिए Meta के सभी प्लेटफ़ॉर्म पर संभावित दुरूपयोग की रियल-टाइम में निगरानी करने और उनका समाधान करने के लिए साथ मिलकर काम करते हैं. IPOC की ओर से कंटेंट को अतिरिक्त रिव्यू के लिए पॉलिसी और विषय विशेषज्ञों के पास भेज दिया गया. इस रिव्यू के बाद, Meta ने पाया कि कंटेंट ने हिंसा और उकसावे की पॉलिसी का उल्लंघन किया है, जो “बहुत गंभीर हिंसा करने के इरादे से कही गई बातों” को प्रतिबंधित करती है. हटाए जाने के पहले कंटेंट लगभग दो दिनों तक प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद रहा.
नवंबर 2020 में संघर्ष की शुरुआत से ही संघर्ष में शामिल सभी पार्टियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवतावादी कानून के उल्लंघन की भरोसेमंद रिपोर्ट मिल रही थीं. इथियोपिया मानवाधिकार कमीशन और मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त कार्यालय की संयुक्त जाँच की रिपोर्ट में अन्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों के अलावा प्रताड़ना और अन्य तरह की क्रूरता, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार, नागरिकों और पकड़े गए लड़ाकों की न्यायेतर हत्या, अपहरण, लोगों को बलपूर्वक गायब करने और यौन और लिंग आधारित हिंसा के डॉक्यूमेंट किए गए मामले मिले हैं (इथियोपिया शांति वेधशाला भी देखें). संयुक्त जाँच टीम ने पाया कि जो लोग युद्ध में सीधे शामिल नहीं थे, उन्हें भी दोनों तरफ़ के लोगों द्वारा मारा गया था. इसमें जाति आधारित और बदले के रूप में की गई हत्याएँ शामिल हैं. संघीय बलों और टिग्रेयन बलों, दोनों की तरफ़ से “टिग्रे के विभिन्न स्थानों पर नागरिकों और पकड़े गए लड़ाकों के साथ प्रताड़ना और बुरा व्यवहार किया गया. इन स्थानों में सैन्य शिविर, कारावास, पीड़ितों के घर और गुप्त और अंजान स्थान शामिल हैं.” जिन लोगों को TPLF से जुड़ा हुआ माना गया, उन्हें बलपूर्वक गायब कर दिया गया या मनमाने ढंग से बंदी बना लिया गया और गायब हुए या बंदी बनाए गए लोगों की पत्नियों के साथ सशस्त्र बलों द्वारा यौन हिंसा की गई. इसी तरह से, संघीय सशस्त्र बलों के मेंबर्स की पत्नियों पर टिग्रेयन लड़ाकों ने यौन हमला किया या उनके साथ बलात्कार किया. कई लोगों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. संघीय सशस्त्र बलों ने संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में मानवतावादी राहत भी नहीं पहुँचने दी. अन्य सशस्त्र ग्रुप और सेनाओं को भी शामिल किया गया और इरीट्रिया की सेना ने संघर्ष में इथियोपिया की राष्ट्रीय सेना का साथ दिया. यद्यपि संयुक्त जाँच में 3 नवंबर 2020 और 28 जून 2021 के बीच हुई घटनाओं को शामिल किया गया था, लेकिन नतीजों से इस केस और बाद में नवंबर 2021 में युद्ध में तेज़ी आने के संबंध में महत्वपूर्ण संदर्भ प्राप्त हुए, जब TPLF ने टिग्रे के बाहर के क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया.
3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप
बोर्ड के पास उन फ़ैसलों को रिव्यू करने का अधिकार है, जिन्हें Meta रिव्यू के लिए रेफ़र करता है (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 2, सेक्शन 2.1.1). बोर्ड Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर अपने फ़ैसले को लागू करने की संभावना का भी आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाहों के साथ पॉलिसी से जुड़े सुझाव हो सकते हैं, जिन पर Meta को जवाब देना होगा (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4).
4. अथॉरिटी के सोर्स
ओवरसाइट बोर्ड ने अथॉरिटी के नीचे दिए गए सोर्स पर विचार किया:
I.ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले:
ओवरसाइट बोर्ड के कुछ सबसे प्रासंगिक पुराने फ़ैसलों में ये शामिल हैं:
- “राया कोबो में कथित अपराध” [ 2021-014-FB-UA केस का फ़ैसला]: बोर्ड ने सुझाव दिया कि Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड को यह दर्शाना चाहिए कि युद्ध और हिंसक संघर्ष के संदर्भ में वेरिफ़ाई न की जा सकने वाली अफ़वाहों से जीने के अधिकार और लोगों की सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है. बोर्ड ने यह भी सुझाव दिया है कि Meta इस बात का एक स्वतंत्र मानवाधिकार सम्यक तत्परता आकलन करे कि उसके प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग ने किस तरह इथियोपिया में हिंसा का जोखिम बढ़ाया.
