सही ठहराया
फ़्रूट जूस डाइट
ओवरसाइट बोर्ड ने दो ऐसी पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा जिनमें एक महिला ने सिर्फ़ फ़्रूट-जूस डाइट का अपना अनुभव शेयर किया था.
सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने दो ऐसी पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा जिनमें एक महिला ने सिर्फ़ फ़्रूट-जूस डाइट का अपना अनुभव शेयर किया था. बोर्ड इस बात से सहमत है कि उनसे न तो Facebook के आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन होता है क्योंकि वे “कठोर और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले तरीकों से वज़न घटाने के निर्देश नहीं देते,” न ही वे खानपान की गड़बड़ियों को “प्रमोट” करते हैं या उन्हें “बढ़ावा” देते हैं. हालाँकि, इन दोनों केसों में शामिल दोनों पेज, Meta के पार्टनर मॉनेटाइज़ेशन प्रोग्राम में शामिल थे, इसलिए बोर्ड ने सुझाव दिया कि कंपनी अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी में “कठोर और नुकसानदेह डाइट से संबंधित कंटेंट” को प्रतिबंधित करे.
केस की जानकारी
2022 के अंतिम दिनों और 2023 के शुरुआती दिनों के बीच एक ही Facebook पेज पर दो पोस्ट की गई. इस पेज को थाइलैंड के जीवन, संस्कृति और खानपान के बारे में कंटेंट दिखाने वाला पेज बताया गया है. दोनों में, एक पुरुष द्वारा एक महिला का इंटरव्यू लिया गया है और इंटरव्यू के दौरान महिला से सिर्फ़ फ़्रूट जूस वाली डाइट लेने के उनके अनुभव के बारे में पूछा गया है. बातचीत इतालवी भाषा में की गई है.
पहले वीडियो में महिला कहती हैं कि जब से उन्होंने यह डाइट शुरू की है, तब से उनका मानसिक फ़ोकस बढ़ा है, त्वचा और पाचन प्रक्रिया बेहतर हुई है, वे ज़्यादा खुश और “हल्कापन” महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इसके पहले उन्हें त्वचा संबंधी समस्याएँ और पैरों में सूजन रहती थी. शुरुआत में उनके डाइट संबंधी बदलावों के कारण उनका वज़न 10 किलोग्राम (22 पाउंड) से ज़्यादा कम हो गया और उन्हें एनोरेक्सिया की समस्या हुई, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बाद में उनका वज़न सामान्य हो गया था. लगभग पाँच माह बाद, उस व्यक्ति ने दूसरे वीडियो में फिर से उस महिला का इंटरव्यू लिया और पूछा कि लगभग एक वर्ष तक सिर्फ़ फ़्रूट-जूस डाइट लेने पर अब वह कैसा महसूस करती हैं. महिला ने जवाब दिया कि वे अब अपनी उम्र के हिसाब से ज़्यादा युवा लगती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनका वज़न उसके बाद और कम नहीं हुआ और उन्होंने सिर्फ़ “चार किलो अशुद्धियों” को अपने शरीर से दूर किया. महिला ने इंटरव्यू लेने वाले व्यक्ति से इस डाइट को आज़माने के लिए प्रेरित भी किया. महिला ने यह भी कहा कि यह डाइट समाप्त करने के बाद वे “फ़्रूटेरियन” बन जाएँगी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वे “प्राणिक यात्रा” शुरू करने के बारे में भी सोच रही हैं जो उनके अनुसार नियमित रूप से खाने या पीने के बजाय “ऊर्जा पर” जीवित रहना है.
उनके बीच, पोस्ट को 2,000,000 से ज़्यादा बार देखा गया और उन पर 15,000 से ज़्यादा कमेंट आए. वीडियो में महिला के Facebook पेज की जानकारी शेयर की गई है, जिस पर दूसरी पोस्ट के बाद इंटरैक्शन की संख्या काफ़ी बढ़ गई.
Facebook के आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े स्टैंडर्ड के लिए दोनों पोस्ट की कई बार रिपोर्ट मिलने और उसके बाद हुए ह्यूमन रिव्यू में कंटेंट को उल्लंघन नहीं करने वाला पाया गया और इस कारण पोस्ट Facebook पर बनी रहीं. एक अलग यूज़र ने फिर Meta के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड को अपील की.
कंटेंट क्रिएटर का Facebook पेज जिस पर वीडियो पोस्ट किए गए थे और वीडियो में दिखाई गई महिला का Facebook पेज, Meta के पार्टनर मॉनेटाइज़ेशन प्रोग्राम का भाग हैं. इसका मतलब है कि कंटेंट क्रिएटर और शायद वह महिला, जिसका इंटरव्यू लिया जा रहा है, अपने पेजों से उस समय कमाई करते हैं जब Meta उनके कंटेंट पर विज्ञापन दिखाता है. ऐसा करने के लिए, दोनों पेज एक योग्यता जाँच में सफल हुए होंगे और कंटेंट के लिए Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड और उसकी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी का पालन करना ज़रूरी रहा होगा. अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसीज़ के तहत, Meta अपने प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ ख़ास कैटेगरी का मॉनेटाइज़ेशन प्रतिबंधित करता है, भले ही उनसे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन न होता हो.
मुख्य निष्कर्ष
बोर्ड ने पाया कि इनमें से किसी भी पोस्ट ने आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं किया क्योंकि उनमें “खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े शब्दों के साथ शेयर किए जाने पर वज़न में अचानक और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाली कमी करने के निर्देश” नहीं दिए गए हैं और उनमें “खानपान संबंधी गड़बड़ियों को बढ़ावा नहीं दिया गया है, उनका समन्वय नहीं किया गया है या उनके निर्देश नहीं दिए गए हैं.” बोर्ड ने यह नोट किया कि अपनी अवधि और कठोरता के आधार पर सिर्फ़ फ़्रूट जूस वाली डाइट में खानपान की ऐसी आदतें शामिल हो सकती हैं जिनके स्वास्थ्य पर अलग-अलग असर हो सकते हैं, लेकिन वीडियोज़ में खानपान की गड़बड़ियों का कोई सिग्नल या ऐसा कोई संदर्भ नहीं है जिससे Meta के नियमों का उल्लंघन हो. यहाँ तक कि महिला की ओर से डाइट के संबंध में “प्राणिक यात्रा” का उल्लेख – जिसे बोर्ड “श्वास संबंधी” कठोर डाइट समझता है और विशेषज्ञ जिसे चिकित्सीय रूप से खतरनाक समझते हैं – भी वर्णनात्मक रूप से किया गया है और उसमें वज़न की कोई बात नहीं की गई है.
Meta के प्लेटफ़ॉर्म्स का ऐसी जगह बने रहना ज़रूरी है जहाँ यूज़र अपनी जीवनशैली और डाइट से जुड़े अनुभव शेयर कर सकें, लेकिन साथ ही बोर्ड यह भी मानता है कि आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के तहत परमिशन दिया गया कंटेंट भी नुकसान पहुँचा सकता है, भले ही वह हटाने की सीमा में न आता हो. ये नुकसान किशोरों जैसे कुछ यूज़र्स के लिए ख़ास तौर पर गंभीर हो सकते हैं और किशोरवय महिलाएँ और लड़कियाँ खानपान संबंधी बुरी आदतें अपना सकती हैं. इस केस में, बोर्ड ने पाया कि इन वीडियो के कंटेंट में खानपान की ऐसी आदतों को बढ़ावा दिया गया है जो कुछ परिस्थितियों में खतरनाक हो सकती हैं.
बोर्ड ने यह भी नोट किया कि Meta की कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसीज़ के सामान्य तौर पर व्यापक दायरे के बावजूद, कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट सहित खानपान से जुड़ी आदतों संबंधी कंटेंट को मॉनेटाइज़ेशन के लिए सीमित या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. इस तरह बोर्ड इस बात से सहमत है कि दोनों वीडियो इन पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करते हैं. हालाँकि बोर्ड ने यह सुझाव दिया कि Meta को इन पॉलिसी में बदलाव करने चाहिए ताकि मानवाधिकारों से जुड़ी उसकी ज़िम्मेदारियाँ बेहतर तरीके से पूरी हों. ऐसा उन रिसर्च को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए जिनसे पता चलता है कि यूज़र्स, ख़ास तौर पर किशोर, को नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट से ज़्यादा खतरा है.
बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने Meta की कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी में एक प्रतिबंधित कैटेगरी के रूप में “कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट” का न होना एक प्रमुख और चिंताजनक कमी माना. स्वास्थ्य और कम्युनिकेशन विशेषज्ञों ने यह नोट किया कि इन्फ़्लुएंसर्स के पास यह कुशलता होती है कि वे अपने कंटेंट पर ज़्यादा से ज़्यादा एंगेजमेंट पाने के लिए कंटेंट को अपने अनुभव के रूप में प्रस्तुत करते हैं और सोशल मीडिया पर ऐसे इन्फ़्लुएंसर बड़ी मात्रा में मौजूद हैं. इसे देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि Meta इस तरह के कंटेंट को बनाने पर कोई आर्थिक फ़ायदा न दे. बोर्ड के कुछ सदस्यों के लिए, चूँकि डीमॉनेटाइज़ेशन इन मुद्दों पर अभिव्यक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, इसलिए Meta को यह एक्सप्लोर करना चाहिए कि क्या असुरक्षित यूज़र्स के अधिकारों का सम्मान करने के लिए डीमॉनेटाइज़ेशन सबसे कम रुकावट डालने वाला उपाय है.
बोर्ड के कुछ अन्य सदस्यों के लिए, मॉनेटाइज़ेशन ज़रूरी है लेकिन पर्याप्त नहीं है; उन्होंने पाया कि Meta को इसके अलावा कठोर और नुकसानदेह डाइट संबंधी कंटेंट को 18 वर्ष उम्र से ज़्यादा के वयस्कों तक सीमित करना चाहिए और खानपान संबंधी गड़बड़ियों के स्वास्थ्य को होने वाले जोखिमों के बारे में भरोसेमंद जानकारी शामिल करने के लिए कंटेंट पर लेबल लगाने जैसे अन्य उपाय एक्सप्लोर करने चाहिए.
ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने दो पोस्ट को बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा.
बोर्ड ने Meta को सुझाव दिया है कि वह:
- कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट को अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी में प्रतिबंधित करे ताकि नुकसानदेह कंटेंट बनाने के लिए इन्फ़्लुएंशियल यूज़र्स को आर्थिक फ़ायदे न मिलें.
* केस के सारांश से केस का ओवरव्यू मिलता है और आगे के किसी फ़ैसले के लिए इसको आधार नहीं बनाया जा सकता है.
केस का पूरा फ़ैसला
1. फ़ैसले का सारांश
ओवरसाइट बोर्ड ने एक ही Facebook पेज पर पोस्ट किए गए दो वीडियो को बनाए रखने के Meta के फ़ैसलों को कायम रखा. इन वीडियो में एक महिला का इंटरव्यू है जिसमें सिर्फ़ फ़्रूट जूस डाइट लेने के उनके अनुभव के बारे में बातचीत की गई है. दोनों वीडियो को इन-स्ट्रीम विज्ञापनों के ज़रिए मॉनेटाइज़ किया गया है, जिसका मतलब है कि कंटेंट क्रिएटर को विज्ञापन से कमाई का एक हिस्सा मिला और Meta को भी विज्ञापन से कमाई होने का अनुमान है. Meta ने कम्युनिटी स्टैंडर्ड और कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी के अनुसार वीडियो का आकलन किया, क्योंकि मॉनेटाइज़ किए गए कंटेंट पर दोनों लागू होती हैं, और पाया कि वीडियो ने किसी भी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया. Meta के फ़ैसलों को कायम रखते हुए, बोर्ड ने पाया कि दोनों फ़ैसले Meta की आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुरूप थे क्योंकि वीडियो में खानपान की गड़बड़ियों का कोई संदर्भ नहीं था, जो इस पॉलिसी का उल्लंघन करने के लिए ज़रूरी है. इसके अलावा, बोर्ड ने यह निर्धारित किया कि ये फ़ैसले, Meta की मौजूदा कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसीज़ के अनुरूप हैं.
हालाँकि, बोर्ड ने यह भी पाया कि इन वीडियो के कंटेंट में खानपान की ऐसी आदतों को बढ़ावा दिया गया है जो कुछ परिस्थितियों में खतरनाक हो सकती हैं. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने कहा कि नुकसान की आशंका को देखते हुए, ख़ास तौर पर बच्चों और टीनएजर बच्चों को, Meta को इस प्रकार के कंटेंट को बनाने से जुड़े आर्थिक फ़ायदे हटा देने चाहिए. Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने के लिए, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने सुझाव दिया कि Meta अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी में “कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट” को एक प्रतिबंधित कैटेगरी के रूप में शामिल करे. बोर्ड के कुछ सदस्यों के अनुसार, डीमॉनेटाइज़ेशन इन मुद्दों पर अभिव्यक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और Meta को यह एक्सप्लोर करना चाहिए कि क्या असुरक्षित यूज़र्स के अधिकारों का सम्मान करने के लिए डीमॉनेटाइज़ेशन सबसे कम रुकावट डालने वाला उपाय है. कुछ सदस्य इस बात से चिंतित हैं कि डीमॉनेटाइज़ेशन एक अनुपातहीन प्रतिबंध है. कुछ अन्य सदस्यों ने कहा कि डीमॉनेटाइज़ेशन ज़रूरी है लेकिन पर्याप्त नहीं है और Meta को इसके अलावा कठोर और नुकसानदेह डाइट संबंधी कंटेंट को 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के वयस्कों तक सीमित करना चाहिए और खानपान संबंधी गड़बड़ियों के स्वास्थ्य को होने वाले जोखिमों के बारे में जानकारी शामिल करने के लिए कंटेंट पर लेबल लगाने जैसे अन्य उपाय एक्सप्लोर करने चाहिए.
2. केस की जानकारी और बैकग्राउंड
ये केस एक ही Facebook पेज पर की गई दो वीडियो पोस्ट से संबंधित हैं. इस पेज को थाइलैंड के जीवन, संस्कृति और भोजन के बारे में कंटेंट दिखाने वाला पेज बताया गया है. इस पेज के लगभग 130,000 फ़ॉलोअर हैं. दोनों वीडियो में एक पुरुष द्वारा एक महिला का इतालवी भाषा में इंटरव्यू लिया गया है जिसमें महिला से कोई ठोस आहार न लेने और सिर्फ़ फ़्रूट जूस डाइट लेने के उनके अनुभव पूछे गए हैं. हर वीडियो के अंत में महिला का Facebook पेज शेयर किया गया है. बोर्ड द्वारा करवाई गई रिसर्च के आधार पर, महिला के Facebook पेज के 17,000 फ़ॉलोअर्स हैं और उसमें डाइट सहित महिलाओं की जीवनशैली से जुड़ा कंटेंट दिखाया जाता है.
2022 के अंतिम दिनों में पोस्ट किए गए पहले वीडियो में महिला ने बताया कि उन्हें त्वचा से जुड़ी समस्याएँ थीं और उनके पैरों में सूजन रहती थी. उन्होंने बताया कि उनके पैर बड़े और भारी-भरकम हो जाते थे. उन्होंने दावा किया कि जब से उन्होंने सिर्फ़ फ़्रूट जूस डाइट लेनी शुरू की है, तब से उनका मानसिक फ़ोकस बढ़ा है, उनकी त्वचा और पाचन प्रक्रिया बेहतर हुई है और वे ज़्यादा खुश और “हल्कापन” महसूस करती हैं. उस महिला ने कहा कि कुछ यूज़र्स को यह एनोरेक्सिया (खाने-पीने में अरुचि) की बीमारी लग सकती है, लेकिन फिर बताया कि डाइट बदलने से अक्सर ही अचानक से वज़न कम होता है और इसी वजह से शुरुआत में उनका वज़न 10 किलो (22 पाउंड) कम हुआ था. उस महिला ने बताया कि अब उनका वज़न “सामान्य” हो गया है. इस पोस्ट को लगभग 3,000 रिएक्शन, लगभग 1,000 कमेंट और 200,000 से ज़्यादा व्यू मिले.
