ओवरसाइट बोर्ड ने डेमोग्राफ़िक बदलावों पर राजनेता के कमेंट वाला केस अनाउंस किया

आज बोर्ड एक नए केस की सुनवाई करने की घोषणा कर रहा है. इसके तहत हम लोगों और संगठनों को पब्लिक कमेंट सबमिट करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं.

केस का चयन

चूँकि हम सभी अपीलों पर सुनवाई नहीं कर सकते, इसलिए बोर्ड उन केस को प्राथमिकता देता है, जिनका असर दुनिया भर के यूज़र्स पर पड़ सकता है और जो सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं या जो Meta की पॉलिसी पर बड़े सवाल खड़े करते हैं.

आज हम इस केस की सुनवाई की घोषणा कर रहे हैं:

डेमोग्राफ़िक बदलावों पर राजनेता के कमेंट

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कंटेंट को Facebook से हटाने के लिए यूज़र की अपील

पब्लिक कमेंट यहाँ से सबमिट करें, जिन्हें अनाम रूप से भी दर्ज करवाया जा सकता है.

जुलाई 2023 में, एक यूज़र ने Facebook पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें फ़्रेंच राजनेता एरिक ज़ेमूर के साथ यूरोप और अफ़्रीका में डेमोग्राफ़िक बदलावों के बारे में इंटरव्यू किया गया था. वीडियो पोस्ट करने वाला यूज़र, ज़ेमूर के अधिकारी का एडमिनिस्ट्रेटर है, जिसके वेरिफ़ाई किए गए Facebook पेज के लगभग 300,000 फ़ॉलोअर्स हैं. आधिकारिक परिणामों के अनुसार 2022 फ़्रेंच प्रेसिडेंशियल चुनाव के उम्मीदवार, ज़ेमूर पहले राउंड में लगभग 7% वोटों से जीते थे, लेकिन वे आगे नहीं बढ़े. उन्हें फ़्रांस में “भेदभाव और धर्म के नाम पर नफ़रत भड़काने” का दोषी पाया गया और यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने उन्हें अपराधी ठहराया.

वीडियो में, ज़ेमूर दावा कर रहे हैं कि यूरोपीय लोगों की जनसंख्या लगभग उतनी ही है, जितनी 20वीं सदी की शुरुआत में थी, जबकि अफ़्रीकी लोगों की जनसंख्या बहुत ज़्यादा बढ़ चुकी है, जिससे “पावर बैलेंस शिफ़्ट हो गया है”. वीडियो में फ़्रेंच भाषा में कैप्शन इस दावे को दोहरा रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि “जब एक अफ़्रीकी व्यक्ति के सामने चार यूरोपीय लोग थे, जब [यूरोप] ने अफ़्रीका को बसाया” और अब “एक यूरोपीय व्यक्ति के सामने चार अफ़्रीकी लोग है और अफ़्रीका, यूरोप को बसा रहा है.” कंटेंट को लगभग 20,000 बार देखा गया और उस पर 1,000 से कम रिएक्शन दिए गए, जिनमें से ज़्यादातर “लाइक” और दूसरे नंबर पर “बहुत पसंद” थे.

अपनी नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के तहत, जाति, नस्ल, राष्ट्रीय मूल और धार्मिक संबद्धता सहित सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर लोगों पर किए जाने वाले सीधे हमलों को Meta हटा देता है. शरणार्थियों, प्रवासियों, अप्रवासियों और शरण चाहने वालों को “बेहद गंभीर हमलों” से बताया जाता है, हालाँकि Meta “इमिग्रेशन पॉलिसी पर टिप्पणी करने और उसकी आलोचना करने” की परमिशन देता है.

इस केस में कंटेंट की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के तहत दो बार रिपोर्ट की गई थी. Meta के ऑटोमेटेड सिस्टम ने दोनों रिपोर्ट को बंद कर दिया और वीडियो को Facebook पर रहने दिया गया. कंटेंट की रिपोर्ट करने वाले पहले यूज़र ने Meta के फ़ैसले पर अपील की, लेकिन उसी दिन ह्यूमन रिव्यू के बाद, कंपनी ने तय किया कि वीडियो को रहने देने का फ़ैसला सही था. उसी यूज़र ने फिर Meta के फ़ैसले के खिलाफ़ बोर्ड को अपील की. अपने बयान में, उन्होंने कंटेंट को “फ़र्ज़ी ख़बर” बताया. जब बोर्ड ने यह केस चुना, तो Meta ने कन्फ़र्म किया कि ओरिजनल फ़ैसला सही था और बताया कि उसके नज़रिए से ज़ेमूर के दावे ने नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं किया क्योंकि उसमें किसी भी सुरक्षित ग्रुप पर हमला नहीं किया गया है. कंपनी इस दावे को एक हमला नहीं मानती कि एक ग्रुप किसी जगह को “बसा रहा है”, जब तक कि “उसके खिलाफ़ बहुत-सी शिकायतें नहीं मिलती”.