- “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” [ 2021-001-FB-FBR केस का फ़ैसला]: बोर्ड ने सुझाव दिया कि Meta को संकट की स्थितियों के लिए एक पॉलिसी बनानी और प्रकाशित करनी चाहिए. बोर्ड ने जानकारी को कलेक्ट करने, सुरक्षित रखने और उचित जगह पर शेयर करने की ज़रूरत के बारे में भी सुझाव दिया ताकि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक, मानवाधिकारों और मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघनों की सक्षम अधिकारियों और जवाबदेही तंत्र द्वारा जाँच और संभावित अभियोग में सहायता मिल सके.
- “सूडान के आपत्तिजनक वीडियो का केस” [ 2022-002-FB-MR केस का फ़ैसला]: बोर्ड ने “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” केस के सुझाव को दोहराते हुए कहा कि Meta, संकट की ऐसी परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करने के लिए एक पॉलिसी बनाकर उसे प्रकाशित करे “जहाँ उसकी सामान्य प्रोसेस के ज़रिए तात्कालिक नुकसान को रोकना या उससे बचना मुश्किल होगा.”
II.Meta की कंटेंट पॉलिसी:
Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड:
अपनी हिंसा और उकसावे की पॉलिसी के तहत, Meta कहता है कि वह ऐसे सारे कंटेंट को हटा देगा, जो "गंभीर हिंसा को उकसावा या बढ़ावा देगा." यह पॉलिसी “लोगों या लोकेशन को टार्गेट करने वाली ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित करती है, जिनसे किसी की जान जा सकती है (और अत्यधिक गंभीर प्रकार की अन्य हिंसा हो सकती है).” यह “बहुत गंभीर हिंसा करने के इरादे से कही गई बातों” को भी प्रतिबंधित करती है.
III.Meta की वैल्यू:
Meta की वैल्यू के बारे में Facebook के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के परिचय में बताया गया है. “वॉइस” के महत्व को “सर्वोपरि” बताया गया है:
हमारे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का लक्ष्य हमेशा एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाना रहा है, जहाँ लोग अपनी बात रख सकें और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें. [हम चाहते] हैं कि लोग अपने लिए महत्व रखने वाले मुद्दों पर खुलकर बातें कर सकें, भले ही कुछ लोग उन बातों पर असहमति जताएँ या उन्हें वे बातें आपत्तिजनक लगें.
Meta चार अन्य वैल्यू की सर्विस में "वॉइस” को सीमित करता है, जिनमें से दो यहाँ प्रासंगिक हैं:
“सुरक्षा”: हम ऐसे कंटेंट हो हटा देते हैं, जो लोगों की शारीरिक सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने का जोखिम बढ़ा सकता है.
“गरिमा”: हम उम्मीद करते है कि लोग एक-दूसरे की गरिमा का ध्यान रखेंगे और दूसरों को परेशान नहीं करेंगे या नीचा नहीं दिखाएँगे.
IV.अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार स्टैंडर्ड
बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने स्वीकृति दी है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढाँचा तैयार करते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया. उल्लेखनीय ढंग से, UNGP किसी संघर्ष वाले माहौल में काम करने वाले बिज़नेस को ज़्यादा ज़िम्मेदार बनाता है (“बिज़नेस, मानवाधिकार और संघर्ष से प्रभावित क्षेत्र: ऊँचे लेवल की एक्शन की ओर,” A/75/212). इस केस में बोर्ड ने Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण इन मानवाधिकार स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए किया:
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद 19, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (ICCPR),सामान्य कमेंट सं. 34, मानवाधिकार समिति, 2011; विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ का ख़ास रैपर्टर कहता है: A/HRC/38/35 (2018) और A/73/348 (2018).
- जीवन का अधिकार: अनुच्छेद 6, ICCPR; सामान्य कमेंट सं. 36, मानवाधिकार समिति (2018).
- अधिकार के तहत प्रताड़ना या क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक दंड नहीं दिया जाना चाहिए: अनुच्छेद 7, ICCPR.
- व्यक्ति की सुरक्षा का अधिकार: अनुच्छेद 9, पैरा. 1, ICCPR.