2023 के शुरुआती दिनों में पोस्ट किए गए दूसरे वीडियो में, वही पुरुष उसी महिला से बात कर रहा है जो बहुत ज़्यादा दुबली लग रही हैं. वह पूछ रहा है कि लगभग एक साल तक सिर्फ़ फ़्रूट जूस डाइट लेने के बाद उन्हें कैसा लग रहा है. वह महिला दुखी होकर बताती है कि वह जल्द ही अपनी फ़्रूट जूस डाइट बंद करके ठोस फल खाने लगेंगी. वज़न के बारे में सवाल करने पर, उस महिला ने कहा कि उनका वज़न उससे ज़्यादा कम नहीं हुआ है, लेकिन "चार किलो अशुद्धियाँ” खत्म हुई हैं. महिला ने कहा कि डाइट के कारण वे अब अपनी उम्र के हिसाब से ज़्यादा युवा लगती हैं और महिला ने इंटरव्यू लेने वाले पुरुष को इस डाइट को आज़माने के लिए प्रेरित भी किया. उसने यह भी शेयर किया कि वे अब “फ़्रूटेरियन” बन जाएँगी और वे “प्राण” शुरू करना चाहती हैं जिसमें उनके अनुसार नियमित रूप से खानपान नहीं किया जाता है बल्कि “सिर्फ़ ऊर्जा” पर जीवित रहा जाता है. इस पोस्ट को लगभग 8,000 रिएक्शन, लगभग 14,000 कमेंट और बीस लाख से ज़्यादा व्यू मिले. बोर्ड द्वारा करवाई गई रिसर्च के अनुसार, दूसरी पोस्ट के बाद उस महिला के Facebook पेज पर इंटरैक्शन की संख्या काफ़ी बढ़ गई.
Meta के आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने की वजह से दोनों ही पोस्ट की Meta को कई बार रिपोर्ट की गई. आखिर में, हर केस में एक अलग यूज़र ने बोर्ड को अपील की. कंटेंट हटाने के लिए इन यूज़र्स द्वारा Meta को की गई शुरुआती अपीलें ऑटोमेशन के ज़रिए तुरंत ही बंद कर दी गईं क्योंकि पहले किए गए ह्यूमन रिव्यू में कंटेंट को उल्लंघन करने वाला नहीं पाया गया था. यूज़र्स ने फ़ैसलों के खिलाफ़ आगे Meta को अपील की. दोनों केसों में, ह्यूमन रिव्यूअर्स ने पाया कि दोनों वीडियो उल्लंघन नहीं करते हैं और उन्हें Facebook पर बनाए रखा गया.
जिस Facebook पेज पर वीडियो पोस्ट किए गए थे, वह Meta के पार्टनर मॉनेटाइज़ेशन प्रोग्राम का भाग है. इसका अर्थ है कि कंटेंट क्रिएटर को उस समय अपने Facebook पेज पर पोस्ट किए गए कंटेंट से कमाई होती है जब Meta इस कंटेंट पर विज्ञापन दिखाता है. इसका अर्थ है कि पेज एक योग्यता जाँच में सफल हुआ है और इन पेजों पर पोस्ट किए गए कंटेंट को Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड और उसकी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी का पालन करना ज़रूरी है ताकि कंटेंट पर विज्ञापन दिखाए जा सकें. मॉनेटाइज़ किए गए कंटेंट का रिव्यू, Meta के कम्युनिटी स्टैंडर्ड और कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसीज़ के आधार पर कंटेंट पोस्ट होने के बाद किया जाता है. Meta के अनुसार, दोनों वीडियो कम्युनिटी स्टैंडर्ड और कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी का अनुपालन करते हैं. दोनों वीडियो में दिखाई गई महिला का Facebook पेज भी Meta के पार्टनर मॉनेटाइज़ेशन प्रोग्राम का भाग है और यह अनुमान है कि उनके पेज पर पोस्ट किए जाने वाले इस तरह के कंटेंट से उन्हें भी कमाई हो रही होगी.
बोर्ड ने इस केस में अपना फ़ैसला करते समय नीचे दिए संदर्भ पर ध्यान दिया. पहला, बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उन्होंने बताया कि खानपान संबंधी गड़बड़ियाँ “मानसिक स्वास्थ्य की जटिल अवस्थाएँ होती हैं जो खानपान के असामान्य व्यवहारों, शरीर की नकारात्मक छवि और भोजन और वज़न के बारे में गलत समझ से नज़र आती हैं.” अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन के अनुसार, ऑर्थोरेक्सिया, “साफ़” या “शुद्ध” भोजन लेने का एक जुनून है. जैसा कि नेशनल इटिंग डिसॉर्डर एसोसिएशन ने कहा है, ऑर्थोरेक्सिया को डाइग्नोस्टिक एंड स्टेटिस्टिकल मैन्युअल 5 में औपचारिक रूप से खानपान की गड़बड़ी नहीं माना गया है.
भले ही फ़्रूटेरियन और सिर्फ़ फ़्रूट जूस डाइट को खानपान की गड़बड़ी के रूप में कैटेगराइज़ नहीं किया गया है, लेकिन लंबे समय तक सिर्फ़ फ़्रूट जूस लेना खानपान की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है. जिन साइकोलॉजिस्ट, डाइटेटिक्स और न्यूट्रिशन स्कॉलर्स ने पब्लिक कमेंट सबमिट किए और जिनसे बोर्ड ने परामर्श किया, उन्होंने यह पॉइंट हाइलाइट किया कि सिर्फ़ फ़्रूट जूस डाइट से स्वास्थ्य को कई तरह के खतरे होते हैं. डाइट की अवधि, उसमें ली गई चीज़ों और व्यक्ति के स्वास्थ्य के आधार पर इसके अलग-अलग असर हो सकते हैं. इसके अलावा, कुछ तरह की प्राण डाइट में भोजन लिया जाता है, लेकिन एक तरह की प्राण डाइट में सिर्फ़ व्यक्ति की श्वास या जीवन ऊर्जा पर जीवित रहा जाता है (जिसे “इनेडिया” या “ब्रिदेरियनिज़्म” भी कहा जाता है). बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उनके अनुसार इसे डाइट का सबसे कठोर रूप माना जाता है जिसका स्वास्थ्य में कोई उचित फ़ायदा नहीं होता और यह चिकित्सीय रूप से खतरनाक है.
दूसरा, रिसर्च के बढ़ते हुए समुदाय के अनुसार सोशल मीडिया का उपयोग, ख़ास तौर पर उपयोग के समय और आवृत्ति के साथ-साथ “फ़िट्सपाइरेशन” और “थिन्सपाइरेशन” ट्रेंड जैसी शरीर की आदर्श छवियों को प्रमोट करने वाले कंटेंट से संपर्क, लोगों में अपने शरीर के प्रति असंतोष उत्पन्न करता है, उनका खानपान बिगड़ता है और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरे परिणाम होते हैं. जैसा कि टीनएजर बच्चों और युवा वयस्कों पर सोशल मीडिया के असर का परीक्षण करने वाली एक स्टडी में बताया गया है, “किशोरावस्था एक ऐसी अवधि होती है जिसमें शरीर की छवि से जुड़ी समस्याएँ, खानपान की गड़बड़ियाँ और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानिया उत्पन्न होती हैं.” खानपान की सबसे ज़्यादा गड़बड़ियाँ किशोरावस्था में ही शुरू होती हैं. चिकित्सा विशेषज्ञों और वैश्विक महामारी के दौरान खानपान की गड़बड़ियों के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले किशोरों की बढ़ती संख्या को डॉक्यूमेंट करने वाली रिसर्च के अनुसार इसका प्रमुख कारण सोशल मीडिया पर ज़्यादा समय बिताना है. सोशल मीडिया रेकमेंडर एल्गोरिदम के कारण किशोरों को ज़्यादा कठोर डाइट से जुड़ा कंटेंट दिखाई दे सकता है जो उन्हें दुबलेपन को सौंदर्य का आदर्श मानने के लिए प्रेरित करता है. कई युवा बिना किसी चिकित्सीय ज्ञान के सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य और फ़िटनेस संबंधी सलाह के इन्फ़्लुएंसर बन गए हैं. कई सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर “तंदुरुस्ती” के नाम पर स्वास्थ्य संबंधी सलाह देते हैं, जिसमें वे बाहरी सुंदरता और कथित अच्छी सेहत को जोड़कर प्रस्तुत करते हैं.