बोर्ड ने यह केस दुनिया भर में चुनाव के दौरान इमिग्रेशन और प्रवासियों की ओर पॉलिसी की बढ़ती हुई प्रमुखता और चुनाव के दौरान प्रवासी-विरोधी कंटेंट के बहुत ज़्यादा बढ़ जाने की वजह से चुना था, जिसमें “ग्रेट रिप्लेसमेंट” जैसे दावे शामिल हैं. “ग्रेट रिप्लेसमेंट” यह दावा है कि काले लोग, डेमोग्राफ़िक ढंग से गोरी यूरोपीय जनसंख्या की जगह ले रहे हैं. यह केस चुनाव और नागरिक सहभागिता और समाज के पिछड़े वर्गों के प्रति नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी बोर्ड की स्ट्रेटेजिक प्राथमिकताओं के दायरे में आता है.

बोर्ड ऐसे पब्लिक कमेंट की सराहना करता है, जिनसे इस बारे में जानकारी मिले:

  • क्या पोस्ट को Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी के उल्लंघन में सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर सीधा हमला माना जाना चाहिए या फिर इमिग्रेशन पॉलिसी पर की गई टिप्पणी और संबंधित सोशल ट्रेंड माना जाना चाहिए.
  • फ़्रांस में अप्रवास के बारे में चर्चाओं का सामाजिक और राजनैतिक प्रसंग.
  • इस बारे में विचार कि Meta की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी उसकी मानवाधिकार से जुड़ी ज़िम्मेदारियों के साथ कैसे अनुकूल हैं और क्या किसी बदलाव पर विचार किया जाना चाहिए.
  • कंपनी की नफ़रत फैलाने वाली भाषा से जुड़ी पॉलिसी और दूसरी लागू पॉलिसी के तहत, कंपनी के कंटेंट मॉडरेशन पर कंटेंट पोस्ट करने वाले व्यक्ति की वजह से क्या और कैसे कोई फर्क पड़ता है, ख़ास तौर पर राजनेता जैसे हाई-प्रोफ़ाइल यूज़र्स.
  • इस बारे में विचार कि Meta को सुरक्षित विशिष्टताओं के आधार पर लोगों पर होने वाले सीधे हमलों से “इमिग्रेशन पॉलिसी पर की जाने वाली टिप्पणी और उनकी आलोचना” को कैसे अलग करना चाहिए, ख़ास तौर पर चुनाव के दौरान.

अपने फ़ैसलों के तहत, बोर्ड की ओर से Meta को पॉलिसी से जुड़े सुझाव दिए जा सकते हैं. ये सुझाव बाध्यकारी नहीं होते हैं, लेकिन Meta को 60 दिनों के अंदर इन सुझावों पर अपनी राय रखनी होती है. वैसे, बोर्ड इस केस के लिए प्रासंगिक सुझाव देने वाले पब्लिक कमेंट का स्वागत करता है.

पब्लिक कमेंट

अगर आपको या आपके संगठन को लगता है कि इस केस को लेकर आप हमें ऐसी कोई जानकारी दे सकते हैं, जिससे हमें सही फ़ैसला लेने में मदद मिलेगी, तो आप ऊपर दिए गए लिंक के ज़रिए अपनी बात हम तक पहुँचा सकते हैं. कृपया ध्यान रखें कि पब्लिक कमेंट अनाम रूप से भी दर्ज करवाए जा सकते हैं. पब्लिक कमेंट की विंडो 14 दिनों तक खुली रहेगी, जो मंगलवार, 12 दिसंबर को आपके स्थानीय समयानुसार रात 11:59 बजे बंद हो जाएगी.

इसके बाद क्या होगा

अगले कुछ हफ़्तों में बोर्ड के मेंबर इस केस पर विचार-विमर्श करेंगे. जब वे अपने आखिरी फ़ैसले पर पहुँच जाएँगे, तब हम उस फ़ैसले को ओवरसाइट बोर्ड की वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे. यहाँ साइन अप करें, ताकि जब बोर्ड नए केस की सुनवाई की घोषणा करे या अपने फ़ैसले प्रकाशित करे, तो उनके अपडेट आपको मिल जाएँ.

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