5. यूज़र सबमिशन
Meta के रेफ़रल और बोर्ड द्वारा केस स्वीकार करने के फ़ैसले के बाद, यूज़र को बोर्ड के रिव्यू की सूचना का मैसेज भेजा गया और उन्हें बोर्ड के सामने कथन सबमिट करने का मौका दिया गया. यूज़र ने कोई कथन सबमिट नहीं किया.
6. Meta के सबमिशन
बोर्ड को यह केस रेफ़र करते समय Meta ने कहा कि इस कंटेंट के बारे में फ़ैसला लेना मुश्किल था, क्योंकि इसमें "ऐसे आधिकारिक सरकारी वक्तव्य को हटाना शामिल था, जिसे ख़बरों में रहने लायक माना जा सकता था," लेकिन इससे मौजूदा संघर्ष के दौरान हिंसा भड़कने का खतरा भी हो सकता था. Meta ने कहा कि उसने ख़बरों में रहने लायक आधार पर परमिशन देने पर विचार नहीं किया क्योंकि वह छूट ऐसे कंटेंट पर लागू नहीं होती जिससे जान और माल का नुकसान होने का जोखिम होता है.
Meta ने कहा कि वह 2020 के अंतिम दिनों से इथियोपिया को टियर 1 का संकटग्रस्त देश मानता है जो जोखिम का सबसे उच्च लेवल है. Meta के अनुसार, देशों को संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत करना लंबे समय के दौरान प्रोडक्ट रिसोर्स में निवेश की प्राथमिकता तय करने की प्रोसेस का एक भाग है. उदाहरण के लिए, इथियोपिया के उच्च जोखिम के जवाब में Meta ने अम्हेरिक और ओरोमो भाषाओं में भाषा क्लासिफ़ायर (कम्युनिटी स्टैंडर्ड का संभावित उल्लंघन अपने आप पकड़ने के लिए ट्रेन किए गए मशीन लर्निंग टूल) बनाए, जो इथियोपिया में सबसे ज़्यादा उपयोग होने वाली दो भाषाएँ हैं. कंपनी के अनुसार, आरंभिक अम्हेरिक और ओरोमो क्लासिफ़ायर को अक्टूबर 2020 में लॉन्च किया गया था. जून 2021 में, Meta ने अम्हेरिक और ओरोमो में “शत्रुतापूर्ण भाषा” क्लासिफ़ायर लॉन्च किए (नफ़रत फैलाने वाली भाषा, हिंसा और उकसावे और धमकी और उत्पीड़न की पॉलिसी से जुड़े कंटेंट को अपने आप पकड़ने के लिए ट्रेन किए गए मशीन लर्निंग टूल). कंपनी ने संघर्ष के बढ़ने के जवाब में इथियोपिया के लिए 4 नवंबर 2021 को IPOC भी बनाया. IPOC आम तौर पर कई दिनों या हफ़्तों तक काम करते हैं. IPOC को कुछ खास चुनावों जैसे योजनाबद्ध ईवेंट या बिना योजना के होने वाले जोखिमपूर्ण ईवेंट के जवाब में उपयोग किया जाता है. IPOC की रिक्वेस्ट किसी भी Meta कर्मचारी द्वारा की जा सकती है. रिक्वेस्ट का रिव्यू कई लेवल पर कई स्टेकहोल्डर ग्रुप द्वारा किया जाता है जिसमें उसके ऑपरेशन, पॉलिसी और प्रोडक्ट टीमों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. IPOC के अलग-अलग लेवल होते हैं जो प्लेटफ़ॉर्म पर कंटेंट की निगरानी में समन्वय और कम्युनिकेशन को एस्केलेट करने के लेवल उपलब्ध कराते हैं. नवंबर 2021 में इथियोपिया के लिए उपयोग किए गए IPOC का लेवल 3 था, जिसमें “Meta के भीतर समन्वय और कम्युनिकेशन का लेवल उच्चतम होता है.” जैसा कि Meta ने बताया, IPOC “कम अवधि के समाधान” हैं जिनका लक्ष्य “संघर्ष या उच्च जोखिम वाली स्थिति में समस्याओं के बड़े समूह को समझना और उनके समाधान का तरीका निकालना है. इसे वर्षों से चले आ रहे विवाद से निपटने के एक स्थायी, लंबे समय तक चलने वाले समाधान के रूप में नहीं बनाया गया है.”