3. ओवरसाइट बोर्ड की अथॉरिटी और स्कोप
बोर्ड को उस यूज़र के अपील करने के बाद Meta के फ़ैसले का रिव्यू करने का अधिकार है, जिसने पहले ऐसे कंटेंट की रिपोर्ट की थी जिसे छोड़ दिया गया था (चार्टर अनुच्छेद 2, सेक्शन 1; उपनियम अनुच्छेद 3, सेक्शन 1). जब बोर्ड को ऐसे केस मिलते हैं जिनमें एक जैसे मुद्दे होते हैं, तो वह उन्हें एक पैनल को साथ में असाइन कर सकता है ताकि एक साथ सुना जा सके. हर कंटेंट को लेकर एक बाध्यकारी फ़ैसला लिया जाएगा.
बोर्ड, Meta के फ़ैसले को कायम रख सकता है या उसे बदल सकता है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 5) और उसका फ़ैसला कंपनी पर बाध्यकारी होता है (चार्टर अनुच्छेद 4). Meta को मिलते-जुलते संदर्भ वाले समान कंटेंट पर अपने फ़ैसले को लागू करने की संभावना का भी आकलन करना चाहिए (चार्टर अनुच्छेद 4). बोर्ड के फ़ैसलों में गैर-बाध्यकारी सलाह शामिल हो सकती हैं, जिन पर Meta को जवाब देना ज़रूरी है (चार्टर अनुच्छेद 3, सेक्शन 4; अनुच्छेद 4). जहाँ Meta, सुझावों पर एक्शन लेने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, वहाँ बोर्ड उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है.
4. अथॉरिटी और मार्गदर्शन के सोर्स
इस केस में बोर्ड ने इन स्टैंडर्ड और पुराने फ़ैसलों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण किया:
I. ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले
ओवरसाइट बोर्ड के कुछ सबसे प्रासंगिक पुराने फ़ैसलों में ये शामिल हैं:
- FDA द्वारा नामंज़ूर किए गए उपचारों के लिए कीटामीन के उपयोग को प्रमोट करना (केस का फ़ैसला 2023-010-IG-MR)
- पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन (केस का फ़ैसला 2021-001-FB-FBR)
II. Meta की कंटेंट पॉलिसीज़
इस केस में Meta की कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसीज़ के अलावा कंपनी का आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड शामिल है.
आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुसार, Meta “खुद को चोट पहुँचाने” को “शरीर को जान-बूझकर और सीधे घायल करने, जिसमें खानपान संबंधी गड़बड़ियाँ भी शामिल हैं” के रूप में परिभाषित करता है. Meta के अनुसार, पॉलिसी में लोगों को खुद को चोट पहुँचाने, खानपान संबंधी गड़बड़ियों सहित, की चर्चा करने की परमिशन दी गई है, क्योंकि कंपनी लोगों को “एक ऐसी जगह देना चाहती है जहाँ लोग अपने अनुभव शेयर कर सकें, इन समस्याओं के बारे में जागरूकता फैला सकें और एक-दूसरे से सपोर्ट माँग सकें.” खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े कुछ तरह के कंटेंट पर प्रतिबंध है जिनमें से दो नियम यहाँ प्रासंगिक हैं. पहला, Meta ऐसे कंटेंट को हटा देता है “जिसमें बहुत तेज़ी से और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले तरीकों से वज़न कम करने के निर्देश, खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े शब्दों के साथ शेयर किए गए हों.” दूसरा, Meta ऐसे कंटेंट को हटा देता है “जो खानपान से जुड़ी गड़बड़ियों को प्रमोट करता है, उसे बढ़ावा देता है या उनके निर्देश देता है.”
दोनों वीडियो, जिनमें इन-स्ट्रीम विज्ञापन दिखाए गए थे, Meta की कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी के भी अधीन थे. इन पॉलिसीज़ के तहत, Meta अपने प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ ख़ास कैटेगरी के कंटेंट का मॉनेटाइज़ेशन प्रतिबंधित करता है, भले ही उनसे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन न होता हो. कंटेंट की इन कैटेगरी को कम मॉनेटाइज़ेशन मिल सकता है या उन्हें मॉनेटाइज़ेशन की योग्यता नहीं दी जाती है. उनमें “आपत्तिजनक कंटेंट” और “विवादित सामाजिक मुद्दों” जैसे व्यापक क्षेत्र भी शामिल हैं, लेकिन सभी कैटेगरी में दिए गए कई उदाहरणों में किसी भी तरह की डाइट या खानपान के तरीकों का कोई उल्लेख नहीं है.
बोर्ड द्वारा कंटेंट पॉलिसी का विश्लेषण Meta की “वॉइस” की वैल्यू, जिसे कंपनी सर्वोपरि बताती है और “सुरक्षा” की वैल्यू के आधार पर किया गया था.
III. Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ
बिज़नेस और मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शक सिद्धांत (UNGP), जिन्हें 2011 में संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार समिति ने स्वीकृति दी है, प्राइवेट बिज़नेस की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का स्वैच्छिक ढाँचा तैयार करते हैं. 2021 में Meta ने मानवाधिकारों से जुड़ी अपनी कॉर्पोरेट पॉलिसी की घोषणा की, जिसमें उसने UNGP के अनुसार मानवाधिकारों का ध्यान रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. इस केस में बोर्ड ने Meta की मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का विश्लेषण इन अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए किया:
- विचार और अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार: अनुच्छेद 19, नागरिक और राजनैतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICCPR), सामान्य टिप्पणी सं. 34, मानवाधिकार समिति, 2011; A/74/486; A/HRC/38/35)
- स्वास्थ्य का अधिकार: अनुच्छेद 12, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र ( ICESCR); सामान्य टिप्पणी सं. 14, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार समिति, 2000; A/HRC/53/65).
- बच्चों के अधिकार: बाल अधिकारों पर समझौता ( CRC); सामान्य टिप्पणी सं. 13, बाल अधिकार समिति, 2011, पैरा. 28)
5. यूज़र सबमिशन
दोनों पोस्ट के लेखक को बोर्ड के रिव्यू के बारे में सूचित किया गया और उन्हें बोर्ड के समक्ष कथन सबमिट करने का अवसर दिया गया. पोस्ट के लेखक ने कोई कथन सबमिट नहीं किया. बोर्ड को की गई अपनी अपीलों में, केस के कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स ने कहा कि कंटेंट से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह जीवनशैली का प्रमोशन होता है और इससे अन्य लोगों को, ख़ासकर टीनएजर बच्चों को ऐसा करने के लिए बढ़ावा मिल सकता है. उन्होंने कंटेंट को “गलत” और एनोरेक्सिया को “एक अच्छी चीज़” के रूप में प्रस्तुत करने वाला बताया, जिससे कंटेंट देखने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य के खतरे पैदा हो सकते हैं.
6. Meta के सबमिशन
Meta ने बोर्ड से कहा कि दोनों में से किसी भी पोस्ट ने आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने संबंधी नियम का उल्लंघन नहीं किया जो “ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित करता है जिसमें खानपान संबंधी गड़बड़ियों से जुड़े शब्दों के साथ शेयर करके वज़न को तेज़ी से और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले तरीकों से कम करने के निर्देश दिए जाते हैं.” Meta के अनुसार, पोस्ट में “वज़न को तेज़ी से और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले तरीकों से कम करने” या खानपान संबंधी गड़बड़ियों का कोई संदर्भ नहीं है. इसके अलावा, Meta ने नोट किया कि भले ही महिला ने अपना अनुभव बताया हो, “लेकिन उसने अन्य लोगों को ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया.” बोर्ड द्वारा पूछे जाने पर, Meta ने बताया कि किसी भी पोस्ट ने उस पॉलिसी लाइन का उल्लंघन नहीं किया जिसमें “ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित किया जाता है जो खानपान की गड़बड़ियों को प्रमोट करता है, उन्हें बढ़ावा देता है, उनका समन्वय करता है या उनके निर्देश देता है, क्योंकि दोनों वीडियो में खानपान की गड़बड़ी का कोई संदर्भ नहीं है.