Meta ने अपने इस कथन के समर्थन में कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा और सांप्रदायिक संघर्ष के जोखिम को कम करने के बीच तनाव का समाधान करने के लिए संघर्ष से जुड़ी खास बातों पर सावधानीपूर्वक विचार करना ज़रूरी होता है, “राया कोबो में कथित अपराध” केस में बोर्ड के विश्लेषण को रेफ़र किया. Meta ने संघर्ष में सभी पक्षों द्वारा किए गए नृशंस अपराधों के बारे में भी बताया जो डॉक्यूमेंट में मौजूद हैं. Meta ने बोर्ड को कहा कि कंटेंट के पोस्ट किए जाते समय खतरे की प्रकृति, वक्ता के प्रभावशाली स्टेटस और इथियोपिया में तेज़ी से बिगड़ती हुई स्थिति को देखते हुए, “सुरक्षा” की वैल्यू अन्य सभी विचारणीय बातों से ज़्यादा ज़रूरी थी और ऐसा पोस्ट को प्लेटफ़ॉर्म पर छोड़ने के बजाय उसे हटाकर ही किया जा सकता था, भले ही यह संभव था कि यह पोस्ट इथियोपिया के लोगों को आगे होने वाली हिंसा की चेतावनी देती.
बोर्ड ने Meta से 20 सवाल पूछे. Meta ने 14 सवालों का पूरी तरह जवाब दिया और छह सवालों का आंशिक रूप से जवाब दिया. आंशिक जवाब, सशस्त्र संघर्ष वाली स्थितियों में कंटेंट मॉडरेशन के कंपनी के तरीके, कंटेंट पॉलिसी के उल्लंघनों पर अकाउंट से जुड़े प्रतिबंध लगाने और क्रॉस-चेक प्रोसेस से संबंधित थे.
7. पब्लिक कमेंट
इस केस के संबंध में, ओवरसाइट बोर्ड को लोगों की ओर से सात कमेंट मिले जिनपर विचार किया गया. एक कमेंट एशिया पैसिफ़िक और ओशियाना से, तीन यूरोप से, एक सब-सहारन अफ़्रीका से और दो अमेरिका और कनाडा से सबमिट किए गए थे.
सबमिशन में इस बारे में बात की गई थी: अलग-अलग सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में Meta का अलग-अलग दृष्टिकोण; बढ़ा हुआ जोखिम जिसके साथ सशस्त्र संघर्ष के दौरान अलग-अलग पार्टियों के बीच हिंसा के विश्वसनीय खतरे जुड़े थे; इथियोपिया में Meta के कंटेंट मॉडरेशन की समस्याएँ और जानकारी के बंद माहौल में सोशल मीडिया का रोल; इथियोपिया में संघर्ष का तथ्यात्मक बैकग्राउंड, जिसमें टिग्रेयन लोगों को हुआ नुकसान और हिंसा फैलाने में Facebook पर टिग्रेयन के खिलाफ़ उपयोग की गई नफ़रत फैलाने वाली भाषा का रोल शामिल है; और सशस्त्र संघर्ष के दौरान भाषा के मॉडरेशन के लिए पॉलिसी बनाने में सशस्त्र संघर्ष के कानूनों पर विचार करने की ज़रूरत.
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अप्रैल 2022 में, स्टेकहोल्डर के जारी एंगेजमेंट के भाग के रूप में, बोर्ड ने हिमायती संगठनों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, अंतर-सरकारी संगठनों और अन्य विशेषज्ञों से सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में कंटेंट मॉडरेशन की समस्या पर बातचीत की. चर्चा में यह शामिल था कि संघर्ष में शामिल पार्टी के बयानों को किस तरह देखा जाए और संघर्ष की स्थितियों में हिंसा और उकसावे की पॉलिसी को किस तरह लागू किया जाए.
8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने इस सवाल का परीक्षण किया कि क्या इस कंटेंट को रीस्टोर किया जाना चाहिए और कंटेंट पर नियंत्रण के Meta के तरीके की सामान्य जटिलताओं पर इन तीन नज़रियों से विचार किया: Meta की कंटेंट पॉलिसी, कंपनी की वैल्यू और मानवाधिकारों से जुड़ी उसकी ज़िम्मेदारियाँ.
8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म से हटाना, हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार सही है. यह पॉलिसी “लोगों या लोकेशन को टार्गेट करने वाली ऐसी धमकियों को प्रतिबंधित करती है, जिनसे किसी की जान जा सकती है (और अत्यधिक गंभीर प्रकार की अन्य हिंसा हो सकती है).” इसमें “बहुत गंभीर हिंसा करने के इरादे से कही गई बातें” शामिल हैं. बोर्ड ने पाया कि कंटेंट को अन्य लोग एक बुलावा मान सकते हैं जो सशस्त्र संघर्ष के पहले से हिंसक संदर्भ में वास्तविक हिंसा को भड़का सकता है या उसे बढ़ावा दे सकता है. इस तरह से, यह कंटेंट “बहुत गंभीर हिंसा करने के इरादे से कही गई बातों” पर Meta के प्रतिबंध का उल्लंघन करता है.
8.2 Meta की वैल्यू का अनुपालन
बोर्ड इस नतीजे पर पहुँचा कि इस कंटेंट को प्लेटफ़ॉर्म से हटाना “सुरक्षा” और “गरिमा” की Meta की वैल्यू के अनुरूप था.
बोर्ड “वॉइस” का महत्व जानता है, खास तौर पर उन देशों में जहाँ प्रेस और नागरिकों की आज़ादी की स्थिति खराब रही है और जहाँ सोशल मीडिया जारी सशस्त्र संघर्ष के बारे में जानकारी पहुँचाने का एक मुख्य साधन रहा है. हालाँकि, सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में, सांप्रदायिक हिंसा और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के इतिहास को देखते हुए, इस केस में “सुरक्षा” और “गरिमा” की वैल्यू, यूज़र्स को ऐसे कंटेंट से बचाने के लिए ज़्यादा है जो हिंसा का जोखिम बढ़ाता है. इस केस में कंटेंट को “अबी अहमद ग्रुप” की हत्या करने के बुलावे के रूप में देखा जा सकता है. इसके अलावा इसे उन लोगों के लिए दंड की चेतावनी के रूप में भी देखा जा सकता है जो TPLF के सामने आत्मसमर्पण नहीं करते और इस तरह यह इथियोपियाई संघीय बलों और राजनेताओं के जीवन और शारीरिक इंटीग्रिटी के लिए जोखिम पैदा करता है. भले ही कंटेंट को शासन करने वाले क्षेत्रीय निकाय द्वारा पोस्ट किया गया था, खुद पोस्ट में ऐसी कोई जानकारी नहीं थी जिसकी लोकहित वैल्यू इतनी ज़्यादा हो कि उसके सामने नुकसान के जोखिम का कोई महत्व न रह जाए.
8.3 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड ने माना कि इस केस में कंटेंट को हटाना, Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों से अनुरूप है. सशस्त्र संघर्ष के दौरान, कंपनी की यह ज़िम्मेदारी भी है कि वह कंटेंट के मॉडरेशन के लिए सिद्धांत पर आधारित और पारदर्शी सिस्टम बनाए जहाँ इस बात की यथोचित संभावना हो कि कंटेंट के कारण हिंसा भड़केगी. बोर्ड ने यह पाया कि सशस्त्र संघर्ष के दौरान कंटेंट से सीधे नुकसान होने का जोखिम बहुत ज़्यादा है. बोर्ड ने पाया कि Meta के पास अभी संघर्ष वाले क्षेत्रों में कंटेंट मॉडरेशन के लिए सिद्धांत पर आधारित और पारदर्शी सिस्टम नहीं है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी (अनुच्छेद 19 ICCPR)
ICCPR का अनुच्छेद 19, अभिव्यक्ति की आज़ादी की व्यापक रक्षा करता है जिसमें संभावित हिंसा के बारे में जानकारी माँगने और पाने का अधिकार शामिल है. हालाँकि, इस अधिकार को कुछ ऐसी विशेष स्थितियों में प्रतिबंधित किया जा सकता है, जहाँ वैधानिकता (स्पष्टता), वैधता और अनिवार्यता तथा आनुपातिकता का तीन-हिस्सों वाला टेस्ट सफल होता हो. Meta, UNGP के तहत मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही वह सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में कंटेंट से जुड़े फ़ैसले लेते समय ICCPR जैसे प्राधिकारियों की राय लेगा. इस मामले में रबात का एक्शन प्लान भी उपयोगी मार्गदर्शन देता है. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का मूल्यांकन करना ज़रूरी बनाता है” (A/74/486, पैरा. 41).
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
अभिव्यक्ति की आज़ादी का कोई भी प्रतिबंध एक्सेस योग्य होना चाहिए और उसे यूज़र्स और कंटेंट रिव्यूअर्स को यह स्पष्ट मार्गदर्शन देना चाहिए कि प्लेटफ़ॉर्म पर किस कंटेंट की परमिशन है और किसकी नहीं. स्पष्टता या सटीकता में कमी के कारण नियमों का असमान और स्वैच्छिक एन्फ़ोर्समेंट हो सकता है.