Meta ने बताया कि वह शरीर की छवि या स्वास्थ्य संबंधी स्टेटस से जुड़े “कंटेंट पर ज़रूरत से ज़्यादा या कम एन्फ़ोर्समेंट नहीं करना चाहता क्योंकि उसके प्लेटफ़ॉर्म ऐसे ज़रूरी स्थान हो सकते हैं जहाँ लोग खुद की छवि और शारीरिक स्वीकार्यता के संबंध में अपने अनुभव और यात्राएँ शेयर करते हैं.” इसलिए कंपनी के लिए यह ज़रूरी है कि पॉलिसी का उल्लंघन करने के लिए कंटेंट में खानपान की गड़बड़ियों के सिग्नल या शब्दावली के संदर्भ मौजूद हों.
Meta ने कहा कि कंपनी फ़्रूटेरियन, सिर्फ़ फ़्रूट जूस और प्राण डाइट को अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन के खानपान की गड़बड़ी के वर्गीकरण और कंपनी द्वारा विशेषज्ञों से निरंतर की जाने वाली चर्चा के आधार पर खानपान की गड़बड़ियाँ नहीं मानती. Meta ने बोर्ड से कहा कि उसकी सुरक्षा पॉलिसी टीम नियमित रूप से विशेषज्ञों और परामर्शी ग्रुप्स से यह जानने के लिए बातचीत करती है कि खानपान की गड़बड़ी के कौन-से ट्रेंड प्रचलित हैं और इसके आधार पर टीम खानपान की गड़बड़ी के उल्लंघन करने वाले सिग्नल की लिस्ट को अपडेट करती है. Meta के अनुसार, क्षेत्रीय ऑपरेशन टीम भी खानपान की गड़बड़ी के सिग्नलों की लिस्ट को तैयार करने में बड़ा रोल निभाती है और इस बारे में उदाहरण उपलब्ध कराती है कि प्रस्तावित शब्दों का उपयोग प्लेटफ़ॉर्म पर किस तरह किया जाता है. Meta की कंटेंट पॉलिसी टीम, पूरी पॉलिसी बनाने के लिए क्षेत्रीय ऑपरेशन टीम से मिली जानकारी का उपयोग करती है.
बोर्ड ने Meta से नौ लिखित सवाल पूछे. सवाल इस बारे में थे कि पॉलिसी को एन्फ़ोर्स करने के लिए कंपनी खानपान की गड़बड़ी को कैसे परभाषित करती है; कंटेंट को उल्लंघन करने वाला मानने के लिए संदर्भ के रूप में खानपान की गड़बड़ी से जुड़े शब्दों की मौजूदगी ज़रूरी बनाने का कारण; क्या केस के कंटेंट से Meta को कोई आर्थिक फ़ायदा है; और पॉलिसी बनाने के लिए अपनाई गई प्रोसेस, आंतरिक रिसर्च और परामर्श किए गए स्टेकहोल्डर, अगर कोई है तो. Meta ने सभी सवालों के जवाब दिए.
7. पब्लिक कमेंट
ओवरसाइट बोर्ड को नौ पब्लिक कमेंट मिले, जिसमें अमेरिका, कनाडा और यूरोप क्षेत्रों के डाइटेटिक्स और खानपान की गड़बड़ी से जुड़े विशेषज्ञों से प्राप्त कमेंट शामिल हैं. इन कमेंट में इस डाइट से लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले खतरों और नाबालिगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरों की बात की गई थी.
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8. ओवरसाइट बोर्ड का विश्लेषण
बोर्ड ने ये केस यह परीक्षण करने के लिए चुने कि Meta की पॉलिसी और एन्फ़ोर्समेंट के तरीके किस तरह Facebook पर डाइट, फ़िटनेस और खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े के कंटेंट का समाधान करते हैं. बोर्ड ने Meta की वैल्यू और मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अलावा Meta की कंटेंट पॉलिसी का विश्लेषण करने बाद यह परीक्षण किया कि क्या इस कंटेंट को हटा दिया जाना चाहिए. इन कंटेंट पॉलिसी में Facebook कम्युनिटी स्टैंडर्ड और कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी शामिल हैं.
8.1 Meta की कंटेंट पॉलिसी का अनुपालन
I. कंटेंट नियम
बोर्ड ने पाया कि इन दोनों पोस्ट ने Meta की किसी भी कंटेंट पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया है.
a. आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड
बोर्ड ने पाया कि इन केसों में शामिल कंटेंट ने Meta की आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं किया है. पहला प्रासंगिक नियम “ऐसे कंटेंट को हटा देता है जिसमें बहुत तेज़ी से और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले तरीकों से वज़न कम करने के निर्देश, खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े शब्दों के साथ शेयर किए गए हों” और दूसरा प्रासंगिक नियम ऐसे कंटेंट को प्रतिबंधित करता है जो खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े कंटेंट को प्रमोट करता है, उसे बढ़ावा देता है, उसका समन्वय करता है या उसके निर्देश देता है.
इसलिए दोनों नियमों के लिए यह ज़रूरी है कि उल्लंघन करने वाला माने जाने के लिए खानपान की गड़बड़ी का संदर्भ मौजूद हो. Meta के आंतरिक मार्गदर्शन में खानपान की गड़बड़ी के ऐसे सिग्नलों की अपूर्ण लिस्ट शामिल है जिन्हें उल्लंघन करने वाला माना जाता है. इसमें खानपान की ज्ञात गड़बड़ियाँ, बोलचाल के शब्द और शारीरिक वर्णनों के संदर्भ शामिल हैं और इनमें हैशटैग पर ख़ास ध्यान दिया गया है.
बोर्ड ने पाया कि इन केस में शामिल वीडियो में खानपान की गड़बड़ी के किसी सिग्नल का उल्लेख नहीं है या उनमें खानपान की गड़बड़ी का कोई संदर्भ इस तरह नहीं दिया गया है जिससे पॉलिसी का उल्लंघन हो. बोर्ड ने इन केसों को चुनौतीपूर्ण माना और नोट किया कि सिर्फ़ फ़्रूट जूस डाइट में खानपान की कई आदतें शामिल हो सकती हैं और उनकी अवधि और कठोरता के लेवल के अनुसार उनके स्वास्थ्य पर अलग-अलग प्रभाव हो सकते हैं. बोर्ड मानता है कि खानपान की ऐसी नुकसानदेह आदतें प्रचलित हैं जो खानपान की गड़बड़ी के रूप में हटाए जाने की सीमा में नहीं आतीं और ये दोनों वीडियो उसी सीमा में आते हैं.
दूसरी पोस्ट में महिला ने प्राण डाइट का भी उल्लेख किया, जो उनके अनुसार “सिर्फ़ ऊर्जा पर” जीवित रहना है. महिला द्वारा दिए गए डाइट के वर्णन के आधार पर, बोर्ड यह समझता है कि यह एक कठोर “ब्रिदेरियन” डाइट होगी. बोर्ड ने जिन विशेषज्ञों से परामर्श किया, उनके अनुसार यह डाइट खतरनाक है. हालाँकि, प्राण डाइट के संदर्भ में कहीं भी वज़न का उल्लेख नहीं किया गया था और उसका उपयोग वर्णनात्मक रूप से किया गया था. इससे यह नहीं माना जाता कि उसमें प्राण डाइट को प्रमोट किया जा रहा है, उसे बढ़ावा दिया जा रहा है या दूसरे लोगों को उसे अपनाने के लिए कहा जा रहा है.
बोर्ड ने इसलिए पाया कि दोनों पोस्ट Meta की आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने की पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करती हैं. जैसा कि नीचे Meta की मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों के विश्लेषण में कहा गया है, बोर्ड ने पाया कि इस क्षेत्र में हटाने के अधीन आने वाले प्रतिबंधित कंटेंट के दायरे को सीमित किया जाना चाहिए ताकि इन विषयों पर गंभीर चर्चाएँ की जा सकें, लेकिन Meta को कम से कम रुकावट डालने वाले ऐसे उपाय भी करने चाहिए जिससे इन्फ़्लुएंशियल यूज़र्स द्वारा पोस्ट किए गए पॉलिसी का उल्लंघन न करने वाले नुकसानदेह कंटेंट का समाधान हो.
b. कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी
इन केसों के कंटेंट में इन-स्ट्रीम विज्ञापन दिखाए गए थे, इसलिए इन पर कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी लागू होती हैं. Meta ने यह बात बोर्ड को तब बताई जब बोर्ड ने पूछा कि क्या कंपनी को केस के कंटेंट से कोई आर्थिक फ़ायदा मिलता है. इससे पहले कि यूज़र्स, Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट किए गए कंटेंट को मॉनेटाइज़ कर सकें, उन्हें पार्टनर मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी का पालन करना ज़रूरी है. इसके तहत एंटिटी की शुरुआती योग्यता जाँच की जाती है और यह ज़रूरी बनाया जाता है कि एंटिटी द्वारा की गई हर पोस्ट, कम्युनिटी स्टैंडर्ड और कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी का अनुपालन करे.
कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी और कम्युनिटी स्टैंडर्ड अलग-अलग हैं. कम्युनिटी स्टैंडर्ड, Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद सभी कंटेंट पर लागू होते हैं, जबकि कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी सिर्फ़ उस कंटेंट पर लागू होती है जिसे यूज़र्स मॉनेटाइज़ करना चाहते हैं. Meta कई तरह के कंटेंट को मॉनेटाइज़ करने से रोकता है, भले ही कंटेंट को Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर अन्यथा दिखाने की परमिशन हो.
इन पॉलिसी के तहत, कंटेंट को कुछ कैटेगरी को कम मॉनेटाइज़ेशन हासिल होता है या उन्हें मॉनेटाइज़ नहीं किया जा सकता. जिन कैटेगरी को मॉनेटाइज़ेशन के लिए प्रतिबंधित किया गया है या जो इसके लिए योग्य नहीं हैं, उनमें “विवादित सामाजिक मुद्दों” को दिखाने या उनकी चर्चा करने वाला कंटेंट, “आपत्तिजनक एक्टिविटी” वाला कंटेंट, “कठोर भाषा” और “आपत्तिजनक कंटेंट” जैसे “चोट, खून-खराबा या शरीर के कटे-फटे अंग” शामिल हैं. जिस कंटेंट को मॉनेटाइज़ेशन की योग्यता नहीं है, उसमें “ऐसे चिकित्सीय दावे करने वाला कंटेंट शामिल है जिनकी पुष्टि किसी विशेषज्ञ संगठन ने नहीं की है.” इसमें टीकाकरण विरोधी दावों के ख़ास उदाहरण को शामिल किया गया है.
मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसीज़ के सामान्य तौर पर व्यापक दायरे के बावजूद, कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट सहित खानपान से जुड़ी आदतों संबंधी कंटेंट को मॉनेटाइज़ेशन के लिए सीमित या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. इस तरह बोर्ड, Meta के इस आकलन से सहमत है कि दोनों वीडियो Meta की कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करते. हालाँकि बोर्ड ने नीचे यह सुझाव दिया है कि Meta को इन पॉलिसी में बदलाव करने चाहिए ताकि मानवाधिकारों से जुड़ी उसकी ज़िम्मेदारियाँ बेहतर तरीके से पूरी हों. ऐसा उन रिसर्च को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए जिनसे पता चलता है कि यूज़र्स, ख़ास तौर पर बच्चों, को नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट से ज़्यादा खतरा है.
8.2 Meta की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों का अनुपालन
बोर्ड ने पाया कि इन पोस्ट को Facebook पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले, कंपनी की मानवाधिकारों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप थे. हालाँकि, बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने पाया कि कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट का संबंध सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान से है, ख़ास तौर पर बच्चों जैसे कुछ ग्रुप्स के लिए, और अधिकारों का सम्मान करने वाले तरीका का अर्थ यह है कि कंपनी को ऐसा कंटेंट पोस्ट करने वाले इंफ़्लुएंशियल यूज़र्स को आर्थिक फ़ायदा पहुँचाकर ऐसे कंटेंट के निर्माण और प्रसार को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए. बोर्ड ने नोट किया कि Meta अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी में इस बात को पहले ही मानता है कि “यह ज़रूरी नहीं है कि Facebook पर सामान्य तौर पर उपयुक्त कुछ कंटेंट, मॉनेटाइज़ेशन के लिए भी उपयुक्त हो.” इसका मतलब है कि Meta कुछ ख़ास तरह के कंटेंट से फ़ायदा कमाना नहीं चाहता, भले ही उनसे कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन न होता हो. ऐसे कंटेंट के उदाहरणों में “आपत्तिजनक एक्टिविटी”, “विवादित सामाजिक मुद्दे,” “कठोर भाषा” और “आपत्तिजनक कंटेंट” आदि शामिल हैं.
अभिव्यक्ति की आज़ादी (अनुच्छेद 19 ICCPR)
ICCPR के अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की विस्तृत सुरक्षा का प्रावधान है. इस अधिकार में “सभी प्रकार की जानकारी और आइडिया माँगना, पाना और देना” शामिल है. सूचना की एक्सेस, अभिव्यक्ति की आज़ादी का मुख्य भाग है. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र का अनुच्छेद 12, स्वास्थ्य के अधिकार का आश्वासन देता है जिसमें स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा और जानकारी का अधिकार शामिल है (ICESCR अनुच्छेद. 12; आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार समिति, सामान्य टिप्पणी सं. 14 (2000), पैरा. 3).
जहाँ राज्य, अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है, वहाँ प्रतिबंधों को वैधानिकता, वैधानिक लक्ष्य और आवश्यकता तथा आनुपातिकता की शर्तों को पूरा करना चाहिए (अनुच्छेद 19, पैरा. 3, ICCPR). इन आवश्यकताओं को अक्सर “तीन भागों वाला परीक्षण” कहा जाता है. Meta की स्वैच्छिक मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को समझने के लिए बोर्ड इस फ़्रेमवर्क का उपयोग करता है - रिव्यू किए जा रहे कंटेंट से जुड़े व्यक्तिगत फ़ैसले और कंटेंट संबंधी नियमों के मामले में Meta के व्यापक नज़रिए, दोनों के लिए. जैसा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में संयुक्त राष्ट्र के खास रैपर्टर में कहा गया है कि भले ही “कंपनियों का सरकारों के प्रति दायित्व नहीं है, लेकिन उनका प्रभाव इस तरह का है जो उनके लिए अपने यूज़र की सुरक्षा के बारे में इस तरह के सवालों का आकलन करना ज़रूरी बनाता है” (A/74/486, पैरा. 41).
I. वैधानिकता (नियमों की स्पष्टता और सुलभता)
वैधानिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति को सीमित करने वाले नियम, उन्हें एन्फ़ोर्स करने वाले लोगों और उनसे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए एक्सेस करने लायक और स्पष्ट हों (सामान्य टिप्पणी सं. 34, पैरा. 25). अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करने वाले नियम “उन लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी को प्रतिबंधित करने के निरंकुश अधिकार नहीं दे सकते जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है” और नियमों में "उन लोगों के लिए पर्याप्त मार्गदर्शन भी होना ज़रूरी है जिन पर इन्हें लागू करने की ज़िम्मेदारी है ताकि वे यह पता लगा सकें कि किस तरह की अभिव्यक्ति को उचित रूप से प्रतिबंधित किया गया है और किसे नहीं" ( पूर्वोक्त). प्लेटफ़ॉर्म के ऑनलाइन अभिव्यक्ति की निगरानी करने वाले नियमों के मामले में, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संयुक्त राष्ट्र के ख़ास रैपर्टर में कहा गया है कि उन्हें स्पष्ट और विशिष्ट होना चाहिए (A/HRC/38/35, पैरा. 46). Meta के प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने वाले लोगों के लिए ये नियम एक्सेस करने और समझने लायक होने चाहिए और उनके एन्फ़ोर्समेंट के संबंध में कंटेंट रिव्यूअर्स को स्पष्ट मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
बोर्ड ने Meta की आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़ी पॉलिसी में दो नियमों का आकलन किया: (i) ऐसा कंटेंट जिसमें बहुत तेज़ी से और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले तरीकों से वज़न कम करने के निर्देश, खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े शब्दों के साथ शेयर किए गए हों; और (ii) ऐसा कंटेंट जो खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े कंटेंट को प्रमोट करता है, उसे बढ़ावा देता है, उसका समन्वय करता है या उसके निर्देश देता है. दोनों में खानपान की गड़बड़ियों का संदर्भ होना ज़रूरी है और इसका निर्धारण करने के लिए Meta अपने रिव्यूअर्स को आंतरिक मार्गदर्शन देता है.