हिंसा और उकसावे की पॉलिसी ऐसे खतरों को प्रतिबंधित करती है “जिनसे किसी व्यक्ति की जान जा सकती है” और खास तौर पर “ऐसी बयानों को प्रतिबंधित करती है जिनका इरादा बहुत गंभीर हिंसा करना हो.” बोर्ड ने पाया कि इस केस में लागू होने वाली पॉलिसी स्पष्ट है. हालाँकि, इस केस का फ़ैसला करते समय, बोर्ड ने पाया कि Meta इस बारे में अपर्याप्त जानकारी देता है कि वह सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में हिंसा और उकसावे की पॉलिसी को किस तरह लागू करता है, पॉलिसी में किस तरह की छूट उपलब्ध है और उनका उपयोग कैसे किया जाता है या क्या कंपनी इस तरह की स्थितियों में किसी खास तरह की एन्फ़ोर्समेंट प्रोसेस का उपयोग करती है.
II.वैधानिक लक्ष्य
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगने वाले प्रतिबंधों का एक वैधानिक लक्ष्य होना चाहिए, जिसमें दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना और राष्ट्रीय सुरक्षा या कानून व्यवस्था बनाए रखना शामिल है. हिंसा और उकसावे से जुड़े Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड ऐसे ऑफ़लाइन नुकसान को रोकने के लिए मौजूद है जो Facebook पर मौजूद कंटेंट से संबंधित होते हैं. जैसा कि बोर्ड ने पहले “राया कोबो में कथित अपराध” केस के फ़ैसले में कहा था, इस पॉलिसी के आधार पर प्रतिबंध, जीने के अधिकार और शारीरिक अखंडता के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करते हैं.
III.आवश्यकता और आनुपातिकता
आवश्यकता और आनुपातिकता के लिए Meta को यह दिखाना आवश्यक है कि अभिव्यक्ति पर उसका प्रतिबंध खतरे का निराकरण करने के लिए ज़रूरी था, जो इस केस में दूसरे व्यक्तियों के अधिकारों को खतरा है, और यह कि वह बहुत ज़्यादा व्यापक नहीं था (सामान्य कमेंट 34, पैरा. 34). यह आकलन करने में, बोर्ड ने यह तय करने के लिए रबात के एक्शन प्लान की बातों पर भी विचार किया कि किस कंटेंट से हिंसा को उकसावा मिलता है (रबात का एक्शन प्लान, OHCHR, A/HRC/22/17/Add.4,2013). साथ ही देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के दायित्वों और बिज़नेस के लिए मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का भी ध्यान रखा.
इस केस में, बोर्ड ने पाया कि प्लेटफ़ॉर्म से इस कंटेंट को हटाना, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के तहत अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक ज़रूरी और आनुपातिक प्रतिबंध था. अपना विश्लेषण सूचित करने के लिए रबात के एक्शन प्लान के छह हिस्सों वाले टेस्ट का उपयोग करते हुए, बोर्ड ने पाया कि वह इस पोस्ट को हटाने का समर्थन करता है.
इथियोपिया का संदर्भ; वक्ता की हैसियत और इरादा; भाषा का कंटेंट और उसकी पहुँच; और ऑफ़लाइन नुकसान की संभावना - इन सभी से ऑफ़लाइन हिंसा का जोखिम बढ़ा. (1) संदर्भ: कंटेंट को जारी और तीव्र होते हुए गृहयुद्ध के संदर्भ में पोस्ट किया गया था. शुरुआत से ही, संघर्ष में शामिल सभी पार्टियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवतावादी कानून का उल्लंघन हो रहा है. (2) वक्ता: वक्ता, क्षेत्रीय सरकार का एक मंत्रालय है जो संघर्ष में शामिल एक पार्टी से संबद्ध है और उसकी पहुँच और प्रभाव बहुत ज़्यादा है जिसमें टिग्रेयन सशस्त्र बलों को निर्देशित करने का अधिकार शामिल है. (3) इरादा: भाषा और संदर्भ को देखते हुए, उसमें आत्मसमर्पण न करने वाले सैनिकों की हत्या करने का कम से कम एक स्पष्ट बुलावा है; और यह यथोचित रूप से माना जा सकता है कि और नुकसान पहुँचाने का इरादा भी है. (4) कंटेंट: पोस्ट को इस तरह पढ़ा जा सकता है कि वह लड़ाकों और राजनेताओं को टार्गेट करने की वकालत करती है, भले ही वे संघर्ष में भाग ले रहे हों या नहीं. (5) फैलाव की सीमा: कंटेंट को एक ऐसे निकाय के पब्लिक पेज पर पोस्ट किया गया था जो संघर्ष में एक पार्टी है और जिसके लगभग 260,000 फ़ॉलोअर हैं और हटाए जाने के पहले वह दो दिनों तक प्लेटफ़ॉर्म पर बना रहा. (6) संभावना और निकटता: कंटेंट को उस समय के आसपास पोस्ट किया गया था जब TPLF के बल, टिग्रे के अलावा इथियोपिया के अन्य भागों की तरफ़ बढ़ रहे थे. साथ ही प्रधानमंत्री ने राष्ट्रव्यापी आपातकाल की घोषणा की थी और नागरिकों से हथियार उठाने और लड़ने का आह्वान किया था.