यद्यपि Meta ने कहा कि यह लिस्ट “अपूर्ण” है और किसी विशेष फ़ॉर्मेट पर फ़ोकस नहीं करती, लेकिन लिस्ट में दिए गए उदाहरण लगभग पूरी तरह से हैशटैग फ़ॉर्मेट में ही हैं. इस पॉलिसी को लागू करने वाले कंटेंट मॉडरेटर्स, जो आंतरिक गाइडलाइंस को रेफ़र करते हैं, अपने एन्फ़ोर्समेंट और निष्कासन को इस ज़्यादा आपत्तिजनक तरह के कंटेंट पर फ़ोकस कर सकते हैं. बोर्ड के लिए, इससे यह इंप्रेशन मिलता है कि प्रतिबंधित कंटेंट की जो कैटेगरी, सार्वजनिक स्टैंडर्ड में अपेक्षाकृत रूप से व्यापक दिखाई देती हैं, व्यवहारिक रूप में उनका दायरा अधिक सीमित है. ऐसी स्पष्ट विसंगति से गंभीर कानूनी चिंताएँ सामने आती हैं, हालाँकि जैसा कि इन पोस्ट के मामले में किया गया, सार्वजनिक नियमों द्वारा यूज़र्स को पर्याप्त नोटिस दिया गया और कम्युनिटी स्टैंडर्ड और आंतरिक नियमों से कंटेंट मॉडरेटर्स को पर्याप्त मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.
II. वैधानिक लक्ष्य
ICCPR के अनुच्छेद 19, पैरा. 3 के तहत, कारणों की एक परिभाषित और सीमित लिस्ट के अनुसार अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित किया जा सकता है. इन केसों में बोर्ड ने पाया कि आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़ा कम्युनिटी स्टैंडर्ड, जो खानपान की गड़बड़ियों से जुड़े कंटेंट को प्रतिबंधित करता है, सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा करने और अन्य लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, ख़ास तौर पर बच्चों के, के अधिकारों का सम्मान करने के वैधानिक लक्ष्य को पूरा करता है.
III. आवश्यकता और आनुपातिकता
आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार यह ज़रूरी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित प्रतिबंध "रक्षा करने के उनके कार्य को सही तरीके से पूरा करने वाले होने चाहिए; उनसे उन लोगों के अधिकारों में कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए, जिन्हें उन प्रतिबंधों से होने वाले रक्षात्मक कार्यों का लाभ मिल सकता है [और] जिन हितों की सुरक्षा की जानी है, उसके अनुसार ही सही अनुपात में प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए" (सामान्य टिप्पणी सं. 34, पैरा. 34).
बोर्ड ने पाया कि आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़ी पॉलिसी के मौजूदा तरीके में खानपान की गड़बड़ी का सिग्नल होने की ज़रूरत, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक आनुपातिक प्रतिबंध है ताकि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सके और अन्य लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार का सम्मान किया जा सके और साथ ही यूज़र्स को Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा और बहस करने की सुविधा दी जा सके. Meta के अनुसार इस ज़रूरत के बिना, जिससे बोर्ड भी सहमत है, पॉलिसी का दायरा ज़रूरत से ज़्यादा व्यापक हो सकता है और उससे अभिव्यक्ति की आज़ादी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मामले में सूचना की एक्सेस अकारण प्रतिबंधित हो सकती है, जिसमें स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाली डाइट और खानपान की गड़बड़ियों से जुड़ी जानकारी शामिल है.
बोर्ड ने पाया कि Meta के प्लेटफ़ॉर्म का ऐसी जगह बने रहना ज़रूरी है जहाँ लोग किसी ख़ास जीवनशैली और डाइट के बारे में अपने अच्छे और बुरे अनुभव शेयर कर सकें. जैसा कि बोर्ड द्वारा परामर्श किए गए विशेषज्ञों ने कहा, ख़ास बात यह है कि खानपान की गड़बड़ियाँ एक मानसिक विकार होती हैं और खानपान की आदतें और डाइट, खानपान की गड़बड़ी का सिग्नल हो सकती हैं लेकिन उनसे कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता. इसलिए बोर्ड ने पाया कि केस में शामिल कंटेंट को हटाना, अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एक्सेस करने, माँगने और शेयर करने के अधिकार के अनुरूप नहीं होगा.
साथ ही बोर्ड यह भी मानता है कि इस पॉलिसी के तहत जिस कंटेंट की परमिशन है, उससे नुकसान हो सकता है, भले ही वह कंटेंट ऐसे नुकसान की सीमा में न आता हो जिसके कारण उसे हटा दिया जाए. इस केस में नुकसान कुछ यूज़र्स के लिए ख़ास तौर पर गंभीर हो सकता है, जिसमें बच्चे शामिल हैं. बोर्ड को की गई अपीलों में, रिपोर्ट करने वाले यूज़र्स ने कहा कि कंटेंट से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह जीवनशैली का प्रचार होता है और इससे अन्य लोगों को, ख़ास तौर पर टीनएजर बच्चों को ऐसा करने के लिए बढ़ावा मिल सकता है. उन्होंने कंटेंट को “गलत” और एनोरेक्सिया को “एक अच्छी चीज़” के रूप में प्रस्तुत करने वाला बताया, जिससे कंटेंट देखने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य के खतरे पैदा हो सकते हैं. जैसा कि पब्लिक कमेंट में नोट किया गया है और बोर्ड द्वारा परामर्श किए गए विशेषज्ञों ने बताया है, किशोरों द्वारा खानपान की गड़बड़ियाँ अपनाए जाने का खतरा ज़्यादा है क्योंकि खानपान की सबसे ज़्यादा गड़बड़ियाँ किशोरावस्था में शुरू होती हैं.
संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति ने कहा है कि बच्चों के अधिकारों में सभी तरह की हिंसा से आज़ादी शामिल है, जिसमें खुद को नुकसान पहुँचाना शामिल है और इसमें खानपान की गड़बड़ियाँ भी आती हैं ( सामान्य टिप्पणी सं. 13, (2011), पैरा. 28). समिति ने आगे इस तथ्य से जुड़े खतरों को भी हाइलाइट किया कि बच्चे “वास्तविक या संभावित नुकसानदेह विज्ञापनों” को ऑनलाइन देखते हैं ( सामान्य टिप्पणी सं. 13, (2011), पैरा. 31).
UNGP यह कहते हैं कि बिज़नेस को मानवाधिकारों पर अपने प्रोडक्ट, सर्विस और बिज़नेस से सीधे जुड़े बुरे प्रभावों को रोकना और कम करना चाहिए (सिद्धांत 13). इसी के संबंध में, बाल अधिकार समझौते के अनुच्छेद 17 में बच्चों के “सामाजिक, आध्यात्मिक और नैतिक कल्याण और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य” के लिए मीडिया के महत्व को मान्यता दी गई है. संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति ने बताया कि अनुच्छेद 17 “मास मीडिया संगठनों की ज़िम्मेदारी का वर्णन करता है. स्वास्थ्य के संदर्भ में, इनमें बच्चों में स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवनशैली को प्रमोट करना… जानकारी की एक्सेस को प्रमोट करना; ऐसे कम्युनिकेशन प्रोग्राम और सामग्री न बनाना जो बच्चों और सामान्य स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो [अन्य ज़िम्मेदारियों के अलावा]” ( सामान्य टिप्पणी सं. 15, पैरा. 84).
बोर्ड ने लगातार यह कहा कि Meta को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर नुकसानदेह कंटेंट को रोकने के कम से कम रुकावट डालने वाले साधन ढूँढते रहना चाहिए. बोर्ड ने ख़ास तौर पर यह नोट किया कि “खतरे पैदा करने वाली अभिव्यक्ति को फैलने से रोकने के लिए प्रभावी तरीके बनाना” उस ज़िम्मेदारी का एक भाग है ( पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का सस्पेंशन केस). इस केस में, बोर्ड ने माना कि मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसीज़, यूज़र्स की अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ-साथ अन्य मानवाधिकारों पर भी असर डालती हैं. बोर्ड के बहुसंख्य सदस्य यह मानते हैं कि नुकसानदेह डाइट को प्रमोट करने वाला कंटेंट बनाने के लिए इन्फ़्लुएंशियल यूज़र्स को आर्थिक फ़ायदे देना, ऐसे कंटेंट के निर्माण और फैलाव को पुरस्कार देने जैसा होगा. इस आर्थिक फ़ायदे को हटाना कंपनी के कंट्रोल में है और यह अन्य तरह के ऐसे कंटेंट के मामले में Meta के मौजूदा दृष्टिकोण के अनुरूप है जो कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं करता लेकिन जिसे कंपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी के तहत प्रतिबंधित करती है.