भले ही बोर्ड ने पाया कि इस केस में कंटेंट को हटाना ज़रूरी और आनुपातिक था, केस का रिव्यू करते समय बोर्ड को यह भी स्पष्ट हुआ कि यह आकलन करते समय ज़्यादा पारदर्शिता की ज़रूरत थी कि क्या Meta के उपाय पूरे संघर्ष के दौरान और सशस्त्र संघर्ष के सभी संदर्भों में एक समान थे. कंपनी को काफ़ी समय से इस बात की जानकारी है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग किस तरह नफ़रत फैलाने वाली भाषा के लिए और जातीय हिंसा भड़काने के लिए किया जाता रहा है. भले ही Meta ने कुछ संघर्षों में अपने मॉडरेशन सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं (उदाहरण के लिए, बोर्ड के सुझाव के अनुसार इज़राइल-फ़िलीस्तीन संघर्ष में कंटेंट मॉडरेशन के पक्षपात का स्वतंत्र आकलन करवाना), लेकिन अपनी मौजूदा पॉलिसी और प्रोसेस का मूल्यांकन करने और संघर्ष वाले क्षेत्रों में कंटेंट मॉडरेशन के सिद्धांतों पर आधारित और पारदर्शी फ़्रेमवर्क बनाने के लिए पर्याप्त काम नहीं हुआ है. बोर्ड के कुछ मेंबर्स ने कहा कि संघर्ष के क्षेत्रों में Meta के कंटेंट मॉडरेशन पर भी अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून लागू होना चाहिए.
इथियोपिया में, Meta ने अन्य लोगों को हिंसा के लिए उकसाने वाले कंटेंट को हटाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया है. जिन देशों को हिंसक संघर्ष का जोखिम है या जहाँ ऐसा संघर्ष हो रहा है, उनके लिए कंपनी दो सामान्य प्रोसेस रेफ़र करती है, जिनका उपयोग इथियोपिया में किया गया: “संकटग्रस्त देशों” को टियर करने का सिस्टम और IPOC. इथियोपिया को 2020 के आखिरी दिनों से टियर 1 का संकटग्रस्त देश (उच्चतम जोखिम) माना जाता रहा है और कंटेंट को पोस्ट किए जाते समय वह लेवल 3 IPOC (उच्चतम लेवल) पर था. इसके बावजूद, कंटेंट को दो दिन बाद ही हटाया गया, भले ही उसने पॉलिसी का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया था. बोर्ड ने देखा कि सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में दो दिन का समय, ऊपर बताए गए रबात आकलन को देखते हुए बहुत ज़्यादा था. इससे यह भी पता चलता है कि संकटग्रस्त टियर करने का सिस्टम भी अपर्याप्त है और मानवाधिकारों को बड़े जोखिम में डालने वाली घटनाओं से निपटने के लिए IPOC कोई समाधान नहीं है.
“संकटग्रस्त देशों” के आकलन के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य तरीके या शर्त के बारे में Meta की ओर से पब्लिक को पर्याप्त जानकारी नहीं दी जाती और यह भी नहीं बताया जाता कि इथियोपिया और संघर्ष की अन्य स्थितियों के परिणामस्वरूप कंपनी ने कौन से प्रोडक्ट पर काम किया है. इस जानकारी के बिना, न तो बोर्ड और न ही पब्लिक इन प्रोसेस की प्रभावशीलता और निष्पक्षता का मूल्यांकन कर सकती है. वे यह भी नहीं जान सकते कि क्या कंपनी के प्रोडक्ट निवेश उचित हैं या क्या उन्हें सभी क्षेत्रों और संघर्ष की स्थितियों में उसी गति और तत्परता से लागू किया जाता है.