कम्युनिकेशन स्कॉलर और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोगों को अपील करने और मनाने की इन्फ़्लुएंसर्स की क्षमता उनकी कम्युनिकेशन स्टाइल में दिखाई देती है जो इस तरह लगती है जैसे वे सामान्य व्यक्ति हों. जैसा कि इस कंटेंट में दिखाई दिया, इन्फ़्लुएंसर्स अपनी निजी कहानी कहते हुए या अपना निजी अनुभव बताते हुए डाइट और जीवनशैली में बदलावों के कथित फ़ायदे बताते हैं. इससे इन्फ़्लुएंशियल यूज़र्स को ऐसा कंटेंट बनाने में मदद मिलती है जिससे बहुत ज़्यादा लोग एंगेज होते हैं. यह ख़ास तौर पर उस समय ज़्यादा अपील करता है जब वे कंटेंट को मॉनेटाइज़ करना चाहते हैं. Meta के प्लेटफ़ॉर्म पर स्वास्थ्य से जुड़े इन्फ़्लुएंसर्स की व्यापकता और ऐसे कंटेंट के व्यापक सेट को देखते हुए जिससे Meta अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी के तहत फ़ायदा कमाना नहीं चाहता, नुकसानदेह डाइट वाले कंटेंट की चूक, स्पष्ट और चिंताजनक है.
बोर्ड ने पहले यह सुझाव दिया था कि Meta अपनी ब्रांडेड कंटेंट पॉलिसी में “‘पेड पार्टनरशिप’ लेबल का अर्थ स्पष्ट करने के लिए बदलाव करे और यह सुनिश्चित करे कि कंटेंट रिव्यूअर्स के पास ज़रूरी होने पर ब्रांडेड कंटेंट को एन्फ़ोर्स करने के सभी साधन उपलब्ध हैं” (FDA द्वारा नामंज़ूर किए गए उपचारों के लिए कीटामीन के उपयोग को प्रमोट करना). इसी दिशा में, मौजूदा केस में बोर्ड के बहुसंख्य सदस्यों ने सुझाव दिया कि Meta अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी में “कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट” को एक प्रतिबंधित कैटेगरी के रूप में शामिल करे.
इस फ़ैसले के बारे में बोर्ड के कुछ सदस्यों की राय अलग-अलग थी. कुछ सदस्यों ने कहा कि डीमॉनेटाइज़ेशन से अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसे कुछ सदस्यों ने कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि यह Meta की ज़िम्मेदारी है कि वह डीमॉनेटाइज़ेशन के ज़रिए ऐसे यूज़र्स को होने वाले अप्रत्यक्ष संभावित नुकसान के खतरे को कम करे जिन्हें इससे खतरा है, इस दृष्टिकोण से अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध की मात्रा बढ़ सकती है जिससे यूज़र्स के लिए जानकारी माँगने और शेयर करने का अवसर समाप्त हो जाएगा. इसलिए डीमॉनेटाइज़ेशन, आनुपातिकता की ज़रूरतों के अधीन है. Meta को यह एक्सप्लोर करना चाहिए कि क्या डीमॉनेटाइज़ेशन, उन यूज़र्स के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने का सबसे कम रुकावट डालने वाला साधन है जिन्हें खतरा है.
कुछ अन्य सदस्यों ने कहा कि डीमॉनेटाइज़ेशन ज़रूरी है लेकिन पर्याप्त नहीं है; Meta को इसके अलावा कठोर और नुकसानदेह डाइट संबंधी कंटेंट को 18 वर्ष उम्र से ज़्यादा के वयस्कों तक सीमित करना चाहिए और खानपान संबंधी गड़बड़ियों के स्वास्थ्य को होने वाले जोखिमों के बारे में विश्वसनीय जानकारी वाले कंटेंट पर लेबल लगाने जैसे अन्य उपाय एक्सप्लोर करने चाहिए. बोर्ड के इन सदस्यों ने कहा कि रिसर्च की बढ़ती हुई संख्या (ऊपर सेक्शन 2 में बताया गया) बताती हैं कि सोशल मीडिया का उपयोग और आदर्श शरीर की जानकारी, “थिन्सपाइरेशन” और “फ़िट्सपाइरेशन” ट्रेंड्स के कारण शरीर से होने वाली असंतुष्टि, खानपान की गड़बड़ी और मानसिक स्वास्थ्य पर अन्य बुरे परिणाम पड़ते हैं, ख़ास तौर पर महिलाओं और लड़कियों पर, और इसे देखते हुए यह ज़रूरी और आनुपातिक है कि Meta अपने आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में बदलाव करे. सोशल मीडिया पर सौंदर्य, डाइट और फ़िटनेस से जुड़े कंटेंट की प्रचुरता, सुझाव देने वाले ऐसे एल्गोरिदम के साथ मिलकर जो इन्हें ग्रुप करते हैं और आगे प्रमोट करते हैं, युवा यूज़र्स के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ऐसे कंटेंट के जोखिम को वास्तविक और गंभीर बनाती है. इन्फ़्लुएंशियल यूज़र्स अक्सर कठोर डाइट को “तंदुरुस्ती” या “स्वच्छ” खानपान के रूप में प्रस्तुत करते हैं और कभी भी इसे खानपान की गड़बड़ी नहीं बताते. इसे देखते हुए, यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि Meta की पॉलिसीज़ में नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट का समाधान किया जाए. बोर्ड के इन सदस्यों के लिए, आत्महत्या और खुद को चोट पहुँचाने से जुड़े कम्युनिटी स्टैंडर्ड में Meta का मौजूदा दृष्टिकोण, इस वास्तविकता का समाधान करने में विफल है. कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट को वयस्कों तक सीमित करना और स्वास्थ्य पर इसे संभावित असर के बारे में ज़्यादा जानकारी देने से यह सुनिश्चित होता है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी में कम से कम रुकावट आए और साथ ही बच्चों को नुकसान के जोखिम का भी समाधान हो.
9. ओवरसाइट बोर्ड का फ़ैसला
ओवरसाइट बोर्ड ने दोनों पोस्ट को Facebook पर बनाए रखने के Meta के फ़ैसले को कायम रखा.
10. सुझाव
कंटेंट पॉलिसी
1. Meta को कठोर और नुकसानदेह डाइट से जुड़े कंटेंट को अपनी कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी में प्रतिबंधित करना चाहिए ताकि नुकसानदेह कंटेंट बनाने के लिए इन्फ़्लुएंशियल यूज़र्स को आर्थिक फ़ायदे न मिलें.
बोर्ड इसे तब लागू मानेगा जब Meta की कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी को ऐसी परिभाषा और उदाहरण शामिल करने के लिए अपडेट कर दिया जाए कि कठोर और नुकसानदेह डाइट से संबंधित कंटेंट किसे कहा जाएगा. ऐसा उसी तरह किया जाना चाहिए जैसे कंटेंट मॉनेटाइज़ेशन पॉलिसी के तहत अन्य प्रतिबंधित कैटेगरी को परिभाषित करने और उन्हें समझाने के लिए किया गया है.
*प्रक्रिया संबंधी नोट:
ओवरसाइट बोर्ड के फ़ैसले पाँच सदस्यों के पैनल द्वारा लिए जाते हैं और बोर्ड के अधिकांश सदस्य इन पर सहमति देते हैं. ज़रूरी नहीं है कि बोर्ड के फ़ैसले उसके हर एक मेंबर की निजी राय को दर्शाएँ.
इस केस के फ़ैसले के लिए, बोर्ड की ओर से स्वतंत्र रिसर्च करवाई गई थी. बोर्ड को Duco Advisers की सहायता मिली, जो भौगोलिक-राजनैतिक, विश्वास और सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के आपसी संबंध पर काम करने वाली एक एडवाइज़री फ़र्म है. बोर्ड की सहायता Memetica ने भी की, जो सोशल मीडिया ट्रेंड पर ओपन-सोर्स रिसर्च करने वाला संगठन है. उसने विश्लेषण भी उपलब्ध कराया.