Meta के अनुसार IPOC “कम समय के समाधान” हैं और उनका उपयोग अनौपचारिक रूप से किया जाता है. इससे बोर्ड को यह भी पता चलता है कि कंपनी को पूरे संघर्ष के दौरान कंटेंट का प्रभावी रूप से रिव्यू करने और उस पर प्रतिक्रिया करने के लिए ज़रूरी विशेषज्ञता, क्षमता और समन्वय पाने के लिए दीर्घकालीन आंतरिक मैकेनिज़्म में ज़्यादा रिसोर्स लगाने की ज़रूरत पड़ सकती है. ऐसे आकलन में पॉलिसी और देश की विशेषज्ञता की सहायता ली जानी चाहिए.
संघर्ष वाले क्षेत्रों में कंटेंट मॉडरेशन के Meta के अभी के तरीके से असमानता दिखाई पड़ सकती है. काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशंस के अनुसार, अभी पूरी दुनिया में लगभग 27 जगहों पर सशस्त्र संघर्ष चल रहा है. कम से कम एक संघर्ष (रूस-यूक्रेन) में कुछ पर्यवेक्षकों के अनुसार Meta ने तुरंत एक्शन ली और पॉलिसी में छूट दी ताकि उस कंटेंट को दिखाया जा सके जिसे हिंसा और उकसावे की पॉलिसी द्वारा अन्यथा प्रतिबंधित कर दिया जाता. संघर्ष की अन्य स्थितियों में Meta, प्रतिक्रिया करने में बहुत देर कर रहा है. बीआई नॉर्वेजियन बिज़नेस स्कूल के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. सैमसन एसायास द्वारा सबमिट किए गए पब्लिक कमेंट (PC-10433) में रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में कंटेंट को मॉडरेट करने में Meta के “त्वरित उपायों” को नोट करते हुए यह हाइलाइट किया गया कि “इस संघर्ष और अन्य क्षेत्रों के संघर्ष, खासकर इथियोपिया और म्यांमार, के बीच एक्शन का तरीका अलग-अलग है.” इससे कंपनी का असमान दृष्टिकोण दिखाई देता है जो Meta कंपनी की पहुँच और रिसोर्स के लिए समस्यापूर्ण है, खास तौर पर सशस्त्र संघर्ष के संदर्भ में.
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने हिंसा और उकसावे के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के उल्लंघन के कारण कंटेंट को हटाने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा है.
10. पॉलिसी से जुड़ी सलाह का कथन
पारदर्शिता
1. “पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन” केस में बोर्ड के सुझाव के अनुसार, जिसे “सूडान का आपत्तिजनक वीडियो” केस में भी दोहराया गया, Meta को अपने संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी चाहिए. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब इस फ़ैसले के प्रकाशित होने के छह महीनों के भीतर ट्रांसपेरेंसी सेंटर में संकट पॉलिसी प्रोटोकॉल की जानकारी उपलब्ध होगी. इसमें ट्रांसपेरेंसी सेंटर में पब्लिक पॉलिसी फ़ोरम स्लाइड डेक के अलावा एक अलग पॉलिसी होनी चाहिए.
एन्फ़ोर्समेंट
2. सशस्त्र संघर्ष के समय में अपनी कंटेंट पॉलिसी का एन्फ़ोर्समेंट बेहतर बनाने के लिए, Meta को दीर्घकालिक आंतरिक मैकेनिज़्म बनाने की व्यवहार्यता का आकलन करना चाहिए जो संघर्ष के दौरान कंटेंट का प्रभावी रूप से रिव्यू करने और उस पर प्रतिक्रिया करने के लिए ज़रूरी विशेषज्ञता, क्षमता और समन्वय प्रदान करे. बोर्ड इस सुझाव को तब लागू मानेगा जब Meta, बोर्ड को दीर्घकालिक आंतरिक मैकेनिज़्म की व्यवहार्यता का ओवरव्यू प्रदान करे.
*प्रक्रिया सबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच मेंबर्स के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और उन पर बोर्ड के अधिकांश मेंबर्स की सहमति होती है. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र शोध करवाया गया था. एक स्वतंत्र शोध संस्थान जिसका मुख्यालय गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी में है और छह महाद्वीपों के 50 से भी ज़्यादा समाजशास्त्रियों की टीम के साथ ही दुनिया भर के देशों के 3,200 से भी ज़्यादा विशेषज्ञों ने सामाजिक-राजनैतिक और सांस्कृतिक संदर्भ में विशेषज्ञता मुहैया कराई है. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता भी मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है.